Sansar डेली करंट अफेयर्स, 31 October 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 31 October 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : Sardar Patel Statue of Unity

संदर्भ

अक्टूबर 31, 2018 को लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 143वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नर्मदा नदी के तट पर स्थित राजपीपला के निकट साधुबेट नामक द्वीप पर एक “एकता की मूर्ति” अर्थात् “Statue of Unity” का अनावरण किया. यह मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति है जो स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री थे.

मुख्य तथ्य

Statue-of-Unity

  • इस मूर्ति की लम्बाई 182 मीटर है. यह विश्व की सबसे ऊँची मूर्ति है. यह चीन के स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध से 23 मीटर अधिक ऊँची तथा अमेरिका के स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी (93 मीटर लम्बी) से लगभग दुगुनी ऊँचाई की है.
  • यह प्रतिमा सतपुड़ा और विंध्य पर्वत श्रेणियों के मध्य में स्थित है. इस प्रतिमा के आस-पास “फूलों की घाटी” नामक एक उद्यान भी विकसित किया गया है जिसमें भाँति-भाँति के फूल के पौधे लगाये गये हैं.
  • पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसके परिसर में एक टेंट सिटी, एक संग्राहलय और एक वाल ऑफ़ यूनिटी का निर्माण भी किया गया है. इन सभी का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा 31 अक्टूबर, 2018 को ही किया गया.
  • इस प्रतिमा में ऊपर जाने लाने के लिए एलीवेटर और लिफ्ट भी लगाए गए हैं जिनकी सहायता से पर्यटक ऊपर जाकर सम्पूर्ण परिदृश्य को देखने का आनंद ले सकेंगे.
  • 2011 में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने एक ट्रस्ट का गठन किया था जिसका नाम था – सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट (SVPRET).
  • इस ट्रस्ट ने सभी राज्यों के स्थित 169,000 गाँवों के 100 मिलियन किसानों से खेती में प्रयोग किये जाने वाले पुराने औजार मँगाए थे जिनका सम्पूर्ण भार 129 टन था. इसके लिए एक लोहा अभियान चलाया गया था. किसानों से प्राप्त लोहों से सरदार पटेल की प्रतिमा के आधार का निर्माण हुआ है.
  • “एकता की मूर्ति” के शिल्पकार पद्मभूषन राम सुतार हैं जो पिछले 70 वर्षों से हजारों मूर्तियों के लिए जाने जाते हैं.
  • इस प्रतिमा में मिश्रित काँसे की पट्टियाँ चढ़ाई गई हैं. यह काम चीन की कम्पनी Jiangxi Toqine Company (JTQ) ने किया है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Birthright Citizenship in US

संदर्भ

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने हाल ही में कहा है कि वे एक कार्यकारी आदेश निर्गत करने की तैयारी कर रहे हैं जो अमेरिका में जन्मना नागरिकता के विषय में बहुत समय से चली आ रही संवैधानिक गारन्टी को समाप्त कर देगा.

विदित हो कि अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि जो कोई अमेरिकी धरती पर जन्मेगा, उसे अमेरिका की नागरिकता मिल जाएगी.

14वाँ संशोधन क्या है?

ज्ञातव्य है कि अमेरिका में 1868 के आस-पास एक गृह युद्ध हुआ था जिसमें नीग्रो दासों की दासता से मुक्ति के प्रश्न पर अमेरिका के विभिन्न राज्य दो गुट में बँट गये थे और दोनों में युद्ध हुआ था. अंततः अब्राहम लिंकन के नेतृत्व में उस गुट की विजय हुई जो दासता के उन्मूलन के पक्ष में था. युद्धोपरान्त दासता का उन्मूलन हो गया. उस समय नए-नए मुक्त किये गये दासों को नागरिकता देने के लिए 1868 में अमेरिकी संविधान में 14वाँ संशोधन किया गया था. इस संशोधन में यह प्रावधान था – “all person born or naturalized in the United States, and subject to the jurisdiction thereof, are citizens of the United States and of the State wherein they reside.” अर्थात् वे सभी व्यक्ति जो अमेरिका में जन्मे हैं और जो यहाँ रच-बस गये हैं वे अमेरिका तथा उस राज्य के नागरिक हैं जहाँ वे निवास करते हैं.

जन्मना नागरिकता क्या है?

जन्मना नागरिकता अर्थात् jus soli (birth right citizenship) एक कानूनी शब्द है जिसका अर्थ होता है – मिट्टी का अधिकार. इस अधिकार की गारंटी अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन द्वारा दी गई है. कालांतर में इस प्रावधान पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी मुहर लगाई और यह व्यवस्था दी कि जो कोई अमेरिकी धरती पर जन्मेगा वह स्वतः ही अमेरिका का नागरिक हो जाएगा.

विवाद क्यों?

