Sansar डेली करंट अफेयर्स, 28 August 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 28 August 2018


GS Paper 1 Source: PIB

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Topic : Heritage Circuit and North East Circuit

संदर्भ

पर्यटन मंत्रालय ने धरोहर सर्किट एवं स्वदेश दर्शन योजना के तहत पूर्वोत्तर सर्किट के लिए पंजाब और त्रिपुरा में दो नई परियोजनाएँ स्वीकृत की हैं जिन पर 164.95 रू. करोड़ का व्यय अनुमानित है.

धरोहर सर्किट

पंजाब राज्य की धरोहर सर्किट के लिए स्वीकृत परियोजना की लागत 99.95 करोड़ हैं. इसमें ये स्थल आयेंगे – आनंदपुर साहिब, फ़तेहगढ़ साहिब, चमकौर साहिब, फिरोजपुर, अमृतसर, खटकर कलां, कलानौर और पटियाला.

परियोजना के अन्दर अमृतसर के जालियाँवाला बाग़ में 8 करोड़ रु. के खर्च पर उस बाग़ का विकास किया जाएगा. उधर आनंदपुर साहिब में 28.99 करोड़ रु. के खर्च पर पर्यटन अवसंरचना तथा धरोहर पथ तैयार किया जायेगा. इसी प्रकार फ़तेहगढ़ साहिब में अन्य स्थलों में पर्यटन अवसंरचना को सुदृढ़ बनाया जाएगा.

परियोजना में प्रस्तावित अन्य कार्य हैं – जालियाँवाला बाग़ में और हुसैनीवाला सीमा पर आभासी रियलिटी प्रदर्शन (virtual reality show) की व्यवस्था, सुंदरीकरण एवं भूभाग का विकास, व्याख्या केंद्र का निर्माण, अग्रभाग का विकास, रास्तों में सुविधाओं की व्यवस्था, गाडी ठहराव का प्रबंध, CCTV और WiFi सुविधाएँ देना, कैफटीरिया, खुली वायु का रंचमंच, पेयजल की सुविधा की व्यवस्था आदि.

पूर्वोत्तर सर्किट

त्रिपुरा की पूर्वोत्तर सर्किट की परियोजना में ये स्थल आते हैं – सूरमा चेर्रा उनाकोटि, जाम्पुई पहाड़ियाँ, गुनाबाती, भुवनेश्वरी माताबाड़ी, नीरमहल, बोखानगर, छोटा खोला, पिलाक और अवांगचार्रा. इस परियोजना पर 65 करोड़ रु. की लागत आएगी.

परियोजना में इन सभी स्थलों में अवसंरचनाओं का विकास किया जायेगा. इस कार्य में जिन कामों पर विशेष बल दिया जायेगा, वे होंगे – व्याख्या केंद्र का निर्माण, पर्यटक केन्द्रों का निर्माण, कैफटीरिया बनाना, मार्ग के अंतिम छोर तक सम्पर्क की व्यवस्था, स्थलों और स्मारकों को प्रकाशित करना, पथों में सुविधाओं का सृजन, पानी पर चलने वाले जेटी की सुविधा, शिविर लगाने के लिए भूभाग, गाड़ी ठहराने की व्यवस्था, साहसिक गतिविधियों का आयोजन, घाटों का निर्माण आदि.

स्वदेश दर्शन योजना के मुख्य तत्त्व

  • स्वदेश दर्शन योजना एक 100% केंद्र संपोषित योजना है.
  • प्रत्येक योजना के लिए दिया गया वित्त अलग-अलग राज्य में अलग होगा जो कार्यक्रम प्रबंधन परामर्शी (Programme Management Consultant – PMC) द्वारा तैयार किये गये विस्तृत परियोजना प्रतिवेदनों (DPR) के आधार पर निर्धारित किया जायेगा.
  • एक राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee – NSC) गठित की जाएगी. जिसके अध्यक्ष पर्यटन मंत्री होंगे. यह समिति इस मिशन के लक्ष्यों और योजना के स्वरूप का निर्धारण करेगी.
  • कार्यक्रम प्रबन्धन परामर्शी की नियुक्ति मिशन निदेशालय (Mission Directorate) द्वारा की जायेगी.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Aeolus Satellite

संदर्भ

यूरोपीय अन्तरिक्ष एजेंसी (European Space Agency – ESA) ने हाल ही में Aeolus उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया है. यह उपग्रह फ्रेंच गुआना के कोऊरो में स्थित यूरोप के अन्तरिक्ष अड्डे से एक वेगा राकेट की सहायता से ध्रुवीय कक्ष में भेजा गया. यह उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर बहती वायु धारा को मापेगी जो मौसम पूर्वानुमान को पहले से अधिक सटीक बनाने में सहायक होगा.

