Sansar डेली करंट अफेयर्स, 27 August 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 27  August 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.

Topic : Hurricane Laura

संदर्भ

कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित संयुक्त राज्य अमेरिका पर अब चक्रवाती तूफान लॉरा का एक और संकट आ पड़ा है. श्रेणी 4 में वर्गीकृत हरिकेन लॉरा अपना खतरनाक रूप धारण कर चुका है और वहाँ भारी तबाही मचा सकता है. हरिकेन लॉरा के कारण अमेरिका के फ्लोरिडा और खाड़ी तट पर भारी क्षति की संभावना है. इस तूफान के चलते अरकांसस (Arkansas) और ओहियो के अलावा टेनेसी वैली (Tennessee valleys) में बाढ़ का भी खतरा मंडरा रहा है.

हरिकेन क्या है?

हरिकेन एक प्रकार का तूफान है, जिसे “उष्ण कटिबंधीय चक्रवात” (tropical cyclone) कहा जाता है. उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में हरिकेन सर्वाधिक शक्तिशाली एवं विनाशकारी तूफान होते हैं. उष्णकटिबंधीय चक्रवात उष्णकटिबंधीय अथवा उप-उष्णकटिबंधीय जल के ऊपर बनने वाली निम्न दाब युक्त मौसम प्रणाली में घूर्णन करते हैं. इनसे आँधियाँ तो आती हैं परन्तु वाताग्रों (भिन्न घनत्वों के दो भिन्न वायुभारों को पृथक करने वाली सीमा) का निर्माण नहीं होता है.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (TROPICAL CYCLONES)

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों को कैरबियन सागर में हरिकेन, पूर्वी चीन सागर में टायफून, फिलीपिंस में “बैगयू”, जापान में “टायसू”, ऑस्ट्रेलिया में “विलिबिलि” तथा हिन्द महासागर में “चक्रवात” और “साइक्लोन” के नाम से जाना जाता है.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की अधिकतम बारंबारता पूर्वी चीन सागर में मिलती है और इसके बाद कैरिबियन, हिन्द महासागर और फिलीपिन्स उसी क्रम में आते हैं. उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों के प्रमुख क्षेत्र निम्न्वित हैं –

  1. उत्तरी अटलांटिक महासागर– वर्ड अंतरीप का क्षेत्र, कैरबियन सागर, मैक्सिको की खाड़ी, पश्चिमी द्वीप समूह.
  2. प्रशांत महासागर– दक्षिणी चीन, जापान, फिलीपिन्स, कोरिया एवं वियतनाम के तटीय क्षेत्र, ऑस्ट्रेलिया, मैक्सिको तथा मध्य अमेरिका का पश्चिमी तटीय क्षेत्र.
  3. हिन्द महासागर– बंगाल की खाड़ी, अरब सागर, मॉरिसस, मेडागास्कर एवं रियूनियन द्वीपों के क्षेत्र.

उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की विशेषताएँ

  1. इनका व्यास 80 से 300 किमी. होता है. कभी-कभी इनका व्यास 50 किमी. से भी कम होता है.
  2. इसकी औसत गति 28-32 किमी. प्रतिघंटा होती है, मगर हरिकेन और टायफून 120 किमी. प्रतिघंटा से भी अधिक गति से चलते हैं.
  3. इनकी गति स्थल की अपेक्षा सागरों पर अधिक तेज होती है.
  4. सामान्यतः व्यापारिक हवाओं के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं.
  5. इसमें अनेक वाताग्र नहीं होते और न ही तापक्रम सम्बन्धी विभिन्नता पाई जाती है.
  6. कभी-कभी एक ही स्थान पर ठहरकर तीव्र वर्षा करते हैं.
  7. समदाब रेखाएँ अल्पसंख्यक और वृताकार होती है.
  8. केंद्र में न्यून वायुदाब होता है.
  9. इनका विस्तार भूमध्य रेखा के 33 1/2 उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों तक होता है.

