Sansar डेली करंट अफेयर्स, 30 October 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 30 October 2019


GS Paper 1 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : Paramahansa Yogananda

संदर्भ

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को परमहंस योगानंद की 125 वीं जयंती के अवसर पर एक विशेष स्मारक सिक्का जारी किया. परमहंस को पश्चिम में योग पिता के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने दो संगठनों योगोदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया और सेल्फ रीयलाइजेशन फेलोशिप के संस्थापक रहे हैं.

परमहंस योगानंद कौन थे?

  • परमहंस योगानन्द (5 जनवरी 1893 – 7 मार्च 1952), बीसवीं सदी के एक आध्यात्मिक गुरू, योगी और संत थे. उन्होंने अपने अनुयायियों को क्रिया योग उपदेश दिया तथा पूरे विश्व में उसका प्रचार तथा प्रसार किया.
  • उन्हें पश्चिम में “योग का पिता” माना जाता है.
  • परमहंस योगानन्द का जन्म मुकुन्दलाल घोष के रूप में 5 जनवरी 1893, को गोरखपुर, उत्तरप्रदेश में हुआ.
  • योगानंद के अनुसार क्रिया योग ईश्वर से साक्षात्कार की एक प्रभावी विधि है, जिसके पालन से अपने जीवन को संवारा और ईश्वर की ओर अग्रसर हुआ जा सकता है. योगानन्द प्रथम भारतीय गुरु थे जिन्होने अपने जीवन के कार्य को पश्चिम में किया. योगानन्द ने 1920 में अमेरिका के लिए प्रस्थान किया. संपूर्ण अमेरिका में उन्होंने अनेक यात्रायें की. उन्होंने अपना जीवन व्याख्यान देने, लेखन तथा निरन्तर विश्व व्यापी कार्य को दिशा देने में लगाया.

क्रिया योग क्या है?

  • क्रिया योग की साधना करने वालों के द्वारा इसे एक प्राचीन योग पद्धति के रूप में वर्णित किया जाता है, जिसे आधुनिक समय में महावतार बाबाजी के शिष्य लाहिरी महाशय के द्वारा 1861 के आसपास पुनर्जीवित किया गया और परमहंस योगानन्द की पुस्तक ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ ए योगी (एक योगी की आत्मकथा) के माध्यम से जन सामान्य में प्रसारित हुआ.
  • क्रिया योग पारंपरिक रूप से गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से ही सीखा जाता है.
  • इस पद्धति में प्राणायाम के कई स्तर होते है जो ऐसी तकनीकों पर आधारित होते हैं जिनका उद्देश्य आध्यात्मिक विकास की प्रक्रिया को तेज़ करना और प्रशान्ति और ईश्वर के साथ जुड़ाव की एक परम स्थिति को उत्पन्न करना होता है.
  • इस प्रकार क्रिया योग ईश्वर-बोध, यथार्थ-ज्ञान एवं आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने की एक वैज्ञानिक प्रणाली है.
  • परमहंस योगानन्द के अनुसार क्रियायोग एक सरल मनःकायिक प्रणाली है, जिसके द्वारा मानव-रक्त कार्बन से रहित तथा ऑक्सीजन से प्रपूरित हो जाता है. इसके अतिरिक्त ऑक्सीजन के अणु जीवन प्रवाह में रूपान्तरित होकर मस्तिष्क और मेरूदण्ड के चक्रों को नवशक्ति से पुनः पूरित कर देते है.
  • प्रत्यक्ष प्राणशक्ति के द्वारा मन को नियन्त्रित करनेवाला क्रियायोग अनन्त तक पहुँचने के लिये सबसे सरल प्रभावकारी और अत्यन्त वैज्ञानिक मार्ग है.
  • बैलगाड़ी के समान धीमी और अनिश्चित गति वाले धार्मिक मार्गों की तुलना में क्रियायोग द्वारा ईश्वर तक पहुँचने के मार्ग को विमान मार्ग कहना उचित होगा. क्रियायोग की प्रक्रिया का आगे विश्लेषण करते हुये वे कहते हैं कि मनुष्य की श्वशन गति और उसकी चेतना की भिन्न भिन्न स्थिति के बीत गणितानुसारी सम्बन्ध होने के अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : BASIC Countries

संदर्भ

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने 25-26 अक्टूबर, 2019 को चीन के बीजिंग में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर बेसिक (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत, चीन) देशों की 29वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लिया.

