आतंकवाद के विरुद्ध सुरक्षा बलों की सराहनीय भूमिका

Sansar LochanSansar Editorial 2020

आतंकवाद के विरुद्ध कई सख्ती और कामयाब कार्रवाइयों के पश्चात् भी हर कुछ दिन के पश्चात् जिस प्रकार के आतंकी हमले समक्ष आते रहते हैं, उससे यही प्रतीत होता है कि अब भी इस दिशा में बहुत कुछ कुछ ठोस किया जाना शेष है. जम्मू-कश्मीर में पुलवामा जिले के त्राल क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने गुप्त सूचना मिलने पर हाल ही में रातों-रात तलाशी अभियान प्रारम्भ किया था. खोज जारी ही थी कि आतंकवादियों ने गोलीबारी करना प्रारम्भ कर दिया. इसके पश्चात् सुरक्षा बलों के साथ हुए मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन के तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया. इन तीनों में से एक आतंकी वही आतंकी था, जिसने हम्माद नामक आतंकवादी के मारे जाने के पश्चात् उस क्षेत्र में अपने संगठन का नेतृत्व संभाला था.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इसी वर्ष गणतंत्र दिवस के दौरान इस्लामिक स्टेट (ISIS) के तीन आतंकियों को दिल्ली में गिरफ्तार किया था. इन आतंकितयों के पास से हथियार भी बरामद किये गये थे. ये तीन आतंकी दिल्ली में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के चक्कर में थे.

स्वाभाविक है कि यह सुरक्षा बलों की एक महत्त्वपूर्ण कामयाबी है. परन्तु यह भी सत्य है कि लगातार आतंकियों को ढेर लगाये जाने के बाद भी नए ढंग से ऐसे संगठनों की गतिविधियाँ प्रारम्भ हो जाती हैं. हम सभी जान गए हैं कि इस सम्पूर्ण क्षेत्र में आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए न केवल कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है, बल्कि सामाजिक सहयोग जैसे कई अन्य मोर्चों पर भी कार्य किए जाने की आवश्यकता है.

विदित हो कि पिछले करीब पाँच-छह महीने के अंतराल में जम्मू-कश्मीर में भिन्न-भिन्न स्थानों पर सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ों में लगभग दो दर्जन आतंकियों को मार गिराया गया है. इस वीरता भरे कार्य से एक ओर जहाँ यह जानने को मिलता है कि उस सम्पूर्ण क्षेत्र में सुरक्षा बल अतिरिक्त सावधानी बरत रहे हैं और स्थानीय पुलिस एवं गुप्त तंत्र के साथ उनके तालमेल की स्थिति दृढ़ है. दूसरी ओर, यह भी सत्य है कि कई कड़ी कार्रवाइयों के बाद भी निचले स्तर तक आतंकवादी संगठनों की पहुंच और गतिविधियों को संपूर्णतः नेस्तनाबूत नहीं किया जा सका है. पुलवामा में मुठभेड़ की घटना जो हमारे समक्ष आई थी, वह पहले से ही आतंकी गतिविधियों के चलते संवेदनशील इलाका रहा है.

त्राल में इस घटना के पूर्व सुरक्षा बलों ने कई आतंकियों को ढेर लगाया है. परन्तु यह भी सच है कि इसी पुलवामा में एक आतंकी हमले के चलते सीआरपीएफ के 42 जवानों को हमने खो दिया था. नियमित निगरानी के बाद भी ऐसी आतंकी गतिविधियों का नहीं रुकना चिंतनीय है.

यह तो सच है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू हो जाने के बाद भारतीय सुरक्षा बलों की बढ़ी चौकसी के कारण आतंकियों का उत्साह कमजोर पड़ गया है, परन्तु वहाँ आतंकी संगठनों ने जिस प्रकार अपनी गहरी जड़ें जमाई हुई थीं, उसे पूर्णतः उखाड़ फेकना आज भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हम सब इस बात से अवगत हैं कि आतंकी संगठनों की जड़ें मात्र जम्मू-कश्मीर तक फैली हुई ही नहीं हैं. आतंकवादियों के गढ़ भारत में यत्र-तत्र अन्य राज्यों में भी फैले हुए हैं जिनको पता लगाना टेढ़ी खीर है.

भारत ने हर बार पाकिस्तान से कहा है कि वह अपनी सीमा में स्थित आतंकी संगठनों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करे. परन्तु इसका कोई विशेष प्रभाव देखने में नहीं आया. उल्टे पाकिस्तान ने भारत के इस आरोप को हमेशा गलत बताते हुए कहा है कि भारत में आतंकवाद भारत की स्वयं की नीतियों के चलते है. पाकिस्तान कहता है कि भारत में एक वर्ग विशेष के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया जाता, जो विरोध के स्वर उठाने में विवश हो जाते हैं.

बीजिंग में सम्पन्न नौवें ब्रिक्स सम्मेलन के घोषणा-पत्र में पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठनों और आतंकी गतिविधियों का मुद्दा उठाया गया. तब जाकर औपचारिकता के लिए ही सही, पाकिस्तान ने कार्रवाई का भरोसा दिया था. परन्तु आज भी आतंकवादी संगठन जिस प्रकार भारतीय सीमा में घुसपैठ एवं अनेक तरह के आतंकी कार्रवाइयों में लिप्त हैं, इससे यह स्पष्ट है कि उन्हें कहीं न कहीं से मदद अवश्य मिल रहा है. भारत अपने सीमा-क्षेत्र में आतंकवाद से लड़ने के लिए सक्षम है, परन्तु आतंक को प्रोत्साहन देने वालों को यह सोचना होगा कि इसकी आग में दूसरों के साथ-साथ वे स्वयं भी झुलसेंगे.

आतंकवाद की जड़ें पूरे विश्व में

हर थोड़े समय पश्चात् विश्व के किसी न किसी भाग में आतंकवादी घटना सामने आती है और उसमें बेक़सूर लोग मारे जाते हैं.

हाल ही में पिछले महीने फरवरी में मिस्र के सुरक्षा बलों ने सिनाई प्रांत में सुरक्षा चौकी पर हमला करने वाले 10 आतंकवादियों को ढेर लगा दिया. मिस्र के सुरक्षा बल सिनाई प्रांत में एक सुरक्षा चौकी पर किए गए आतंकवादी हमले को नाकाम करने में सफल हुए. इस हमले में दो अधिकारियों सहित सात जवानों को भी अपने जान गँवाने पड़े.

आगे की राह

बदलते समय में, देश की रक्षा से जुड़ी नवीन एवं जटिल चुनौतियों का सामना करने हेतु सरकार को सेनाओं को और भी सशक्त, प्रभावशाली और आधुनिक बनाना चाहिए. यह सच है भारत सरकार आतंकवाद को उखाड़ फेकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है, जैसे तीनों सेनाओं में एकीकरण को प्रोत्साहन देने के लिए और उन्हें एक कमान के नीचे लाने के लिए एक चीफ ऑफ डिफेंस (सीडीएस) की नियुक्ति और सैन्य मामलों के विभाग का गठन भारत सरकार का एक बहुत ही सराहनीय कदम है.

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