निर्माण संबंधी दशाएँ

  1. एक विशाल गर्म सागर की उपस्थिति जिसके सतह का तापमान कम से कम 27°C हो.
  2. सागर के उष्ण जल की गहराई कम से कम 200 मी. होनी चाहिए.
  3. पृथ्वी का परिभ्रमण वेग उपर्युक्त स्थानों पर 0 से अधिक होनी चाहिए.
  4. उच्चतम आद्रता की प्राप्ति.
  5. उच्च वायुमंडलीय अपसरण घटातलीय अपसरण से अधिक होनी चाहिए.
  6. उध्वार्धर वायुप्रवाह (vertical wind flow) नहीं होनी चाहिए.
  7. निम्न स्तरीय एवं उष्ण स्तरीय विक्षोभ की उपस्थति.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

लैंडफॉल क्या है?

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात के केंद्र का समुद्र तट के साथ प्रतिच्छेदन या तट रेखा पर प्रवेश करना लैंडफॉल कहलाता है.
  • एक लैंडफॉल में सामान्यतः तेज हवाएँ, भारी वर्षा और उठती हुई समुद्री लहरें होती हैं. 

भारत में चक्रवात

  • भारत अपने लम्बे समुद्र तट के चलते विश्व के लगभग 10% उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के  प्रभाव क्षेत्र में आता है.
  • अधिकांश चक्रवात बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न होते हैं और इसलिए ज्यादातर भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट से टकराते हैं.
  • भारतीय तट रेखा पर 2016 में ऐसे अन्य चक्रवात भी आये जैसे रोआनु और नाडा.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : NDHM: Draft health data management policy released

संदर्भ

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत लोगों से एकत्रित गोपनीय स्वास्थ्य आँकड़ों की सुरक्षा के लिए सरकार ने मान्य कानूनों और विनियमों के अनुपालन के साथ ही न्यूनतम मापदंडों के एक प्रारूप का प्रस्ताव रखा है.

संबन्धित जानकारी

  • ‘स्वास्थ्य आंकड़ा प्रबंधन नीति’ का मसविदा ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) ने निर्गत किया है.
  • यह प्रारूप राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की सरकारी वेबसाइट पर डाला गया है और उस पर लोगों से तीन सितंबर तक राय मांगी गयी है.
  • इस मसौदा नीति में ‘व्यक्तियों के निजी एवं संवेदनशील आंकड़ों के सुरक्षित उपयोग/रख-रखाव’ के लिए एक प्रारूप तैयार करने का प्रयास किया गया है.
  • ये आँकड़े राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारितंत्र का भाग हैं. दस्तावेज के अनुसार, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य परितंत्र के अंतर्गत जुटाये गये आंकड़े केंद्रीय स्तर पर, राज्य या केंद्रशासित स्तर और स्वास्थ्य सुविधा केंद्र पर न्यूनता के सिद्धांत का पालन करते हुए संभालकर रखे जायेंगे.
  • दस्तावेज के अनुसार, संघीय ढांचे में ऐसे प्रारूप का विकास आवश्यक हो जाता है जिसका गोपनीय स्वास्थ्य आँकड़ों की निजता की सुरक्षा के लिए पूरे राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य परितंत्र में प्रयोग किया जा सके.

राष्‍ट्रीय डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य मिशन

  • इस मिशन के अंतर्गत, प्रत्येक भारतीय को हेल्थ आईडी प्रदान की जाएगी. इस हेल्थ आईडी में व्यक्ति की पिछली चिकित्सा स्थिति, उपचार और निदान से संबंधित सभी जानकारी होगी.
  • देश में कहीं भी इलाज के लिए जाएंगे तो आपको कोई जांच रिपोर्ट या पर्ची आदि नहीं ले जानी होगी, क्योंकि आपकी सारी जानकारी हेल्थ कार्ड में मौजूद होगी.
  • हर मरीज का पूरा मेडिकल डेटा रखने के लिए अस्पताल, क्लीनिक और डॉक्टर्स को एक सेंट्रल सर्वर से लिंक किया जाएगा. यानी इसमें अस्पताल, क्लीनिक और डॉक्टर भी रजिस्टर होंगे.
  • डॉक्टर और मरीज की तरह ही प्रत्येक स्वास्थ्य सुविधा जो एक यूनिक इलेक्ट्रॉनिक पहचान दी जाएगी.
  • निजी रिकॉर्ड में नागरिक की सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारियाँ सम्मिलित होंगी. इसमें जन्म से लेकर प्रतिरक्षा, सर्जरी, प्रयोगशाला टेस्ट तक सारी जानकारी होंगी.
  • इसे हर नागरिक की हेल्थ आईडी से लिंक किया जाएगा. निजी हेल्थ रिकॉर्ड का स्वामित्व व्यक्ति के पास ही होगा.
  • जब एक व्यक्ति अपने रिकॉर्ड दिखाने की अनुमति देगा तभी दूसरा डॉक्टर या व्यक्ति उस नागरिक की सारी जानकारी देख पाएगा.
  • अगर कोई व्यक्ति किसी तरह का कैश ट्रांसफर स्कीम का लाभ उठाना चाहता है तो ही उसे अपनी हेल्थ आईडी को आधार कार्ड से लिंक करना होगा और अगर ऐसा नहीं है तो आधार कार्ड से लिंक करने की कोई जरुरत नहीं पड़ेगी.
  • हर नागरिक के स्वास्थ्य, डॉक्टर का लेखा-जोखा एक एप या वेबसाइट के जरिए संचालित होगा.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization, of resources, growth, development and employment.

