Sansar डेली करंट अफेयर्स, 24 August 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 24 August 2020


GS Paper 2 Source : BBC

UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Teesta river dispute

संदर्भ

हाल ही में चीन द्वारा बांग्लादेश को तीस्ता नदी परियोजना के लिए एक बिलियन डॉलर की कर्ज सहायता उपलब्ध कराई गई, जिससे न केवल फिर एक बार तीस्ता नदी विवाद का मुद्दा उभर कर सामने आया है, बल्कि बांग्लादेश के अंदर चीन की बढ़ती उपस्थिति भी चिंता का विषय बना है.

तीस्ता नदी

  • तीस्ता 414 किलोमीटर लंबी नदी है जो हिमालय में 7,096 मीटर ऊपर स्थित पाहुनरी ग्लेशियर से निकलती है.
  • पहले यह भारत के सिक्किम राज्य में पहुँचती है, वहाँ से पश्चिम बंगाल जाती है और फिर वहां से होते हुए बांग्लादेश चली जाती है.
  • बांग्लादेश में ये ब्रह्मपुत्र नदी से मिल जाती है, ब्रह्मपुत्र आगे जाकर पद्मा नदी से मिलती है. गंगा नदी को बांग्लादेश में पद्मा कहते हैं.
  • पद्मा आगे जाकर मेघना नदी से मिलती है, और मेघना नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है.

तीस्ता नदी विवाद क्या है?

  • बांग्लादेश चाहता है कि नदी का पानी चूँकि भारत से होते हुए उनके देश में आ रहा है, इसलिए भारत हिसाब से पानी ख़र्च करे, ताकि उनके यहाँ पहुँचने तक नदी में पानी बना रहे.
  • भारत, या असल में पश्चिम बंगाल कहता है कि पानी इतना नहीं है कि वो उस हिसाब से बाँट सके जितना कि बांग्लादेश चाहता है. पश्चिम बंगाल का कहना है कि उत्तर बंगाल के छह ज़िले तीस्ता नदी पर निर्भर हैं.
  • इसे लेकर सबसे पहले 1983 में आधे मन से एक समझौते की कोशिश हुई जिसमें पानी के आधे-आधे बँटवारे का प्रस्ताव किया गया, परन्तु उस पर बात बनी नहीं और न उसका पालन हो सका.
  • बांग्लादेश इसी नदी के 50% जल की मांग करता है. पश्चिम बंगाल के उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए भी यह नदी महत्त्वपूर्ण है. पश्चिम बंगाल में इस नदी पर बनाए गए हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट द्वारा 67.60 मेगा वाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है. साथ ही नौ लाख बाईस हजार हेक्टेयर भूमि भी सिंचित की जाती है. पश्चिम बंगाल और सिक्किम मिल कर इस नदी के 55% जल की मांग करते हैं.

चीन की कूटनीति

  • तीस्ता जल बँटवारा एक संवेदनशील मुद्दा है और चीन उसी के लिए एक अरब डॉलर का योगदान करना चाह रहा है.
  • पिछले साल बांग्लादेश को विभिन्न परियोजनाओं के लिए 4 अरब डॉलर देने की बात कही थी, और इस साल उसने कहा कि वो उसकी पहली किस्त में एक अरब डॉलर दे भी देगा जो तीस्ता परियोजना पर ख़र्च होगी.
  • चीन का यह क़दम भारत को परेशान करने की एक कोशिश है.

बांग्लादेश के साथ भारत की अन्य परियोजनाएँ

तीस्ता नदी जल बँटवारे के मुद्दे के अलावा भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग के प्रयास चल रहे हैं.

  1. रामपाल मैत्री पावर प्लांट
  2. भारत-बांग्लादेश फ़्रेंडशिप तेल पाइपलाइन
  3. अखौरा-अगरतला, चैलाहाटी-हल्दीबारी व खुलना-मोंगला रेल लाइन
  4. तीस्ता नदी पर प्रस्तावित 26 पनबिजली या हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाएँ.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद आज भारतीय संघवाद में सबसे बड़े मुद्दों में से एक है, चर्चा करें. क्या आप समझते हैं कि न्यायाधिकरणों के स्थान पर एक नए तंत्र की स्थापना का समय आ गया है? 

The Inter-State River Water Disputes are one of the most major issues in the Indian federalism today, discuss. Do you think that if it’s time for a new mechanism rather than tribunals?


