Sansar डेली करंट अफेयर्स, 28 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 28 December 2019


GS Paper 1 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : South India’s earliest Sanskrit Inscription found in AP

संदर्भ

भारतीय पुरातत्त्व सर्वे ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित चेबरोलु गाँव में सप्तमातृका पूजा से सम्बंधित एक संस्कृत में निबद्ध एक अभिलेख खोज निकाला है जिसे दक्षिण भारत का प्राचीनतम अभिलेख माना जा रहा है.

इस अभिलेख से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • यह अभिलेख संस्कृत भाषा में तथा ब्राह्मी लिपि में है.
  • यह सातवाहन राजा विजय के पांचवें राजवर्ष में अर्थात् 207 ई. में लिखा गया था.
  • इस अभिलेख में बताया गया है कि ताम्ररेपे (चेबरोलु का पुराना नाम) गाँव में कार्तिक नामक एक व्यक्ति ने राजा के उत्कर्ष के लिए भगवती शक्तिमात्रिका के लिए एक मंदिर, एक मंडप तथा मंदिर के दक्षिण भाग में कई मूर्तियाँ बनवाईं.
  • इस अभिलेख की खोज के पहले दक्षिण भारत का सबसे पुराना संस्कृत अभिलेख नागार्जुनकोंडा अभिलेख को माना जाता था जो इक्ष्वाकु वंश के राजा एहावल चांटमूला द्वारा उसके 11वें राजवर्ष अर्थात् चौथी शताब्दी में लिखा गया था.

सप्तमातृका क्या होती हैं?

हिन्दू धर्म में सात देवियों का एक समूह है जो अपने-अपने पतियों की शक्ति की द्योतक हैं. इन्हें संयुक्त रूप से सप्तमात्रिका अथवा शक्तिमात्रिका कहा जाता है.

ये देवियाँ हैं – ब्रह्माणी (ब्रह्मा की पत्नी), शिवानी (शिव की पत्नी), कौमारी (कार्तिकेय की पत्नी), वैष्णवी (विष्णु की पत्नी), वाराही (वराह भगवान् की पत्नी), इंद्राणी (इंद्र की पत्नी) तथा चामुंडा (यम की पत्नी).


GS Paper 1 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important personalities.

Topic : Swami Shraddhanand

संदर्भ

प्रत्येक वर्ष की भाँति इस वर्ष भी दिसम्बर 23 को आर्य समाज के प्रचारक स्वामी श्रद्धानंद की पुण्यतिथि मनाई गई. ज्ञातव्य है कि इसी दिन 1926 में अब्दुल राशिद नाम के एक व्यक्ति ने उनकी हत्या कर दी थी.

कौन थे स्वामी श्रद्धानंद?

  • यह आर्य समाज के प्रचारक थे. इनका जन्म जालंधर जिले के गाँव तलवाँ में फरवरी 22, 1856 को हुआ था.
  • 1880 के दशक में इनका सम्पर्क आर्य समाज के प्रणेता स्वामी दयानंद सरस्वती से हुआ.
  • श्रद्धानंद ने हिन्दू संगठन नामक एक पुस्तक लिखी थी.
  • वे अस्पृश्यता को हिन्दू धर्म के लिए एक अभिशाप और धब्बा मानते थे.

आर्य समाज क्या है?

  • आर्य समाज 1875 में बम्बई में दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित एक संगठन था जो वेदों को अकाट्य प्रमाण मानता था.
  • आर्य समाज हिन्दू धर्म में सुधार का आन्दोलन था जिसका उद्देश्य अज्ञान, अभाव और अन्याय को दूर करना था.
  • आर्य समाज में मूर्ति पूजा अमान्य है और एक ही ईश्वर पर विश्वास किया जाता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Role of civil services in a democracy.

Topic : Indian Railway Management Service (IRMS)

संदर्भ

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राकेश मोहन पैनल (2001) और विवेक देबरॉय पैनल (2015) जैसी अनेक समितियों के सुझाव के अनुरूप केंद्र की आठ सेवाओं को मिलाकर भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (Indian Railway Management Service – IRMS) नामक अलग से एक ही सेवा के सृजन तथा रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन का अनुमोदन दे दिया है. विदित हो कि वर्तमान में रेलवे के काम में अलग-अलग सेवाओं से अधिकारी तैनात होते हैं जो अपना शत प्रतिशत रेलवे को नहीं दे पाते हैं.

