[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Eco-Bio-Tech GS Paper 3/Part 1

Sansar LochanEconomics Notes, GS Paper 3

[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 3

भारत में एंटी बैलिस्टिक मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली की आवश्यकता क्यों है? एंटी बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम को लेकर भारत के समक्ष चुनौतियों को गिनाएँ. (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  = Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपल्ब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास”.

उत्तर :-

भारत “No First Use” नीति का अनुसरण करता है, इसलिए यदि कोई शत्रु देश नाभिकीय हमले करता है तो एक मजबूत बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली (BMD) हमारे देश को सुरक्षा प्रदान करेगी. दूसरी ओर, पाकिस्तान में कट्टरपंथी और गैर-राज्य संगठन इस प्रकार की मिसाइल प्रणाली प्राप्त करने में प्रयासरत हैं. BMD गैर-राज्य संगठनों और कट्टरपंथियों द्वारा प्रारम्भ किये जाने वाले युद्ध से भी सुरक्षा प्रदान करेगा. इस प्रकार हमारा देश BMD कवच के जरिये व्यापक विनाश से बचने में सक्षम है.

भारत के उत्तर में भी नाभिकीय शक्ति से सम्पन्न शत्रु देश हैं. चीन पश्चिमी प्रांत क्षेत्र में अपनी एंटी-एक्सेस डेनियल (A2/AD) रणनीति को लागू करने के हेतु नई प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहा है. यह भारतीय जल क्षेत्र के साथ-साथ भारतीय मुख्य भूमि को प्रभावित कर सकता है.

BMD तकनीक की उपयोगिता इस कारण भी है कि ये शत्रु देश को परमाणु हमले करने के लिए हतोत्साहित करता है. BMD के अन्य लाभ भी है जो निम्नलिखित हैं –

  1. देश को वैश्विक पहचान मिलता है.
  2. अन्य देशों पर नजर रखने तथा स्थिति को भांपने के लिए यह प्रणाली काम आती है.
  3. अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी में इसका प्रयोग किया जा सकता है.

बैलिस्टिक मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली को लेकर भारत के सामने निम्नलिखित चुनौतियाँ हैं –

  1. BMD प्रणाली क्रूज मिसाइल के विरुद्ध उतना प्रभावशाली नहीं है. ज्ञातव्य है कि चीन और पाकिस्तान दोनों के पास नाभिकीय शस्त्रों को ले जाने वाली क्रूज मिसाइलें हैं. इसलिए भारत को इस प्रणाली को और भी सुदृढ़ करना है.
  2. यह प्रणाली बहुत महंगी है इसलिए भारत जैसे विकासशील देश के लिए इसको खरीदना, बनाना या रख-रखाव एक बड़ी चुनौती है.
  3. बैलिस्टिक मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा शत्रु देश के मिसाइल को ध्वस्त कर देने के बाद भी खतरा बना रहता है विशेषकर जब शत्रु मिसाइल को अंतिम चरण में ध्वस्त किया जाता है.

[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 3

स्वच्छ गंगा अभियान को सफल बनाने में सरकार के सामने क्या-क्या चुनौतियाँ हैं?  (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  = Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 3 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप में लिया गया है –

“संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन”.

उत्तर :-

आज हम सब जानते हैं कि पवित्र नदी गंगा के तट पर न जाने कितने महानगर बसा दिए गये हैं. शहरों की सारी गंदगी इसमें ही डाली जाती है. नालों से निकलने वाले मल-जल, कल कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ, कृषि से सम्बंधित रासायनिक अवशेष, बड़ी संख्या में पशुओं के शव, अधजले मानव शरीर छोड़े जाने और यहाँ तक की धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान बड़ी संख्या में देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ आदि विसर्जित करने के कारण आज गंगा का पानी अत्यंत दूषित हो गया है.

गंगा में प्रदूषण की समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाज़ा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 1100 से औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट गंगा में गिर रहा है. इसके अतिरिक्त शहरों से 3520 MLD सीवेज गंगा में गिर रहा है. ऐसे में रोकने के लिए सरकार के द्वारा ठोस प्रयासों की जरूरत है.

गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि समय के साथ-साथ इतनी सारी एजेंसियाँ और विभाग गंगा के काम से जुड़े गये हैं और इनके बीच समन्वय करना अपने आप में चुनौती है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने गंगा की सफाई में सहयोग के लिए करीब दर्जन-भर मंत्रालयों के साथ करार किया है. अतः सरकार इन मंत्रालयों के साथ टास्क फाॅर्स बनाकर इससे निपटने में प्रयासरत है.

सरकार सीवेज ट्रीटमेंट के लिए 50 साल पुरानी तकनीक का प्रयोग कर रही है. गंगा के किनारे जो शहर बसे हैं वहाँ के स्थानीय लोगों के अन्दर जिम्मेदारी का जरा-सा भी भाव नहीं है कि इस नदी में प्रदूषण को रोकने में उनकी ही सबसे अधिक भागीदारी की आवश्यकता है.

राज्यों में गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए की योजना को लागू करने के लिए जल बोर्ड से लेकर स्थानीय निकायों तक कई संस्थाएँ हैं. शहरों में जमीन नगर विकास प्राधिकरणों के पास हैं जबकि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की जिम्मेदारी जल निगम या बोर्ड की है. निगरानी का जिम्मा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास है. ऐसे में इन सबके बीच तालमेल बिठाना चुनौती है.

जब तक समाज के हर व्यक्ति को इस अभियान से नहीं जोड़ा जायेगा तब तक सदियों को बचाने में सफलता नहीं मिलेगी. स्वच्छ गंगा अभियान को सफल बनाने के लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक है.

“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

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