Sansar डेली करंट अफेयर्स, 30 September 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 30 September 2020


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : The new farm reforms: Content and controversy

संदर्भ

संसद द्वारा पारित तीन विधेयकों के विरोध में हाल ही में देश-भर के किसान संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया. ये विधेयक कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 (FPTC), कृषक (सशक्तिकरण और सरंक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं हेतु अनुबंध विधेयक 2020 (FAPAFS), और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020  [Essential Commodities (Amendment) Bill, 2020] थे.

और भी अधिक डिटेल में पढ़ें > कृषि विधेयक

पृष्ठभूमि

हाल ही में, राष्ट्रपति ने संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयकों पर अपनी सहमति प्रदान की है. संसद में चर्चा के बिना विपक्षी दलों के विरोध के बीच इन विधेयकों को पारित किया गया था.

विधेयक कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 (FPTC)

  • कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 {Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill] 2020 (FPTC Bill, 2020)} के तहत किसानों को राज्य कानूनों द्वारा विनियमित कृषि उत्पाद बाजार समितियों (APMC’s) या मंडियों के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर अपनी उपज विक्रय करने का विकल्प होगा.
  • यह विधेयक कृषि उपज का कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC) में अधिसूचित बाजारों के भौतिक परिसर से बाहर उसी राज्य में और अन्य राज्यों में व्यापार करने की अनुमति प्रदान करता है.

कृषक (सशक्तिकरण और सरंक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं हेतु अनुबंध विधेयक 2020 (FAPAFS)

यह किसान और एक खरीदार के मध्य एक समझौते के माध्यम से अनुबंध कृषि के लिए एक रूपरेखा तैयार करता है.

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 

इसका उद्देश्य खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू जैसी कृषि उपजों को “विनियमन-मुक्त” करना है.

कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC)

  • APMC’s केंद्रीय बिंदु है, जहां कृषि उपज को एक साथ रखा जाता (आपूर्ति) है और यहाँ से देश के अन्य भागों (माँग) में वितरित किया जाता है.
  • APMCs को मूल्य निर्धराण और उचित लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए निर्मित किया गया था तथा खरीदारों द्वारा भुगतान किए गए उपकर से नीलामी एवं भंडारण हेतु आधारभूत संरचना तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया था.
  • कई APMCs ने ग्रामीण विपणन अवसंरचना के निर्माण के लिए निधियों का प्रयोग किया है.

कृषि उत्पाद विपणन समितियों से संबद्ध मुद्दे

  • वर्तमान में किसानों को कृषि विपणन में जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, वे सिर्फ कृषि की एकाधिकारवादी प्रणाली में निहित नहीं है अपितु वे संरचनात्मक समस्याओं में निहित होती हैं. जो कृषि बाज़ारों से किसानों को जुडने में प्रमुख बाधा बनता है.
  • ऐसा इसलिये होता है क्योंकि भारत में अभी भी पर्याप्त मंडियाँ नहीं हैं. इन मंडियों में आवश्यक बुनियादी ढाँचे में बहुत कम निवेश किया गया है तथा मंडियों की अवसंरचना बहुत खराब स्थिति में है.
  • वर्ष 2017 की ‘डबलिंग फार्मर्स इनकम रिपोर्ट’ के अनुसार APMC के तहत मौजूदा 6,676 प्रमुख बाज़ारो तथा उप-बाज़ारो में बुनियादी अवसंरचनों की कमी है तथा भारत में अभी भी 3,500 से अधिक अतिरिक्त थोक बाज़ारों की आवश्यकता है. 23,000 ग्रामीण आवधिक बाज़ार (या हाट) भी लंबे समय से उपेक्षा का सामना कर रहे हैं.
  • इसलिये कृषि बाज़ारों के बुनियादी ढाँचे के लिये आवंटित राशि का उपयोग पूरी तरह से भौतिक विपणन पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये किया जाना चाहिये.
  • बिहार राज्य में APMC अधिनियम के तहत सभी प्रतिबंधों को हटा देने के बावजूद राज्य में औपचारिक माध्यमों द्वारा बहुत कम खरीद देखने को मिली है. जब प्रतिबंधों को हटाने के बाद निगमों ने खरीद प्रक्रिया में प्रवेश किया तो निगमों द्वारा अधिकतर खरीद बड़े व्यापारियों से ही की गई जबकि किसानों से प्रत्यक्ष क्रय बहुत कम किया गया. मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों ने APMC कानूनों के निरसन के बजाय विनियामक उपायों को अपनाया है, तथा इसके परिणाम काफी अच्छे रहे हैं. इससे कृषि मंडियों के तुलनात्मक लाभ को बढ़ावा मिला है. सीमित विनियमन से सभी स्थानीय बाज़ारों में अनेक खरीदारों (Multi-Buyer) की उपलब्धता तथा बाज़ारों में व्यापक वस्तुओं (Multi-Commodity) की उपलब्धता संभव हो पाई तथा परिणाम सकारात्मक रहे.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : Health in India Report 2020

