Sansar डेली करंट अफेयर्स, 24 May 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 24 May 2021


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important Geophysical phenomena such as earthquakes, Tsunami, Volcanic activity, cyclone etc.

Topic : Cyclone Yaas

संदर्भ

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा 22 मई के आसपास उत्तरी अंडमान सागर और उसके निकटवर्ती पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक निम्न दाब का क्षेत्र निर्मित होने की जानकारी दी गई है.

24 मई तक, इस निम्नदाब क्षेत्र के तीव्र होकर एक चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना है. इस तूफ़ान को ‘चक्रवात यास’ (Cyclone Yaas) नाम दिया गया है.

इसका नामकरण

  1. ‘यास’ नाम का सुझाव ‘ओमान’ द्वारा दिया गया था और इसका नामकरण एक अच्छी सुगंध वाले ‘वृक्ष’ के ऊपर किया गया है, तथा इसका अर्थ अंग्रेजी भाषा के ‘जैस्मीन’ शब्द के समान होता है.
  2. अगले चक्रवात – यास के बाद – का नाम ‘गुलाब’ रखा जा सकता है, जिसे पाकिस्तान द्वारा सुझाया गया है.

चक्रवात की परिभाषा

चक्रवात निम्न वायुदाब के केंद्र होते हैं, जिनके चारों तरफ केन्द्र की ओर जाने वाली समवायुदाब रेखाएँ विस्तृत होती हैं. केंद्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है. फलतः परिधि से केंद्र की ओर हवाएँ चलने लगती है. चक्रवात (Cyclone) में हवाओं की दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत तथा दक्षिण गोलार्द्ध में अनुकूल होती है. इनका आकर प्रायः अंडाकार या U अक्षर के समान होता है. आज हम चक्रवात के विषय में जानकारी आपसे साझा करेंगे और इसके कारण,  प्रकार और प्रभाव की भी चर्चा करेंगे. स्थिति के आधार पर चक्रवातों को दो वर्गों में विभक्त किया जाता है –

  1. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
  2. शीतोष्ण चक्रवात (Temperate Cyclones)

चक्रवात के विषय में अधिकारी के लिए क्लिक करें – चक्रवात


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of Policies & Politics of Countries on India’s Interests.

Topic : 17+1 Initiative

संदर्भ

हाल ही में लिथुआनिया ने मध्य और पूर्वी यूरोप के साथ चीन के 17+1 सहयोग मंच (17+1 Cooperation Forum) को “विभाजनकारी” कहकर छोड़ दिया, जिसके बाद इसका स्वरूप अब 16+1 हो गया है.

  • लिथुआनिया ने (बाल्टिक देशअन्य यूरोपीय संघ (European Union) के सदस्यों से “चीन के साथ अधिक प्रभावी 27+1 दृष्टिकोण (27+1 Approach) अपनाने तथा संवाद जारी रखने’ का भी अनुरोध किया है.

17+1 क्या है?

गठन

17+1 (चीन और मध्य तथा पूर्वी यूरोप के देश) पहल चीन के नेतृत्व वाला एक प्रारूप है, जिसकी स्थापना वर्ष 2012 में बुडापेस्ट में बीजिंग एवं मध्य व पूर्वी यूरोप (Central and Eastern Europe- CEE) के सदस्य देशों के बीच सीईई क्षेत्र में निवेश और व्यापार पर सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी.

सदस्य देश

इस पहल में यूरोपीय संघ के बारह सदस्य राज्य और पाँच बाल्कन राज्य (अल्बानिया, बोस्निया, हर्जेगोविना, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, ग्रीस, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो, पोलैंड, रोमानिया, सर्बिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया) शामिल हैं.

लक्ष्य और उद्देश्य

  1. यह सदस्य राज्यों में पुलों, मोटरमार्गों, रेलवे लाइनों और बंदरगाहों के आधुनिकीकरण जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर केंद्रित है.
  2. इस मंच को चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road initiative- BRI) के विस्तार के रूप में देखा जाता है.
  3. भारत ने लगातार बीआरआई का विरोध किया है क्योंकि इसका एक प्रमुख हिस्सा पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुज़रता है.

कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी

17+1 पहल चीन की अगुवाई वाला एक समूह है जिसकी स्थापना 2012 में बुडापेस्ट में हुई थी और इसका मक़सद चीन और CEE के सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था. CEE क्षेत्र के विकास के लिए निवेश और व्यापार का इस्तेमाल होना था. इस व्यवस्था के तहत सदस्य देशों में बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं जैसे पुल, मोटरवे, रेलवे लाइन और बंदरगाहों के आधुनिकीकरण पर ध्यान देना था. इस पहल में EU के 12 सदस्य देश और पांच बाल्कन देश शामिल हैं- अल्बानिया, बोस्निया और हर्ज़ेगोविना, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, ग्रीस, हंगरी, लात्विया, लिथुआनिया, मैसिडोनिया, मोंटेनीग्रो, पोलैंड, रोमानिया, सर्बिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया. इस मंच को मुख्य रूप से चीन की प्रमुख परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है.

