Sansar डेली करंट अफेयर्स, 25 April 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 25 April 2019


GS Paper  1 Source: The Hindu

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Topic : Indian Army opens vacancies for women in military police

संदर्भ

भारतीय सेना ने महिलाओं को पहली बार जवान के तौर भर्ती करना शुरू किया है. विदित हो कि इससे पहले महिलाएँ केवल अधिकारी के तौर पर सेना में आती थीं.

ऐसा क्यों किया गया?

सेना का लक्ष्य मिलिट्री पुलिस कैडर में महिलाओं की संख्या 20 प्रतिशत करना है. अभी 14 लाख सशस्त्र बलों के 65,000 अधिकारियों के कैडर में देखें तो थल सेना में 1500, वायुसेना में 1600 और नौसेना में 500 ही महिलाएं हैं.

आवश्यकता

  • आज के युग में महिलाओं का हर क्षेत्र में दबदबा बढ़ रहा है. वे हर एक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं.
  • मिलिट्री पुलिस में जेंडर आधारित आरोपों की जांच के लिए महिला कर्मियों की जरूरत महसूस की जा रही थी.
  • मिलिट्री पुलिस में महिला जवानों को शामिल होने के लिए पुरुषों की ही तरह 62 हफ्तों की ट्रेनिंग की जरूरत होगी.
  • इस निर्णय को थलसेना में लैंगिक बाधाओं को तोड़ने की दिशा में एक अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है.

माहात्म्य

  • वर्तमान में सेना की चिकित्सा, विधिक, शिक्षा, सिग्नल और इंजीनियरिंग विभाग जैसे चुनिंदा क्षेत्रों में ही महिलाओं की भर्ती की अनुमति रही है.
  • सेना पुलिस कैंटोनमेंट और सैन्य प्रतिष्ठानों की निगरानी, सैनिकों के नियम-कायदों के उल्लंघन को रोकने, सैनिकों की गतिविधि को बनाये रखने के साथ शांति एवं युद्ध की स्थिति में जरूरत पड़ने पर असैन्य पुलिस को सहायता उपलब्ध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
  • सरकार का यह निर्णय महिलाओं को अब और भी सशक्त बनाएगा.
  • महिलाओं को अंततः सैन्य पुलिस के कुल कोर का 20% शामिल करने के लिए एक श्रेणीबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा और उनकी भूमिका अपराध के मामलों की जांच करने से लेकर आवश्यकता पड़ने पर क्षेत्र संचालन में सेना की सहायता करने तक होगी.

सैन्य पुलिस के कार्य

सैन्य पुलिस का कार्य कैंट एरिया की यूनिट की निगरानी रखनी होती है. इसके अतिरिक्त वे जवानों की ओर से होने वाले नियम के उल्लंघन को भी रोकते हैं. युद्ध के दौरान व्यवस्था से जुड़े सारे इंतजाम सैन्य पुलिस को ही करने होते हैं.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Melamine

संदर्भ

चीन से आयात होने वाले चोकलेट, दूध और इसके उत्पादों के आयात पर रोक को अनिश्चितकाल के लिये बढ़ा दिया गया है. चीन से दूध तथा इससे जुड़े उत्पादों के आयात पर रोक अब बंदरगाहों पर स्थित प्रयोगशालाओं में जहरीले रसायन मेलामाइन का परीक्षण करने की सुविधा उपलब्ध होने तक जारी रहेगी.

Melamine

पृष्ठभूमि

चीन से दूध एवं दुग्ध उत्पादों के आयात पर सबसे पहले सितंबर 2008 में रोक लगाई गई थी. इसके बाद से इस रोक को लगातार समय समय पर आगे बढ़ाया जाता रहा है. सरकार द्वारा लगाई गई इस रोक की आखिरी समयसीमा मंगलवार (23 अप्रैल 2019) को समाप्त हो रही थी.

मेलामाइन क्या है?

  • मेलामाइन एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ है जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने सहित औद्योगिक प्रक्रिया में किया जाता है.
  • इसका इस्तेमाल क्राकरी बनाने, केन कोटिंग और निशान लगाने आदि में भी होता है.
  • न चाहते हुए भी इसके कुछ अंश भोजन के साथ हमारे शरीर में चले जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं.
  • लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने से यह स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है. इससे मुख्य रूप से मूत्राशय क्षतिग्रस्त हो जाता है और कभी-कभी मूत्राशय कैंसर होने का खतरा भी हो जाता है.

