Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 April 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 26 April 2019


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Global Talent Competitiveness Index

संदर्भ

वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक- 2019 में शीर्ष स्थान प्राप्त करने वाले 10 देशों में 8 यूरोपीय देश शामिल हैं. यह सूचकांक प्रतिस्पर्द्धा में यूरोपीय देशों की प्रतिभा के वर्चस्व को प्रदर्शित करता है. इस बार सूचकांक की थीम ‘उद्यमी प्रतिभा और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा’ है.

उद्देश्य

  • इस सूचकांक को जारी करने का उद्देश्य प्रतिभा के लिए विभिन्न देशों की प्रतिस्पर्धा की क्षमता का मापन करना है.
  • यह रिपोर्ट नीति-निर्माताओं को एक ऐसा अद्वितीय संसाधन उपलब्ध कराती है, जिससे वह वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्धा परिदृश्य को समझ सकें और अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि के लिए रणनीतियां विकसित कर सकें.

वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक

  • वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा सूचकांक- 2019 को इनसीड (INSEAD) बिज़नेस स्कूल द्वारा टाटा कम्युनिकेशंस (Tata Communications) और एडिको समूह (Adecco Group) के सहयोग से जारी किया जाता है.
  • इस सूचकांक के अंतर्गत वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्द्धा में देशों की क्षमता की माप की जाती है.सूचकांक में शीर्ष 3 स्थान प्राप्त करने वाले देश क्रमशः स्विट्ज़रलैंड, सिंगापुर, और अमेरिका हैं.

भारत का प्रदर्शन

  • वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्धी सूचकांक में भारत एक स्थान की बढत के साथ 80वें स्थान पर आ गया है.
  • परन्तु यह अभी भी ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और द. अफ्रीका) से पीछे है.

आगे की राह

भारत को बढ़ती लैंगिक असमानता तथा अल्पसंख्यकों और अप्रवासियों के प्रति असहिष्णुता के संबंध में भी आंतरिक स्तर पर सुधार करने की आवश्यकता है. स्पष्ट है कि उच्च स्थान प्राप्त करने वाले देश मुख्यतः यूरोपीय हैं और ये देश सूचकांक के मानकों को पूरा करते हैं, अतः अपनी वर्चस्वता को कायम रखते हुए ये कई वर्षों से शीर्ष पर बने हुए हैं.भारत को इस सूचकांक में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने के लिये इसके मानको को पूरा करने तथा सभी क्षेत्रों में आंतरिक स्तर पर सुधार करने की आवश्यकता है.


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : World Immunization Week 2019

संदर्भ

इस वर्ष विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह 24 से 30 अप्रैल के बीच मनाया जा रहा है. इसकी थीम “एक साथ सुरक्षित : टीके काम करते हैं” (Protected Together: Vaccines Work!) रखी गयी है. इसके द्वारा उन सभी लोगों के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है जिन्होंने सभी आयुवर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण सुनिश्चित करवाने में भूमिका निभाई, इसमें अभिभावक, हेल्थ वर्कर तथा इन्नोवेटर शामिल हैं. विदित हो कि विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह को पहली बार 2012 में आयोजित किया गया था.

मुख्य तथ्य

  • टीकाकरण रोग, विकलांगता और टीका-निवारणीय रोगों जैसे कि ग्रीवा संबंधी कैंसर, डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस बी, खसरा, मम्प्स, पर्टुसिस (खांसी खांसी), निमोनिया, पोलियो, रोटावायरस अतिसार (डायरिया), रूबेला और टेटनस इत्यादि से होने वाली मृत्यु से सुरक्षित करता है.
  • विश्व में 19 मिलियन से ज़्यादा बच्चे टीकाकरण के बिना या टीकाकरण के मध्य हैं, जो कि उन्हें संभावित घातक रोगों के गंभीर ज़ोखिम में डालता हैं.
  • ख़सरे के टीकाकरण के कारण विश्वभर में वर्ष 2000 से वर्ष 2016 के बीच खसरे से होने वाले मृत्यु में 84% की कमी आयी है.
  • वर्ष 1988 से पोलियो मामलों में 99% से ज्यादा की कमी आयी है. वर्तमान में तीन देशों (अफगानिस्तान, नाइजीरिया और पाकिस्तान) में पोलियो-स्थानिक हैं. पोलियो वर्ष 1988 में 125 देशों में था.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2014 में भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया था.
  • भारत में 12-23 महीने की आयु वर्ग के 62% बच्चों में पूरी तरह से टीकाकरण ((एनएफएचएस-4 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-2016) के दौरान ((बीसीजी, ख़सरा, एवं पोलियो और डीपीटी की तीन खुराकें)) पाया गया था.

विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह (World Immunization Week)

  • विश्व टीकाकरण सप्ताह अप्रैल माह के आखिरी सप्ताह में मनाया जाता है.
  • इसका उद्देश्य सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर करना है ताकि हर व्यक्ति को टीका-निवारणीय रोगों से बचाया जाना सुनिश्चित किया जा सकें.
  • टीकाकरण लाखों लोगों के जीवन को सुरक्षित करता है तथा बड़े पैमाने पर विश्व के सबसे सफल और कम लागत वाले प्रभावी स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में से एक के रूप जाना जाता है.
  • सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए टीकाकरण तक पहुंच का विस्तार करना महत्वपूर्ण है.
  • ऐसा करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल अधिकारियों को टीकाकरण के प्रयासों में निवेश करना चाहिए, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं को टीकाकरण को प्राथमिकता देनी चाहिए तथा लोगों को स्वयं और अपने परिवारों का टीकाकरण अवश्य कराना चाहिए.

उद्देश्य

  • स्वास्थ्य के लिए टीकाकरण की भूमिका को रेखांकित करना.
  • प्रतिरक्षण के अधिक से अधिक लोगों के लिए सुनिश्चित करने के लिए कार्य करना.
  • स्वास्थ्य के लिए नियमित प्रतिरक्षण के लाभ को रेखांकित करना.

भारत में टीकाकरण कार्यक्रम

सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)

भारत सरकार ‘टीका-निवारणीय रोगों’ के खिलाफ़ नि:शुल्क टीकाकरण प्रदान कर रहा है, जिसमें डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी), टेटनस, पोलियो, ख़सरा, बाल्यावस्था में होने वाले तपेदिक का गंभीर प्रकार, हेपेटाइटिस बी, मेनिन्जाइटिस और निमोनिया (हेमोफिल्ट्स इन्फ्लूएंजा टाइप बी संक्रमण), जेई स्थानिक जिलों में जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) और यूआईपी के तहत नए टीकें जैसे कि रोटवायरस टीका, आईपीवी, वयस्क जेई टीका, न्यूरमोकोकल कंजुगेट टीका (पीसीवी) और खसरा-रूबेला (एमआर) शामिल है.

मिशन इंद्रधनुष

भारत सरकार ने सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं का संपूर्ण टीकाकरण कवरेज प्राप्त करने और यूआईपी को मज़बूत बनाने एवं पुनःऊर्जा देने के लिए दिसंबर 2014 में “मिशन इंद्रधनुष” का शुभारंभ किया. इससे पहले पूर्ण टीकाकरण कवरेज में वृद्धि प्रतिवर्ष 1% थी, जो कि मिशन इंद्रधनुष के पहले दो चरणों के माध्यम से प्रतिवर्ष 6.7% हो गयी है.

तीव्र मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई)

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण कार्यक्रम में तेज़ी लाने के लिए 8 अक्टूबर 2017 को तीव्र मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) का शुभारंभ किया. इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत सरकार का उद्देश्य दो वर्ष से कम उम्र के प्रत्येक बच्चों और उन सभी गर्भवती महिलाओं तक पहुंचना है, जो नियमित रूप से टीकाकरण कार्यक्रम (प्रतिरक्षण कार्यक्रम) के तहत छूट गए हैं, ताकि दिसंबर 2018 तक 90% से अधिक पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित किया जा सकें.

