Sansar डेली करंट अफेयर्स, 01 July 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 01 July 2019


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : G20 Summit 2019

संदर्भ

पिछले दिनों यूरोपीय संघ के समेत 19 देशों के नेताओं की G20 शिखर बैठक जापान के ओसका में सम्पन्न हुई.

G20 क्या है?

  • G 20 1999 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जिसमें 20 बड़ी अर्थव्यस्थाओं की सरकारें और केन्द्रीय बैंक गवर्नर प्रतिभागिता करते हैं.
  • G 20 की अर्थव्यस्थाएँ सकल विश्व उत्पादन (Gross World Product – GWP) में 85% तथा वैश्विक व्यापार में 80% योगदान करती है.
  • G20 शिखर बैठक का औपचारिक नाम है – वित्तीय बाजारों एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था विषयक शिकार सम्मलेन.
  • G 20 सम्मेलन में विश्व के द्वारा सामना की जा रही समस्याओं पर विचार किया जाता है जिसमें इन सरकारों के प्रमुख शामिल होते हैं. साथ ही उन देशों के वित्त और विदेश मंत्री भी अलग से बैठक करते हैं.
  • G 20 के पास अपना कोई स्थायी कर्मचारी-वृन्द (permanent staff) नहीं होता और इसकी अध्यक्षता प्रतिवर्ष विभिन्न देशों के प्रमुख बदल-बदल कर करते हैं.
  • जिस देश को अध्यक्षता मिलती है वह देश अगले शिखर बैठक के साथ-साथ अन्य छोटी-छोटी बैठकों को आयोजित करने का उत्तरदाई होता है.
  • वे चाहें तो उन देशों को भी उन देशों को भी बैठक में अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सकते हैं, जो G20 के सदस्य नहीं हैं.
  • पहला G 20 सम्मेलन बर्लिन में दिसम्बर 1999 को हुआ था जिसके आतिथेय जर्मनी और कनाडा के वित्त मंत्री थे.
  • G-20 के अन्दर ये देश आते हैं – अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका.
  • इसमें यूरोपीय संघ की ओर से यूरोपीय आयोग तथा यूरोपीय केन्द्रीय बैंक प्रतिनिधित्व करते हैं.

G-20 व्युत्पत्ति

1999 में सात देशों के समूह G-7 के वित्त मंत्रियों तथा केन्द्रीय बैंक गवर्नरों की एक बैठक हुई थी. उस बैठक में अनुभव किया गया था कि विश्व की वित्तीय चुनौतियों का सामना करने के लिए एक बड़ा मंच होना चाहिए जिसमें विकसित और विकासशील दोनों प्रकार के देशों के मंत्रियों का प्रतिनिधित्व हो. इस प्रकार G-20 का निर्माण हुआ.

इसकी प्रासंगिकता क्या है?

बढ़ते हुए वैश्वीकरण और कई अन्य विषयों के उभरने के साथ-साथ हाल में हुई G20 बैठकों में अब न केवल मैक्रो इकॉनमी और व्यापार पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है, अपितु ऐसे कई वैश्विक विषयों पर भी विचार होता है जिनका विश्व की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जैसे – विकास, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आतंकवाद की रोकथाम, प्रव्रजन एवं शरणार्थी समस्या.

G-20 के कार्यों को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

  • वित्तीय भाग (Finance Track)– वित्तीय भाग के अन्दर G 20 देश समूहों के वित्तीय मंत्री, केंद्रीय बैंक गवर्नर तथा उनके प्रतिनिधि शामिल होते हैं. यह बैठकें वर्ष भर में कई बार होती हैं.
  • शेरपा भाग (Sherpa Track)– शेरपा भाग में G-20 के सम्बंधित मंत्रियों के अतिरिक्त एक शेरपा अथवा दूत भी सम्मिलित होता है. शेरपा का काम है G20 की प्रगति के अनुसार अपने मंत्री और देश प्रमुख अथवा सरकार को कार्योन्मुख करना.

