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Sansar Daily Current Affairs, 31 May 2019
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : PM – KISAN scheme
संदर्भ
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि के दायरे को बढ़ाने का निर्णय लिया है. ऐसा करने से आशा है कि इस योजना से दो करोड़ अतिरिक्त किसान लाभ उठा सकेंगे और इस प्रकार योजना के लाभान्वितों की संख्या लगभग 14.5 करोड़ हो जायेगी.
निर्णय के अनुसार सभी पात्र भूमिधारक किसानों के परिवार इस योजना का लाभ उठा सकेंगे.
पीएम-किसान योजना
- इस योजना के तहतदो हेक्टेयर तक के मिश्रित जोतों/स्वामित्व वाले पात्र छोटे और सीमान्त किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये की राशि प्रदान की जाएगी.
- यह धनराशि प्रति 2000 रुपये की तीन किस्तों में प्रदान की जाएगी.
- इस योजना में 75,000 करोड़ रू. का व्यय अनुमानित है जिसका वहन 2019-20 में केंद्र सरकार करेगी.
छोटे और सीमान्त किसान परिवार कौन कहलायेंगे?
योजना के अंतर्गत छोटे और सीमान्त भूमिधारक परिवार उस परिवार को कहेंगे जिसमें एक पति, एक पत्नी और 18 वर्ष की उम्र तक वाले बच्चे होंगे और जिनके पास कुल मिलाकर 2 हेक्टेयर तक की कृषि योग्य भूमि होगी.
पीएम-किसान योजना के लाभ
- योजना के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) की प्रक्रिया मानवीय हस्तक्षेप के बिना लाभार्थियों के बैंक खातों में पारदर्शी रूप से बिना किसी देर के डिजिटली प्रमाणिक भुगतान सुनिश्चित करती है.
- भारत सरकार की योजनाओं के लिए समस्त भुगतान डीबीटी के जरिये किये जा रहे हैं.
- पीएम-किसान योजना के अंतर्गत पब्लिक फाइनेंशियल मैंनेजमेंट सिस्टम (PFMS) द्वारा इतने कम अर्से में लाभार्थियों की विशाल संख्या के खातों में धनराशि के इलेक्ट्रॉनिक अंतरण का सफल परिचालन, पीएफएमएस की ऐतिहासिक उपलब्घि है, जिसने भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल को और ज्यादा मजबूती प्रदान की है.
राज्यों द्वारा संचालित समान कार्यक्रम
- मध्य प्रदेश में भावान्तर भुगतान योजना चल रही है जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार मूल्य के अंतर की राशि किसानों को दी जाती है.
- तेलंगाना में रायतु बन्धु योजना लागू है जिसमें राज्य के सभी किसानों को खेती की हर ऋतु में 4,000 प्रति एकड़ का भुगतान किया जाता है.
- कालिया एक ऐतिहासिक पहल है जो ओडिशा राज्य में कृषि गत समृद्धि बढ़ाने और निर्धनता घटाने में बहुत सहायता पहुँचाएगी. इसका दायरा बहुत बड़ा है और इसके द्वारा किये गये आर्थिक निवेश से उन किसानों और मजदूरों को प्रत्यक्ष आर्थिक लाभ होगा जिन्हें पैसे की आवश्यकता रहती है. ये पैसे उन्हें प्रत्यक्ष लाभ स्थानान्तरण (Direct Benefit Transfer – DBT) दिए जाएँगे. इस योजना में यह प्रावधान भी है कि जिसके अनुसार राज्य के दस लाख भूमिहीन परिवारों को 12,500 रु. प्रति-इकाई लागत पर इन गतिविधियों के लिए आर्थिक सहायता दी जायेगी – बकरी पालन, बतख पालन, मत्स्य पालन, कुकुरमुत्ता उत्पादन और मधु पालन.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Jal Shakti Ministry
संदर्भ
भारत सरकार ने हाल ही में तीन मंत्रालयों का विलय कर के जल शक्ति नामक एक नए मंत्रालय का गठन किया है.
