सर्वोच्च न्यायालय सामुदायिक संसाधनों के हस्तांतरण के पक्ष में नहीं

RuchiraGovernanceLeave a Comment

Supreme Court bats against transfer of community resources

पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह गाँव के तालाब जैसे अमूल्य सामुदायिक संसाधन को शक्तिमान् लोगों और उद्योगपतियों को देकर उनका वाणिज्यीकरण करवाए.

मामला क्या है?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत स्थित सैनी गाँव के कुछ तालाबों को बृहत्तर नॉएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Greater Noida Industrial Development Authority) ने कतिपय निजी उद्योगपतियों को हस्तांतरित कर दिए थे. इस कार्रवाई के विरुद्ध न्यायालय में मामला गया जिस पर ऊपर कही व्यवस्था दी गई है.

न्यायालय की टिप्पणियाँ

  1. किसी गाँव के अन्दर विद्यमान सार्वजनिक स्थल की सुरक्षा संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकार के संरक्षण के लिए आवश्यक है.
  2. ऐसे सार्वजनिक स्थल ग्रामीण समुदाय के लिए जीवनाधार होते हैं और इनका प्रयोग कई कार्यों के लिए होता है तथा ये जीवन के लिए आवश्यक संसाधन भी जुटाते हैं.
  3. यदि सरकार गाँव वालों को ऐसे स्थलों के स्थान पर दूसरे वैकल्पिक स्थल भी देने का प्रस्ताव करे तब भी यह उचित नहीं होगा.
  4. इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि विद्यमान जलाशयों को नष्ट कर के कालांतर में होने वाली क्षति की पूर्ति हो सकती है. बहुत संभावना है कि लोगों को उनको दिए गये वैकल्पिक स्थल तक पहुँचने में कोषों चलना पड़े.

चिंताएँ

अज्ञात काल से गाँव के कुछ सार्वजनिक स्थल वहाँ के रहने वालों के सामूहिक लाभ के लिए होते रहे हैं. आज के औद्योगिक जगत में प्रत्येक संसाधन का वाणिज्यिक लाभ उठाने की प्रवृत्ति देखी जाती है. इस प्रवृत्ति को पोषित करने में प्रशासन का तंत्र भी अपनी भूमिका निभाता है. परिणाम यह होता है कि शक्तिमान् व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत लालसा को पूरी करने के लिए येन केन प्रकारेण ऐसी सामुदायिक संपदाओं को हड़प लेते हैं. सर्वोच्च न्यायालय की ऊपर वर्णित व्यवस्था इस प्रवृत्ति पर रोक लगाती है.

Print Friendly, PDF & Email
Read them too :
[related_posts_by_tax]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.