इस बैठक के मुख्य तथ्य

  • बेसिक मंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन और इसके प्रतिकूल प्रभावों की वैश्विक चुनौती के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की और इस मुद्दे को हल करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने, कम-कार्बन और सतत विकास के साथ बहुपक्षीयता को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की.
  • उन्‍होंने सभी की भलाई के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की तैयारियों के लिए सामूहिक रूप से काम करने पर जोर दिया. मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि सभी दलों को अलग-अलग राष्ट्रीय परिस्थितियों के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र द्वारा चिन्ह्ति अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का बचाव करना चाहिए, जो कि समानता आधारित, किन्‍तु अलग-अलग जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांतों के अनुसार है. बहुपक्षीय प्रक्रिया की सुरक्षा और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर ध्यान देना आवश्यक है.
  • मंत्रियों ने अपने लक्ष्यों और सिद्धांतों में विशेष रूप से पेरिस समझौते के विश्‍वसनीय और व्यापक कार्यान्वयन पर जोर दिया और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी), इसके क्योटो प्रोटोकॉल और इसके पूर्ण, प्रभावी और निरंतर कार्यान्वयन के महत्व पर जोर दिया. पेरिस समझौता, विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के साथ-साथ राष्ट्रीय-निर्धारित प्रकृति के मद्देनजर इक्विटीके साथ-साथ विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांतों के अनुसार है. उन्होंने जोर दिया कि वैश्विक जलवायु कार्रवाई को आर्थिक विकास और सतत विकास तक पहुँचने में सभी लोगों की मौलिक समानता को मान्यता देकर जलवायु न्याय को बढ़ावा देना चाहिए. बेसिक देशों के मंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन की चुनौती को स्वीकार करने के लिए लोगों की भागीदारी और जलवायु के अनुकूल जीवन शैली की आवश्यकता पर बल दिया और इस बात पर जोर दिया कि पेरिस समझौता स्थायी जीवन-शैली और उपभोग पैटर्न पर आधारित है.
  • मंत्रियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विकासशील देशों में, जिनमें बीआईसीआईसी देश शामिल हैं, खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन और घरेलू की अपर्याप्त और असमान प्रगति सहित कई चुनौतियों के बावजूद विकास, सतत प्रगति के संदर्भ में अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों के आधार पर महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई को लागू कर रहा हैऔर जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों में महत्त्वपूर्ण योगदान के साथ महान प्रगति हासिल की है. 2018 में, चीन ने 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद के प्रति यूनिट कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को 8% तक कम कर दिया है, प्राथमिक ऊर्जा खपत में गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी 14.3% तक बढ़ा दी है. दक्षिण अफ्रीका ने हाल ही में कार्बन टैक्स लागू किया है और अपनी नवीनतम बिजली योजना में बड़े पैमाने पर अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम की घोषणा की है. भारत पहले ही 2005 के स्तर की तुलना में 2014 में जीडीपी की उत्सर्जन तीव्रता में 21% की कमी कर चुका है, जिससे उसके 2020 के पूर्व स्वैच्छिक लक्ष्य को प्राप्त किया गया है. 2015 में, ब्राजील ने पहले ही अपने एनएएमए  के लिए सामान्य परिदृश्य सेट के रूप में कारोबार में 58% उत्सर्जन में कमी हासिल की थी, जिससे 2020 के लिए 36% – 39% की कटौती के अपने लक्ष्य को पीछे छोड़ दिया.
  • मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन और बहुपक्षीयता को कायम रखने, पेरिस समझौते को लागू करने और कार्रवाई और समर्थन की महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाने के अपने मजबूत राजनीतिक संकेत के बारे में चर्चा की. बुनियादी तौर पर लगे देशों ने सक्रिय रूप से काम किया और योगदान दिया तथा ऐसे समाधानों का पता लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं, जो किफायती हैं.
  • मंत्रियों ने बताया कि विकासशील देश जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. उन्‍होंने कहा कि जलवायु अनुकूलन एक महत्त्वपूर्ण अनिवार्यता है, लेकिन शमन की तुलना में संसाधनों के असंतुलित आवंटन के कारण यह उपेक्षित है. उन्होंने कहा कि ग्रीन क्लाइमेट फंड (जीसीएफ) सहित विकसित देशों द्वारा प्रदान किए गए समर्थन के संदर्भ में अनुकूलन और शमन के लिए संतुलित आवंटन किया जाना चाहिए. समूह ने अनुकूलन पर विकासशील देशों के समर्थन में अपनी भूमिका निभाने के लिए वैश्विक आयोग सहित अन्य मंचों को प्रोत्साहित किया. उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि विकासशील देशों में वित्‍तीय अनुकूलन के लिए अनुच्छेद 6 के तहत आईटीएमओ लेनदेन से प्राप्त आय का एक हिस्सा इस कार्य में लगाना महत्त्वपूर्ण है.