एनएचपी इंद्रधनुष टीकाकरण (मोबाइल एप्लिकेशन)

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), भारत सरकार ने माता-पिता और अभिभावक को अपने बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में जागरूक और उनकी टीकाकरण की स्थिति पर नज़र रखने (ट्रैक) के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ किया गया है. इस एप्लिकेशन को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : National Housing Bank

संदर्भ

भारतीय रिजर्व बेंक ने राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) और राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) में अपनी पूरी हिस्सेदारी सरकार को क्रमश: 1,450 करोड़ रुपये और 20 करोड़ रुपये में बेच दी है. इसके बाद ये दोनों कंपनियां पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियां बन गई हैं. रिजर्व बैंक ने एनएचबी में 19 मार्च को अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी, जबकि नाबार्ड की हिस्सेदारी 26 फरवरी को ही सरकार को बेच दी गई थी.

पृष्ठभूमि

  • यह कदम दूसरी नरसिम्हन समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिश के अनुरूप उठाया गया है. इसमें नियामकीय संस्थानों की एक दूसरे में शेयरधारिता को समाप्त करने की सिफारिश की गई है. यह रिपोर्ट 2001 में सौंपी गई थी. रिजर्व बैंक के अपने स्तर पर भी इस संबंध में एक परिचर्चा पत्र जारी किया गया था.
  • नरसिम्हन समिति ने कहा था कि रिजर्व बैंक को उन संस्थानों में हिस्सेदारी नहीं रखनी चाहिये जिनका वह नियमन करता है. केन्द्रीय बैंक के पास नाबार्ड में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. इसमें से 71.5 प्रतिशत हिस्सेदारी को अक्टूबर 2010 में ही सरकार के सुपुर्द कर दिया गया था, जबकि शेष बची हिस्सेदारी 26 फरवरी 2019 में सरकार को बेची गई.
  • राष्ट्रीय आवास बैंक में पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी आरबीआई के पास थी जिसे 19 मार्च 2019 को बेच दिया गया. रिजर्व बैंक ने दूसरी नरसिम्हन समिति की सिफारिशों के आधार पर ही इससे पहले स्टेट बैंक, एनएचबी और नाबार्ड में मालिकाना हक सरकार को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव अक्टूबर 2001 में कर दिया था.
  • इसी के तहत 29 जून को सरकार ने सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक में रिजर्व बैंक से उसकी पूरी 7 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण कर लिया था. सरकार ने दोनों वित्तीय संस्थानों के पूंजी ढांचे में बदलाव के लिये नाबार्ड कानून 1981 और एनएचबी कानून 1987 में संशोधन के जरिये कर दिये हें. इन बदलावों को जनवरी 2018 और मार्च 2018 में अधिसूचित कर दिया गया है.

राष्ट्रीय आवास बैंक क्या है?

NHB एक अखिल भारतीय वित्त संस्था है जिसकी स्थापना 1988 में राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 के अधीन हुई थी. इस मूर्धन्य एजेंसी की स्थापना इस उद्देश्य से हुई थी कि स्थानीय एवं क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर आवासीय वित्त संस्थानों को बढ़ावा दिया जा सके और साथ ही इन संस्थानों को वित्तीय एवं अन्य सहयोग उपलब्ध कराया जा सके.

नाबार्ड क्या है?

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) भारत का एक शीर्ष बैंक है जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है. इसे कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए प्राधिकृत किया गया है. 12 जुलाई 1982 को नाबार्ड की स्थापना की गयी थी.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : DBT funds research to ‘cultivate’ meat in lab

संदर्भ

भारत में पहले लैबरेटरी मीट प्रॉजेक्ट की शुरुआत गुरुवार से हो गई. हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मोलेक्यलैर बायॉलजी (CCMB) और नैशनल रिसर्च सेंटर ऑन मीट (NRCM) मिलकर ‘अहिंसा मीट’ का उत्पादन करेंगे.

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पृष्ठभूमि

अगस्त 2018 में फ्यूचर ऑफ प्रोटीन ऐंड फूड टेक्नॉलजी पर एक समिट के दौरान केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने CCMB को अगले 5 साल में सेल आधारित अहिंसा मीट के कमर्सल स्केल पर उत्पादन की सलाह दी थी.

