Sansar डेली करंट अफेयर्स, 30 April 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 30 April 2020


GS Paper 1 Source : Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.

Table of Contents

Topic : The Global Report on Internal Displacement (GRID 2020)

संदर्भ

आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (IDMC) द्वारा निर्गत प्रतिवेदन ‘द ग्लोबल रिपोर्ट ऑन इंटरनल डिसप्लेसमेंट (GRID 2020)’ के अनुसार, भारत में 2019 में लगभग 5 मिलियन लोग विस्थापित हुए थे, जो आज तक विश्व में सर्वाधिक है. IDMC के अनुसार, भारत में विस्थापन उच्च जनसंख्या, सामाजिक और आर्थिक भेद्यता में वृद्धि के कारण है.

विश्व के सन्दर्भ में

  • इस प्रतिवेदन के अनुसार, संघर्षों और आपदाओं के चलते दुनिया में लगभग 33.4 मिलियन लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा. शरणार्थी लगभग 145 देशों में फैले हुए हैं.
  • पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया और प्रशांत जैसे क्षेत्रों में आपदाएँ प्रमुख रूप से विद्यमान थीं. भारत, चीन, बांग्लादेश और फिलीपींस में से प्रत्येक देश में 2019 में 4 मिलियन से अधिक विस्थापन दर्ज किए.
  • दक्षिण एशिया में 2020 में आपदाओं से जुड़े 9.5 मिलियन नए विस्थापन दर्ज किए गए. भारत और बांग्लादेश में मानसून के कारण आई बाढ़ और चक्रवात फानी और बुलबुल उन घटनाओं में से थे, जिन्होंने अधिकांश लोगों को दोनों क्षेत्रों में अपने घरों से भागने पर विवश कर दिया..
  • बांग्लादेश ने वर्ष 2020 में 40,86,520 विस्थापन दर्ज किए. नए विस्थापन वाले अन्य देश अफगानिस्तान (5,78,000), नेपाल (1,21,000) और पाकिस्तान (1,16,000) हैं.

भारत के सन्दर्भ में

  • इस प्रतिवेदन के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून के चलते भारत में 2.6 मिलियन लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा.
  • पिछला वर्ष 1901 के बाद से भारत का सातवां सबसे गर्म वर्ष था और साथ ही मानसून 25 वर्षों में सर्वाधिक था. इन कारणों से इस वर्ष आठ उष्णकटिबंधीय विनाशकारी तूफान आये.
  • अक्टूबर-नवम्बर महीने में महा चक्रवात के कारण विस्थापन जारी रहा और इस चक्रवात ने विशेष रूप से केरल और लक्षदीप द्वीपों को भारी क्षति पहुंचाई.
  • आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में सूखा विस्थापन दर्ज किया गया.
  • प्रतिवेदन में कहा गया है कि मार्च और जून के बीच महाराष्ट्र में पानी की कमी ने लगभग 50,000 किसानों और उनके परिवारों को पशु शिविरों में शरण लेने के लिए विवश कर दिया.
  • प्रतिवेदन में कहा गया है कि मुख्य रूप से त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में पहली छमाही में राजनीतिक और चुनावी हिंसा के चलते 7,600 लोग विस्थापित हो गये.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : ndian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : Constitutional Provisions regarding Minority Educational Institutions

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने NEET परीक्षा (राष्‍ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) को लेकर हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने NEET परीक्षा को सही ठहराते हुए कहा कि देश के सभी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीस, बीडीएस और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में दाखिला परीक्षा के आधार पर होगा. इससे संविधान के अंतर्गत अल्पसंख्यकों को दिए गये अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा.

पृष्ठभूमि

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर समेत अन्य ने NEET के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी और अपने यहां अंडर ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए स्वयं टेस्ट कराने की इजाजत मांगी थी और इसलिए उन्होंने भारतीय चिकित्सा परिषद् एवं भारतीय दंत परिषद् के द्वारा NEET के लिए निकाली गई अधिसूचनाओं को चुनौती दी थी.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि NEET आ जाने से धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक संस्थानों का प्रवेश से सम्बंधित अधिकार एवं अन्य अधिकार छिन जायेंगे.

