Sansar डेली करंट अफेयर्स, 24 September 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 24 September 2020


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : Fit India Movement

संदर्भ

हाल ही में फिट इंडिया आन्दोलन ( Fit India Movement) की पहली वर्षगाँठ मनायी गयी. इस अवसर भारतीय प्रधानमंत्री ने फ़िट्नेस के भिन्न-भिन्न आयामों के बारे में अपने अनुभव शेयर किये.

फिट इंडिया आन्दोलन क्या है?

यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा अभिकल्पित एक राष्ट्रीय आन्दोलन है जिसका उद्देश्य प्रत्येक भारतीय को उसके दिन-प्रतिदिन के जीवन में चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए कुछ साधारण और सरल उपायों को अपनाने हेतु प्रेरित करना है.

कहने की आवश्यकता नहीं कि आज इस प्रकार की पहल अत्यावश्यक है क्योंकि इसके माध्यम से देश एक स्वस्थ भविष्य की ओर अग्रसर हो सकता है.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘आहार, शारीरिक गतिविधि और स्वास्थ्य पर वैश्विक रणनीति’ (Global strategy on Diet, physical activity and health) बनाई है. वैश्विक स्तर पर शारीरिक गतिविधियों हेतु कई तरह की अनुशंसाएँ (recommendation) भी जारी की गयी हैं.
  • आज दुनिया के अनेक देशों ने फिटनेस को लेकर नए लक्ष्य बनाए हैं और उन पर अनेक मोर्चों पर वो काम कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में इस समय बड़े पैमाने पर फिटनेस का अभियान चल रहा है.

चिंता का विषय

दुनिया में हृदयघात के रोगियों में से लगभग 40 प्रतिशत भारत से हैं और इनके कारण होने वाली मृत्यु का एक चौथाई हदय रोगों के कारण होता है.

आगे की राह

पारंपरिक खाद्य पदार्थों को पुन: जीवन में लाने की आवश्यकता है जो हमारी शारीरिक और जलवायु आवश्यकताओं के अनुकूल हैं. मातृ प्रकृति से दूर रहकर, लोग शरीर और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहे हैं, प्रकृति से प्यार करना, प्रकृति के साथ रहना ही बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करता है.

चिकित्सकों और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को गतिहीन जीवन शैली को बदलने के बारे में लोगों को शिक्षित करने को प्रधानता देनी चाहिए और दिल की बीमारियों की संभावना को कम करने के लिए लोगों को शारीरिक गतिविधियों जैसे जॉगिंग, साइकिल चलाना और अन्य शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. भारत सरकार द्वारा प्रारंभ आयुष्मान भारत योजना विभिन्न ऐसी बीमारियों, जो उच्च लागत के कारण पहुंच से बाहर थीं, उनसे ग्रस्त नागरिक अब इस योजना के के माध्यम से इलाज करा रहे है और यह योजना देश की भलाई में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : National Commission for Allied and Healthcare Professions Bill, 2020

संदर्भ

हाल ही में राष्ट्रीय संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय आयोग विधेयक, 2020 (National Commission for Allied and Healthcare Professions Bill, 2020) राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया.

पृष्ठभूमि

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में संबद्ध और स्वास्थ्य पेशेवरों की शिक्षा एवं सेवाओं को विनियमित तथा मानकीकृत करने के लिए विधेयक प्रस्तुत किया गया था. संबद्ध स्वास्थ्य सेवाओं में मानक पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण तंत्र तथा भारतीय चिकित्सा परिषद के समान एक व्यापक नियामक संस्था का अभाव है.