संदर्भ

हाल ही में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) द्वारा “भारत में स्वास्थ्य (Health in India) रिपोर्ट जारी की गई है.

प्रतिवेदन से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • यह रिपोर्ट राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 75वें दौर के एक भाग के रूप में जुलाई 2017 से जून 2018 तक एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है.
  • वित्त वर्ष 2020 के लिए केंद्र और राज्यों द्वारा स्वास्थ्य पर कुल व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 1.29% था. कुल सार्वजनिक व्यय में केंद्र की हिस्सेदारी 25% थी. केंद्र द्वारा अल्प व्यय किया जाता है, क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता राज्य-सूची के अंतर्गत आने वाले विषय हैं,

प्रतिवेदन के महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष

  • सार्वजनिक अस्पतालों में उपचार प्राप्त कर रही जनसंख्या: लगभग 42% (ग्रामीण क्षेत्रों में 45% और शहरी 35%).
  • निजी अस्पतालों (धर्मार्थ संगठनों व गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित) में उपचार प्राप्त कर रही जनसंख्या: 55% (ग्रामीण क्षेत्रों में 52% एवं शहरी क्षेत्रों में 61%).
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 90% और शहरी क्षेत्रों में लगभग 96% शिशु-जन्म संस्थागत (सरकारी /निजी अस्पतालों में) हुए थे.
  • ग्रामीण जनसंख्या के लगभग 14% और शहरी जनसंख्या के 19% भाग को स्वास्थ्य व्यय कवरेज प्राप्त था. अस्पताल के खर्च के रूप में ग्रामीण भारत में औसतन लगभग 15,937 रुपये और शहरी भारत में 22,031 रुपये आउट-ऑफ-पॉकेट चिकित्सा व्यय (व्यक्तियों द्वारा प्रत्यक्ष भुगतान) के रूप में व्यय किए गए थे.
  • ग्रामीण भारत में लगभग 72% (52% पुरुष और 90% महिला) तथा शहरी भारत में 67% (43% पुरुष एवं 87% महिला) वृद्ध व्यक्ति (60 वर्ष व उससे अधिक) आर्थिक रूप से दूसरों पर निर्भर थे.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ

  • स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित सबसे प्रमुख चुनौती है आबादी के अनुपात में अस्पतालों और डॉक्टरों की कमी. सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं, आधारभूत संरचना, दवाइयों, कुशल व प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ एवं अन्य सुविधाओं की भारी कमी है.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में हमारी स्वास्थ्य सेवाएँ सबसे बदतर हालात में हैं. कई ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं खुल पाए हैं और अगर खुल भी गए हैं तो वहाँ पर कोई चिकित्सक जाना नही चाहता है.
  • भारत में आर्थिक असमानता के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में भी काफी विषमता है. निजी अस्पतालों की वज़ह से संपन्न लोगों को तो गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो जाती है, किंतु गरीब एवं निर्धन लोगों के संबंध में यह स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है.
  • महँगी होती स्वास्थ्य सेवाओं के कारण आम आदमी द्वारा स्वास्थ्य पर किये जाने वाले खर्च में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिससे यह वर्तमान समय में गरीबी को बढ़ाने वाला एक प्रमुख कारण माना जाने लगा है.
  • भारत में अभी भी उच्च शिशु मृत्यु दर एवं प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर बरकरार है. यहाँ हर माह लगभग अस्सी हजार महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान हो जाती है.
  • भारत विकासशील और विकसित हो रही दुनिया के बीच फँस रहा है जिससे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मलेरिया, जापानी बुखार एवं डेंगू जैसी कई संक्रमित बीमारियाँ फैल रही हैं.
  • भारत में महिलाएँ एवं बच्चे बड़ी तादाद में कुपोषण के शिकार हैं.
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक वर्ग में यह अहसास कि स्वास्थ्य सेवा सामान्यतः मतदाताओं के लिये कोई प्राथमिकता नहीं है, इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : Insurance Regulatory and Development Authority

संदर्भ

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority – IRDAI) ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC), भारतीय साधारण बीमा निगम (GIC) और द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी को वर्ष 2020-21 के लिए प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बीमाकर्ता (Domestic Systemically Important Insurers –  D-SIIs) के रूप में अभिनिर्धारित किया है.

प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बीमाकर्ता ऐसे आकार, बाजार महत्व और घरेलू एवं वैश्विक रूप से परस्पर संबंध बीमाकर्ताओं को संदर्भित करता है, जिनका संकटग्रस्त या विफल होना घरेलू वित्तीय प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण अव्यवस्था का कारण हो सकता है. इस प्रकार उन्हें ऐसे बीमाकर्ता के रूप में माना जाता है, जिनका बहुत बड़ा या बहुत महत्त्वपूर्ण होने के कारण विफल होना अर्थव्यवस्था के लिए अति हानिकारक हो सकता है.

बीमा प्रीमियम सहित कुल राजस्व के संदर्भ में आकार और प्रबंधन के अंतर्गत शामिल परिसंपत्तियों का मूल्य उन मापदंडों में से है, जिन पर बीमाकर्ता को अभिनिर्धारित किया जाता है.

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण D-Slls को वार्षिक आघार पर सूचीबद्ध करेगा.

D-SIIs  पर लागू शर्तें

  • अपने कॉर्पोरेट अभिशासन के स्तर को ऊपर उठाना, सभी प्रासंगिक जोखिमों की पहचान करना और जोखिम प्रबंधन की एक बेहतर संस्कृति को बढ़ावा देना.
  • D-SIIs द्वारा इन्हें विनियामक पर्यवेक्षण के अधीन लाया जाएगा.
  • प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बीमाकर्ता के समान ही, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भी प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण घरेलू बैंकों (D-SlBs) की घोषणा करता है.
  • भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आई.सी.आई.सी.आई (ICICI) बैंक और HDFC बैंक को D-Slls के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के बारे में

  • भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण इरडा एक स्वायत सांविधिक एजेंसी है जिसका कार्य भारत में बीमा और पुनः बीमा करने वाले उद्योगों का नियमन करना और उन्हें बढ़ावा देना है. 
  • इसे बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम,1999 के तहत भारत सरकार द्वारा गठित किया गया था.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

IRDAI सैंडबॉक्स क्या है?

  1. IRDAI सैंडबॉक्स एक नियामक सैंडबॉक्स है. इस सैंडबॉक्स में शामिल होने के लिए किसी कम्पनी का शुद्ध मूल्य 10 लाख रु. होना चाहिए और उसका कम से कम 1 वर्ष का वित्तीय रिकॉर्ड भी होना चाहिए.
  2. इस सैंडबॉक्स में कम्पनियों को पाँच श्रेणियों के अंतर्गत अपने उत्पादों का एक वर्ष तक परीक्षण करने की छूट होगी.
  3. जिन श्रेणियों में कम्पनियाँ अपने उत्पाद जाँच सकेंगी, वे हैं – बीमा का आवेदन अथवा वितरण, बीमा उत्पाद, अंडर राइटिंग, पालिसी और दावों का निस्तारण.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Defence Acquisition Procedure 2020

संदर्भ

हाल ही में रक्षा मंत्री ने एक नयी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (2020) को जारी किया है ,जिसमें स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने और भारत को शस्त्रों तथा सैन्य क्षेत्र में वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनाने पर ध्यान दिया गया है.

