Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 January 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 26 January 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : 70th Republic Day

संदर्भ

26 जनवरी, 2019 को भारत अपना 70वाँ गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस वर्ष इसकी थीम है – “गाँधी का जीवन”. यह थीम इसलिए चुनी गई है क्योंकि इस वर्ष महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती होने जा रही है.

मुख्य अतिथि : इस वर्ष गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि  के रूप में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफ़ोसा आमंत्रित किये गये हैं. नेल्सन मंडेला (1995) के बाद इस अवसर पर आमंत्रित होने वाले ये दक्षिण अफ्रीका के दूसरे नेता हैं.

जनवरी 26 ही क्यों?

संविधान सभा की प्रारूप समिति का विचार था कि संविधान के जन्म की तिथि उस दिन मनाई जाए जिस दिन स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान कोई महत्त्वपूर्ण घटना घटी हो. जनवरी 26, 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस का लक्ष्य घोषित किया गया था. इसलिए जनवरी 26 को गणतंत्र दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.

इस वर्ष समारोह की मुख्य बातें

  • 70वें गणतंत्र दिवस की परेड में सबसे अधिक महिला सैनिक प्रतिभागिता कर रही हैं. लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी 144 पुरुष सैनिकों की एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रही हैं. भारतीय सेना की इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक स्त्री पुरुष जवानों का नेतृत्व कर रही है.
  • इस बार पहली बार भारत के सबसे पुराने परासैनिक बल असम राइफल्स की ऐसी टुकड़ी आ रही है जिसमें स्त्रियाँ ही स्त्रियाँ हैं.
  • इस बार परेड में कुछ नए आयुध प्रदर्शित हो रहे हैं, ये हैं – M777, बहुत हल्के हुविज़र तोप और मध्यम दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM). यह एक स्वदेशी मिसाइल है जिसे DRDO ने बनाया है.
  • इस अवसर पर पहली बार परेड के ऊपर An-32 वायुयान उड़ता रहेगा जिसमें पारम्परिक इंधन के साथ-साथ जैव-इंधन का प्रयोग होगा.
  • परेड में पहली बार इंडियन नेशनल आर्मी (INA) के चार भूतपूर्व सैनिक रहेंगे. इस आर्मी का गठन 1942 में रास बिहारी बोस द्वारा किया गया था. इसने दक्षिण-पूर्व एशिया में द्वितीय विश्व-युद्ध के समय कार्रवाई की थी.
  • इस बार की परेड में शंखनाद नामक एक सैन्य-धुन बजाई जा रही है. विदित हो कि इस धुन को ब्रिटिशों द्वारा भारतीय सेना पर थोपी गई पाश्चात्य सैन्य धुन का स्थान लेने के लिए हाल ही में भारतीय शास्त्रीय संगीत के आधार पर तैयार किया गया है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : SC issues contempt notices to RBI

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक को एक अवमानना नोटिस भेजी है. यह नोटिस इसलिए भेजी गई है कि RBI ने सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत ऋण नहीं चुकाने वालों के बारे में प्राप्त सूचना और बैंकों के विरुद्ध इस संदर्भ में की गई कार्रवाई का विवरण नहीं उपलब्ध कराया.

न्यायालय की अवमानना क्या होती है?

न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 के अनुसार अवमानना के दो प्रकार होते हैं – नागरिक अवमानना और आपराधिक अवमानना.

नागरिक अवमानना वह होती है जिसमें सम्बन्धित पक्ष पर यह आरोप होता है कि उसने किसी न्यायालय द्वारा दिए गये निर्णय, आदेश, निर्देश आदि को नहीं माना है अथवा न्यायालय के समक्ष किसी वचन का जानबूझकर उल्लंघन किया है.

आपराधिक अवमानना वह अवमानना है जिसमें सम्बन्धित पक्ष पर यह आरोप होता है कि उसने लिखित अथवा कथित अथवा चित्रित अथवा संकेतिक अथवा अन्य रूप से कोई ऐसी विषय-वस्तु प्रकाशित की हो अथवा ऐसा कृत्य किया हो जो –

  1. किसी भी न्यायालय के अधिकार को लांछित करता है अथवा उसे सनसनीखेज बनाता है.
  2. किसी न्यायिक प्रक्रिया के प्रति पूर्वाग्रह दिखता है अथवा हस्तक्षेप करता है.
  3. न्यायिक प्रशासन को किसी भी रीति से बाधित करता है अथवा उसमें अडंगा लगाता है.

माहात्म्य

न्यायालय सभी व्यक्ति और संस्थाओं के लिए न्याय और समानता सुनिश्चित करता है. इसलिए संविधान निर्माताओं ने संविधान में धारा 129 और धारा 215 डाली जिससे कि न्यायालय की प्रतिष्ठा पर आँच न आये. इन धाराओं के आधार पर न्यायालय किसी भी उस व्यक्ति पर अवमानना की कार्रवाई कर सकते हैं जो न्यायालय के अधिकार पर आक्षेप करते हैं.

न्यायालय की आलोचना हो सकती है?

