Sansar डेली करंट अफेयर्स, 23 March 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 23 March 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : ‘Belt and Road’ initiative

संदर्भ

हाल ही में इटली ने चीन की बेल्ट एंड रोड अर्थात् पट्टी और सड़क पहल पर अपनी सहमति दे दी है और इस प्रकार इसका समर्थन करने वाला वह G7 का पहला देश बन गया है.

belt and road intiativeनिहितार्थ

  • अमेरिका और उसके पश्चिम यूरोप के मित्र देश इटली के इस निर्णय से विचलित हो गये हैं क्योंकि ये देश चीन की पहल को अच्छी दृष्टि से नहीं देखते हैं. अमेरिका की व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद् ने तो इटली को सावधान किया था कि वह अवसरंचना निर्माण की चीन की इस परियोजना पर हस्ताक्षर कर उसे वैधता प्रदान न करे.
  • पट्टी और सड़क पहल के आलोचकों का कहना है कि यह परियोजना चीन ने मात्र अपनी राजनीतिक एवं सैन्य प्रभाव को सुदृढ़ करने के लिए बनाई है और इससे अन्य देशों को शायद ही कोई लाभ हो.
  • आलोचक यह भी कहते हैं कि इस परियोजना का दुरूपयोग चीन पश्चिमी हितों की जासूसी करने के लिए तकनीकों के प्रसार में कर सकता है.

बेल्ट एंड रोड

इस परियोजना की घोषणा चीन द्वारा 2013 में हुई थी. BRI पहल एक ऐसी पहल है जिसमें स्थल और समुद्र दोनों में सिल्क रोड की पट्टियाँ होंगी. इसका उद्देश्य पूर्वी एशिया के आर्थिक क्षेत्र को यूरोप के आर्थिक क्षेत्र से जोड़ना बताया जाता है. इस प्रकार इस परियोजना के अन्दर एशिया, यूरोप और अफ्रीका तीन महाद्वीप आते हैं. यदि यह परियोजना लागू होती है तो इसके अन्दर सकल वैश्विक जनसंख्या का 65% और विश्व की GDP का 60% आ जायेगा. साथ ही इसमें अभिकल्पित 6 आर्थिक गलियारों में 70 देश समाहित हो जाएँगे.

चीन यूरोप, पश्चिम एशिया, पूर्व अफ्रीका एवं स्वयं चीन को स्थलीय और सामुद्रिक व्यापार सम्पर्कों को फिर से जीवित करने और नये ढंग से रचने के लिए लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च कर रहा है. इसके अंदर ऐसे आधुनिक बंदरगाह बनाए जा रहे हैं जो तीव्र गति वाली सड़कों और रेल गलियारों से जुड़ जाएँगे.

भारत की चिंता

  • गलियारा का हिस्सा PoK से होकर गुजरेगा जिसे भारत अपना अभिन्न अंग मानता है. भारत का कहना है कि यह गलियारा उसकी क्षेत्रीय अखंडता को आहत करता है.
  • इस परियोजना के कारण हिन्द महासागर में चीन का दबदबा बढ़ सकता है जिससे भारतीय हितों को क्षति पहुँच सकती है.
  • BRI परियोजनाओं के चलते कई देश गहरे कर्ज में डूब रहे हैं जिनको नहीं चुका पाने के कारण इन देशों की सम्प्रभुता पर आँच आ रही है.
  • इस परियोजना में चीन अपने कौशल अथवा तकनीक को हस्तांतरित नहीं कर रहा है. अतः अंततोगत्वा उन देशों को कोई लाभ नहीं होगा जहाँ उसका काम चल रहा है.
  • चीन की परियोजनाएँ पर्यावरण की दृष्टि से भी अनुकूल नहीं हैं.
  • इसके माध्यम से चीन भारत पर रणनीतिक बढ़त बनाना चाहता है. वह पूर्वोत्तर भारत के आस-पास अपनी उपस्थिति सुदृढ़ करना चाहता है. विदित हो कि यहाँ के कुछ भागों पर चीन अपना दावा करता रहा है. इस प्रकार इस परियोजना से भारत की सुरक्षा पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
  • चीन और भारत के आपसी रिश्ते ठीक नहीं हैं और दक्षिण-एशिया और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के इरादे ऐसे हैं कि भारत कभी भी इस परियोजना के लिए हामी नहीं भरेगा.
  • इस परियोजना के अंदर बन रही अवसंरचनाओं की सुरक्षा के लिए चीन 30,000 सैनिकों की तैनाती शुरू कर चुका है. भारत का कहना है कि यह तैनाती अंततोगत्वा भारत को घेरने के निमित्त की गई है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA)

संदर्भ

भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अवैध गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम /UAPA, 1967 के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए यासीन मलिक के अलगाववादी संगठन जम्मू एंड कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) पर प्रतिबंध लगा दिया है. विदित हो कि अभी कुछ दिन पहले ही इसी अधिनियम के अंदर जमात-ए-इस्लामी नामक संगठन को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था.

गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम क्या है?

  • यह कानून भारत में गैरकानूनी कार्य करने वाले संगठनों की कारगर रोकथाम के लिए बनाया गया था.
  • इसका मुख्य उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए कानूनी शक्ति का प्रयोग करना है.
  • इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई राष्ट्रद्रोही आन्दोलन का समर्थन करता है अथवा किसी विदेशी देश द्वारा किये गये भारत के क्षेत्र पर दावे का समर्थन करता है तो वह अपराध माना जाएगा.
  • UAPA 1967 में पारित हुआ था. बाद में यह पहले 2008 में और फिर 2012 में संशोधित हुआ था.

अधिनियम के कुछ विवादित प्रावधान

  • इसमें आतंकवाद की जो परिभाषा दी गई है वह उतनी स्पष्ट नहीं है. इसलिए अहिंसक राजनैतिक गतिविधियाँ और राजनैतिक विरोध भी आतंकवाद की परिभाषा के अन्दर आ जाता है.
  • यदि सरकार किसी संगठन को आतंकवादी बताते हुए उस पर प्रतिबंध लगा देती है तो ऐसे संगठन का सदस्य होना ही एक आपराधिक कृत्य हो जाता है.
  • इस अधिनियम के अनुसार किसी को भी बिना आरोप-पत्र के 180 दिन बंदी बनाया जा सकता है और 30 दिनों की पुलिस कस्टडी ली जा सकती है.
  • इसमें जमानत मिलने में कठिनाई होती है और अग्रिम जमानत का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
  • इसमें मात्र साक्ष्य के बल पर किसी अपराध को आतंकवादी अपराध मान लिया जाता है.
  • इस अधिनियम के अन्दर विशेष न्यायालय बनाए जाते हैं जिनको बंद करने में सुनवाई करने का अधिकार होता है और जो गुप्त गवाहों का उपयोग भी कर सकते हैं.

GS Paper 3 Source: Economic Times

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Topic : Matter-Antimatter

संदर्भ

स्विट्ज़रलैंड में स्थित CERN नामक केंद्र के LHCB अर्थात् लार्ज हैड्रन कोलाइडर ब्यूटी के भौतिकशास्त्रियों ने पहली बार पदार्थ-प्रतिपदार्थ (matter-antimatter) की असामान्यता को देखा है, जिसे चार्ज-पैरिटी (CP) उल्लंघन (charge-parity (CP) violation) के नाम से जाना जाता है.

चार्ज-पैरिटी (CP) और उसका उल्लंघन क्या है?

चार्ज पैरिटी उस रूपांतरण को कहते हैं जिसमें एक पदार्थ उसके प्रतिपदार्थ की दर्पण प्रतिच्छवि से बदल जाता है. पदार्थ भौतिकी के स्टैण्डर्ड मॉडल में होने वाली दुर्बल क्रिया-प्रतिक्रिया के कारण कुछ पदार्थों तथा उनके CP समकक्षों  के व्यवहार में एक अंतर पैदा हो जाता है. इसी अंतर को CP उल्लंघन कहा जाता है.

आज का ब्रह्मांड केवल पदार्थ कणों से ही निर्मित है और इसमें कोई भी प्रतिपदार्थ नहीं होता. इस रहस्य को समझने के लिए पदार्थ एवं प्रतिपदार्थ की इस विषमता को समझना आवश्यक है.

क्या है एंटीमैटर?

वैज्ञानिकों का कहना है कि एंटीमैटर दरअसल मैटर यानी पदार्थ के ही समान है, लेकिन उसके एटम के भीतर की हर चीज उलटी है. एटम में सामान्य तौर पर पॉजिटिव चार्ज वाले न्यूक्लियस और नेगेटिव चार्ज वाले परिक्रमारत इलैक्ट्रोंस होते हैं, लेकिन एंटीमैटर एटम में नेगेटिव चार्ज वाले न्यूक्लियस और पॉजिटिव चार्ज वाले इलैक्ट्रोंस होते हैं.

कहाँ गया एंटीमैटर?

