Sansar डेली करंट अफेयर्स, 30 July 2019

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आखिरी दो दिन - One Week Special Offer - 23 जुलाई - 31 जुलाई

जो छात्र 23 जुलाई - 31 जुलाई के भीतर Annual DCA सब्सक्राइब करेंगे, उनको पिछले महीने, यानी जनवरी से जून 2019 का भी DCA मेल कर के भेज दिया जाएगा. फिर पूरे साल यानी जुलाई 2019 से जुलाई 2020 तक का DCA तो मिलेगा ही. 12,179 लोगों ने अभी तक Annual DCA सब्सक्राइब किया है, उनको धन्यवाद और शुभकामनाएँ!

Sansar Daily Current Affairs, 30 July 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : UKIERI Mobility Programme

संदर्भ

ब्रिटिश कौंसिल ऑफ़ इंडिया तथा यूनिवर्सिटीज UK इंटरनेशनल संयुक्त रूप से एक कार्यक्रम का अनावरण करने जा रहे हैं जिसका नाम है – UKIERI आवागमन कार्यक्रम: भारत में अध्ययन (UKIERI Mobility Programme: Study in India). इस कार्यक्रम के अन्दर यूनाइटेड किंगडम के छात्र भारत आकर उच्चतर अध्ययन कर सकेंगे.

UKIERI आवागमन कार्यक्रम क्या है?

  • UKIERI का पूरा नाम UK India Education & Research Initiative है.
  • इसके द्वारा संचालित होने वाला कार्यक्रम एक द्विपक्षीय प्रायोगिक कार्यक्रम होगा जिसका ध्येय यूनाइटेड किंगडम के छात्रों को भारत में अध्ययन करने की सुविधा देना है.
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत यूनाइटेड किंगडम के उच्चतर शिक्षा संस्थानों और उनके भारतीय प्रतिभागी संस्थानों को अनुदान दिया जाएगा जिसका प्रयोग यूनाइटेड किंगडम से आने वाले स्नातक छात्रों के लिए शैक्षणिक रूप से कठोर अल्पावधि पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने और उसका लाभ उन छात्रों को देने के लिए किया जाएगा.

कार्यक्रम के उद्देश्य

  • यूनाइटेड किंगडम से पढ़ाई के लिए भारत आने वाले छात्रों की संख्या बढ़ाना.
  • यूनाइटेड किंगडम से आने वाले स्नातक छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय अनुभव प्रदान करते हुए उनको आजीविका के लिए अधिक योग्य बनाना.
  • भारत सरकार के कार्यक्रम “भारत में पढ़ो” के अनुरूप यहाँ के उच्चतर शिक्षा संस्थानों के छात्र समुदायों में विविधता लाते हुए और गहन सांस्थिक भागीदारियों एवं शोध सहयोगों के माध्यम से उनके अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देना.

GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : National Creche Scheme

संदर्भ

1 जनवरी, 2017 से राज्यों/संघीय क्षेत्रों में राष्ट्रीय क्रेच योजना नामक एक केंद्र-संपोषित योजना चल रही है.

राष्ट्रीय क्रेच योजना क्या है?

  • यह एक केंद्र-संपोषित योजना है जिसका कार्यान्वयन भारत सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रालय कर रहा है.
  • इसका उद्देश्य उन माताओं को एक ऐसे सुरक्षित स्थान की सुविधा देना है जहाँ वे अपने काम करते समय बच्चों को रख सकें.
  • इस प्रकार यह योजना महिलाओं को रोजगार में जाने के लिए सशक्त करने वाली योजना है.
  • इस योजना के अंतर्गत छह महीने से लेकर छह वर्ष तक की आयु के बच्चों को सुरक्षित रूप से क्रेच कहे जाने वाले ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहाँ उनके स्वास्थ्य और शिक्षा का भी ध्यान रखा जाता है.
  • क्रेच में बच्चों को पूरक पोषाहार के अतिरिक्त टीके और पोलियो ड्राप भी दिए जाते हैं. साथ ही उनके स्वास्थ्य की भी निगरानी होती है. यहाँ बच्चे आराम से सो भी सकते हैं.
  • 3 से 6 वर्ष के बच्चों को यहाँ स्कूल से पहले वाली शिक्षा दी जाती है और तीन वर्ष से कम के बच्चों को थोड़ा-बहुत पढ़ाया जाता है.

