Sansar डेली करंट अफेयर्स, 24 September 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 24 September 2019


GS Paper 1 Source: Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc., geographical features and their location- changes in critical geographical features (including water-bodies and ice-caps) and in flora and fauna and the effects of such changes.

Topic : Atlantic Meridional Overturning Circulation (AMOC)

संदर्भ

वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले 15 वर्षों से अटलांटिक महासागर में मेरीडायनल ओवरट्यूनिंग सर्कुलेशन (AMOC) कमजोर पड़ता जा रहा है जिसके लिए मुख्य रूप से हिन्द महासागर का गर्म होना दोषी है. इसके चलते यूरोप और अटलांटिक महासागर के किनारे-किनारे स्थित भूभागों पर व्यापक दुष्प्रभाव पड़ सकता है.

Atlantic Meridional Overturning Circulation (AMOC)

इसके दुष्प्रभाव क्या हैं?

  • जब हिन्द महासागर गर्म होता है तो वर्षा की मात्रा बढ़ जाती है जिस कारण अटलांटिक महासागर समेत विश्व के अन्य भागों से अधिक मात्रा में इस ओर वायु खिंची चला आती है.
  • हिन्द महासागर में जितनी अधिक वर्षा होगी अटलांटिक के आस-पास वर्षा उतनी ही कम होगी और इस प्रकार उस महासागर में लवणीयता बढ़ जायेगी.

AMOC क्या है?

  • AMOC महासागरीय जल के प्रवाह की एक प्रणाली है जिसमें उष्ण कटिबंध के क्षेत्र से गर्म जल उत्तर की ओर बहता हुआ उत्तरी अटलांटिक महासागर में पहुँच जाता है.
  • AMOC के द्वारा लाये गये गर्म जल से वायुमंडल में गर्मी आती है और ताप का पूरे विश्व में वितरण होता है.
  • AMOC वायुमंडल में स्थित कार्बन को अवशोषित करने और भंडारित करने में मदद करता है.

AMOC कैसे काम करता है?

  • AMOC महासागरीय धाराओं की एक विशाल प्रणाली है जो तापमान और लवणीयता के हिसाब से कन्वेयर बेल्ट की तरह चलायमान रहती है.
  • जैसे-जैसे गर्म पानी दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता है, वैसे-वैसे वह ठंडा हो जाता है और उसका थोड़ा-थोड़ा वाष्पीकरण भी होता है. फलस्वरूप पानी में लवण की मात्रा बढ़ जाती है. तापमान घटने और लवण बढ़ने के कारण पानी अधिक घना होकर समुद्र के निचले भागों में बैठने लगता है.
  • ठंडा और घना होने के पश्चात् पानी धीरे-धीरे दक्षिण की ओर कई किलोमीटर नीचे ही नीचे लौटने लगता है. अंत में यह महासागर की सतह पर चला आता है और गर्म हो जाता है. इस प्रक्रिया को “पानी का उभार” (upwelling) कहते हैं. इस प्रकार AMOC का परिचालन पूरा हो जाता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : International Migrant Stock 2019

संदर्भ

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक कार्य विभाग (UN Department of Economic and Social Affairs) की जनसंख्या शाखा ने पिछले दिनों परिव्राजकों की स्थिति के सम्बन्ध में एक प्रतिवेदन प्रकाशित किया है जिसे इंटरनेशनल माइग्रेंट स्टॉक 2019 का नाम दिया गया है.

  • यह प्रतिवेदन विभिन्न देशों की जनगणना रिपोर्टों, जनसंख्या पंजियों तथा उन देशों के प्रमाणिक सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार किया गया है.
  • इस प्रतिवेदन अनेक अंतर्राष्ट्रीय परिव्राजकों के मूल स्थान, आयु और लिंग के बारे में आँकड़े दिए गये हैं.

मुख्य निष्कर्ष

  • इस प्रतिवेदन के अनुसार, भारत से निकलकर दूसरे देशों में परिव्रजन (migrants) करने वाले व्यक्तियों की संख्या 2019 में 17.5 मिलियन थी. अतः हम कह सकते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय परिव्रजन के विषय में भारत का स्थान अग्रणी है.
  • भारत में आव्रजन (immigrants) करने वाले विदेशियों में अधिकांश बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल से आये हुए हैं.