G-20 का विश्व पर प्रभाव

  • G-20 में शामिल देश विश्व के उन सभी महादेशों से आते हैं जहाँ मनुष्य रहते हैं.
  • विश्व के आर्थिक उत्पादन का 85% इन्हीं देशों में होता है.
  • इन देशों में विश्व की जनसंख्या का 2/3 भाग रहता है.
  • यूरोपीय संघ तथा 19 अन्य देशों का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में 75% हिस्सा है.
  • G 20 कि बैठक में नीति निर्माण के लिए मुख्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को भी बुलाया जाता है. साथ ही अध्यक्ष के विवेकानुसार कुछ G20 के बाहर के देश भी आमंत्रित किये जाते हैं.
  • इसके अतिरिक्त सिविल सोसाइटी के अलग-अलग क्षेत्रों के समूहों को नीति-निर्धारण की प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाता है.

GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : National Food Security Act (NFSA), 2013

संदर्भ

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जनवितरण मंत्रालय के केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले दिनों नई दिल्ली में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के कारगर कार्यान्वयन से सम्बंधित कई विषयों पर चर्चा की. इस चर्चा में अन्य लोग सम्मिलित हुए, वे थे – राज्य खाद्य सचिव, राज्य सरकारों के अधिकारी, भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी, केन्द्रीय गोदाम निगम के अधिकारी तथा राज्य गोदाम निगमों के अधिकारीगण.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 क्या है?

  • यह अधिनियम भारत सरकार ने 10 सितम्बर, 2013 को अधिसूचित किया था.
  • इसका उद्देश्य लोगों को उचित मात्रा में गुणवत्तायुक्त भोजन, सस्ते दामों में उपलब्ध कराते हुए उनकी खाद्य एवं पोषण से सम्बंधित सुरक्षा प्रदान करना है.

अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ

  • अधिनियम में ग्रामीण जनसंख्या के 75% और शहरी जनसंख्या के 50% तक लोगों को सब्सिडी वाला अनाज लक्षित जन-वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System – TPDS) के माध्यम से पहुँचाने का प्रावधान किया गया है.
  • अर्हता प्राप्त लोगों को प्रत्येक महीने 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति दिया जाएगा जिसका दाम 3 रु. (चावल), 2 रु. (गेहूँ) और 1 रूपया (मोटा अनाज) होगा.
  • पहले से लागू अन्त्योदय अन्न योजना (AAY) के अंतर्गत परिवारों को पहले की भाँति प्रत्येक महीने 35 किलो अनाज मिलता रहेगा.
  • अधिनियम के अनुसार गर्भवती महिलाओं को तथा बच्चा हो जाने के बाद अगले छह महीने दूध पिलाने वाली माताओं को पूर्ववत् भोजन मिलता रहेगा. परन्तु इन महिलाओं को कम-से-कम 6,000 रु. का मातृत्व लाभ भी मिलेगा.
  • 14 वर्ष तक के बच्चों को विहित पोषण मानकों के अनुसार पौष्टिक भोजन पाने का अधिकार होगा.
  • यदि किसी कारणवश अनाज या भोजन की आपूर्ति नहीं हुई to लाभार्थियों को इसके बदले खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया जाएगा.
  • अधिनियम में राज्य और जिला-स्तरों पर शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना का प्रावधान है.
  • अधिनियम में अलग से कुछ प्रावधान किये गये हैं जिनका उद्देश्य पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है.

GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Electoral Bond Scheme

संदर्भ

भारतीय स्टेट बैंक को उनकी 29 अधिकृत शाखाओं के माध्यम से चुनावी बांड निर्गत करने और भुनाने के लिए प्राधिकृत किया गया है.

चुनावी बांड योजना से सम्बंधित प्रमुख तथ्य

  • ये चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं से मिलेंगे.
  • चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत 1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी.
  • इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 लाख रु, 10 लाख रु. और 1 करोड़ रु. के होंगे.
  • हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी.
  • परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए अतिरिक्त 30 दिन और दिए जायेंगे.
  • बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा.
  • चुनाव आयोग में पंजीकृत दल से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा.
  • चुनावी बांड राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले.
  • चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
  • चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा.