14वें संशोधन के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अमेरिका में विदेश से आकर अनधिकृत रूप से रह रहा है और उस अवधि में उसके अमेरिका में ही सन्तान होती है तो वह स्वतः ही वहाँ का नागरिक बन जाता है.

अमेरिका के कुछ परम्परावादी इस प्रथा का विरोध करते हुए कहते हैं कि 14वें संशोधन की मूल भावना यह थी कि उन्हीं के बच्चों को स्वतः नागरिकता मिलेगी जो अमेरिका के नागरिक हैं और कानूनी रूप से स्थायी निवासी हैं, ना कि आव्रजकगण. उनका तर्क है कि इस मामले में संवैधानिक संशोधन को तथा 1898 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई इसकी व्याख्या की मूल भावना को सही रूप से समझा नहीं गया.

भूमिका

अमेरिका विश्व के उन 30 देशों में से एक है जहाँ देश की सीमाओं के भीतर जन्म बच्चा वहाँ का नागरिक हो जाता है. इस विषय में नागरिकता की नीति विश्व में एक समान नहीं है. यूरोप और एशिया के देशों में यह नियम नहीं है परन्तु कनाडा और दक्षिणी अमेरिका के अधिकांश देशों में अमेरिका के समान ही नागरिकता नीति है.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Financial Stability and Development Council (FSDC)

संदर्भ

हाल ही में केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद् (Financial Stability and Development Council – FSDC) की बैठक सम्पन्न हुई.

FSDC क्या है?

वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद् का गठन दिसम्बर, 2010 में हुआ था. इसका उद्देश्य है –

  • वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के तन्त्र को सुदृढ़ करना एवं उसे संस्थागत बनाना.
  • विभिन्न नियामक संस्थाओं के बीच समन्वय को बढ़ावा देना तथा वित्तीय प्रक्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करना.

बनावट

  • इस परिषद् के अध्यक्ष केन्द्रीय वित्त मंत्री होते हैं. परिषद् के अन्य सदस्य हैं – भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ; वित्त सचिव एवं/अथवा आर्थिक मामलों के विभाग के सचिग ; वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ; मुख्य आर्थिक सलाहाकार, वित्त मंत्रालय ; सेबी (Securities and Exchange Board of India) के अध्यक्ष ; बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष तथा पेंशन निधि नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष. इस परिषद् में सदस्य के रूप में ऋण इन्सोल्वेंसी एवं बैंकरप्टसी बोर्ड के अध्यक्ष भी होते हैं.
  • विगत मई में सरकार ने एक राजपत्र अधिसूचना निर्गत कर परिषद् के एक सदस्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव को भी सम्मिलित कर लिया है क्योंकि दिन-प्रतिदिन डिजिटल अर्थव्यवस्था पर सरकार का बल बढ़ता ही जा रहा है.

परिषद् का कार्य

अन्य कार्यों के अतिरिक्त यह परिषद् मुख्य रूप से वित्तीय स्थिरता से जुड़े इन विषयों पर विचार करती है – वित्तीय प्रक्षेत्र विकास, नियामकों के बीच समन्वय, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय समावेश, बड़े-बड़े वित्तीय संकुलों (conglomerates) के कार्यकलाप समेत अर्थव्यवस्था का पर्यवेक्षण. परिषद् को अपनी गतिविधियाँ चलाने के लिए अलग से कोई निधि आवंटित नहीं की जाती है.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Parker solar probe

संदर्भ

अगस्त 12, 2018 में NASA द्वारा छोड़े गये पार्कर सोलर प्रोब अंतरिक्षयान ने अक्टूबर, 29 2018 को सूर्य की सतह से 43 मिलियन किलोमीटर से भी नजदीक चला गया जोकि इस विषय में एक कीर्तिमान है.

मुख्य तथ्य

  • सूर्य के निकट जाने का इससे पहले का कीर्तिमान जर्मन अमेरिकी अन्तरिक्षयान Helios 2 ने अप्रैल 1976 को बनाया था.
  • जैसे-जैसे पार्कर सोलर प्रोब अन्तरिक्षयान आगे बढ़ता जाएगा वह अपने ही कीर्तिमान ध्वस्त करता चला जाएगा. अंततः वह 2024 तक सूर्य से 6.2 मिलियन किलोमीटर की दूरी पर पहुँच जाएगा.
  • Helios 2 अप्रैल 1976 में 153,454 मील प्रति घंटे की गति से सूर्य की और चला था. इस कीर्तिमान को अक्टूबर 29 को Parkar Solar Probe ने भंग कर दिया और सूर्य की ओर जाने वाला सबसे तेज अन्तरिक्षयान बन गया.

