Sansar डेली करंट अफेयर्स, 30 January 2019

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 30 January 2019


GS Paper 2 Source: Indian Express

indian_express

Topic : Difference between a full Budget and an interim Budget

संदर्भ

आगामी फरवरी 1 को भारत सरकार अपना बजट पेश करने जा रही है. 2019 के संसदीय चुनाव के पहले का यह अंतिम बजट होगा. परम्परा यह रही है कि ऐसे अवसर पर पूरा बजट नहीं पेश किया जाता है अपितु एक लेखानुदान (वोट ऑन अकाउंट) पेश किया जाता है. विशेषज्ञों की इस विषय में एक राय नहीं है कि ऐसे अवसर पर पूरा बजट पेश किया जा सकता है अथवा नहीं.

संवैधानिक प्रावधान

संविधान की धारा 266 के अनुसार भारतीय संचित निधि (Consolidated Fund of India) से पैसा निकालने के लिए संसद का अनुमोदन अनिवार्य है. संविधान की धारा 114(3) यह कहती है कि बिना कोई कानून (appropriation bill) पारित किये संचित निधि से कोई राशि नहीं निकाली जा सकती है.

लेखानुदान क्या होता है?

जब बजट संसद् (parliament) में पेश किया जाता है तब उस पर चर्चा काफी लम्बे समय तक चलती है. विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) तथा वित्त विधेयक (finance bill) के पास होने की प्रक्रिया चालू वित्तीय वर्ष (current financial year) के आरम्भ होने के बाद तक चलती रहती है. अतः ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि देश प्रशासन चलाने के लिए सरकार के पास पर्याप्त धन हो. इसके लिए लेखानुदान का उपबंध किया गया है जिसके द्वारा लोक सभा को शक्ति प्राप्त है कि वह बजट की प्रक्रिया पूरी होने तक वित्त वर्ष के एक भाग के लिए पेशगी (advance) अनुदान (grant) दे सकती है. लेखानुदान के अंतर्गत समूचे वर्ष के लिए माँगी गयी अनुमानित व्यय (Estimated expenditure) की राशि के 1/6 भाग के बराबर राशि दो माह के लिए ली जाती है. लेखानुदान में कर प्रावधानों में कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है और मात्र पहले से चालू कार्यक्रमों, वेतन आदि के लिए राशि पारित कराई जाती है. लेखानुदान तब पास होता है जब बजट पर सामान्य चर्चा हो चुकी हो तथा अनुदान माँगें आर चर्चा आरंभ हो चुकी हो.

लेखानुदान कब पेश होता है?

जब संसद् से विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए अनुदान पारित कराने और कराधान में कोई परिवर्तन करने के लिए कम समय बचा हो तो ऐसी दशा में लेखानुदान पेश किया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि नीति  में फेर-बदल करने का अधिकार चुनाव के बाद आने वाली सरकार का होता है. इसलिए तर्क दिया जाता है कि ऐसी स्थिति में बजट के बदले लेखानुदान पारित होना चाहिए.

पूर्ण बजट और लेखानुदान में अंतर

  • पूर्ण बजट में व्यय और राजस्व दोनों का विवरण होता है. किन्तु लेखानुदान मात्र सरकार के व्यय से सम्बंधित होता है.
  • सामान्यतः लेखानुदान दो महीनों के लिए वैध होता है. किन्तु पूर्ण बजट 12 महीनों अर्थात् एक वित्तीय वर्ष के लिए वैध होता है.
  • परिपाटी यह है कि लेखानुदान को औपचारिक प्रक्रिया माना जाता है और लोक सभा में यह बिना चर्चा के पारित हो जाता है. दूसरी ओर सम्पूर्ण बजट किसी चर्चा एवं अनुदान माँग पर मतदान के बिना पारित नहीं होता.

अंतरिम बजट क्या है?

