Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 June 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 26 June 2020


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Godhan Nyay Scheme

संदर्भ

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पशुपालन को व्यावसायिक रूप से लाभदायक बनाने, मवेशियों द्वारा खुले में चराई को रोकने, सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या को हल करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य में ‘गोधन न्याय योजना’ शुरू करने की घोषणा की है.

पृष्ठभूमि

  • भारत के सभी राज्यों समेत छत्तीसगढ़ में खुले में पशुओं के चरने की परंपरा रही है, जो मवेशियों और फसलों दोनों को ही क्षति पहुँचाती है.
  • शहरों की सड़कों पर आवारा जानवरों के चलते सड़क दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती हैं.
  • प्रायः जानवरों से दूध निकालने के पश्चात् उन्हें खुले में छोड़ दिया जाता है, जो अन्य विभिन्न समस्याओं का कारण बनता है.

गोधन न्याय योजना के विषय में

  • गोधन न्याय योजना के अंतर्गत पशु पालकों को लाभ पहुँचाने के राज्य सरकार किसानों से गाय का गोबर खरीदेगी. गौ-पालन को आर्थिक रूप से लाभदायी बनाने तथा खुले में चराई की रोकथाम के लिए किसानों से गाय का गोबर खरीद कर उससे वर्मी कंपोस्ट खाद बनाएगी. इसके बाद प्राप्त वर्मी कंपोस्ट खाद को बाद में किसानों, वन विभाग और उद्यानिकी विभाग को प्रदान किया जाएगा.
  • गोधन न्याय योजना का प्रारम्भ 21 जुलाई को हरेली त्योहार के दिन होगा. विदित हो कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा जो गोबर की खरीद करेगा.
  • इस योजना के अंतर्गत गोबर की खरीदी निर्धारित दर पर होगी वहीं सहकारी समितियों से वर्मी कम्पोस्ट की‍ बिक्री होगी. गोबर के क्रय की दर तय करने हेतु पाँच सदस्यीय मंत्री मण्डल की उप-समिति का गठन किया गया.

गोधन न्याय योजना के लाभ

  • गोधन न्याय योजना से गांवों में रोजगार और अतिरिक्त आय के अवसर में वृद्धि होगी.
  • इस योजना से जैविक कृषि को प्रोत्साहन मिलेगा.
  • पशुओं के अतिचारण से मृदा का संरक्षण किया जाना संभव हो पायेगा.
  • इससे न केवल सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण लगाया जा सकेगा बल्कि इससे जुड़े अन्य विभिन्न समस्याओं को भी कम किया जा सकेगा .

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to Health.

Topic : Kala Azar

संदर्भ

लीशमैनियासिस (leishmaniasis) के इलाज के लिए उपलब्ध एकमात्र दवा मिल्टेफोसिन (miltefosine) तेजी से अपनी प्रभाविकता खोती जा रही है. इसका कारण, इस बीमारी के लिए जिम्मेदार परजीवी के अंदर औषधि प्रतिरोध की क्षमता विकसित हो रही है.

  1. इस हेतु, शोधकर्ताओं की एक दल मिल्टेफ़ोसिन प्रतिरोध से निपटने के तरीके तलाश रही है. इस अनुसंधान समूह ने पहली बार कम्प्यूटेशनल रूप से डिज़ाइन किएगए सिंथेटिक पेप्टाइड्स का उपयोग करके लीशमैनिया के ट्रांसपोर्टर प्रोटीन के ऑलस्टेरिक मॉड्यूलेशन को दिखाया है.
  2. इन आशाजनक शोध परिणामों से संकेत मिलता है कि यह पद्यति औषध प्रतिरोधी लीशमैनिया परजीवी के उपचार के लिए आने वाले समय में उपयोगी साबित हो सकती है.

काला आजार क्या है?

