Sansar डेली करंट अफेयर्स, 30 October 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 30 October 2018


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Central Adoption Resource Authority (CARA)

संदर्भ

स्मरण रहे कि तीन वर्ष पहले Missionaries of Charity (MoC) नामक ईसाई संस्था ने अपने आश्रय स्थलों के बच्चों को दत्तक के रूप में देना बंद कर दिया था. अब इस संस्था ने यह निर्णय लिया है कि वह देश की दत्तक के लिए गठित नोडल एजेंसी – केन्द्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) के साथ समझौता करेगी.

भूमिका

अक्टूबर 2015 में भारत सरकार ने दत्तक ग्रहण के नए नियम बनाये थे जिनमें सभी आश्रय स्थलों को CARA से जोड़ना अनिवार्य कर दिया था और CARA को देश का एकमात्र ऐसा निकाय घोषित किया था जो दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया को लागू करेगा. तब से मिशनरी ऑफ़ चैरिटी ने दत्तक ग्रहण का काम बंद कर दिया था और यह अनुरोध किया था कि उसके आश्रय स्थलों की मान्यता समाप्त कर दी जाए. ज्ञातव्य है कि मिशनरी ऑफ़ चैरिटी एक कैथोलिक धार्मिक संगठन है जिसकी स्थापना मदर टेरीसा द्वारा 1950 में की गई थी.

CARA क्या है?

  • केन्द्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक वैधानिक निकाय है.
  • देशंतारीय दत्तक ग्रहण विषयक 1993 की हेग संधि, जिसे भारत ने 2003 में अंगीकृत किया था, में CARA को ऐसे मामलों के लिए केन्द्रीय प्राधिकरण घोषित किया गया था.
  • CARA का मुख्य कार्य अनाथ, त्यक्त और समर्पित किये गये बच्चों के दत्तकग्रहण को विनियमित करना है.
  • हेग संधि (Hague Convention) का कार्य बच्चों और उनके परिवारों को विदेश में अवैध, अनियमित, समय-पूर्व अथवा अविचारित दत्तक ग्रहण से रक्षा करना है.
  • हाल ही में अवैध दत्तकग्रहण के बढ़ते मामलों को देखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया था कि एक महीने के अन्दर वे सभी बाल देखभाल संस्थानों को पंजीकृत करें और उन्हें CARA से जोड़ दें.
  • ज्ञातव्य है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और सुरक्षा) अधिनियम, 2015 में यह प्रावधान है कि बाल देखभाल की सभी संस्थाएँ पंजीकृत की जाएँ और उन्हें CARA से जोड़ दिया जाए.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Vigilance Awareness Week

संदर्भ

केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) के निर्देशों के अनुरूप भारत सरकार का स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय 29 अक्टूबर से लेकर 3 नवम्बर, 2018 तक “सतर्कता जागरूकता सप्ताह”/Vigilance Awareness Week मनायेगा. इस वर्ष इस आयोजन की theme होगी – “Eradicate Corruption- Make a New India.” अर्थात् “भ्रष्टाचार हटाओ – नया भारत बनाओ”.

सप्ताह-भर चलने वाले इस जागरूकता अभियान के अंदर भाँति-भाँति की गतिविधियाँ होंगी, जैसे – सेमीनार, वाद-विवाद और निबंध प्रतियोगिता. इस अभियान का उद्देश्य मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को सतर्क रहने और अपने काम में पारदर्शिता बरतने के लिए प्रेरित किया जाएगा जिससे कि जीवन के सभी क्षेत्रों से भ्रष्टाचार का उन्मूलन हो सके.

CVC क्या है?