रेलवे बोर्ड में बदलाव

  1. रेलवे बोर्ड में अध्यक्ष के अतिरिक्त चार सदस्य होंगे जो अवसंरचना, संचालन एवं व्यवसाय विकास, रोलिंग स्टॉक तथा वित्त के लिए उत्तरदायी होंगे.
  2. कैडर के नियंत्रण का काम बोर्ड का चेयरमैन देखेगा. वह DH (HR) के सहयोग से मानव संसाधन के लिए उत्तरदायी होगा.
  3. बोर्ड में कुछ स्वतंत्र गैर-कार्यकारी सदस्य भी होंगे जो विषय का गहन ज्ञान रखने वाले सुप्रतिष्ठ पेशेवर होंगे जिनको उद्योग, वित्त, अर्थशास्त्र और प्रबंधन के क्षेत्रों में शीर्षस्थ स्तर पर काम करने का 30 वर्षों का अनुभव होगा. ये सभी सदस्य रेलवे बोर्ड को रणनीतिक दिशा-निर्देश निर्धारित करने में सहायक होंगे.

निहितार्थ

नई सेवा बन जाने के पश्चात् जो प्रत्याशी रेलवे में आना चाहते हैं उनको केंद्रीय लोक सेवा आयोग के प्रत्याशियों की भाँति एक प्रारम्भिक परीक्षा से गुजरना होगा. इसके पश्चात् वे IRMS के लिए अपनी प्राथमिकता पाँच विशेषज्ञताओं के लिए देंगे. इन विशेषज्ञताओं में चार इंजीनियरिंग से सम्बद्ध होंगी, जैसे – सिविल, मैकेनिकल, टेलिकॉम और इलेक्ट्रिकल. ये सभी विशेषज्ञताएँ तकनीकी विशेषज्ञता कहलाएँगी. इनके अतिरिक्त लेखा, कार्मिक और ट्रैफिक के लिए एक अलग गैर-तकनीकी विशेषज्ञता होगी जिसके लिए अधिकारियों की नियुक्ति होगी.

आगे की राह

इस नए पुनर्गठित सेवा में भारतीय रेल के किसी अधिकारी को नुकसान नहीं होगा. महाप्रबंधक स्तर के अधिकारियों को सर्वोच्च स्तर का विकल्प देना वास्तव में उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है. इससे राज्य प्राधिकरणों के साथ समन्वय बेहतर होगा और तीव्रता से निर्णय लिए जा सकेंगे. इससे रेलवे बोर्ड नीति निर्माण, रणनीतिक योजना निर्माण और जोनल रेलवे के साथ समन्वय पर ध्यान केंद्रित कर सकेगा.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : IPR related issues.

Topic : Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Authority (PPV&FR)

संदर्भ

बड़े-बड़े कृषक समूहों से शिकायतें आने के पश्चात् पादप प्रकार एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (Protection of Plant Varieties and Farmers Rights Authority – PPV&FRA) ने यह निर्णय किया है कि वह उस  FAQ प्रलेख में संशोधन करेगा जिसका उद्धरण खाद्य एवं पेय निर्माता पेप्सिको इंडिया ने गुजरात के आलू उगाने वाले कृषकों के विरुद्ध अपने दृष्टिकोण के समर्थन में प्रस्तुत किया है.

मामला क्या है?

  • विवादित FAQ प्रलेख में यह लिखा हुआ है कि PPV&FRA अधिनियम, 2001 के अंतर्गत अधिकारों पर दावा वही छोटे और सीमान्त किसान कर सकते हैं जो अपने खाने-पीने भर ही खेती कर लेते हैं.
  • FAQ में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ये अधिकार वाणिज्यिक किसानों के लिए नहीं हैं, अपितु मात्र उन किसानों के लिए हैं जो छोटे पैमाने पर खेती करते हैं.
  • पेप्सिको का दावा था कि कुछ किसानों ने उसके पंजीकृत आलू के प्रकार का उत्पादन किया है और उन्हें बेचा है. अतः इसलिए उसने 2018 में कुछ किसानों पर केस कर दिया था और 2 करोड़ रु. का दावा ठोक दिया था.
  • पेप्सिको की इस कार्रवाई का बहुत ही प्रतिरोध हुआ और उसके उत्पादनों का बहिष्कार होने लगा. अंततः मई, 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सरकार ने इसमें हस्तक्षेप किया और पेप्सिको ने सभी मामलों को उठा लिया.

