Sansar डेली करंट अफेयर्स, 25 August 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 25 August 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests.

Topic : Kavkaz-2020 Exercise

संदर्भ

भारत, सितंबर माह में रूस में होने वाले बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास ‘कावकाज 2020’ (Kavkaz-2020) या ‘काकेशस -2020’ में भाग लेने के लिए अपनी तीनों सेनाओं की एक टुकड़ी (contingent) को भेजेगा.

कोरोना वायरस महामारी के प्रारम्भ के बाद भारत पहली बार किसी मेगा मिलिटरी ड्रिल में हिस्सा लेने जा रहा है. कावकाज- 2020 सैन्य अभ्यास में भारत के अतिरिक्त चीन, पाकिस्तान और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दूसरे सदस्य देश भी भाग लेंगे .

यह मेगा मिलिटरी ड्रिल ऐसे समय में होने जा रही है जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लंबे वक्त से तनाव की स्थिति बनी हुई है. विदित हो कि भारत और चीन दोनों ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य हैं.

कावकाज- 2020

  • यह अभ्यास दक्षिण रूस के अस्ट्राखान क्षेत्र में 15 से 26 सितंबर, 2020 के मध्य आयोजित किया जाएगा.
  • इस अभ्यास का लक्ष्य साझेदारी में सुधार लाना है.
  • इसमें शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों, भारत, चीन, पाकिस्तान, रूस, कजाखिस्तान, किरगिस्तान, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान के अलावा मंगोलिया, सीरिया, ईरान, मिस्र, बेलारूस, तुर्की, अजरबैजान, आर्मीनिया और तुर्कमेनिस्तान की सेनाएं भी भाग लेंगी.

शंघाई सहयोग संगठन

शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.

इसके बाद 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
  2. तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
  3. पर्यावरण का संरक्षण करना.
  4. मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
  5. आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.

SCO का विकास कैसे हुआ?

  1. 2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुए SCO के सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया.
  2. 2016 तक भारत SCO में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में सम्मिलित था.
  3. भारत ने सितम्बर 2014 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता के लिए आवेदन किया.
  4. जून 2017 में अस्ताना में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई.
  5. वर्तमान में SCO की स्थाई सदस्य देशों की संख्या 8 है – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान.
  6. जबकि चार देश इसके पर्यवेक्षक (observer countries) हैं – अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया.
  7. इसके अलावा SCO में छह देश डायलॉग पार्टनर (dialogue partners) हैं – अजरबैजान, आर्मेनिया, कम्बोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

अज़रबैजान के बारे में

  • अज़रबैजान कैस्पियन सागर के किनारे पर ट्रांसकेशियासिया (या दक्षिण काकेशस) के पूर्वी भाग में स्थित है.
  • यह क्षेत्र 86,600 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है और यह दक्षिण काकेशस में स्थित सबसे बड़ा देश है.
  • इस देश का सबसे बड़ा शहर बाकू शहर है. यही इस देश की राजधानी है.
  • यहाँ की राष्ट्रीय भाषा अज़रबैजानी है. वैसे, रूसी भाषा यहाँ मुख्य रूप से बोली जाती है. अज़रबैजान ईरान (765 किमी), तुर्की (15 किमी), रूस (390 किमी), जॉर्जिया (480 किमी) और आर्मेनिया (1007 किमी) के साथ सीमाओं को साझा करता है.
  • देश के पूर्वी किनारे पर कैस्पियन सागर है.

काकेशस 

  • काकेशस पर्वत श्रृंखला यूरोप और एशिया की सीमा पर स्थित काला सागर (black sea) और कैस्पियन सागर के बीच कॉकस क्षेत्र की एक पर्वत श्रृंखला है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Interpol

संदर्भ

हाल ही में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) बैंक धोखाधड़ी मामले के मुख्य आरोपित नीरव मोदी की पत्नी के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस निर्गत किया है. 13,500 करोड़ रुपये की जालसाजी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आग्रह पर इंटरपोल ने यह कदम उठाया है.

इंटरपोल क्या है?