मुख्य तथ्य

  • बायॉटेक्नॉलजी डिपार्टमेंट की ओर से 5 करोड़ रुपये की शुरुआती फंडिंग की गई है.
  • वैज्ञानिक मटन और चिकन स्टेम सेल्स की मदद से तैयार करेंगे.
  • मांस के लिए जानवरों को पालने और उन्हें काटने की जरूरत नहीं होगी.
  • CCMB के वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह मीट पौष्टिकता के मामले में जानवरों के मीट के बराबर ही होगा और स्वाद, गंध और दिखने में भी कोई अंतर नहीं होगा.

माहात्म्य

इस टेक्नॉलजी से लैब में मीट उत्पादन के लिए जानवरों को पालन और फिर उन्हें मारने की जरूरत नहीं है. इससे फूड सिक्यॉरिटी के साथ जानवरों के कल्याण में भी मदद मिलेगी. भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां सरकार फैट-फ्री बोनलेस मीट उत्पादन के लिए फंडिंग दे रही है. इससे फूड सिक्यॉरिटी के साथ जानवरों के कल्याण में भी मदद मिलेगी. भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां सरकार फैट-फ्री बोनलेस मीट उत्पादन के लिए फंडिंग दे रही है.


GS Paper  3 Source: Down to earth

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Topic : Illegal cultivation of Bt brinjal suspected in Haryana

संदर्भ

हरियाणा के फतेहाबाद जिले में एक किसान के जरिए जीन परिवर्तित (जीएम ) यानी बीटी बैंगन की गैरकानूनी खेती करने का मामला उजागर हुआ है. संशोधित जीन मुक्त भारत के लिए काम करने वाले संयुक्त गठबंधन जीएम फ्री इंडिया की ओर से “डाउन टू अर्थ” को यह जानकारी दी गई है कि बीटी बैंगन वाले खेत का निरीक्षण किया गया था. इस निरीक्षण में एक बैंगन का नमूना भी लिया गया. इस नमूने में बैंगन जीन परिवर्तित पाया गया. बैंगन में बीटी सीआरवाई 1 एसी प्रोटीन की पुष्टि हुई है.

बीटी बैंगन

  • बीटी बैंगन जो कि एक आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल है, इसमें बैसिलस थुरियनजीनिसस (Bacillus thuringiensis) नामक जीवाणु का प्रवेश कराकर इसकी गुणवत्ता में संशोधन किया गया है.
  • बैसिलस थुरियनजीनिसस जीवाणु को मृदा से प्राप्त किया जाता है.
  • बीटी बैंगन और बीटी कपास (Bt Cotton) दोनों के उत्पादन में इस विधि का प्रयोग किया जाता है.

GM फसल क्या है?

संशोधित अथवा परिवर्तित फसल (genetically modified – GM Modified crop) उस फसल को कहते हैं जिसमें आधुनिक जैव-तकनीक के सहारे जीनों का एक नया मिश्रण तैयार हो जाता है.

ज्ञातव्य है कि पौधे बहुधा परागण के द्वारा जीन प्राप्त करते हैं. यदि इनमें कृत्रिम ढंग से बाहरी जीन प्रविष्ट करा दिए जाते हैं तो उन पौधों को GM पौधा कहते हैं. यहाँ पर यह ध्यान देने योग्य है कि वैसे भी प्राकृतिक रूप से जीनों का मिश्रण होता रहता है. यह परिवर्तन कालांतर में पौधों की खेती, चयन और नियंत्रित सम्वर्धन द्वारा होता है. परन्तु GM फसल में यही काम प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से किया जाता है.

 GM फसल की चाहत क्यों?

  • अधिक उत्पादन के लिए.
  • खेती में कम लागत के लिए.
  • किसानी में लाभ बढ़ाने के लिए.
  • स्वास्थ्य एवं पर्यावरण में सुधार के लिए.

GM फसल का विरोध क्यों?