अंतरिम बजट लेखानुदान के समान नहीं होता है क्योंकि जहाँ लेखानुदान सरकार के बजट के मात्र व्यय वाले भाग से सम्बंधित होता है, वहीं अंतरिम बजट में व्यय और प्राप्ति दोनों का वर्णन होता है. हम कह सकते हैं कि अंतरिम बजट सम्पूर्ण वित्तीय स्थिति को प्रतिवेदित करता है, अतः यह सम्पूर्ण बजट से बहुत मिलता-जुलता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Institutes of Eminence Scheme

संदर्भ

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission – UGC) ने किसी संस्थान को ‘उत्कृष्ट संस्थान’ (इंस्टिट्यूट्स ऑफ़ एमिनेन्स) का दर्जा देने विषयक निर्णय को वर्तमान के लिए टाल दिया है क्योंकि इसके लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने सरकार की योजना में विहित प्रावधान से अधिक नाम अनुशंसित कर दिए हैं.

पृष्ठभूमि

उक्त विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष भूतपूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन.गोपालस्वामी हैं. इस समिति ने शुरू में इंस्टिट्यूट्स ऑफ़ एमिनेन्स के दर्जे के लिए जुलाई, 2018 में 11 संस्थानों की अनुशंसा की थी. परन्तु दिसम्बर, 2018 में इस समिति ने 19 और नाम सुझा दिए और इस प्रकार ऐसे संस्थानों की संख्या 30 तक पहुँच गई.

इंस्टिट्यूट्स ऑफ़ एमिनेन्स योजना क्या है?

  • यह योजना भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की है. इसका उद्देश्य भारतीय संस्थानों को वैश्विक मान्यता दिलवाना है.
  • चुने गये संस्थानों को सम्पूर्ण शैक्षणिक एवं प्रशासनिक स्वयत्तता मिलेगी.
  • सरकार इन संस्थानों में से दस को चलाएगी और उन्हें विशेष धनराशि मुहैया कराएगी.
  • उत्कृष्ट संस्थान के रूप में संस्थानों को चुनने के लिए एक विशेष विशेषज्ञ समिति गठित की गई है.
  • उत्कृष्ट संस्थान के रूप में चयन के लिए वही शैक्षणिक संस्थान योग्य माने जाएँगे जिन्हें वैश्विक-स्तर पर शीर्षस्थ 500 संस्थानों में स्थान मिला हुआ है.
  • इसके लिए वह संस्थान भी आवेदन कर सकता है जिसको राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग ढाँचे (NIRF) के अंदर शीर्षस्थ 50 में स्थान मिला है.
  • ‘उत्कृष्ट संस्थान’ के रूप में चुने गए प्रत्येक ‘सार्वजनिक संस्थान’ को पाँच साल की अवधि में 1000 करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता दी जायेगी. निजी संस्थानों को यह वित्तीय सहायता नहीं मिलेगी.
  • इन संस्थानों को विदेशी छात्रों को प्रवेश देने के लिए, विदेशी अध्यापकों को भर्ती करने के सन्दर्भ में अधिक स्वायत्तता प्रदान की जाएगी.
  • उन्हें UGC की अनुमति के बिना शीर्ष 500 विश्व-संस्थानों के साथ अकादमिक सहयोग करने की भी अनुमति प्रदान की जायेगी.

GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : FMCG sector

संदर्भ

चालू वर्ष में FMCG उद्योग (Fast Moving Consumer Goods) में दो अंकों वाला विकास होने की सम्भावना जताई जा रही है. यद्यपि यह वृद्धि पिछले वर्ष की तुलना में कम है. ज्ञातव्य है कि गत वर्ष अच्छी अर्थव्यवस्था और घटी हुई मुद्रास्फीति के कारण इस क्षेत्र को बड़ा लाभ हुआ था.

गत वर्ष की वृद्धि के पीछे GDP की वृद्धि तो थी ही, साथ ही GST प्रणाली के तहत निर्मातागण ने मार्जिन एक्स्पेंसन का लाभ हस्तांतरित किया था.

FMCG क्षेत्र का परिदृश्य

FMCG भारतीय अर्थव्यवस्था का चौथा और सबसे बड़ा क्षेत्र है. भारत में घरेलू और व्यक्तिगत देखभाल से सम्बंधित उत्पादों का विक्रय समग्र FMCG विक्रय का 50% होता है. ऐसा इसलिए हो रहा है कि लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, साथ ही उन्हें उत्पाद सरलता से उपलब्ध हो रहे हैं. इसका यह भी कारण है कि लोगों की जीवनशैली बदल रही है.