मुख्य तथ्य
- यह मंत्रालय जिन मंत्रालयों का विलय कर के बना है, वे हैं – जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास एवं गंगा कायाकल्प मंत्रालय तथा पेय जल तथा स्वच्छता मंत्रालय.
- यह मंत्रालय चाहता है कि भारत में 2024 तक प्रत्येक घर-बार को नलके का जल उपलब्ध हो. इसके लिए “नल से जल” नामक एक योजना प्रस्तावित है जो जल जीवन मिशन के तहत संचालित होगी.
- नवगठित जल शक्ति मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय एवं अंतर-राज्यीय जल विवादों का भी निपटारा करेगा और साथ ही यह नमामि गंगे परियोजना का भी काम देखेगा. विदित हो कि नमामि गंगे परियोजना भारत सरकार की एक मूर्धन्य पहल है जिसका उद्देश्य गंगा नदी और इसकी सहायक तथा उपसहायक नदियों को साफ़ करना है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : National Defence Fund (NDF)
संदर्भ
राष्ट्रीय रक्षा कोष (National Defence Fund – NDF) के अधीन प्रधान मंत्री छात्रवृत्ति योजना (Prime Minister’s Scholarship Scheme) पिछले दिनों बहुत बड़े परिवर्तन किये गये हैं.
मुख्य परिवर्तन
- लड़कों के लिए छात्रवृत्ति 2,000 रु. से बढ़ाकर 2,500 रु. प्रतिमाह और लड़कियों के लिए 2,250 रु. से बढ़ाकर 3,000 रु. प्रतिमाह कर दिया गया है.
- योजना का दायरा बढ़ाकर उसमें राज्य के उन पुलिस अधिकारियों के बच्चों को भी शामिल कर लिया गया है जिन्होंने आतंकवादी अथवा नक्सलवादी घटनाओं में आत्मबलिदान दिया है.
- नई छात्रवृत्तियाँ सैनिकों के 5,500 बच्चों को, परा-सैन्य बालों के 2,000 बच्चों को तथा रेल मंत्रालय के अधीनस्थ बलों के 15 बच्चों को प्रतिवर्ष दी जाएँगी.
राष्ट्रीय रक्षा कोष क्या है?
- राष्ट्रीय रक्षा कोष (National Defence Fund) की स्थापना 1962 में हुई थी.
- इसमें स्थापना स्वैच्छिक रूप से प्राप्त नकद एवं सामग्री के रूप में दान स्वीकार किया जाता है.
- कोष का उपयोग सैन्य बालों, परा-सैन्य बलों एवं रेलवे सुरक्षा बलों तथा उनपर निर्भर रहने वालों के कल्याण के लिए किया जाता है.
- इस कोष का प्रशासन एक कार्यकारी समिति के पास होता है जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं एवं रक्षा, वित्त एवं गृह मंत्री सदस्य होते हैं.
- इस कोष के अधीन प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना (PMSS) नामक एक बहुत बड़ी योजना चलाई जाती है जिसके द्वारा मृत्यु को प्राप्त अथवा अवकाश प्राप्त सैन्यकर्मियों की विधवाओं और बच्चों की तकनीकी एवं परा-स्नातक शिक्षा के लिए सहायता दी जाती है.
- यह छात्रवृत्ति तकनीकी संस्थानों में पढ़ाई के लिए दी जाती है. यहाँ पर तकनीकी संस्थान से तात्पर्य AICTE/UGC द्वारा अनुमोदित मेडिकल, डेंटल, पशु चिकित्सा, इंजीनियरिंग, एम.बी.ए., एम.सी.ए. एवं अन्य समतुल्य तकनीकी पेशे वाले संस्थान से है.
- राष्ट्रीय रक्षा कोष में उसके वेबसाइट के माध्यम से स्वैच्छिक योगदान ऑनलाइन भी किया जा सकता है.
