Sansar डेली करंट अफेयर्स, 28 July 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 28 July 2020


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : New Education Policy 2020

संदर्भ

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है जिससे स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रूपांतरकारी सुधार के मार्ग खुल गए हैं.

पृष्ठभूमि

देश में नई शिक्षा की आवश्यकता बहुत लम्बे समय से अनुभव की जा रही थी. वर्ष 2016 में टीएसआर सुब्रमण्यम ने नई शिक्षा नीति पर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था. इसके पश्चात् सरकार के द्वारा गठित कस्तूरीरंगन समिति में नई शिक्षा नीति की रिपोर्ट सरकार को वर्ष 2018 में प्रस्तुत की थी. पुनः वर्ष 2019 में कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने नई शिक्षा नीति 2019 का मसौदा प्रस्तुत किया था.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

  • यह 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है जो 34 साल पुरानी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 का स्थान लेगी.
  • सबके लिए आसान पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है.
  • इसका उद्देश्य 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल विद्यालय और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना और प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है.

नई शिक्षा नीति से जुड़ी महत्त्वपूर्ण बातें

स्कूली शिक्षा

  • नई नीति के अंतर्गत 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% सकल नामांकन अनुपात के साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य गया है.
  • एनईपी 2020 में स्कूल से दूर रह रहे 2 करोड़ बच्चों को फिर से मुख्य धारा में लाने के लिए प्रबद्धता व्यक्त की गयी है.
  • 12 साल की स्कूली शिक्षा और 3 साल की आंगनवाड़ी / प्री-स्कूलिंग के लिए एक नई 5 + 3 + 3 + 4 स्कूली पाठ्यक्रम व्यवस्था लागू की जाएगी.
  • इसमें पढ़ने-लिखने और गणना करने की बुनियादी योग्यता पर बल देने; स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच समानता लाने; इंटर्नशिप के साथ कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा शुरू करने के प्रावधान किए गए है.
  • एनईपी 2020 में बुनियादी साक्षारता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा “बुनियादी साक्षारता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन” की स्थापना किए जाने पर विशेष ज़ोर दिया गया है.
  • एक नई और व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफ़एसई 2020-21’ एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी. इसके अलावा 2030 तक, शिक्षण कार्य करने के लिए कम से कम योग्यता 4 वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड डिग्री हो जाएगी. गुणवत्ताविहीन स्वचालित अध्यापक शिक्षा संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी.
  • नई शिक्षा नीति कम से कम 5 वीं कक्षा तक मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई पर ज़ोर देती है. समग्र विकास कार्ड के साथ मूल्यांकन प्रक्रिया में पूरी तरह सुधार किया गया है, साथ ही सीखने की प्रक्रिया में छात्रों की प्रगति पर पूरी नज़र रखने के प्रावधान हैं.

समान और समावेशी शिक्षा

  • एनईपी 2020 में जेंडर इंक्लूजन फंड और वंचित इलाकों तथा समूहों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र की स्थापना पर ज़ोर दिया गया है.
  • इसमें बुनियादी सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों एवं समूहों के लिए “बालक-बालिका समावेशी कोष” और “विशेष शिक्षा जोन” की स्थापना करना भी शामिल है.

उच्चतर शिक्षा

  • उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2035 तक 50% तक बढ़ाये जाने और उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ने की बात कही गयी है.
  • उच्च शिक्षा पाठ्यक्रम में विषयों की विविधता होगी और उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ पाठ्यक्रम के बीच में नामांकन / निकास की अनुमति होगी.
  • ट्रांसफर ऑफ क्रेडिट की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना की जाएगी. पूरी उच्च शिक्षा में एक मजबूत अनुसंधान संस्कृति तथा अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन का सृजन किया जाएगा.
  • सभी व्यावसायिक शिक्षाओं को उच्च शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाया जाएगा. स्वचलित तकनीकी विश्वविद्यालयों, स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालयों, कानूनी और कृषि विश्वविद्यालयों आदि को उद्देश्य बहु-विषयक संस्थान बनना होगा.

विनियमन

  • चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर समस्त उच्च शिक्षा के लिए एक एकल अति महत्वपूर्ण व्यापक निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) का गठन किया जाएगा.
  • एचईसीआई के चार स्वतंत्र वर्टिकल होंगे- विनियमन के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (एनएचईआरसी), मानक निर्धारण के लिए सामान्य शिक्षा परिषद (जीईसी), वित पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (एचईजीसी) और प्रत्यायन के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (एनएसी).

विवेकपूर्ण संथागत संरचना

  • महाविद्यालयों की संबद्धता 15 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से समाप्त हो जाएगी तथा महाविद्यालयों को क्रमिक स्वायत्ता प्रदान करने के लिए एक राज्य वार तंत्र की स्थापना की जाएगी.
  • एनईपी 2020 में जरूरत के हिसाब से प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ज़ोर, राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच की स्थापनी की जाएगी.

