Sansar डेली करंट अफेयर्स, 31 August 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 31 August 2018


GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Members of Parliament Local Area Development Scheme (MPLADS)

संदर्भ

हाल ही में सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री, भारत सरकार की अध्यक्षता में MPLAD योजना के विषय में 21वीं अखिल भारतीय समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई है. इस बैठक में राज्यों के उन सचिवों ने भागीदारी की जो अपने-अपने राज्य में MPLAD योजना को देखते हैं. MPLAD का full form है – Members of Parliament Local Area Development Scheme.

चुनौतियाँ

MPLAD योजना के क्रियान्वयन में जो बड़ी समस्या आती है वह यह है कि मंत्रालय तक जिला स्तर से आवश्यक दस्तावेज समय पर नहीं पहुँचते हैं, जैसे – अंकेक्षण प्रमाण पत्र (Audit Certificate), उपयोग प्रमाण पत्र (Utilization Certificate), अनंतिम उपयोग प्रमाण पत्र (Provisional Utilization Certificate), मासिक प्रगति प्रतिवेदन (Monthly Progress Report), बैंक विवरण एवं ऑनलाइन मासिक प्रगति प्रतिवेदन (Bank Statement and Online Monthly Progress Report) आदि.

कार्यान्वयन की स्थिति

अप्रैल 2014 से अब तक सांसदों (लोक सभा और राज्य सभा दोनों) द्वारा 4,67,144 कार्यों की स्वीकृति माँगी गई थी. इनमें सरकार ने 4,11,612 कार्य स्वीकृत किये. 31 जुलाई, 2018 तक इनमें 3,84,260 कार्य पूरे कर लिए गये थे. जब से यह योजना शुरू हुई है तब से लेकर 31 जुलाई, 2018 तक 47,922.75 करोड़ रु. निर्गत किये गये हैं. जिला अधिकारियों द्वारा अभी तक 49,065.58 करोड़ रु. स्वीकृत किये गये हैं. अभी तक इस योजना में 45604.94 करोड़ रु. उपयोग कर लिए गये हैं. दूसरे शब्दों में निर्गत राशि के 95% से अधिक का उपयोग हो चुका है.

MPLAD योजना क्या है?

  • यह योजना 1993 के दिसम्बर में आरम्भ की गई थी. इसका उद्देश्य सांसदों की ओर से विकासात्मक कार्यों के लिए अनुशंसा प्राप्त कर टिकाऊ सामुदायिक संपदा का सृजन एवं स्थानीय आवश्यकताओं के आधार पर बुनियादी सुविधाएँ (सामुदायिक संरचना निर्माण सहित) प्रदान करना था.
  • इस योजना के तहत अग्रलिखित कार्यों के लिए राशि खर्च की जा सकती है – पेयजल, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, सड़क आदि. यह राशि सांसद अपने ही चुनाव क्षेत्र के लिए खर्च कर सकता है.
  • MPLAD के लिए निर्गत राशि सीधे जिला अधिकारियों को अनुदान के रूप में निर्गत की जाती है. यह राशि वित्त वर्ष के साथ समाप्त (non-lapsablee) नहीं होती है, अपितु बाद के वर्षों में भी इसका उपयोग हो सकता है.
  • इस योजना में सांसदों की भूमिका एक अनुशंसक की होती है. वे अपने संसदीय क्षेत्र के लिए ही कार्य करा सकते हैं, परन्तु राज्य सभा के सांसद को यह अधिकार है कि वे अपने पूरे राज्य में कहीं भी काम करने के लिए अनुशंसा कर सकते हैं. सांसद अपनी पसंद के कार्यों की अनुशंसा जिला अधिकारियों को करते हैं और जिला अधिकारी राज्य सरकार द्वारा विहित प्रक्रिया के अनुसार उन कार्यों का क्रियान्वयन करते हैं. जिला अधिकारी ही यह देखते हैं कि प्रस्तावित कार्य करने योग्य हैं या नहीं और वे ही कार्यान्वयन करने वाली एजेंसियों का चयन करते हैं. कौन काम पहले होगा, उसका निर्धारण भी यही करते हैं. हो रहे काम का निरीक्षण और जमीनी स्तर पर उसके क्रियान्वयन की निगरानी भी उन्हीं का काम है.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : Report on “Worngful Prosecution

संदर्भ

भारत के विधि आयोग (Law Commission of India) ने भारत सरकार को एक प्रतिवेदन (report) प्रस्तुत किया है जिसका शीर्षक है – “अवैध अभियोजन (न्याय का हनन), कानूनी समाधान”/“Wrongful Prosecution (Miscarriage of Justice): Legal Remedies’.