  1. अंग्रेजी में इस रोग को Visceral leishmaniasis (VL) कहते हैं.
  2. यह रोगprotozoan Leishmania parasites के कारण होता है.
  3. यह sandfly नामक मक्खी से फैलता है.
  4. इस रोग के लक्षण हैं – रह-रह कर बुखार, वजन में कमी, प्लीहा और लीवर का सूजन, खून की कमी.
  5. दरअसल काला अजार विश्व में दूसरा सबसे अधिक मृत्युकारक बीमारी है जो Sandfly नामक मक्खी से फैलता है.
  6. NVBDCP, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का एक हिस्सा है, काला अजार के उन्मूलन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

अतिरिक्त तथ्य

  1. लीशमैनियासिस एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारी है, भारत सहित लगभग 100 देश इस बीमारी की चपेट में हैं.
  2. यह लीशमैनिया नामक एक परजीवी के कारण होता है जो रेत मक्खियों के काटने से फैलता है.
  3. लीशमैनियासिस के तीन मुख्य रूप होते हैं –
  • आंत (visceral): जो कई अंगों को प्रभावित करता है और यह रोग का सबसे गंभीर रूप है.
  • त्वचीय (cutaneous): जो त्वचा के घावों का कारण बनता है और यह बीमारी का आम रूप है.
  • श्लेष्मत्वचीय (mucocutaneous):  जिसमें त्वचा और श्लैष्मिक घाव होता है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : 5TH Anniversary of Urban Missions

संदर्भ

प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) (पीएमएवाई-यू), स्मार्ट सिटी मिशन (एससीएम) और अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) की 5वीं वर्षगांठ के अवसर पर आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा एक वेबिनार आयोजन किया गया. इस ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन शहरी मिशनों की उपलब्धियों और कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए किया गया था.

अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत)

  • अटल मिशन फॉर रेजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) का प्रारम्भ 25 जून, 2015 में किया गया था.
  • मिशन का लक्ष्य है ऐसी व्यवस्था करना जिससे कि सबको पीने का पानी मिल सके तथा वर्षा जल निकासी के साथ-साथ नालियों और सेप्टिक टैंकों के गाद के निपटारे की व्यवस्था हो सके एवं अवशिष्ट के उपचार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो. इसके अतिरिक्त बिना ईंधन से चलने वाले शहरी परिवहन, हरित स्थान, पार्क आदि की व्यवस्था हो.
  • अमृत शहरों में सुधार के चलते विश्व बैंक डूइंग बिजनेस प्रतिवेदन में भारत का स्थान बहुत ही अच्छा हुआ है. जहाँ इस रिपोर्ट ने 2018 में भारत को 181वाँ स्थान दिया था, वर्ष 2020 में भारत 27वें स्थान पर पहुँच गया.

स्मार्ट सिटी मिशन

  • स्मार्ट सिटी मिशन की स्थापना 25 जून, 2015 को ऐसे शहरों के निर्माण के उद्देश्य से की गई जिसमें महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे का विकास हो और जो अपने निवासियों को गुणवत्तापूर्ण जीवन, एक स्वस्छ और दीर्घकालिक वातावरण और ‘स्मार्ट’ साधनों से पूर्ण सुविधा प्रदान करे.
  • स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत विकसित एकीकृत कमान और नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) ने शहरों को कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में बहुत सहायता किया है.
  • स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत क्लाइमेट स्मार्ट सिटी और डेटा स्मार्ट सिटी दो प्रमुख कार्यक्रम हैं.
  • स्मार्ट सिटी मिशन म्युनिसिपल बॉन्ड के माध्यम से धन उगाहने में रुचि लेने वाले शहरों की भी सहयोग कर रहा है. हाल ही में, म्युनिसिपल बॉन्ड के लिए यूएस ट्रेजरी विभाग से तकनीकी मदद प्राप्त करने के लिए 6 शहरों का चयन किया गया है.

PMAY-URBAN क्या है?

प्रधानमन्त्री आवास योजना (शहरी) एक निर्माण कार्यक्रम है जिसका अनावरण आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय (MoHUPA) द्वारा किया गया है.