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Insolvency process will be initiated against Anil Ambani

संदर्भ

राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal – NCLAT) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी के विरुद्ध दिवालिया कानून की व्यक्तिगत गारंटी धारा के तहत 1,200 करोड़ रुपये वसूलने के लिये दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है.

व्यक्तिगत दिवालियापन (Personal insolvency)

  1. यह किसी प्रमुख व्यापारिक समूह के मुखिया के दिवालिया होने से संबंधित पहला मामला है, इसलिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है.
  2. व्यक्तिगत दिवालियापन कार्यवाही संबंधी नियमों को गत वर्षदिसंबर में अधिसूचित किया गया था.

व्यक्तिगत दिवालियापन की कार्यवाही

  1. मामले में NCLT द्वारा अंतरिम समाधान पेशेवर (Interim Resolution Professional– IRP) की नियुक्ति की अनुमति देने के बाद भारतीय स्टेट बैंक अंबानी द्वारा व्यक्तिगत गारंटी के रूप में प्रदान की गई परिसंपत्तियों की सूची के साथ अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) से संपर्क करेगी.
  2. बैंकों द्वारा निजी गारंटी पर ऋण प्रदान करने के मामले में, गारंटी देने वाले को ऋण राशि की समान कीमत वाली परिसंपत्तियों की सूची प्रस्तुत करनी होती है.
  3. ऋण चुकाने में असफल रहने पर गारंटी में दी जाने वाली परिसंपत्तियों से ऋण की वसूली की जा सकती है.

दिवाला कार्यवाही पूरी होने के बाद क्या?

  1. कॉरपोरेट दिवाला प्रक्रियाओं की तरह, एक व्यापारी व्यक्तिगत दिवालापन कार्यवाही पूरी होने के बाद पुनः नए सिरे से कोई भी व्यापार करने के लिए स्वतंत्र है.
  2. ऋणदाता केवल संपार्श्विक जमा (collateral deposited) अथवा उस व्यक्ति से संबंधित व्यक्तिगत संपत्ति से अपना बकाया वसूल कर सकते हैं.
  3. हालांकि, ऋण स्वीकृति के समय प्रदान की गई गारंटी सूची में उल्लिखित किसी भी या सभी परिसंपत्तियों कोभले ही इन्हें किसी और को हस्तांतरित कर दिया गया होसंलग्न किया जा सकता है और बेचा जा सकता है.
  4. अंबानी अन्य व्यवसायों को, जो दिवालिया घोषित नहीं है, चलाने के लिए स्वतंत्र होंगे, वह उन व्यवसायों को भी चला सकते है, जो समय पर अपने ऋण और दायित्वों को पूरा करने में सक्षम हैं.

दिवालियापन संहिता विधेयक 2016

  • संसद ने आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम उठाते हुए एक नया दिवालियापन संहिता विधेयक 2016 में पारित किया था.
  • भारतीय दिवाला एवं शोधन अक्षमता कोड (IBC), 2016 लाने तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (Non Performing Assets) चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुका था. इन चिंताओं को दूर करने के लिये यह कानून बनाया गया और इसे लागू करके इसके तहत कार्रवाई भी की गई.
  • दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 1909 के ‘प्रेसीडेंसी टाउन इन्सॉल्वेन्सी एक्ट’ और ‘प्रोवेंशियल इन्सॉल्वेन्सी एक्ट 1920’ को रद्द करती है तथा कंपनी एक्ट, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट और ‘सेक्यूटाईज़ेशन एक्ट’ समेत कई कानूनों में संशोधन करती है.
  • इस कोड ने देश में कर्ज़दाताओं और कर्ज़ लेने वालों के संबंधों में महत्त्वपूर्ण बदलाव किया है. अब देखने में आ रहा है कि बड़ी संख्‍या में ऐसे कर्ज़दार, जिन्‍हें यह डर होता है कि वे रेड लाइन के निकट पहुँचने वाले हैं और जल्दी ही वे NCLT में होंगे, अब दिवालिया घोषित होने से परहेज कर रहे हैं.
  • इस कोड के कार्यान्‍वयन की प्रक्रिया कुछ निश्चित शर्तों और नियमों द्वारा संचालित है. कुछ मामलों में अपीलों और उसके विरोध में अपीलों तथा मुकदमेबाज़ी के चलते अनेक बार यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है, परन्तु सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात् यह बाधा दूर हो गई है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

नहीं चुकाए जा रहे ऋणों की समस्या के समाधान के लिए दिवालियापन एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता पहला विकल्प होनी चाहिए, न कि अंतिम सहारा. विमर्श करें.