Topic : Export Preparedness Index 2020 

संदर्भ

हाल ही में नीति आयोग ने निर्यात तैयारी सूचकांक (Export Preparedness Index – EPI) 2020 पर प्रतिवेदन निर्गत किया है.

महत्त्वपूर्ण बिन्दु

  • भारत का प्रति व्यक्ति निर्यात 241 डॉलर पर है. वहीं, दक्षिण कोरिया में प्रति व्यक्ति निर्यात 11,900 डॉलर पर है. वहीं दूसरी तरफ, चीन में यह 18,000 डॉलर पर है. ऐसे में भारत में निर्यात के लिए बहुत अधिक संभावनाएं विद्यमान हैं.
  • विश्व निर्यात में भारत की भागीदारी मात्र 1.7 प्रतिशत है, जिसे भारत सरकार ने इस दशक में पाँच प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा है.
  • APEDA द्वारा पहचाने गए क्लस्टर के विकास के लिए AFC India Limited कार्य करेगा और इसके लिए विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं के समन्वय से संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में विभिन्न परियोजनाओं को लागू करेगा.

निर्यात तैयारी सूचकांक (EPI)

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्व स्तर पर एक दृढ़ निर्यातक बनने की महान क्षमता है. इस क्षमता का उपयोग करने के लिए, यह आवश्यक है कि भारत अपने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की ओर मुड़े और उन्हें देश के निर्यात प्रयासों में सक्रिय सहभागी बनाये. इस विजन को प्राप्त करने की एक कोशिश में, निर्यात तैयारी सूचकांक 2020 राज्यों की संभावनाओं एवं क्षमताओं का मूल्यांकन करता है.
  • EPI का उद्देश्य भारतीय राज्यों की निर्यात तैयारी और निष्पादन की जांच करना ,चुनौतियों और अवसरों की पहचान करना, सरकारी नीतियों की प्रभावोत्पादकता को बढ़ाना और एक सुविधाजनक नियामकीय संरचना को प्रोत्साहित करना इत्यादि है.
  • ईपीआई की संरचना में चार स्तंभ – नीति, व्यवसाय परितंत्र, निर्यात परितंत्र, निर्यात निष्पादन तथा ग्यारह उप स्तंभ – निर्यात संवर्धन नीति, संस्थागत संरचना, व्यवसाय वातावरण, अवसंरचना, परिवहन संपर्क, वित्त की सुविधा, निर्यात अवसंरचना, व्यापार सहायता, अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना, निर्यात विविधीकरण और विकास अनुकूलन शामिल हैं.