क्रेच चलाने के लिए अर्हता

राज्य सरकार तो क्रेच स्वयं खोल सकती ही है. इसके अतिरिक्त यह काम ऐसे शैक्षणिक संस्थान और महिला मंडल भी कर सकते हैं जिनको बाल कल्याण के क्षेत्र में सेवा का अनुभव है और जो कम से कम पिछले दो वर्षों से सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1860 अथवा लोक न्यास के रूप में पंजीकृत हों. इन गैर-सरकारी क्रेचों के लिए संचालक को सरकार से वित्तीय सहायता मिलेगी.

निधि का बँटवारा

राष्ट्रीय क्रेच योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार, राज्य/संघीय क्षेत्र सरकार तथा गैर-सरकारी संगठनों के बीच निधि का बँटवारा 60:30:10 के अनुपात में होता है. परन्तु पूर्वोत्तर राज्यों और हिमालयी राज्यों के लिए यह अनुपात क्रमशः 80:10:10 और 90:0:10 होता है.


GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : Silk Samagra

संदर्भ

भारत में रेशम उत्पादन के मामले में अग्रणी राज्य तमिलनाडु को सिल्क समग्र नामक रेशम उद्योग विकास की समेकित योजना के अंतर्गत 6.22 करोड़ रुपये आवंटित किये जा रहे हैं.

सिल्क समग्र योजना क्या है?

  • सिल्क समग्र योजना रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय रेशम बोर्ड की योजना है.
  • इस योजना के चार बड़े-बड़े अवयव हैं, जैसे – i) अनुसंधान एवं विकास, प्रशिक्षण, तकनीक हस्तांतरण एवं सूचना तकनीक ii) बीज संगठन iii) समन्वयन एवं बाजार निर्माण तथा iv) गुणवत्ता अभिप्रमाणन प्रणालियाँ (QCS)/निर्यात ब्रांड प्रोत्साहन एवं तकनीक का उत्क्रमण.
  • इस योजना के सर्वप्रमुख उद्देश्य हैं – ब्रीडरों के भंडार का संधारण, अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के माध्यम से ब्रीड में सुधार, मशीन से चलने वाली पद्धतियों का विकास, रेशम के उत्पादन से सम्बंधित सूचना सम्पर्कों एवं ज्ञान प्रणाली (Sericulture Information Linkages and Knowledge System – SILKS) पोर्टल के माध्यम से तकनीक का प्रयोग, हितधारकों और बीज की गुणवत्ता के अनुश्रवन आदि के लिए मोबाइल ऐप का निर्माण.
  • सिल्क समग्र योजना का लक्ष्य है समाज के दलित, पिछड़े, निर्धन (महिला समेत) जनजातीय परिवारों को रेशम की खेती से सम्बंधित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से सशक्त बनाना.

भारत में रेशम उत्पादन

  • भारत में रेशम उत्पादन एक कुटीर उद्योग है जिसमें गाँवों और कस्बों में लोगों को बहुत मात्रा में आजीविका मिलती है और इसमें आय सृजन की व्यापक क्षमता है.
  • अनुमान है कि रेशम उद्योग से लगभग 20 लाख जनों (जिनमें तमिलनाडु के 3.40 जन सम्मिलित हैं) को रोजगार मिलता है.
  • इस उद्योग से लाभान्वित होने वाले लोग आर्थिक रुप से निर्बल होते हैं. यह सब सरकारी योजनाओं का परिणाम है.

केन्द्रीय सिल्क बोर्ड (CSB)

  • केन्द्रीय सिल्क बोर्ड (CSB) संसद के एक अधिनियम के द्वारा 1948 में स्थापित एक वैधानिक निकाय है.
  • यह भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है.

मुख्य तथ्य

  • भारत चीन के बाद रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है.
  • भारत में विश्व में रेशम की खपत सबसे अधिक है.
  • भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ पाँच प्रकार का रेशम बाजार के लिए तैयार होता है. ये हैं – शहतूत, ओक तसर, ऊष्णकटिबंधीय तसर, मूगा और एरी.
  • सुनहला मूगा रेशम सबसे प्रसिद्ध रेशम है जो विश्व-भर में अकेले भारत में ही होता है.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Deep Ocean Mission (DOM)

संदर्भ

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने गहन सागर मिशन (Deep Ocean Mission – DOM) नामक 8,000 करोड़ रुपयों की एक योजना का प्रस्ताव दिया है जिसका ध्येय समुद्र के अन्वेषण में भारत की क्षमताओं को बढ़ाना है.

DOM अभियान के मुख्य तत्त्व

इस अभियान में इन विषयों पर बल दिया जाएगा – गहन समुद्र खनन (deep-sea mining), सामुद्रिक जलवायु में परिवर्तन विषयक पूर्वसूचना सेवाएँ (ocean climate change advisory services), समुद्र-तल से नीचे चलने वाले वाहन (underwater vehicles ) एवं समुद्र-तल के भीतर रोबोटिक तकनीक प्रयोग (underwater robotics related technologies).