  • पूर्व NIA प्रमुख शरद कुमार को (चार साल की अवधि के लिए/65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक) Vigilance Commissioner के रूप में नियुक्त किया गया है.
  • यह सतर्कता से सम्बंधित देश की सर्वोच्च संस्था (vigilance institution) है.
  • यह अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है.
  • यह एक संवैधानिक संस्था नहीं है अपितु Santhanam committee की सिफारिशों के आधार पर एक कार्यकारी आदेश से इसका गठन 1964 में किया गया.
  • इस आयोग में एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं.
  • इनका चयन प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा के विपक्षी के नेता मिल कर करते हैं और उस पर राष्ट्रपति मुहर लगाते हैं.
  • यदि कोई विपक्ष का नेता नहीं है तो लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता इस चयन में भाग लेता है.
  • इनका कार्यकाल 4 साल का अथवा आयुक्त के 65 वर्ष के हो जाने तक होता है.
  • दुर्व्यवहार और अयोग्यता साबित हो जाने पर राष्ट्रपति केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और अन्य सतर्कता आयुक्त को हटा सकता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Gujarat’s first Mega Food Park

संदर्भ

हाल ही में गुजरात के पहले मेगा फूड पार्क का उद्घाटन सूरत में हुआ. इस पार्क की अभिकल्पना Gujarat Agro Infrastructure Mega Food Park Pvt. Ltd के द्वारा की गई है. यह पार्क सूरत जिले के मंगरौल तालुका के अंतर्गत शाह और वसरावी गाँवों में स्थित है. इस पार्क से 5,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आजीविका मिलेगी तथा 25,000 किसानों को लाभ पहुँचेगा.

मेगा फूड पार्क क्या है?

  • मेगा फूड पार्क योजना भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाती है.
  • इस योजना का उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और खुदरा व्यवसायियों को एक मंच पर लाकर ऐसी सुविधा देना है जिससे कृषि उत्पादन से लेकर बाजार तक का सम्पर्क सुचारू हो सके. ऐसा करने से उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी तथा साथ ही फसल की बर्बादी घटेगी. इसके कारण किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, साथ ही विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित होंगे.
  • इस प्रकार का पार्क स्थापित करने के लिए भारत सरकार अधिकतम 50 करोड़ रुपये का अनुदान देती है पर इसके लिए कम से कम 50 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है जो अलग-थलग होकर एक ही स्थान पर हो. सरकार द्वारा परियोजना की सम्पूर्ण लागत का 50% दिया जाता है.

सञ्चालन प्रक्रिया

  • यह परियोजना धुरी और तीलियाँ मॉडल पर आधारित है. इसमें खेत के पास एक अवसंरचना तैयार की जाती है जहाँ प्राथमिक प्रसंस्करण तथा भंडारण होगा. इन अवसंरचनाओं को प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र (Primary Processing Centres – PPCs) तथा संग्रहण केंद्र (Collection Centres – CCs) का नाम दिया गया है. इनके अतिरिक्त एक केन्द्रीय प्रसंस्करण केन्द्र (Central Processing Centre – CPC) भी होगा.
  • इन प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्रों का काम उत्पादकों एवं प्रसंस्करणकर्ताओं के बीच सम्पर्क सूत्र स्थापित करना होगा जिससे केन्द्रीय प्रसंस्करण केन्द्रों (CPCs) को कच्चे माल की निर्बाध आपूर्ति होती रहे.
  • CPC में प्रसंस्करण की मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध होंगी. यहाँ पर स्थित इकाइयाँ खाद्य प्रसंस्करण का कार्य करेंगी. इस केंद्र के लिए न्यूनतम 50 एकड़ भूमि होना अनिवार्य है.
  • यह योजना माँग के अनुसार चलने वाली योजना है और इसका एक काम खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों पर पर्यावरण, सुरक्षा एवं सामाजिक मापदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना भी है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Namami Gange programme

संदर्भ

हाल ही में “नमामि गंगे” कार्यक्रम के विषय में 16वीं बैठक सम्पन्न हुई. इस बैठक में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga) की कार्यकारिणी समिति ने 12 परियोजनाओं की मंजूरी दी जिसमें आने वाला खर्च 929 करोड़ का है.

नमामि गंगे कार्यक्रम क्या है?