  • सरकार का यह मिशन है कि2022, जब भारत के स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जायेंगे, तक सभी शहरों में सभी के लिए आवास हो जाए.
  • इस योजना के लाभार्थी वे गरीब लोग, EWS (Economically Weak Sections) के नीचे के लोग और LIG (Low Income Group) के लोग होंगे.
  • यह योजना तीन चरणों में पूरी की जायेगी
  1. पहले चरण में अप्रैल 2015 से मार्च 2017 में 100 शहरों में ऐसे आवास बनाए जायेंगे.
  2. दूसरे चरण में अप्रैल 2017 से मार्च 2019 में 200 और शहरों को लिया जायेगा.
  3. तीसरे चरण में अप्रैल 2019 से मार्च 2022 में बाकी शहर इस योजना में शामिल किये जायेंगे.
  • योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को आवास बनाने के लिएएक लाख रु. दिया जाता है.
  • यदि लाभार्थी अपने आवास का जीर्णोद्धार (renovation) करना चाहे तो उसकोडेढ़ लाख रु. का ऋण भी दिया जाता है.
  • इस ऋण पर 15 साल तक के लिए 5% की घटी हुई दर पर सूद लिया जाता है.

किफायती किराया आवास परिसर (ARHC) योजना

  • आत्मनिर्भर भारत’ की तर्ज पर शहरी प्रवासियों/गरीबों को जीवन यापन में सरलता प्रदान करने हेतु किफायती किराया आवास परिसर (ARHC) योजना की घोषणा 14 मई, 2020 को माननीय वित्त मंत्री द्वारा की गई है.
  • ARHC योजना के लाभार्थी ईडब्ल्यूएस/एलआईजी श्रेणियों के शहरी प्रवासी/गरीब होंगे जिनमें मजदूर, शहरी गरीब (रेहड़ी-पटरी वाले या स्ट्रीट वेंडर, रिक्शा चालक, अन्य सेवा प्रदाता, इत्यादि), औद्योगिक श्रमिक, शैक्षणिक/स्वास्थ्य संस्थान, आतिथ्य सेक्टर, दीर्घकालिक पर्यटक, विद्यार्थी या ऐसी अन्य कोई भी श्रेणी शामिल है जिसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उपयुक्त माना जाता है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its Neighbourhood

Topic : Kohala Hydropower Project

संदर्भ

भारत से सीमा पर तनाव एवं भारत की आपत्तियों के बावजूद के बीच एक चीनी कंपनी व पाकिस्तान और चीन की सरकारों के बीच 2.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की लागत से झेलम नदी पर कोहला में 1,124 मेगावॉट जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. PoK में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के अंतर्गत बीजिंग द्वारा 1,124 मेगावाट का कोहला जलविद्युत परियोजना को स्थापित किया जा रहा है.

कोहला जलविद्युत् परियोजना

  • यह जलवविद्युत् परियोजना PoK में बहने वाली झेलम नदी के ऊपर बनाई जायेगी.
  • इस परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान के लोगों को पांच अरब से ज्यादा साफ और कम लागत वाली बिजली की यूनिट उपलब्ध करानी है.
  • पाकिस्तान में स्वतंत्र पावर प्रोड्यूसर के रूप में होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है.

दियामर बाशा परियोजना क्या है?

  • 2010 से पाकिस्तान POK के गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंधु नदी पर दियामर बाशा बांध बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन आर्थिक तंगी के कारण यह संभव हो नहीं पा रहा था. कुछ समय पहले पाकिस्तानी सेना की कमर्शियल विंग ने इस बांध के निर्माण हेतु CPEC के अंतर्गत चीनी कंपनी चाइना पावर के साथ समझौता किया है जिसके कारण इस परियोजना में तेजी आने की संभावना बढ़ गई है.

