Sansar डेली करंट अफेयर्स, 31 July 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 31 July 2021


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Indus Water Treaty – IWT

संदर्भ

भारत सिंघु जल संधि (IWT) के अंतर्अगततिरिक्त जल को अपनी भूमि की सिंचाई के लिए प्रयुक्त करेगा. यह कदम भारत द्वारा उच्च नदी के जल को व्यपवर्तित करने की योजना पर कार्य करने की पृष्ठभूमि के संदर्भ में आया है.

विदित हो कि यह नदी रावी की मुख्य सहायक नदियों में से एक है, जो अधिकांशतः पाकिस्तान में प्रवाहित होती है. यह भारत के लिए सामरिक रूप से भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि नदी जल प्रवाह पर नियंत्रण किसी आक्रमण की स्थिति में एक बल गुणक के रूप में कार्य करता है.

सिन्धु जल संधि

पृष्ठभूमि

सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty – IWT) की बैठकों में दोनों देशों के सिंधु जल आयुक्तों के नेतृत्व में सिंधु नदी प्रणाली से संबंधित बांधों और जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर कई मुद्दों पर चर्चा की जाती है. दोनों देशों के मध्य इस तरह की आखिरी बैठक अगस्त 2018 में लाहौर में हुई थी. और सिंधु जल समझौते (IWT) में हुए समझौते के अनुसार, 31 मार्च 2020 से पहले भारत में एक बैठक होने वाली थी. भारत ने एक आभासी बैठक का सुझाव दिया था, परन्तु पाकिस्तान भौतिक बैठक चाहता था, कोविड 19 महामारी के चलते यह संभव नहीं हो सका.

भारत और पाकिस्तान के बीच नदी का बँटवारा

  • यह संधि भारत और पाकिस्तान के मध्य 1960 ई. में की गयी थी. भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु और पाकिस्तान के जनरलअयूब खान के बीच सिन्धु नदी के जल को लेकर यह समझौता हुआ था.
  • इस संधि के तहत सिन्धु नदी की सहायक नदियों को दो भागों में बाँट दिया गया – – – पूर्वी भाग और पश्चिमी भाग.
  • पूर्वी भाग में जो नदियाँ बहती हैं, वे हैं–> सतलजरावी और व्यास. इन तीनों नदियों पर भारत का फुल कण्ट्रोल है.
  • पश्चिमी भाग में जो नदियाँ बहती हैं, वे हैं–> सिंधचेनाब और झेलम.भारत सीमित रूप से इन नदियों के जल का प्रयोग कर सकता है.
  • इस संधि के अनुसार पश्चिमी भाग में बहने वाली नदियों का भारत केवल 20% भाग प्रयोग में ला सकता है. हालाँकि, भारत इनमेंरन ऑफ़ द रिवर प्रोजेक्ट” पर काम कर सकता है. रन ऑफ़ द रिवर प्रोजेक्ट का अर्थ हुआ—>वे पनबिजली उत्पादन संयंत्र जिनमें जल को जमा करने की आवश्यकता नहीं है.
  • यह 56 साल पुरानी संधि है.

सिन्धु नदी की उपयोगिता क्या है? (UTILITY OF SINDHU RIVER)

  • सिन्धु नदी उप-महाद्वीप की विशाल नदियों में से एक है.
  • सिन्धु बेसिन 5 लाख वर्गमीटर में फैला हुआ है. उत्तर प्रदेश के जैसे चार राज्य इसमें समा सकते हैं.
  • इसकी लम्बाई 3000 किलोमीटर से भी ज्यादा है.
  • गंगा नदी से भी यह विशाल है.
  • इसकी सहायक नदियाँ — चेनाब, झेलम, सतलज, रावी और व्यास हैं.
  • अपनी सभी सहायक नदियों के साथ यह अरब सागर (कराँची, पाकिस्तान) में गिरती है.
  • सिन्धु नदी पाकिस्तान के दो तिहाई भाग को कवर करती है.
  • पाकिस्तान सिन्धु नदी के जल का प्रयोग सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करता है, इसलिए हम कह सकते हैं कि सिन्धु नदी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Shanghai Cooperation Organisation – SCO

संदर्भ

हाल ही में दुशाम्बे, तजाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation – SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई.

Shanghai-Cooperation-Organization-SCO

शंघाई सहयोग संगठन

शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.

इसके पश्चात् 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी सम्मिलित हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
  2. तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
  3. पर्यावरण का संरक्षण करना.
  4. मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
  5. आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – SCO in Hindi


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Infrastructure- energy.

