Sansar डेली करंट अफेयर्स, 28 November 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 28 November 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Topic : What are starred questions?

संदर्भ

लोकसभा ने हाल ही में प्रश्नकाल में सभी 20 सवालों के जवाब देकर नया रिकॉर्ड बनाया. संभवत: यह पहला अवसर है, जब संसद के निचले सदन में प्रश्नकाल में सभी सवाल लिए जा सके हैं. लोकसभा अध्यक्ष ने इस उपलब्धि के लिए सभी को बधाई दी. विदित हो कि 1972 में पांचवीं लोकसभा के चौथे सत्र से हर प्रश्नकाल में तारांकित प्रश्नों की सूची में सवालों की संख्या 20 सीमित कर दी गई थी.

प्रश्‍नों के प्रकार

सदस्यों को संबंधित मंत्रियों के विशेष संज्ञान के दायरे में लोक महत्व के विषय से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रश्न पूछने का अधिकार होता है. प्रश्न चार प्रकार के होते है –

तारांकित प्रश्नः- तारांकित प्रश्न वह होता है जिसका सदस्य सभा में मंत्री से मौखिक उत्तर चाहता है और पहचान के लिए उस पर तारांक बना रहता है. ऐसे प्रश्न के उत्तर के पश्चात् सदस्यों द्वारा उस पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं.

अतारांकित प्रश्नः- अतारांकित प्रश्न वह होता है जिसका लिखित उत्तर सदस्यों द्वारा मांगा जाता है और मंत्री द्वारा सभा पटल पर रखा मान लिया जाता है. इस प्रकार इसे मौखिक उत्तर के लिए नहीं पुकारा जाता है और इस पर कोई अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछा जा सकता.

अल्प सूचना प्रश्नः- अल्प सूचना प्रश्न सदस्य अविलम्बनीय लोक महत्व से संबंधित प्रश्न की सूचना मौखिक उत्तर हेतु दे सकता है और जिसे एक सामान्य प्रश्न हेतु विनिर्दिष्ट 10 दिन की सूचनावधि से कम अवधि के भीतर पूछा जा सकता है. ऐऐ प्रश्न को अल्प सूचना प्रश्न के नाम से जाना जाता है.

निजी सदस्यों के लिए प्रश्नः- ये प्रश्न (लोक सभा मे प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 40 के अधीन) निजी सदस्य को संबोधित भी किए जा सकते हैं बशर्ते कि उस प्रश्न की विषयवस्तु किसी विधेयक, संकल्प या सभा में कार्य संचालन से संबंधित अन्य मामले से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदायी है. ऐसे प्रश्नों से संबंधित प्रक्रिया वही है जो मंत्री को संबोधित प्रश्नों में अपनायी जाती है और इसमें वे परिवर्तन किए जा सकते हैं जैसा अध्यक्ष आवश्यक समझे.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Topic :  Rules for the Conduct of Business

संदर्भ

हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा दो सदस्यों को अनियंत्रित आचरण के कारण सदन से निलंबित किया गया है.

मुख्य बिंदु

  • लोकसभा अध्यक्ष द्वारा दो सांसदों का उनके अनियंत्रित आचरण तथा लोकसभा की कार्यवाही में व्यवधान पैदा करने के कारण निलंबित किये जाने से सांसदों के आचरण संबंधी मुद्दे पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है.
  • लोकसभा अध्यक्ष को यह अधिकार ‘लोकसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम’ (The Rules of Procedure and Conduct of Business) के अंतर्गत प्रदान किया गया है.

नियम 373 और 374

लोकसभा के नियम 373 एवं 374 में सदन के अध्यक्ष को उस सदस्य को तत्काल सभा से बाहर चले जाने का निर्देश देने का अधिकार है जिसके व्यवहार से सदन में अव्यवस्था या शांति भंग हो रही हो, अध्यक्ष यदि आवश्यक समझे तो वह उस सदस्य का नाम ले सकेगा जो अध्यक्ष पीठ के प्राधिकार की उपेक्षा करे या जो हठपूर्वक और जान बूझकर सभा के कार्य में बाधा डालकर सभा के नियमों का दुरुपयोग कर रहा हो.

जिस सदस्य इस तरह हटने का आदेश दिया जाए उससे अपेक्षित होता है कि वह तुरंत हट जाए और उस दिन की अवशिष्ट बैठक के समय तक अनुपस्थित रहे.

नियम 374(क) क्या है?