खुली एवं दूरस्थ शिक्षा

  • सकल नामांकन अनुपात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए खुली और दूरस्थ शिक्षा का विस्तार किया जाएगा.
  • ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और डिजिटल संग्रहों, अनुसंधान के लिए वित्तपोषण, बेहतर छात्र सेवाएं, एमओओसी द्वारा क्रेडिट आधारित मान्यता आदि जैसे उपायों को यह सुनिश्चित करने के लिए अपनाया जाएगा कि यह उच्चतम गुणवत्ता वाले इन-क्लास कार्यक्रमों के समतुल्य हों.

शिक्षा में प्रौद्योगिकी

  • सीखने, मूल्यांकन करने, योजना बनाने, प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए, प्रौद्योगिकी का उपयोग करने पर विचारों का मुक्त आदान-प्रदान करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए एक स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) का निर्माण किया जाएगा.

भारतीय भाषाओं को बढ़ावा

  • नई शिक्षा नीति स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है; पाली, फारसी और प्राकृत के लिए राष्ट्रीय संस्थान, भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान की स्थापना की भी सिफ़ारिश की गयी है.

प्रौढ़ शिक्षा

  • इस नीति का लक्ष्य, 2030 तक 100% युवा और प्रौढ़ साक्षरता की प्राप्ति करना है.

वित्तपोषण शिक्षा

  • शिक्षा पहले की तरह ‘लाभ के लिए नहीं’ व्यहार पर आधारित होगी जिसके लिए पर्याप्त रूप से धन मुहैया कराया जाएगा. शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र और राज्य मिलकर काम करेंगे जिससे जीडीपी में इसका योगदान जल्द से जल्द 6% हो सके.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Issues related to women.

Topic : Aeroponics Technology

संदर्भ

कांडला विशेष आर्थिक क्षेत्र (KASEZ) गुजरात में कच्छ जिले के शुष्क क्षेत्रों में कृषकों के लिए एरोपोनिक्स तकनीक के व्यावसायिक अनुप्रयोग का प्रदर्शन कर रहा है.

इसके लिए कांडला विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone – SEZ) एक ऊर्ध्वाधर खेत का निर्माण कर रहा है. यह मृदा-रहित ऊर्ध्वाधर खेत लगभग 20 फीट ऊंचाई पर होगा.

एरोपोनिक्स तकनीक क्या होती है?

  • एरोपोनिक्स तकनीक नियंत्रित वातावरण में की जाने वाली एक मृदा-रहित कृषि तकनीक है.
  • इसमें ऊर्ध्वाधर रूप से बहुस्तरीय कृषि की जा सकती है, जिससे जमीन के एक छोटे टुकड़े की क्षमता को अधिकतम 22 गुना तक बढ़ाया जा सकता है.
  • ऊर्ध्वाधर खेती की ऊंचाई 10-20 फीट के बीच हो सकती है और इसे घर के अंदर और बाहर उगाया जा सकता है.
  • इस तकनीक में पानी और पोषक तत्वों की आवश्यकता परंपरागत खेती की तुलना में मात्र पांच प्रतिशत हो होती है. इसमें पोषक तत्वों को सीधे जड़ों में पहुँचाया जाता है.

aeroponics agriculture

विशेष आर्थिक जोन (SEZs) क्या हैं?

विशेष आर्थिक जोन (SEZs) वे भौगोलिक क्षेत्र हैं जहाँ व्यवसाय और व्यापार से सम्बन्धित नियम और प्रथाएँ देश के अन्य भागों से अलग हैं. दूसरे शब्दों में, इस भौगोलिक क्षेत्र में स्थित व्यवसायों को विशेष अधिकार होते हैं. SEZs स्थापित करने के पीछे मूल विचार यह है कि व्यवसाय के लिए संरचना और परिवेश का निर्माण करना रातों-रात संभव नहीं होता, अतः इसके लिए ऐसे विशेष क्षेत्र बनाए जाएँ जो कम अवधि में तैयार हो सकें और जहाँ व्यवसाय और व्यापार से सम्बंधित समस्याओं के हल अधिक कुशलता से किया जा सके.

SEZ Act, 2005 में SEZs और इसके अन्दर संचालित इकाइयों की स्थापना के लिए कानूनी ढाँचे का प्रावधान किया गया है.

गौरतलब है कि विशेष आर्थिक क्षेत्र की शुरूआत 1965 में गुजरात के कांडला से हुई थी. कांडला में एशिया का सबसे पहला मुक्त व्यापार क्षेत्र (Free Trade Zone) बनाया गया था.