Aeolus Satellite से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • Aeolus वह ऐसा पहला उपग्रह है जो पृथ्वी की वायु धाराओं का वैश्विक पैमाने पर profiling करेगा.
  • Aeolus उपग्रह यूरोपीय अन्तरिक्ष स्पेस एजेंसी द्वारा भेजे जाने वाले Earth Explorer अभियान का पाँचवा उपग्रह है.
  • इसका नाम यूनानी दंत कथाओं में वर्णित Aeolus नामक देवों के द्वारा प्रतिनियुक्त “वायु के नियता/‘keeper of the winds” पात्र से लिया गया है.
  • Aeolus उपग्रह में मात्र एक ही बड़ा उपकरण लगा हुआ है. यह उपकरण Doppler Wind Lidar है जिसे अलादीन नाम दिया गया है.
  • वायु धाराओं को मापने के लिए यह उपग्रह वायुमंडल की सबसे निचली 30 किमी. मोटी परत में रहकर अपना काम करेगा.

वायुधाराओं की महत्ता

  • हमारा जीवन मौसम से प्रभावित रहता है. इसी पर खेती, मछली मारना, निर्माण कर्म, परिवहन आदि निर्भर रहते हैं. अतः मौसम का सटीक पूर्वानुमान आवश्यक होता है.
  • मौसम का पूर्वानुमान लगा कर हम आपदाओं से होने वाले धन-जन की क्षति को रोक सकते हैं.
  • वायु धाराओं को माप कर Aeolus उपग्रह जो सूचनाएँ भेजेगा उससे हम मौसम का पहले से सटीक पूर्वानुमान लगाने में सक्षम होंगे.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Close watch on climate change

संदर्भ

भारत सरकार के भूविज्ञान मंत्रालय 79 करोड़ रु. की एक परियोजना प्रस्ताव पर विचार कर रहा है जिसके माध्यम से केरल में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा.

यह प्रस्ताव वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (Council of Scientific Industrial Research – CSIR) के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं सूचना संसाधन संस्थान (National Institute of Science Communication and Information Resources – NISCAIR) की ओर से आया है.

परियोजना के मुख्य तत्त्व

उद्देश्य : इस परियोजना के अंतर्गत जलवायवीय तत्त्वों के लक्षणों, उनके फैलाव के ढंग और एल नीनो चक्रवात आदि घटनाओं से उनके सम्बन्धों का विश्लेषण किया जाएगा. साथ ही जलवायु में परिवर्तन के लोगों की आजीविका एवं विकास की प्रक्रिया पर होने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया जाएगा.

परियोजना के विशेष कार्य : तीन वर्षों तक चलने वाली यह परियोजना इन गतिविधियों पर होने वाले जलवायु परिवर्तन विषयक प्रभावों के अध्ययन पर विशेष रूप से बल देगी – कृषि (फसलें और मसाले), मछली मारना (समुद्री और नदी/तालाब में), उद्योग-धंधे, स्वास्थ्य, परिवहन, भूतल परिवहन, जलमार्ग परिवहन, पर्यटन, जैव विविधता, वनरोपण एवं भूस्खलन.

परियोजना में देशभर के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थान सम्मिलित होंगे.

परियोजना का कार्य 25 भागों में बाँटा जाएगा जिससे कि केरल की जलवायु का कोई भी पहलू अछूता न बचे.

विशेषज्ञ जलसंसाधनों की सतह और भूगर्भजल की मात्रा तथा गुणवत्ता में होने वाले छोटे-बड़े बदलावों का अध्ययन करेंगे. साथ ही केरल के लघुद्वीपों में होने वाले जलवायु-परिवर्तन के परिदृश्य पर नजर रखी जायेगी.

जरुरी तथ्य

CSIR द्वारा अनुमोदित 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत द्वीपों और समुद्र तटीय जैवतंत्रों के लिए जलवायु परिवर्तन, adaptation कार्यक्रमों के विकास के लिए CSIR-NISCAIR को नोडल संस्थान बनाया गया है.

GS Paper 3 Source: PIB

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Topic : Government announces Regulations for Drones

संदर्भ

हाल ही में भारत सरकार ने Drone Regulations 1.0 की घोषणा की है. इन विनियमों के अनुसार 1 दिसम्बर 2018 से ड्रोनों का सुरक्षित व्यावसायिक उपयोग हो सकेगा. ये ड्रोन अधिकतम 400 ft की ऊँचाई तक चलेंगे और दिन में ही चलाये जा सकेंगे.

ड्रोनों का वर्गीकरण

घोषित विनियम के अनुसार ड्रोनों को भार के आधार पर पाँच वर्गों में बाँटा गया है. ये वर्ग हैं – नैनो, माइक्रो, छोटे, मध्यम एवं बड़े.