Topic : Lithium

संदर्भ

हाल ही में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) ने लिथियम अन्वेषण परियोजनाओं की शुरूआत भारत सरकार की ऊर्जा सुरक्षा योजनाओं के तहत आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और जम्मू और कश्मीर राज्यों में सात लिथियम अन्वेषण परियोजनाओं के साथ की है.

पृष्ठभूमि

ज्ञातव्य है कि इसी वर्ष फरवरी माह में केंद्र सरकार ने कर्नाटक के मांड्या ज़िले के मार्लगल्ला- अल्लापटना क्षेत्र की आग्नेय चट्टानों में लिथियम संसाधनों की उपस्थिति की पुष्टि की थी. यह खोज अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि अपने इलेक्ट्रिक वाहनों की लिथियम आयन बैटरी के लिए भारत सस्ते लिथियम की खोज में है. खोजे गये लिथियम भंडार की मात्रा लगभग 1,600 टन तक हो सकती है.

लिथियम की आवश्यकता क्‍यों?

  • भारत में लिथियम की भविष्य की मांग नवीकरणीय ऊर्जा के परिवहन और भंडारण के विद्युतीकरण से प्रेरित है.
  • भारत ने वर्ष 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को 30% तक बढ़ाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है. हालाँकि, भारत अभी लिथियम आयन बैटरी बनाने के लिए आवश्यक सभी लिथियम का आयात कर रहा है.
  • भारत वर्तमान में अपनी इलेक्ट्रिकल बैटरी के लिए चीन, जापान और ताइवान पर निर्भर है क्योंकि भारत में लिथियम अत्यधिक महंगा है.

लिथियम

  • वर्तमान में चीन 51% वैश्विक लिथियम और 62% कोबाल्ट को नियंत्रित करता है. ये दो तत्व लिथियम आयन बैटरी के मुख्य घटक हैं. चीन के बाजार के लिए अधिकांश लिथियम दक्षिण अमेरिकी लिथियम बेल्ट से आता है. यह 500 मील की पट्टी है जो बोलीविया, अर्जेटीना और चिली के जंक्शन पर केंद्रित है. इस बेल्ट में दुनिया का 75% से अधिक लिथियम भंडार स्थित है.
  • विदित हो कि वर्तमान में अर्जेंटीना में लिथियम का तीसरा सबसे बड़ा भंडार विद्यमान है.
  • भारत दो अन्य शीर्ष लिथियम उत्पादक देशों यथा चिली और बोलिविया में भी लिथियम की खोज कर रहा है.
  • लिथियम एक रजत-श्वेत रंग की क्षारीय धातु है. लिथियम का उपयोग लिथियम आयन रिचार्जेबल बैटरियों के निर्माण में एक महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में किया जाता है.
  • ज्ञातव्य है कि ये बैटरियां विद्युत्‌ वाहनों, लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि को विद्युत प्रदान करती हैं. वर्तमान में, भारत लिथियम सेल के लिए आयात पर अत्यधिक निर्भर है.

तारों में लिथियम

विश्वास किया जाता है कि तारे आकाशगंगा में लिथियम के स्रोत हैं. दूसरे शब्दों में ये तारे लिथियम के खजाने हैं. परन्तु, समय के साथ-साथ यह लिथियम घटता जाता है क्योंकि लिथियम 2.5X106 K जितने अत्यंत न्यून तापमान में भी जलता रहता है. विदित हो कि तारों में इतना तापमान सरलतापूर्वक उपलब्ध होता है.


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : Deposit Insurance

संदर्भ

जमा बीमा कानूनों में बदलाव को केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार (28 जुलाई) को जमा बीमा कानूनों में बदलाव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत यदि आरबीआई द्वारा किसी बैंक को स्थगन (moratorium) के तहत रखा जाता है तो ऐसी स्थिति में 90 दिनों के भीतर खाताधारकों को 5 लाख रुपये तक की धनराशि प्रदान की जा सकेगी. सरकार इसके लिए. “जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम” (DICGC) विधेयक, 2021 लाने जा रही है.

जरूरत क्‍यों?

वर्ष 2019 में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक, यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक जैसे बैंकों में जमाकर्ताओं को अपने फंड तक तत्काल पहुंच प्राप्त करने में हुई दिक्कतों ने जमा बीमा (deposit insurance) के मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया था.