आगे की राह

चीन से चॉकलेट, चॉकलेट उत्पादों, कैंडीज, कन्फैक्शनरी, दूध और दूध उत्पादों से तैयार खाद्य सामग्री के आयात पर लगी रोक तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक कि ऐसी सामग्री के देश में प्रवेश वाले बंदरगाहों पर स्थित प्रयोगशालाओं को मेलामाइन जैसे रसायन का परीक्षण करने के लिये अद्यतन नहीं बना दिया जाए.

विदित हो कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध का उत्पादक देश है. देश में सालाना 15 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है. उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन होता है. उसके बाद राजस्थान और गुजरात का स्थान है.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Dentists to practice as general physicians

संदर्भ

हाल ही में नीति आयोग की एक बैठक में भारतीय दंतचिकित्सा परिषद् (DCI) के पक्ष में फैसला लिया गया और कहा गया कि बी.डी.एस. कर चुके दन्त चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करने की अनुमति दी जाए जिससे एमबीबीएस चिकित्सक की तर्ज पर वे भी जनरल मेडिकल प्रैक्टिस कर सकें. भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) सरकार के इस कदम का विरोध कर रहा है.

ऐसा निर्णय क्यों लिया गया?

नीति आयोग के अनुसार एमबीबीएस व बीडीएस के प्रथम तीन वर्ष का कोर्स लगभग एक जैसा है. इसलिए आयोग जनरल मेडिकल प्रैक्टिस के लिए दन्त चिकित्सको को ब्रिज कोर्स करवाने के पक्ष में है.

IMA द्वारा विरोध क्यों किया जा रहा है?

  • IMA का कहना है कि बीडीएस की पढ़ाई करने वाले चिकित्सकों को ऐनाटॉमी ऑफ़ ह्यूमन बॉडी (शरीर रचना विज्ञान) तो पढ़ाया जाता है, परन्तु पूरी पढ़ाई का मुख्य बिंदु सर और गर्दन होता है. इसलिए दन्त चिकित्सक को बॉडी स्ट्रक्चर का पूरा ज्ञान नहीं होता.
  • वहीं दूसरी तरफ, एमबीबीएस का कोर्स पाँच वर्ष का होता है और बीडीएस मात्र चार वर्षों में पूरा हो जाता है. दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में भी उन्हें ज्ञान कम होता है.

GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : WHO guidelines for children under 5 years of age

संदर्भ

हाल ही में WHO ने 5 साल से कम उम्र के बच्चों की शारीरिक गतिविधि, उनके व्यवहार और नींद के विषय में दिशानिर्देश जारी किए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं को इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से बिल्कुल भी परिचित नहीं होना चाहिए और पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन देखने का समय एक दिन में एक घंटे से अधिक नहीं होना चाहिए.

संक्षेप में WHO की दिशानिर्देश कुछ इस तरह हैं :-

एक साल से कम

  1. एक घंटे से ज्यादा प्रैम या स्ट्रोलर में ना रखा जाएगा. स्क्रीन बिल्कुल ना दिखाई जाए.
    2. तीन महीने के बच्चों के लिए 14-17 घंटे और 11 महीने तक के बच्चों के लिए 4-11 महीने की नींद जरूरी है.
    3. कम से कम आधे घंटे की शारीरिक गतिविधि.

1-2 साल तक

  1. कम से कम तीन घंटे से शारीरिक गतिविधि.
    2. प्रैम या स्ट्रोलर में एक घंटे से ज्यादा ना रखा जाए.
    3. एक साल के बच्चों के लिए स्क्रीन देखना अच्छा नहीं है. जो बच्चे दो साल के हो गए हैं उन्हें भी एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन के सामने नहीं होना चाहिए.
    4. 11-14 घंटे की नींद.

3-4 साल तक

  1. कम से कम तीन घंटे की शारीरिक गतिविधि
    2. प्रैम या स्ट्रोलर में एक घंटे से ज्यादा ना रखा जाए.
    3. एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन के सामने नहीं होना चाहिए.
    4. 10-13 घंटे की नींद और सोने व जगने का नियमित समय.

माहात्म्य

  • इन दिशानिर्देशों को वैश्विक मोटापे के संकट से निपटने के लिए एक अभियान के तहत जारी किया गया है, जिसमें यह सुनिश्चित किया गया कि छोटे बच्चे फिट रहें और उनका विकास अच्छी तरह से हो, विशेषकर जीवन के पहले पाँच वर्षों में, जिस दौरान बच्चों के विकास का आजीवन उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव रहता है.
  • बचपन के प्रारंभिक दौर में बच्चों का विकास तेजी से होता है और यह ऐसा समय है जब स्वस्थ रहने के लिए परिवार की जीवन शैली को उसके अनुकूल ढाला जा सकता है.

