Sansar डेली करंट अफेयर्स, 25 August 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 25 August 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : International Day for the Remembrance of the Slave Trade and its Abolition

संदर्भ

प्रत्येक वर्ष अगस्त 23 को अंतर्राष्ट्रीय दास व्यापार एवं उसके उन्मूलन का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य है लोगों को अटलांटिक महासागर के एक ओर से दूसरी ओर तक चलने वाले दास व्यापार, जोकि इतिहास का सबसे वृहद् विस्थापन कार्य था, की याद दिलाना.

यह दिवस सबसे पहले कई देशों में, विशेषकर के Haiti में, अगस्त 23, 1998 और Senegal में अगस्त 23, 1999 को मनाया गया था.

UNESCO द्वारा उठाये गए पग

दास व्यापार और उसके उन्मूलन के इतिहास के सम्मान में UNESCO (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) ने 2017 में अपनी विश्व धरोहर सूची में कुछ ऐसे स्थलों को सम्मिलित किया था जिनका इस संदर्भ में उत्कृष्ट सार्वभौमिक महत्त्व है, जैसे – Mbanza Kongo, भूतपूर्व Kongo साम्राज्य (Angola) की राजधानी के अवशेष तथा  Valongo Wharf पुरातात्विक स्थल (ब्राज़ील).

1994 में UNESCO ने एक परियोजना का आरम्भ किया था जिसका नाम दास मार्ग परियोजना (Slave Route’ project) था. इसका उद्देश्य कि विश्व में दासता के कारणों, इसके सञ्चालन के विभिन्न रूपों, सम्बंधित समस्याओं और परिणामों के बारे में बेहतर समझ पैदा करना था.

हाइती क्रांति (The Haitian revolution)

  • अगस्त 22-23, 1791 ई. के रात्रि में हाइती के Saint-Domingue शहर में एक विद्रोह हुआ था. यह विद्रोह आगे चलकर अटलांटिक महासागर में चलने वाले दास व्यापार के उन्मूलन में एक बड़ी भूमिका निभाने वाला था.
  • यह विद्रोह दास के रूप में बेचे गये स्त्री-पुरुषों द्वारा दास प्रथा को समाप्त करने और हाइती की स्वतंत्रता के लिए किया गया था. इस विद्रोह ने कैराबियाई औपनिवेशिक प्रणाली की जड़ें हिला दी और एक ऐसी क्रांति आरम्भ हुई जिसका अंत वहाँ दास प्रथा की समाप्ति और हाइती की स्वतंत्रता के रूप में हुआ.
  • Haiti क्रान्ति 13 वर्ष चली.
  • क्रांति के लगभग 85 वर्षों के बाद अर्थात् 1888 ई. में ब्राजील उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका महादेशों का वह अंतिम देश बना जहाँ दासता को खत्म कर दिया गया.

परिणाम

हाइती क्रांति की सफलता आज भी उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो किसी भी प्रकार की दासता, प्रजातिवाद, पूर्वाग्रह, नस्ली भेदभाव और सामाजिक अन्याय के लिए लड़ रहे होते हैं. यह सभी दासता की ही देन है.


GS Paper 1 Source: Times of India

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Topic : Sweden launches ‘feminist foreign policy’ manual

संदर्भ

हाल ही में स्वीडन ने अधिकारवादी समूहों एवं विदेशी सरकारों के लिए अपनी नारीवादी विदेशी नीति (feminist foreign policy) के एक हस्तक (handbook) का विमोचन किया है.

इस हस्तक में स्वीडन के द्वारा नारी अधिकारों को  विश्व-भर में बढ़ावा देने की दिशा में किये गये कार्यों के क्रम में प्राप्त अनुभवों को दर्शाया गया है.