17+1 पहल को लेकर चीन की सोच रही है कि वो इसके ज़रिए यूरोप के उन देशों के साथ अपने संबंध बेहतर करेगा जो पश्चिमी यूरोप के देशों के मुक़ाबले कम विकसित हैं. चीन CEE क्षेत्र में परस्पर जुड़े रिश्तों की व्यवस्था करने के लिए उत्सुक था. चीन ने 2012 में ही मध्य और पूर्वी यूरोप में निवेश के लिए 10 अरब डॉलर के लाइन ऑफ क्रेडिट का एलान किया. चीन और CEE देशों के बीच व्यापारिक संबंध साधारण बने रहे जिसकी वजह से ही स्थापना के समय से ही दोनों पक्षों के बीच व्यापार घाटा बढ़ता रहा.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : INTERNATIONAL ATOMIC ENERGY AGENCY

संदर्भ

हाल ही में, ईरान की संसद के अध्यक्ष ने कहा है, कि तेहरान और संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था- ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ (IAEA) के मध्य तीन महीने के निगरानी समझौते का समय पूरा हो गया है और इसके साथ ही, कुछ ईरानी परमाणु स्थलों के भीतर के चित्रों तक इसकी पहुँच भी समाप्त हो जाएगी.

इस घोषणा के पश्चात्, वर्ष 2015 के ईरान परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के मध्य चल रही अप्रत्यक्ष वार्ता के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है.

निगरानी समझौता’ क्या था?

फरवरी में, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और तेहरान के मध्य एक तीन महीने के निगरानी समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे.

  1. इस समझौते का उद्देश्य, ईरान द्वारा एजेंसी के साथ अपने सहयोग को कम करने से लगे झटके को राहत प्रदान करना था.
  2. इस समझौते के तहत, एजेंसी को ईरान की कुछ गतिविधियों की निगरानी करने की अनुमति दी गई थी और ऐसा नहीं करने पर इन गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया जाता.

IAEA क्या है?

  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency – IAEA) आणविक विषयों के लिए विश्व की सबसे प्रधान एजेंसी है. इसकी स्थापना 1957 में संयुक्त राष्ट्र के एक अवयव के रूप में परमाणु के शान्तिपूर्ण प्रयोग पर बल देने के लिए की गई थी.
  • इसका उद्देश्य है परमाणु तकनीकों के सुरक्षित, निरापद (secure) एवं शान्तिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना.
  • यह एजेंसी परमाणु के सैनिक उपयोग पर रोक लगाती है.
  • IAEA संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा सुरक्षा परिषद् के प्रति उत्तरदायी होती है.
  • इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियेना शहर में है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : U.K. to unveil plans for ‘digital border’

संदर्भ

ब्रिटेन द्वारा अपनी ‘सीमाओं को पूर्णतयः डिजिटल’ घोषित करने की योजना तैयार की जा रही है.

यह योजना, देश की आव्रजन प्रणाली में किए जा रहे व्यापक सुधारों का एक भाग है और इसमें अंक-आधारित प्रवासन प्रणाली (points-based migration system) की शुरूआत भी की जाएगी.

डिजिटल बॉर्डर’ किस प्रकार का होगा?

इस कदम का मतलब है, बिना किसी वीजा या आव्रजन दर्जे (Immigration status) के ब्रिटेन में आने वाले लोगों को, अमेरिका में जारी प्रणाली की भांति, एक ‘इलेक्ट्रॉनिक यात्रा अधिकार-पत्र’ (Electronic Travel Authorisation) प्राप्त करना जरूरी होगा. यह प्रावधान, वर्ष 2025 के अंत तक लागू की जाने वाली योजनाओं का एक भाग है.

  1. इस डिजिटल पहचान (Digital identity) जाँच का उपयोग, वीज़ा आवेदन केंद्रों पर जाने की आवश्यकता को कम करने के लिए भी किया जाएगा.
  2. सीमा को डिजिटल करने का मतलब होगा, कि अधिकारी ‘अब देश में आने वालों तथा देश से बाहर जाने वालों की गणना कर सकते है’ और इसके साथ ही, आने वाले लोगों के लिए देश में ठहरने संबंधी अनुमति की जांच भी की जा सकती है.

इसके लाभ

इस पद्धति से, संभावित खतरों के सीमा पर पहुंचने से पहले ही इनकी पहचान करना आसान हो जाएगा.