पृष्ठभूमि

बबलू चौहान मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह चिंता जताई थी कि निर्दोष व्यक्तियों पर गलत अभियोजन उन अपराधों के लिए चलाया जाता है जिन्हें उन्होंने किया ही नहीं. उन्हें इसके लिए जेल में डाल दिया जाता है. उच्च न्यायालय ने इस पर बल दिया कि गलत अभियोजन और बंदीकरण के शिकार व्यक्तियों को राहत पहुँचाने और उनका पुनर्वास करने के लिए विधि आयोग एक विधायी ढाँचा के निर्माण हेतु अनुशंसा भारत सरकार को भेजे.

प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य

  • प्रतिवेदन में गलत बंदीकरण (wrongful prosecution) और गलत सजा (wrongful conviction) के साथ-साथ गलत अभियोजन (wrongful incarceration) को भी न्याय का हनन बताया है.
  • प्रतिवेदन में वर्तमान कानून के तहत उपलब्ध समाधानों की समीक्षा करते हुए उन्हें अपर्याप्त बताया गया है.
  • विधि आयोग ने यह सुझाव दिया है कि गलत अभियोजन के मामलों के समाधान के लिए पीड़ित व्यक्ति को राहत देने के लिए विशेष कानूनी प्रावधान किये जाएँ, जैसे – परमर्श (counselling), मानसिक स्वास्थ्य उपचार (mental health services), व्यावसायिक/रोजगार कौशल विकास (vocational / employment skills development) आदि.
  • प्रतिवेदन में पीधित व्यक्ति को मिलने वाली क्षतिपूर्ति के बारे में भी आवश्यक प्रावधान करने का सुझाव दिया गया है. कहा गया है कि इसके लिए एक विशेष न्यायालय बनाया जाए. यह न्यायालय इन दावों पर कैसे और कितने समय में विचार करेगा तथा क्षतिपूर्ति के निर्धारण के लिए क्या पैमाना अपनाया जाएगा, इन सब विषयों पर प्रतिवेदन पर प्रकाश डाला गया है.
  • प्रतिवेदन के साथ-साथ एक विधेयक का प्रारूप भी लगाया गया है जिसका नाम होगा – आपराधिक प्रक्रिया संहिता संशोधन विधेयक, 2018 (Code of Criminal Procedure (Amendment) Bill, 2018)

ज्ञातव्य है कि भारत अंतर्राष्ट्रीय नागरिक एवं राजनैतिक अधिकार संधि (International Covenant on Civil and Political Rights) पर अपनी सहमति दे चुका है जिसके अनुसार इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले प्रत्येक देश के लिए न्याय के हनन के मामलों में क्षतिपूर्ति देने हेतु कानून बनाना अनिवार्य है.

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Topic : Innovation Cell

संदर्भ

भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक नवाचार कोषांग (Innovation Cell) का अनावरण किया है.

नवाचार कोषांग / MHRD Innovation Cell (MIC) क्या है?

नवाचार कोषांग भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा AICTE के परिसर में स्थापित एक कोषांग है जिसका उद्देश्य देश भर के सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों में नवाचार की संस्कृति का विधिवत् सृजन करना है.

इस कोषांग का प्रमुख कार्य है युवा छात्रों को नए विचारों एवं प्रक्रियाओं के विषय में अवगत कराते हुए उनमें नवाचार की भावना भरी जाए. कोषांग इस बात का प्रयास करेगा कि सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों (Higher Educational Institutions) में नवाचार के क्लब बनाये जाएँ जहाँ युवा छात्र नवाचार के कार्यों में रूचि लें.

नवाचार का महत्त्व और आवश्यकता

नवाचार के बिना कोई भी देश सतत विकास (sustainable development) एवं समृद्धि प्राप्त नहीं कर सकता. 21वीं शताब्दी नवाचार की शताब्दी है और भारत के प्रधानमन्त्री ने 2010-20 के दशक को नवाचार का दशक घोषित किया है और इसके लिए प्रत्येक भारतीय की रचनात्मक क्षमता को उद्घाटित करने का आह्वाहन किया है. भारत नवाचार के मामलों में वैश्विक स्तर पर पहले से अधिक प्रगति कर रहा है. पाँच वर्ष पहले जहाँ नवाचार रैंकिंग में इसका स्थान 86वाँ था वह इस वर्ष 57वाँ हो गया.

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Topic : Atal Ranking of Institutions on Innovation Achievements (ARIIA)

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने (MHRD) ने “Atal Ranking of Institutions on Innovation Achievements (ARIIA)” नामक रैंकिंग प्रणाली का अनावरण किया है जिसमें भारत के शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों को इस आधार पर रैंकिंग दी जायेगी कि वहाँ नवाचार का कितना काम हो रहा है.

ARIIA क्या है?

  • ARIIA रैंकिंग के लिए जो मुख्य संकेतक चुने गये हैं वे वही हैं जिनका उपयोग इस प्रकार के रैंकिंग के लिए विश्व में अन्यत्र किया जाता है.
  • ARIIA का मुख्य बल संख्या पर न होकर नवाचारों की गुणवत्ता पर होगा और यह देखा जाएगा कि किसी नवाचार का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कितना प्रभाव पड़ा है.