CPEC

  • CPEC चीन के One Belt One Road (OBOR) कार्यक्रम का एक अंग है.
  • CPEC 51 अरब डॉलर की कई परियोजनाओं का समूह है.
  • प्रस्तावित परियोजना के लिए पाकिस्तान सरकार को जिन संस्थाओं द्वारा धन मुहैया कराया जाएगा, वे हैं – EXIM बैंक ऑफ़ चाइना, चाइना डेवलपमेंट बैंक और इंडस्ट्रियल & कमर्शियल बैंक ऑफ़ चाइना.
  • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का उद्देश्य पाकिस्तान के बुनियादी ढांचों को तेजी से विस्तार करना और उन्नत करना है जिससे चीन और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हो जाएँ.
  • CPEC अंततोगत्वा दक्षिणी-पश्चिमी पाकिस्तान के ग्वादर शहर को चीन के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र Xinjiang को राजमार्गों और रेलमार्गों से जोड़ेगा.
  • CPEC की लम्बाई 3,000 km है जिसमें राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन बिछेगी.

क्या है OBOR परियोजना?

यह चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना है जो 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा शुरू की गई थी. इसे ‘सिल्क रोड इकॉनमिक बेल्ट’ और 21वीं सदी के ‘समुद्री सिल्क रोड’ के रूप में भी जाना जाता है। यह एक विकास रणनीति है जो कनेक्टिविटी पर केंद्रित है. इसके माध्यम से सड़कों, रेल, बंदरगाह, पाइपलाइनों और अन्य बुनियादी सुविधाओं को ज़मीन और समुद्र होते हुए एशिया, यूरोप और अफ्रीका से जोड़ने का विचार है. इसका एक उद्देश्य यह भी है कि इसके द्वारा चीन अपना वैश्विक स्तर पर प्रभुत्व बनाना चाहता है.

क्या भारत के लिए यह चिंता की बात है?

गलियारा का हिस्सा PoK से होकर गुजरेगा जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है. भारत का कहना है कि यह गलियारा उसकी क्षेत्रीय अखंडता को आहत करता है. CPEC के कारण हिन्द महासागर में चीन का दबदबा बढ़ सकता है जिससे भारतीय हितों को क्षति पहुँच सकती है. अगर हम चीन द्वारा संचालित नीतियों जैसे स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स, BCIM (बांग्लादेश-चीन-म्यांमार-भारत) कारीडोर और CPEC को समन्वित रूप से देखें तो चीन चारों ओर से भारत को घेर लेगा जो कि भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना ए.आई.आई.बी. और एस.सी.ओ. की तरह एक बहुपक्षीय परियोजना नहीं है और न ही यह कोई बहु-राष्ट्रीय फ्रेमवर्क या संस्थागत व्यवस्था है, बल्कि यह एक प्रस्तावित परियोजनाओं की श्रृंखला है. अत: भारत को अपनी घरेलू और सीमावर्ती बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के वित्तीयन के लिये ए.आई.आई.बी. (AIIB) और डी.बी. (डेवलपमेंट बैंक) जैसी संस्थाओ का उपयोग करना चाहिये जिससे आर्थिक संभावनाओं को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ पड़ोसी देशों के साथ संपर्क एवं संबंधो को दृढ़ किया जा सके. ज्ञातव्य है कि वर्तमान में भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जहाँ अपार बाज़ार संभावनाएँ विधमान हैं. भारत के पास न तो पूंजी की कमी है और न ही श्रमबल की, इसलिये भारत को अपने यहाँ आर्थिक रूप से व्यवहार्य और टिकाऊ परियोजनाओं को डिज़ाइन और निष्पादित करना चाहिये तथा चीनी क्रेडिट, प्रौद्योगिकी और उपकरणों का प्रयोग करने की बजाय भारतीय प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना चाहिये. विदित हो कि इस परियोजना के खतरे को खुद पाकिस्तान के एक अखबार ने उजागर किया था. उसका मानना है कि इस परियोजना ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के अधिकांश क्षेत्रों पर अपना प्रभाव जमा लिया है तथा चीनी उद्यमों और संस्कृति द्वारा समाज में गहराई तक पैठ बना ली गई है. अतः स्पष्ट संकेत है कि भारत को भी इससे सजग रहना चाहिये.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Science and Technology