गत सदी के महान ब्रिटिश भौतिकविद् पॉल डिराक द्वारा 1928 में प्रतिपादित एक थियरी के अनुसार जब एनर्जी मैटर में तब्दील होती है तो वह एक कण (पार्टिकल) और विपरीत विद्युत चार्ज वाला एक विरोधी-कण (एंटी-पार्टिकल) उत्पन्न करती है. जब कण और विरोधी-कण टकराते हैं तो वे ऊर्जा की चिंगारी के बीच एक-दूसरे को नष्ट कर देते हैं.

यदि ब्रह्मांड के जन्म के समय सभी चीजें बराबर थीं तो मैटर और एंटी-मैटर को बराबर की मात्रा में मौजूद होना चाहिए था, लेकिन आज हम जिस ब्रह्मांड को देख रहे हैं, वह कभी अस्तित्व में नहीं आता क्योंकि तब एक दूसरे के विपरीत कणों ने एक-दूसरे को नष्ट कर दिया होता.

सच्चाई यह है कि ब्रह्मांड में आज मैटर का वर्चस्व है, जबकि एंटीमैटर बहुत ही दुर्लभ है. यह एंटीमैटर आखिर कहां गया?  अभी कोई यह नहीं जानता कि प्रकृति ने एंटीमैटर को अस्वीकार क्यों किया. भौतिकविद् एंटी-हाइड्रोजन का लैब में अध्ययन करके और हाइड्रोजन के परमाणुओं के साथ उनका मिलान करके मैटर-एंटीमैटर के असंतुलन के कारणों का पता लगाना चाहते हैं. हाइड्रोजन सभी परमाणुओं में सबसे सरल है और एंटी हाइड्रोजन सबसे सरल एंटीमैटर है, जिसे प्रयोगशाला में उत्पन्न किया जा सकता है.

अभी प्रयोगों के दौरान सिर्फ हाइड्रोजन के एंटी-एटम उत्पन्न हुए हैं, लेकिन यह सिर्फ स्वतंत्र अवस्था में हुआ है. इसका अर्थ यह हुआ कि वे तुरंत सामान्य मैटर से टकराकर नष्ट हो जाते हैं. इस वजह से उन्हें मेजर करना या उनकी संरचना का अध्ययन करना असंभव है.

एंटीमैटर और गुरुत्वाकर्षण

 वैज्ञनिकों के सामने एक और बड़ा सवाल यह है कि क्या गुरुत्वाकर्षण एंटीमैटर को मैटर की तरह ही प्रभवित करता है? नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि एंटीमैटर एंटी-ग्रेविटी नहीं है. मौजूदा थियरी यह कहती है कि एंटीमैटर ग्रेविटी के प्रति मैटर की तरह ही व्यवहार करता है, हालांकि प्रायोगिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है.


GS Paper 3  Source: Economic Times

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Topic : Aurora

संदर्भ

उत्तरी संयुक्त राज्य अमेरिका में आजकल एक जियोस्टॉर्म (geostorm) आया हुआ है जिसके चलते वहाँ औरोरा बोरएलिस नामक ज्योतिपुंज देखने का विरल अवसर प्राप्त हो गया है.

औरोरा क्या है?

  • औरोरा आकाश में चमकने वाला एक प्रकाशपुंज है जो आर्कटिक और अन्टार्कटिक के उच्च अक्षांश वाले क्षेत्रों में मुख्यतया देखा जाता है. इसे ध्रुवीय प्रकाशपुंज भी कहा जाता है. यह कभी-कभी मध्य अक्षांशीय क्षेत्र में भी दिख जाता है, परन्तु भूमध्य रेखा पर यह शायद ही कभी दिखता है.
  • यह प्रकाशपुंज 100 से लकर 400 किलोमीटर की ऊँचाई पर जन्म लेता है.

रंग

औरोरा सामान्यतः दुधिया हरे रंग का होता है. पर यह लाल, नीला, बैंगनी, गुलाबी और उजला भी होता है. इस ज्योतिपुंज का आकार भिन्न-भिन्न होता है और लगातार बदलता भी रहता है.

Aurora

औरोरा क्यों होता है?

  • औरोरा की उत्पत्ति यह बतलाती है कि हमारी पृथ्वी विद्युतीय रूप से सूर्य से जुड़ी हुई है. यह ज्योतिपुंज सूर्य की ऊर्जा से पैदा होता है और पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में फंसे विद्युत-आविष्ट कणों से इसे ईंधन प्राप्त होता है.
  • अन्तरिक्ष के तीव्र गति से चलायमान इलेक्ट्रानों और धरती के ऊपरी वायुमंडल में स्थित ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन के बीच के टक्कर से यह उत्पन्न होते हैं.
  • पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र और इसके द्वारा नियंत्रित अन्तरिक्षीय क्षेत्र से आने वाले इलेक्ट्रान अपनी उर्जा को ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन के अणुओं और परमाणुओं में स्थानांतरित कर देते हैं और उन्हें आविष्ट कर देते हैं.
  • जब गैस अपनी सामान्य स्थिति में लौटते हैं, तो उनसे फोटोन निकलते हैं और प्रकाश के रूप में ऊर्जा के छोटे-छोटे विस्फोट होते हैं.
  • जब चुम्बकीय क्षेत्र से आकर वायुमंडल पर आक्रमण करने इलेक्ट्रानों की संख्या बहुत अधिक होती है, तो ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से इतना सारा प्रकाश उत्पन्न हो जाता है जो आँख से भी देखा जा सकता है. यह दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है.