सरकार ने खाद्य संस्करण एवं एकल ब्रांड खुदरा बाजार में 100% और कई ब्रांडों वाले खुदरा बाजार में 51% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign Direct Investment – FDI) की अनुमति दे दी है. इसके चलते रोजगार और आपूर्ति शृंखला में वृद्धि हुई है और साथ ही संगठित खुदरा बाजार में FMCG के ब्रांड अधिक दिखने लगे हैं. परिणामतः उपभोक्ता पहले से अधिक खर्च कर रहे हैं और इस खर्च से उत्साहित होकर निर्माता नए-नए उत्पाद बाजार में ला रहे हैं.

FMCG के प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा किये गये उपाय

  • सरकार उपभोक्ता और सुरक्षा विधेयक (Consumer Protection Bill ) लायी है जिसमें एक ऐसे व्यापक तन्त्र की स्थापना पर विशेष बल दिया गया है जिससे कि उपभोक्ताओं को समय पर सरल, तीव्र, सुलभ और सुगम न्याय मिल सके.
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) भी FMCG उद्योग के लिए लाभदायक सिद्ध हुआ है क्योंकि साबुन, टूथपेस्ट और केश तैल जैसे उत्पादों को 23-24% वाले कर कोष्ठक (tax bracket) से हटाकर 18% वाले कर कोष्ठक में डाल दिया गया है.
  • आशा की जाती है कि GST के चलते FMCG क्षेत्र की माल-ढुलाई का स्वरूप बदल जाएगा और वह एक ऐसा आधुनिक और कार्यकुशल मॉडल बन जाएगा जिसके कारण सभी बड़े निगम माल-ढुलाई और गोदाम संधारण के अपने मॉडलों में परिवर्तन ला रहे हैं.

GS Paper 2 Source: PIB

pib_logo

Topic : National Agricultural Higher Education Project (NAHEP)

संदर्भ

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (Indian Council of Agricultural Research – ICAR) ने हाल ही में राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (NAHEP) नामक 1,100 करोड़ की एक परियोजना का अनावरण किया है.

योजना के मुख्य तथ्य

उद्देश्य : इसका उद्देश्य देश में उच्चतर कृषि शिक्षा को सुदृढ़ बनाना और प्रतिभाओं को आकृष्ट करना है.

निधि : इस योजना के लिए विश्व बैंक और भारत सरकार 50:50 के अनुपात में निधि मुहैया करेंगे.

लक्ष्य : इस योजना का लक्ष्य कृषि विद्यालयों और ICAR को कृषि विद्यालयों के छात्रों को अधिक प्रासंगिक और उच्चतर गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में सहयोग देना है. इसके अतिरिक्त सरकार ने कृषि, बाग़वानी, मत्स्यपालन और वानिकी के लिए चार वर्षों वाली डिग्री को एक व्यावसायिक डिग्री की मान्यता दे दी है.


GS Paper 3 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : National Clean Air Programme (NCAP)

संदर्भ

ग्रीन पीस नामक संस्था ने Airpocalypse III शीर्षण के अपने एक प्रतिवेदन में बतलाया है कि भारत में 139 ऐसे शहर हैं जहाँ वायु प्रदूषण निर्धारित मानकों के प्रतिकूल हैं पर उन्हें केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) में शामिल नहीं किया गया है.

ग्रीन पीस के इस प्रतिवेदन में 2017 से सम्बंधित 313 शहरों और कस्बों के वायु प्रदूषण विषयक आँकड़ों का विश्लेषण किया गया है.