हस्तक के मुख्य तत्त्व

  • इस हस्तक (handbook) के पीछे चार वर्षों का श्रम है जिसमें स्वीडन ने अपने अंतर्राष्ट्रीय एजेंडे में लैंगिक समानता को स्थापित करने का काम किया है.
  • स्वीडन ने अपनी नारीवादी विदेशनीति इसलिए आरम्भ की थी कि उसे लगता था विश्व-भर में आज भी असंख्य नारी और बच्चियों के दैनिक जीवन में भेदभाव और विधिवत् दमन होता है.
  • हस्तक के लक्ष्य हैं – आर्थिक मुक्ति (economic emancipation) को बढ़ावा देना, यौन हिंसा का विरोध करना और नारियों की राजनैतिक भागीदारी में सुधार लाना.
  • हस्तक में वर्णित कुछ मुख्य परियोजनाएँ हैं –
  1. युद्धग्रस्त और युद्ध से हाल ही में मुक्त हुए पाँच देशों के लिए कार्य योजना, यथा – अफगानिस्तान, कोलंबिया, कांगो, लाइबेरिया और फिलिस्तीनी क्षेत्र.
  2. नारी अधिकारों और सशक्तिकरण के लिए लक्ष्य निर्धारित करना.
  • स्वीडन ने कांगो में नारीवाद को बढ़ावा देने के लिए कुछ कार्यक्रम किये थे, जैसे – समाज में पुरुषों की भूमिका के विषय में सोशल मीडिया में चर्चा को बढ़ावा देना. हस्तक में इन प्रयासों का वर्णन किया गया है और उसे “सकारात्मक पौरुष” (positive masculinity) का नाम दिया गया है.

इस पहल की महत्ता

अभी से यह कहना कठिन होगा कि स्वीडन के इस नारीवादी दृष्टिकोण के चलते कोई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हो सकेगा या नहीं. लैंगिक समानता अपनी जगह पर एक महत्त्वपूर्ण विषय है, परन्तु सरकार के लिए इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण विषय विचारणीय होते हैं जैसे शांति, सुरक्षा और सतत विकास.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Pradhan Mantri Awas Yojna

संदर्भ

केंद्र सरकार ने हाल ही में प्रधानमन्त्री आवास योजना के तहत 8 राज्यों में शहरी गरीबों के लिए लगभग 1.12 लाख और सस्ते मकानों के निर्माण का अनुमोदन कर दिया है. इन राज्यों के नाम हैं – आंध्र प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और अरुणाचल प्रदेश. इन राज्यों में सबसे अधिक – 37,000 मकान आंध्र प्रदेश के लिए अनुमोदित किये गये हैं.

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय (Housing and Urban Affairs Ministry), जो इस योजना को चलाता है, के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में अब तक कुल मिलाकर देश में 55 लाख भवन इकाइयों के लिए धन दिया गया है.

PMAY-Urban से जुड़े तथ्य

  • सरकार का यह मिशन है कि 2022, जब भारत के स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जायेंगे, तक सभी शहरों में सभी के लिए आवास हो जाए.
  • इस योजना के लाभार्थी वे गरीब लोग, EWS (Economically Weak Sections) के नीचे के लोग और LIG (Low Income Group) के लोग होंगे.
  • यह योजना तीन चरणों में पूरी की जायेगी.
  • पहले चरण में अप्रैल 2015 से मार्च 2017 में 100 शहरों में ऐसे आवास बनाए जायेंगे.
  • दूसरे चरण में अप्रैल 2017 से मार्च 2019 में 200 और शहरों को लिया जायेगा.
  • तीसरे चरण में अप्रैल 2019 से मार्च 2022 में बाकी शहर इस योजना में शामिल किये जायेंगे.
  • योजना के अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को आवास बनाने के लिए एक लाख रु. दिया जाता है.
  • यदि लाभार्थी अपने आवास का जीर्णोद्धार (renovation) करना चाहे तो उसको डेढ़ लाख रु. का ऋण भी दिया जाता है.
  • इस ऋण पर 15 साल तक के लिए 6.5% की घटी हुई दर पर सूद लिया जाता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : SCO Peace Mission Exercise

संदर्भ

शंघाई सहयोग संगठन के शान्ति अभियान अभ्यास, 2018 का आयोजन रूस में हो रहा है.