हाँ. न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971यह स्पष्ट रूप से कहता है कि यदि कोई किसी वाद में न्यायालय की उचित आलोचना करता है तो अवमानना नहीं कही जायेगी.

2016 का संशोधन

न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 में एक संशोधन 2006 में हुआ जिसके द्वारा मूल अधिनियम के अनुभाग 13 यह प्रावधान डाला गया कि सम्बंधित पक्ष सत्य के आधार पर अवमानना से अपना बचाव करना चाहे और यह लोकहित में हो तो न्यायालय उसके विरुद्ध अवमानना के मामले को वापस ले लेगा.


GS Paper 2 Source: Down to Earth

Topic : Report on ‘e-waste’ by UN

संदर्भ

फेंक दिए गये इलेक्ट्रॉनिक सामग्रियों के विश्व-भर में जमा होते हुए पहाड़ों से उत्पन्न चुनौती की ओर ध्यान खींचने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सात इकाइयों ने मिलकर एक रिपोर्ट का अनावरण किया है जिसका शीर्षक है – “A New Circular Vision for Electronics – Time for a Global Reboot”.

ये इकाइयाँ हैं – अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO); अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU); संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UN Enviornment); संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO); संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (UNITAR); संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय (UNU) और बेसल एवं स्टॉकहोम संधियों के सचिवालय.

इसका प्रतिवेदन हाल ही में दावोस (स्विट्ज़रलैंड) में विश्व आर्थिक मंच पर प्रकाशित किया गया. इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक कचरे की विकराल समस्या के लिए समाधान ढूँढना है क्योंकि इस कचरे से बीमारियाँ हो रही हैं और पर्यावरण भी क्षतिग्रस्त हो रहा है. इस संयुक्त प्रतिवेदन में आह्वान किया गया है कि सर्कुलर “चक्कराकार अर्थव्यस्था (circular economy)” की अवधारणा के आधार पर ई-कचरे के निपटान के लिए एक नई दृष्टि अपनाई जाए जिससे ऐसी प्रणाली का निर्माण हो जिसमें कचरे कम-से-कम हों और ऊर्जा का निरर्थक व्यय भी कम-से-कम हो.

ई-कचरे से सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय संधि

ई-कचरे के निर्यात को बेसल संधि के द्वारा विनियमित किया जाता है. यह संधि हानिकारक कचरों को देश की सीमाओं से बाहर ले जाने और उसके निपटान को नियंत्रित करने से सम्बंधित है. इस संधि पर 188 देश अपना अनुमोदन दे चुके हैं.

ई-कचरे का संकट क्या है?

सबसे बड़ी समस्या यह है कि विश्व-भर में उत्पन्न होने वाले ई-कचरे का मात्र 20% ही पुनः उपयोग में लाया जाता है अर्थात् रिसाइकिल किया जाता है. शेष कचरे के बारे में कोई लिखित साक्ष्य नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि ये कचरे भूमि के अंदर गाड़ दिए जाते हैं जहाँ ये शताबदियों तक नष्ट नहीं होंगे क्योंकि इनका जैविक अपघटन नहीं होता.

अधिकतर ई-कचरे में मानव-स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाली ये वस्तुएँ होती हैं – सीसे की परत वाले केथोल रे ट्यूब, पुराने टेलीविज़न, सीसे और क्रोमियम वाले सर्किट बोर्ड, पारा, केडमियम आदि. ई-कचरा जल के स्रोतों को भी प्रदूषित करता है और खाद्य आपूर्ति शृंखला में भी प्रवेश कर जाता है.

भारत में ई-कचरे के अम्बार में वृद्धि

  • हाल के वर्षों में भारत में ई-कचरे की मात्रा में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. पहले ग्रीन पीस संस्था के अध्ययन में पाया गया था कि इस कचरे में प्रति वर्ष 15% की वृद्धि हो रही है और 2012 तक ई-कचरे की मात्रा 8 लाख टन हो जायेगी, परन्तु 2014 तक यह कचरा बढ़कर 17 लाख हो चुका था जोकि उस समय विश्व का चौथा बड़ा अम्बार था.
  • पूरे विश्व के ई-कचरे का 4% भारत में निकलता है जबकि भारत का GDP 2014 में विश्व की GDP 5% था. इस प्रकार यहाँ GDP से अधिक ई-कचरा होता है.
  • राज्य सभा सचिवालय के द्वारा 2011 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में गड्ढों में डाले गये कचरों में 70% कचरे ई-कचरे होते हैं. इस हिसाब से अनुमान लगाया जाता है कि 2030 तक भारत का ई-कचरा 90 लाख टन तक पहुँच जाएगा.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Bandar Abbas to host IONS next month

संदर्भ

हिन्द महासागर से सटे हुए देशों के नौसेना कमांडर अगले महीने हिन्द महासागर नौसेनिक सिम्पोजियम (Indian Ocean Naval Symposium – IONS) में सम्मिलित होने के लिए ईरान के बन्दर अब्बास में जमा होंगे.

IONS क्या है?

