तब्लीगी गतिविधियों में लिप्त होने पर प्रतिबंध – New Visa Rules

Sansar LochanGovernance

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वीजा से सम्बंधित मार्गनिर्देशों में नए संशोधन किये हैं जिनके अंतर्गत विशिष्ट वीजा उल्लंघन के रूप में तब्लीगी गतिविधियों को सम्मिलत किया है.

संशोधन में क्या है?

  • संशोधन के द्वारा भारतीय वीजा से संबंधित सामान्य नीति दिशानिर्देश में एक नई श्रेणी जोड़ी है, जो है – “तब्लीगी गतिविधियों में संलिप्त होने पर प्रतिबंध”.
  • जारी दिशानिर्देश में वीजा की 24 श्रेणियों और विभिन्न शर्तों का विवरण है जिनके तहत ऑनलाइन या विदेश में स्थित दूतावास द्वारा वीजा प्रदान किया जा सकता है.
  • दिशानिर्देश के अनुसार कुछ वीजा संबंधी उल्लंघनों के लिए 500 डॉलर के जुर्माने का प्रावधान है, जैसे – दो वर्ष से अधिक समय तक रहना, संरक्षित क्षेत्रों का दौरा करना आदि.
  • किसी भी प्रकार के वीजा धारण करने वाले विदेशी नागरिकों और प्रवासी नागरिक (Overseas Citizens of India – OCI) कार्डधारकों को तब्लीग कार्य में संलग्न होने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
  • धार्मिक स्थलों पर जाने और धार्मिक प्रवचनों में शामिल होने जैसी सामान्य धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा.
  • हालांकि, धार्मिक विचारधाराओं का प्रचार करना, धार्मिक स्थानों पर भाषण देना, ऑडियो या दृश्य प्रदर्शन / धार्मिक विचारों से संबंधित पैम्फलेट का वितरण, धर्मांतरण फैलाना, आदि की अनुमति नहीं होगी.

मामला क्या है?

किसी भी विदेशी को किसी भी अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति देने के लिए गृह मंत्रालय एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है. मार्च 2020 में दिल्ली के निज़ामुद्दीन मर्कज (केंद्र) में तब्लीगी जमात में भाग लेने वाले 960 विदेशियों को MHA ने ब्लैकलिस्ट कर दिया था. यदि किसी विदेशी को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है तो उसे भारत आने के लिए किसी भी दूतावास से वीजा नहीं मिल सकता है.

तब्लीगी जमात क्या है?

  • तब्लीगी जमात की स्थापना 1927 में एक सुधारवादी धार्मिक आंदोलन के तौर पर मोहम्मद इलियास कांधलवी ने की थी. यह इस्लामिक आंदोलन देवबंदी विचारधारा से प्रभावित है और उसके सिद्धांतों का दुनिया-भर में प्रचार करता है.
  • जमात उर्दू भाषा का शब्द है. जमात शब्द का मतलब किसी खास उद्देश्य से इकट्ठा होने वाले लोगों का समूह है. तब्लीगी जमात के संबंध में बात करें तो यहां जमात ऐसे लोगों के समूह को कहा जाता है जो कुछ दिनों के लिए खुद को पूरी तरह तब्लीगी जमात को समर्पित कर देते हैं. इस दौरान उनका अपने घर, कारोबार और सगे-संबंधियों से कोई संबंध नहीं होता है. लोगों के बीच इस्लाम की बातें फैलाते हैं और अपने साथ जुड़ने का आग्रह करते हैं. इस तरह उनके घूमने को गश्त कहा जाता है. गश्त के बाद के समय का प्रयोग वे लोग नमाज, कुरान की तिलावत और प्रवचन में करते हैं.
  • जमात के बाद ये लोग अपनी अपनी सुविधा के अनुसार तीन दिन, 40 दिन, कोई चार महीने के लिए तो कोई साल भर के लिए सम्मिलित होते हैं. यह अवधि के समाप्त होने के बाद ही वे अपने घरों को लौटते हैं और रुटीन कामों में लग जाते हैं.
  • इस विचारधारा यानि तब्लीगी जमात के लोग पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. बड़े-बड़े शहरों में उनका एक सेंटर होता है जहां जमात के लोग जमा होते हैं. इसे मरकज कहा जाता है. उर्दू में मरकज इंग्लिश के सेंटर और हिंदी के केंद्र के लिए इस्तेमाल होता है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

कोरोना के कारण लागू पहले चरण के लॉकडाउन के दौरान निर्देशों का उल्लंघन करते हुए निजामुद्दीन के मरकज में मजहबी आयोजन में हजारों की संख्या में तब्लीगी एकत्र हुए थे. यही नहीं, इनमें से कई तब्लीगी कोरोना से संक्रमित होने के बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों में घूमते रहे थे. इसकी सूचना सरकार को नहीं दी गई थी. यदि समय पर सरकार को सूचित कर दिया जाता कि मरकज में हजारों तब्लीगी एकत्र हैं तो उसी समय वहीँ पर उनकी जाँच हो जाती परन्तु ऐसा नहीं हो पाया. जमात के लोग पूरे भारत में यहाँ तक कि अंडमान तक चले गये और इस प्रकार COVID-19 के प्रसार में उनकी भूमिका रही. इसलिए सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम उचित जान पड़ता है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

जो लोग विदेश में रहते हैं, उनको भारत सरकार नागरिकता से भिन्न एक विशेष दर्जा देती है, जिसका सम्बन्ध उस व्यक्ति को भारत सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं से होता है. विशेष दर्जों में ये तीन दर्जे महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. अनिवासी भारतीय (NRI- Non-Residents Indians)
  2. भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO – Persons of Indian Origin)
  3. भारत के समुद्रपारीय नागरिक (OCI – Overseas Citizens of India)

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