Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 August 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 26  August 2020


GS Paper 1 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : Cultural heritage of Hyderabad

संदर्भ

पर्यटन मंत्रालय ने हाल ही में DekhoApnaDesh श्रृंखला के अंतर्गत “हैदराबाद की सांस्कृतिक विरासत” नामक 50 वें वेबिनार का आयोजन किया. सरकार द्वारा शुरू की गई वर्चुअल टूर सीरीज को भारत ही नहीं, दुनियाभर के लोगों ने पसंद किया और देखा.

पृष्ठभूमि

कोरोना संकट के चलते पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां पूरी दुनिया में थमी हुई हैं. ऐसे में लॉकडाउन के शुरुआती दौर में ही भारत सरकार ने लोगों को घर बैठे देश की वर्चुअल टूरिंग कराने की शुरुआत की थी. पर्यटन मंत्रालय ने एक योजना ‘देखो अपना देश‘ को डिजिटल फॉर्म में पेश कर इसे शुरू किया था. भारत के इस वर्चुअल टूर में देशवासियों के साथ-साथ विदेशियों ने भी खूब दिलचस्पी ली.

 ‘देखो अपना देश’ वेबिनार श्रृंखला क्या है?

  • इस वेबिनार श्रृंखला की शुरुआत भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा 14 अप्रैल, 2020 को की गई.
  • “देखो अपना देश” वेबिनर का एकमात्र उद्देश्य लोगों को भारत के गंतव्य स्थलों की जानकारी प्रदान करना है.
  • ‘देखो अपना देश’ श्रृंखला सत्रों के संचालन का जिम्मा इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस विभाग लेता है.
  • विदित हो कि इस वेबिनार श्रृंखला के आने वाले सत्र का शीर्षक ‘फोटोवाल्किंग भोपाल’ (Photowalking Bhopal) है.
  • इस शो को एक्सपर्ट होस्ट करते हैं और देश की कई मशहूर जगहों के बारे में बताते हैं.

कौन हैं दर्शक?

दर्शकों में भारत के अलावा, नाइजीरिया, यूके, यूएस, कनाडा, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, इटली, स्पेन, जर्मनी से लेकर यूएई व पाकिस्तान तक शामिल है. विदेशों से आए फीडबैक को देखते हुए अब सरकार विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करेगी.