प्रमुख विशेषताएँ

  • यह विधेयक “संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर” (AHP) को निदान और उपचार में सहयोग करने वाले एक प्रशिक्षित सहयोगी, तकनीकी कर्मी या प्रौद्योगिकीविद्‌ के रूप में परिभाषित करता है.
  • स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर में एक वैज्ञानिक, चिकित्सक या उपचारात्मक, निवारक और स्वास्थ्य लाभ जैसी स्वास्थ्य सेवाओं के आपूर्तिकर्ता शामिल होते हैं.
  • यह संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा व्यवसाय के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करता है, जिसके ये कार्य हैं: i) शिक्षा और सेवाओं को विनियमित करने के लिए नीतियों का निर्माण करना ii) सभी पंजीकृत पेशेवरों का एक केंद्रीय रजिस्टर बनाना आदि.
  • आयोग द्वारा संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा व्यवसायों की प्रत्येक श्रेणी के लिए व्यावसायिक परिषदों का गठन किया जाएगा. आयोग द्वारा ही इन परिषदों को कार्य भार प्रदान किया जाएगा.
  • व्यावसायिक आचरण को लागू करने और राज्य रजिस्टरों को बनाए रखने के लिए विधेयक पारित होने के छह माह के भीतर राज्य सरकारों द्वारा राज्य परिषदों का गठन किया जाएगा.
  • नए संस्थान की स्थापना या नए पाठ्यक्रम लागू करने के लिए राज्य परिषद की पूर्व अनुमति आवश्यक होगी.
  • केवल राज्य रजिस्टर या राष्ट्रीय रजिस्टर में नामांकित व्यक्तियों को ही चिकित्सीय सेवा (प्रैक्टिस) करने की अनुमति होगी.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Parliament passes 3 Bills related to Labour Law

संदर्भ

हाल ही में संसद द्वारा श्रम संहिता से सम्बंधित तीन विधेयक पारित किये गये. ये तीन विधेयक हैं –

  1. सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण पर श्रम संहिता, 2020
  2. उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता 2020
  3. औद्योगिक संबंधों पर श्रम संहिता 2020

पृष्ठभूमि

29 श्रम कानूनों को सरलीकृत, समझने में आसान और पारदर्शी 4 श्रम संहिताओं में समाविष्ट किया गया है. 4 श्रम संहिताओं में से वेतन संहिता को संसद द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका है.

सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण पर श्रम संहिता (Labour Code on Social Security and Welfare)

  • कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम, 1923, मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 या (प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम, 1961) आदि जैसे 9 श्रम अधिनियमों को समाविष्ट करती है.
  • असंगठित क्षेत्र के कामगारों, गिग (अनुबंध आधारित) कामगारों और प्लेटफॉर्म कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जाएगी.
  • उपर्युक्त कामगारों के लिए ही राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा बोर्ड का गठन किया जाएगा. कुछ पदों की परिभाषा में विस्तार किया गया है जैसे कि ठेकेदारों द्वारा नियोजित कर्मचारियों को शामिल करने हेतु “कर्मचारियों की परिभाषा को विस्तारित किया गया है, अंतर्राज्यीय प्रवासी कामगार की परिमाषा में वर्धन हेतु दूसरे राज्य के स्व-नियोजित कामगारों को समाविष्ट किया गया है आदि.
  • असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस निर्मित किया जाएगा, जो असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की लक्षित आपूर्ति में सहायता प्रदान करेगा.
  • विधेयक में नए खंड अंतर्विष्ट किए गए हैं, जैसे भविष्य निधि (PF) के लिए नियोक्ता, कर्मचारी के योगदान में कमी लाना आदि, जिसे एक महामारी के दौरान लागू किया जा सकता है.

उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता (Labour Code on Occupational Safety, Health and Working Conditions)

  • कारखाना अधिनियम 1948, बागान श्रम अधिनियम 1951, खान अधिनियम 1952 आदि जैसे 13 श्रम कानूनों को समाविष्ट करती है.
  • संहिता, केंद्र और राज्य सरकारों को संहिता के अंतर्गत निर्मित किए जाने वाले मानकों, नियमों एवं विनियमों के संबंध में परामर्श प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर व्यावसायिक सुरक्षा बोर्ड स्थापित करने का उपबंध करती है.
  • विभिन्‍न प्रकार के प्रतिष्ठानों और कर्मचारियों के लिए कल्याणकारी सुविधाएं, कार्य दशाएं और कार्य के घंटे केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा नियमों के माध्यम से निर्धारित किए जाएंगे.
  • महिलाएं सभी प्रकार के कार्यों के लिए सभी प्रतिष्ठानों में नियोजित होने की हकदार होंगी.
  • नियोक्ता द्वारा उन कर्मचारियों के लिए वर्ष में एक बार निःशुल्क स्वास्थ्य जांच आयोजित की जाएगी, जो एक निश्चित आयु से अधिक आयु के हैं.