लोक सभा के प्रक्रि‍या तथा कार्य-संचालन नि‍यमों के नि‍यम 374 क में प्रावधान है कि‍ कि‍सी सदस्‍य द्वारा अध्‍यक्ष के आसन के नि‍कट आकर अथवा सभा में नारे लगाकर या अन्‍य प्रकार से सभा की कार्यवाही में बाधा डालकर लगातार और जानबूझकर सभा के नि‍यमों का दुरूपयोग करते हुए घोर अव्‍यवस्‍था उत्‍पन्‍न कि‍ए जाने की स्‍थि‍ति‍ में अध्‍यक्ष द्वारा सदस्‍य का नाम लि‍ए जाने पर वह सभा की सेवा से लगातार पांच बैठकों के लि‍ए या सत्र की शेष अवधि‍ के लि‍ए, जो भी कम हो, स्‍वत: नि‍लंबि‍त हो जाएगा.

इस नियम का उपयोग पहली बार लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने 2013 में किया था.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Global Housing Technology Challenge

संदर्भ

केंद्र सरकार ने प्रधानमन्त्री आवास योजना (शहरी) के लिए क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी सर्विसेज अवास पोर्टल (CLAP) का अनावरण किया है.

पोर्टल को केंद्रीय आवास मामलों के मंत्रालय और राज्य सरकारों के बीच वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी प्रतिस्पर्धा के तहत लाइटहाउस परियोजनाओं के निर्माण हेतु समझौतों पर हस्ताक्षर करने के साथ लॉन्च किया गया.

वैश्विक आवास प्रौद्योगिकी प्रतिस्पर्धा क्या है?

इसके तहत सरकार विश्व की सर्वश्रेष्ठ टेक्नोलॉजिकल मदद से रिकार्ड समय में घर बनाएगी.  नई आपदाओं से उबरने में सक्षम, पर्यावरण के अनुकूल, किफायती एवं त्‍वरित निर्माण प्रौद्योगिकियों की तलाश करना इस प्रतिस्पर्धा का प्रमुख उद्देश्य है. सरकार तीन माह में घर बनाने की दिशा में काम कर रही है. इससे समय के साथ ही निर्माण में आने वाली लागत में बचत हो सकेगी. इसके लिए सरकार देशी-विदेशी फर्मों से टेक्नोलॉजी मदद हासिल करेगी.

प्रतिस्पर्धा के तीन संघटक

  • ग्रैंड एक्‍स्पो-कम-कॉन्‍फ्रेंस का संचालन/आयोजन करना
  • दुनियाभर की प्रमाणित प्रदर्शनीय प्रौद्योगिकियों की पहचान करना
  • चुनिंदा IIT में इन्क्यूबेशन सेंटर्स की स्थापना कर संभावित प्रौद्योगिकियों को प्रोत्‍साहन देना

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी (PMAY-Urban) के अंतर्गत वैश्विक आवास-निर्माण प्रौद्योगिकी से सम्बंधित एक चुनौती का अनावरण किया है.

  • इस चुनौती का उद्देश्य सस्ते घरों के निर्माण की गति को तीव्र करना है जिससे 2022 तक 1.2 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके.
  • इस चुनौती में ASHA अर्थात् Affordable Sustainable Housing Accelerators के सहयोग से गृह-निर्माण परियोजनाओं के लिए अनुभवसिद्ध तकनीक का पता लगाना है.

चुनौती में निहित उद्देश्य

  • इस चुनौती का उद्देश्य ऐसी निर्माण-तकनीकों का पता लगाना है जो सस्ती हों और घर बनाने में तीन महीने से भी कम का समय लेती हों. विदित हो कि गृह-निर्माण में सामन्यतः तीन वर्ष लगते हैं.
  • इसका उद्देश्य प्रधानमन्त्री आवास योजना – शहरी के अंतर्गत बड़े पैमाने पर होने वाले निर्माण-कार्य में व्यापक बदलाव लाया जाए और इसके लिए विश्व-भर में प्रचलित सर्वोत्कृष्ट निर्माण-तकनीक का प्रयोग किया जाए.

PMAY-Urban क्या है?

प्रधानमन्त्री आवास योजना (शहरी) एक निर्माण कार्यक्रम है जिसका अनावरण आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (MoHUPA) द्वारा किया गया है.