सञ्चालन के लिए आवश्यक विनियम

  • नैनो तथा NTRO, ARC एवं केन्द्रीय गुप्तचर एजेंसियों के ड्रोनों को छोड़कर अन्य ड्रोन पंजीकृत किये जायेंगे और उन्हें एक अनोखी पहचान संख्या (Unique Identification Number – UIN) दी जायेगी.
  • सभी ड्रोन-संचालकों को मानव-रहित वायुयान संचालक अनुमति (Unmanned Aircraft Operator Permit – UAOP) लेना आवश्यक होगा. पर 50 फीट से नीचे उड़ने वाले नैनो ड्रोन, 200 फीट से नीचे कार्य करने वाले माइक्रो ड्रोन तथा NTRO, ARC और केन्द्रीय गुप्तचर एजेंसियों के ड्रोन संचालकों को यह अनुमति नहीं लेनी होगी.
  • नैनो ड्रोन छोड़कर शेष सभी वर्ग के ड्रोनों को ये उपकरण रखना अनिवार्य है – GNSS (GPS), (b) Return-To-Home (RTH), टकराव-रोधी प्रकाश, आई.डी. प्लेट, उड़ान डाटा लॉग करने की क्षमता से युद्ध उड़ान नियंत्रक, RF ID तथा सिम/बिना अनुमति के उड़ान नहीं (SIM/ No-Permission No Take off (NPNT).
  • नियंत्रित वायुक्षेत्र में उड़ने के लिए उड़ान योजना को जमा करना होगा और इसके लिए वायु रक्षा अनापत्ति (Air Defence Clearance – ADC) भी अनिवार्य होगी
  • Flight Information Centre (FIC) अर्थात् उड़ान सूचना केंद्र का नंबर भी लेना होगा.
  • विनियम में यह बता दिया गया है कि किस ड्रोन के लिए निर्माण के न्यूनतम मापदंड क्या होंगे. यह भी निर्देश किया गया है कि ड्रोन चलाने वाले दूरस्थ पायलटों को कैसा प्रशिक्षण लेना होगा.

अन्य मुख्य तथ्य

  • घोषित विनियम के अनुसार इन क्षेत्रों में ड्रोन नहीं चलाये जायेंगे – हवाई अड्डे, अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ, दिल्ली का विजय चौक, राज्यों के सचिवालय भवन, रणनीतिक स्थल/अति महत्त्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान आदि.
  • ड्रोन का सञ्चालन डिजिटल आकाश मंच (Digital Sky Platform) के माध्यम से किया जाएगा.
  • डिजिटल आकाश मंच के लिए आवेदन करने वालों को ड्रोन संचालन के विभिन्न जोन अलग-अलग रंगों में द्रष्टव्य होंगे, तथा – उड़ान के निषेध वाला Red Zone, नियंत्रित वायु क्षेत्र का द्योतक Yellow Zone और स्वतः प्राप्त होने वाली अनुमति का परिचायक Green Zone.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : North American Free Trade

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको ने नए उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते (North American Free Trade Agreement – NAFTA) पर सहमती व्यक्त की है. NAFTA का तीसरा सदस्य कनाडा है. इस समझौते से उस पर यह दबाव बन गया है कि वह भी नए समझौते के लिए तैयार हो जाए.

नई डील के मुख्य तथ्य

  • डील के अनुसार NAFTA क्षेत्र के अंतर्गत 75% auto content की आवश्यकता होगी. पहले यह कंटेंट 62.5% था.
  • न्यूनतम 16 डॉलर प्रति घंटा कमाने वाले श्रमिकों का auto content 40% से 45% होगा. इससे मेक्सिको के श्रमिकों की मजदूरी बढ़ेगी और इसलिए मेक्सिको में होने वाले उत्पादन का एक हिस्सा अमेरिका चला जा सकता है.
  • NAFTA की मूल डील में इसके स्वतः समाप्त हो जाने का एक प्रावधान था जिसे “sunset clause” कहा जाता था. अब अमेरिका इसके लिए तैयार हो गया है कि यह डील अधिकतम 16 वर्ष चल सकती है. यद्यपि हर छठे वर्ष इसकी समीक्षा की जायेगी.
  • समझौते में मेक्सिको ने डंपिंग विरोधी कुछ वादों से सम्बंधित विवाद निष्पादन पैनल को भंग करने पर सहमति दी है.

NAFTA क्या है?

  • NAFTA का full form है – North American Free Trade Agreement
  • यह समझौता कनाडा, मैक्सिको और अमेरिका ने किया था.
  • इस समझौते से इन देशों के बीच व्यापार barriers समाप्त अथवा बहुत कम हो गयी है.
  • इस समझौते के लिए बातचीत क्रम जॉर्ज बुश के राज्यकाल में 1990 में आरम्भ किया गया था और उसे क्लिंटन के समय 1993 में अंतिम रूप दे दिया गया था. यह 1 जनवरी 1994 से प्रभाव में आया.

NAFTA से सम्बंधित विवाद

  • NAFTA के तीन देशों ने मेक्सिको को एक विकासशील देश था जबकि कनाडा और अमेरिका विकसित और समृद्ध देश थे. इसलिए आरम्भ से कुछ लोगों का विचार रहा कि मुक्त व्यापार क्षेत्र से अमेरिका को अधिक लाभ हुआ क्योंकि अब वह अपना व्यवसाय मेक्सिको में फैला सकता था.
  • NAFTA का विरोध व्यापार संरक्षण के पक्षधरों की ओर से भी होता रहा है. इनका कहना है कि विदेशी प्रतिस्पर्धा से घरेलू व्यवसाय को बचाने के लिए आयात शुल्क होने चाहिएँ.

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