Sansar डेली करंट अफेयर्स, 24 March 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 24 March 2020


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : Schemes to boost bulk drugs manufacture

संदर्भ

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निम्न योजनाओं की स्वीकृति दे दी है. 

1) अगले 5 वर्षों के अंतराल में 3,000 करोड़ की धनराशि से तीन चिकित्सा उपकरण पार्कों (Bulk Drug Parks) में साझा अवसंरचना को वित्तीय सहायता देने के लिए बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने हेतु योजना.

2) अगले 8 वर्षों के दौरान के 6,940 करोड़ रु. की धनराशि से देश में अति महत्वपूर्ण केएसएम/औषधि मध्य सामग्री और एपीआई के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को प्रोत्साहन.

चिकित्सा उपकरण पार्क से लाभ

  • इनमें विश्वस्तरीय चिकित्सा उत्पादों का निर्माण किया जाएगा जिससे वह स्थानीय स्तर पर इलाज के लिए वहनीय कीमत पर उपलब्ध होंगे.
  • इससे विदेशों से दवाओं की निर्भरता में कमी आयेगी.

मुख्य तथ्य

  1. राज्यों की सहायता से भारत में 3 बल्क ड्रग पार्कों को विकसित करने का निर्णय लिया गया है.
  2. प्रत्येक बल्क ड्रग पार्क के लिए भारत सरकार राज्यों को अधिकतम 1,000 करोड़ रु. की धनराशि वित्तीय सहायता के रूप में प्रदान करेगी.
  3. पार्कों में कई साझा सुविधाएं उपलब्ध होंगी, जैसे – घोलक संयंत्र, आसवन संयंत्र, बिजली और भाप संयंत्र, साझा उत्सर्जन शोधन संयंत्र आदि.
  4. इस योजना के लिए अगले पाँच वर्षों के दौरान 3,000 करोड़ रु. की धनराशि को स्वीकृति दी जायेगी.

उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना

  1. चिह्नित 53 अति महत्त्वपूर्ण बल्क ड्रग के योग्य निर्माताओं को अगले 6 वर्षों के दौरान सहायता दी जाएगी जो उत्पादन वृद्धि पर आधारित होगी और इसके लिए 2019 -20 को आधार वर्ष माना जाएगा.
  2. 53 चिह्नित बल्क ड्रग में से 26 खमीर आधारित बल्क ड्रग हैं और 27 रसायन संश्लेषण पर आधारित बल्क ड्रग हैं.
  3. खमीर आधारित बल्क ड्रग के लिए छूट की दर 20% (विक्रय में वृद्धि के आधार पर) तथा रसायन संश्लेषण पर आधारित बल्क ड्रग के लिए 10% होगी.
  4. अगले आठ वर्षों के लिए 6,940 करोड़ रु. की धनराशि को स्वीकृति दी गई है.
  5. योजना का उद्देश्य अति महत्वपूर्ण केएसएम/औषधि मध्य सामग्री और एजीआई में बड़े निवेश को आकर्षित करने के माध्यम से घरेलू निर्माण/उत्पादन को बढ़ावा देना है. इससे केएसएम/औषधि मध्य सामग्री और एपीआई उत्पादन में अन्य देशों पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी.

प्रभाव

  • बल्क ड्रग पार्कों को प्रोत्साहन मिलेगा. इस योजना से देश में बल्क ड्रग के उत्पादन लागत तथा बल्क ड्रग के लिए अन्य देशों पर निर्भरता में कमी आएगी.
  • 3 बल्क ड्रग पार्क की इस योजना के अंतर्गत प्राप्त वित्तीय सहायता से साझा अवसंरचना सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा.
  • इससे देश में उत्पादन लागत में कमी आएगी और बल्क ड्रग के लिए अन्य देशों पर निर्भरता भी कम होगी.

ऐसा कदम क्यों उठाया गया?

चीन में कोरोना वायरस फैलने के बाद भारत में बल्क ड्रग की किल्लत की आशंका जाहिर की जाने लगी थी. चीन से सप्लाई चेन बाधित होने के बाद सरकार बल्क ड्रग के मामले में चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए गंभीरता से सोचने लगी. नीति आयोग के नेतृत्व में इस निर्भरता को कम करने लिए नीति लाने की योजना बनाई जिसके तहत सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक कर प्रोत्साहन पैकेज को अंतिम रूप दिया गया.