न्यायालय की टिप्पणियाँ

  • सर्वोच्च न्यायालय ने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर समेत अन्य की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि NEET धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में किसी तरह का दखल नहीं देता है.
  • NEET संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(G), 25, 26, 29 (1) और अनुच्छेद 30 का किसी भी तरह उल्लंघन नहीं करता है.
  • सरकार को सरकारी सहायता प्राप्त अथवा अप्राप्त अल्पसंख्यक/निजी संस्थानों के लिए नियम बनाने का अधिकार है.
  • NEET का प्रावधान देश के हित में किया जा रहा है.

अनुच्छेद 30

  • संविधान का अनुच्छेद 30 कहता है कि सभी धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को यह अधिकार है कि वे अपनी पसंद का शैक्षणिक संस्थान स्थापित करें और उसे चलायें.

अनुच्छेद 30(1)

  • अनुच्छेद 30(1) के अनुसार, अल्पसंख्यकता का आधार मात्र भाषा अथवा धर्म हो सकता है, न कि नस्ल या जाति.
  • यह अनुच्छेद अल्पसंख्यकों को शिक्षा संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार देता है. वस्तुतः यह किसी अलग संस्कृति के संरक्षण में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को मान्यता देता है. एक बहुसंख्यक समुदाय भी एक शैक्षणिक संस्थान खोल और चला सकता है, परन्तु उसे अनुच्छेद 30(1)(a) में वर्णित विशेष अधिकार नहीं मिलेंगे.

अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को दिए गये विशेष अधिकार

  • अनुच्छेद 30(1)(a) धार्मिक अल्पसंख्यक संस्थानों (Minority Educational Institutions – MEIs) को विशेष अधिकार प्रदान करता है. इसके अनुसार अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को दिया गया शैक्षणिक अधिकार वस्तुतः एक मौलिक अधिकार है. यदि ऐसे संस्थान की संपदा सरकार ले लेती है तो उस संस्थान को उचित क्षतिपूर्ति दी जायेगी जिससे वह किसी और जगह पर शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर सके.
  • अनुच्छेद 15(5) के अनुसार, ऐसे संस्थानों में आरक्षण लागू नहीं होता है.
  • शिक्षा अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के अनुसार इन संस्थानों से यह अपेक्षा नहीं होती कि वे आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नामांकन में 25% तक आरक्षण दें.
  • सेंट स्टीफेंस बनाम दिल्ली विश्वविद्यालय वाद, 1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी थी कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान अल्पसंख्यकों के लिए 50% सीट आरक्षित कर सकते हैं.
  • TMA पई एवं अन्य बनाम कर्नाटक सरकार एवं अन्य, 2002 वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी थी कि MEI प्रवेश के लिए अलग प्रक्रिया अपना सकते हैं यदि यह प्रक्रिया पारदर्शी, न्यायोचित और मेधा पर आधारित हो. ऐसे संस्थान अपनी ओर से अलग ढंग के शुल्क लगा सकते हैं परन्तु वे कैपिटेशन शुल्क नहीं ले सकते हैं.

NEET क्या है?

चिकित्सा शिक्षा से जुड़े कोर्स में प्रवेश के लिए NEET की परीक्षा अनिवार्य है. विदित हो कि साल 2016 से पहले मेडिकल कोर्स में दाखिला AIPMT अर्थात् ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट के आधार पर होता था. इसी आधार पर मेडिकल के छात्रों को MBBS और BDS जैसे कोर्स में दाखिला मिलता था. लेकिन, साल 2016 के बाद रास्ट्रीय स्तर पर सिर्फ एक परीक्षा का आयोजन होने लगा है जो NEET है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : mportant International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Petersberg Climate Dialogue

संदर्भ

हाल ही में भारत ने प्रथम ‘वर्चुअल पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद’ (Virtual Petersburg Climate Dialogue- VPCD) में 30 देशों के साथ जलवायु परिवर्तन से संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श किया. विदित हो कि यह VPCD ‘पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद’ का 11वाँ सत्र था.

पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद क्या है?

  • ‘पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद’ (Petersberg Climate Dialogue- PCD) को वर्ष 2010 में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की पहल पर शुरू किया गया था.
  • वर्ष 2009 में कोपेनहेगन जलवायु वार्ता के प्रभावी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचने के पश्चात् से PCD को प्रारंभ किया गया.
  • इसकी जिसकी मेजबानी वर्ष 2010 से जर्मनी द्वारा की जा रही है.
  • इस संवाद की प्रमुख विशेषता यह है कि UNFCCC के आगामी सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाला देश PCD की सह-आतिथ्य करता है.

