Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 26 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Swadesh Darshan scheme

संदर्भ

पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2018-19 में स्वदेश दर्शन योजना के अन्दर दस परियोजनाओं के लिए धनराशि निर्गत करने का अनुमोदन कर दिया है.

स्वदेश दर्शन योजना के बारे में

  • जनवरी, 2015 में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की गई थी.
  • यह योजना 100% केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है.
  • इस योजना के लिए केन्द्रीय लोक उपक्रम और निगम क्षेत्र की कंपनियाँ CSR (Corporate Social Responsibility) के अंदर अपना वित्तीय सहयोग स्वैच्छिक रूप से करेंगी.
  • प्रत्येक योजना के लिए दिया गया वित्त अलग-अलग राज्य में अलग होगा जो कार्यक्रम प्रबंधन परामर्शी (Programme Management Consultant – PMC) द्वारा तैयार किये गये विस्तृत परियोजना प्रतिवेदनों (DPR) के आधार पर निर्धारित किया जायेगा.
  • एक राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee – NSC) गठित की जाएगी. जिसके अध्यक्ष पर्यटन मंत्री होंगे. यह समिति इस मिशन के लक्ष्यों और योजना के स्वरूप का निर्धारण करेगी.
  • कार्यक्रम प्रबन्धन परामर्शी की नियुक्ति मिशन निदेशालय (Mission Directorate) द्वारा की जायेगी.
  • पर्यटन मंत्रालय ने देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की थी.
  • इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे स्थानीय समुदाय हेतु रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
  • योजना के अंतर्गत विषयगत सर्किट के विकास हेतु पहचान की गईं सर्किट हैं :- पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, डेजर्ट सर्किट, आदिवासी सर्किट, पारिस्थितिकी सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, सूफी सर्किट, रामायण सर्किट और विरासत सर्किट.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Governance, transparency and accountability.

Topic : “Run Through Files” mechanism

संदर्भ

महत्त्वपूर्ण सरकारी मामलों में विलम्ब नहीं हो इसके लिए हरियाणा सरकार ने केंद्रीकृत संचिका संचरण एवं अनुगमन सूचना प्रणाली (Centralised File Movement and Tracking Information System – CFMS) के अंतर्गत एक नया तंत्र चलाया है जिसे रन थ्रू फाइल्स (Run Through Files) नाम दिया गया है.

इस तंत्र की निगरानी हरियाणा के मुख्यमंत्री स्वयं करेंगे.

मुख्य विशेषताएँ

  • केवल मुख्यमंत्री ही CFMS में किसी संचिका को रन थ्रू फाइल्स नामित करेंगे.
  • प्रत्येक रन थ्रू फाइल्स संचिका का निष्पादन शीर्षस्थ प्राथमिकता लिखी जाने वाली संचिकाओं से भी अधिक तेजी से किया जाएगा.
  • संचिका पर मात्र हस्ताक्षर वाले योगदान के अतिरिक्त किसी भी स्तर पर जो भी योगदान किया जाता है वह CFMS पोर्टल पर भी डाल दिया जाएगा.
  • संचिका के ऊपर या नीचे जाने के समय प्रणाली जनित SMS और ई-मेल स्वतः प्रेषित हो जाएँगे.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Important international institutions.

Topic : Universal Postal Union (UPU)

संदर्भ

केन्द्रीय मंडल ने वैश्विक डाक संघ (Universal Postal Union – UPU) के संविधान में दसवें अतिरिक्त प्रोटोकॉल जोड़े जाने के प्रस्ताव को स्वीकृत करने के विषय में देश का अनुमोदन दे दिया है.

विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक डाक संघ (UPU) अंतर्राष्ट्रीय मेल एक्सचेंज के लिए नियम तय करती है और अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं के लिए दरों को तय करती है.

वैश्विक डाक संघ

वैश्विक डाक संघ की स्थापना 1874 में पोस्टल कांग्रेस (बर्न) में हस्ताक्षरित संधि ( 1875 से लागू) के उपरांत सामान्य डाक संघ के रूप में हुई थी. 1878 में वैश्विक डाक संघ नाम को स्वीकार किया गया. 1948 में यूपीयू संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण बन गया. यूपीयू का संविधान 1964 की विएना पोस्टल कांग्रेस में अंगीकार किया गया, जो 1966 से लागू हुआ.

उद्देश्य

यूपीयू का मुख्यालय बर्न, स्विट्जरलैण्ड में है. इसके सदस्यों की संख्या 2013 के अनुसार 192 है. यूपीयू का उद्देश्य विश्व डाक सेवाओं में सुधार लाना व उन्हें संगठित करना तथा अंतरराष्ट्रीय डाक सहयेाग के विकास को प्रोत्साहित करना है.