BASIC देश

  • BASIC देश के अंतर्गत चार बड़े परन्तु नए-नए औद्योगिकीकृत देश आते हैं – ब्राजील, साउथ अफ्रीका, भारत और चीन. यह भू-राजनैतिक गठबंधन नवम्बर 2009 में एक समझौते के द्वारा बना था.
  • इस मंच के जरिये जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 2009 से समुचित उपायों पर मुख्य रूप से चर्चा की जाती है.
  • जलवायु परिवर्तन के विषय में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम पर चर्चा के लिए प्रत्येक 6 महीने में एक बार बेसिक राष्ट्रों का एक मंत्री-स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया जाता है.
  • इसमें तकनीकी, आर्थिक तथा रणनीतिक सहयोग संबंधित संयु्क्त सहयोग की प्रतिबद्धता दिखलाई जाती है.
  • हाल ही में भारत का समर्थन करते हुए बेसिक ने यूरोपीय संघ द्वारा बाहरी विमानों पर लगाए जा रहे कार्बन कर का भी कड़ा विरोध दर्ज़ किया है.
  • BASIC देशों का मानना है कि यूरोपीय संघ को यह कर तत्काल खारिज कर देना चाहिए, क्योंकि यह कर संयुक्त राष्ट्र के बहु-पक्षवाद (Multi-lateralism) की भावना के विरुद्ध है.

BASIC के गठन का महत्त्व

  • जिन देशों ने BASIC समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, वे सभी इस बात पर सहमत हैं कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को घटाया जाए और जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए आवश्यक कोष का संग्रह किया जाए.
  • BASIC समूह एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण समूह है क्योंकि इस समूह के देशों की अर्थव्यवस्थाएँ विशाल हैं और इनकी जनसंख्या भी बहुत बड़ी है.
  • यदि क्षेत्रफल की दृष्टि से विचार किया जाए तो BASIC देशों का क्षेत्रफल विश्व के भौगोलिक क्षेत्रफल का एक-तिहाई है. इनकी जनसंख्या भी विश्व का 40% है. अतः यदि BASIC देश सहमति से किसी विषय में एक स्वर में बोलते हैं तो उसका बड़ा प्रभाव पड़ता है.
  • BASIC समूह जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए बने कई समूहों में से एक है.

GS Paper 2 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Universal Postal Union (UPU)

संदर्भ

जम्‍मू-कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को हटाने के बाद से बौखलाए पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच डाक मेल सेवा पर भी रोक लगा दी है. 27 अगस्त, 2019 से पाकिस्तान ने भारत से आने वाले पत्रों का लेना बंद कर दिया है.

विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक डाक संघ (UPU) अंतर्राष्ट्रीय मेल एक्सचेंज के लिए नियम तय करती है और अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं के लिए दरों को तय करती है.

वैश्विक डाक संघ

वैश्विक डाक संघ की स्थापना 1874 में पोस्टल कांग्रेस (बर्न) में हस्ताक्षरित संधि ( 1875 से लागू) के उपरांत सामान्य डाक संघ के रूप में हुई थी. 1878 में वैश्विक डाक संघ नाम को स्वीकार किया गया. 1948 में यूपीयू संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण बन गया. यूपीयू का संविधान 1964 की विएना पोस्टल कांग्रेस में अंगीकार किया गया, जो 1966 से लागू हुआ.