प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य

  • ग्रीन पीस द्वारा जिन 313 शहरों के आँकड़े विश्लेषित किये गये हैं, उनमें 241 (77%) में PM10 स्तर नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स (NAAQS) के पार हैं. विदित हो कि NAAQS में वायु में तैरने वाले रसायनों और यौगिकों के लिए ऊपरी सीमा निर्धारित की गई है.
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में 102 शहरों को रखा गया था और शेष 139 शहर छोड़ दिए गये थे. इस रिपोर्ट में उनका भी अध्ययन किया गया है. साथ ही Airpocalypse III रिपोर्ट में 2017 तक का डाटा शामिल हुआ है जबकि सरकारी सूची के 102 शहरों का अध्ययन 2015 तक के औसत प्रदर्शन के डाटा परही आधारित था.
  • यदि 2024 तक NCAP 30% प्रदूषण घटाने में समर्थ भी हो जाए, फिर भी 153 ऐसे शहर छूट जाएँगे जहाँ NAAQS के द्वारा निर्धारित मानक से प्रदूषण का स्तर ऊँचा चल रहा है.
  • जिन 139 शहरों को NCAP में शामिल नहीं किया गया है, उनमें से कई शहर ऐसे हैं जहाँ की आबादी 10 लाख से अधिक है और PM स्तर (2017) NAAQS के मानकों से ऊपर हैं.
  • इन शहरों में कुछ मुख्य शहर ये हैं – रांची, धनबाद (झारखंड); जबलपुर (मध्य प्रदेश); चेन्नई, मदुरै (तमिलनाडु); मेरठ (उत्तर प्रदेश); पिंपरी-चिंदवार, ठाणे, (महाराष्ट्र); सूरत, राजकोट, वडोदरा (गुजरात); और हावड़ा (पश्चिम बंगाल).

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के मुख्य तत्त्व

  • 2017 से लेकर 2024 तक पूरे देश में 5 और PM10 संघनन (concentration) में 20-30% कमी के लक्ष्य को प्राप्त करना.
  • इस कार्यक्रम को पूरे देश में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board – CPCB) वायु (प्रदूषण प्रतिषेध एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1986 के अनुभाग 162 (b) के अनुसार लागू करेगा.
  • इस कार्यक्रम के लिए पहले 2 वर्ष में 300 करोड़ रू. का आरम्भिक बजट दिया गया है.
  • इस कार्यक्रम में 23 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों के 102 शहरों को चुना गया है. इन शहरों का चुनाव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2011 और 2015 की अवधि में इन शहरों की वायु गुणवत्ता से सम्बंधित आँकड़ों के आधार पर किया गया है. इन शहरों में वायु गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों के अनुसार वायु की गुणवत्ता लगातार अच्छी नहीं रही है. इनमें से कुछ शहर ये हैं – दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कोलकाता, नोएडा, मुजफ्फरपुर और मुंबई.
  • इस कार्यक्रम में केंद्र की यह भी योजना है कि वह पूरे भारत मेंवायु गुणवत्ता की निगरानी के नेटवर्क को सुदृढ़ करे. वर्तमान में हमारे पास 101 रियल-टाइम वायु गुणवत्ता मॉनिटर हैं. परन्तु निगरानी की व्यस्था को सुदृढ़ करने के लिए कम से कम 4,000 मॉनिटरों की आवश्यकता होगी.
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में एक त्रि-स्तरीय प्रणाली भी प्रस्तावित है. इस प्रणाली के अंतर्गत रियल-टाइम भौतिक आँकड़ों के संकलन, उनके भंडारण और सभी 102 शहरों मेंएक्शन ट्रिगर प्रणाली की स्थापना अपेक्षित होगी. इसके अतिरिक्त व्यापक रूप से पौधे लगाये जाएँगे, स्वच्छ तकनीकों पर शोध होगा, बड़े-बड़े राजमार्गों की लैंडस्केपिंग की जायेगी और कठोर औद्योगिक मानदंड लागू किये जाएँगे.
  • इस कार्यक्रम के तहत राज्य-स्तर पर भी कई कदम उठाये जाएँगे, जैसे – दुपहिये वाहन का विद्युतीकरण, बैटरी चार्ज करने की व्यवस्था को सुदृढ़ करना, BS-VI मापदंडों को कठोरता से लागू करना, सार्वजनिक यातायात तन्त्र को मजबूत करना तथा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों का तीसरे पक्ष से अंकेक्षण कराना आदि.
  • इस राष्ट्रीय योजना में पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वोच्च समिति, अवर सचिव (पर्यावरण) की अध्यक्षता में एक संचालन समिति और संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति की स्थापना का भी प्रस्ताव है. इसी प्रकार राज्यों के स्तर पर भी परियोजना निगरानी के लिए समितियाँ होंगी जिनमें वैज्ञानिक और प्रशिक्षित कर्मचारी होंगे.