औद्योगिक संबंधों पर श्रम संहिता 2020 (Labour Code on Industrial Relations)

  • यह वस्तुतः 3 श्रम कानूनों, जैसे – व्यापार संघ अधिनियम 1926, औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) अधिनियम 1946 तथा औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 को समामेलित करती है.
  • कम से कम 300 श्रमिकों (पहले 100) वाले एक प्रतिष्ठान को बंद करने या छंटनी करने से पूर्व सरकार की अनुमति लेने की आवश्यकता होगी.
  • यदि किसी प्रतिष्ठान में कार्यरत श्रमिकों के एक से अधिक पंजीकृत ट्रेड यूनियन हैं, तो 51% से अधिक श्रमिक-सदस्यों वाले ट्रेड यूनियन को एकमात्र वैध यूनियन के रूप में मान्यता दी जाएगी.
  • किसी कर्मचारी की बर्खास्तगी, छंटनी या अन्यथा किसी कर्मचारी की सेवाओं को समाप्त करने के संबंध में कोई विवाद औद्योगिक विवाद की श्रेणी में आएगा.
  • श्रमिक, विवाद के न्यायनिर्णयन अथवा निपटान के लिए औद्योगिक अधिकरण में आवेदन कर सकता है.
  • नौकरी से निकाले गए कर्मियों के पुन: कौशल विकास हेतु एक रि-स्किलिंग फंड का प्रावधान किया गया है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : WHAT IS “UNIVERSAL ELIGIBILITY” CONDITION?

संदर्भ

हाल ही में, विश्व बैंक द्वारा भारत को कोविड महामारी को रोकने के लिए $ 1 बिलियन का ऋण “सार्वभौमिक पात्रता” (Universal Eligibility) की शर्तों के साथ दिया गया है.

सार्वभौमिकता पात्रता’ शर्तें क्या है?

इसका अर्थ है कि राष्ट्रीय परियोजना को लागू करते समय खरीद पर सार्वजनिक अधिग्रहण आदेश, सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्यमों, स्टार्ट-अपों हेतु दिए जाने वाले कुछ विशेष लाभों सहित कोई भी प्राथमिकता अभिगम्यता बाजार नीतियाँ लागू नहीं की जाएँगी.

विश्व बैंक द्वारा निर्धारित अन्य शर्तें

विश्व बैंक को परियोजना से संबंधित सभी खातों, अभिलेखों और अन्य फाइलों के क्रय, दस्तावेजों की समीक्षा, निरीक्षण / ऑडिट करने का अधिकार प्राप्त होगा. वित्त-पोषण किये जाने के लिए इन शर्तों का अनुपालन अनिवार्य कर दिया गया है.

पृष्ठभूमि

  1. विश्व बैंक द्वारा “भारत के COVID-19 विशेष सुरक्षा प्रतिक्रिया कार्यक्रम” में तीव्रता लाने के लिए 1 बिलियन अमरीकी डालर के सहयोग की स्वीकृतिदी गयी है.
  2. 1 बिलियन अमरीकी डालर के इस सहयोग में, लगभग 550 मिलियन अमरीकी डालर का अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (International Development Association– IDA) और 220 मिलियन अमरीकी डालर का अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (International Bank of Reconstruction and Development– IBRD) द्वारा योगदान किया जाएगा. ऋण की अंतिम परिपक्वता राशि 5 वर्ष है. इसमें पांच वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है.

ऋण के नियम

यह ऋण दो चरणों में वित्त पोषित और संचालित होगा:

प्रथम चरण: वित्तीय वर्ष 2020 के लिये $750 मिलियन का तत्काल आवंटन.

इसे कमज़ोर समूहों विशेष रूप से प्रवासियों एवं अनौपचारिक श्रमिकों को लाभान्वित करने के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana- PMGKY) के माध्यम से देश भर में लागू किया जाएगा.