EPI – 2020 के निष्कर्ष

  • ईपीआई -2020 में गुजरात को शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है. महाराष्ट्र और तमिलनाडु इस सूचकांक में क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं .
  • ईपीआई -2020 प्रतिवेदन के अनुसार, छह तटीय राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, ओडिशा, कर्नाटक और केरल पहले 10 राज्यों में शुमार हैं.
  • मैदानी क्षेत्र के राज्यों में राजस्थान का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है. इसके पश्चात् तेलंगाना और हैदराबाद का स्थान आता है.
  • हिमालयी अर्थात् पहाड़ी राज्यों में उत्तराखंड शीर्ष स्थान पर रहा. इसके बाद त्रिपुरा और हिमाचल प्रदेश का स्थान आता है.
  • केंद्र-शासित प्रदेशों में दिल्ली का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है. उसके बाद गोवा और चंडीगढ़ का स्थान आता है.

epi index

निर्यात बढ़ाने हेतु ईपीआई -2020 के सुझाव

  • निर्यात, आत्मनिर्भर भारत अभियान का अभिन्न हिस्सा है और भारत को सकल घरेलू उत्पाद और विश्व व्यापार में निर्यात की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास जारी रखना चाहिए.
  • भारत सरकार को आने वाले वर्षों में विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी को दोगुना करने का प्रयत्न करना चाहिए .
  • राज्यों के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए एक पृथक विभाग बनाने पर विचार करना चाहिए.
  • निर्यात तैयारी सूचकांकसभी हितधारकों को राष्ट्रीय एवं राज्यीय दोनों ही स्तरों पर निर्यात परितंत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए दिशा- निर्देशित करेगा.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : Nationally Determined Contribution-NDC

संदर्भ

नीति आयोग द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर दृढ़ सहयोग (Nationally Determined Contributions – NDC) एशिया के लिए परिवहन पहल (Transport Initiative for Asia – TIA) भारत घटक की आभासी रुप से शुरू की जा रही है.

NDC-TIA कार्यक्रम

यह जर्मनी के पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय जलवायु पहल (International Climate Initiative– IKI), प्रकृति संरक्षण और परमाणु सुरक्षा (Nature Conservation and Nuclear Safety) द्वारा समर्थित एक संयुक्त कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य भारत, वियतनाम और चीन में कार्बन मुक्त परिवहन को प्रोत्साहन देना है.

इस कार्यक्रम में 7 संगठन भी कॉन्सॉर्टियम के रूप ने सम्मिलित हैं:-

  1. डॉयचे गेसल्सचाफ्ट फर इंटरनेशनेल ज़ुसमेनारबीट (GIZ) GmbH
  2. स्वच्छ परिवहन पर अंतर्राष्ट्रीय परिषद (ICCT)
  3. विश्व संसाधन संस्थान (WRI)
  4. अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मंच (ITF)
  5. अगोरा वेर्चरस्वेन्द (AGORA)
  6. सतत, कम कार्बन परिवहन (SLoCaT) फाउंडेशन पर साझेदारी
  7. 21 वीं शताब्दी के लिए अक्षय ऊर्जा नीति नेटवर्क ई.वी. (REN21)
  • भारत में (SLoCaT को छोड़कर) सभी को छह कंसोर्टियम संगठनों द्वारा योजनाओं को कार्यान्वित किया जाता है. भारत सरकार की ओर से, देश की प्रमुख थिंक टैंक NITI Aayog इसका कार्यान्वयन भागीदार है.
  • एनडीसी-टीआईए कार्यक्रम की अवधि 4 वर्ष है और यह भारत और अन्य भागीदार देशों को विभिन्न कार्यकलापों के माध्यम से क्षेत्रीय योगदान के द्वारा बड़ी संख्या में हितधारकों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए दीर्घकालिक लक्ष्य प्राप्त करने की अनुमति देगा. यह उनके NDC को प्राप्त करने और 2025 NDC के परिवहन क्षेत्र में उनकी सहभागिता को बढ़ाने की दिशा में योगदान देगा.
  • यह कार्यक्रम भारत में परिवहन, ऊर्जा और जलवायु हितधारकों को आगामी वर्ष के लिए योजनाबद्ध परियोजना गतिविधियों के विषय में सूचित करेगा.
  • यह भारत के CO2 उत्सर्जन को कम करने वाले प्रयासों से जुड़ी परिवहन चुनौतियों को उजागर करने का अवसर भी प्रदान करेगा.
  • एनडीसी-टीआईए इंडिया कंपोनेंट भारत में परिवहन को कार्बन रहित करने और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी के उपायों पर तकनीकी सहयोग प्रदान करने के लिए एक बहु-हितधारक संवाद मंच स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.
  • एनडीसी-टीआईए कार्यक्रम भारत की सरकारी एजेंसियों, स्थानीय निर्णयकर्ताओं, शोधकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों, थिंक टैंक और नागरिक समाज संगठनों के साथ निकट सहयोग और समन्वय में काम करेगा.

राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान

  • पेरिस समझौते में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (Nationally Determined Contribution) की संकल्पना को प्रस्तावित किया गया था.
  • दिसंबर 2015 में पेरिस में हुये संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (UNFCCC) के COP-21 के दौरान यह समझौता हुआ था.
  • यह एक प्रकार से प्रत्येक राष्ट्र द्वारा ऐच्छिक तौर पर अपने लिये उत्सर्जन के लक्ष्यों का निर्धारण करने की अपेक्षा है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System- objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security.

Topic : SOFI Report 2020

संदर्भ

हाल ही में निर्गत स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन (SOFI) प्रतिवेदन, 2020 दिखाती है कि विश्व “सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-2 शून्य भूख” को प्राप्त करने की राह से भटक गयी है.

कई संयुक्त राष्ट्र संगठनों द्वारा निर्गत किये गये प्रतिवेदन में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य असुरक्षित जनसंख्या है. भारत में 2014 से 2019 के मध्य भारत में खाद्य असुरक्षा की व्यापकता 3.8 प्रतिशत बढ़ गई है.

स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन (SOFI) प्रतिवेदन

विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति के संबंध में इस प्रतिवेदन को संयुक्त राष्ट्र संघ की निम्नलिखित संस्थाओं के द्वारा तैयार किया जाता है – 

  • खाद्य और कृषि संगठन.
  • कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष.
  • संयुक्त राष्ट्र बाल निधि.
  • विश्व खाद्य कार्यक्रम.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन.

उद्देश्य

प्रतिवेदन का उद्देश्य भूख को समाप्त करने, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने और पोषण में सुधार की दिशा में हुई प्रगति का आकलन करना है. साथ ही यह प्रतिवेदन सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के संदर्भ में इन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का गहराई से विश्लेषण भी करती है.

2017 से ही एसओएफआई द्वारा खाद्य असुरक्षा के दो प्रमुख संकेतकों का उपयोग किया जा रहा है:

  • मध्यम स्तरीय खाद्य असुरक्षा: मध्यम स्तरीय खाद्य संकट से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें लोगों को कभी-कभी खाद्य की अनियमित उपलब्धता का सामना करना पड़ता है और उन्हें भोजन की मात्रा एवं गुणवत्ता के साथ भी समझौता करना पड़ता है.
  • गंभीर खाद्य संकट: गंभीर खाद्य संकट का अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें लोग कई दिनों तक भोजन से वंचित रहते हैं और उन्हें पौष्टिक एवं पर्याप्त आहार उपलब्ध नहीं हो पाता है. लंबे समय तक यथावत बने रहने पर यह स्थिति भूख की समस्या का रूप धारण कर लेती है.

भारत में खाद्य असुरक्षा की स्थिति

  • SOFI रिपोर्ट में भारत के अल्पपोषण के प्रसार (POU-Prevalence of Undernourishment) के आकलन के लिए NSSO के उपभोग व्यय सर्वेक्षण (CES) के आंकड़ों का उपयोग किया जाता है. हालांकि, कई अन्य देशों की भाँति भारत न ही आधिकारिक रूप से FIES सर्वेक्षण करता है और न ही एफएओ- जीडब्ल्यूपी अनुमानों को स्वीकार करता है. हालांकि एफएओ-जीडब्ल्यूपी सर्वेक्षण भारत में आयोजित किए जाते हैं परन्तु भारत कई अन्य देशों की भांति इन सर्वेक्षणों के आधार पर रिपोर्ट के प्रकाशन की अनुमति नहीं देता है.
  • 2017-18 के लिए NSSO के उपभोग व्यय सर्वेक्षण (CES) के आँकड़े अभी भी प्रकाशित नहीं हुये है. इसलिए SOFI में भारत के सन्दर्भ में अल्पपोषण के प्रसार वर्तमान अनुमान सटीक नहीं है.
  • यह अल्पपोषण के प्रसार के आंकलन में सिर्फ प्रति व्यक्ति भोजन उपलब्धता पर आपूर्ति-पक्ष डेटा के उपयोग पर आधारित है.
  • लेकिन यह विश्वसनीय नहीं है कि भारत में खाद्य भंडार की उच्च उपलब्धता के बावजूद, लोगों तक पहुँच और सामर्थ्य कम है.