Insolvency and Bankruptcy Code should be the preferred option for resolution of bad loans, not the last resort. Debate.


GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Food security related issues

Topic : National Food Security Act 2013

संदर्भ

हाल ही में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act– NFSA) 2013 के अंतर्गत सभी पात्र दिव्यांगों को शामिल करने के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए गए हैं.

विभाग ने सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि सभी दिव्यांग व्यक्तियों को  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम तथा प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अपने हक का खाद्यान्न कोटा प्राप्त होना चाहिए.

संबंधित प्रावधान

  1. इस अधिनियम की धारा 38 में कहा गया है कि केंद्र सरकार को इस अधिनियम के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर राज्य सरकारों को निर्देश देना चाहिए.
  2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की धारा 10 के अंतर्गत अंत्योदय अन्न योजना के तहत लागू दिशा-निर्देशों के अनुसार व्यक्तियों को सम्मिलित किये जाने तथा शेष परिवारों को संबंधित राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट किये जाने के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त परिवारों को सम्मिलित किये जाने का प्रावधान किया गया है.
  3. अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए विकलांगता’ को भी एक मानदंड के रूप में सम्मिलित किया गया है.

पृष्ठभूमि

  1. खाद्य सुरक्षा को लेकर भारत में तरह-तरह के कानून बने हैं.
  2. पर ये कानून अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नहीं हैं.
  3. 1960 के दशक में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने हरित क्रांति का मार्ग चुना था.
  4. भारत में खाद्य सुरक्षा के चार पहलू माने जाते हैं – पहुँच, उपलब्धता, उपयोगिता और स्थायित्व.
  5. सुप्रीम कोर्ट ने इन पहलुओं में एक और पहलू जोड़ दिया है और वह है भोजन का अधिकार (right to food).
  6. इसका उद्देश्य यह है कि हर भूखा व्यक्ति सरकार पर भोजन के लिए दावा कर सकता है.
  7. संविधान में जीवन के अधिकार का उल्लेख है जिसको सर्वोच्च न्यायालय ने भोजन के अधिकार से जोड़ दिया है.
  8. 2013 में इन्हीं सब अवधारणाओं का समावेश करते हुए National Food Security Act (NFSA) बना जिसकी लोगों ने बहुत प्रसंशा की.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 क्या है?

  • यह अधिनियम भारत सरकार ने 10 सितम्बर, 2013 को अधिसूचित किया था.
  • इसका उद्देश्य लोगों को उचित मात्रा में गुणवत्तायुक्त भोजन, सस्ते दामों में उपलब्ध कराते हुए उनकी खाद्य एवं पोषण से सम्बंधित सुरक्षा प्रदान करना है.

अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ

  • अधिनियम में ग्रामीण जनसंख्या के 75% और शहरी जनसंख्या के 50% तक लोगों को सब्सिडी वाला अनाज लक्षित जन-वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System – TPDS) के माध्यम से पहुँचाने का प्रावधान किया गया है.
  • अर्हता प्राप्त लोगों को प्रत्येक महीने 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति दिया जाएगा जिसका दाम 3 रु. (चावल), 2 रु. (गेहूँ) और 1 रूपया (मोटा अनाज) होगा.
  • पहले से लागू अन्त्योदय अन्न योजना (AAY) के अंतर्गत परिवारों को पहले की भाँति प्रत्येक महीने 35 किलो अनाज मिलता रहेगा.
  • अधिनियम के अनुसार गर्भवती महिलाओं को तथा बच्चा हो जाने के बाद अगले छह महीने दूध पिलाने वाली माताओं को पूर्ववत् भोजन मिलता रहेगा. परन्तु इन महिलाओं को कम-से-कम 6,000 रु. का मातृत्व लाभ भी मिलेगा.
  • 14 वर्ष तक के बच्चों को विहित पोषण मानकों के अनुसार पौष्टिक भोजन पाने का अधिकार होगा.
  • यदि किसी कारणवश अनाज या भोजन की आपूर्ति नहीं हुई to लाभार्थियों को इसके बदले खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया जाएगा.
  • अधिनियम में राज्य और जिला-स्तरों पर शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना का प्रावधान है.
  • अधिनियम में अलग से कुछ प्रावधान किये गये हैं जिनका उद्देश्य पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना है.