मुख्य तथ्य

  • शंघाई सहयोग संघठन (SCO) के एक प्रमुख कार्यक्रम के रूप में शान्ति अभियान अभ्यास हर दो वर्ष में ऐसे देश में आयोजित होता है जो इस संघठन का सदस्य है.
  • इस अभ्यास में ऐसी रणनीतिक स्तर की कार्रवाइयाँ की जाती हैं जो अंतर्राष्ट्रीय विद्रोह-विरोधी अथवा आंतकवाद-विरोधी वातावरण के लिए उपयुक्त होती हैं.
  • रूस में होने वाले इस वर्ष के अभ्यास में चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिज़स्तान, भारत और पाकिस्तान के कम से कम 300 सैनिक भागीदारी कर रहे हैं.

2018 के सैन्य अभ्यास का महत्त्व

2017 में भारत और पकिस्तान के SCO में शामिल होने के बाद ऐसा सैन्य अभ्यास पहली बार हो रहा है, अतः इसमें इन दोनों दक्षिण एशियाई देशों के सैनिक भी पहली बार भागीदारी करेंगे.

Shanghai Cooperation Organization क्या है?

शंघाई सहयोग संगठन एक राजनैतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग संगठन है जिसकी शुरुआत चीन और रूस के नेतृत्व में यूरेशियाई देशों ने की थी. दरअसल इसकी शुरुआत चीन के अतिरिक्त उन चार देशों से हुई थी जिनकी सीमाएँ चीन से मिलती थीं अर्थात् रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और तजाकिस्तान. इसलिए इस संघठन का प्राथमिक उद्देश्य था कि चीन के अपने इन पड़ोसी देशों के साथ चल रहे सीमा-विवाद का हल निकालना. इन्होंने अप्रैल 1996 में शंघाई में एक बैठक की. इस बैठक में ये सभी देश एक-दूसरे के बीच नस्ली और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए आपस में सहयोग करने पर राजी हुए. इस सम्मेलन को शंघाई 5 कहा गया.

इसके बाद 2001 में शंघाई 5 में उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया. 15 जून 2001 को शंघाई सहयोग संगठन की औपचारिक स्थापना हुई.

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य

शंघाई सहयोग संगठन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  • सदस्यों के बीच राजनैतिक, आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाना.
  • तकनीकी और विज्ञान क्षेत्र, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र, ऊर्जा, यातायात और पर्यटन के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना.
  • पर्यावरण का संरक्षण करना.
  • मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे को सहयोग करना.
  • आंतकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटना.

SCO का विकास कैसे हुआ?

  • 2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुए SCO के सम्मेलन में भारत, ईरान, मंगोलिया और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने पहली बार इसमें हिस्सा लिया.
  • 2016 तक भारत SCO में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में सम्मिलित था.
  • भारत ने सितम्बर 2014 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता के लिए आवेदन किया.
  • जून 2017 में अस्ताना में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई.
  • वर्तमान में SCO की स्थाई सदस्य देशों की संख्या 8 है – चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान.
  • जबकि चार देश इसके पर्यवेक्षक (observer countries) हैं – अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया.
  • इसके अलावा SCO में छह देश डायलॉग पार्टनर (dialogue partners) हैं – अजरबैजान, आर्मेनिया, कम्बोडिया, नेपाल, तुर्की और श्रीलंका.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Commute-related pollution: Kolkata shines among megacities

CSE emissions cities list

Picture source: The Hindu

संदर्भ

हाल ही में विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (Science and Environment – CSE) ने एक रिपोर्ट जारी किया है जिसका शीर्षक है – “शहरी परिवहन और प्रदूषण एवं ऊर्जा में इसका योगदान क्या है”/‘The Urban Commute and How it Contributes to Pollution and Energy’.