  • सरकार का यह मिशन है कि 2022, जब भारत के स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जायेंगे, तक सभी शहरों में सभी के लिए आवास हो जाए.
  • इस योजना के लाभार्थी वे गरीब लोग, EWS (Economically Weak Sections) के नीचे के लोग और LIG (Low Income Group) के लोग होंगे.
  • यह योजना तीन चरणों में पूरी की जायेगी
  1. पहले चरण में अप्रैल 2015 से मार्च 2017 में 100 शहरों में ऐसे आवास बनाए जायेंगे.
  2. दूसरे चरण में अप्रैल 2017 से मार्च 2019 में 200 और शहरों को लिया जायेगा.
  3. तीसरे चरण में अप्रैल 2019 से मार्च 2022 में बाकी शहर इस योजना में शामिल किये जायेंगे.
  • योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को आवास बनाने के लिए एक लाख रु. दिया जाता है.
  • यदि लाभार्थी अपने आवास का जीर्णोद्धार (renovation) करना चाहे तो उसको डेढ़ लाख रु. का ऋण भी दिया जाता है.
  • इस ऋण पर 15 साल तक के लिए 5% की घटी हुई दर पर सूद लिया जाता है.

योजना का माहात्म्य

  • इस योजना से कई क्षेत्रों को आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा.
  • एक करोड़ घर बनने का अर्थ है कि इसके लिए दो लाख करोड़ रु. के गृह ऋण का वितरण अवश्य होगा. साथ ही इस कार्य को पूरा करने में 80 से 100 मिलियन टन सीमेंट और 10 से 15 मिलियन टन इस्पात की आवश्कता होगी जिससे अर्थव्यवस्था पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा.
  • एक करोड़ घर बनाने में लगभग 4 बिलियन वर्ग फीट जमीन जमीन लगेगी.
  • उपर्युक्त कारणों से संभावना है कि जब तक यह योजना चलेगी तब तक 9 से 10 करोड़ रोजगार के मौके मिलेंगे.

चुनौतियाँ

यह योजना अत्यंत विशाल योजना है परन्तु इसमें कई बाधाएँ भी हैं. कई बार अच्छी जगह जमीन नहीं मिलती है तो कहीं अपने ब्रांड की साख में क्षति अनुभव करते हुए निजी भवन निर्माता उत्साह से भाग नहीं लेते हैं. बोली लगाने कि प्रणाली, लागत एवं काम पूरा करने की समय-सीमा की कठोरता आदि ऐसे कई कारण हैं जिनसे भवन-निर्माण का कार्य उतनी तेजी से हो रहा है और इसके परिणामस्वरूप निर्माण की सामग्री थोक-भाव में उपलब्ध नहीं होने के कारण लागत भी बढ़ती जा रही है. इसके अतिरिक्त नई तकनीक के अभाव में उत्पादकता, लागत क्षमता एवं गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.

आगे की राह

प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी के तहत मकानों की बड़ी माँग सामने आ रहे हैं.  इस माँग को परंपरागत तकनीक के जरिये पूरा करना संभव प्रतीत नहीं होता है. देश में नए मकानों की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए क्षेत्र में नवाचार बेहद जरूरी है.इसलिए, ऐसी तकनीक की जरूरत है जिसमें तेजी और सस्ता निर्माण किया जा सका. प्रधानमंत्री आवास योजना भवन निर्माण के क्षेत्र में व्यापक संभावनायें उपलब्ध हैं. पूरी दुनिया से ऐसी तकनीक तलाशी जानी चाहिये जो भारतीय जरूरतों और परिस्थितियों के लिये अनुकूल हो.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism.

Topic :  What is the Bodoland dispute?

संदर्भ

केंद्र ने असम के बोड़ो उग्रवादी संगठन (National Democratic Front of Bodoland – NDFB) पर लगे प्रतिबंध को अगले पांच वर्षो के लिए बढ़ा दिया है. केंद्र का कहना है कि संगठन लगातार हिंसक गतिविधियों के साथ-साथ रंगदारी मांगने जैसी आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहा है. यही नहीं, वह भारत विरोधी ताकतों के साथ मिलकर देश की संप्रभुता के लिए खतरा भी पैदा कर रहा है. अधिसूचना के अनुसार, ‘गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम-1967′ की धारा 3 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार केंद्र सरकार एनडीएफबी को उसके सभी समूहों, गुटों और अग्रिम संगठनों के साथ गैरकानूनी संगठन घोषित करती है.’

बोड़ो कौन हैं?