भारत में खाद्य संकट का ऐतिहासिक विवरण 

  • स्वतंत्रता के बाद से ही खाद्यान्न उत्पादन और खाद्य सुरक्षा देश के लिये बड़ी चुनौती रही है.
  • भारत में खाद्य सुरक्षा से संबंधित चिंताओं का इतिहास वर्ष 1943 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान हुए बंगाल अकाल में देखा जा सकता है, जिसके दौरान भुखमरी के कारण करीब 2 मिलियन से 3 मिलियन लोगों की मृत्यु हो गई थी.
  • भारत में 1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक के प्रारम्भ में हरित क्रांति ने दस्तक दी, जिससे देश के खाद्यान्न उत्पादन में बहुत सुधार आया. हरित क्रांति की सफलता के बाद भी इसकी यह कहकर आलोचना की गई कि इसमें केवल गेहूँ और चावल पर अधिक ध्यान दिया गया था.
  • आँकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2019 में सबसे अधिक कुपोषित लोग मौजूद थे.
  • खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organisation-FAO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 14.8 प्रतिशत जनसंख्या कुपोषित है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

जलवायु परिवर्तन को दृष्टिगत रखते हुए सतत कृषि और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए कौन-से कदम उठाए जाने की आवश्यकता है?

What are the steps that need to be taken to promote sustainable agriculture and food security in the wake of climate change?


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Conservation related issues.

Topic : BIS’ draft standard for drinking water supply

संदर्भ

हाल ही में ‘भारतीय मानक ब्यूरो’ (Bureau of Indian Standards- BIS) ने पाइप द्वारा पेयजल की आपूर्ति के लिये मानकों का एक प्रारूप तैयार किया गया है.

  • इसका शीर्षक है: ‘पेयजल आपूर्ति गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली – पाइप द्वारा पेयजल आपूर्ति सेवा के लिए आवश्यकताएँ’.
  • इस प्रारूप को बीआईएस की सार्वजनिक पेयजल आपूर्ति सेवा अनुभागीय समिति द्वारा तैयार किया गया है.
  • इस प्रारूप को केंद्र सरकार द्वारा ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत वर्ष 2024 तक नल कनेक्शन के माध्यम से सभी ग्रामीण घरों में सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है.

प्रारूप के मुख्य बिंदु

  • प्रारूप में अपरिष्कृत जल स्रोतों से परिवारों के नलों तक जल आपूर्ति प्रक्रिया हेतु रूपरेखा तैयार की गयी है.
  • इस प्रारूप में जल आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये आवश्यक महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित किया गया है, जिनमें पाइप द्वारा पेयजल आपूर्ति प्रणाली की स्थापना, संचालन, रखरखाव और इससे जुड़े सुधारों को शामिल किया गया है.
  • प्रारूप में कहा गया है कि जल परिष्करण प्रक्रिया की योजना इस प्रकार से निर्मित की जाए कि परिष्करण के बाद पीने का पानी बीआईएस द्वारा निर्धारित भारतीय मानक (आईएस) 10500 के अनुरूप होना चाहिए.
  • इसमें जल उपयोज्यता के शीर्ष प्रबंधन हेतु, जवाबदेही तथा उपभोक्ता हितों के संदर्भ में, उनकी सेवा गुणवत्ता नीति बनाने, आपूर्ति किये जाने वाले पानी की गुणवत्ता निगरानी करने तथा जल ऑडिट कराने संबधी, दिशा-निर्देश सम्मिलित किये गए है.
  • प्रारूप में कहा गया है कि जहाँ भी संभव हो, जिला मापन क्षेत्र (district metering area– DMA) की अवधारणा को अपनाया जाना चाहिए. DMA जल नेटवर्क में रिसाव को नियंत्रित करने हेतु एक अवधारणा होती है जिसमें जल आपूर्ति क्षेत्र को अनिवार्य रूप से कई क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, जिसे DMA कहा जाता है. इन क्षेत्रों में रिसाव पता लगाने के लिए बहाव मीटर लगाये किए जाते हैं. इसमें, गुणवत्ता मानकों की जांच के लिए प्रत्येक चार घंटे में जल-शोधन संयंत्र में पानी का नमूना लिया जाने का उल्लेख किया गया है. वितरण प्रणाली में, पानी के जलाशयों में प्रति आठ घंटे में पानी का नमूना लिया जाना चाहिए.

जल जीवन अभियान क्या है?