  • इंटरपोल का पूरा नाम है – International Criminal Police Organisation.
  • यह एक अंतरसरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय फ्रांस के ल्यों नगर में है.
  • इस संगठन में 194 देश सदस्य हैं.
  • इसकी स्थापना 1923 में हुई थी. उस समय इसका नाम अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग (International Criminal Police Commission) था. इसका नाम इंटरपोल 1956 में पड़ा.
  • भारत इस संगठन में 1949 में ही सम्मिलित हो गया था और इस प्रकार वह इसके पुराने सदस्यों में से एक है.

इंटरपोल के लक्ष्य

  • आतंकवाद से लड़ना.
  • संकटापन्न समुदायों को सुरक्षा देना.
  • जनसामान्य और व्यवसायों के लिए सुरक्षित साइबर स्पेस की व्यवस्था करना.
  • अवैध बाजारों पर लगाम लगाना.
  • पर्यावरण सुरक्षा में सहयोग करना.

इंटरपोल महासभा (INTERPOL GENERAL ASSEMBLY) क्या है?

  • इंटरपोल महासभा इंटरपोल का सर्वोच्च प्रशासी निकाय है जिसमें सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि होते हैं.
  • अपनी गतिविधियों एवं नीतियों पर मतदान के लिए यह महासभा प्रत्येक वर्ष बैठती है. यह बैठक लगभग चार दिन चलती है.
  • महासभा में प्रत्येक देश के एक अथवा अधिक प्रतिनिधि होते हैं जो अपने-अपने देश के कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रमुख होते हैं.
  • इंटरपोल महासभा इंटरपोल कार्यकारिणी समिति का भी चुनाव करती है. इस समिति का काम उस समय मार्ग-निर्देश, दिशा-निर्देश उपलब्ध कराती है जब महासभा की बैठक नहीं हो रही होती है.

इंटरपोल सूचना क्या होती है?

यदि कोई व्यक्ति अपने देश से अपराध कर के भागा हुआ हो तो उसको उसके देश में वापस बुलाने, आत्म-समर्पण करवाने अथवा इसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई करने के लिए सम्बन्धित मूल देश इंटरपोल को नोटिस निर्गत करने का अनुरोध करता है.

ये सूचनाएँ आठ प्रकार की होती हैं – लाल सूचना, पीली सूचना, नीली सूचना,  काली सूचना, हरी सूचना, नारंगी सूचना, बैंगनी सूचना और इंटरपोल-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद विशेष सूचना.

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लाल सूचना

यह नोटिस वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी या उनके प्रत्यर्पण को हासिल करने के लिए किया जाता है. रेड कॉर्नर नोटिस एक ऐसे व्यक्ति को ढूंढने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने का अनुरोध है जिसे आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है.

पीली सूचना

यह नोटिस लापता या अगवा हुए व्यक्तियों (अक्सर नाबालिगों और दिमागी रूप से कमजोर लोगों का पता लगाने) के लिए निर्गत किया जाता है. इस नोटिस की सहायता से लापता व्यक्तियों के मिलने की संभावना बढ़ जाती है. इस नोटिस की प्रतियाँ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर भी चिपकायी जातीं हैं जिससे यदि कोई व्यक्ति खोये/अपहृत व्यक्ति के बारे में जानकारी देना चाहे तो सरलता से दे सके.

नीली सूचना

यह सूचना तब निर्गत होती है जब किसी अपराध के संदर्भ में किसी व्यक्ति की पहचान, स्थिति अथवा गतिविधियों के बारे में अतिरिक्त सूचना उपलब्ध करनी होती है.

काली सूचना

अज्ञात व्यक्तियों की जानकारी लेने के लिए इंटरपोल द्वारा ब्लैक नोटिस निर्गत किया जाता है. यहां अज्ञात व्यक्ति का अर्थ है एक ऐसी मृत व्यक्ति से है जिसकी पहचान पुलिस और चिकित्सा परीक्षकों द्वारा नहीं बताई जा सकी है.

हरी सूचना

ग्रीन नोटिस को ऐसे व्यक्तियों के बारे में चेतावनी और जानकारी प्रदान करने के लिए जारी की जाती है जिन्होंने जघन्य अपराध किए हैं और भविष्य में इन अपराधों को पुनः अंजाम दे सकते हैं. इस प्रकार के नोटिस बार-बार यौन अपराध करने वाले लोगों के विरुद्ध जारी की जाती है.