हैदराबाद की सांस्कृतिक विरासत

  • वेबिनार में हैदराबाद की संस्कृति को प्रदर्शित किया गया, जो निजाम के शासन के दौर से विरासत में मिले इस्लामिक प्रभावों के चलते बाकी तेलंगाना से काफी अलग है. यह अंतर हैदराबाद की वास्तुकला, खानपान, जीवन शैली और विशेष रूप से पुराने शहर की भाषा में स्पष्ट दिखाई देता है.
  • हैदराबादी विरासत के प्रदर्शन के लिए समर्पित कई संग्रहालयों, कला दीर्घाओं और प्रदर्शनियों के साथ हैदराबाद में साहित्य और ललित कलाओं की एक समृद्ध परंपरा है.
  • हैदराबाद मोतियों के शहर” और “निजाम के शहर के रूप में लोकप्रिय है तथा कुतुबशाही राजवंश द्वारा स्थापना के बाद से एक जीवंत ऐतिहासिक विरासत का केन्द्र रहा है. बाद में शहर पर मुगल साम्राज्य का आधिपत्य हो गया और आखिर में यह आसफजही राजवंश के हाथ में चला गया. 
  • खानपान और चारमीनार व गोलकुंडा किला जैसे वास्तुकला की प्रतिष्ठित इमारतों के रूप में हैदराबाद की संस्कृति में आज भी शाही अतीत दिखाई देता है, जो शहर के स्वर्णिम इतिहास के प्रमाण हैं. 1591 से ही शानदार चारमीनार मस्जिद हैदराबाद का सबसे प्रतिष्ठित स्मारक और हैदराबाद के समृद्ध इतिहास और विरासत का प्रतीक रहा है. यह स्मारक पुराने शहर के बीचों-बीच स्थित है और यहाँ से शहर की असाधारण संस्कृति, और इसके शानदार खाने और शिल्प कला की झलक देखने को मिलती है.
  • मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने गोलगुंडा किले से आगे राजधानी के विस्तार के लिए 1591 में हैदराबाद की स्थापना की थी. 1687 में शहर पर मुगलों का कब्जा हो गया. 1724 में मुगल शासक निजाम आसफ जाह-1 ने अपनी सम्प्रभुता का ऐलान किया और आसफ जाही राजवंश की स्थापना की, जिसे निजाम के नाम से भी जाना जाता है. हैदराबाद 1769 से 1948 के बीच आसफ जाही की शाही राजधानी रहा. 1947 में भारत के आजाद होने से पहले तक हैदराबाद रियासत की राजधानी के रूप में शहर में ब्रिटिश रेजिडेंसी और कैंटोनमेंट भी था.
  • प्रारंभिक आधुनिक युग के अंत तक मुगल साम्राज्य दक्षिण तक सिमटकर रह गया और निजाम के संरक्षण ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों के विद्वानों को आकर्षित किया. स्थानीय और प्रवासी कारीगरों के संयोजन से एक विशेष संस्कृति का निर्माण हुआ और शहर प्राचीन संस्कति के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभरा. यहां की चित्रकला, हस्तशिल्प, आभूषण, साहित्य, बोली और परिधान आज भी प्रसिद्ध हैं. इस शहर में स्थापित तेलुगू फिल्म उद्योग देश में फिल्मों का दूसरा बड़ा निर्माण केन्द्र है. हैदराबाद को यूनेस्को द्वारा पाक कला की श्रेणी में एक रचनात्मक शहर के रूप में चुना गया है.
  • पुरानी विरासत संरचना और आधुनिक इमारतों के संयोजन के साथ ही हैदराबाद लाड बाजार की लाख की चूड़ियों, कांच की चूड़ियों, पाथरघट्टी के मोतियों और आभूषणों, लाड बाजार व पाथरघट्टी के इथनिक परिधानों तथा छाता बाजार की कालिग्राफी के लिए भी प्रसिद्ध है. शहर इडिबल सिल्वर फॉइल, जरदोजी कार्य, कालिग्राफी आदि के लिए प्रसिद्ध है.

इस सत्र में हैदराबाद के निम्नलिखित प्रमुख सांस्कृतिक स्थलों का उल्लेख किया गया है :

1) गोलकुंडा किला, हैदारबाद- एक भव्य किला जिसके अवशेष आज भी शान से खड़े हैं, वह आज भी अपनी समृद्ध विरासत और शहर के इतिहास की अनसुनी कहानियों को जाहिर करता है. हैदराबाद में इस आकर्षक स्थल की जरूर यात्रा करनी चाहिए. मोहम्मद कुली एक नए शहर की आवश्यकता समझते थे और उन्होंने भागनगर (जिसका नाम उनकी प्रियतमा के नाम पर रखा गया था) बनाया जिसके केन्द्र में चारमीनार थी.

2) चौमहला पैलेस- एक समय आसफजही वंश की गद्दी रहा चौमहला पैलेस का निर्माण हैदराबाद में किया गया था और यह प्रसिद्ध स्मारक चारमीनार और लाड बाजार के पास स्थित था. इस महल का डिजाइन खासा जटिल था और इसमें नवाबी आकर्षण स्पष्ट दिखाई देता था. चौमहला पैलेस निजामों का सिंहासन हुआ करता था, जिसे सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए यूनेस्को एशिया-पैसिफिक हेरिटेज मेरिट पुरस्कार मिल चुका है.

3) चारमीनार- जब कुली कुतुब शाह ने गोलकुंडा की जगह हैदराबाद को अपनी राजधानी बनाया तो इस स्मारक का निर्माण किया गया. इस स्मारक को अपनी संरचना के कारण यह नाम मिला, क्योंकि इसमें चार ऊंची-ऊंची मीनारें थीं.

4) पुरानी हवेली- हैदराबाद के स्वर्णिम दौर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक इस इमारत को आज उसकी बेहतरीन कलाकृतियों और प्रतिभा के लिए जाना जाता है. यह बेहद सुंदर इमारत इतिहास के प्रेमियों के लिए एक महान आश्चर्य के समान है.

5) मक्का मस्जिद- भारत की सबसे पुरानी और बड़ी मस्जिदों में से एक यह मस्जिद हैदराबाद के भव्य ऐतिहासिक स्थलों में से एक है, जिसका निर्माण 1693 में औरंगजेब ने पूरा कराया था. माना जाता है कि यहां इस्तेमाल की गई ईंटें मक्का से आई थीं और इसीलिए उसका यह नाम पड़ा.