  • नमामि गंगे भारत सरकार का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गंगा नदी को कारगर ढंग से स्वच्छ बनाना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए इसमें सभी हितधारकों को भी संलग्न किया गया है, विशेषकर गंगा घाटी के उन पाँच राज्यों के हितधारकों को जो राज्य गंगा की घाटी में स्थित हैं, यथा – उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल.
  • इस कार्यक्रम में जो कार्य किये जाते हैं, वे हैं – नदी की सतह की सफाई, इसमें गिरने वाले नाली प्रवाह का उपचार, रिवर फ्रंटों का विकास, जैव-विविधता का विकास, वनरोपण एवं जन-जागरूकता के कार्य.

कार्यान्वयन

  • इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga – NMCG) और राज्यों में स्थित इसके समकक्ष संगठनों, जैसे – राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह (State Program Management Groups – SPMGs) द्वारा किया जाता है.
  • योजना के सही कार्यान्वयन के लिए एक त्रि-स्तरीय प्रणाली गठित करने का प्रस्ताव है. इस प्रणाली के तीन स्तर होंगे जो निम्नवत हैं –

a) राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्च स्तरीय कार्यदल जिसके अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होंगे जिनकी सहायता NMCG करेगी

b) राज्य-स्तर पर एक समिति होगी जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे और जिनकी सहायता SPMG करेगी.

c) जिला-स्तर पर एक जिला-स्तरीय समिति होगी जिसकी अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट करेंगे.

इस कार्यक्रम में केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/एजेंसियों के मध्य समन्वय के तन्त्र को सुधारने पर बल दिया गया है.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Currency swap agreement between India and Japan

संदर्भ

भारत और जापान ने 75 अरब डॉलर की मुद्रा अदला-बदली (करैंसी स्वैप) समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं. विदित हो कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13वें भारत-जापान vआर्शिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने शनिवार को जापान आये हैं. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस समझौते से भारत को विदेशी मुद्रा विनिमय के संदर्भ में राहत मिलेगी. साथ ही साथ यह समझौता दोनों देशों के mअध्य आर्थिक सहयोग को और दृढ़ बनाएगा.

मुख्य तथ्य

इस समझौते के उपरान्त भारत और जापान सस्ते ब्याज पर कर्ज ले सकते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उस समय संबंधित देश की मुद्रा का मूल्य क्या है. इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मुद्रा की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से भी राहत मिलती है.

ज्ञातव्य है कि भारत के पास अभी 393.5 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है. इस समझौते के अनुसार, भारत रुपये का भुगतान करके जापान से उसके बदले डॉलर ले सकता है. जापान भी येन देकर भारत से डॉलर की माँग कर सकता है. पर यह कदम आवश्यक परिस्थितियों में ही उठाया जाएगा. पर यह अवश्य है कि इस समझौते के बाद अब अल्पकालिक साख कम होने की चुनौती से निपटने में आसानी होगी.

समझौते से संभावित प्रभाव

  • डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में होने वाली उतार-चढ़ाव से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रभाव पड़ता है. यदि रुपये में अधिक गिरावट हो तो देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट आती है. ऐसी परिस्थिति में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया को आगे आकर खुले बाजार में डॉलर की बिक्री करनी पड़ती है. जापान के साथ हुए इस समझौते के बाद अब भारत को रुपये में आई गिरावट और डॉलर की माँग में होने वाली बढ़ोतरी जैसी विपरीत स्थितियों से निपटने में आसानी होगी.
  • दोनों देशों के मध्य हुए इस समझौते से भारत के पूँजी बाजार (capital market) और विदेशी विनिमय को स्थिरता मिलेगी. इस समझौते के बाद से भारत जरूरत पड़ने पर 75 अरब डॉलर की पूँजी का प्रयोग कर सकता है.