विशेष आर्थिक जोन के विषय में विस्तार से पढ़ें :- विशेष आर्थिक ज़ोन


GS Paper 3 Source : PIB

UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Namami Gange 

संदर्भ

हाल ही में नमामि गंगे परियोजना को प्रतिष्ठित ‘लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार – 2020’ में शामिल किया गया है.

महत्वपूर्ण तथ्य

  • गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है.
  • वर्ष 2014 में न्यूयॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “अगर हम गंगा को साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी , अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है”.

नमामि गंगे कार्यक्रम क्या है?

  • नमामि गंगे भारत सरकार का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गंगा नदी को कारगर ढंग से स्वच्छ बनाना है. इस लक्ष्य को पाने के लिए इसमें सभी हितधारकों को भी संलग्न किया गया है, विशेषकर गंगा घाटी के उन पाँच राज्यों के हितधारकों को जो राज्य गंगा की घाटी में स्थित हैं, यथा – उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल.
  • इस कार्यक्रम में जो कार्य किये जाते हैं, वे हैं – नदी की सतह की सफाई, इसमें गिरने वाले नाली प्रवाह का उपचार, रिवर फ्रंटों का विकास, जैव-विविधता का विकास, वनरोपण एवं जन-जागरूकता के कार्य.

नमामि गंगे कार्यक्रम के मुख्य स्तम्भ

  1. अपशिष्ट जल को साफ़ करने की अवसंरचना
  2. नदी की सतह को साफ़ करना
  3. वनरोपण
  4. औद्योगिक कचरे पर नजर रखना
  5. रिवर फ्रंट का विकास
  6. जैव-विविधता
  7. जन जागरूकता
  8. गंगा ग्राम

कार्यान्वयन

  • इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga – NMCG) और राज्यों में स्थित इसके समकक्ष संगठनों, जैसे – राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूह (State Program Management Groups – SPMGs) द्वारा किया जाता है.
  • योजना के सही कार्यान्वयन के लिए एक त्रि-स्तरीय प्रणाली गठित करने का प्रस्ताव है. इस प्रणाली के तीन स्तर होंगे जो निम्नवत् हैं –
  1. राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्च स्तरीय कार्यदलजिसके अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होंगे और जिनकी सहायता NMCG करेगी.
  2. राज्य-स्तर पर एक समिति होगी जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे और जिनकी सहायता SPMG करेगी.
  3. जिला-स्तर पर एक जिला-स्तरीय समिति होगी जिसकी अध्यक्षता जिला मजिस्ट्रेट करेंगे.

इस कार्यक्रम में केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/एजेंसियों के मध्य समन्वय के तन्त्र को सुधारने पर बल दिया गया है.

राष्ट्रीय गंगा परिषद् क्या है?

  • राष्ट्रीय गंगा नदी घाटी प्राधिकरण (National Ganga River Basin Authority) को भंग कर के अक्टूबर, 2016 में गंगा नदी प्राधिकरण आदेश (कायाकल्प, संरक्षण एवं प्रबंधन) [River Ganga (Rejuvenation, Protection and Management) Authorities Order] के द्वारा राष्ट्रीय गंगा परिषद् का गठन हुआ था.
  • इसकी अध्यक्षता प्रधानमन्त्री करते हैं.
  • इस परिषद् में गंगा घाटी में स्थित पाँच राज्यों (उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और प. बंगाल) के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ कई केन्द्रीय मंत्री सदस्य होते हैं.
  • इसकी बैठक प्रत्येक वर्ष किये जाने का प्रावधान है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to women.

Topic : Rafale Fighter Jets

संदर्भ

रूस से सुखोई विमानों की खरीद के लगभग 23 साल बाद, हाल ही में पाँच सुपरसोनिक राफेल लड़ाकू विमानों का बेड़ा फ़्रांस से भारत के सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण अंबाला हवाई अड्डे पर पहुँचा .

भारतीय वायुसेना में पांच सुपरसोनिक राफेल लड़ाकू विमानों के शामिल होने के बाद अब इनकी संख्‍या छह हो गई है. विदित हो कि फ्रांस-निर्मित राफेल का पहला विमान “RB 001” भारत को पिछले साल अक्‍टूबर महीने में मिला था.

पृष्ठभूमि

  • भारत सरकार ने फ्रेंच कंपनी दसॉल्ट एविएशन को 2016 में 36 राफेल जेट का ऑर्डर दिया था.
  • पाँच राफेल विमानों के आने के साथ, बाकी के बचे विमानों को कई चरणों में 2021 तक पहुँचाया जाना है.
  • राफेल विमान सौदे के अंतर्गत, भारतीय पायलटों को दसॉल्ट द्वारा हथियार प्रणाली और विमान पर पूरा प्रशिक्षण प्रदान किया गया है .