  • बोड़ोपूर्वोत्तर भारत के असम राज्य के मूल निवासी हैं और भारत की एक महत्वपूर्ण जनजाति हैं. बोड़ो समुदाय स्वयं एक बृहत बोड़ो-कछारी समुदाय का हिस्सा माने जाते हैं.
  • सन् 2011 की भारतीय राष्ट्रीय जनगणना में लगभग 20 लाख भारतीयों ने स्वयं को बोड़ो बताया था जिसके अनुसार वे असम की कुल आबादी के 5.5% हैं. भारतीय संविधान की छठी धारा के तहत वे एक अनुसूचित जनजाति हैं.
  • बोड़ो लोगों की मातृभाषा भी बोड़ो भाषा कहलाती है, जो एक ब्रह्मपुत्री भाषा है.

क्या है बोड़ोलैंड का मुद्दा?

  • 1960 के दशक से ही बोड़ो अपने लिये अलग राज्य की मांग करते आए हैं.
  • असम में इनकी ज़मीन पर अन्य समुदायों का आकर बसना और ज़मीन पर बढ़ता दबाव ही बोड़ो असंतोष के कारण हैं.
  • अलग राज्य के लिये बोड़ो आंदोलन 1980 के दशक के बाद हिंसक हो गया और तीन धड़ों में बंट गया. पहले का नेतृत्व नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड ने किया, जो अपने लिये अलग राज्य चाहता था. दूसरा समूह बोड़ोलैंड टाइगर्स फोर्स है, जिसने अधिक स्वायत्तता की मांग की. तीसरा धड़ ऑल बोड़ो स्टूडेंट्स यूनियन है, जिसने मध्यम मार्ग की तलाश करते हुए राजनीतिक समाधान की मांग की.
  • बोड़ो अपने क्षेत्र की राजनीति, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधन पर जो वर्चस्व चाहते थे, वह उन्हें 2003 में मिला. तब बोड़ो समूहों ने हिंसा का रास्ता छोड़ मुख्यधारा की राजनीति में आने पर सहमति जताई.
  • इसी का नतीजा था कि बोड़ो समझौते पर 2003 में हस्‍ताक्षर किये गए और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत बोड़ोलैंड क्षेत्रीय परिषद का गठन हुआ.

NDFB क्या है?

  • एनडीएफबी अर्थात् नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्य असम से बोड़ो बहुल इलाके को अलग कर एक स्वतंत्र और संप्रभु बोड़ोलैंड देश की स्थापना है. भारत सरकार ने इस ग्रुप को आतंकी गुट की श्रेणी में डाल रखा है.
  • एनडीएफबी में दो गुट हैं, पहला आईके सांग्बिजित के नेतृत्व में एनडीएफबी(एस). जो भारत सरकार से वार्ता के पक्ष में है. वहीं, दूसरा धड़ा एनडीएफबी(आर-बी) रंजन डायमरी के नेतृत्व में जो हमेशा से संघर्ष का ही रास्ता अख्तियार करता रहा है. हालांकि पहले दोनों धड़े एक ही थे, लेकिन साल 2012 के बाद से दोनों धड़े अलग हुए हैं. ज्यादातर हमलों के लिए एनडीएफबी(आर-बी) ग्रुप ही जिम्मेदार है.
  • लगभग 28 साल पहले 1986 में बना ये संगठन सामूहिक नरसंहार के लिए कुख्यात है और ऐसे हमलों में वो अब तक हजार से भी ज्यादा लोगों की जान ले चुका है.
  • इस ग्रुप में फिलहाल 1200 के करीब आतंकी हैं, जो अक्सर सुरक्षा बलों और गैर बोड़ो समुदाय पर हमला करते रहते हैं. एक समय ये संख्या 3500 से ज्यादा थी, लेकिन भारत और भूटानी सुरक्षा बलों के अभियानों और आंतरिक फूट के चलते इसकी ताकत कम हो रही है. जिसकी बौखलाहट में इस संगठन ने अपने हमलों को तेज कर दिया है.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम क्या है?

  • यह कानून भारत में गैरकानूनी कार्य करने वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
  • इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई राष्ट्रद्रोही आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा किसी विदेशी देश द्वारा किये गये भारत के क्षेत्र पर दावे का समर्थन करता है तो वह अपराध माना जाएगा.
  • UAPA 1967 में पारित हुआ था. बाद में यह पहले 2008 में और फिर 2012 में संशोधित हुआ था.