जरूरत

पिछले साल, लगभग 8,500 लोगों ने, विश्व के व्यस्ततम जहाज-मार्ग वाले एक चैनल को छोटी नावों में पार कर जोखिम-भरी यात्रा करके ब्रिटेन में प्रवेश किया था.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : IP related issues.

Topic : Shahi Litchi

हाल ही में बिहार से जीआई प्रमाणित शाही लीची (GI certified Shahi Litchi) की पहली खेप यूनाइटेड किंगडम को निर्यात की गई है.

  • जीआई प्रमाणित उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बिहार से शाही लीची की इस मौसम की पहली खेप हाल ही में यूनाइटेड किंगडम को निर्यात की गई है.
  • शाही लीची के निर्यात के लिए पादप-स्वच्छता प्रमाणन पटना में नव-स्थापित प्रमाणन सुविधा से जारी किया गया है.
  • ज्ञातव्य है कि इस फल को बिहार स्थित मुजफ्फरपुर के किसानों से प्राप्त किया गया और सिरा इंटप्राइजेज इसका निर्यात कर रहा है.
  • शाही लीची के निर्यात की सुविधा के लिए एपीडा ने बिहार के कृषि विभाग सहित किसानों, निर्यातकों और आयातकों जैसे अन्य हितधारकों के साथ सहभागिता की है.

पृष्ठभूमि

2018 में बिहार की शाही लीची को GI टैग (Geographical Indicator) प्राप्त हुआ था. GI टैग प्राप्त हो जाने से यह लीची देश-विदेश में खास ब्रांड बन गई है. ज्ञातव्य है कि बिहार की देश के लीची उत्पादन में कुल 40% की हिस्सेदारी है. आँकड़ों के मुताबिक बिहार में 32,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लीची की खेती की जाती है.

shahi lichi

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • बिहार राज्य के खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो कतरनी चावल, जरदालू आम और मगही पान को पहले से ही GI tag प्राप्त है.
  • बिहार की शाही लीची अपने मीठे स्वाद और विशेष सुगंध के लिए प्रसिद्ध है.
  • इन फलों के वृक्ष बिहार के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण और बेगूसराय जिलों में उगाये जाते हैं.
  • हाल ही ही में महाराष्ट्र के रत्नागिरि, सिंधु दुर्ग, पालघर, ठाणे और रायगढ़ जिलों में उपजने वाले अलफांसों अर्थात् हापुस आम को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indicator – GI) के लिए पंजीकृत किया गया है.
  • भारत में जीआई टैग सबसे पहले दार्जिलिंग चाय को मिला था. इसे 2004 में जीआई टैग मिला था.

टैग मिलने के बाद क्या फायदे होते हैं?

  • शाही लीची को GI टैग मिलने से बाजार में इसकी माँग में बढ़ोतरी होगी.
  • नकली और खराब गुणवत्ता वाली लीची के माँग में कमी आएगी.
  • इस फल को GI टैग मिल जाने से हजारों लीची उत्पादक आर्थिक रूप से और भी अधिक सक्षम होंगे. उन्हें बाजारों तक पहुँच प्राप्त करने में आसानी होगी.
  • इसके अतिरिक्त उन्हें विदेशों में बेहतर मूल्य प्राप्त होगा.

GI Tag

  • GI का full-form है – Geographical Indicator
  • भौगोलिक संकेतक के रूप में GI tag किसी उत्पाद को दिया जाने वाला एक विशेष टैग है.
  • नाम से स्पष्ट है कि यह टैग केवल उन उत्पादों को दिया जाता है जो किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित किये गए हों.
  • यदि आपको कुछ उदाहरण दूँ तो शायद आप इसे और अच्छे से समझोगे….जैसे – बनारसी साड़ी, कांचीपुरम की साड़ी, मालदा आम, मुजफ्फरपुर की लीची, बीकानेरी भुजिया, कोल्हापुरी चप्पल, अलीगढ़ का ताला आदि.
  • इस tag के कारण उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिल जाता है.
  • यह टैग ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के विषय में आश्वस्त करता है.
  • WTO समझौते के तहत अनुच्छेद 22 (1) के तहत GI को परिभाषित किया जाता है.


Prelims Vishesh

Sundarlal Bahuguna :-

  • हाल ही में, प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और गांधीवादी सुंदरलाल बहुगुणा की मृत्यु हो गई.
  • वे, 1970 के दशक में हिमालय के जंगलों को बचाने के लिए शुरू किये गए ‘चिपको आंदोलन’ की शुरुआत करने वाले अग्रणी नायकों में से एक थे.
  • श्री बहुगुणा ने 1980 के दशक में हिमालय में बड़े बांधों के निर्माण के खिलाफ अभियान का नेतृत्व भी किया था.

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