PCD का लक्ष्य एवं उद्देश्य

  • PCD का लक्ष्य मंत्रियों के मध्य घनिष्ठ और रचनात्मक संवाद हेतु एक मंच प्रदान करना था.
  • PCD जलवायु के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय विचार-विमर्श और जलवायु संबंधी कार्रवाई की उन्नति पर केंद्रित अनौपचारिक उच्च-स्तरीय राजनीतिक चर्चाओं के लिए एक मंच प्रदान करता है.

11वाँ पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद

  • 11वें ‘पीटर्सबर्ग जलवायु संवाद’ की सह-अध्यक्षता जर्मनी और  ब्रिटेन द्वारा की गई है
  • ज्ञातव्य है कि ब्रिटेन ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन’ (United Nations Framework Convention on Climate Change (UNFCCC) के आगामी कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़- 26 (Conference of Parties 26- COP 26) का अध्‍यक्ष है.
  • संवाद में लगभग 30 देशों के मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने शिरकत की.

संवाद का मुख्य एजेंडा

  • वर्चुअल संवाद का मुख्य उद्देश्य इस बात पर चर्चा करना था कि सामूहिक लोचशीलता को संवर्द्धित करने तथा जलवायु परिवर्तन कार्यवाई की दिशा में कैसे कार्य किया जाए.  
  • इस संवाद का मुख्य एजेंडा है कि असहाय लोगों का सहयोग करते हुए COVID-19 महामारी के पश्चात् अर्थव्‍यवस्‍थाओं और समाजों में उत्पन्न चुनौतियों का सामूहिक रूप से कैसे सामना किया जाए.

संवाद का महत्त्व

यह संवाद इसलिये आवश्यक है क्योंकि इसका आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है जहाँ एक ओर विश्व COVID-19 महामारी से जूझ रहा है वहीं दूसरी ओर UNFCCC के अंतर्गत अपनाए गए ‘पेरिस समझौते’ पर वर्ष 2020 के पश्चात् (Post-2020 Period) अपनाई जाने वाली रणनीति की तैयारी कर रहा है.

संवाद में भारत द्वारा रखे गए पक्ष

  • पर्यावरण संबंधी प्रौद्योगिकी तक सभी की मुक्‍त रूप से तथा कम दाम पर उपलब्‍धता होनी चाहिये.
  • विकासशील विश्‍व को तत्‍काल प्रभाव से 1 ट्रिलियन डॉलर अनुदान देने की योजना तैयार करनी चाहिये.
  • विश्‍व को सतत् जीवन शैलियों की आवश्‍यकतानुरूप उपभोग की अधिक टिकाऊ परिपाटियों को अपनाने पर विचार करना चाहिये.
  • नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग में तीव्रता लाने और नवीकरणीय ऊर्जा तथा ऊर्जा दक्षता क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल नए रोज़गारों को सृजित करने पर बल देने की जरूरत है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Global Terrorism Index (GTI)

संदर्भ

नीति आयोग (Niti Aayog) ने अपने एक प्रतिवेदन में ऑस्ट्रेलिया के ‘इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक एंड पीस’ (Institute for Economics and Peace-IEP) द्वारा जारी ‘वैश्विक आतंकवाद सूचकांक’ (Global Terrorism Index-GTI) 2019 की कार्यप्रणाली (Methodology) पर प्रश्नचिह्न लगाए हैं.

