[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Eco-Bio-Tech GS Paper 3/Part 12

Sansar LochanGS Paper 3, Sansar Manthan

Topics – Trans Fat / ट्रांस फैट, Labelling Packaged GM Foods / आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थ

1st Question – Trans Fat

सामान्य अध्ययन पेपर – 3

ट्रांस फैट के बारे में आप क्या जानते हैं? ट्रांस फैट से होने वाले स्वास्थ्य से सम्बंधित खतरों की चर्चा करें. (250 words)

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

भारत में खाद्य प्रसंस्करण एव सम्बंधित उद्योग – कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति शृंखला, प्रबंधन.

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उत्तर :-

ट्रांस फैट तेल तथा खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ (सामग्री के भंडारण एवं उपयोग होने तक की अवधि) में वृद्धि करने व उनके स्वाद को स्थिर करने में सहायता करते हैं. ट्रांस फैट को ट्रांस फैटी एसिड (TFA) के रूप में भी जाना जाता है. ये दो प्रकार के होते हैं –

i) प्राकृतिक ट्रांस फैट

ii) कृत्रिम ट्रांस फैट

(Reference :>> Sansar DCA, 25 May, 2018)

ट्रांस फैटी एसिड (TFAs) या ट्रांस वसा सबसे हानिकारक प्रकार के वसा होते हैं जो हमारे शरीर पर किसी भी अन्य आहार से अधिक प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं. यह वसा मानव निर्मित वसा है. इसका कुछ ही भाग प्रकृति में निर्मित होता है. कृत्रिम TFAs तेल में हाइड्रोजन प्रविष्ट कराकर उत्पन्न किया जाता है. इस प्रक्रिया में तेल का स्वरूप शुद्ध घी या मक्खन जैसा हो जाता है. जहाँ तक प्राकृतिक TFAs का प्रश्न है यह माँस और पशु उत्पादों में सूक्ष्म मात्रा में मिलता है.

भारत में वनस्पति घी, देसी घी, मक्खन एवं मारगरीन ट्रांस फैट के मुख्य स्रोत हैं. वनस्पति घी का खाद्य उद्योग जगत में अधिक प्रयोग किया जाता है, क्योंकि यह खाद्य उत्पाद की शेल्फ लाइफ को बढ़ाता है तथा यह अपेक्षाकृत सस्ता भी है.

ट्रांस फैट के स्वास्थ्य खतरे

विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, ट्रांस फैट के रूप में ऊर्जा ग्रहण करने में 2% की वृद्धि हृदय रोग की संभावना में 23% की वृद्धि करती है. WHO द्वारा एक अन्य अनुमान के अनुसार :

इसके उपभोग से कम-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या LDL (जिसे “ख़राब” कोलेस्ट्रोल भी कहा जाता है) के स्तर में वृद्धि होती है. इसके फलस्वरूप हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही यह उच्च-घनत्व वाले लिपोप्रोटीन या HDL (जिसे “अच्छा” कोलेस्ट्रोल भी कहते हैं) के स्तर को कम करता है.

इन्हें Type-2 मधुमेह का मुख्य कारण माना जाता है, जो इन्सुलिन प्रतिरोध से जुड़ा हुआ होता है. इस कारण WHO ने अनुशंसा की है कि एक व्यक्ति द्वारा ग्रहण की जाने वाली कुल कैलोरी मात्रा का एक प्रतिशत से अधिक ट्रांस फैट से नहीं होना चाहिए.

2nd Question – Labelling Packaged GM Foods

सामान्य अध्ययन पेपर – 3

GM खाद्य पदार्थों की लेबलिंग अनिवार्य होनी चाहिए? पक्ष और विपक्ष दोनों के विषय में तर्क प्रस्तुत करें. (250 words)

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

भारत में खाद्य प्रसंस्करण एव सम्बंधित उद्योग – कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति शृंखला, प्रबंधन.

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उत्तर :-

FSSAI ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग व प्रदर्शन) विनियम, 2018 का प्रारूप जारी किया है, जिसमें यह प्रस्तावित किया गया है कि आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) तत्त्वों से युक्त सभी डिब्बा-बंद (packaged) खाद्य उत्पादों में स्पष्ट रूप से लेबल पर इसे निर्दिष्ट करना अनिवार्य होगा.

पक्ष में तर्क

  1. उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार है कि किन उत्पादों में GM पदार्थ हो सकते हैं क्योंकि पहले से ही अनेक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में इनका उपयोग हो रहा है.
  2. यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, कोरिया, ब्राजील एवं चीन में लेबलिंग पहले से ही अनिवार्य है. इसलिए, भारत को भी उनका अनुकरण करना चाहिए.
  3. GMO प्रौद्योगिकी अनियंत्रित है और इसका अप्रत्याशित प्रभाव हो सकता है.
  4. 80% GMOs इस प्रकार बनाए जाते हैं कि खरपतवार नाशक कीड़ों को नष्ट किया जा सके. इसके लिए न्यूरोटॉक्सिक रसायनों तथा जीनों का उपयोग किया जाता है.
  5. भारतीय कृषि क्षेत्रों में GM प्रौद्योगिकी के लेबलयुक्त प्रयोग से खाद्य उद्योग में भारी वृद्धि की संभावना है.

 

विपक्ष में तर्क

  1. यूरोपीय संघ तथा जापान के अनुभव से पता चलता है कि उपभोक्ता, खुदरा विक्रेता तथा प्रसंस्करणकर्ता GM सामग्री या खाद्य उत्पादों से दूरी बना रहे हैं. इस प्रकार, अनिवार्य रूप से लेबल लगाने से आयात पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है तथा यह व्यापार को दूसरी दिशा में ले जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप GM खाद्य पदार्थ खुदरा स्तर पर शामिल नहीं हो पायेंगे.
  2. इसके परिणामस्वरूप प्रवर्तन व परीक्षण के कारण करदाता को अतिरिक्त लागत वहन करनी होगी. यह उन उपभोक्ताओं को भी नुकसान पहुँचाएगा, जो कम कीमत वाले GM खाद्य उत्पादों को खरीदना पसंद करते हैं, परन्तु इस परिवर्तन के कारण उन्हें ये उत्पाद उपलब्ध नहीं होंगे.
  3. लेबल को अनिवार्य बना देने से GM खाद्य उत्पादों के विरोधी GM उत्पादों को आसानी से पहचान लेंगे और प्रसंस्करणकर्ताओं के विरुद्ध अभियान छेड़ने के लिए उद्यत हो जाएँगे.
  4. यदि लेबल लगाना स्वैच्छिक कर दिया जाता है तो इससे खर्च में कमी आएगी ही अपितु इससे व्यापार को बेहतर ढंग से नियमित किया जा सकता है.
  5. भारी मात्रा में खरपतवारनाशक के उपयोग के कारण GMO फसलें मिट्टी के सूक्ष्म जीवों (माइक्रोबायोम) को नष्ट कर खाद्य की पौष्टिकता को कम कर देते हैं तथा खाद्य पर रसायनों के अत्यधिक अवशेष छोड़ देते हैं.

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“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

Tags : What is trans fat in Hindi. ट्रांस फैट क्या होता है? ट्रांस फैट के प्रकार कितने हैं? New Norms for Labelling Packaged GM Foods.

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