PPV&FRA अधिनियम क्या है?

  • यह अधिनियम 2001 में पारित हुआ था.
  • इसका निर्माण 1978 के अंतर्राष्ट्रीय नवीन पादप प्रकार संरक्षण संघ (International Union for the Protection of New Varieties of Plants – UPOV )के प्रावधानों के अनुरूप है.
  • इस अधिनियम में वाणिज्यिक पादप प्रजाति निर्माताओं और किसानों दोनों के योगदान को मान्यता दी गई है.
  • साथ ही यह TRIP को भी कुछ इस प्रकार लागू करने का प्रावधान करता है जो सभी हितधारकों के विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक हितों का समर्थन करता है.
  • इन हितधारकों में निजी प्रक्षेत्र, सार्वजनिक प्रक्षेत्र और शोध संस्थानों के साथ-साथ वे किसान भी शामिल माने जाते हैं जिनके पास संसाधनों की कमी होती है.
  • इस अधिनियम के जरिये पादप किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण बना जो 2005 से अस्तित्व में आया.
  • यह प्राधिकरण इस मायने में सबसे अलग है कि यह किसानों को उनके अधिकार प्रदान करता है जिसका प्रावधान विश्व के अन्य किसी देश द्वारा नहीं किया गया है.
  • अधिनियम द्वारा कृषक किस्मों को बौद्धिक सम्पदा सुरक्षा प्रदान की जाती है

प्रोटेक्‍शन ऑफ प्लांट वैराइटीज एंड फॉर्मर राइट्स एक्ट 2001 के उद्देश्य

  • पौधों की किस्मों, कृषकों और प्रजनकों के अधिकार की सुरक्षा और पौधों की नई किस्म के विकास को बढ़ावा देने के लिये एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना करना.
  • पौधों की नई किस्मों के विकास के लिये पादप आनुवंशिक संसाधन उपलब्ध कराने तथा किसी भी समय उनके संरक्षण व सुधार में किसानों द्वारा दिए गए योगदान के सन्दर्भ में किसानों के अधिकारों को मान्यता देना व उन्हें सुरक्षा प्रदान करना.
  • देश में कृषि विकास में तेजी लाना, पादप प्रजनकों के अधिकारों की सुरक्षा करना. पौधों की नई किस्मों के विकास के लिये सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों में अनुसन्धान और विकास के लिये निवेश को प्रोत्साहित करना.
  • देश के बीज उद्योग की प्रगति को सुगम बनाना जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों तथा रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके.

अधिनियम के अंतर्गत अधिकार

पादप प्रजाति का प्रजनन करने वालों के अधिकार (Breeders’ Rights)

संरक्षित पादप प्रजाति को उत्पन्न करने, बेचने, बाजार में पहुँचाने, वितरित करने और आयात-निर्यात करने का एकमात्र अधिकार उनका होगा जो इस प्रजाति का प्रजनन करेंगे. यदि इनके अधिकार का हनन होता है तो वे इसके लिए कानून का शरण ले सकते हैं. प्रजनन प्रजाति प्रजनन करने वाले अपना एजेंट और लाइसेंसी नियुक्त कर सकते हैं.

शोधकर्ताओं के अधिकार (Researchers’ Rights)

प्रयोग एवं शोध करने के लिए शोधकर्ता अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत किसी भी प्रजाति-प्रकार का प्रयोग कर सकते हैं. नई निर्मित प्रजाति को भी कोई शोधकर्ता एक आरम्भिक स्रोत के रूप में नई प्रजाति के बनाने के उद्देश्य से प्रयोग में ला सकता है. परन्तु उस प्रजाति का बारम्बार प्रयोग करने के लिए पंजीकृत प्रजननकर्ता से पूर्वानुमति आवश्यक होगी.