कार्यक्षेत्र

वैश्विक डाक संघ के सदस्य देशों से यह आशा की जाती है कि वे पत्राचार के पारस्परिक विनिमय हेतु एकमात्र प्रदेश का निर्माण करें, जिससे निकट सहयोग एवं मानकीकरण के विचार को फलीभूत किया जा सके. वैश्विक डाक समझौते द्वारा डाक दरों, अधिकतम व निम्नतम आकार व वजन सीमा इत्यादि के लिए दिशा-निर्देशों तथा विनियमों का निर्माण किया गया है. इसी के तहत अंतर्देशीय डाक विनियमों के लिए मानक एवं सिद्धांत तय किए जाते हैं. इसके अलावा यूपीयू संयुक्त राष्ट्र के तकनीकी सहयोग कार्यक्रमों में भागीदारी करते हुए विकासशील देशों में विशेषज्ञों की भर्ती करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु छात्रवृत्ति प्रदान करने जैसे कार्य भी करता है. यह अन्य विशिष्ट अभिकरणों के साथ निकट संपर्क भी स्थापित करता है, जैसे- वायु डाक यातायात के विकास हेतु आईसीएओ के साथ, रेडियोधर्मी तत्वों के डाक संचरण हेतु आईएईए के साथ तथा वियोजनीय जैविक तत्वों के यातायात हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ.

वैश्विक पोस्टल कांग्रेस प्रति पांच वर्ष बाद आयोजित होती है, जिसमें सभी सदस्य देश शामिल होते हैं. यह यूपीयू की नीतियों का निर्धारण, कार्यक्रमों की समीक्षा तथा महानिदेशक व उप-महानिदेशक का चुनाव करती है. प्रशासनिक परिषद में 41 सदस्य होते हैं, जो कांग्रेस द्वारा चुने जाते हैं. इस परिषद का अध्यक्ष पिछली कांग्रेस के मेजबान देश से संबद्ध होता है. परिषद कांग्रेसन के मध्य निरंतरता को सुनिश्चित करती है, तकनीकी डाक अध्ययन संचालित करती है तथा संघ के बजट व खातों का अनुमोदन करती है. यह आपदा मामलों से निबटने हेतु आवश्यक विनियमों को स्वीकार करती है. डाक कार्यचालन परिषद में 40 निर्वाचित सदस्य एवं एक अध्यक्ष होता है. यह परिषद अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवाओं के कार्यात्मक, वाणिज्यिक एवं आर्थिक पहलुओं से संबद्ध मामलों पर विचार करती है.

संयुक्त राष्ट्र का अभिकरण

यूपीयू संयुक्त राष्ट्र का दूसरा सबसे पुराना विशिष्ट अभिकरण है, जो वैश्विक पोस्टल कांग्रेस, प्रशासनिक परिषद, डाक कार्यसंचालन परिषद एवं अंतरराष्ट्रीय ब्यूरो द्वारा संघटित है.


GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Various Security forces and agencies and their mandate.

Topic : Chief of Defence Staff

संदर्भ

पिछले दिनों सुरक्षा मंत्रिमंडलीय समिति (Cabinet Committee on Security – CCS) ने एक रक्षा प्रमुख (Chief of Defence Staff – CDS) पद के सृजन का अनुमोदन दे दिया है.

ज्ञातव्य है कि इस पद को सुशोभित करने वाला एक चार तारों (four-star) वाला जनरल होगा.

रक्षा प्रमुख का पद क्या होता है?

रक्षा प्रमुख का पद सेना का वह सबसे ऊँचा पद होता है जिस पर कार्यरत सैनिक अधिकारी सेना के तीनों अंगों का पर्यवेक्षण करता है और उनके कार्यकलाप का समन्वयन करता है.

नियुक्ति से जुड़ी शर्तें

  • एक बार CDS नियुक्त हो जाने के पश्चात् वह जनरल सरकार का कोई भी पद धारण नहीं करेगा.
  • वह निजी नौकरी पकड़ सकता है, परन्तु इसके लिए उसे पद छोड़ने के पश्चात् पाँच वर्षों का समय बिताना होगा और नई आजीविका के लिए पूर्व अनुमति लेनी पड़ेगी.

रक्षा प्रमुख की भूमिका और कार्य

रक्षा प्रमुख दीर्घकालिक रक्षा योजना एवं प्रबंधन के विषय में देश की कार्यपालिका को परामर्श देता है. वह कार्यबल, उपस्करों (equipment), रणनीति और संयुक्त सैन्य कार्रवाई पर अपनी सलाह सीधे कार्यकारी प्रमुख अर्थात् प्रधानमन्त्री अथवा राष्ट्रपति आदि को देता है.

वर्तमान व्यवस्था

भारत में अभी रक्षा प्रमुख का कोई पद नहीं है. इसके स्थान पर अध्यक्ष, रक्षा समिति (Chiefs of Staff Committee – CoSC) की व्यवस्था है. परन्तु इसकी शक्तियाँ नगण्य हैं. इस पद तीनों सेना प्रमुखों में से जो वरिष्ठतम होते हैं उनकी नियुक्ति की जाती है. यह नियुक्ति चुने गये अध्यक्ष की सेवा निवृत्ति के साथ-साथ समाप्त हो जाती है.

परिवर्तन की आवश्यकता क्यों?