कार्यक्रम के लाभ

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से यह लाभ हुआ है कि वायु प्रदूषण को घटाने के लिए लक्ष्य निर्धारित हो गये हैं जिसके लिए बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी. इन लक्ष्यों से यह लाभ होगा कि उन क्षेत्रों का पता चल जाएगा जहाँ प्रदूषण की समस्या गंभीर है और यह भी पता चलेगा कि वहाँ प्रदूषण घटाने का लक्ष्य पाने के लिए कौन-कौन से कारगर कदम उठाये जाने चाहिएँ.


Prelims Vishesh

Rajasthan Zika strain is endemic to Asia :-

  • राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology) के द्वारा हाल ही में किये गये एक अध्ययन के अनुसार विगत वर्ष में राजस्थान में जिस जिका वायरस ने 159 लोगों को संक्रमित कर दिया था, संभवतः वह भारत में कई वर्षों से फ़ैल रहा था और यह पूरे एशिया में व्याप्त है.
  • अध्ययन में यह भी बताया गया है कि ब्राज़ील के जिका वायरस से भारत वाला जिका वायरस अलग है.
  • जीका वायरस एक ऐसा वायरस है जो डेंगी ज्वर के वायरस, येलो ज्वर के वायरस और वेस्ट नाइल वायरस के समान होता है. इस रोग के वाहक मच्छर का नाम Aedes aegypti है. जब यह मच्छर किसी को काटता है तो उसे यह रोग हो जाता है परन्तु गर्भाशय संक्रमण से भी यह किसी को हो सकता है.
  • वर्तमान में जीका के उपचार के लिए न कोई विशेष तरीका है और न ही कोई टीका उपलब्ध है. इसके रोकथाम के लिए सबसे अच्छा उपाय मच्छरों से बचना और घर के आस-पास जमा जल को निकाल देना है क्योंकि मच्छर उसी में पनपते हैं.

NSDC :

  • रेनो-निसान कंपनी ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के एक समझौता किया है जिसके अनुसार उसके चेन्नई संयंत्र के कर्मचारी भविष्य की तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे.
  • ज्ञातव्य है कि NSDC भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की एक लाभ-रहित कम्पनी है जिसकी स्थापना 2009 में कौशल विकास के लिए की गई थी.

Chin refugees :

  • चकमा समुदाय के आठ संगठनों ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय को एक ज्ञापन दिया है जिसमें अनुरोध किया गया है कि नागरिकता सुधार संशोधन विधेयक, 2016 में अपेक्षित सुधार कर उसमें चिन-शरणार्थियों (Chin refugees) को भी शामिल किया जाए.
  • विदित हो कि चिन समुदाय म्यांमार का एक प्रमुख ईसाई समुदाय है जिसकी जनसंख्या भारत 2 लाख है.
  • मिजोरम में अनुमानतः चिन समुदाय के लोग हैं जोकि म्यांमार की इनकी संख्या का 20% होता है
  • मणिपुर में भी चिन लोग हैं परन्तु उनकी संख्या का पता नहीं है.

Chin-refugees

Ganga Expressway :

  • हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण को अनुमोदन दे दिया है.
  • 600 किमी. लम्बा यह एक्सप्रेसवे प्रयागराज को मेरठ से जोड़ेगा.

Golden langur breeding project in Assam :

  • असम सरकार ने यह घोषणा की है कि वहाँ चल रहा सुनहला लंगूर संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम सफल रहा है.
  • विदित हो कि सुनहला लंगूर वर्तमान में संकटग्रस्त प्रजाति है.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

[vc_message message_box_color=”juicy_pink” icon_fontawesome=”fa fa-file-pdf-o”]December, 2018 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadnew_gif_blinking[/vc_message]
Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]