राफेल विमान

  • राफेल विमान फ्राँस की दसॉल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया दो इंजन वाला मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है. यह 4.5 पीढ़ी का विमान है. राफेल विमान अपने साथ परमाणु हथियार समेत कई मिसाइलों को लेकर उड़ान भर सकता है.
  • राफेल विमान स्टील्थ टेक्नोलॉजी से लैस है अर्थात यह दुश्मन के राडार से बचाने में सक्षम है. इसलिए राफेल विमान को विश्व स्तर पर सबसे शक्तिशाली मुकाबला करने में सक्षम जेट माना जाता है.
  • फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने इन विमानों को फ्रांसीसी वायुसेना और नौसेना के लिये विकसित किये गए थे.
  • राफेल विमान 1800 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचने में सक्षम है.
  • राफेल विमान घातक स्कल्प क्रूज मिसाइल और Meteor एयर-टू-एयर मिसाइल का निशाना चूकता नहीं है.
  • इन विमानों को अब हैमर मिसाइलों से भी लैस किया जाएगा. इन मिसाइलों की खासियत है कि नो स्केप जोन में अगर कोई भी लड़ाकू विमान दिखाई दिया तो ये विमान उसको भी मार गिरा सकेगा.
  • भारत ने अपनी जरूरत के हिसाब से इन विमानों में हैमर (HAMMER) मिसाइल लगवाई है. हैमर मिसाइल का प्रयोग मुख्य रूप से बंकर या कुछ छिपे हुए स्थानों को तबाह करना होता है.

Prelims Vishesh

Blue poppy :-

  • पिछले दिनों एक अध्ययन से पता चला कि कुमाऊ से लेकर काश्मीर तक 3,000-5,000 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाने वाली और हिमालयी फूलों की रानी कहे जाने वाली नीली अफीम (Meconopis acculette) कम ऊँचाइयों पर धीरे-धीरे कम होती जा रही है.
  • ज्ञातव्य है कि नीली अफीम की भाँति ऐसे कई फूल देने वाले पौधे हैं जो जलवायु परिवर्तन के कारण केवल अधिक ऊँचाइयों पर ही पनप पाते हैं.

‘Dare to Dream 2.0’ contest :-

  • पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पाँचवीं पुण्यतिथि के अवसर पर देश के आविष्कारकर्ताओं और स्टार्ट-अप कम्पनियों को प्रोत्साहन देने के लिए DRDO ने Dare to Dream 2.0 नामक एक प्रतियोगिता आरम्भ की है.
  • प्रतिभागियों के काम का एक विशेषज्ञ समिति उचित मूल्यांकन करेगी और नकद पुरस्कार प्रदान करेगी. इसमें स्टार्ट-अप के लिए अधिकतम 10 लाख और व्यक्ति के लिए अधिकतम 5 लाख दिए जायेंगे.

Mobile App “Mausam” :-

  • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने मौसम नामक एक मोबाइल ऐप का अनावरण किया है, जिसका रूपांकन और निर्माण संयुक्त रूप से इनके द्वारा किया गया है – ICRISAT का डिजिटल एग्रीकल्चर एंड यूथ (DAY) दल, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे तथा भारतीय मौसम विज्ञान विभाग.
  • इस ऐप के माध्यम से मौसम, पूर्वानुमान और राडार छवियों को देखा जा सकता है और आने वाली जलवायुगत घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है.

Bureau of Indian Standards (BIS) :-

  • BIS भारत सरकार द्वारा Bureau of Indian Standards Act, 1986 के तहत कार्यादेश के माध्यम से गठित एक निकाय (statutory organization) है.
  • पहले इस निकाय का नाम भारतीय मानक संस्थान (ISI) था.
  • यह भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत काम करता है.
  • BIS का पदेन अध्यक्ष (ex-officio) उक्त मंत्रालय का मंत्री होता है.
  • इस निकाय में अन्य 25 सदस्य होते हैं जो केंद्र एवं राज्य सरकारों के उद्योग, वैज्ञानिक एवं अनुसंधान संस्थानों, उपभोक्ता संगठनों से लिए जाते हैं.
  • भारतीय मानक ब्यूरो भारत के लिए विश्व व्यापार संगठन -TBT (WTO-TBT) पूछताछ केंद्र के रूप में कार्य करता है.

Tuting-Tidding Suture Zone (TTSZ) :-

  • पूरब में हिमालय अचानक दक्षिण की ओर मुड़ जाता है और भारत-बर्मा पर्वत श्रेणी से जाकर मिल जाता है. इस क्षेत्र को टूटिंग-टिडिंग सूचर जोन (TTSZ) कहते हैं.
  • पिछले दिनों एक अध्ययन से पता चलता है कि अरुणाचल प्रदेश में दो अलग-अलग गहराइयों में TTSZ हल्का-फुल्का भूकम्प उत्पन्न करता है.

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