इसके अतिरिक्त इस अभियान के दो प्रमुख परियोजनाएँ हैं – ज्वारीय ऊर्जा से संचालित समुद्री जल से लवण को दूर करने वाले एक संयंत्र का निर्माण तथा एक ऐसा वाहन बनाना जो समुद्र-तल के कम से कम 6000 मीटर भीतर जाकर अन्वेषण कार्य सकेगा.

अभियान का महत्त्व

गहन समुद्र अभियान (Deep Ocean Mission – DOM) से भारत ऐसी क्षमता विकसित कर सकेगा जिससे कि वह केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin – CIOB) में उपलब्ध संसाधनों का दोहन कर सके.

ज्ञातव्य है संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) ने भारत को केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन (Central Indian Ocean Basin – CIOB) के अन्दर 75,000 वर्ग किलोमीटर आवंटित किया है. यह आवंटन इस क्षेत्र में बहु-धात्विक अयस्कों (Polymetallic nodules – PMN) की खोज करने के लिए दिया गया है. इस बेसिन में लोहा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं का 380 मिलियन मेट्रिक टन का भंडार हैं.

क्षमता

अनुमान है कि यदि भारत इन भंडारों के 10% भाग का भी दोहन कर ले तो देश की अगले 200 साल की ऊर्जा आवश्यकताएँ पूरी हो जायेंगी.

PMN क्या होता है?

बहु-धात्विक अयस्क, (Polymetallic nodules – PMN) जिसे मैंगनीज नोड्यूल भी कहते हैं, एक आलू के आकर का छिद्रमय अयस्क होता है जो पूरे विश्व में समुद्र-तल बहुत ही सघनता से पाया जाता है. इनमें मैंगनीज के साथ-साथ लोहा, निकल, तांबा, कोबाल्ट, रांगा, मोलिब्डेनम, कैडमियम, वैनेडियम, टाइटेनियम आदि होते हैं. इनमें से निकल, कोबाल्ट और तांबे का बहुत ही बड़ा आर्थिक एवं रणनीतिक महत्त्व है.

अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (ISA) क्या है?

यह एक संयुक्त राष्ट्र (UN) का निकाय है जिसकी स्थापना समुद्रों के अंतर्राष्ट्रीय भागों में उपलब्ध अजैव संसाधनों के अन्वेषण तथा दोहन को नियंत्रित करने के लिए की गई थी. गत वर्ष भारत इस प्राधिकरण की परिषद् का फिर से सदस्य चुना गया था. इसके अलावा इस निकाय के अधीनस्थ विधिक एवं तकनीकी आयोग तथा वित्तीय समिति में भारत के प्रतिनिधियों का चयन हुआ था.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Grid Connected Rooftop Solar Programme

संदर्भ

भारत सरकार ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि वह 2022 तक 40,000 मेगावाट की छतों के ऊपर लगने वाली सौर परियोजनाओं का अधिष्ठापन करेगी जिसमें घरों के ऊपर लगाये गये संयंत्र भी सम्मिलित हैं.

घरों के ऊपर लगने वाला सौर संयंत्र क्या है?

सौर ऊर्जा को बड़े पैमाने पर उत्पादित करने के लिए विशाल संयंत्र अधिष्ठापित किए जाते हैं. साथ ही साथ कुछ ऐसे छोटे-मोटे सौर संयंत्र भी होते हैं जिन्हें घर के छतों पर अथवा वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के भवनों के ऊपर लगाया जाता है. इन संयंत्रों को ही छतों पर लगने वाले सौर संयंत्र कहा जाता है. यदि ऐसा संयंत्र किसी वाणिज्यिक भवन के ऊपर लगा हो तो उसे वाणिज्यिक संयंत्र कहेंगे और यदि किसी निवास-स्थान के ऊपर लगा हो तो उसे रिहायसी संयंत्र कहा जाता है.