  • IONS 21वीं शताब्दी की पहली महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक सुरक्षा पहल है जिसका अनावरण फरवरी, 2008 में हुआ था. यह एक ऐसा मंच है जहाँ स्थानीय नौसैनिक समस्याओं पर विचार होता है और सदस्य देशों के बीच मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों को बढ़ावा दिया जाता है.
  • वर्तमान में इसमें 35 सदस्य देश हैं जिनको चार उपक्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है. ये क्षेत्र हैं – दक्षिण-एशिया, पश्चिम एशिया, पूर्वी अफ्रीका एवं दक्षिण-पूर्व एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया. इसके अतिरिक्त 9 देश इसमें पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हैं.
  • यह पहल एक स्वैछिक पहल (voluntary initiative) है जिसका उद्देश्य हिन्द महासागर क्षेत्र के समुद्र तटों वाले देशों को एक मंच पर लाना और आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है.
  • 2014 में अंगीकृत इस संस्था के कारोबार प्रलेख के अनुसार इसमें कई कार्यसमूह होते हैं जो इन विषयों से सम्बंधित हैं – मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR), सूचना सुरक्षा एवं सह-संचालन तथा समुद्री डकैती-प्रतिरोध (जिसे आजकल सामुद्रिक सुरक्षा कहा जाता है).

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Padma Awards

संदर्भ

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या में भारत सरकार ने भारत रत्न और पदम् पुरस्कारों की घोषणा की. नानाजी देशमुख (सामाजिक कार्यकर्ता), भूपेन्द्र हजारिका (गायक और संगीतकार) और प्रणब मुखर्जी (भूतपूर्व राष्ट्रपति) को भारत रत्न दिया गया एवं अनेकानेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों पद्मविभूषण और पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की गई.

भारत रत्न

  • भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है जिसका आरम्भ 1954 में हुआ था. यह पुरस्कार किसी भी क्षेत्र में अतिविशिष्ट सेवा अथवा प्रदर्शन के लिए दिया जाता है. पहले ये पुरस्कार कला, साहित्य, विज्ञान और लोक सेवा में उत्कृष्ट कार्य के लिए ही दिया जाता था, पर दिसम्बर, 2011 में सरकार ने यह नियम बना दिया कि किसी भी मानव-प्रयास के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए भारत रत्न दिया जाएगा.
  • भारत रत्न विदेशी नागरिक को भी मिल सकता है क्योंकि ऐसा कोई लिखित प्रावधान नहीं है कि यह मात्र भारतीय नागरिकों को ही दिया जाएगा.
  • संविधान की धारा 18 (1) को देखते हुए इस पुरस्कार को पुरस्कार पाने वाला अपने नाम के आगे या पीछे नहीं लगा सकता है. हाँ, यह अवश्य है कि पुरस्कार पाने वाला अपने बायो-डाटा, लेटर-हेड अथवा विजिटिंग कार्ड आदि में अपने पुरस्कार का उल्लेख कर सकता है.

पद्म पुरस्कार

पद्म पुरस्कार तीन प्रकार के होते हैं – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री. यह पुरस्कार भी 1954 से ही चालू है. इनमें पद्म विभूषण सबसे बड़ा पुरस्कार है तथा उसके पश्चात् और पद्म भूषण और पद्मश्री का स्थान है. जिन क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए ये पुरस्कार दिए जाते हैं, वे हैं – कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामले, विज्ञान और इंजीनियरिंग, व्यापार और उद्योग, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेलकूद, सिविल सेवा, आदि. सामान्यतया ये पुरस्कार मरणोपरांत नहीं दिए जाते हैं, परन्तु कोई ऐसा मामला है जिसमें किसी व्यक्ति ने बहुत ही उत्कृष्ट कार्य किया हो तो सरकार चाहे तो उसको ये पुरस्कार देने पर विचार कर सकती है. पद्म पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर होती है.


Prelims Vishesh

Strategic programme between India and South Africa :-

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने एक ऐसे त्रिवर्षीय रणनीतिक कार्यक्रम को अंगीकृत किया है जिसके अन्दर द्विपक्षीय सम्बन्धों के सभी पहलू आया जाते हैं, जैसे – रक्षा एवं सुरक्षा, व्यापार और निवेश, नीली अर्थव्यवस्था, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि आदि.

Intermediate-Range Nuclear Forces (INF) Treaty :-

  • हाल ही में रूस की सेना ने अपनी नई मिसाइल Novator 9M729 की विशिष्टियों के विषय में विवरण प्रकाशित किये हैं. ऐसा इसलिए किया गया है कि अमेरिका का यह दावा था कि यह मिसाइल 1987 में इन दो देशों के बीच हुई संधि – Intermediate-Range Nuclear Forces (INF) Treaty – का उल्लंघन करके बनाई गई है.
  • विशिष्टयों के प्रकाशन के द्वारा रूस अमेरिका की इस शंका को दूर करना चाहता है.
  • ज्ञातव्य है कि इस संधि के द्वारा दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि यूरोप से सभी प्रकार के बड़े आणविक हथियार हटा लिए जाएँगे और यूरोप में केवल जर्मनी में तैनात छोटे-छोटे आणविक हथियार या छोटी दूरी वाली मिसाइलें ही रह जाएँगी.

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