  • यह अभियान 2024 तक सभी ग्रामीण और शहरी घरों (हर घर जल) में नलके से पानी पहुँचाने के लिए तैयार किया गया है.
  • जल जीवन अभियान की घोषणा अगस्त, 2019 में हुई थी.
  • इसके अतिरिक्त इस अभियान का उद्देश्य है वर्षा जल संग्रह, भूजल वापसी और घर से निकलने वाले अपशिष्ट जल को खेती में प्रयोग करने से सम्बंधित स्थानीय अवसंरचनाओं का निर्माण करना.
  • जल जीवन अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के अनेक कार्य किये जाएँगे, जैसे – पॉइंट रिचार्ज, छोटे सिंचाई जलाशयों से गाद निकालना, अपशिष्ट जल को खेती में डालना और जल स्रोतों को टिकाऊ बनाना.
  • सतत जल आपूर्ति के लक्ष्य को पाने के लिए जल जीवन अभियान में अन्य केन्द्रीय और राज्य योजनाएँ समाहित की जाएँगी.

अभियान के लाभ

  1. घर-घर में नलके द्वारा पानी की आपूर्ति
  2. स्वच्छ एवं पीने योग्य जल
  3. भूजल का स्तर ऊपर लाना
  4. स्थानीय अवसंरचना को बेहतर बनाना
  5. जल से होने वाले रोगों में कमी
  6. जल की बर्बादी में कमी

Bureau of Indian Standards (BIS) :-

  • BIS भारत सरकार द्वारा Bureau of Indian Standards Act, 1986 के तहत कार्यादेश के माध्यम से गठित एक निकाय (statutory organization) है.
  • पहले इस निकाय का नाम भारतीय मानक संस्थान (ISI) था.
  • यह भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत काम करता है.
  • BIS का पदेन अध्यक्ष (ex-officio) उक्त मंत्रालय का मंत्री होता है.
  • इस निकाय में अन्य 25 सदस्य होते हैं जो केंद्र एवं राज्य सरकारों के उद्योग, वैज्ञानिक एवं अनुसंधान संस्थानों, उपभोक्ता संगठनों से लिए जाते हैं.
  • भारतीय मानक ब्यूरो भारत के लिए विश्व व्यापार संगठन – TBT (WTO-TBT) पूछताछ केंद्र के रूप में कार्य करता है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

भारत के शहरों में पानी का अभाव बढ़ता जा रहा है और साथ ही पेयजल का संकट भी देखने में आता है. इस सन्दर्भ में चर्चा करें कि इस परिस्थिति के कारण क्या हैं और साथ ही बताएँ कि देश में जल प्रशासन में सुधार लाने के लिए कौन-से उपाय होने चाहिएँ?

Indian cities are running out of water. Apart from this, there is drinking water crisis as well. In this context, discuss the factors responsible for this along with measures needed to improve water governance in the country.


Prelims Vishesh

Dedicated Freight Corridor Corporation of India Limited :-

  • DFCCIL रेलवे मंत्रालय के अधीन गठित एक संगठन है जिसका पंजीकरण कम्पनी अधिनियम, 1956 के अधीन 30 अक्टूबर, 2006 को हुआ था.
  • इस संगठन को तीन DFC अर्थात् समर्पित माल-ढुलाई गलियारे बनाने का काम सौंपा गया है.
  • पहले चरण में यह संगठन पश्चिमी DFC (1504 km) और पूर्वी DFC (1856 km) का काम पूरा करेगा.

Guwahati gets India’s longest river ropeway :-

  • ब्रह्मपुत्र नदी के दोनों तटों को जोड़ने के लिए 1.8 किलोमीटर एक रज्जु मार्ग (ropeway) बनाया जा रहा है जो देश का सबसे लम्बा नदी रज्जु मार्ग होगा.
  • इसकी सहायता से उत्तर गुवाहाटी से मध्य गुवाहाटी तक की दूरी 8 मिनटों में तय हो सकेगी.

People in News- Bondas :-

  • पिछले दिनों बोंडा समुदाय के चार लोगों के कोविड-19 से संक्रमित होने का समाचार आया था.
  • ज्ञातव्य है कि 7,000 की संख्या वाला बोंडा जनजातीय समुदाय ओडिशा के मलकानगिरी जिले की पहाड़ियों में रहा करता है और इसकी गिनती विशेष रूप से संकटप्रवण जनजातियों (particularly vulnerable tribal group – PVTG) में होती है.

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