बल्क ड्रग को लेकर अभी की स्थिति

बल्क ड्रग निर्माताओं के मुताबिक भारत बल्क ड्रग के मामले में 65 फीसद चीन पर निर्भर करता है. 10 फीसद आपूर्ति अन्य देशों से होती है तो 25 फीसद बल्क ड्रग का उत्पादन घरेलू स्तर पर होता है. फार्मा उद्यमियों के अनुसार सरकार के प्रोत्साहन पैकेज से घरेलू स्तर पर बल्क ड्रग के उत्पादन में कम से कम 15 फीसद तक की बढ़ोतरी हो सकती है.

आगे की राह

मात्रा के आधार पर भारतीय दवा उद्योग विश्व की तीसरी सबसे बड़ा उद्योग है. इस उपलब्धि के बाद भी भारत मौलिक कच्ची सामग्री (जैसे दवाओं के उत्पादन में उपयोग किये जानेवाले बल्क ड्रग) के लिए आयात पर निर्भर है. कुछ विशेष बल्क ड्रग के मामले में आयात पर निर्भरता 80 से 100 प्रतिशत तक है.

नागरिकों को किफायती स्वास्थ्य देखभाल सुविधा सुनिश्चित करने के लिए दवाओं की निरंतर आपूर्ति जरूरी है. आपूर्ति में अवरोध से दवा सुरक्षा पर उल्टा प्रभाव पड़ सकता है जो देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है. बल्क ड्रग के निर्माण में आत्म-निर्भर होना बहुत आवश्यक है.

चीन का बल्क ड्रग भारत के मुकाबले 20-25 फीसद तक सस्ता है. सरकार की मदद से लागत में कमी आने पर घरेलू निर्माता चीन का मुकाबला कर सकेंगे.


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests

Topic : Extradition Treaty between India and Belgium

संदर्भ

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत गणराज्य और बेल्जियम के मध्य प्रर्त्यपण संधि के हस्ताक्षर और अभिपुष्टि को स्वीकृति दी.

संधि की विशेषताएँ

  1. प्रर्त्यपण का दायित्व प्रत्येक पक्ष दूसरे पक्ष के ऐसे व्यक्ति के प्रर्त्यपण की सहमति प्रदान करता है जो उसके देश के सीमा क्षेत्र में प्रत्यर्पण अपराध का आरोपी है या उसे सजा दी जा चुकी है.
  2. अपराध जिसके अन्तर्गत प्रर्त्यपण किया जा सकता है.

प्रर्त्यपण अपराध का क्या अर्थ है?

एक अपराध जो दोनों देशों के कानूनों के अन्तर्गत दंडनीय है और जिसमें एक वर्ष के कारावास या अधिक कड़े दंड का प्रावधान है. जब किसी सजा प्राप्त व्यक्ति के प्रर्त्यपण की मांग की जाती है तो शेष सजा की अवधि कम से कम 6 महीने होनी चाहिए जब प्रर्त्यपण का अनुरोध किया गया हो. कर, राजस्व और वित्त से जुड़े अपराधों को भी इस संधि के दायरे में रखा गया है.

संधि के अन्तर्गत, प्रर्त्यपण को अस्वीकार किया जा सकता है यदि

  1. अपराध की प्रकृति राजनीतिक है. हालांकि संधि में कुछ ऐसे अपराधों को शामिल किया गया है जिन्हें राजनीतिक अपराध नहीं माना जाएगा.
  2. अपराध यदि एक सैन्य अपराध है.
  3. व्यक्ति के रंग, लिंग, धर्म, राष्ट्रीयता या राजनीतिक विचार के कारण व्यक्ति पर अभियोजन करने या दंडित करने के उद्देश्य से अभियोजन का अनुरोध किया गया है.
  4. दंड को लागू करने की समय-सीमा बीत चुकी है. राष्ट्र के लोगों का प्रर्त्यपण राष्ट्र के लोगों का प्रर्त्यपण विवेशधिकार पर आधारित है. राष्ट्रीयता का निर्धारण उस समय के अनुसार किया जाएगा जब अपराध किया गया है.

लाभ

संधि के माध्यम से बेल्जियम को और बेल्जियम से प्रत्यर्पित होने वाले आतंकियों, आर्थिक अपराधियों और अन्य अपराधियों के प्रर्त्यपण को कानूनी आधार प्राप्त होगा. अभिपुष्टि के बाद भारत और बेल्जियम के बीच अभिपुष्टि-पत्रों के आदान-प्रदान के दिन से संधि लागू हो जाएगी.

पृष्ठभूमि

नयी संधि स्वतंत्रता-पूर्व 1901 में ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच में हुई संधि का स्थान लेगी जो भारत पर भी लागू की गई थी. वर्तमान में उक्त संधि ही भारत और बेल्जियम के बीच लागू है. स्वतंत्रता-पूर्व संधि में अपराधों की संख्या सीमित है जिसके कारण यह उपयोगी नहीं रह गई है.