6) कुतुबशाही मकबरा- इब्राहिम बाग में स्थित कुतुबशाही मकबरा छोटी और बड़ी मस्जिदों तथा मकबरों का समूह है, जिनका निर्माण कुतुब शाह वंश के शासकों ने कराया था. मकबरे एक ऊंचे स्थान पर बनाए गए हैं और उन्हें गुम्बद का आकार दिया गया है. हैदराबाद में छोटे ऐतिहासिक स्थल एक मंजिला हैं, जबकि बड़े स्थल दो मंजिला हैं. इस स्थल को मुगल फौज द्वारा गोलकुंडा किला को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. मकबरे की छोटी मंजिल को मुगल सेना के घोड़ों के लिए अस्तबल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था.

7) पैगाह मकबरा- हैदराबाद में पिसल बांदा उपनगरीय इलाके में स्थित पैगाह मकबरा, पैगाल शाही परिवार के मकबरों का एक समूह है. भले ही वर्तमान में यह जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, लेकिन मकबरे में आज भी शानदार वास्तुकला और नक्काशीदार संगमरमर के पैनल मौजूद हैं. हैदराबाद के इस ऐतिहासिक स्थल का प्रबंधन रखवालों के एक परिवार द्वारा किया जाता है, जो परिसर में ही रहता है.

8) सालार जंग संग्रहालय- इस कला संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1951 में की गई थी और यह हैदराबाद शहर में मूसी नदी के दक्षिणी किनारे पर दार-उल-शिफा में स्थित है. सालार जंग परिवार ने दुनिया भर से इन दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह किया था. यह परिवार दक्षिण भारत के इतिहास के सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित परिवारों में से एक है, जिनमें से पांच हैदराबाद के पूर्ववर्ती निजाम शासन- डेक्कन में प्रधानमंत्री रहे थे.

9) वारंगल किला- यह किला कम से कम 12वीं सदी से अस्तित्व में है, जब यह काकतीय राजवंश की राजधानी हुआ करता था. किले में चार भव्य द्वार हैं, जिन्हें काकतीय कला थोरनम के रूप में जाना जाता है जो मूल रूप से जीर्ण शीर्ष हो चुके महान शिव मंदिर के प्रवेश द्वार के रूप में बनाए गए थे.

10) कुतुबशाही लकड़ी का महल- यह महल व्यापार मार्ग में भी पड़ता है. इस व्यापारिक मार्ग की अहमियत इसके इर्द गिर्द बनाए गए ढांचों से भी प्रदर्शित होती है. गोलकुंडा- पुल-ई-नरवा नई राजधानी को किले से जोड़ता है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Appointment to various Constitutional posts, powers, functions and responsibilities of various Constitutional Bodies.

Topic : Lokayukta

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय नगालैंड सरकार की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिये सहमत हो गया, जिसमें उसने राज्य में लोकायुक्त के कामकाज को लेकर सवाल खड़े किये हैं.

याचिका में क्या है?

याचिका में राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत अपनी शक्तियों का उपयोग करते हुए यह सुनिश्चित करने के लिये निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है कि “नगालैंड लोकायुक्त की संस्थागत सत्यनिष्ठा” और “नगालैंड लोकायुक्त अधिनियम, 2017” की भावना संरक्षित रहे.

क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 142?

  • जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सर्वोपरि.
  • अपने न्यायिक निर्णय देते समय न्यायालय ऐसे निर्णय दे सकता है जो इसके समक्ष लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिये आवश्यक हों और इसके द्वारा दिये गए आदेश सम्पूर्ण भारत संघ में तब तक लागू होंगे जब तक इससे संबंधित किसी अन्य प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है.
  • संसद द्वारा बनाए गए कानून के प्रावधानों के अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय को सम्पूर्ण भारत के लिये ऐसे निर्णय लेने की शक्ति है जो किसी भी व्यक्ति की मौजूदगी, किसी दस्तावेज़ अथवा स्वयं की अवमानना की जाँच और दंड को सुरक्षित करते हैं.

क्या हैं लोकपाल और लोकायुक्त?