Topic : eBlood Services App

संदर्भ

कोरोना वायरस महामारी के बीच जरूरतमंद लोगों को खून की कमी से बचाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ‘इंडियन रेड क्रॉस सोसाएटी’ की पहल के तहत ‘ई ब्लड सर्विस एप’ का अनावरण किया है.

ऐप से संबन्धित जानकारी

  • इस एप्‍लीकेशन को 2015 में प्रारम्भ किया गया.
  • इस ऐप को डिजिटल इंडिया योजना के अंतर्गत सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडैक) की ई-रक्तकोष टीम द्वारा विकसित किया गया है.
  • इस ऐप के माध्यम से, एक समय में चार यूनिट रक्त की माँग की जा सकती है और ब्लड बैंक इसे ले जाने के लिए व्‍यक्ति का 12 घंटे तक प्रतीक्षा करेगा.
  • ऐप के माध्यम से एक बार अनुरोध करने के बाद, मांगी गई इकाइयां आईआरसीएस, एनएचक्यू ब्लड बैंक के ई-रक्‍तकोष डैशबोर्ड में दिखाई देती हैं और यह निर्दिष्ट समय के भीतर सुनिश्चित डिलीवरी की अनुमति देता है.
  • इस सुविधा से रक्त की मांग करने वाले के लिए रक्त प्राप्त करना आसान हो जाएगा और सेवा में पूर्ण पारदर्शिता और एकल खिड़की के उपयोग का अतिरिक्त लाभ होगा.

रेड क्रॉस सोसाइटी

  • अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस सोसाइटी एक गैर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में अवस्थित है. यह युद्ध से प्रभावितों, शरणार्थियों, नागरिकों तथा कैदियों का सहयोग करता है.
  • इसकी स्थापना हेनरी डुनेंट द्वारा 17 फरवरी 1863 में की गयी थी. अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस सोसाइटी को तीन बार (1917,1944 तथा 1963) में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
  • विदित हो कि भारतीय रेडक्रोस सोसाइटी की स्थापना 1920 में हुई थी, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
  • केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष भी हैं.

Prelims Vishesh

World’s first yoga university outside India has been launched in Los Angeles :-

भारत के बाहर विश्व में पहला योग विश्वविद्यालय – विवेकानंद योग विश्वविद्यालय (VaYU) – अमेरिका के लॉस एंजलस में खुला है जिसके पहले अध्यक्ष योग गुरु डॉ. एच.आर. नागेन्द्र होंगे.

Navigating the New Normal :-

COVID-19 से लड़ने के लिए उसके अनलॉक चरण में सुरक्षित व्यवहार, विशेषकर मुखपट्टी (masks) पहनने के विषय में नीति आयोग द्वारा एक विशेष अभियान चलाया जाएगा जिसमें इन संस्थाओं की भी भागीदारी होगी – बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF), सामाजिक एवं व्यवहारगत परिवर्तन केंद्र (CSBC), अशोक विश्वविद्यालय तथा स्वास्थ्य एवं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय.

What are Placebos? :-

किसी दवा के परीक्षण के लिए मनुष्यों अथवा जीवों को वह दवा दी जाती है. इसके अतिरिक्त इनमें से कुछ लोगों को कुछ ऐसी अन्य दवा दी जाती हैं जो देखने में असली दवा के जैसी होती हैं, परन्तु उनके अन्दर माड़ अथवा चीनी के अतिरिक्त कुछ नहीं होता. ऐसी नकली दवाओं को प्लेसेबो कहा जाता है. परीक्षण के उपरान्त देखा जाता है कि असली दवा खाने वाले जीवों पर क्या असर पड़ा.


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