नयी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया–2020 के प्रमुख बिंदु

  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी)2020 , उस प्रक्रिया का स्थान लेगी जिसे 2016 में जारी किया गया था.
  • 2020 रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)और मेड इन इंडिया जैसे नए विचार शामिल है.
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में पहली बार रक्षा उपकरण लीज पर लेने की बात कही गई है.
  • इसके साथ ही इस रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में विदेशों से आयात किए जाने वाले रक्षा कलपुर्जों के स्वदेश में निर्माण की बात कही गई है
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 में खरीद के लिए भारत में निर्मित एक नई श्रेणी को जोड़ा गया है जिसके तहत कोई विदेशी कंपनी भारत में अपनी शाखा खोल कर अपने रक्षा सामान का निर्माण कर सकती है.
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 ,पारदर्शिता, निष्पक्षता और सभी को समान अवसरों के सिद्धांतों पर जोर देता है

रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया का उद्देश्य

  • यह रक्षा खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने और आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए तैयार की गयी है.
  • इसके अलावा, इस प्रक्रिया का लक्ष्य स्वदेशी डिजाइन और रक्षा हथियारों के विनिर्माण को समयबद्ध तरीके से बढ़ावा देना है.

आगे की राह 

एक वर्ष से भी अधिक समय में तैयार की गई DAP-2020 भारत सरकार के आत्म-निर्भर भारत के विज़न और मेक इन इंडिया के अनुकूल प्रक्रिया है. DAP-2020 दस्तावेज़ एक विश्वास पैदा करता है और यह रक्षा क्षेत्र से जुड़े सभी हितधारकों की आकांक्षाओं को पूरा करेगा.


Prelims Vishesh

PM Modi’s address at the 75th United Nations General Assembly (UNGA) session 2020 :-

  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर में सुधारों की मांग की गई.
  • शांति अभियानों के लिए भारत के योगदान का उल्लेख किया गया.
  • 2 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ और 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के लिए भारत की पहल का उल्लेख किया गया.
  • आपदा प्रतिरोधक संरचना तथा अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयासों का वर्णन किया गया.

India-Sri Lanka Summit :-

  • हाल ही में भारत और श्रीलंका देशों के मध्य बौद्ध धर्म आधारित संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुदान सहायता की घोषणा की गई.
  • नियमित परामर्श के माध्यम से मछुआरों से संबंधित मुद्दों का समाधान करने के लिए सहभागिता जारी रखने पर चर्चा की गई.
  • संस्कृति संबंधित संपर्क और बौद्ध धर्म, आयुर्वेद एवं योग जैसी साझी विरासतों के क्षेत्र में अवसरों की खोज करके दोनों देशों के लोगों के मध्य संबंध मजबूत करने पर बल दिया गया.
  • सशस्त्र बलों के मध्य सहयोग को सुदृढ़ करना तथा रक्षा और प्रतिरक्षा के क्षेत्र में श्रीलंका को समर्थन देने की प्रतिबद्धता को दोहराया गया.

National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA) :-

  • NPPA ने कोविड-19 महामारी के मध्य उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडरॉ का अधिकतम मूल्य निर्धारित कर दिया है.
  • NPPA औषधियों के हक निर्धारण तथा वहनीय कीमतों पर दवाओं की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध एक स्वतंत्र विनियामक के रूप में कार्य करता है.
  • यह औषधि कीमत नियंत्रण आदेश (Drugs Price Control Order: DPCO) के प्रावधानों को भी लागू करता है और उनका प्रवर्तन करता है.
  • यह रसायन और उर्वरक मंत्रालय के औषध विभाग का एक संलग्न कार्यालय है.

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