नारंगी सूचना

इस प्रकार की नोटिस एक ऐसे व्यक्ति, वस्तु, पार्सल बम, संदिग्ध हथियार और अन्य खतरनाक और विस्फोटक सामग्री के विषय में सतर्क करने के लिए निर्गत की जाती है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हो.

बैंगनी सूचना

इस तरह की नोटिस पर्यवरण को क्षति पहुँचाने वाले लोगों के खिलाफ जारी की जाती है. यह नोटिस उन अपराधियों के लिए जारी की जाती है जो वन्य जीवों का शिकार करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उनके शरीर के हिस्से बेचते हैं. भारत में एक सींग वाले गेंडे का शिकार (इसके सींग की चीन के बाजार में बहुत माँग है) और बंगाल टाइगर का शिकार (खाल और नाखून के लिए) करने वाले लोगों के विरुद्ध इस प्रकार का नोटिस निर्गत किया जाता है.

इंटरपोल-संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद विशेष नोटिस

इस प्रकार की नोटिस, ऐसे समूहों और व्यक्तियों के लिए जारी की जाती है जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समितियों (UN Security Council Sanctions Committees) के निशाने पर होते हैं. लश्कर-ए-तैयबा, तालिबान और अल-कायदा जैसे आतंकवादी समूहों को इसी तरह की नोटिस निर्गत की गई है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : National Clean Air Programme – NCAP

संदर्भ

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal – NGT) ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme – NCAP) पर उसकी रिपोर्ट को लेकर फटकार लगाई है जो 2024 तक वायु प्रदूषण में 20-30% की कमी का प्रस्ताव करता है.

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) द्वारा की गयी टिप्पणी

  • एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) पर रिपोर्ट को लेकर फटकार भी लगाई जिसमे 2024 तक 20 से 30% वायु प्रदूषण कम करने का प्रस्ताव किया गया है. इसके साथ ही पीठ ने टिप्पणी कि मंत्रालय का दृष्टिकोण संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत संवैधानिक शासनादेश के विरुद्ध है.
  • न्यायाधिकरण ने छह महीने के अन्दर पूरे देश में 175 वायु गुणवत्ता निगरानी (एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग) स्टेशन स्थापित करने का निर्देश दिया है. न्यायाधिकरण ने इस उद्देश्य के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ‘कंसेंट मैकेनिज्म’, ‘पर्यावरणीय मुआवजा’ के अंतर्गत उपलब्ध कोष का प्रयोग करने का सुझाव दिया है.

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 10 जनवरी 2019 को प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) नाम से एक योजना का अनावरण किया है. इसके अंतर्गत इन सभी शहरों में प्रदूषण से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के मुख्य तत्त्व