GS Paper 3 Source: PIB

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Topic : CSIR develops Less Polluting Firecrackers

संदर्भ

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (Council of Scientific and Industrial Research – CSIR) ने हाल ही में ऐसे तीन प्रकार के पटाखे बनाए हैं जो कम प्रदूषण करेंगे. इनके नाम हैं – सुरक्षित जल मोचक पटाखे (Safe Water Releaser – SWAS), सुरक्षित न्यूनतम अलमुनियम पटाखे (Safe Minimal Aluminium – SAFAL) और सुरक्षित थेर्माइट पटाखे (Safe Thermite Cracker – STAR).

इन पटाखों की विशेषता

  • इन पटाखों में भाप छोड़ने का अनूठा गुण है. अतः इनके फोड़ने से धूल दब जाती हैं और उत्सर्जित गैसों का प्रभाव फीका हो जाता है. परन्तु इनसे उतनी ही आवाज़ आती है जितनी की पारम्परिक पटाखों से आती है.
  • SWAS पटाखों में पोटाशियम नाइट्रेट और गंधक का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता है. इसका परिणाम यह होता है कि SO2 और NOx पार्टिकुलेट पदार्थों में 30-35% की कमी हो जाती है. इन पटाखों की आवाज़ 105-110 dBA की होती है जो व्यवसायिक पटाखों के समान ही है. परीक्षण में पाया गया है कि SWAS पटाखे तीन हफ्ते तक काम करते हैं और इस अवधि में इनका प्रदर्शन अच्छा ही रहता है.
  • STAR पटाखों में KNO3 और S का प्रयोग नहीं होता है, अतः इनके प्रयोग से पार्टिकुलेट पदार्थ SO2 और NOx 35-40% की कमी आती है. इन पटाखों की आवाज भी उतनी ही तेज़ है जितनी की बाजार की पटाखों की अर्थात् 105-110 dBA.
  • SAFAL men अलमुनियम का प्रयोग कम-से-कम होता है, केवल इन्हें जलाने के लिए थोड़ा-सा अलमुनियम पाउडर दिया जाता है. परिणामतः पार्टिकुलेट पदार्थ में व्यवसायिक पटाखों की तुलना में 35-40% की कमी होती है. इसकी आवाज़ 110-115 dBA होती है जो बाजारू पटाखों से किसी भी दृष्टि से कम नहीं है.

इन पटाखों के लाभ

भारत में पटाखों के उद्योग का टर्नओवर 6000 करोड़ का है और इसमें प्रत्यक्षतः अथवा अप्रत्यक्षतः 5 लाख से अधिक परिवारों को आजीविका के अवसर प्राप्त होते हैं. CSIR के द्वारा बनाए गए पटाखे न केवल प्रदूषण से सम्बंधित चिंताओं का निराकरण करेंगे अपितु इस व्यापार में लगे लोगों की आजीविका भी सुरक्षित रहेगी. ये पटाखे पर्यावरण के अनुकूल हैं और साथ ही पारम्परिक पटाखों की तुलना में 15-20% सस्ते भी हैं.


Prelims Vishesh

India’s largest Dry Dock at Cochin Shipyard :-

Make in India पहल के अधीन सागरमाला योजना के तहत कोचीन शिपयार्ड में भारत का विशालतम ड्राई डॉक (Dry Dock) बनने जा रहा है जहाँ तकनीकी रूप से विशिष्ट और उन्नत बड़े-बड़े जहाज तैयार किये जायेंगे.

WHO’s First Global Conference on Air Pollution and Health :-

जेनेवा में स्थित WHO के मुख्यालय में पहला वैश्विक वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य सम्मलेन आयोजित होने वाला है जिसमें सभी देशों में स्वास्थ्य मंत्री, सरकारी प्रतिनिधि, अंतर-सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधि, स्वास्थ्य व्यवसाय से जुड़े लोग, परिवहन, ऊर्जा आदि प्रक्षेत्रों के लोग, शोध, शैक्षणिक संस्थानों और सिविल सोसाइटी से जुड़े लोग प्रतिभागी होंगे.

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