  • लोकपाल तथा लोकायुक्त अधिनियम, 2013 ने संघ (केंद्र) के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त संस्था की व्यवस्था की.
  • ये संस्थाएँ बिना किसी संवैधानिक दर्जे वाले वैधानिक निकाय हैं.
  • ये Ombudsman का कार्य करते हैं और कुछ निश्चित श्रेणी के सरकारी अधिकारियों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच करते हैं.

लोकायुक्त क्या है?

  1. लोकायुक्त एक भ्रष्टाचार-रोधी प्राधिकरण अथवा लोकपाल होता है. वह सरकार द्वारा जनता के हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त एक अधिकारी है.
  2. यह लोक सेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार और कु-प्रशासन के आरोपों की जांच करता है तथा इसका कार्य लोक शिकायतों के त्वरित निवारण करना है.

लोकायुक्त का उद्भव

वर्ष 1966 में स्वर्गीय मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में गठित प्रशासनिक सुधार आयोग ने लोकायुक्त संस्था की स्थापना की सिफारिश की.

लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013,  जिसे सामान्यतः लोकपाल अधिनियम के नाम से जाना जाता है, भारत की संसद द्वारा दिसंबर 2013 में पारित किया गया था.

  1. इस अधिनियम में ‘लोक सेवकों के आचरण से संबंधित आरोपों या शिकायतों की जांच और रिपोर्ट करने के लिए’ लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है.
  2. इस अधिनियम  अंतर्गत केंद्रीय स्तर पर लोकपाल की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है.

लोकायुक्त के रूप में किसे नियुक्त किया जाता है?

लोकायुक्त सामान्यतः उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश होते हैं और उनका निश्चित कार्यकाल होता है.

लोकायुक्त का चयन

  1. मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, विधान सभा के अध्यक्ष, विधान परिषद के अध्यक्ष, विधान सभा में विपक्ष के नेता और विधान परिषद में विपक्ष के नेता के परामर्श के बाद लोकायुक्त के रूप में किसी व्यक्ति का चयन करता है.
  2. लोकायुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है.
  3. नियुक्त होने के पश्चात्, लोकायुक्त को सरकार द्वारा हटाया या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है, तथा केवल राज्य विधानसभा द्वारा महाभियोग प्रस्ताव पारित करके पदमुक्त किया जा सकता है.

लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के मुख्य तत्त्व

  • यह अधिनियम केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोक्यायुक्त के गठन का प्रावधान करता है जिसका मूल उद्देश्य भ्रष्टाचार का निवारण है.
  • लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य  होंगे.
  • लोकपाल भ्रष्टाचार के जिन मामलों को देखेगा उसके अन्दर सरकारी प्रधानमन्त्री समेत केंद्र सरकार के सभी सरकारी सेवकों से सम्बंधित होंगे. परन्तु सेना लोकपाल के दायरे में नहीं आयेंगे.
  • अधिनियम के अनुसार लोकपाल को यह अधिकार है कि वह भ्रष्ट तरीकों से अर्जित सम्पत्ति को जब्त कर सकता है चाहे सम्बंधित मुकदमा अभी चल ही क्यों नहीं रहा हो.
  • अधिनियम के अनुसार इस अधिनियम के प्रभावी होने के एक वर्ष के अन्दर सभी राज्यों को अपना-अपना लोकायुक्त गठित कर लेना होगा.
  • लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में यह सुनिश्चित किया गया है कि जो सरकारी सेवक भ्रष्टाचार की किसी मामले के बारे में पहली सूचना देंगे, उनको सुरक्षा प्रदान की जायेगी.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : No Confidence Motion

संदर्भ

केरल में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस पार्टी केरल की पिनरई विजयन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (no confidence motion)  लाने की तैयारी में है.

अविश्वास प्रस्ताव क्या है?

  • अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रस्ताव है जो किसी दल के द्वारा वर्तमान सरकार के विरुद्ध विचार के लिए लोक सभा में प्रस्तुत किया जाता है.
  • ऐसे प्रस्ताव में प्रस्तावक के द्वारा केन्द्रीय मंत्रिमंडल में कथित दोष, चूक और गलतियाँ दर्शाई जाती हैं और सरकार को बर्खास्त करने की माँग की जाती है.
  • अविश्वास प्रस्ताव उपस्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि इस पर कम से कम 50 सांसद अपना समर्थन दें.
  • ऐसा होने पर प्रस्ताव को विचार के लिए स्वीकृत कर लिया जाता है और अध्यक्ष इस पर बहस के लिए एक तिथि निर्धारित करता है.
  • अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा के अंत में प्रधानमंत्री आरोपों का उत्तर देते हैं और अंत में आवाज़ अथवा मतदान  के जरिये बहुमत का निर्णय सुनाया जाता है.
  • यदि सरकार अविश्वास प्रस्ताव में अपेक्षित मत नहीं प्राप्त करती है तो उसे इस्तीफ़ा देना होता है.
  • कोई प्रधानमन्त्री इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार न हो तो राष्ट्रपति स्वयं पहल करके उसे हटा सकता है. किन्तु ऐसा कभी नहीं हुआ है.
  • प्रधानमन्त्री के इस्तीफ़ा देने के बाद सरकार का काम चलाने के लिए प्रधानमंत्री को अंतरिम कार्यकारी प्रधानमंत्री घोषित किया जाता है.
  • ऐसा अंतरिम प्रधानमन्त्री कोई बड़ा नीतिगति निर्णय नहीं ले सकता है.
  • इस प्रकार अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया में राज्यसभा की कोई भूमिका नहीं है.
  • इस विषय में आवश्यक प्रावधान Rules of Procedure and Conduct of Business के नियम 198 में दिए गये हैं.
  • संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं है.

और भी विस्तार से पढ़ें  :- अविश्वास प्रस्ताव


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Electricity Amendment Bill 2020

संदर्भ

हाल ही में आम आदमी दल ने सदन के अध्यक्ष से केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीन अध्यादेशों तथा विद्युत संशोधन विधेयक-2020 को निरस्त करने के लिए प्रस्ताव पेश करने की अनुमति मांगी है. आम आदमी पार्टी का तर्क है कि यह कानून राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण करते हैं तथा यह  देश के संघीय ढांचे के विपरीत हैं.

विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 के विवादास्पद बिंदु

सबसे पहले, कुछ राज्यों ने केंद्र पर राज्यों से परामर्श नहीं करने का आरोप लगाया है क्योंकि बिजली समवर्ती सूची का विषय है. अन्य मुद्दे निम्नलिखित हैं:

इस विधेयक का उद्देश्य सब्सिडी समाप्त करना है. किसानों सहित सभी उपभोक्ताओं को शुल्क का भुगतान करना होगा, और सब्सिडी प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से उनके खाते में भेजी जाएगी.

राज्य इस प्रावधान से आशंकित हैं क्योंकि :-

  1. इसका अर्थ होगा कि लोगों को बिजली शुल्क के रूप में एक बड़ी राशि का भुगतान करना होगा, जबकि उन्हें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण केजरिये सहायता बाद में प्राप्त होगी.
  2. इससे लोगों को एक साथ बड़ी राशि चुकाने में परेशानी होगी तथा न चुका सकने की स्थति में दंड भुगतना पड़ेगा अथवा उनका बिजली कनेक्शन भी काटा जा सकता है.
  3. इस विधेयक में राज्यों को शुल्क निर्धारित करने के अधिकार से वंचित कर दिया गया है, तथा इसका दायित्व केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्राधिकरण को सौपा गया है.
  4. यह भेदभावपूर्ण है, क्योंकि इसके द्वारा केंद्र सरकार जब मन चाहे तब, जितना चाहे उतना शुल्क को बढ़ा सकती है.
  5. विधेयक के एक अन्य प्रावधान के अंतर्गत राज्य की बिजली कंपनियों के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित अक्षय ऊर्जा का न्यूनतम प्रतिशत क्रय करना अनिवार्य किया गया है.
  6. यह प्रावधान कम-नकद पूंजी वाली पॉवर फर्मों के लिए अलाभकारी होगा.