रूफटॉप सोलर कार्यक्रम

  • इस कार्यक्रम को 11,814 करोड़ रुपये की कुल केन्‍द्रीय वित्‍तीय सहायता के साथ कार्यान्वित किया जाएगा.
  • कार्यक्रम के दूसरे चरण में आवासीय क्षेत्र के लिए केन्‍द्रीय वित्‍तीय सहायता (सीएफए) का पुनर्गठन किया गया है.
  • इसके तहत 3 किलोवाट तक की क्षमता वाली आरटीएस प्रणालियों के लिए 40 प्रतिशत सीएफए और 3 किलोवाट से ज्‍यादा एवं 10 किलोवाट तक की क्षमता वाली आरटीएस प्रणालियों के लिए 20 प्रतिशत सीएफए उपलब्‍ध कराई जाएगी.
  • ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों/आवासीय कल्‍याण संघों (जीएचएस/आरएडब्‍ल्‍यू) के मामले में साझा सुविधाओं को विद्युत आपूर्ति हेतु आरटीएस संयंत्रों के लिए सीएफए को 20 प्रतिशत तक सीमित रखा जाएगा. हालांकि, जीएचएस/आरएडब्‍ल्‍यू के लिए सीएफए हेतु मान्‍य क्षमता प्रति मकान 10 किलोवाट तक ही सीमित होगी.
  • इसके अंतर्गत अधिकतम कुल क्षमता 500 केडब्‍ल्‍यूपी तक होगी, जिसमें जीएचएस/आरएडब्‍ल्‍यू के अंतर्गत व्‍यक्तिगत मकानों में लगाए गए आरटीएस की क्षमता भी शामिल होगी.
  • आवासीय श्रेणी के तहत सीएफए 4000 मेगावाट की क्षमता के लिए मुहैया कराई जाएगी और यह मानक (बेंचमार्क) लागत या निविदा लागत, इनमें से जो भी कम हो, के आधार पर उपलब्‍ध कराई जाएगी.
  • केन्‍द्रीय वित्‍तीय सहायता अन्‍य श्रेणियों यथा संस्‍थागत, शैक्षणिक, सामाजिक, सरकारी, वाणिज्यिक, औ़द्योगिक इत्‍यादि के लिए उपलब्‍ध नहीं होगी.
  • कार्यक्रम के दूसरे चरण के अंतर्गत वितरण कंपनियों (डिस्‍कॉम) की ज्‍यादा सहभागिता पर फोकस किया जाएगा.

कार्यक्रम के लाभ

  • इस कार्यक्रम का कार्बन डाई ऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन में बचत की दृष्टि से व्‍यापक पर्यावरणीय प्रभाव पड़ेगा.
  • प्रति मेगावाट 5 मिलियन यूनिटों के औसत ऊर्जा उत्‍पादन को ध्‍यान में रखते हुए यह उम्‍मीद की जा रही है कि वर्ष 2022 तक कार्यक्रम के चरण-2 के तहत 38 गीगावाट (जीडब्‍ल्‍यू) की क्षमता वाले सोलर रूफटॉप संयंत्रों की स्‍थापना से प्रति वर्ष कार्बन डाई ऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन में लगभग 45.6 टन की कमी होगी.
  • इस कार्यक्रम में रोजगार सृजन की संभावनाएं भी निहित हैं.
  • इस कार्यक्रम के द्वारा स्‍व-रोजगार को बढ़ावा मिलने के अलावा वर्ष 2022 तक योजना के चरण-2 के अंतर्गत 38 जीडब्‍ल्‍यू की क्षमता वृद्धि हेतु कुशल एवं अकुशल कामगारों के लिए 39 लाख रोजगारों के समतुल्‍य रोजगार अवसर सृजित होने की संभावना है.
  • ऐसे छोटे सौर संयंत्रों का एक बड़ा लाभ यह है कि जिन दूरस्थ स्थानों में बिजली नहीं पहुँचती है वहाँ इनको लगाया जा सकता है.

Prelims Vishesh

American pocket shark, or Mollisquama mississippiensis :

  • पिछले दिनों मैक्सिको की खाड़ी में छोटे शार्क की एक नई प्रजाति का पता चला है जो चमकीला द्रव छोड़ता है.
  • विदित हो कि अभी तक ज्ञात शार्क की 500 प्रातियों में इस तरह का द्रव छोड़ने वाली यह मात्र तीसरी प्रजाति होगी.

Dracaena cambodiana :-

  • असम के डोंग्का सार्पो क्षेत्र में कुछ शोधकर्ताओं ने ड्रेकेना कम्बोडियाना नामक एक ड्रैगन ट्री प्रजाति खोज निकाली है.
  • भारत में ऐसी प्रजाति पहली बार मिली है.
  • पौधों की इस प्रजाति का प्रयोग औषधियों और सजावट में होता है. चीन में इस पौधे से ड्रैगन का रक्त नामक पारम्परिक दवा तैयार होती है.

27 July के DCA में त्रुटि

Prelims Vishesh – Bhabha Kavach :-

2 किलो का यह जैकेट AK-47 राइफल के द्वारा छोड़ी गई 7.62mm की स्टील की गोली को सह सकता है. X

9.2 किलो और कहीं-कहीं इसका भार 6.6 किलो भी बताया जा रहा है.

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