वैश्विक परिदृश्य

  • विश्व-भर में परिव्रजन करने वालों की संख्या लगभग 272 मिलियन है.
  • अन्य देशों में जाने वाले व्यक्तियों को भेजने वाले देशों में भारत के पश्चात् इन देशों का स्थान है – मैक्सिको (11.8 मिलियन). चीन (10.7 मिलियन), रूस (10.5 मिलियन), सीरिया (8.2 मिलियन), बांग्लादेश (7.8 मिलियन), पाकिस्तान (6.3 मिलियन), युक्रेन (5.9 मिलियन), फिलिपीन्स (5.4 मिलियन) और अफगानिस्तान (5.1 मिलियन).
  • जिन क्षेत्रों में पलायन कर दूसरे देश के व्यक्ति सबसे अधिक बस गये हैं, वे हैं – यूरोप (82 मिलियन), उत्तरी अमेरिका (59 मिलियन) तथा उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया (दोनों 49 मिलियन).
  • सबसे अधिक अंतर्राष्ट्रीय आव्रजक अमेरिका (51 मिलियन) में गये हैं. उसके बाद जिन देशों के नाम आते हैं, वे हैं – सऊदी अरब (13 मिलियन), रूस (12 मिलियन), इंग्लैंड (10 मिलियन), फ़्रांस (8 मिलियन) और इटली (6 मिलियन).

महिला परिव्राजक

अन्य देशों में जाकर बसने वाले व्यक्तियों में से महिलाओं और बच्चियों की संख्या का हिस्सा 2019 में 49% से घटकर 48% हो गया है. सबसे अधिक महिला परिव्राजक उत्तरी अमेरिका (52%) में गये हैं. इसके बाद यूरोप (51%), अफ्रीका में सहारा के दक्षिण का भूभाग (47%) तथा उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी एशिया (दोनों 36%).


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.

Topic : Bharat Bill Payment System (BBPS)

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत विपत्र भुगतान प्रणाली (Bharat Bill Payment System – BBPS) के कार्यक्षेत्र को बढ़ाते हुए यह निर्णय लिया है कि इसमें अब वे विपत्रकर्ता (billers) भी शामिल होंगे जो आवर्ति विपत्र और भुगतान (प्रीपेड रिचार्ज छोड़कर) का काम स्वेच्छापूर्वक करते हैं.

BBPS के कार्यक्षेत्र के विस्तार का महत्त्व

  • वर्तमान में BBPS के अन्दर आवर्ति विपत्रों के भुगतान की सुविधा केवल उन विपत्रकर्ताओं को दी जाती है जो DTH, बिजली, गैस, पानी और टेलिकॉम का काम करते हैं.
  • यह सुविधा अन्य कुछ श्रेणियों को मिल जाने से लाभ यह होगा कि “भारत बिल पे” का उपभोक्ता-आधार विस्तृत हो जाएगा और साथ ही वर्तमान प्रणालियों की तुलना में लोगों को एक कुशल और कम लागत वाला विकल्प मिल जाएगा. इससे उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा और वे अधिक सहज अनुभव करेंगे.

BPPS क्या है?

  • यह भुगतान की एक प्रणाली है जिसकी परिकल्पना भारतीय रिज़र्व बैंक ने की है. इस प्रणाली का संचालन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) करता है.
  • यह विपत्रों के भुगतान का एक ऐसा एकल मंच है जिसकी सुविधा देश-भर में फैले हुए उपभोक्ताओं को कभी भी और कहीं भी विश्वसनीयता और सुरक्षा के साथ उपलब्ध होती है.
  • BPPS के लिए भुगतान नकद, चेक एवं इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से हो सकता है. उपभोक्ताओं के लेन-देन को सही ढंग से पूरा करने का काम बैंकों और बिल एग्रीगेटरों का होता है.

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI)

  • भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI)भारत में सभी खुदरा भुगतान प्रणाली के लिए एकछत्र संगठन है.
  • दस बैंक इसके प्रोमोटर हैं.
  • इसे सफलतापूर्वक RuPay नामक घरलू कार्ड भुगतान नेटवर्क ने विकसित किया है जिसके कारण विदेशी कार्डों पर निर्भरता घटी है
  • निगम का प्रमुख उद्देश्य नकद रहित लेन-देन को बढ़ावा देना है.
  • NPCI को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) के मार्गदर्शन और समर्थन के साथ स्थापित किया गया था.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Human space flight Programme

संदर्भ

ISRO और DRDO ने मानव अन्तरिक्ष मिशन (गगनयान) के लिए अत्यावश्यक तकनीकों के प्रावधान हेतु एक समझौता पत्र हस्ताक्षरित किया है. इस समझौते के अनुसार, ISRO के मानव अन्तरिक्ष मिशन की आवश्यकताओं को देखते हुए DRDO रक्षा से सम्बंधित होने वाले निर्माणों में अपेक्षित सुधार कर के उन्हें ISRO को उपलब्ध कराएगा.