Parkar Solar Probe

  • Parker Solar Probe नामक यह अन्तरिक्ष यान बनाने में 1.5 billion dollar का खर्च आया है.
  • NASA पहले भी इस तरह का मिशन सूर्य के वायुमंडल में भेजा चुका है, पर इस बार का मिशन सूरज के और भी निकट जाएगा जिसके कारण इसे प्रचंड ताप एवं विकिरण का सामना करना पड़ेगा.
  • सूर्य के निकट के पहुँचने के लिए यह मिशन शुक्र के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करेगा.
  • यह मिशन अंत में सूर्य से 3.9 मिलियन miles तक नजदीक पहुँच जाएगा.
  • इस प्रकार यह पिछले किसी भी मिशन की तुलना में सूर्य के सात गुणा अधिक निकट पहुँच जायेगा. उस समय वह बुध के परिक्रमा पथ के भीतर रहेगा.
  • इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य सौर कोरोना (solar corona) में उर्जा एवं ताप की गतिविधियों, सौर पवनों की गति में वृद्धि के कारणों तथा सौर ऊर्जा कणों के विषय में जानकारी लेना है.

कोरोना के अध्ययन की आवश्यकता क्यों?

Corona में सूर्य के धरातल की तुलना में अधिक गर्मी होती है. इसी के चलते सूर्य से सौर पवन निकलते हैं जो पूरे सौरमंडल में लगातार छाते रहते हैं. कभी-कभी यह सौर पवन पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को प्रभावित कर देते हैं जिसके चलते हमारी संचार व्यवस्थाओं को क्षति पहुँचती है. NASA को उम्मीद है कि Corona के अध्ययन से हम इनकी भविष्यवाणी करने में सक्षम हो जायेंगे.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Living Planet Report 2018

संदर्भ

विश्व प्रकृति वन्य कोष (World Wide Fund for Nature – WWFN) ने 2018 का लिविंग प्लेनेट रिपोर्ट निर्गत कर दिया है. इस रिपोर्ट में स्तनपाइयों, पक्षियों, मछलियों, सरीसृपों (reptiles) और उभयचर प्राणियों की 4,000 से अधिक प्रजातियों के बारे में सूचना अंकित की गई है.

रिपोर्ट के मुख्य तथ्य

  • इस रिपोर्ट के अनुसार 1970-2014 के बीच वन्य जीवों की संख्या 60% घट गई है.
  • दिए गये आँकड़ों के अनुसार, पशु-संख्या का ह्रास सबसे अधिक उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों, जैसे – दक्षिणी एवं मध्य अमेरिका में देखा गया जहाँ 89% पशु आदि घट गये.
  • जहाँ तक मीठे जल की प्रजातियों की बात है उसमें 83% की गिरावट देखी गई जिसके लिए मुख्य कारण ये बताये गए हैं – बहुत अधिक मछली मारना, प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन.
  • रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि पृथ्वी के भूभाग का 1/4 भाग ही ऐसा है जो मनुष्यों से अछूता है. ये मनुष्य खाद्य उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते हैं.
  • रिपोर्ट के अनुसार विश्व-भर में आर्द्रभूमि (wetlands) में 1970 से 87% की कमी आई है.
  • रिपोर्ट का निष्कर्ष यह है कि जैव-विविधता की हानि के पीछे सबसे बड़े दो कारण प्राकृतिक संसाधनों का अति-दोहन एवं कृषि है.

मृदा जैव-विविधता पर खतरा

विश्व प्रकृति वन्य कोष ने अपने रिपोर्ट में मृदा जैव विविधता के विषय में विशेष प्रतिवेदन दिया है. ज्ञातव्य है कि मृदा जैव विविधता के अंतर्गत ये सूक्ष्म जीव आते हैं –

  • सूक्ष्म जीव (micro-organisms), सूक्ष्म पशु (micro-fauna – nematodes और tardigrades आदि) और अपेक्षाकृत बड़े जीव (चींटी, दीमक और केंचुए).
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मृदा जैव-विवधता बड़े खतरे में है. भारत को उन देशों में एक बताया गया है जहाँ यह खतरा सबसे अधिक है. इसके लिए इन कारकों को उत्तरदायी बताया गया है – धरातल के ऊपर विविधता को क्षति, प्रदूषण, बहुत अधिक पोषक पदार्थ डालना, पशु-चारण की अधिकता, गहन खेती, आग, मृदा क्षरण, मरूभूमिभवन तथा जलवायु परिवर्तन.

Prelims Vishesh

INS Tarangini :-

  • सात महीने तक विश्व की यात्रा करने के बाद भारतीय नौसेना का प्रशिक्षण जहाज तरंगिणी अपने अड्डे कोच्चि लौट आया है जहाँ उसका भव्य स्वागत किया गया.
  • 10 अप्रैल, 2018 को कोच्चि से यह जहाज जिस यात्रा पर निकला था, उसको नौकायन 18 नाम दिया गया था.
  • इस यात्रा के क्रम में यह जहाज विश्व के 13 देशों के 15 बंदरगाहों से होकर गुजरा.

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