द्वितीय चरण: $250 मिलियन की दूसरी किस्त वित्तीय वर्ष 2021 के लिये उपलब्ध कराई जाएगी.

यह सामाजिक सुरक्षा पैकेज को और सुदृढ़ करेगा, जिससे राज्य सरकारों एवं पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा वितरण प्रणालियों के माध्यम से स्थानीय ज़रूरतों के आधार पर अतिरिक्त नकदी एवं अन्य लाभों को प्रदान किया जाएगा.


GS Paper 4 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Codes of Ethics, Codes of Conduct, Citizen’s.

Topic : NBA TO SC: MAKE ETHICS CODE MUST FOR ALL NEWS CHANNELS

संदर्भ

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (News Broadcasters Association – NBA) ने सर्वोच्च न्यायालय में दिये गए हलफनामे में दुर्भावनापूर्ण, पक्षपातपूर्ण और प्रतिगामी सामग्री के विरुद्ध सभी टेलीविज़न समाचार चैनलों पर बाध्यकारी रूप से लागू अपनी आचार संहिता का निर्माण करने का सुझाव दिया है. 

पृष्ठभूमि

  • हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने एक टीवी कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाई थी. न्यायालय ने प्रथम-दृष्ट्या यह माना कि कार्यक्रम का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय का तिरस्कार करना है. उच्चतम न्यायालय द्वारा एक याचिका पर सुनवाई की जा रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यह टीवी कार्यक्रम संघ लोक सेवा आयोग में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के प्रवेश के संबंध में सांप्रदायिक टिप्पणी कर रहा है.
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विनियमित करने की आवश्यकता है, क्योंकि अधिकतर चैनल टीआरपी के लिए संचालित किए जा रहे हैं, जिस हेतु इनके द्वारा संवेदनवाद का प्रसार किया जाता है.
  • उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि वह सेंसरशिप का सुझाव नहीं दे रहा है, बल्कि एक प्रकार के स्व-विनियमन की संस्तुति कर रहा है.
  • विजुअल मीडिया कॉर्पोरेट में स्वामित्व, हिस्सेदारी के प्रतिरूप और राजस्व प्रवाह में पारदर्शिता की आवश्यकता है.
  • प्रेस की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है और साथ ही, यह किसी भी तरीके से नागरिकों की स्वतंत्रता से बढ़कर नहीं है.
  • उच्चतम न्यायालय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए मानक निर्मित करने हेतु एक समिति गठित करने पर विचार करेगा.

केंद्र सरकार का मत

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह ‘फेक न्यूज़ या हेट स्पीच’ पर अंकुश लगाने के लिये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विनियमित करने हेतु किसी भी कवायद को शुरू न करें, क्योंकि इससे निपटने के लिये पर्याप्त नियम और दिशा-निर्देश पहले से ही मौजूद हैं.

हेट स्पीच

जेरेमी वाल्ड्रॉन, एक शोधकर्ता, ने ‘हेट स्पीच’ के बारे में दार्शनिक रक्षा पर आधारित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है-

  • ‘हेट स्पीच’ से आशय उन भाषणों/बयानों से है जो सामूहिक पहचान के आधार पर लोगों के खिलाफ जाति, नृजातीयता, धर्म, लिंग या कामुकता आदि के आधार पर हिंसा, नफरत या भेदभाव को उकसाते हैं.
  • इन मामलों में हेट स्पीच की सीमितता सुभेद्य अल्पसंख्यक वर्गों तक होनी चाहिये. इस अवधारणा के तहत केवल एक अपमानजनक बयान को हेट स्पीच के रूप में नहीं देखा जा सकता.
  • उदाहरण के लिये, किसी धार्मिक व्यक्ति पर व्यंग्य जो उस धर्म के अनुयायियों की भावनाओं का मजाक बनाता है, उसे हेट स्पीच की परिभाषा के अंतर्गत सम्मिलित नहीं किया जा सकता. जब कोई भाषण किसी संपूर्ण समुदाय को ‘राष्ट्र विरोधी’ के रूप में सूचित करता है तो उसे हेट स्पीच की श्रेणी में रखा जाएगा.