SOFI रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार भारत में खाद्य असुरक्षा की स्थिति निम्नानुसार है:-

  • भारत में खाद्य असुरक्षा के सन्दर्भ में कुल वैश्विक संख्या का 22% है जो 2017-19 में किसी भी देश के लिए सबसे अधिक है.
  • 2014 से 2019 की अवधि के दौरान भारत में पीएमएसएफआई में 3.7 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई, जबकि शेष दक्षिण एशिया में यह 0.5 प्रतिशत अंक गिरावट हुयी है.
  • इन अनुमानों से ज्ञात होता है कि जहाँ भारत की 27.8% जनसंख्या 2014- 16 में मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित थी, वहीं 2017-19 में यह अनुपात बढ़कर 31.6% हो गया.

खाद्य असुरक्षा बढ़ने के कारण

SOFI रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार खाद्य असुरक्षा में महत्वपूर्ण वृद्धि के लिए निम्नलिखित प्रमुख कारण उत्तरदायी हैं:

  • कृषि संकट
  • विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की कमी और आर्थिक मंदी
  • रोजगार के घटते अवसर जैसा कि आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि बेरोजगारी दर 6.1% थी जो 4 दशकों में सबसे अधिक है.
  • विमुद्रीकरण और जीएसटी सुधार लागू करने से उत्पन्न आर्थिक मंदी एक प्रमुख कारण रही.

निष्कर्ष

COVID-19 महामारी के मद्देनजर अचानक लागू किए गए एक अभूतपूर्व और लंबे लॉकडाऊन ने भूख और खाद्य असुरक्षा की समस्याओं पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया है. आजीविका के संकट से भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा खाद्य असुरक्षा, भूख और भुखमरी का सामना कर रहा है. इसे देखते हुए आबादी के विभिन्न वर्गों की खाद्य सुरक्षा के मुद्दों को हल करने के लिए विश्वसनीय डेटा एकत्र करने की आवश्यकता है. साथ ही SDG -2, शून्य भूख के लक्ष्य की दिशा में प्रगति को पुनः प्राप्त करने के लिए इस डेटा पर कार्रवाई की जानी चाहिए.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

भारत में कुपोषण में वृद्धि हेतु उत्तरदायी कारक

उत्पादन और पहुंच संबंधित विरोधाभास: भारत में, विगत दो दशकों में खाद्यानों की पैदावार में लगभग 33% की वृद्धि हुई है. हालांकि, जनसंख्या वृद्धि, असमानता, भोजन के अपव्यय एवं ह्रास और निर्यात के कारण चावल, गेहूं तथा अन्य खाद्यानों तक उपभोक्ता की पहुंच में समान दर से वृद्धि नहीं हुई है.

उपभोग में बढ़ती विविधता: ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में अनाज के माध्यम से प्राप्त की जाने वाली ऊर्जा व पोषण की मात्रा में कमी हुई है. वर्तमान में, बड़े पैमाने पर अन्य खाद्य पदार्थों, जैसे- दूध एवं डेयरी उत्पादों, तेल एवं बसा और अपेक्षाकृत अस्वास्थ्यकर भोजन (यथा- फास्ट फूड, प्रसंस्कृत भोजन और शर्करा) के उपभोग की प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है. इसने भारत में मोटापे की उभरती समस्‍या में प्रमुखता से योगदान दिया है.

लक्षित सार्वजतिक वितरण प्रणाली (PDS) की असफलता और पोषक तत्वों से भरपूर खाद पदार्थों के सेवन में कमी: उल्लेखनीय है कि PDS द्वारा भारत में सभी राज्यों में लोगों को महत्त्वपूर्ण पोषण संबंधी पूरकता प्रदान की गई है. हालांकि, इसके निम्नस्तरीय लक्ष्यीकरण के कारण, निर्धनतम 30 प्रतिशत परिवारों की भोजन तक पहुँच संबंधी क्षमता अपेक्षाकृत कम रही है.