ARIIA द्वारा अपनाए गये पाँच मुख्य पैमाने

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ARRIA की आवश्यकता

  • भारत वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में उभरे इसके लिए आवश्यक है कि हमारे देश के युवा, विशेषकर उच्चतर शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले युवा एक सतत नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँ.
  • इसके लिए यह अपेक्षित है कि सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों में एक ऐसी व्यापक और काम करने वाली व्यवस्था हो जिसमें अनुसंधान को आविष्कार में बदलने की क्षमता हो.
  • नए पारिस्थितिकी तंत्र में युवा विद्यार्थी नए-नए विचारों एवं प्रक्रियाओं से अवगत होंगे तथा नवाचार की ओर अग्रसर होंगे.
  • सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों में नवाचार को महत्त्व मिले यह सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने ARRIA (Atal Ranking of Institutions on Innovation Achievements) लाने की घोषणा की है.

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Topic : International Energy Agency (IEA)

संदर्भ

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रलाय के अधीनस्थ जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने एक स्मृतिपत्र (MoU) हस्ताक्षरित किये हैं जो स्वच्छ ऊर्जा के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करने से सम्बंधित है.

स्मृतिपत्र के मुख्य तथ्य

  • इस स्मृतिपत्र का उद्देश्य है स्वच्छ ऊर्जा के लिए किये जा रहे नवाचारों को प्रश्रय देना एवं इसके लिए स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों से सम्बंधित अनुसंधान, विकास एवं प्रदर्शन की गति को तेज करना. इसमें भारत और विश्व के अन्य भागों में नवाचार को लेकर जो अच्छी नीतियाँ और प्रथाएँ हैं उनके बारे में जानकारी और आँकड़े एकत्र करने की बात कही गई है.
  • स्मृतिपत्र के अनुसार प्रशिक्षण, कौशल निर्माण एवं नवाचार का भी प्रावधान वर्णित है.

IEA क्या है?

IEA एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है जिसकी स्थापना 1974 इसलिए किये गयी थी कि उस वर्ष खनिज तेल की आपूर्ति में जो बाधाएँ आई थीं उनका निराकरण किया जा सके. तब से इस निकाय की गतिविधियों में विविधता और विस्तार हुआ है.

IEA के प्रमुख कार्य

  • IEA ऊर्जा से सम्बंधित सभी विषयों की पड़ताल करता है, जैसे – तेल, गैस और कोयला आपूर्ति एवं माँग, नवीकरणीय ऊर्जा तकनीक, बिजली बाजार, ऊर्जा क्षमता, ऊर्जा की उपलब्धता, माँग का प्रबंधन आदि आदि.
  • IEA उन नीतियों का पक्षधर है जिनसे इसके सदस्य देशों और अन्य देशों में ऊर्जा की विश्वसनीयता, सुलभता एवं सततता में वृद्धि हो सकती है.
  • IEA प्रशिक्षण एवं क्षमता वृद्धि के लिए कार्यशालाओं, भाषणों एवं संसाधनों के कई कार्यक्रम चलाता ही है, इसके अतिरिक्त इसने कुछ प्रतिवेदन आदि भी प्रकाशित किये हैं, जैसे – इसका अपना मुख्य पत्र विश्व ऊर्जा दृष्टिकोण (World Energy Outlook), IEA बाजार प्रतिवेदन (IEA Market Reports), मुख्य विश्व ऊर्जा आँकड़े तथा मासिक खनिज तेल डाटा सेवा.

Prelims Vishesh

Nilgiri tahr :-

  • नीलगिरि तहर एक लुप्तप्राय पहाड़ी बकरा है. हाल ही में की गई एक गणना के अनुसार मुकुर्थी राष्ट्रीय पार्क में इस बकरे की आबादी में 18% प्रतिशत वृद्धि देखी गई. दो साल पहले ऐसे 480 बकरे थे जो अब 568 हो गये हैं.
  • ज्ञातव्य है कि नीलगिरि तहर भारतीय वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत अनुसूची 1 में सूचीबद्ध किया गया है.
  • ये बकरे जिन क्षेत्रों में पाए जाते हैं, वे हैं – नीलगिरि पहाड़ियाँ तथा तमिलनाडु और केरल राज्यों में स्थित पश्चिमी घाट के भूभाग.
  • नीलगिरि तहर तमिलनाडु का राज्य पशु है.

‘Call for Code’ initiative :-

वैश्विक IT कम्पनी IBM और भारतीय IT कंपनियों ने मिलकर एक कार्यक्रम बनाया है जिसका नाम Call for Code दिया गया है.

इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा प्रबंधन के लिए वैश्विक समाधान निकालना और इसके लिए स्टार्ट-अप उद्यमियों, शैक्षणिक एवं उद्यमशील लोगों को इकट्ठा कर आपदाओं के समय त्वरित कार्रवाई करना और पीड़ितों का समीचीन उद्धार करना है.

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