मुख्य तथ्य

  • ज्ञातव्य है कि वैश्विक आतंकवाद सूचकांक, 2019 में भारत को 7वाँ स्थान मिला है, अर्थात् इस सूचकांक के अनुसार, भारत विश्व में आतंकवाद से प्रभावित देशों में 7वें स्थान पर है.
  • इस सूचकांक में भारत को विश्व के संघर्षग्रस्त देशों जैसे – डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, दक्षिण सूडान, सूडान, बुर्किना फासो, फिलिस्तीन और लेबनान आदि से भी ऊपर रखा गया है.
  • नीति आयोग के प्रतिवेदन में IEP की अपारदर्शी वित्तपोषण पर भी प्रश्न उठाए गए हैं. प्रतिवेदन में कहा गया है कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार के चैरिटीज़ एंड नॉट-फॉर-प्रॉफिट कमीशन (Charities and Not-for-profits Commission) ने IEP के फंडिंग स्रोतों के विषय में भी कोई डेटा उपलब्ध नहीं किया है.
  • नीति आयोग के अनुसार, IEP द्वारा इस सूचकांक को तैयार करने के लिए आतंकवाद से संबंधित जिस डेटाबेस का प्रयोग किया जाता है वह पूर्णरूपेण अवर्गीकृत मीडिया प्रतिवेदनों के आधार पर तैयार होता है.
  • आयोग के अनुसार, IEP द्वारा निर्गत वर्ष 2019 का सूचकांक बताता है कि संगठन में 24 कर्मचारी और 6 वॉलंटियर है, जिसके चलते यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि किस प्रकार संगठन 163 देशों से आँकड़े एकत्रित करता है और फिर उनका विश्लेषण करता है.

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक, 2019 

  • वैश्विक आतंकवाद सूचकांक 2019 के अनुसार, वर्ष 2014 के पश्चात् अब तक आतंकवाद के कारण होने वाली मौतों की संख्या में 52% की कमी देखने को मिली है, जो कि 33,555 से घटकर 15,952 हो गई हैं.
  • GTI के अनुसार, आतंकवाद से होने वाली मृत्यु में कमी के कारण आतंकवाद के वैश्विक आर्थिक प्रभाव में भी कमी आई है, जो कि वर्ष 2018 में 38 प्रतिशत घटकर 33 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुँच गया है.
  • इस सूचकांक में प्रथम स्थान अफगानिस्तान को मिला है, जिसका अर्थ है कि अफगानिस्तान विश्व में आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देश है. वहीं इस सूचकांक में अंतिम स्थान बेलारूस (Belarus) को प्राप्त हुआ है, इस प्रकार बेलारूस आतंकवाद की दृष्टि से काफी सुरक्षित देश है.
  • भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान को 5वाँ, चीन को 42वाँ, बांग्लादेश को 31वाँ, नेपाल को 34वाँ, श्रीलंका को 55वाँ, भूटान को 137वाँ और म्याँमार को 26वाँ स्थान प्राप्त हुआ है.

वैश्विक आतंकवाद सूचकांक

  • वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (GTI) ऑस्ट्रेलिया स्थित ‘इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक एंड पीस’ (Institute for Economics and Peace-IEP) द्वारा हर वर्ष निर्गत किया जाता है.
  • इसमें वैश्विक स्तर पर आतंकवाद से संबंधित आँकड़ों के साथ-साथ विभिन्न देशों को आतंकवाद की स्थिति के आधार पर रैंकिंग भी दी जाती है.
  • IEP द्वारा निर्गत किये जाने वाले सूचकांक में मुख्य रूप से मैरीलैंड विश्वविद्यालय (University of Maryland) के वैश्विक आतंकवाद डेटाबेस (GTD) का प्रयोग किया जाता है.

सूचकांक का महत्त्व

  • यह सूचकांक किसी एक देश में आतंकवाद की स्थिति को दिखलाता है, जो कि देश के अन्य विभिन्न क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है, इसलिए इस सूचकांक का महत्त्व बहुत बढ़ जाता है.
  • वैश्विक आतंकवाद सूचकांक के अंक को प्रत्यक्ष रूप से ‘ग्लोबल पीस इंडेक्स’ (Global Peace Index) और वैश्विक दासता रिपोर्ट (Global Slavery Report)’ में प्रयोग किया जाता है.
  • वहीं यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्द्धी सूचकांक (travel and tourism competitiveness index), वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक (Global Competitiveness Index) और सेफ सिटीज़ इंडेक्स (Safe Cities Index) में GTI का अंक अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग किया जाता है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Study on China dams brings the Brahmaputra into focus

संदर्भ

मेकांग नदी के ऊपरी भाग में चीन की गतिविधियाँ विवाद का विषय रही हैं, परन्तु पिछले दिनों हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि वह उस नदी पर बाँध बनाने के प्रयास में है जिससे लाखों लोगों की आजीविका नष्ट होने की संभावना है. यह अध्ययन Eyes on Earth नामक एक शोध एवं परामर्श करने वाले प्रतिष्ठान ने किया है, जो अमेरिका द्वारा वित्त पोषित है.