GS Paper 2 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : What is Section 188 IPC?

संदर्भ

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जारी किए गए महामारी रोग अधिनियम, 1897 के अधीन आदेश जारी किए गए हैं. इसके अंतर्गत नियमों को नहीं मानने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार सजा दी जाती है. सजा है- छह महीने तक की कैद या 1000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों. महामारी ऐक्ट, 1897 को पहले भी समय-समय पर लागू किया गया है. स्वाइन फ्लू, डेंगू और हैजा जैसी बीमारियों से निपटने के लिए.

भारतीय दंड संहिता की धारा 188 क्या है?

  • 1897 के महामारी कानून (Mahamari Act) के अनुभाग 3 में इस बात का जिक्र किया गया है कि अगर कोई प्रावधानों का उल्लंघन करता है, सरकार / कानून के निर्देशों / नियमों को तोड़ता है, तो उसे IPC की धारा 188 के अंतर्गत दंडित किया जा सकता है. इस संबंध में किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा दिए निर्देशों का उल्लंघन करने पर भी आपके विरुद्ध यह धारा लगाई जा सकती है.
  • धारा 188 में IPC के अध्याय 10 के अंतर्गत किसी आर्डर को न मानने वाले को सजा देने का प्रावधान किया गया है. 
  • हालांकि, इस मुद्दे से जुड़े कुछ मामलों की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी कहा है कि महामारी रोग अधिनियम के अंतर्गत जारी आदेश की अवज्ञा करने भर से किसी व्यक्ति को धारा-188 के अंतर्गत दण्डित नहीं किया जा सकता. अधिकारियों को यह साबित करना भी जरुरी है कि उसकी अवज्ञा के चलते वाकई नुकसान (धारा में बताया गया नुकसान) हुआ है.

सजा का प्रावधान

  • अगर कोई सरकारी ऑर्डर में रुकावट, खतरा या क्षति पहुंचाए, तो उसे जेल भेजा जा सकता है. 200 रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है. या जुर्माने के साथ कारावास की सजा भी हो सकती है.
  • अगर कोई सरकारी ऑर्डर के दरम्यान इंसान की जान, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है या दंगा-फसाद करता है, तो उसे तुरंत जेल भेजा जा सकता है. ऐसे में उसे छह महीने तक की जेल हो सकती है. 1000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. या जुर्माने के साथ जेल की सजा भी हो सकती है.
  • इसमें यह नहीं देखा जाता है कि आरोपी का नुकसान पहुंचाने का इरादा था या नहीं. सजा के लिए केवल यही काफी होता है कि उसने नियमों का उल्लंघन किया है.
  • आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 की पहली अनुसूची के अनुसार ‘इस अपराध में जमानत मिल सकती है और जमानत के लिए किसी भी मजिस्ट्रेट के पास अर्जी दाखिल की जा सकती है.’

सरकार ने 188 क्यों लगाया है?

  • कोरोना वायरस का संक्रमण इंसानों से इंसानों में तेजी से फैल रहा है. सबसे पहले चीन के वुहान में इस वायरस का संक्रमण देखा गया, जो अब दुनिया के 177 से अधिक देशों में फ़ैल गया है. लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हैं. दुनिया के कई क्षेत्रों में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन भी देखा गया है.
  • इस प्रकोप से मुकाबला करने के लिए पूरे भारत में लॉकडाउन है. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कहा गया है. ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, स्पोर्ट्स इवेंट, शादी समारोह, सभी रद्द करने के ऑर्डर हैं.
  • 11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सरकारों से कोरोना से बचाव के लिए कारगर उपाय करने को कहा था.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to Health.

Topic : Ayushman Bharat

संदर्भ

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘दिल्ली सरकार 2020-21 से आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लागू करेगी. विदित हो कि इसमें हर साल प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जाता है.’

आयुष्मान भारत योजना

आयुष्मान भारत एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है जिसके अन्दर 10.74 करोड़ निर्धन और असुरक्षित परिवार आयेंगे जिनके सदस्यों की संख्या लगभग 50 crore हो सकती है. बजट 2018 में यह प्रावधान किया गया है कि इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपयों तक के अस्पताल खर्च का वहन करना होगा. इस प्रकार यह कार्यक्रम विश्व की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था को उत्तम बनाना है.

आयुष्मान भारत कार्यक्रम 2022 के न्यू इंडिया को बनाने में सहायक सिद्ध होगा और लाखों रोजगार, विशेषकर महिलाओं के लिए, सृजित कर सकेगा. बजट 2018 के भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह भी घोषणा की थी कि 24 नए सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय और हॉस्पिटल बनाए जायेंगे. यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक तीन लोक सभा क्षेत्रों पर एक चिकित्सा महाविद्यालय हो और देश के हर राज्य में कम-से-कम एक सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय हो.