GS Paper  3 Source: Times of India

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Topic : NASA’s InSight spacecraft

संदर्भ

नासा द्वारा प्रक्षेपित रोबोटिक लैंडर ‘इनसाइट’ ने पहली बार मंगल पर भूकंप दर्ज किया है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने यह जानकारी दी. लैंडर के भूकंपमापी यंत्र ‘साइस्मिक एक्सपेरिमेंट फॉर इंटीरियर स्ट्रक्चर’ (एसईआईएस) ने 6 अप्रैल को कमजोर भूकंपीय संकेतों का पता लगाया. हालांकि, वैज्ञानिक अभी भी हलचल के सही कारणों की पड़ताल कर रहे हैं.

nasa mars lander

नासा का InSight Mars Lander मिशन

नासा इस अभियान में एक रोबोटिक geologist भेजा है जो मंगल की खुदाई करके मंगल के तामपान को जानने की कोशिश करेगा. इस मिशन का मुख्य काम मंगल ग्रह की गहरी संरचना के विषय में जानकारी इकठ्ठा करना है. मंगल के सतह, वायुमंडल, आयनमंडल के बारे में वैज्ञानिक पहले से ही जान चुके हैं पर मंगल की सतह के नीचे क्या है, यह अभी भी जानना बाकी रह गया है.

क्या है तकनीक?

  • इस मार्स लैंडर में एक सिस्मोमीटर लगा है जो भूकम्प की तीव्रता की जाँच करेगा.
  • इसमें एक हीट फ्लो लगा है जो मंगल के सतह से 5 मीटर/16 ft. तक अन्दर जाकर तापमान जानने की कोशिश करेगा.
  • इस अन्तरिक्ष यान में एक रेडियो विज्ञान यंत्र भी लगा हुआ है जो मंगल ग्रह की संरचना और बदलावों की जाँच करेगा.
  • इस लैंडर में एक थर्मल शील्ड भी लगा है जिसका कार्य पर्यावरण से सिस्मोमीटर को बचाना है.

क्या-क्या खोज करेगा?

  • यह Insight Mars Lander मंगल ग्रह की चट्टानों और इस ग्रह का निर्माण कैसे हुआ, यह पता लगाएगा.
  • मंगल के rotation track और core के बारे में जानकारी जुटाएगा.

मिशन के लिए मंगल ग्रह ही क्यों?

सौर मंडल के अन्य ग्रहों की तुलना में मंगल न तो बहुत बड़ा है और न ही बहुत छोटा ही है. इसका अर्थ यह हुआ कि मंगल में उसके निर्माण का रिकॉर्ड सुरक्षित है जिससे यह पता लग सकता है कि हमारे ग्रह कैसे बने हैं. सच पूछा जाए तो मंगल ग्रह एक ऐसी उपयुक्त प्रयोगशाला है जिसमें चट्टानी उपग्रहों के निर्माण और विकास का अध्ययन किया जा सकता है. वैज्ञानिकों को पता है कि इस ग्रह में भूवैज्ञानिक गतिविधियाँ उतनी प्रबल नहीं है परन्तु InSight जैसे अन्तरिक्षयान इस सम्बन्ध में अधिक सटीक ज्ञान दे सकेंगे.

InSight Mars Lander Quick Facts

  • इसकी लागत 88 करोड़ डॉलर है.
  • इसकी भार 360 kg. है.
  • NASA पहली बार InSight को अमेरिका के पश्चिमी तट से प्रक्षेपित कर रहा है. इससे पहले NASA के ज्यादातर मिशन अमेरिका के पूर्वी तट में स्थित फ्लोरिडा के Kennedy Space Center से छोड़े जाते हैं.