इस अध्ययन का प्रतिवेदन संयुक्त राष्ट्र-समर्थित एक बहुराष्ट्रीय भागीदारी वाली संस्था ने प्रकाशित किया है जिसमें अमेरिका के अतिरिक्त कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और वियेतनाम भी सम्मिलित हैं.

मुख्य निष्कर्ष

  • चीन ने 90 के दशक में सबसे पहले ऊपरी मेकांग पर बाँध बनाया था और ऐसे बाँधों की संख्या 11 हो गई है. पनबिजली बनाने के लिए चीन उस नदी पर और भी बाँध बनाना चाहता है.
  • इन बांधों के चलते मेकांग का बहुत सारा जल चीन में ही रह जाता है और इसके चलते पिछले वर्ष दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में भयंकर सूखा पड़ा था.
  • चीन ने मेकांग नदी के प्राकृतिक प्रवाह में भी हेर-फेर किया है जिस कारण वर्ष के अधिकांश भाग में मेकांग के निचले भागों में नदी का स्तर न्यूनतम हो गया है.
  • कभी-कभी इन बाँधों अप्रत्याशित रूप से पानी छोड़ा जाता है जिससे मेकांग की निचली घाटियों में रहने वाले समुदायों को क्षति पहुँचती है.

भारत को क्या चिंता करनी चाहिए?

मेकांग नदी भारत से हो कर नहीं बहती है इसलिए प्रत्यक्ष रूप से भारत को चिंतित नहीं होना चाहिए. परन्तु ब्रह्मपुत्र पर भी चीन इसी प्रकार की गतिविधियाँ चलाता है जिससे भारत पर सीधा प्रभाव पड़ता है. 2015 में चीन ने ज़न्गमू में ब्रह्मपुत्र पर पहली पनबिजली परियोजना आरम्भ की और अब दागु, जिएकू और जियाचा में नए बाँध बनाए जा रहे हैं. राहत की बात यह है कि भारत में बहने वाला ब्रह्मपुत्र अपने जल के लिए ऊपरी प्रवाह पर पूर्णतः निर्भर नहीं है और इसकी 35% घाटी भारत में ही पड़ती है.

मेकांग नदी

  • मेकांग विश्व की प्रमुख नदियों में से है जो तिब्बत से शुरु होकर चीन के युनान प्रान्त, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस तथा कम्बोडिया से होकर बहती है.
  • लंबाई (4,350 किलोमीटर) के अनुसार यह विश्व की 13वीं सबसे बड़ी नदी है और प्रवाह के आयतन दर के अनुसार 10वीं.
  • बहाव में अनियतता तथा जलप्रपातों के कारण से इसका अधिकांश भाग नौकाओं के लिये अगम्य है.
  • इस नदी पर ही लगभग 200 मिलियन किसानों और मछुआरों की आजीविका निर्भर है.

GS Paper 2 Source : Business Standard

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Asia-Pacific Economic Cooperation (APEC)

संदर्भ

अनुमान है कि COVID-19 के कारण एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) से जुड़े क्षेत्र में 2020 में 2.7% आर्थिक गिरावट होगी. 2009 में हुई आर्थिक गिरावट (लगभग शून्य वृद्धि दर) के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट होगी.

इसके कारण 2020 में बेरोजगारी की दर गत वर्ष के 3.8% से बढकर 5.4% हो जायेगी. इसका अर्थ यह हुआ कि इस वर्ष 23.5 मिलियन अतिरिक्त श्रमिक बेरोजगार हो जायेंगे.

2021 में आर्थिक स्थिति में सुधार

अनुमान है कि 2021 में आर्थिक स्थिति पटरी पर लौट आयेगी और वृद्धि की दर 6.3% हो जायेगी. पर यह सब इस पर निर्भर है कि कितनी कुशलता से COVID-19 महामारी के दूसरे दौर से बचा जाएगा और अर्थव्यवस्था को उत्प्रेरित करने के लिए कौन-से उपाय किये जायेंगे.

APEC क्या है?