कृषक अधिकार (Farmers’ Rights)

  1. जो किसान एक नया प्रजाति प्रकार विकसित कर लेता है तो वह भी प्रजाति निर्माता कम्पनियों की भाँति उसका पंजीकरण और संरक्षण प्राप्त कर सकता है.
  2. किसान द्वारा उत्पादित नई प्रजाति को एक वर्तमान प्रजाति (extant variety) के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है.
  3. अधिनियम के अंतर्गत सुरक्षित बीज-प्रकार के साथ-साथ किसान अपनी फसल को बचा सकता है, उपयोग में ला सकता है, बो सकता है, फिर से बो सकता है, उसका विनियम कर सकता है, उसे बाँट सकता है अथवा बेच सकता है. परन्तु PPV&FR अधिनियम के अंतर्गत संरक्षित किसी ब्रांडेड बीज प्रजाति को किसान नहीं बेच सकेगा.
  4. खेतों में उपजाए गये पादपों के आनुवंशिक संसाधनों (Plant Genetic Resources) तथा नकदी फसलों के वन्य प्रकारों के संरक्षण के लिए किसान समुचित सम्मान और पुरस्कार पाने के अधिकारी होंगे.
  5. अधिनियम के अनुभाग 39(2) के अनुसार यदि किसान द्वारा बनाई गई नई पादप-प्रजाति ठीक से फलदायी नहीं होती तो उसे इसके लिए क्षतिपूर्ति मिल सकती है.
  6. अधिनियम के तहत प्राधिकरण या रजिस्ट्रार या ट्रिब्यूनल या उच्च न्यायालय के समक्ष चलने वाली किसी भी कार्यवाही के लिए किसान को किसी भी शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Jal Jeevan Mission

संदर्भ

पिछले दिनों भारत सरकार ने जल जीवन अभियान के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश निर्गत कर दिए.

जल जीवन अभियान क्या है?

  • यह अभियान 2024 तक सभी ग्रामीण और शहरी घरों (हर घर जल) में नलके से पानी पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है.
  • जल जीवन अभियान की घोषणा अगस्त, 2019 में हुई थी.
  • इसके अतिरिक्त इस अभियान का उद्देश्य है वर्षा जल संग्रह, भूजल वापसी और घर से निकलने वाले अपशिष्ट जल को खेती में प्रयोग करने से सम्बंधित स्थानीय अवसंरचनाओं का निर्माण करना.
  • जल जीवन अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के अनेक कार्य किये जाएँगे, जैसे – पॉइंट रिचार्ज, छोटे सिंचाई जलाशयों से गाद निकालना, अपशिष्ट जल को खेती में डालना और जल स्रोतों को टिकाऊ बनाना.
  • सतत जल आपूर्ति के लक्ष्य को पाने के लिए जल जीवन अभियान में अन्य केन्द्रीय और राज्य योजनाएँ समाहित की जाएँगी.

अभियान के लाभ

  1. घर-घर में नलके द्वारा पानी की आपूर्ति
  2. स्वच्छ एवं पीने योग्य जल
  3. भूजल का स्तर ऊपर लाना
  4. स्थानीय अवसंरचना को बेहतर बनाना
  5. जल से होने वाले रोगों में कमी
  6. जल की बर्बादी में कमी

इस अभियान का माहात्म्य

भारत में विश्व की 16% जनसंख्या रहती है, परन्तु मृदु जल के स्रोत यहाँ 4% ही है. भूजल का स्तर घटता जा रहा है. पानी का अत्यधिक दोहन हो रहा है, पानी की गुणवत्ता खराब हो रही है, जलवायु परिवर्तन देखा जा रहा है.

इन सब कारणों से पेय जल की उपलब्धता एक समस्या बनी हुई है. आज आवश्यकता है कि देश में तुरंत जल संरक्षण किया जाए, विशेषकर इसलिए कि भूजल का स्तर गिरता जा रहा है. अतः जल जीवन अभियान में मुख्य ध्यान स्थाई स्तर पर पानी की माँग और आपूर्ति का समेकित प्रबंधन करने पर दिया जाएगा.


Prelims Vishesh

Nari Shakti Puraskar :-

  1. स्त्री सशक्तीकरण के लिए किये गये काम हेतु प्रतिष्ठित महिलाओं और संस्थानों को भारत सरकार नारी शक्ति पुरस्कार दिया करती है.
  2. एक लाख रु. नकद और एक प्रशस्ति पत्र वाले ये पुरस्कार 1999 से प्रदान किये जाते हैं.

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