निर्माण की जो सामग्रियाँ जो DRDO देगा, उनमें कुछ हैं – अन्तरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर नजर रखने वाले उपकरण, आपातकाल में प्राण रक्षा के लिए सामग्रियाँ, अन्तरिक्ष में ग्रहण करने योग्य भोजन, निरापद वापसी के लिए पैराशूट, विकिरण मापक उपकरण आदि.

भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम

  • इस मिशन को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ पर अर्थात् 2022 में पूरा करने की योजना है.
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य पृथ्वी कक्ष में एक ऐसा अन्तरिक्ष यान प्रक्षेपित करना है जिसमें दो अथवा तीन अन्तरिक्षयात्री सवार हों.
  • इसके लिए शुरू में अन्तरिक्ष में पृथ्वी के ऊपर 400 किमी. की दूरी पर स्थित परिक्रमा पथ पर 2-3 अन्तरिक्ष यात्रियों को 7 दिन के लिए भेजा जाएगा.
  • इसके लिए भारत सरकार ने पिछले बजट में 12.4 बिलियन की राशि निर्धारित कर दी थी.
  • इस अंतरिक्षयान का प्रक्षेपण जीएसएलवी मार्क III द्वारा किया जाएगा.

तकनीकी चुनौतियाँ

ISRO को तीन प्रमुख क्षेत्रों में ध्यान देने की जरूरत है –

  1. पर्यावरण नियंत्रण और जीवनरक्षक प्रणाली (ECLS system)
  2. चालक दल सुरक्षा प्रणाली और
  3. फ्लाइट सूट सुविधा.

इन चुनौतियों के समाधान करने के लिए सरकार ने आवश्यक तैयारी हेतु 145 करोड़ रूपए स्वीकृत किये हैं.

गगनयान के अप्रत्यक्ष लाभ

  • गगनयान अभियान अपने उपकरणों का 60% भारत के निजी प्रक्षेत्र से लेगा. अतः इससे देश के उद्योगों को लाभ मिलना निश्चित है.
  • ISRO के चीफ ने बताया है कि गगनयान अभियान से 15,000 नए रोजगार बनेंगे जिनमें 13,000 निजी उद्योगों से आएँगे. स्वयं ISRO को 900 अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता होगी.
  • इस प्रकार के चुनौतियों भरे अभियान से भारत में तकनीक के विकास बहुत बड़ा बढ़ावा मिलेगा.
  • गगनयान के कारण अनुसंधान और तकनीकी विकास के कई रास्ते खुलेंगे. कुछ ऐसे क्षेत्र जिनमें प्रगति संभावित है, वे हैं – सामग्रियों का प्रसंस्करण, एस्ट्रो-बायोलॉजी, संसाधन खनन, ग्रहों का रसायन शास्त्र, ग्रहों का ऑर्बिटल कैलकुलस आदि.
  • गगनयान की सफलता से हमारे देश के युवा कुछ बड़ा और कुछ नया करने के लिए प्रेरित होंगे.
  • मानव को अन्तरिक्ष में भेजने वाला चौथा देश हो जाने पर न केवल भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी, अपितु यह अन्तरिक्ष उद्योग का एक बड़ा खिलाड़ी भी मान लिया जाएगा.

हाल ही में किये गए तकनीकी प्रयोग

  • पिछले वर्ष ISRO ने “PAD ABORT” अर्थात् अन्तरिक्ष यात्री उद्धार प्रणाली का सफल परीक्षण किया था.
  • इस प्रणाली के माध्यम से यदि कभी प्रक्षेपण विफल हो जाता है तो उस समय अन्तरिक्ष यात्री उससे बाहर निकलकर अपने प्राण बचाने में समर्थ हो जाते हैं.
  • यह परीक्षण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अन्तरिक्ष केंद्र में हुआ था.
  • विदित हो कि अगर भारत इस मिशन (गगनयान मिशन) को सफलतापूर्वक लौंच करता है, तो यह संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला चौथा राष्ट्र बन जायेगा.