NASA के पहले के Mars Mission

मरीनर 3 and 4

मरीनर 3 प्रक्षेपण की तिथि: Nov. 5, 1964
मरीनर 4 प्रक्षेपण की तिथि: Nov. 28, 1964

मरीनर 6 and 7
मरीनर 6 प्रक्षेपण की तिथि: Feb. 24, 1969
मरीनर 7 प्रक्षेपण की तिथि: Mar. 27, 1969

मरीनर 8 and 9
मरीनर 8 प्रक्षेपण की तिथि: May 8, 1971
मरीनर 9 प्रक्षेपण की तिथि: May 30, 1971

Viking (विकिंग)
Viking (विकिंग) 1 प्रक्षेपण की तिथि: Aug. 20, 1975
Viking (विकिंग) 2 प्रक्षेपण की तिथि: Sept. 9, 1975

मार्स आब्जर्वर
प्रक्षेपण की तिथि: Sept. 25, 1992

मार्स पाथ-फाइंडर
प्रक्षेपण की तिथि: Dec. 4, 1996

मार्स क्लाइमेट ऑर्बिटर
प्रक्षेपण की तिथि: Dec. 11, 1998

मार्स पोलर लैंडर/डीप स्पेस 2
प्रक्षेपण की तिथि: Jan. 3, 1999

मार्स ग्लोबल सर्वेयर
प्रक्षेपण की तिथि: Nov. 7, 1996

Phoenix
प्रक्षेपण की तिथि: Aug. 4, 2007


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : EMIRATES MARS MISSION – HOPE PROBE

संदर्भ

UAE ने आगामी मंगल मिशन के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है जिसका नाम है –  HOPE.

पृष्ठभूमि

स्मरणीय है कि कि जुलाई, 2014 में संयुक्त अरब अमीरात के अध्यक्ष ने मंगल अभियान को प्रारम्भ करने की घोषणा की थी और बाद में संयुक्त अरब अमीरात अन्तरिक्ष एजेंसी की स्थापना का आदेश निकाला था.

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होप अभियान (HOPE Probe) क्या है?

  • होप अभियान के लिए अन्तरिक्षयान संयुक्त अरब अमीरात के इंजिनियरों और विशेषज्ञों का एक दल निर्मित करेगा और उसेमंगल ग्रह पर वैज्ञानिक खोज के लिए प्रक्षेपित किया जायेगा.
  • इस अभियान के माध्यम से अरब क्षेत्र पहली बार कोई अन्तरिक्षीय खोज करने जा रहा है.
  • मंगल ग्रह के लिए अन्तरिक्षयान2020 में छोड़ा जाएगा.
  • कई महीनों की यात्रा के बाद यह अन्तरिक्ष यान 2021 में मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश जाएगा.
  • विदित हो कि 2021 में संयुक्त अरब अमीरात के निर्माण की50वीं वर्षगाँठ भी है.

HOPE अभियान से मंगल ग्रह में उड़ने वाली धूल की आँधियों तथा तापमान में होने वाले परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकेगी और साथ ही यह पता चल सकेगा कि वहाँ का वायुमंडल, ज्वालामुखी पर्वत चोटियों, बर्फ से आच्छादित भूमि, विशाल मरूस्थलों और गहनतम घाटियों पर क्या प्रभाव डालता है.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights (PPV&FR) Act, 2001

संदर्भ

अमेरिका की मल्टीनेशनल कंपनी पेप्सिको ने गुजरात के किसानों को राहत देते हुआ कहा कि उनके द्वारा रजिस्टर्ड आलू उगाने के मामले में वो किसानों के साथ कोर्ट के बाहर समझौता करने के लिए तैयार है.

मामला क्या है?

  • पेप्सिको ने गुजरात के कुल नौ किसानों पर मामला दर्ज करवाया था. आलू की वह किस्म जिसको लेकर मामला दर्ज करवाया गया है वह है एफएल 2027 जिसे कंपनी ने प्रोटेक्‍शन ऑफ प्लांट वैराइटीज एंड फॉर्मर राइट्स एक्ट 2001 के तहत रजिस्टर करवाया है. ये रजिस्ट्रेशन 2031 तक वैध रहेगा. किसान इस आलू को नहीं उगा सकेंगे. इसके बाद कंपनी ने साबरकंठा जिले के 4 किसानों से 5-1.5 करोड़ रुपए हर एक से हर्जाने का केस कर दिया.
  • इस आलू से कंपनी अपने चिप्स लेज का निर्माण करती है. किसानों पर आरोप है कि वे इस किस्म का आलू उगा भी रहे हैं और उसे बेच भी रहे हैं, जबकि यह अधिकार केवल कंपनी का है और वो ही इसको उगाने की अनुमति दे सकती है.कंपनी ने हर किसान पर 1 करोड़ रुपये का दावा किया था.

अब आगे क्या किया जाएगा?

