हमारे देश में ‘आरक्षण’ एक बड़ा बहस का मुद्दा रहा है, इसे लेकर और इसके विरोध में भी कई बड़े बड़े आन्दोलन किये गए हैं, जिसके बाद कई प्रकार के बदलाव संविधान में होते रहे हैं और कई नई तरह की नीतियाँ बनायीं जाती रही हैं!
दोस्तों जैसा की आपको ज्ञात होगा वर्तमान भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किये हैं! जिसके तहत अब आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य जाति के लोगों को भी सरकारी नौकरी और शिक्षा में १० प्रतिशत तक का आरक्षण भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा!
आज हम आपको इस संशोधन और सवर्ण आरक्षण के नाम से चल रही इस चर्चा के विषय में जानकारी देने जा रहे हैं!
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क्या हैं संविधान के अनुच्छेद 15 और 16?
भारतीय संविधान में सभी धर्म जाति पंथ और समुदाय को एक समान समझने और सभी का आदर करने की बात कही गयी है! भारतीय संविधान में संता के अधिकार को भी महत्ता दी गयी है, भारत के प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार देने की बात हमारा संविधान करता है, साथ ही पिछड़ी जाति के कल्याण के लिए उन्हें सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण प्रदान करता है, लेकिन आर्थिक आधार पर अबतक आरक्षण नहीं दिया गया था!
क्या है आर्टिकल 15?
संविधान का आर्टिकल 15 यह कहता है कि धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म, स्थान या इनमे से किसी के भी आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता! इस अनुच्छेद 15 (१) पर लिखा गया है कि राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म, स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। इसी आर्टिकल में 15 (4) और (5) के तहत सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
क्या है संशोधन?
यहाँ पहले कहीं भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का जिक्र नहीं आता था, साथ ही आरक्षण केवल पिछड़े वर्ग या अनुसूचित जाति और जनजाति को प्राप्त था, अब इस संशोधन में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े शब्द का उपयोग किया जाएगा!
क्या है आर्टिकल 16?
भारतीय संविधान का आर्टिकल 16 कहता है कि शासकीय सेवाओं और सरकारी नौकरियों में सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं लेकिन 16(4) 16(4)(क), 16(4)(ख) और आर्टिकल 16(5) में पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। यहां अब सामान्य पिछड़ा वर्ग भी जोड़ा गया है।
क्या है संशोधन?
इस अनुच्छेद में सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग का जिक्र नहीं था, इस संशोधन में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण का जिक्र किया गया है!
किसे मिलेगा इस आर्थिक आरक्षण का लाभ?
भारत सरकार के द्वारा इस संशोधन के आधार पर आर्थिक रूप से पिछड़े हुए लोगों को रिजर्व्ड केटेगरी में लाने की बात कही गयी है, संविधान के संशोधन के बाद यह स्पष्ट है कि भारत सरकार द्वारा इसके लाभार्थियों के लिए भी विशेष सूची तैयार की गयी है, जिसमे यह दर्ज है कि किन लोगों को इस आरक्षण से सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में आरक्षण मिलेगा,
नीचे दी गयी सूची के आधार पर सामान्य वर्ग पर यह १० प्रतिशत आरक्षण लागू होगा –
- जिन सामान्य वर्ग के नागरिकों की आमदनी ८ लाख रुपये प्रतिवर्ष से कम है
- जिन सामान्य वर्ग के नागरिकों की कृषि भूमि ५ हेक्टेयर से कम हो
- अगर घर है तो १००० स्क्वायर फिट से कम हो
- अगर नगर निगम में आवासीय प्लाट है तो १०९ यार्ड से कम जमीन हो
- अगर निगम के बाहर प्लाट है तो २०९ यार्ड से कम जमीन हो
निष्कर्ष
इस लेख का निष्कर्ष यह है कि आर्थिक रूप से पिछड़े हुए सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को भारत सरकार के द्वारा अब १० प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, इस आधार पर यह तय किया गया है कि सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में अबतक पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को आरक्षण प्राप्त था, लेकिन अब यह सामान्य वर्ग पर भी लागू होगा! इसके साथ ही सरकार की यह नीति है कि सामान्य वर्ग के गरीब तबके के व्यक्ति को आरक्षण के माध्यम से नौकरी और शिक्षा की सुविधा सहज रूप से प्राप्त कराइ जाए!