देश में पोषण की स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन)

उद्देश्य : 2022 तक ठिगनेपन, अल्प पोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों में) एवं जन्म के समय अल्प वजन के स्तर को क्रमश: 2%, 2%, 3% और 2% प्रति वर्ष कम करना तथा वर्ष 2022 तक ठिगनेपन के स्तर को 38.4% (NFHS-4) से कम कर 25% (Mission 25 by 2022) तक करना.

राष्ट्रीय पोषण रणनीति

यह एक 10-सूत्रीय पोषण कार्य योजना है. इसमें गवर्नेंस (अभिशासन) के स्तर पर किए जाने वाले सुधार शामिल हैं. इसके अतिरिक्त भारत में अल्प पोषण की समस्या में तीव्रता से कमी लाने हेतु यह एक ऐसी रुपरेखा की परिकल्पना करती है, जिनमें पोषण के चार प्रमुख निर्धारकों, यथा- स्वास्थ्य सेवाएँ, भोजन, पेयजल एवं स्वच्छता और आय एवं आजीविका का समन्वित योगदान शामिल हो.

राष्ट्रीय पोषण रणनीति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • यह सर्वाधिक सुभेद्य और संवेदनशील आयु समूहों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए 2030 तक कुपोषण के सभी प्रकारों को कम करने का प्रयास करता है.
  • राज्य, जिला और स्थानीय स्तरों पर अधिक लचीलापन तथा निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करते हुए विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया जाएगा.
  • रणनीति में बच्चों में स्वास्थ्य देखभाल और पोषण स्तर तथा मातृ देखभाल में सुधार पर केंद्रित पहलों के प्रारंभ का प्रस्ताव किया गया है.
  • रणनीति में परिकल्पित शासन संबंधी सुधारों में शामिल हैं: ICDS, NHM और स्वच्छ भारत के लिए राज्य एवं जिला कार्यान्वयन योजनाओं का अभिसरण.
  • बाल कुपोषण के उच्चतम स्तर वाले जिलों में सबसे सुभेद्य समुदायों पर ध्यान केन्द्रित करना; तथा
  • प्रभाव के साक्ष्य के आधार पर सेवा वितरण मॉडल.

Prelims Vishesh

ICICI to use satellites for farm credit :-

  • ICICI बैंक ने घोषणा की है कि किसी प्रक्षेत्र के ग्राहकों की ऋण लेने की पात्रता के मूल्यांकन के लिए अब वह उपग्रहों से प्राप्त डेटा इमेजरी का उपयोग करेगा.
  • इससे बैंक को सम्बंधित भूमि, उसकी सिंचाई और फसल पद्धति आदि का पता चलेगा.
  • उपग्रह इमेजरी का प्रयोग करने वाला ICICI देश का पहला बैंक होगा.

INS Viraat :-

  • गिनिस बुक में INS विराट को विश्व का सबसे अधिक सेवा देने वाला युद्धक जलयान कहा गया है.
  • ज्ञातव्य है कि मूलत: यह जलयान अंग्रेजों का था जिसे भारत ने 1986 में ख़रीदा था.
  • ब्रिटिश नौसेना में यह 1959 में सम्मिलित हुआ था और तब उसका नाम HMS Hermes हुआ करता था.
  • पिछले दिनों यह समाचार आया कि अब यह जलयान काम नहीं करेगा और इसको पुनश्चक्रण के लिए अलंग के श्री राम ग्रुप ने खरीद लिया है. विदित हो कि 2014 में INS विक्रांत को इसी तरह बंद कर के पुनश्चक्रण के लिए तोड़ दिया गया था.

Pampa river :-

  • केरल मेंपेरियार और भरतपुझा नदियों के बाद तीसरी सबसे लम्बी नदी पम्पा है जिसे दक्षिण भागीरथी और बारिश नदी भी कहा जाता है.
  • इस नदी के तट परभगवान् अयप्पा का प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर अवस्थित है.

Pulikkali :-

  • पुलिक्कलि केरल राज्य की एक लोककला है जिसका मंचन ओणम के अवसर पर किया जाता है.
  • पुलिक्कलि का शाब्दिक अर्थ है बाघों की क्रीडा (play of the tigers).
  • बताया जाता है कि 200 वर्ष पहले कोचीन के महाराजा राम वर्मा सक्दन दामपुरन ने इस लोककला के आयोजन का आरम्भ किया था.

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