इस योजना के अंतर्गत प्रीमियम भुगतान में किए गए व्यय को केंद्रीय और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के निर्दिष्ट अनुपात में साझा किया जाएगा.

आयुष्मान योजना को लागू करने के लिए भारत के स्वास्थ्य एवं कल्याणमंत्री की अध्यक्षता में आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा अभियान परिषद् (Ayushman Bharat National Health Protection Mission Council – AB-NHPMC) नामक निकाय बनाया जा रहा है जिसका कार्य योजना के विषय में नीतिगत निर्देश देना तथा केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करना होगा.

योजना के लिए अर्हता

आयुष्मान भारत योजना एक अर्हता पर आधारित योजना है जिसके लिए निम्नलिखित श्रेणी के लोग योग्य होंगे –

  • गाँवों में रहने वाले ऐसे परिवार जिनके पास केवल 1 कोठरी है जिसकी दीवार कच्ची है और छत भी कच्ची है.
  • ऐसा परिवार जिसमें 16 वर्ष से 59 वर्ष के बीच का कोई वयस्क सदस्य नहीं हो.
  • ऐसा परिवार जिसकी मुखिया स्त्री हो और जिसमें 16 वर्ष वर्ष से 59 वर्ष का कोई व्यस्क पुरुष सदस्य न हो.
  • जिस परिवार में दिव्यांग सदस्य और कोई शारीरिक रूप से समर्थ व्यस्क असमर्थ सदस्य हो.
  • सभी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति
  • भूमिहीन परिवार जिसकी मुख्य आय दिहाड़ी मजदूरी से होती हो.
  • ग्रामीण क्षेत्रों के ये परिवार स्वतः ही इस योजना के लिए योग्य माने जाएँगे – बिना आश्रय के परिवार, अति निर्धन परिवार, भीख पर निर्भर परिवार, हाथ से सफाई करने वाले परिवार, आदिम जनजाति परिवार, बंधुआ मजदूरी से छुड़ाए गये परिवार.
  • इस योजना में शहरी क्षेत्र के उन परिवारों को लिया जाएगा जो 11 विशेष पेशों में कार्यरत हैं.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : World Tuberculosis Day 2020

संदर्भ

विश्व टीबी दिवस या विश्व तपेदिक दिवस या विश्व क्षयरोग दिवस या विश्व यक्ष्मा दिवस’ वैश्विक तपेदिक महामारी समाप्त करने तथा तपेदिक (टीबी) के स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता प्रसारित करने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है. डॉ॰ रॉबर्ट कॉख ने इस दिन वर्ष 1882 में टीबी के जीवाणु की खोज की थी, जिसके कारण टीबी होता है.

इस दिवस का उद्देश्य

  • रोकथाम और उपचार की पहुंच को बढ़ाना;
  • जवाबदेही का निर्माण;
  • अनुसंधान के लिए पर्याप्त और स्थायी वित्तपोषण सुनिश्चित करना;
  • (कलंक) और भेदभाव ख़त्म करने को बढ़ावा देना, और
  • न्यायसंगत, अधिकार-आधारित और व्यक्ति-केंद्रित टीबी प्रतिक्रिया को बढ़ावा देना.

तपेदिक क्या है?

  • यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है.
  • क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं.
  • यह हवा के माध्यम से तब फैलता है, जब वे लोग जो सक्रिय टीबी संक्रमण से ग्रसित हैं, खांसी, छींक, या किसी अन्य प्रकार से हवा के माध्यम से अपना लार संचारित कर देते हैं.

चिंता का विषय

  • पिछले दशकों में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद टीबी विश्वभर में मृत्यु के शीर्ष दस कारणों में से एक है. वैश्विक स्तर पर टीबी के कारण अनुमानित 1.3 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई तथा वर्ष 2017 में 10.0 मिलियन लोगों (9.0–11.1 मिलियन) में टीबी रोग विकसित हुआ. वैश्विक तपेदिक रिपोर्ट, वर्ष 2018 के अनुसार भारत में वर्ष 2017 के दौरान विश्व टीबी के मामलों की भागीदारी 27% है.
  • तपेदिक (टीबी) बैक्टीरिया (मायकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होने वाला एक संचारी (संक्रामक) रोग है, जो कि फेफड़ो को प्रभावित करता है, लेकिन यह अन्य हिस्सों (एक्सट्रा पल्मोमनरी टीबी/इतर फुफ्फुसीय तपेदिक) को भी प्रभावित करता है. तपेदिक उपचार और निवारण योग्य है.

संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Revised National Tuberculosis Control Programme – RNTCP)

  • RNTCP देश में टीबी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार का एक कार्यक्रम है. इसमें वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन की ओर बढ़ने के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना वर्ष 2017-2025 (नेशनल स्ट्रेटेजिक प्लान 2017-2025) के अंतर्गत पता लगाना (डिटेक्ट)- उपचार (ट्रीट)- रोकथाम (प्रिवेंट)निर्माण (बिल्ड)” (डीटीपीबी) के चार रणनीतिक स्तंभों का एकीकरण किया गया है.
  • वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए आह्वान किया गया है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG) से पांच वर्ष पहले प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है.

RNTCP के के पहल

  • निजी क्षेत्रों की भागीदारी –निजी स्वास्थ्य प्रदाता (प्राइवेट हेल्थ प्रोवाइडर इंगेजमेंट) को रोग का पता लगाने एवं टीबी के रोगियों का उपचार करने में शामिल किया गया है.
  • सक्रिय टीबी के मामलों की खोज (एसीएफ) –वर्ष 2017 में उच्च जोखिम वाली जनसंख्या में एसीएफ के तीन चरणों के माध्यम से टीबी रोगियों का पता लगाया गया था.
  • दैनिक उपचार पद्यति –दवा के बोझ को कम करने के लिए निश्चित दवा संयोजक की शुरुआत की गयी.
  • सार्वभौमिक दवा संवेदनशीलता परीक्षण –पर्याप्त उपचार के लिए सभी टीबी रोगियों में दवा प्रतिरोधिकता की जांच.
  • नयी दवा की शुरूआत –बेडाकूलाइन एवं डेलामिनिड जैसी नई विकसित दवाओं की शुरुआत को सात राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में की गयी.
  • पोषण सहयोग –सभी टीबी रोगियों को टीबी उपचार की अवधि के दौरान पोषण संबंधी सहायता के लिए प्रति माह 500 रुपये प्रदान किए जाते है.
  • डिज़िटल पहल –निक्षय, 99 डॉट्स, निक्षय औषधि.

Prelims Vishesh

Reunion Island :-

  • फ्रांसीसी और भारतीय नौसेना ने संयुक्त रूप से रीयूनियन द्वीप से संयुक्त गश्त का आयोजन किया है.
  • रीयूनियन (Réunion) अफ्रीका में स्थित एक द्वीप है.
  • यह हिन्द महासागर में मैडागास्कर के पूर्व में 200 किमी और मॉरीशस के दक्षिण में स्थित है.
  • इसकी राजधानी सेण्ट डैनिस है.
  • यह द्वीप फ्रांस का एक ओवरसीज़ विभाग है.

Yakshagana :-

  • कर्नाटक के प्रसिद्ध लोकनाट्य यक्षगान (Yakshagana) की 900 से अधिक लिपियों (Script) को डिजिटलीकरण करके सार्वजनिक कर दिया गया.
  • इन लिपियों में वर्ष 1905 में छपा ‘प्रह्लाद चरित्र’ (Prahlada Charitre), वर्ष 1907 का ‘रामाश्वमेध’ (Ramashwamedha), वर्ष 1913 का ‘पुत्राकामेस्ती’ (Putrakamesti), वर्ष 1929 का ‘कनकंगी कल्याण’ (Kanakangi Kalyana), वर्ष 1931 का ‘कुमुधावती कल्याण’ (Kumudhwati Kalyana) और वर्ष 1938 में छपे ‘संपूर्ण रामायण’ (Sampoorna Ramayana) को मुख्य रूप से सम्मिलित किया गया है.
  • इन लिपियों का डिजिटलीकरण करके गूगल ड्राइव में PDF प्रारूप में संरक्षित किया गया है. ये लिपियाँ www.prasangaprathi sangraha.com पर उपलब्ध हैं और इनको ‘प्रसंग प्राथी संग्रह’ (Prasanga Prathi Sangraha) एप के जरिये भी उपलब्ध कराया गया है. 
  • विदित हो कि यक्षगान कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में किया जाने वाला प्रसिद्ध लोकनाट्य है. यक्षगान का शाब्दिक अर्थ है – यक्ष के गीत. 
  • कर्नाटक में यक्षगान की परंपरा संभवतः 800 वर्ष पहले की मानी जाती है. यक्षगान भगवान गणेश की वंदना से प्रारम्भ होता है. इसके पश्चात् एक हास्‍य अभिनय प्रस्तुत किया जाता है.

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