  • यह स्पष्ट नहीं है कि GM फसलों (GM crops) का मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर कैसा प्रभाव पड़ेगा. स्वयं वैज्ञानिक लोग भी इसको लेकर पक्के नहीं हैं. कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी फसलों से लाभ से अधिक हानि है. कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि एक बार GM crop तैयार की जायेगी तो फिर उस पर नियंत्रण रखना संभव नहीं हो पायेगा. इसलिए उनका सुझाव है कि कोई भी GM पौधा तैयार किया जाए तो उसमें सावधानी बरतनी चाहिए.
  • भारत में GM विरोधियों का यह कहना है कि बहुत सारी प्रमुख फसलें, जैसे – धान, बैंगन, सरसों आदि की उत्पत्ति भारत में ही हुई है और इसलिए यदि इन फसलों के संशोधित जीन वाले संस्करण लाए जाएँगे तो इन फसलों की घरेलू और जंगली किस्मों पर बहुत बड़ा खतरा उपस्थित हो जाएगा.
  • वास्तव में आज पूरे विश्व में यह स्पष्ट रूप से माना जा रहा है कि GM crops वहाँ नहीं अपनाए जाएँ जहाँ किसी फसल की उत्पत्ति हुई हो और जहाँ उसकी विविध किस्में पाई जाती हों. विदित हो कि भारत में कई बड़े-बड़े जैव-विविधता वाले स्थल हैं, जैसे – पूर्वी हिमालय और पश्चिमी घाट – जहाँ समृद्ध जैव-विविधता है और साथ ही जो पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है. अतः बुद्धिमानी इस बात में होगी कि हम लोग किसी भी नई तकनीक के भेड़िया-धसान में कूदने से पहले सावधानी बरतें.
  • यह भी डर है कि GM फसलों के द्वारा उत्पन्न विषाक्तता के प्रति कीड़ों में प्रतिरक्षा पैदा हो जाए जिनसे पौधों के अतिरिक्त अन्य जीवों को भी खतरा हो सकता है. यह भी डर है कि इनके कारण हमारे खाद्य पदार्थो में एलर्जी लाने वाले तत्त्व (allergen) और अन्य पोषण विरोधी तत्त्व प्रवेश कर जाएँ.

आगे की राह

हर बार अवैध जीएम फसलों को इसी तरह से भारत समेत दुनिया के कई देशों में प्रवेश दिया जाता है. उसके बाद सरकार उस अवैध खेती को मंजूरी दे देती है. जीएम बीज बनाने वाली कंपनी पर यह जिम्मेदारी सुनिश्चत होनी चाहिए कि यदि बिना मंजूरी उसका बीज कहीं बाहर मिलता है तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. अवैध बीटी बैंगन के इस समूचे खेत को नष्ट कर दिया जाना चाहिए. वहीं, इस कृत्य में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होनी चाहिए. यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसानों को इसके लिए प्रताड़ित किया जाए. ज्यादातर किसानों को वैध और अवैध बीजों की जानकारी नहीं होती. फसल नष्ट करने के बाद किसानों को इसका मुआवजा भी दिया जाना चाहिए.


Prelims Vishesh

Rabindranath Tagore Literary Prize :-

  • लेखक राणा दासगुप्ता को उनके 2010 के उपन्यास सोलो के लिए रवींद्रनाथ टैगोर साहित्यिक पुरस्कार 2019 से सम्मानित किया गया था, जो व्यवस्था और भौतिक अस्तित्व की अंतिम विफलता की कहानी है.
  • पुरस्कार का उद्देश्य कविता और पुस्तकों को पुनर्जीवित करना है जो जीवन को बदल सकते हैं.
  • इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले विजाता को $ 10,000 की राशि दी जाती है और एक टैगोर प्रतिमा और साहित्य में योगदान के लिए एक प्रमाण पत्र पुरस्कार प्रदान किया जाता है.

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[vc_row][vc_column][vc_message message_box_color=”orange” icon_fontawesome=”fa fa-file-pdf-o”]March, 2019 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadnew_gif_blinking[/vc_message][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_column_text]
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