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1980 के पश्चात् से भारतीय कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र में बिजली की खपत में लगातार वृद्धि हुई है.
  • वर्तमान में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र में प्रदान की जाने वाली बिजली पर बड़ी मात्रा में सब्सिडी प्रदान की जाती है.
  • विद्युत सब्सिडी के कारण हर साल सरकार को लगभग 80,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आर्थिक भार सहना पड़ता है.
  • वर्ष 2003 में केंद्र सरकार द्वारा लागू ‘विद्युत अधिनियम, 2003’ के जरिये भारतीय विद्युत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन करने की कोशिश की गई.
  • गत कई वर्षों से समस्याओं के समाधान के अभाव में भारतीय विद्युत क्षेत्र लगातार घाटे में रहने के साथ ही उपभोक्ताओं की ज़रूरतों के अनुरूप सेवाएँ उपलब्ध कराने में असफल रहा है.
  • केंद्रीय सरकार वर्ष 2014 से अब तक ‘विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधेयक’ के संदर्भ में चार प्रारूप प्रस्तुत कर चुकी है.
  • वर्ष 2014 के प्रारूप के अंतर्गत उपभोक्ताओं को मोबाईल सेवाओं की तरह अपने विद्युत सेवा प्रदाता को बदलने का विकल्प दिया गया था.
  • ‘विद्युत अधिनियम (संशोधन) विधेयक’ का दूसरा एवं तीसरा प्रारूप क्रमशः वर्ष 2018 और वर्ष 2019 में प्रस्तुत किया गया था.

विद्युत संशोधन विधेयक, 2020

लागत आधारित दर और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण:

  • सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, नियामक विद्युत उत्पादन और उसके वितरण की लागत के आधार पर विद्युत दरों का निर्धारण करेंगे, नियामकों द्वारा निर्धारित दरों में सब्सिडी को सम्मिलित नहीं किया जाएगा.
  • किसानों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के जरिये प्रत्यक्ष रूप से उनके खाते में सब्सिडी प्रदान की जाएगी.

नियामकीय व्यवस्था को दृढ़ बनाना

  • अपीलीय न्यायाधिकरण को दृढ़ बनाना: इस प्रारूप में अध्यक्ष के अतिरिक्त अपीलीय न्यायाधिकरण की क्षमता को 7 सदस्यों तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है. जिससे मामलों के त्वरित निस्तारण हेतु कई पीठों की स्थापना की जा सके, साथ ही न्यायाधिकरण के फैसलों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये इसे और अधिक सशक्त बनाने का प्रस्ताव भी  किया गया है.
  • कई चयन समितियों की व्यवस्था खत्म:
    1. वर्तमान विद्युत अधिनियम के अंतर्गत  केंद्रीय और राज्य आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति के लिये कई चयन समितियों का गठन करना पड़ता है.
    2. इस प्रारूप में केंद्र और राज्य आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति हेतु एक चयन समिति की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है.
    3. साथ ही केंद्र और राज्य विद्युत विनियामक आयोगों के अध्यक्षों और अन्य सदस्यों की नियुक्ति हेतु सामान पात्रता मानदंडों को स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है.
  • जुर्माना : इस में विद्युत अधिनियम के प्रावधानों और आयोग के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दंडात्मक कार्रवाई के रूप में अधिक जुर्माना लगाए जाने हेतु विद्युत अधिनियम की धारा 142 और 146 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है.

विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण की स्थापना (Electricity Contract Enforcement Authority)

  • इस प्रारूप में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक ‘केंद्रीय प्रवर्तन प्राधिकरण’ की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है.
  • इस प्राधिकरण के पास विद्युत उत्पादन और वितरण से जुड़ी हुई कंपनियों के बीच बिजली की खरीद, बिक्री या हस्तांतरण से संबंधित अनुबंधों की लागू करने के लिये दीवानी अदालत (Civil Court) के बराबर अधिकार होंगे.

अक्षय ऊर्जा और पनबिजली

  • केंद्र सरकार ने देश में ऊर्जा के अक्षय स्रोतों से बिजली के उत्पादन के आवश्यक क्षमता विकास और प्रोत्साहन के लिये एक राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा नीति’ (National Renewable Energy Policy) के निर्माण का प्रस्ताव किया है. 
  • इस प्रारूप में आयोग को विद्युत वितरकों द्वारा अनिवार्य रूप से अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली की खरीद की एक न्यूनतम मात्रा निर्धारित करने का प्रस्ताव किया गया है. साथ ही अक्षय ऊर्जा स्रोतों से न्यूनतम बिजली क्रय करने की बाध्यता न पूरी करने पर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव भी किया गया है.

सीमा पार विद्युत व्यापार: इसके अंतर्गत प्रारूप में भारत तथा अन्य देशों के बीच बिजली व्यापार को बढ़ावा देने तथा इसे और अधिक सरल बनाने के लिये आवश्यक प्रावधानों को प्रस्तावित किया गया है.

