बिरसा मुंडा आन्दोलन – Birsa Munda Movement in Hindi

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1857 ई. के बाद मुंडाओं ने सरदार आन्दोलन चलाया जो एक शांत प्रकृति का आन्दोलन था. पर इससे आदिवासियों की स्थिति में कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया. मुंडाओं ने आगामी आन्दोलन को उग्र रूप देने का निर्णय लिया. सरदार आन्दोलन के ठीक विपरीत बिरसा मुंडा आन्दोलन उग्र और हिंसक था. इस आन्दोलन के नेता बिरसा मुंडा (Birsa Munda), एक पढ़े-लिखे … Read More

1857 विद्रोह के प्रमुख नेता – Prominent Leaders of 1857

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आशा है कि इस पोस्ट को पढ़ने से पहले आपने 1857 की क्रांति वाला हमारा पोस्ट जरुर पढ़ा होगा. यदि नहीं पढ़ा तो आप अभी क्लिक करके पढ़ सकते हैं >> 1857 की क्रांति. यहाँ पर हम 1857 की क्रांति के कुछ प्रमुख नेताओं (leaders) के नाम लेने जा रहे हैं. इन्होंने किन क्षेत्र का नेतृत्व किस प्रकार किया, इस … Read More

चंपारण का किसान आन्दोलन – Peasant Movement of Champaran

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20वीं शताब्दी के शुरुआती चरणों में चंपारण के किसानों (farmers of Champaran) का भी आन्दोलन (movement) हुआ जिसकी गूँज पूरे भारत में हुई. इस आन्दोलन का महत्त्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहीं से महात्मा महात्मा गाँधी जी भारतीय राजनीति में सक्रिय रूप से प्रवेश होता है. सत्याग्रह की शुरुआत चंपारण से ही हुई. चलिए जानते हैं चंपारण आन्दोलन/सत्याग्रह (Champaran … Read More

वहाबी आन्दोलन – The Wahabi Movement in Hindi

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वहाबी आन्दोलन (Wahabi Movement) की शुरुआत एक इस्लामी पुनरुत्थान आन्दोलन के रूप में हुई थी. इस आन्दोलन को तरीका-ए-मुहम्मदी अथवा वल्लीउल्लाही आन्दोलन के नाम से भी जाना जाता है. यह एक देश विरोधी और सशस्त्र आन्दोलन था जो शीघ्र ही पूरे देश में फ़ैल गया. वहाबी आन्दोलन एक व्यापक आन्दोलन बन चुका था और इसकी शाखाएँ देश के कई हिस्सों … Read More

खेड़ा सत्याग्रह – एक किसान आन्दोलन 1918

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आज हम खेड़ा सत्याग्रह (Kheda Movement) के विषय में पढ़ने वाले हैं. खेड़ा एक जगह का नाम है जो गुजरात में है. चंपारण के किसान आन्दोलन के बाद खेड़ा (गुजरात) में भी 1918 ई. में एक किसान आन्दोलन हुआ. गाँधीजी ने खेड़ा में भी किसानों की बदतर हालत को सुधारने का अथक प्रयास किया. खेड़ा में भी बढ़े लगान और … Read More

महात्मा गाँधी की ग्यारह सूत्री योजना – 11 Demands by Gandhi

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महात्मा गाँधी ने हिन्सात्मक घटना के चलते (चौरी-चौरा नामक स्थान पर आन्दोलनकारियों ने एक थानेदार और 21 सिपाहियों को जलाकर मार डाला) असहयोग आंदोलन को बीच में ही स्थगित कर दिया क्योंकि वे अहिंसात्मक आंदोलन के पक्ष में थे.  असहयोग आन्दोलन की असफलता के बाद गाँधीजी 11 फरवरी, 1930 से सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करना चाहते थे. लेकिन देश की … Read More

भारत का विभाजन : Partition of India in Hindi

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आज हम भारत का विभाजन (Partition of India) कैसे हुआ और इसके पीछे क्या कारण थे, क्या सच्चाई थी, यह जानने की कोशिश करेंगे. कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत भारत में कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के साथ सहयोग कर एक अंतरिम सरकार (interim government) का गठन किया, लेकिन मुस्लिम लीग इस अंतरिम सरकार में रहकर भी केवल  व्यवधान डालने का कार्य करती … Read More

स्वामी दयानंद सरस्वती की जीवनी और आर्य समाज

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दयानंद सरस्वती

उन्नीसवीं शताब्दी यूँ तो समाज सुधारकों और धर्म सुधारकों का युग है और इस युग में कई ऐसे महापुरुष हुए जिन्होनें समाज में व्याप्त अन्धकार को दूर कर नयी किरण दिखाने की चेष्टा की. इनमें आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती (Swami Dayananda Saraswati) का नाम सर्वप्रमुख है. स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज के माध्यम से भारतीय संस्कृति को … Read More

वारेन हेस्टिंग्स, कार्नवालिस, विलियम बेंटिक और लॉर्ड डलहौजी के सुधार

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अंग्रेज़ सर्वप्रथम भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आये, लेकिन यहाँ की बिगड़ती हुई राजनीतिक स्थिति और देशी राज्यों के आपसी फूट का लाभ उठाकर यहाँ बिटिश सत्ता की स्थापना कर ली. अंग्रेजों को सबसे पहले बंगाल में पैर जमाने का मौका मिला और उसके बाद तो वे पूरे भारत में धीरे-धीरे फ़ैल गए. भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के … Read More

उग्रवाद का उदय (बाल, लाल और पाल) – गरम दल 1905

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1885 से 1905 तक भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की बागडोर कांग्रेस के उदारवादी दल के हाथ में थी. 1905 ई. से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दूसरा चरण प्रारम्भ होता है, जिसे उग्रवादी युग (garam dal) की संज्ञा दी गई है. जब ब्रिटिश साम्राज्यवाद का वरदान मानने वाले तथा उनकी न्यायप्रियता में अटूट विश्वास रखनेवाले उदारवादी नेताओं का विश्वास टूटकर बिखर गया तब … Read More