  • पे‌प्सिको ने अब किसानों के साथ समझौते का मन बनाते हुए कहा है कि वे अब कंपनी के इस प्रोग्राम का हिस्सा हो सकते हैं. इससे किसानों को फायदा होगा कि उन्हें बेहतर उपज, ट्रेनिंग और कीमत मिलेगी.
  • यदि वे इसका हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं तो वे केवल एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करें कि वे इस किस्म को नहीं उगाएंगे और अन्य किस्म के आलू को अपनी जमीन पर उगाएं.

प्रोटेक्‍शन ऑफ प्लांट वैराइटीज एंड फॉर्मर राइट्स एक्ट 2001

  • पौधों की नई किस्म और कृषक अधिकार सरंक्षण अधिनियम, 2001 के अन्तर्गत पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण बना जो 2005 से अस्तित्व में आया. यह प्राधिकरण इस मायने में सबसे अलग है कि यह किसानों को उनके अधिकार प्रदान करता है जिसका प्रावधान विश्व के अन्य किसी देश द्वारा नहीं किया गया है.
  • प्राधिकरण का मुख्य कार्य विभिन्न पादप किस्मों का पंजीकरण करना है. वैसे तो सभी किस्मों का लेकिन कृषक किस्मों का संरक्षण उनके दुर्लभ गुणों के कारण अति आवश्यक है. कृषक किस्में स्थानीय रूप से अनुकूलित होती हैं और उनमें रोग, सूखा, लवण अवरोधी एवं औषधीय विशेष गुण होते हैं. कृषक किस्मों का प्रजनन हेतु आनुवंशिक संसाधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. अधिनियम द्वारा कृषक किस्मों को बौद्धिक सम्पदा सुरक्षा प्रदान की जाती है.

प्रोटेक्‍शन ऑफ प्लांट वैराइटीज एंड फॉर्मर राइट्स एक्ट 2001 के उद्देश्य

यह आवश्यक समझा जाता है कि कृषकों के, नई पौधा किस्मों के विकास के लिये पौधा आनुवंशिक साधनों के संरक्षण, सुधार और उनको उपलब्ध कराने में किसी भी समय किये गए उनके योगदान के सम्बन्ध में अधिकारों को मान्यता दी जाये और उनका संरक्षण किया जाये.

  • पौधों की किस्मों, कृषकों और प्रजनकों के अधिकार की सुरक्षा और पौधों की नई किस्म के विकास को बढ़ावा देने के लिये एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना करना.
  • पौधों की नई किस्मों के विकास के लिये पादप आनुवंशिक संसाधन उपलब्ध कराने तथा किसी भी समय उनके संरक्षण व सुधार में किसानों द्वारा दिए गए योगदान के सन्दर्भ में किसानों के अधिकारों को मान्यता देना व उन्हें सुरक्षा प्रदान करना.
  • देश में कृषि विकास में तेजी लाना, पादप प्रजनकों के अधिकारों की सुरक्षा करना. पौधों की नई किस्मों के विकास के लिये सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों में अनुसन्धान और विकास के लिये निवेश को प्रोत्साहित करना.
  • देश के बीज उद्योग की प्रगति को सुगम बनाना जिससे किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीजों तथा रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके.

Prelims Vishesh

StartupBlink’s Startup Ecosystem Ranking :-

  • स्टार्टअपब्लिंक द्वारा जारी 2019 की स्टार्टअप इकोसिस्टम रैंकिंग में 100 देशों में से भारत 17 वें स्थान पर है. पिछले वर्ष यह 37 वें स्थान पर था.
  • शीर्ष तीन स्थान लाने वाले देश हैं – संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा.
  • रिपोर्ट अपने स्टार्टअप इकोसिस्टम की ताकत के आधार पर देशों को रैंक करती है.
  • यह रैंकिंग के लिए 1,000 शहरों और 100 देशों के स्टार्टअप इकोसिस्टम को ध्यान में रखता है.
  • चीन 27 वें स्थान पर था.
  • भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में बैंगलोर, नई दिल्ली और मुंबई शीर्ष शहर थे.

World Book Day :-

  • विश्व पुस्तक दिवस हर वर्ष 23 अप्रैल को मनाया जाता है.
  • इसे विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस, या अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक दिवस के रूप में भी जाना जाता है. यह संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा पढ़ने, प्रकाशन और कॉपीराइट को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया जाता है.
  • यह पहली बार 23 अप्रैल 1995 को मनाया गया था. वर्ष 2019 के लिए, शारजाह, संयुक्त अरब अमीरात को विश्व पुस्तक राजधानी घोषित किया गया है. इसके बाद यह वर्ष 2020 में कुआलालंपुर, मलेशिया में आयोजित होगा.

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