उद्देश्य

यूपीयू का मुख्यालय बर्न, स्विट्जरलैण्ड में है. इसके सदस्यों की संख्या 2013 के अनुसार 192 है. यूपीयू का उद्देश्य विश्व डाक सेवाओं में सुधार लाना व उन्हें संगठित करना तथा अंतरराष्ट्रीय डाक सहयेाग के विकास को प्रोत्साहित करना है.

कार्यक्षेत्र

वैश्विक डाक संघ के सदस्य देशों से यह आशा की जाती है कि वे पत्राचार के पारस्परिक विनिमय हेतु एकमात्र प्रदेश का निर्माण करें, जिससे निकट सहयोग एवं मानकीकरण के विचार को फलीभूत किया जा सके. वैश्विक डाक समझौते द्वारा डाक दरों, अधिकतम व निम्नतम आकार व वजन सीमा इत्यादि के लिए दिशा-निर्देशों तथा विनियमों का निर्माण किया गया है. इसी के तहत अंतर्देशीय डाक विनियमों के लिए मानक एवं सिद्धांत तय किए जाते हैं. इसके अलावा यूपीयू संयुक्त राष्ट्र के तकनीकी सहयोग कार्यक्रमों में भागीदारी करते हुए विकासशील देशों में विशेषज्ञों की भर्ती करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु छात्रवृत्ति प्रदान करने जैसे कार्य भी करता है. यह अन्य विशिष्ट अभिकरणों के साथ निकट संपर्क भी स्थापित करता है, जैसे- वायु डाक यातायात के विकास हेतु आईसीएओ के साथ, रेडियोधर्मी तत्वों के डाक संचरण हेतु आईएईए के साथ तथा वियोजनीय जैविक तत्वों के यातायात हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ.

वैश्विक पोस्टल कांग्रेस प्रति पांच वर्ष बाद आयोजित होती है, जिसमें सभी सदस्य देश शामिल होते हैं. यह यूपीयू की नीतियों का निर्धारण, कार्यक्रमों की समीक्षा तथा महानिदेशक व उप-महानिदेशक का चुनाव करती है. प्रशासनिक परिषद में 41 सदस्य होते हैं, जो कांग्रेस द्वारा चुने जाते हैं. इस परिषद का अध्यक्ष पिछली कांग्रेस के मेजबान देश से संबद्ध होता है. परिषद कांग्रेसन के मध्य निरंतरता को सुनिश्चित करती है, तकनीकी डाक अध्ययन संचालित करती है तथा संघ के बजट व खातों का अनुमोदन करती है. यह आपदा मामलों से निबटने हेतु आवश्यक विनियमों को स्वीकार करती है. डाक कार्यचालन परिषद में 40 निर्वाचित सदस्य एवं एक अध्यक्ष होता है. यह परिषद अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं के कार्यात्मक, वाणिज्यिक एवं आर्थिक पहलुओं से संबद्ध मामलों पर विचार करती है.

संयुक्त राष्ट्र का अभिकरण

यूपीयू संयुक्त राष्ट्र का दूसरा सबसे पुराना विशिष्ट अभिकरण है, जो वैश्विक पोस्टल कांग्रेस, प्रशासनिक परिषद, डाक कार्यसंचालन परिषद एवं अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो द्वारा संघटित है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : International Civil Aviation Organization (ICAO)

संदर्भ

भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमान के लिए अपने हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने की सुविधा देने से पाकिस्तान  के इनकार का मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) के समक्ष उठाया है.

ICAO क्या है?

  • यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेज्ञता-प्राप्त एजेंसी है जिसकी स्थापना 1944 में शिकागो संधि के प्रशासन के प्रबंधन के लिए हुई थी.शिकागो संधि का वास्तविक नाम अन्तर्राष्ट्रीय नगर विमानन संधि है.
  • ICAO शिकागो संधि के 193 सदस्य देशों और औद्योगिक समूहों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय नगर विमानन से सम्बंधित मानकों एवं अनुसंशित प्रचलनों (Standards and Recommended Practices – SARPs) के विषय में सर्वानुमति सुनिश्चित करने का कार्य करता है. साथ ही यह संगठन सदस्य देशों को ऐसी नीतियाँ बनाने में सहयोग करता है जिससे कि नगर विमानन क्षेत्र को निरापद, कार्यकुशल, सुरक्षित, आर्थिक रूप से टिकाऊ और पर्यावरण की दृष्टि से उत्तरदाई बनाया जा सके.