हेट स्पीच के संदर्भ में भारतीय कानून 

  • प्रोफेसर वाल्ड्रॉन की थ्योरी इसलिये बहुत आकर्षक है क्योंकि यह भारतीय लोकतांत्रिक विज़न के साथ मेल खाती है. यह स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्त्व के मूल्यों को दर्शाती है जिसे संविधान के निर्माताओं ने मूलभूत आवश्यकता के रूप में वर्णित किया था.  
  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-153A और धारा-295 A क्रमशः विभिन्न समूहों के मध्य शत्रुता को बढ़ावा देने और धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने वाले भाषण/कार्य को अपराध घोषित करती हैं.

भारत में मीडिया का विनियमन

भारत में मीडिया का विनियमनः प्रेस की निगरानी भारतीय प्रेस परिषद् द्वारा, सिनेमा की निगरानी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) द्वारा, विज्ञापन की निगरानी भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् (ASCI) द्वारा तथा टीवी पर प्रसारित सामग्री की निगरानी केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत की जाती है.

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA)

  • न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) निजी टेलीविजन समाचार और समसायिक घटनाओं के ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है.
  • यह पूर्णरूप से अपने सदस्यों द्वारा वित्तपोषित एक संगठन है. NBA में वर्तमान में 26 प्रमुख समाचार और समसामयिक घटनाओं के ब्रॉडकास्टर्स (कुल 70 न्यूज़ और समसामियक घटनाओं के चैनल) इसके सदस्य हैं.
  • NBA का मिशन निजी समाचार और समसामयिक घटनाओं के प्रसारकों की आँख और कान रूप में कार्य करते हुए उनकी और से पैरवी करने और हितों के मामलों पर संयुक्त कार्रवाई के केंद्रीय बिंदु के रूप में कार्य करने के लिये भूमिका हैं.

मेरी राय – मेंस के लिए

 
  • भारत में प्रिंट मीडिया का व्यवस्थित इतिहास 200 वर्षों से ज्यादा का रहा है. हाल के सालों में टेलीविज़न पत्रकारिता का तीव्र विस्तार हुआ है. टीवी पत्रकारिता में ‘सबसे पहले खबर दिखाने’ और ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ के नाम पर ‘व्यावसायिक प्रतिबद्धता’ और ‘पेशे की बुनियादी नैतिकता’ के उल्लंघन के बढ़ते मामलों की संख्या पत्रकारिता की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं.
  • दर्शकों के लिये निष्‍पक्ष, वस्‍तुनिष्‍ठ, सटीक और संतुलित सूचना प्रस्‍तुत करने के लिये पत्रकारों को पत्रकारिता के मौलिक सिद्धांत को ध्‍यान में रखते हुए द्वारपाल की भूमिका निभाने की आवश्यकता को देखते हुए टेलीविज़न चैनलों के लिये आचार संहिता बनाई जानी चाहिये.
  •  ‘फेक न्यूज़’ के मामलों के प्रकाश में आने के बाद और इसके द्वारा सोशल मीडिया पर विस्तृत प्रभाव पैदा करने से वर्तमान समय में टेलीविज़न समाचार चैनलों के लिये आचार संहिता का निर्माण बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण है. सनसनीखेज, पक्षपातपूर्ण कवरेज़ और पेड न्यूज मीडिया का आधुनिक चलन बन गया है. किसी भी स्थिति में राय देने वाली रिपोर्टिंग को व्याख्यात्मक रिपोर्टिंग नहीं कहा जा सकता है.
  • व्यापारिक समूह और यहाँ तक ​​कि राजनीतिक दल अपने हितों की पूर्ति समाचार पत्र और टेलीविज़न चैनलों का संचालन कर रहे हैं. यह चिंताजनक होने के साथ ही इससे पत्रकारिता के मूल उद्देश्‍य समाप्त हो रहे हैं.
  • अधिकारों और कर्तव्यों को अविभाज्य नहीं माना जा सकता है.  मीडिया को न केवल लोकतंत्र की रक्षा करने के लिये प्रहरी के रूप में काम करना चाहिये बल्कि उसे समाज के वंचित वर्गों के हितों के रक्षक के रूप में भूमिका का निर्वहन करना चाहिये.
  • मोबाइल फोन/स्मार्ट फोन के आने के पश्चात् सूचनाओं को साझा करने के क्रम में क्रांति आई है. प्रत्येक स्मार्ट फोन उपयोगकर्ता एक संभावित पत्रकार बन गया है. हालाँकि इंटरनेट और मोबाइल फोन ने सूचना की उपलब्धता का लोकतांत्रिकरण किया है लेकिन फेक न्यूज़ और अफवाहों के प्रसार की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है. पत्रकारों को इस तरह के समाचारों और नकली आख्यानों से बचना चाहिये क्योंकि उनका उपयोग निहित स्वार्थों को पूरा करने के लिये हमारे बहुलवादी समाज में विघटन और विभाजन पैदा करने में किया जा सकता है.
  • अपेक्षित परिवर्तन लाने के लिये भ्रष्टाचार और लैंगिक एवं जातिगत भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों को दूर करने की आवश्यकता पर प्रिंट मीडिया और टेलीविज़न समाचार चैनलों द्वारा  जनता की राय बनाने में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिये.
  • इस संदर्भ में न्यूज़ मीडिया ने कई बार सकारात्मक भूमिका का निर्वहन भी किया है. ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को बढ़ावा देने में न्यूज़ मीडिया ने सकारात्मक भूमिका निभाई थी.