चुनावी बांड के फायदे

अक्सर ब्लैक मनी वाले लोग पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में लेन-देन न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे. पार्टी को बांड देने वालों की पहचान बैंक के पास होगी. अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों.

इस व्यवस्था से चुनाव में धन के उपयोग में पारदर्शिता आएगी क्योंकि सभी दानकर्ता को अपने खातों में उनके द्वारा खरीदे बांड की राशि को दिखलाना होगा और सभी दलों को भी यह घोषित करना होगा कि उनको कितने बांड मिले हैं.


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : Fortified rice

संदर्भ

खाद्य एवं जन वितरण विभाग ने पिछले दिनों केंद्र संपोषित प्रायोगिक योजना – चावल का संवर्धन एवं जन-वितरण प्रणाली के माध्यम से इसका वितरण – का अनुमोदन करते हुए यह तय किया है कि इसके लिए पूर्वोत्तर राज्यों, पहाड़ी राज्यों और द्वीपीय राज्यों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता को 90 % वित्तीय सहायता एवं शेष अन्य राज्यों को दी जाने वाली 75% वित्तीय सहायता को आगे भी जारी रखा जाएगा.

संवर्धित चावल क्या है?

  • संवर्धित चावल में विटामिन और खनिज तत्त्व अतिरिक्त रूप से डाले जायेंगे.
  • संवर्धन प्रक्रिया में चावल के भीतर अतिरिक्त विटामिन और खनिज तत्व डाल दिए जाते हैं. इससे उसकी पोषकता बढ़ जाती है.
  • संवर्धित चावल में जो पोषक तत्त्व डाले जाते हैं – Vitamin A, Vitamin B1, Vitamin B12, Folic Acid, Iron और
  • विदित हो कि मिल से निकलने वाले चावल में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का अभाव होता है और वह मात्र कार्बो-हाइड्रेट के एक स्रोत का ही काम करता है.
  • ज्ञातव्य है कि चावल देश ही नहीं, संसार का सबसे अधिक उपयोग में लाये जाने वाला अनाज है. अनुमान है कि प्रतिदिन 2 मिलियन लोग चावल खाते हैं और यही एशिया और अफ्रिका के निवासियों का मुख्य भोजन है.
  • चावल की पौष्टिकता बढ़ाने से लोगों के स्वास्थ्य में सुधार आएगा क्योंकि उन्हें कार्बो-हाइड्रेट के अतिरिक्त अन्य पोषक तत्त्व चावल से ही एक साथ मिल जाएँगे.

भारत में अनाज संवर्धन

भारत में अनाजों के संवर्धन के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकारण (FSSAI) ने एक फार्मूला तैयार किया है जिसका नाम खाद्य सुरक्षा एवं मानक (खाद्य संवर्धन) नियमावली, 2016 है. इस नियामावली में खाद्य संवर्धन के मानक निर्धारित किये गये हैं और संवर्धित भोज्य पदार्थों के उत्पादन, निर्माण, वितरण, विक्रय एवं उपभोग को बढ़ावा देने के उपाय बताये गये हैं.


GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : Atal Tinkering Labs

संदर्भ

विद्यालयों में अनुसन्धान एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अटल टिंकरिंग लैब (ATL) की स्थापना के लिए 8,878 विद्यालय चुने गये हैं.

ATL क्या है?