  • 2017 से लेकर 2024 तक पूरे देश में 5 और PM10 संघनन (concentration) में 20-30% कमी के लक्ष्य को प्राप्त करना.
  • इस कार्यक्रम को पूरे देश में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board – CPCB) वायु (प्रदूषण प्रतिषेध एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1986 के अनुभाग 162 (b) के अनुसार लागू करेगा.
  • इस कार्यक्रम के लिए पहले 2 वर्ष में 300 करोड़ रू. का आरम्भिक बजट दिया गया है.
  • इस कार्यक्रम में 23 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों के 102 शहरों को चुना गया है. इन शहरों का चुनाव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2011 और 2015 की अवधि में इन शहरों की वायु गुणवत्ता से सम्बंधित आँकड़ों के आधार पर किया गया है. इन शहरों में वायु गुणवत्ता के राष्ट्रीय मानकों के अनुसार वायु की गुणवत्ता लगातार अच्छी नहीं रही है. इनमें से कुछ शहर ये हैं – दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कोलकाता, नोएडा, मुजफ्फरपुर और मुंबई.
  • इस कार्यक्रम में केंद्र की यह भी योजना है कि वह पूरे भारत में वायु गुणवत्ता की निगरानी के नेटवर्क को सुदृढ़ करे. वर्तमान में हमारे पास 101 रियल-टाइम वायु गुणवत्ता मॉनिटर हैं. परन्तु निगरानी की व्यस्था को सुदृढ़ करने के लिए कम से कम 4,000 मॉनिटरों की आवश्यकता होगी.
  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में एक त्रि-स्तरीय प्रणाली भी प्रस्तावित है. इस प्रणाली के अंतर्गत रियल-टाइम भौतिक आँकड़ों के संकलन, उनके भंडारण और सभी 102 शहरों में एक्शन ट्रिगर प्रणाली की स्थापना अपेक्षित होगी. इसके अतिरिक्त व्यापक रूप से पौधे लगाये जाएँगे, स्वच्छ तकनीकों पर शोध होगा, बड़े-बड़े राजमार्गों की लैंडस्केपिंग की जायेगी और कठोर औद्योगिक मानदंड लागू किये जाएँगे.
  • इस कार्यक्रम के तहत राज्य-स्तर पर भी कई कदम उठाये जाएँगे, जैसे – दुपहिये वाहन का विद्युतीकरण, बैटरी चार्ज करने की व्यवस्था को सुदृढ़ करना, BS-VI मापदंडों को कठोरता से लागू करना, सार्वजनिक यातायात तन्त्र को मजबूत करना तथा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों का तीसरे पक्ष से अंकेक्षण कराना आदि.
  • इस राष्ट्रीय योजना में पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वोच्च समिति, अवर सचिव (पर्यावरण) की अध्यक्षता में एक संचालन समिति और संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति की स्थापना का भी प्रस्ताव है. इसी प्रकार राज्यों के स्तर पर भी परियोजना निगरानी के लिए समितियाँ होंगी जिनमें वैज्ञानिक और प्रशिक्षित कर्मचारी होंगे.

समिति के सदस्य

MoEFCC ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) को लागू करने के लिए एक समिति का गठन किया है.

  • इस समिति की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सचिव करेंगे और इसके सदस्यों में संयुक्त सचिव (थर्मल), विद्युत मंत्रालय; महानिदेशक, ऊर्जा संसाधन संस्थान (TERI) आदि भी होंगे.
  • इस कार्यक्रम में 23 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 102 नॉन-अटेनमेंट शहरों  को शामिल किया गया है. इन शहरों का चुनाव केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2011 से 2015 के बीच की वायु गुणवत्ता के आधार पर किया है. वे शहर नॉन-अटेनमेंट शहर हैं जिनमे राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक वायु गुणवत्ता निरंतर ख़राब रहती है. नॉन-अटेनमेंट शहरों की सूची में दिल्ली, वाराणसी, भोपाल, कलकत्ता, नॉएडा, मुजफ्फरपुर और मुंबई ऐसे बड़े शहर शामिल हैं.

कार्यक्रम के लाभ

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से यह लाभ हुआ है कि वायु प्रदूषण को घटाने के लिए लक्ष्य निर्धारित हो गये हैं जिसके लिए बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी. इन लक्ष्यों से यह लाभ होगा कि उन क्षेत्रों का पता चल जाएगा जहाँ प्रदूषण की समस्या गंभीर है और यह भी पता चलेगा कि वहाँ प्रदूषण घटाने का लक्ष्य पाने के लिए कौन-कौन से कारगर कदम उठाये जाने चाहिएँ.

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) क्या है?

  • राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की स्थापना राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 के अंतर्गत की गई थी.
  • NGT का उद्देश्य पर्यावरण सुरक्षा एवं वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों से सम्बंधित मामलों का कारगर एवं त्वरित निपटारा करना है.
  • न्यायाधिकरण पर्यावरण से सम्बंधित सभी कानूनी अधिकारों को लागू करने से सम्बंधित मामलों को देखता है और साथ ही यह किसी व्यक्ति या संपदा को होने वाली क्षति के लिए मुआवजा एवं राहत भी दिलवाता है.
  • अधिनियम के अनुसार, इस न्यायाधिकरण में अधिकतम 20 विशेषज्ञ सदस्य एवं 20 न्यायिक सदस्य हो सकते हैं.
  • परन्तु वर्तमान में 10 विशेषज्ञ सदस्य एवं 10 न्यायिक सदस्य ही कार्यरत हैं.
  • इसका अध्यक्ष एक न्यायिक सदस्य होता है जो न्यायाधिकरण के प्रसाशन का प्रमुख होता है.
  • अधिनियम के अनुसार, अध्यक्ष को उच्च न्यायालय का कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश होना चाहिए.
  • सदस्यों का चयन सर्वोच्च न्यायालय के एक कार्यरत न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित चयन समिति द्वारा किया जाता है.
  • न्यायाधिकरण के न्यायिक सदस्यों का चुनाव उच्च न्यायालय के कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में से किया जाता है.
  • विशेषज्ञ सदस्यों का चुनाव भारत सरकार के अपर-सचिव श्रेणी के कार्यरत अथवा सेवानिवृत्त अधिकारियों में से किया जाता है जिनके पास पर्यावरण विषयक मामलों में कार्य करने का न्यूनतम पाँच वर्षों का अनुभव हो. विशेषज्ञ सदस्य के रूप में वे लोग भी चुने जा सकते हैं जिनके पास सम्बंधित विषयों में PhD की डिग्री हो.
  • यह न्यायाधिकरण अपनी कार्यवाहियों हेतु Code of Civil Procedure, 1908 को अपनाने के लिए बाध्य नहीं है परन्तु इसे नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का अनुसरण करना होता है.
  • न्यायाधिकरण को पर्यावरण संबंधी किसी भी आवेदन को महीने के अन्दर-अन्दर निष्पादित करना जरूरी है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Food processing and related industries in India- scope and significance, location, upstream and downstream requirements, supply chain management.

Topic : APEDA

संदर्भ

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के हित में आपसी गतिविधियों के समन्वय के लिए एएफसी इंडिया लिमिटेड (formerly Agricultural Finance Corporation Ltd) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (National Cooperative Union of India – NCUI) के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं.

एएफसी इंडिया और एपीडा का समझौता

  • एएफसी इंडिया लिमिटेड जैविक उत्पादन प्रणाली के साथ-साथ रासायनिक/अवशेष मुक्त उत्पादन प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप की आवश्यकता की पहचान करेगा व इन्हें पेश करेगा और साथ ही साथ विभिन्न फसलों/फलों और सब्जियों के वर्तमान प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादन स्तर को बनाए रखेगा/बढ़ाएगा.
  • अंतर्राष्ट्रीय बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप व एपीडा के दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए एएफसी साझा प्रसंस्करण केंद्रों को विकसित करने के लिए सुविधा और समर्थन प्रदान करेगा.
  • एएफसी, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला प्रणाली को प्रभावी ढंग से समर्थन प्रदान करने का प्रयास करेगा और शुरू में वाणिज्यिक क्षमता-निर्माण के लिए आवश्यक मदद करेगा, जब तक ये क्लस्टर और मूल्य श्रृंखला आत्मनिर्भर नहीं हो जाते हैं.
  • एएफसी, कृषि निर्यात नीति के तहत अधिसूचित निर्यात केन्द्रित क्लस्टर्स तथा एपीडा द्वारा परियोजना मोड में सुझाए गए अन्य क्लस्टर में सभी गतिविधियों को जमीनी स्तर पर लागू करेगा और इसके लिए केंद्र व राज्य प्रायोजित कार्यक्रमों के अंतर्गत वर्तमान में उपलब्ध सब्सिडी की मांग करेगा.
  • सभी हितधारकों (किसान समेत) के लिए उत्पादन-पूर्व, उत्पादन, फसल तैयारी के बाद, प्रारंभिक प्रसंस्करण, द्वितीयक प्रसंस्करण और परिवहन/वितरण से सम्बंधित दिशानिर्देश विकसित करने के लिए एपीडा, एएफसी को प्रोत्साहित करेगा, ताकि अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन किया जा सके.
  • एपीडा द्वारा पहचाने गए क्लस्टर के विकास के लिए एएफसी कार्य करेगा और इसके लिए विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं के समन्वय से संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में विभिन्न परियोजनाओं को लागू करेगा.