विद्युत क्षेत्र की वर्तमान समस्याएँ

  • अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों और कृषि कार्य में विद्युत आपूर्ति के लिये मीटर (Electricity Meter) न होने के कारण ऐसे क्षेत्रों में विद्युत खपत के संदर्भ में विस्तृत आँकड़ों की अनुपलब्धता एक बड़ी समस्या है.
  • कृषि में विद्युत सब्सिडी के कारण राज्य सरकारों पर आर्थिक दबाव बढ़ा है और यह आर्थिक दबाव विद्युत क्षेत्र के विकास की सबसे बड़ी बाधा रही है, साथ ही वितरक कंपनियों को समय पर भुगतान न मिलने के कारण कंपनियों की स्थिति खराब हुई है.
  • बेहतर तकनीक एवं उपकरणों के नवीनीकरण के न होने के कारण उत्पादन केंद्रों से उपभोक्ताओं तक विद्युत वितरण के दौरान बहुत ही अधिक मात्रा में ऊर्जा की क्षति एक गंभीर समस्या है.
  • सरकार पर सब्सिडी के दबाव को अल्प करने के लिये क्रॉस-सब्सिडी (Cross Subsidy) जैसी नीतियों को अपनाने से औद्योगिक क्षेत्र पर नकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

क्रॉस-सब्सिडी (Cross Subsidy): किसी एक वर्ग या समूह को कम दरों पर सेवाएँ या उत्पाद उपलब्ध करने हेतु किसी दूसरे समूह से अधिक/अतरिक्त शुल्क वसूल करने की प्रक्रिया क्रॉस सब्सिडी कहलाती है. भारत में कृषि क्षेत्र या कुछ अन्य वर्गों को कम दरों पर बिजली उपलब्ध कराने के लिये औद्योगिक क्षेत्र को दी जाने वाली बिजली पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाता है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Asian Infrastructure Investment Bank (AIIB)

संदर्भ

 भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार, मुंबई रेलवे विकास निगम और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) ने मुंबई में उपनगरीय रेलवे प्रणाली की नेटवर्क क्षमता, सेवा गुणवत्ता और सुरक्षा में सुधार के लिए आज 500 मिलियन डॉलर की मुंबई शहरी परिवहन परियोजना- III के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए.

परियोजना की कुल अनुमानित लागत 997 मिलियन डॉलर है, जिसमें से 500 मिलियन डॉलर एआईआईबी, 310 मिलियन डॉलर महाराष्ट्र सरकार और 187 मिलियन डॉलर रेल मंत्रालयदेगा. एआईआईबी से 500 मिलियन डॉलर ऋण में 5 साल की छूट अवधि और 30 साल की परिपक्वता अवधि है.

इस समझौते के संभावित लाभ

इस परियोजना से नेटवर्क क्षमता में वृद्धि होने के साथ ही यात्रियों के यात्रा समय और जानलेवा दुर्घटनाओं में कमी आने की उम्मीद है. अनुमान है कि परियोजना के प्राथमिक लाभार्थियों में 22% महिला यात्री हैं जो बेहतर सुरक्षा और सेवा की गुणवत्ता से लाभान्वित होंगी.

यह परियोजना सड़क-आधारित परिवहन की तुलना में तीव्र, अधिक विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाली परिवहन सेवाएँ प्रदान करके मुंबई की उप नगरीय रेलवे प्रणाली के यात्रियों को बेहतर गतिशीलता, सेवा गुणवत्ता और सुरक्षा प्रदान में सहायता करेगी. उल्‍लंघन नियंत्रण उपायों की शुरूआत के माध्यम से यात्रियों और जनता को प्रत्यक्ष सुरक्षा लाभ होगा.

एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक क्या है?

  1. AIIB का full-form है –Asian Infrastructure Investment Bank
  2. AIIB बैंक एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जिसका मुख्यालय बीजिंगचीन में है.
  3. इसकी स्थापना 2014 में हुई थी और इसके कार्यकलाप 2016 में प्रारम्भ हुए थे.
  4. अब इसमें विश्व-भर के 102 देश इसके सदस्य हो गये हैं. (AIIB के ऑफिसियल वेबसाइट में – Click here, विकीपीडिया में गलत इनफार्मेशन है)
  5. इस बैंक को एशियाई क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के उद्देश्य से बनाया गया है.
  6. यह बैंक चीन की सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया था.
  7. हाल ही में भारत, चीन की अगुवाई वाली एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक का सबसे बड़ा लाभार्थी के रूप में उभरा है.
  8. इस बैंक की पूँजी 100 बिलियन डॉलर है. यह राशि एशियाई विकास बैंक की पूँजी के दो-तिहाई तथा विश्व बैंक की पूँजी के आधे के बराबर है.