  • CoSC की व्यवस्था असंतोषजनक मानी गई है क्योंकि इसके अध्यक्ष का पद मात्र आलंकारिक पद है.
  • यह व्यवस्था तीनों सेनाओं को एकात्म बनाने में असफल रही है जिस कारण कुशलता का अभाव देखा गया है और साथ ही महँगी परिसंपत्तियों का दुबारा क्रय भी हुआ है.
  • वस्तुतः CoSC प्रणाली औपनिवेशिक युग की एक विरासत है जिसमें इतने वर्षों में थोड़े-बहुत ही परिवर्तन हुए हैं.
  • समीक्षकों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ है कि राजनैतिक वर्ग को यह भय है कि यदि रक्षा प्रमुख को सशक्त बनाया गया तो उनके वर्चस्व को आघात पहुँच सकता है.

CDS के विरुद्ध तर्क

  • CDS के विषय में अभी तक कोई स्पष्ट कार्ययोजना नहीं बनाई गई है.
  • देश की राजनीतिक व्यवस्था रक्षा विषयों के प्रति उदासीन है, अतः यह CDS की कार्यकुशलता सुनिश्चित कर पाएगी यह संदेहास्पद है.
  • सेना स्वभाव से ही परिवर्तन विरोधी होती है.
  • यदि दूरदृष्टि और समझ के साथ काम नहीं किया गया तो सम्भव है कि CDS एक आलंकारिक पद ही रह जाएगा.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism.

Topic : Detention centres for illegal migrants

संदर्भ

नागरिकता संशोधन अधिनियम तथा राष्ट्रीय नागरिक पंजी को लेकर केंद्र सरकार और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहे हैं और इस संदर्भ में बंदी केन्द्रों (detention centres) के अस्तित्व पर चर्चाएँ हो रही हैं.

बंदी केन्द्र क्या होते हैं?

बंदी केन्द्र उन स्थानों को कहते हैं जहाँ बिना आवश्यक प्रलेख के देश में घुस आये अवैध आव्रजकों को तब तक रखा जाता है जब तक कि उनकी राष्ट्रीयता की सम्पुष्टि नहीं होती अथवा उनको उनके मूल देश को भेज नहीं दिया जाता.

क्या भारत में बंदी केंद्र हैं?

हाँ, असम में छह बंदी केंद्र हैं. इनमें 1,000 बंदियों को रखने की व्यवस्था है, परन्तु इससे अधिक लोग यहाँ रखे गये हैं.

असम बंदी केंद्र कैसे स्थापित हुए थे?

भारत सरकार ने असम में बंदी केन्द्रों की स्थापना के लिए वहाँ की सरकार को विदेशी अधिनियम 1946 के अनुभाग 3(2)(e) एवं विदेशी आदेश, 1948 के अनुच्छेद 11(2) के अंतर्गत अनुमति दी थी.

आदर्श बंदी केंद्र हस्तक (Model detention centres manual)

ऐसे बंदी केंद्र किस प्रकार चलाये जाएँ इसके लिए भारत सरकार ने एक हस्तक (manual) भी तैयार किया है जिसे सभी राज्यों को परिचालित किया जा चुका है.

इस हस्तक के मुख्य निर्देश निम्नलिखित हैं :-

  1. ऐसे केन्द्रों की स्थापना के लिए राज्यों को केंद्र से कोई विशेष अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है.
  2. ये केंद्र जेल परिसर से बाहर स्थापित होने चाहिएँ.
  3. कितने केंद्र बनें और उनका आकार क्या हो, इस विषय में राज्य स्वयं निर्णय लें. इसके लिए उन्हें उन विदेशियों की संख्या तथा उनको उनके मूल देश में भेजने की कार्यवाही में होने वाली प्रगति को ध्यान में रखना होगा.

आजकल बंदी केन्द्रों (detention camps) की चर्चा क्यों हो रही है?

आजकल राष्ट्रीय नागरिक पंजी चर्चा में है. इस कारण बंदी केन्द्रों की चर्चा भी हो रही है. ऐसा विशेषकर इसलिए हो रहा है कि पिछले दिनों असम राज्य में 19 लाख ऐसे जन पाए गये थे जिनके पास नागरिकता के उपयुक्त प्रलेख नहीं हैं.


Prelims Vishesh

“Oxygen Parlour” At Nashik Railway Station To Combat Air Pollution :-

  • नासिक रेलवे स्टेशन पर एक ऑक्सीजन पार्लर खुला है जो यात्रियों को स्वच्छ वायु में साँस लेने का अनुभव मुहैया करेगा.
  • इस पार्लर में कुछ ऐसे अनूठे पौधे होंगे जो वायु से पाँच सबसे हानिकारक प्रदूषक तत्त्वों को सोख लेते हैं.

Tunnel Under Rohtang Pass To Be Named After Atal Bihari Vajpayee :

  • दिसम्बर 25 को पड़ने वाली भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशती पर सरकार रोहतांग दर्रे में निर्मित सामरिक सुरंग को उनका नाम देने वाली है.
  • ज्ञातव्य है कि 8 किलोमीटर लम्बी यह सुरंग पीर पंजाल पर्वत श्रेणी को काटकर बनाई गई है और 3,000 मीटर से अधिक ऊँचाई वाली सुरंगों में यह विश्व की सबसे लम्बी सुरंग है.

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