औरोरा का रंग अलग-अलग क्यों होता है?

  • किसी औरोरा का रंग इस बात पर निर्भर करता है कि ऑक्सीजन अथवा नाइट्रोजन कौन-सा गैस इलेक्ट्रानों से आविष्ट हुआ है अथवा कितना आविष्ट हुआ है. ये रंग इसपर भी निर्भर होते हैं कि इलेक्ट्रान कितनी तेजी से चल रहे हैं अथवा टकराने के समय इनमें कितनी ऊर्जा है.
  • अधिक ऊर्जा वाले इलेक्ट्रानों से ऑक्सीजन हरा रंग छोड़ता है जोकि औरोरा ज्योतिपुन्जों का सबसे परिचित रंग है. कम ऊर्जा वाले इलेक्ट्रानों से लाल प्रकाश उत्पन्न होता है. नाइट्रोजन से सामान्यतः नीला प्रकाश होता है.
  • इन रंगों के सम्मिश्रण से औरोरा का रंग बैंगनी, गुलाबी और श्वेत हो जाता है.
  • ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से पराबैंगनी प्रकाश भी निकलता है जिसका पता उपग्रहों में लगे विशेष कैमरों से चल सकता है.

प्रभाव

  • औरोरा के चलते संचार, रेडियो और बिजली की लाइनें प्रभावित हो जाती हैं.
  • यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि इस पूरी प्रक्रिया में सूर्य से निकलने वाले सौर पवन का भी हाथ होता है.

GS Paper 3 Source: Times of India

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Topic : PRISMA Earth observation satellite

संदर्भ

इटली की अन्तरिक्ष एजेंसी की ओर से यूरोप के वेगा रॉकेट ने पृथ्वी का निरीक्षण करने वाला एक नया उपग्रह प्रक्षेपित किया है जिसका नाम PRISMA है.

PRISMA क्या है?

  • PRISMA का पूरा नाम Hyperspectral Precursor of the Application Mission है.
  • PRISMA का निर्माण वायुमंडलीय अनुश्रवण, संसाधन प्रबंधन तथा प्रदूषण एवं फसलों के स्वास्थ्य के बारे में सूचना एकत्र करने के लिए किया गया है.
  • इसमें एक मध्यम कोटि के रेसोल्यूशन वाला कैमरा है जो सभी दृश्य तरंगदैर्घ्य को देख सकता है. साथ ही इसमें एक हाइपर स्पेक्टरल इमेजर भी लगा है जो 400 से लेकर 2500 नैनो मीटर के बीच के अनेकानेक तरंगदैर्घ्यों को पकड़ सकता है.
  • यह उपग्रह सूर्य-समकालिक कक्षा में चलेगा अर्थात् यह पृथ्वी की परिक्रमा इस प्रकार करेगा कि सूर्य सदैव एक ही स्थिति में होगा जब यह उपग्रह पृथ्वी के चित्र खींच रहा होगा.
  • यह उपग्रह प्राकृतिक संसाधनों के पर्यवेक्षण तथा पर्यावरणगत प्रक्रियाओं को समझने में अनूठा योगदान कर सकता है. ये प्रक्रियाएँ निम्नवत् हो सकती हैं –
  1. वायुमंडल, जैवमंडल और जलमंडल का आपसी रिश्ता
  2. वैश्विक जलवायु परिवर्तन
  3. जैव पारिस्थितिकी तन्त्र पर मानवीय कारगुजारियों का प्रभाव.

Prelims Vishesh

Langkawi International Maritime Aero Expo (LIMA) 2019 :-

  • 2019 का LIMA प्रदर्शनी मलेशिया के लंगकावी शहर में हो रहा है.
  • यहाँ विश्व-भर के देशों की वायुसेनाएँ अपने युद्धक विमानों का प्रदर्शन करते हैं.
  • इस प्रदर्शनी में भारतीय वायुसेना पहली बार सम्मिलित हो रही है और वहाँ स्वदेश-निर्मित LCA युद्धक विमान को प्रदर्शित किया जाएगा.

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