GS Paper 2 Source: PIB
Topic : Quad countries to focus on maritime security
संदर्भ
भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका इन चार देशों के बीच होने वाली बैठक पिछले दिनों थाईलैंड की राजधानी बैंकोक में सम्पन्न हुई. विदित हो कि नवम्बर, 2017 में पुनर्जीवित होने के बाद यह चतुष्पक्षीय बैठक (Quad) चौथी बार हुई.
बैठक के परिणाम
- बैठक में इस बात पर सहमति थी कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रमकता को देखते हुए यहाँ एक ऐसा मजबूत ढाँचा तैयार होना चाहिए जिसका नेतृत्व एशियाई देश करे.
- भारत-प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र, खुला और समावेशी बनाने की दिशा में करणीय सामूहिक प्रयासों पर इस बैठक में वार्ता हुई.
- बैठक में इस बात पर बल दिया गया कि अंतर्राष्ट्रीय विधि का सभी देश सम्मान करें और जल मार्ग तथा हवाई मार्ग में कोई बाधा नहीं पहुँचे.
Quad क्या है?
- Quad एक क्षेत्रीय गठबंधन है जिसमें ये चार देश शामिल हैं – ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका.
- ये चारों देश प्रजातांत्रिक देश हैं और चाहते हैं कि समुद्री व्यापार और सुरक्षा विघ्नरहित हो.
- Quad की संकल्पना सबसे पहले जापान के प्रधानमन्त्रीShinzo Abe द्वारा 2007 में दी गई थी. परन्तु उस समय ऑस्ट्रेलिया के इससे निकल जाने के कारण यह संकल्पना आगे नहीं बढ़ सकी.
Quad समूह भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच विचारों के आदान-प्रदान का एक रास्ता मात्र है और उसे उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. इसके गठन का उद्देश्य प्रतिस्पर्धात्मक नहीं है.
अमरीका के लिए Quad का महत्त्व
चीन इस क्षेत्र में एकतरफ़ा निवेश और राजनैतिक संधियाँ कर रहा है. अमेरिका इसे अपने वर्चस्व पर खतरा मानता है और चाहता है कि चीन की आक्रमकता को नियंत्रित किया जाए. चीन के इन क़दमों का प्रत्युत्तर देने के लिए अमेरिका चाहता है कि Quad के चारों देश आपस में सहयोग करते हुए ऐसी स्वतंत्र, सुरक्षात्मक और आर्थिक नीतियाँ बनाएँ जिससे क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोका जा सके. भारत-प्रशांत सागरीय क्षेत्र में चीन स्थायी सैन्य अड्डे स्थापित करना चाह रहा है. चारों देशों को इसका विरोध करना चाहिए और चीन को यह बता देना चाहिए कि वह एकपक्षीय सैन्य उपस्थिति की नीति छोड़े और क्षेत्र के देशों से विचार विमर्श कर उनका सहयोग प्राप्त करे. चारों देश अपने-अपने नौसैनिक बेड़ों को सुदृढ़ करें और अधिक शक्तिशाली बाएँ तथा यथासंभव अपनी पनडुब्बियों को आणविक प्रक्षेपण के लिए समर्थ बानाएँ.
भारत का दृष्टिकोण
भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते क़दमों को नियंत्रित करना न केवल अमेरिका के लिए, अपितु भारत के लिए उतना ही आवश्यक है. भारत चीन का पड़ोसी है और वह चीन की आक्रमकता का पहले से ही शिकार है. आये दिन कोई न कोई ऐसी घटनाएँ घटती रहती हैं जो टकराव का कारण बनती हैं. इसके अतिरिक्त यदि चीन भारत-प्रशांत क्षेत्र में हावी हो गया तो वह भारत के लिए व्यापारिक मार्गों में रुकावटें खड़ी करेगा और साथ ही इस क्षेत्र के अन्य देशों को अपने पाले लाने में का भरसक प्रयास करेगा. अंततोगत्वा भारत को सामरिक और आर्थिक हानि पहुँचेगी. सैनिक दृष्टि से भी भारत कमजोर पड़ सकता है. अतः यह उचित ही है कि Quad के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका से मिलकर भारत भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए ऐसी नीति तैयार करे और ऐसे कदम उठाये जिससे चीन को नियंत्रण के अन्दर रखा जाए. कुल मिलाकर यह इन चारों देशों के लिए ही नहीं, अपितु यह पूरे विश्व की शांति के लिए परम आवश्यक है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Islamic Cooperation countries (OIC)
संदर्भ
इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) का 14वाँ शिखर सम्मलेन पिछले दिनों सऊदी अरब के मक्का शहर में आयोजित हुआ. इस बैठक की कार्यसूची थी – मुस्लिम विश्व की वर्तमान समस्याएँ तथा OIC के अनेक सदस्य देशों से सम्बंधित हाल की गतिविधियाँ.
इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) क्या है?
- यह विश्व के सभी इस्लामी देशों का एक संगठन है.
- संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है.
- इस संगठन की स्थापना 1969 में हुई थी.
- आज इसमें सदस्य देशों की संख्या57 है.
- इसका मुख्यालयजेद्दा, सऊदी अरब में है.
- OIC का एक-एक प्रतिनिधिमंडल स्थाई रूप से संयुक्त राष्ट्र संघ और यूरोपियन यूनियन में प्रतिनियुक्त है.
- इस संगठन का उद्देश्य इस्लामी विश्व की सामूहिक आवाज के रूप में काम करना तथा मुसलमानों के हितों की रक्षा करना है.
- निर्गुट आन्दोलन (Non-Aligned Movement – NAM) के समान यह संगठन भी एक दन्तविहीन बाघ है जो सदस्य देशों के बीच होने वाले मसलों पर कुछ नहीं कर पाता.
OIC का भारत के लिए महत्त्व
- भारत का यह दावा रहा है कि उसे भी इस संगठन का एक सदस्य बनाया जाए क्योंकि भारत में मुसलमानों की आबादी कई देशों की तुलना में अधिक है.
- OIC के बहुत से देशों के साथ भारत के महत्त्वपूर्ण व्यापारिक रिश्ते हैं इस संगठन में भारत की सदैव रूचि रही है. पिछली बैठक में भारत को OIC की बैठक में एक सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित भी किया गया था.
- परन्तु पिछले दिनों हुई बैठक में OIC भारत के हितों को दरकिनार करते हुए कश्मीर से भी एक प्रतिनिधि को आमंत्रित किया जिसका भारत की ओर से कठोर प्रतिरोध हुआ.
Prelims Vishesh
Siachen Glacier :-
- हाल ही में भारत के नवनियुक्त रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सियाचीन की यात्रा की.
- विदित हो कि काराकोरम पर्वत शृंखला में स्थित यह ग्लेशियर ध्रुवों के बाद विश्व के सबसे बड़े ग्लेशियरों में से एक है.
- यहाँ तैनात सैन्यकर्मी विकट परिस्थितियों का सामना करते हैं. यहाँ स्थित रणभूमि विश्व की उच्चतम रणभूमि है जो भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पर है.
- इस ग्लेशियर से नुब्रा जैसी कई नदियाँ निकलती हैं.
- विश्व का सबसे ऊँचा हेलीपैड यहीं पॉइंट सोनम में बना हुआ है. यहीं विश्व का सबसे ऊँचा टेलीफोन बूथ भी है.
- यहाँ हिम तेंदुआ और भूरा भालू जैसे जीव पाए जाते हैं.
Mount Etna :-
- इटली का जाग्रत ज्वालामुखी पूर्त एटना फिर से फट पड़ा है.
- माउंट एटना इटली सिसली द्वीप पर स्थित है.
- यह सबसे जाग्रत ज्वालामुखी है.
- इसकी ऊँचाई10,900 फीट है.
- इस पर्वत के पूर्वी ढलान में एक घोड़े की नाल के आकार की एक संरचना है जिसे बैल की घाटी (the Valle del Bove– Valley of the Ox) कहते हैं.
- जून, 2013 में इस पर्वत को UNESCO के वैश्विक धरोहर स्थलों (World Heritage Site) में शामिल किया गया था.
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