अधिनियम के कुछ विवादित प्रावधान

  • इसमें आतंकवाद की जो परिभाषा दी गई है वह उतनी स्पष्ट नहीं है. इसलिए अहिंसक राजनैतिक गतिविधियाँ और राजनैतिक विरोध भी आतंकवाद की परिभाषा के अन्दर आ जाते हैं.
  • यदि सरकार किसी संगठन को आतंकवादी बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा देती है तो ऐसे संगठन का सदस्य होना ही एक आपराधिक कृत्य हो जाता है.
  • इस अधिनियम के अनुसार किसी को भी बिना आरोप-पत्र के 180 दिन बंदी बनाया जा सकता है और 30 दिनों की पुलिस कस्टडी ली जा सकती है.
  • इसमें जमानत मिलने में कठिनाई होती है और अग्रिम जमानत का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
  • इसमें मात्र साक्ष्य के बल पर किसी अपराध को आतंकवादी अपराध मान लिया जाता है.
  • इस अधिनियम के अन्दर विशेष न्यायालय बनाए जाते हैं जिनको बंद करने में सुनवाई करने का अधिकार होता है और जो गुप्त गवाहों का उपयोग भी कर सकते हैं.

GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : QS University Rankings

संदर्भ

दुनिया के शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग करने वाली संस्था क्यूएस ने विश्व रैंकिंग के बाद अब एशिया के संस्थानों की भी रैंकिंग जारी कर दी है.

रैंकिंग से जुड़े मुख्य तथ्य

  • नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर इस लिस्ट में पहले स्थान पर रही है.
  • सिंगापुर के ही नान्यांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी को दूसरा स्थान मिला है.
  • तीसरा स्थान चीन के हांगकांग विश्वविद्यालय को मिला है.

भारत का प्रदर्शन

  • क्यूएस एशिया रैंकिंग 2020 में समस्त आईआईटी सहित बीएचयू, आईआईएससी बंगलुरु, दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया की रैंकिंग में गिरावट दर्ज की गई है.
  • शीर्ष 30 में भारत का एक भी संस्थान नहीं है. विदित हो कि पिछले साल आईआईटी बॉम्बे की रैंक 33 थी, जो इस साल 34 पहुंच गई है.
  • नई आईआईटी इंदौर ने अपनी परफॉरमेंस में अच्छा-ख़ासा का सुधार किया है. आईआईटी इंदौर की एशिया रैंक पिछले साल 241 थी. इस साल इंदौर 188 स्थान पर है.
  • आईआईटी दिल्ली 40 से 43, मद्रास 48 से 50, आईआईएससी बैंगलुरू 50 से 51, आईआईटी खड़गपुर 53 से 56 व कानपुर 61 से 65वें स्थान पर पहुंच गई है.

आगे की राह

आईआईटी का एशिया व ग्लोबल लेवल पर पिछड़ने का एक सबसे बड़ा कारण ब्रेन ड्रेन माना जाता रहा है. अभी भी जेईई एडवांस्ड और आईआईटी टॉपर बाहर जाकर आगे की पढ़ाई करते हैं. यहां तक एडवांस्ड के टॉपर आईआईटी बॉम्बे में दाखिला मिलने के बाद सीएस ब्रांच में जाकर भी आईआईटी को छोड़कर एमआईटी में जा रहे हैं. इस कारण एमआईटी व अन्य संस्थानों से पास आउट स्टफ बेहतर रहता है. यही कारण ही विश्व की श्रेष्ठ कंपनियों में आईआईटी के बाद विदेशों के शिक्षा ग्रहण करने वाले प्रोफेशनल चला रहे हैं.


Prelims Vishesh

Trachischium apteii :

  • हाल ही में शोधकर्ताओं ने अरुणाचल प्रदेश में ट्रेकिसियम आप्टे नामक साँप की एक नई प्रजाति की खोज की है.
  • यह टैली वैली वन्यजीव अभ्यारण्य में पाया गया था.
  • यह एक विषहीन बिल खोदने वाला साँप है.

HIM VIJAY Military Exercise :-

  • भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में अपना सबसे बड़ा पहाड़ी युद्धाभ्यास ‘हिम विजय’ आयोजित किया है.
  • पूर्वोत्तर राज्य में इस तरह की यह पहली अभ्यास है.
  • इस तरह का अभ्यास कठिन इलाके में सैनिकों की गतिशीलता तथा संचार का परीक्षण करने हेतु किया जाता है.

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