IIB परियोजनाओं हेतु विशेष निधि

  1. AIIB परियोजनाओं की तैयारी के लिए जून 2016 में विशेष फंड का गठन किया गया था, यह एक बहु-दाता सुविधा है.
  2. इसका मुख्य उद्देश्य पात्र एआईआईबी सदस्यों, विशेष रूप से अल्प-आय वाले सदस्य देशों को बुनियादी ढांचा परियोजनाएं तैयार तैयार करने में वित्तीय सहायता प्रदान करना है.
  3. इस विशेष निधि के अंतर्गत अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं को तैयार करने के लिए तकनीकी सहायता अनुदान प्रदान किया जाता है. इन अनुदानों से, सहायता-प्राप्त देश परियोजना निर्माण के लिए आवश्यक विशेषज्ञों और सलाहकारों को नियुक्त कर सकते हैं.

एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के विभिन्न अंग

बोर्ड ऑफ गवर्नर्स: गवर्नर्स बोर्ड में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा नियुक्त एक गवर्नर तथा एक वैकल्पिक गवर्नर होते हैं.

निदेशक मंडल: बैंक के सामान्य संचालन का भार गैर-निवासी निदेशक मंडल (Non-resident Board of Directors) पर होता है. इस निदेशक मंडल को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा सभी शक्तियां प्रदान की जाती है. इनके कार्यों में बैंक की रणनीति बनाना, वार्षिक योजना और बजट को मंजूरी देना, नीति-निर्माण; बैंक संचालन से संबंधित निर्णय लेना; और बैंक के प्रबंधन और संचालन की देखरेख और एक निगरानी तंत्र स्थापित करना आदि सम्मिलित है.

अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार पैनल: AIIB ने बैंक की रणनीतियों तथा नीतियों के साथ-साथ सामान्य  परिचालन मुद्दों पर बैंक के अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन की सहायता हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार पैनल (International Advisory Panel- IAP) का गठन किया  है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) 22.8 मिलियन (2011) की जनसंख्या के साथ, भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला महानगरीय क्षेत्र है और 2031 तक यहां की जनसंख्या के 29.3 मिलियन और 2041 तक 32.1 मिलियन तक पहुँचने की आशा है. यह जनसंख्या वृद्धि मुंबई के शहरी विस्तार की मुख्‍य संचालक है, जो महाराष्ट्र राज्य को शहरी और बुनियादी ढांचे को दृढ़ बनाने की योजना को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर करता है जो आर्थिक गतिविधियों, गतिशीलता के साथ-साथ पर्यावरण और सामाजिक परिणामों के अनुकूलन को संतुलित करती है.

मुंबई के नियमि‍त आने-जाने वाले लगभग 86 प्रतिशत लोग सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर करते हैं. हालांकि, यात्रा के संबंध में बढ़ती मांग के साथ आपूर्ति में उतनी  तीव्रता से नहीं हुई है. मुंबई उपनगरीय रेलवे नेटवर्क, जो सभी मोटर चालित यात्रा का तीन चौथाई (यात्री किमी का 78 प्रतिशत या प्रति दिन आठ मिलियन यात्री) प्रति वर्ष तीन प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, यह दुनिया के कुछ सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला शहर है. गाड़ियों में सुविधाओं की कमी, घटिया स्टेशनों और स्टेशन तक पहुंच और गंभीर सुरक्षा चिंताओं ने उपयोगकर्ताओं के साथ समझौता किया है. 2002-2012 के बीच, मुंबई उपनगरीय रेलवे नेटवर्क पर 36,152 से अधिक मृत्यु (औसतन, 9.9 मौतें प्रति दिन) हुई और 36,688 लोगों को चोटें आईं. दुर्घटनाओं और मौतों का एक प्रमुख कारण स्टेशनों पर या रेलगाड़ियों और ट्रेनों की भीड़भाड़ के साथ-साथ स्टेशनों पर नियमों का उल्‍लंघन है.


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