शिकागो संधि क्या है?

शिकागो संधि अर्थात् अंतर्राष्ट्रीय नगर विमानन संधि पर मूलतः 52 देशों ने 7 दिसम्बर, 1944 को हस्ताक्षर किये थे. इसके अधीन ICAO 4 अप्रैल, 1947 में अस्तित्व में आया. 1947 के अक्टूबर महीने में ICAO को संयुक्त राष्ट्र से सम्बद्ध आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् (United Nations linked to Economic and Social Council (ECOSOC) की एक विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसी के रूप में मान्यता मिली.

शिकागो संधि ही वायु क्षेत्र, विमान पंजीकरण एवं सुरक्षा तथा वायु यात्रा से सम्बंधित अधिकारों के बारे में नियम बनाती है. यही वह संधि है जो वायु यात्रा के समय उपयोग किए गये ईंधन को दोहरे कराधान से छूट प्रदान करती है.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Copernicus programme

संदर्भ

सेंटनल 3-विश्व अगलगी एटलस का डाटा प्रकाशित कर दिया गया है. यह डाटा कॉपरनिकस सेंटिनल 3 मिशन के अंतर्गत तैयार किया गया है.

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मुख्य निष्कर्ष

  • अगस्त 2018 (16,000 अगलगियाँ) की तुलना में अगस्त 2019 (79,000 अगलगियाँ) में पाँच गुनी अधिक दावानल की घटनाएँ हुईं.
  • इन अगलगियों में 49% एशिया में, 28% दक्षिण अमेरिका में, 16% अफ्रीका में और शेष उत्तर अमेरिका, यूरोप और ओसेनिया में घटित हुईं.

कॉपरनिकस  कार्यक्रम (Copernicus Programme) क्या है?

  • यह आज की तारीख में पृथ्वी के अवलोकन (Earth observation) हेतु तैयार किया गया सबसे महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसे यूरोपियन स्पेस एजेंसी की साझेदारी के साथ यूरोपीय आयोग की अध्यक्षता में चलाया जा रहा है.
  • इसका उद्देश्य पर्यावरण के प्रबंधन में सुधार करने, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने और कम करने तथा नागरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये समय पर सटीक और सुलभ जानकारी उपलब्ध कराना है.
  • इसे पहले ‘Global Monitoring for Environment and Security (GMES)’ कार्यक्रम के नाम से जाना जाता था.

भारतीय संदर्भ में इसका इस्तेमाल

अक्टूबर 2014 में आंध्र प्रदेश में आई बाढ़ और 2013 में ओडिशा में तूफान के दौरान कॉपरनिकस  आपातकालीन प्रतिक्रिया मानचित्रण प्रणाली (Copernicus emergency response mapping system) का इस्तेमाल किया गया.


Prelims Vishesh

Mekong river :-

  • नए लाओस बांध का संचालन शुरू होते ही मेकॉन्ग का जल स्तर गिर गया है.
  • मेकॉन्ग विश्व की प्रमुख नदियों में से है जो तिब्बत से शुरु होकर चीन के युनान प्रान्त, म्यानमार, थाईलैंड, लाओस तथा कम्बोडिया से होकर बहती है.
  • लंबाई के अनुसार यह विश्व की 13वीं सबसे बड़ी नदी है और प्रवाह के आयतन दर के अनुसार 10वीं.
  • बहाव में अनियतता तथा जलप्रपातों के कारण से इसका अधिकांश भाग नौकाओं के लिये अगम्य है.

Indian brain atlas :

  • IIIT-हैदराबाद में की गये अनुसंधान के दौरान पहली बार इंडियन ब्रेन एटलस तैयार किया गया. इस अध्ययन से यह बात सामने आई है कि भारतीय लोगों का दिमाग पश्चिम के लोगों की तुलना में छोटा होता है. लंबाई, चौड़ाई और घनत्व में भी यह पश्चिमी लोगों से कम होता है.
  • इस अध्ययन से अल्जाइमर जैसी मस्तिष्क की बीमारियों के शुरुआती निदान में मदद मिलेगी.

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