  • APEC का फुल फॉर्म Asia-Pacific Economic Cooperation है. यह एक क्षेत्रीय आर्थिक मंच है जिसकी स्थापना 1989 में हुई थी.
  • इसमें 21 देश सदस्य हैं. इनके नाम हैं – ऑस्ट्रेलिया; ब्रुनेई दारुस्सलाम; कनाडा; चिली; चीन जनवादी गणराज्य; हांगकांग, चीन; इंडोनेशिया; जापान; कोरिया गणराज्य; मलेशिया; मेक्सिको; न्यूजीलैंड; पपुआ न्यू गिनी; पेरू; फिलीपींस; रूसी संघ; सिंगापुर; चीनी ताइपी; थाईलैंड; संयुक्त राज्य अमरीका; वियतनाम. इन 21 देशों की जनसंख्या का विश्व की जनसंख्या के लगभग 40% के बराबर है.
  • विश्व की सम्पूर्ण की GDP का 54%इन देशों के पास है और साथ ही विश्व व्यापार का 44% इन्हीं देशों के बीच होता है.
  • इसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लोगों की खुशहाली में वृद्धि करना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए APEC जिन वस्तुओं को बढ़ावा देता है, वे हैं – संतुलित, समावेशी, सतत, नवप्रवर्तक, सुरक्षित वृद्धि और आर्थिक एकसूत्रता.

APEC के कार्य

  • APEC एशिया-प्रशांत के सभी निवासियों को बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था में भागीदारी करने में सहायता पहुँचाती है.
  • यह ग्रामीण समुदायों के लिए डिजिटल कौशल प्रशिक्षण देने तथा महिलाओं को अपने उत्पादों को विदेश में निर्यात करने में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है.
  • APEC जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझते हुए सभी देशों को ऊर्जा की बचत करने तथा जंगल और सामुद्रिक संसाधनों के सतत प्रबन्धन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है.
  • APEC सदस्य देशों को अपने ढंग से इन विषयों में कार्यवाई करने की छूट देता है – आपदा, महामारी और आतंकवाद.

Prelims Vishesh

VIDYADAAN :-

  • ई-ज्ञानार्जन के लिए विषयवस्तु आमंत्रित करने के लिए केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय कार्यक्रम का अनावरण किया है जिसमें विद्यालय शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा दोनों के लिए ई-ज्ञानार्जन संसाधन जुटाने के लिए व्यक्तियों और संगठनों को आमंत्रित किया जाएगा.
  • संकलित पाठ्य सामग्री का दीक्षा ऐप पर प्रयोग होगा और इससे किसी भी समय और कहीं देश-भर के बच्चे अपना ज्ञानार्जन जारी रखेंगे.

Kasowal Bridge :-

  • पाकिस्तान से लगी सीमा के किनारे-किनारे पंजाब के कसोवाल क्षेत्र को जोड़ने के लिए रावी नदी पर एक स्थाई पुल बना हुआ है जिसकी लम्बाई 484 मीटर है.
  • इसका निर्माण सीमा सड़क संगठन (Borders Roads Organization) ने किया है.
  • इस पुल का बड़ा सामरिक महत्त्व है.

Education for Justice :-

  • अपराधों की रोकथाम के विषय में अगली पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ड्रग एवं अपराध कार्यालय ने एक पहल चलाई है जिसका नाम न्याय के लिए शिक्षा (E4J) है.
  • इस पहल के अंतर्गत प्राथमिक, माध्यमिक एवं उसके ऊपर के स्तरों पर पढ़ाई के समय बच्चों को सिखाया जाएगा कि कानून पर चलना चाहिए. इससे आशा की जाती है कि अपराधों की रोकथाम में सहायता मिलेगी.

Team Mask Force :-

COVID-19 से लड़ाई में मास्क का बड़ा महत्त्व है. लोग मास्क लगायें और महामारी से बचें, यह सन्देश देने के लिए भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) ने एक विडियो बनाया है जिसमें  देश के जाने-माने क्रिकेटर मास्क लगाने का सन्देश देंगे.

Noor satellite :

  • पिछले दिनों ईरान के क्रांतिकारी रक्षक सेना (Revolutionary Guard Corps) ने एक सैन्य उपग्रह छोड़ा है.
  • इस उपग्रह को अनेक चरणों वाले कासेद नामक राकेट से छोड़ा है.

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