  • ATLs वे प्रयोगशालाएँ हैं जिनमें 3D प्रिंटर, रोबोटिक्स, सेंसर टेक्नोलॉजी उपकरण, इन्टरनेट प्रणाली और सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की व्यवस्था होती है.
  • प्रयोगशाला का उद्देश्य है कि बच्चे पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकीय ज्ञान की परिधि से बाहर निकलकर रचनात्मक गतिविधियाँ सम्पन्न करें.
  • अटल इनोवेशन स्कीम मिशन (AIM) का लक्ष्य है देश के 98% अधिक स्मार्ट शहरों में और 93% जिलों में ऐसी प्रयोगशालाएँ तैयार हों.
  • मिशन का स्वप्न है कि देश के 10 लाख बच्चों को भविष्य के innovators के रूप में विकसित किया जाए और 1500 नए स्कूलों में ATL स्थापित करने के इस कदम से इस दिशा में सफलता मिलेगी.
  • कक्षा 6 से 10 तक की पढ़ाई देने वाले सरकारी विद्यालयों के अतिरिक्त स्थानीय निकायों अथवा निजी न्यासों/संस्थाओं में भी ये लैब स्थापित किये जाएँगे.
  • ATL स्थापित करने के लिए अटल नवाचार मिशन अनुदान देगा. इस अनुदान में दस लाख रु. की एकमुश्त स्थापना राशि के अतिरिक्त अधिकतम पाँच वर्षों तक प्रयोगशाला के संचालन हेतु दस लाख रु. भी दिए जाएँगे.

अटल नवाचार मिशन क्या है?

  • यह मिशन भारत सरकार की प्रमुख पहल है जिसका प्रयोजन देश में नवाचार एवं उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देना है.
  • इस मिशन का कार्य देश के अन्दर नवाचार के वातावरण पर दृष्टि रखने के लिए एक बहु-आयामी अवसरंचना का निर्माण करना है जिससे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से नवाचार पारिस्थितिकी तन्त्र में क्रान्ति लाई जा सके.

अटल नवाचार मिशन के दो प्रमुख कार्य

स्वरोजगार और प्रतिभा के उपयोग के द्वारा उद्यमिता को बढ़ावा देना. इसके लिए नवाचार करने वाले को सफल उद्यमी बनाने के निमित्त सहायता और मन्त्रणा दोनों दी जायेगी.


Prelims Vishesh

Various Ethnic communities across the world :-

नवम्बर 2014 में UNHCR #IBelong Campaign चलाया गया था जिसका उद्देश्य 2024 तक विभिन्न समुदायों की राज्यविहीनता को समाप्त करना है.  

विश्व में कई समुदाय ऐसे हैं जो राज्यविहीन माने जाते हैं. कहा जाता कि इन समुदायों की जनसंख्या 10 मिलियन है और हर दसवें मिनट एक राज्यविहीन बच्चे जा जन्म होता है. इनकी संक्षिप्त सूची निम्न प्रकार है –

  • म्यांमार – रोहिंग्या
  • थाईलैंड – याओ, ह्मोंग, कैरेन, सी जिप्सी.
  • भारत – बांग्लादेशी और रोहिंग्या.
  • सिरिया – कुर्द, यजीदी
  • कुवैत – बदायूं
  • इराक – बिदून/बदायूं और फैली कुर्द

goAML :-

  • UAE की वित्तीय गुप्त सूचना इकाई (UAE Financial Intelligence Unit – FIU) ने नशीली दवाओं एवं अपराध से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा निर्मित एक नए प्रतिवेदक मंच – goAML – का अनावरण किया है जिसका प्रयोग संदिग्ध लेन-देन एवं गतिविधियों से सम्बंधित सूचनाओं की प्राप्ति, विश्लेषण और सम्प्रेषण की सुविधा प्रदान करने में किया जाएगा.
  • अब UAE के सभी वित्तीय संस्थानों को संदिग्ध गतिविधियों के विषय में जो भी प्रतिवेदन देना होगा, वह goAML के माध्यम से ही दिया जाएगा.

Proton Therapy :-

  • प्रोटोन किरण चिकित्सा विकिरण चिकित्सा का एक प्रकार है जिसमें कैंसर के उपचार के लिए X-Ray के स्थान पर प्रोटोन का प्रयोग किया जाता है.
  • इसमें एक मशीन से रोगी की त्वचा के अंदर पीड़ाहीन विकिरण की सेंक दी जाती है.
  • प्रोटोन धनात्मक आवेश वाले कण होते हैं जो कैंसर के कोषों को नष्ट कर सकते हैं.
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