PRELIMS VISHESH

e-Gram Swaraj Portal :-

  • पंचायती राज मंत्रालय ने देश भर के पंचायती राज संस्थानों में ई-गवर्नेंस को सशक्त बनाने के लिए इस पोर्टल को लॉन्च किया है.
  • इसका उद्देश्य विकेंद्रीकृत योजना निर्माण, कार्य-प्रगति की रिपोर्टिंग और कार्य-आधारित लेखांकन में बेहतर पारदर्शिता लाना है.
  • यह पंचायत की पूर्ण प्रोफ़ाइल, उसके वित्तीय विवरण, परिसंपत्ति के विवरण, ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) के माध्यम से की गई गतिविधियों के विवरण आदि के साथ पंचायत की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए एक एकल मंच प्रदान करता है. 
  • वर्ष 2020-21 के लिए लगभग 2.43 लाख ग्राम पंचायतों ने ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर अपनी ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) को अंतिम रूप प्रदान किया है.

SPICe+ :-

  • यह केंद्र सरकार के 3 मंत्रालयों / विभागों (कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय और राजस्व विभाग) तथा एक राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त 10 सेवाओं को प्रस्तुत करने वाला एक एकीकृत वेब फॉर्म है.
  • इसे सरकार की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (व्यवसाय करने की सुगमता) पहल के एक भाग के रूप में प्रस्तुत किया गया था. यह व्यवसाय आरंभ करने के लिए प्रक्रियाओं, समय और आर्थिक लागत की बचत करने में सहायता प्रदान करता है.
  • SPICe+ की शुरुआत के उपरांत से प्रक्रियाओं की संख्या 10 से घट कर 3 हो गई है और इसके लिए लगने वाला समय भी पूर्व के 18 दिनों से कम हो कर 4 दिन हो गया है.

Shell Company :-

  • ये कंपनियां सक्रिय व्यवसाय संचालन या महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों से रहित होती हैं तथा कुछ मामलों में अवैध उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती हैं, जैसे कर अपवंचन, धनशोघन, अस्पष्ट स्वामित्व, बेनामी संपत्ति आदि.
  • हालांकि, भारत में शेल कंपनियों को किसी भी कानून या अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है. हाल ही में सरकार ने निरंतर दो या अधिक वर्षों से वित्तीय विवरणों (FS) की गैर-फाइलिंग के आधार पर शेल कंपनियों की पहचान और उन्हें प्रतिबंधित करने हेतु एक विशेष अभियान आरंभ किया है.
  • कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248 के तहत कंपनियों के रजिस्टर से इस प्रकार की कंपनियों के नामों को हटाने का प्रावधान किया गया है.

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