नये परिवर्तन के विषय में

  • अभी खाताधारकों को अपनी जमा रशि प्राप्त करने के लिये एक ऋणदाता के परिसमापन या पुनर्गठन का 8-10 वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है, अब 90 दिनों के भीतर खाताधारकों को 5 लाख रुपये तक की धनराशि प्रदान की जा सकेगी.
  • यह वर्तमान में आरबीआई द्वारा वर्तमान में प्रतिबंधित बैंकों पर भी लागू होगा (जैसे- पीएमसी बैंक) बैंक को स्थगन के तहत रखे जाने के पहले 45 दिनों के भीतर DICGC जमा खातों से संबंधित सभी जानकारी एकत्र करेगा. अगले 45 दिनों में यह जानकारी की समीक्षा करेगा और जमाकर्त्ताओं को उनकी धनराशि अधिकतम 90 दिनों के भीतर चुकाएगा.

जमा बीमा के बारे में

  • जमा बीमा में ग्राहक द्वारा जमा की गई धनराशि पर बीमा का प्रावधान होता है और इसके लिए कुछ प्रीमियम लिया जाता है.
  • किसी बैंक के डूब जाने पर ग्राहकों के द्वारा जमा राशि को सुरक्षित करने के लिए सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक के अधीन एक निगम की स्थापना की है जिसका नाम जमा बीमा एवं ऋण प्रतिभूति निगम (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation – DICGC) है.
  • जमा बीमा होने पर बैंक प्रत्येक वर्ष जमा राशि के 001% अंश की समतुल्य राशि DICGC को भुगतान करेगा.

बैंक के डूबने पर जमाकर्ताओं की धनराशि का क्या होगा?

  • जब कोई बैंक डूबता है तो जमाकर्ताओं को अधिकार है कि वे DICGC से प्रति व्यक्ति एक लाख रु. का बीमा प्राप्त कर सकते हैं.
  • इस एक लाख रु. की बीमा राशि में मूल और ब्याज दोनों शामिल होंगे.
  • किसी जमाकर्ता के द्वारा बैंक के विविध खातों, जैसे – बचत, चालू, सावधि, आवर्ति खाते, में जमा मूल राशि और उस पर मिलने वाला ब्याज दोनों एक लाख रु. की बीमा की सीमा के अन्दर होगा.

डूबे हुए बैंक से जमाकर्ता अपनी धनराशि का दावा का कैसे करते हैं?

  • DICGC जमाकर्ताओं से सीधे नहीं बरतता है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा रजिस्टरार को जब निर्देश किया जाता है कि किसी भी बैंक को निरस्त करना है तो वह एक औपचारिक निरसनकर्ता (liquidator) की नियुक्ति करता है जो बैंक को समेटने की प्रक्रिया को देखता है.
  • DICGC अधिनियम के अनुसार, निरसनकर्ता DICGC को अपनी नियुक्ति के तीन महीने के भीतर एक सूची देता है जिसमें सभी बीमित जमाकर्ताओं और उनके बकाये का उल्लेख होता है.
  • DICGC का यह काम है कि वह इस सूची को पाने के दो महीने भीतर सभी बकायों का भुगतान कर दे.

बीमा के अन्दर कौन-से वित्तीय संस्थान आते हैं?

  • DICGC की बीमा सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों पर लागू होती है. इस दायरे में कुछ राज्यों/संघीय क्षेत्रों के बैंक नहीं आते हैं, ये हैं – मेघालय, चंडीगढ़, लक्षद्वीप एवं दादर-नगर हवेली.
  • प्राथमिक सहकारिता सोसाइटियाँ (primary cooperative societies) इस बीमा के अन्दर नहीं आती हैं.

किस प्रकार का जमा DICGC के दायरे में नहीं आता है?

  1. विदेशी सरकारों का जमा
  2. केंद्र राज्य सरकारों का जमा
  3. अंतर-बैंक जमा
  4. राज्य भूमि विकास बैंक का खाता
  5. भारत के बाहर प्राप्त किसी जमा पर देय राशि
  6. कोई भी ऐसी राशि जिसपर DICGC ने RBI की अनुमति से छूट दे रखी हो.

GS Paper 3 Source : TOI

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : Earth Overshoot Day

संदर्भ

1970 से पर्यावरण से सम्बंधित पृथ्वी क्षमता-अतिक्रमण दिवस हर वर्ष मनाया जाता है. इसकी कोई तिथि निश्चित नहीं है. इसकी तिथि इस पर निर्भर करती है कि उस वर्ष पृथ्वी की क्षमता का अतिक्रमण कब हुआ? इस बार यह 29 जुलाई को मनाया गया. विदित हो कि 2019 को भी इसी तिथि को “अर्थ ओवरशूट डे” पड़ा था.

पृथ्वी क्षमता-अतिक्रमण दिवस क्या है?

