हाल ही में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आभासी रूप (virutually) में “प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (TB Free India Campaign)” लांच किया। इस अभियान के तहत भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने नि-क्षय मित्र पोर्टल (Ni-kshay portal) का भी शुभारंभ किया, जो अभियान का एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
नि-क्षय मित्र पोर्टल
- नि-क्षय मित्र पोर्टल टीबी के उपचार से गुजर रहे लोगों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
- तीन आयामी सहायता में पोषण, अतिरिक्त निदान और पेशेवर सहायता शामिल है।
- दानकर्ताओं, जिन्हें नि-क्षय मित्र कहा जाता है, में हितधारकों की एक विस्तृत शृंखला शामिल हो सकती है, जिनमें निर्वाचित प्रतिनिधि, राजनीतिक दल से लेकर कॉरपोरेट, गैर सरकारी संगठन और आम व्यक्ति तक हो सकते हैं।
नि-क्षय मित्र 2.0 पोर्टल
- मरीजों की देखभाल के लिए आगे आने वाले लोगों और संस्थानों को “निक्षय मित्र” कहा जाएगा।
- निक्षय मित्र सहायता की अवधि एक वर्ष से तीन वर्ष तक चुनी जा सकती है। वे राज्य, जिला, ब्लॉक, स्वास्थ्य सुविधाओं को भी चुन सकते हैं.
- आज की तिथि में NIKSHAY पोर्टल में लगभग 13.5 लाख टीबी रोगी पंजीकृत हैं.
- यह पोर्टल टीबी रोगियों को सामुदायिक सहायता के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
- इस पहल के तहत निक्षय 2.0 पोर्टल पर भी लॉग इन (login) करके व्यक्ति, संगठन, कॉर्पोरेट, सहकारी संगठन, निर्वाचित नेता और गैर सरकारी संगठन टीबी से पीड़ित व्यक्तियों को सहायता प्रदान कर सकते हैं।
भारत में टीबी की स्थिति
- भारत में वर्ष 2021 के दौरान टीबी के मरीजों की कुल संख्या 19,33,381 रही, जबकि 2020 में यह संख्या 16,28,161 थी।
- भारत में विश्व के कुल टीबी मरीजों का 25% से अधिक है।
- भारत में, 2019-20 के बीच सभी प्रकार के टीबी के कारण मृत्यु दर में 11% की वृद्धि हुई है।
तपेदिक क्या है?
- यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, साधारणतः माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों के कारणों से होती है.
- क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं.
- यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं.
- यह एक गंभीर रोग है लेकिन उचित उपचार से इसे ठीक किया जा सकता है.
चिंता का विषय
- पिछले दशकों में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद टीबी विश्वभर में मृत्यु के शीर्ष दस कारणों में से एक है. वैश्विक स्तर पर टीबी के कारण अनुमानित 3 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई तथा वर्ष 2017 में 9.0–11.1 मिलियन लोगों में टीबी रोग विकसित हुआ. वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट, वर्ष 2018 के अनुसार भारत में वर्ष 2017 के दौरान विश्व टीबी के मामलों की भागीदारी 27% है.
- तपेदिक (टीबी) बैक्टीरिया (मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होने वाला एक संचारी (संक्रामक) रोग है, जो कि फेफड़ो को प्रभावित करता है, लेकिन यह अन्य हिस्सों (एक्सट्रा पल्मोमनरी टीबी/इतर फुफ्फुसीय तपेदिक) को भी प्रभावित करता है. तपेदिक उपचार और निवारण योग्य है.
सरकार द्वारा उठाये गये कदम
- वर्ष 2020 में, अधिसूचित रोगियों में से 83% का सफलतापूर्वक इलाज किया गया, जबकि 4% की उपचार प्राप्त करते समय मृत्यु हो गई।
- देश के लगभग प्रत्येक ग्रामीण क्षेत्र को 4.5 लाख से अधिक DOT केंद्रों की मदद से कवर किया गया है।
- सभी अधिसूचित टीबी रोगियों के लिए एचआईवी परीक्षण 2019 में बढ़कर 81% हो गया।
- राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP)
- राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन रणनीतिक योजना 2017-25 बनाई गई है।
MDR & XDR-TB
- “मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस’ (MDR-TB) टीबी का एक प्रकार है, जिसका इलाज दो सबसे शक्तिशाली एंटी-टीबी दवाओं के साथ नहीं किया जा सकता है।
- ‘एक्स्टेंसिव ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस’ (XDR-TB) टीबी का वह रूप है, जो ऐसे बैक्टीरिया के कारण होता है जो कई सबसे प्रभावी एंटी-टीबी दवाओं के प्रतिरोधी होते हैं।
- XDR-टीबी में मृत्यु दर MDR-टीबी की तुलना में अधिक होती है, क्योंकि इसमें प्रभावी उपचार के विकल्पों की संख्या कम होती है।
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