सफल मानव अन्तरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक है कि हम यात्रा के पश्चात् अन्तरिक्ष यात्रियों को सकुशल पृथ्वी पर वापस ला सकें और साथ ही यह अन्तरिक्ष यान ऐसा हो कि उसमें बैठे अन्तरिक्षयात्री पृथ्वी जैसी दशाओं में रह सकें.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Infrastructure- Energy.

Topic : Electric or hydrogen cars? Why Asian economies are backing the latter

संदर्भ

चीन, जापान और दक्षिणी कोरिया प्रयास कर रहे हैं कि अगले दशक के अंत तक अरबों डॉलर खर्च कर वे अपनी सड़कों पर लाखों ऐसी गाड़ियाँ ले आयें जो हाइड्रोजन से चलें.

सम्बंधित आँकड़े

  • चीन स्वचालित वाहनों का सबसे बड़ा बाजार है क्योंकि वहाँ प्रति वर्ष 28 मिलियन गाड़ियाँ बिका करती हैं. चीन चाहता है कि 2030 तक उसके यहाँ 10 लाख हाइड्रोजन ईंधन बैटरी वाली गाड़ियाँ (fuel cell vehicles – FCVs) चलने लगें. अभी वहाँ ऐसी मात्र 1,500 गाड़ियाँ हैं और वे भी बसें.
  • प्रत्येक वर्ष 5 मिलियन गाड़ियों के बाजार वाले जापान में अभी 3,400 FCVs चला करती हैं. वह चाहता है कि इनकी संख्या 2030 तक बढ़ाकर 800,000 कर दे.
  • जापान की तुलना में एक तिहाई कार बाजार वाले दक्षिणी कोरिया ने 2030 तक 850,000 FCVs गाड़ियों का लक्ष्य रखा है. ज्ञातव्य है कि 2018 के अंत तक वहाँ ऐसी 900 गाड़ियाँ ही बिकी थीं.

हाइड्रोजन ईंधन ही क्यों?

  • हाइड्रोजन ईंधन का एक स्वच्छ स्रोत है क्योंकि इसके प्रयोग से सह उत्पाद के रूप में मात्र पानी और ताप का ही सृजन होता है.
  • हाइड्रोजन कई स्रोतों से निकाला जा सकता है, जैसे – मीथेन, कोयला, पानी और यहाँ तक की कचरा भी.
  • बिजली से चलने वाली गाड़ियों को रिचार्ज करने में घंटों लग जाते हैं और वे कुछ सौ किलोमीटर ही चल पाती हैं. किन्तु FCVs को रिचार्ज करने में कम समय लगता है और ये अधिक दूर तक भी जाती हैं.

ग्राहक FCVs से कतरा क्यों रहे हैं?

  • FCVs गाड़ियों में ईंधन भरने के लिए अनेक स्टेशन बनाने पड़ेंगे जिनमें भारी-भरकम खर्च भी होगा.
  • ऐसे स्टेशन लाभप्रद हों उसके लिए आवश्यक है कि बाजार में FCVs काफी संख्या में दौड़ने लगें.
  • ग्राहक डरते हैं कि इन गाड़ियों में विस्फोट हो सकता है.
  • FCVs गाड़ियाँ महंगी होती हैं. अतः इनका दाम गैसोलीन से चलने वाली गाड़ियों के बराबर में लाना तभी संभव होगा जब सरकार इनको भारी-भरकम सब्सिडी दे.

Prelims Vishesh

Paraquat :-

  • खरपतवार को नष्ट करने के लिए Paraquat नामक एक विषाक्त रसायन का प्रयोग व्यापक रूप से होता है. किन्तु 32 देशों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है.
  • इसके संसर्ग में आने वाले लोगों को वृक्क, यकृत और फेफड़े की जानलेवा बीमारियाँ हो जाती हैं.

Akademik Lomonosov :-

  • विश्व का एकमात्र तैरता हुआ आणविक बिजली घर रूस के सेंट. पीटर्सबर्ग में स्थित है, जो 19 मई, 2018 से काम कर रहा है.
  • अभी पिछले दिनों इस बिजली घर ने उत्तरी समुद्र में 5,000 किलोमीटर की अपनी यात्रा पूरी की.

Electronic Certificates of Origin (CoO) :-

  • पिछले दिनों वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मूल स्थान इलेक्ट्रोनिक प्रमाण पत्र निर्गत करने के लिए एक सामान्य डिजिटल मंच का अनावरण किया.
  • विदित हो कि जब निर्यातक का माल दूसरे देश में पहुँचता है तो उसे साबित करना पड़ता है कि उसका माल किस देश से आ रहा है.

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