इस रिपोर्ट में देश के 14 शहरों का इस दृष्टिकोण से विश्लेषण किया गया है कि वे अपने शहरी परिवहन के माध्यम से कितना प्रदूषण फैला रहे हैं और कितनी ऊर्जा की खपत कर रहे हैं.

रैंकिंग का आधार

इस रिपोर्ट में जिन कसौटियों को अपनाया गया है, वे हैं –

  • परिवहन से उत्पन्न होने वाले कुल विषाक्त रिसाव, जैसे – पार्टीकुलेट पदार्थ एवं नाइट्रोजन ऑक्साइड, की मात्रा.
  • ऊष्मा ट्रैपिंग अर्थात् कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा (calculations of heat trapping).
  • एक आदमी की प्रत्येक यात्रा से उत्पन्न होने वाला रिसाव और खर्च होने वाली ऊर्जा.

अध्ययन में विभिन शहरों की स्थिति

  • सबसे कम रिसाव भोपाल में पाया गया.
  • प्रदूषण और ऊर्जा खपत के मामले में सबसे नीचे जो दो शहर रहे वे हैं –  दिल्ली और हैदराबाद.
  • न्यूनतम रिसाव और ऊर्जा खपत की दृष्टि से भोपाल के बाद विजयवाड़ा, चंडीगढ़ और लखनऊ नम्बर रहा.
  • छह बड़े शहरों के बीच में कलकत्ता का स्थान शीर्ष पर रहा.
  • सबसे नीचला स्थान दिल्ली का रहा.
  • दिल्ली से थोड़ा ही अच्छा प्रदर्शन हैदराबाद, बेंगलुरू और चेन्नई का रहा.
  • छोटे महानगारों में अहमदाबाद और पुणे का स्थान कलकत्ता के नीचे रहा.

चिंता का विषय

भारत में मोटरों की संख्या विस्फोटक ढंग से बढ़ रही है. शुरू में 60 वर्षों में (1951-2008) जहाँ 105 मिलियन मोटर पंजीकृत हुए थे वहीं 2009-15 में उतनी ही संख्या में नए वाहन पंजीकृत हुए.

इस रिपोर्ट के अनुसार मेगाशहरों की तुलना में मेट्रोपोलिटन शहरों की स्थिति अभी अच्छी प्रतीत हो रही है क्योंकि वहाँ आबादी कम है, लोगों का आवागमन कम है और गाड़ी भी कम है. परन्तु इन शहरों में भी स्थिति विषम हो सकती है क्योंकि वहाँ व्यक्तिगत गाड़ियों का संचालन बहुत अधिक होता है.

मोटर यातायात को कम करने के उपाय

सार्वजनिक परिवहन की महत्ता : यदि लोग सार्वजनिक परिवहन जैसे बस पर चलने के आदि हो जाएँ तो प्रदूषण और ऊर्जा की खपत में गिरावट आ सकती है.

शहर में फुटपाथ, साइकल मार्ग और ग्रीन वे बनाना : शहर में पैदल चलने और साइकिल से चलने की आदत डालने के लिए फुटपाठ, साइकिल मार्ग आदि प्रचुर संख्या में होने चाहिए. ज्ञातव्य है कि 2004 में चेन्नई ऐसा पहला शहर बन गया  जिसने गैर मोटर चालित परिवहन की नीति (NMT policy) अपनाई थी.


Prelims Vishesh

Odisha approves proposal for legislative council:

  • ओडिशा ने राज्य में विधान परिषद् के गठन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है.
  • प्रस्तावित विधान परिषद् में 49 सदस्य होंगे जिन्हें विधान सभा के सदस्यों के समान वेतन और भत्ते मिलेंगे.
  • संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार संसद किसी राज्य में विधान परिषद् को सृजित अथवा समाप्त कर सकती है यदि सम्बंधित राज्य की विधान सभा इस आशय पर एक संकल्प विशेष बहुमत के द्वारा पारित कर देती है.

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