एपीडा

  • कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) संसद के एक अधिनियम और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन स्थापित एक प्राधिकरण है.
  • इसे फल, सब्जियों और उनके उत्पाद मांस और मांस उत्पाद, पॉल्ट्री और पॉल्ट्री उत्पाद, डेयरी उत्पाद, कन्फेक्शनरी, बिस्कुट और बेकरी उत्पाद, शहद, गुड़ और चीनी उत्पाद, कोको एवं इसके उत्पाद, सभी प्रकार के चॉकलेट, मादक और गैर-मादक पेय, अनाज और अनाज उत्पाद, मूंगफली और अखरोट, अचार, पापड़ और चटनी, ग्वार गम, फूल और फूल उत्पाद, हर्बल और औषधीय पौधे जैसे उत्पादों के निर्यात संवर्धन और विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई हैं.
  • इसके अतिरिक्त इस पर चीनी के आयात की निगरानी की जिम्मेदारी है.
  • इसका मुख्यालय नई, दिल्ली में है.

एपीडा प्राधिकरण की संरचना

एपीडा प्राधिकरण निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बना है:

  • केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष
  • भारत सरकार का कृषि विपणन सलाहकार, पदेन (ex-official)
  • तीन संसद सदस्य जिनमें से दो लोकसभा द्वारा और एक राज्य सभा द्वारा निर्वाचित होता है.
  • केंद्र सरकार द्वारा 8 ऐसे सदस्यों की नियुक्ति जो केंद्र सरकार के निम्नलिखित मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करते हैं:
    • कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय
    • वाणिज्य मंत्रालय
    • वित्त मंत्रालय
    • उद्योग मंत्रालय
    • खाद्य मंत्रालय
    • नागरिक आपूर्ति मंत्रालय
    • नागर विमानन मंत्रालय
    • जहाज़रानी एवं परिवहन मंत्रालय

इसके अतिरिक्त राज्यों एवं केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि के रूप में वर्णक्रम के अनुसार चक्रानुक्रम में पाँच सदस्यों को केंद्र सरकार नियुक्त करती है.

केंद्र सरकार द्वारा निम्नलिखित का प्रतिनिधित्व करने वाले 7 सदस्यों की नियुक्ति:

  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
  • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड
  • राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ
  • केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान
  • भारतीय पैकेजिंग संस्थान
  • मसाला निर्यात संवर्द्धन परिषद

केंद्र सरकार द्वारा निम्नलिखित के प्रतिनिधित्व के लिये 12 सदस्यों की नियुक्ति:

  • फल एवं सब्जी उत्पाद उद्योग
  • मांस, कुक्कुट और डेयरी उत्पाद उद्योग
  • अन्य अनुसूचित उत्पाद उद्योग
  • पैकेजिंग उद्योग
  • कृषि अर्थशास्त्र और अनुसूचित उत्पादों के विपणन के क्षेत्र में विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों में से केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त 2 सदस्य.

एएफसी इंडिया लिमिटेड

  • एएफसी इंडिया लिमिटेड (पूर्व में कृषि वित्त निगम लिमिटेड), भारत में कृषि, ग्रामीण विकास और अन्य रणनीतिक सामाजिक-आर्थिक क्षेत्रों के लिए परामर्श, सलाहकार और कार्यान्वयन सहायता प्रदान करने वाला एक बहु-अनुशासनात्मक विकास संगठन है.
  • इसकी संगठन को 1968 में स्थापित किया गया था. यह वाणिज्यिक बैंकों, नाबार्ड और EXIM बैंक (एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक ऑफ इंडिया) के पूर्ण स्वामित्व वाला संगठन है.
  • इसका मुख्यालय- मुंबई, महाराष्ट्र में है.

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI)

  • NCUI बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत भारत के सहकारी आंदोलन का शीर्ष संगठन है.
  • इसका मुख्य उद्देश्य भारत में सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देना और विकसित करना है.
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.

Prelims Vishesh

Honey Mission :-

  • KVIC ने 2017 में अपने मधु अभियान (Honey Mission) का अनावरण किया था तब से यह आयोग मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण देता आया है और उन्हें मधुमक्खी के बक्से मुहैया करता आया है.
  • इस प्रकार इस मिशन से गाँव के पढ़े-लिखे किन्तु आजीविकाहीन युवाओं को अपने दरवाजे पर ही मधुमक्खी पालन के माध्यम से अतिरिक्त आय कमाने में सहायता पहुँचाता है.

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