  • यह वह तिथि है जब प्रकृति पर मानव की वार्षिक माँग पृथ्वी की उस क्षमता से बढ़ जाती है जिससे वह वर्ष भर में खर्च किये गए प्राकृतिक संसाधन को फिर से उत्पन्न कर सकती है.
  • क्षमता के इस अतिक्रमण की गणनावैश्विक पदचिन्ह नेटवर्क तथा वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर (Global Footprint Network and World Wide Fund for Nature – WWF) द्वारा की जाती है.

प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ता हुआ बोझ

  • वर्तमान में मानव विश्व के प्राकृतिक उत्पादन के 170% का उपभोग कर रहा है.
  • इसका अर्थ यह हुआ कि आज हम एक नहीं अपितु 1.7 पृथ्वियों का उपभोग कर रहे हैं.
  • यह क्रम चलता रहा तो जैसा कि वैश्विक पदचिन्ह नेटवर्क का कहना है कि हमलोग अगली शताब्दी के अंत तक दो पृथ्वियों का उपभोग करने लगेंगे.
  • ज्ञातव्य है कि 1963 में हमलोग पृथ्वी की जैव-क्षमता का 78% ही उपयोग में लाते थे. परन्तु 1970 के दशक की शुरुआत से हमलोग पृथ्वी की क्षमता का अतिक्रमण करने लगे.

पृथ्वी के क्षमता-अतिक्रमण के मुख्य कारण और निदान

  1. मानव समाज के पर्यावरणीय पदचिन्ह के दो सबसे बड़े कारक कार्बन उत्सर्जन और भोजन हैं जो क्रमशः इसमें 60% और 26% का योगदान करते हैं.
  2. यदि हम कार्बन उत्सर्जन को आधा कर दें तो पृथ्वी क्षमता-अतिक्रमण दिवस 89 दिन बाद पड़ेगा.
  3. यदि हम लोग भोजन बर्बादी को आधा कर दें तो पृथ्वी क्षमता-अतिक्रमण दिवस 11 दिन बाद पड़ेगा. यदि हम लोग प्रोटीन की चीजें कम खाएँ तो यह दिवस 31 दिन और आगे चला जायेगा.

पृथ्वी क्षमता अतिक्रमण दिवस की गणना

पृथ्वी क्षमता अतिक्रमण दिवस की गणना विश्व की जैव क्षमता (सम्बंधित वर्ष में पृथ्वी के द्वारा उत्पन्न प्राकृतिक संसाधन की मात्रा) को विश्व के पर्यावरणीय पदचिन्ह (मनुष्य द्वारा वर्ष भर में प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग) से भाग देकर और फिर भागफल को 365 से गुणा करके की जाती है.

वैश्विक पदचिन्ह नेटवर्क

वैश्विक पदचिन्ह नेटवर्क (Global Footprint Network) एक अंतर्राष्ट्रीय अलाभकर संगठन (nonprofit organisation) है जिसकी स्थापना 2003 में इस उद्देश्य से की गई थी कि विश्व को एक ऐसा टिकाऊ भविष्य दिया जाए जिसमें सभी को संसाधनों की सीमा के अन्दर फलने-फूलने का अवसर दिया जाए.


Prelims Vishesh

Places in News :-

Panchmuli Lake

  • हाल ही में, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (केवड़िया, गुजरात में) आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा के लिए मगरमच्छों को पंचमुली झील से स्थानांतरित किया गया था.
  • पंचमुली झील को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में आने वाले पर्यटकों के लिए विकसित किया गया था.
  • इसे सरदार सरोवर बांध के ‘डाइक-3’ के नाम से भी जाना जाता है.

Bagram Airfield

  • हाल ही में, अमेरिका और उसके सहयोगियों ने बगराम एयरबेस का त्याग कर दिया है.
  • बगराम अफगानिस्तान के परवान प्रांत में स्थित है.
  • बगराम हवाई क्षेत्र तालिबान और अलकायदा आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध अमेरिकी सेना का प्रमुख युद्ध हेतु स्थल रहा है.

Fast DAR Scheme :-

  • हाल ही में, दिल्‍ली पुलिस ने फास्ट DAR योजना के तहत पहला मामला सुलझाने का दावा किया है. इसे यह सुनिश्चित करने के लिए दिल्‍ली उच्च न्यायालय द्वारा तैयार किया गया था कि सड़क दुर्घटना से होने वाली मृत्युओं से संबंधित क्षतिपूर्ति के दावे को दुर्घटना के 10 दिनों के भीतर निपटाया जाए.
  • नोट – इस योजना का उपयोग मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन के लिए संदर्भ के रूप में किया जा सकता है (सड़क दुर्घटनाओं पर निबंध / सामान्य अध्ययन के प्रश्न और सुशासन के उदाहरण के रूप में भी).

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