Sansar डेली करंट अफेयर्स, 23 July 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 23 July 2021


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Sedition

संदर्भ

हाल ही में राजद्रोह कानून के प्रयोग पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन.वी रमन्ना ने राजद्रोह कानून (IPC की धारा 124A) के सरकार द्वारा प्रयोग के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार इस औपनिवेशिक कानून को क्यों बनाये रखने देना चाहती है, जिसका प्रयोग महात्मा गाँधी, बाल गंगाधर तिलक के विरुद्ध किया गया था?

राजद्रोह का कानून कब लाया गया?

यह कानून अंग्रेजों का बनाया कानून है. देश द्रोह का ये वो कानून है जो 151 साल पहले भारतीय दंड संहिता में जोड़ा गया. 151 साल यानी 1870 में जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था. अंग्रेजों ने ये कानून इसलिए बनाया ताकि वो भारत के देशभक्तों को देशद्रोही करार देकर सजा दे सके. 

रोमेश थापर वाद, केदार नाथ सिंह वाद, कन्हैया कुमार वाद आदि में राजद्रोह कानून की परिधि को सीमित और पुन: परिभाषित किया गया है तथा सार्वजनिक व्यवस्था में व्यवधान, विधिसम्मत सरकार के विरुद्ध विद्रोह करने का प्रयास तथा राज्य या जनता की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न करने जैसे कृत्य को इस कानून के अंतर्गत अपराध माना जाएगा.

राजद्रोह की धारा 124ए है?

  • देश के खिलाफ बोलना, लिखना या ऐसी कोई भी हरकत जो देश के प्रति नफरत का भाव रखती हो वो राजद्रोह कहलाएगी.
  • अगर कोई संगठन देश विरोधी है और उससे अंजाने में भी कोई संबंध रखता है या ऐसे लोगों का सहयोग करता है तो उस व्यक्ति पर भी राजद्रोह का मामला बन सकता है.
  • अगर कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक तौर पर मौलिक या लिखित शब्दों, किसी तरह के संकेतों या अन्य किसी भी माध्यम से ऐसा कुछ करता है.
  • जो भारत सरकार के खिलाफ हो, जिससे देश के सामने एकता, अखंडता और सुरक्षा का संकट पैदा हो तो उसे तो उसे उम्र कैद तक की सजा दी जा सकती है.

इसकी प्रासंगिकता

अंग्रेजों की इस नीति का विरोध पूरे भारत ने किया था. क्योंकि तब भारत अंग्रेजों का गुलाम था. महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू ने उस दौर में राजद्रोह के इस कानून को आपत्तिजनक और अप्रिय कानून बताया था. लेकिन वो आजादी के पहले की स्थिति थी और पूरा देश स्वतंत्रता कि लड़ाई लड़ रहा था. उस परिस्थितियों की तुलना वर्तमान के दौर से नहीं की जा सकती है.

स्वतंत्रता के सात दशक बाद इस कानून को लेकर अकसर सियासत भी खूब होती रही है. कांग्रेस ने तो बकायदा अपने मेनिफेस्टो में लिख दिया था कि… IPC की धारा 124ए जो राजद्रोह अपराध को परिभाषित करती है. जिसका दुरुपयोग हुआ, उसे खत्म किया जाएगा.

इन देशों ने राजद्रोह का कानून खत्म किया

  • ब्रिटेन ने 2009 में राजद्रोह का कानून खत्म किया और कहा कि दुनिया अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में है.
  • आस्ट्रेलिया ने 2010 में
  • स्काटलैंड ने भी 2010 में
  • दक्षिण कोरिया ने 1988 में
  • इंडोनेशिया ने 2007 में राजद्रोह के कानून को खत्म कर दिया.

भारत में राजद्रोह के कानून का प्रयोग

  • 2014 से 2016  के दौरान राजद्रोह के कुल 112 मामले दर्ज हुए.
  • करीब 179 लोगों को इस कानून के तहत गिरफ्तार किया गया.
  • राजद्रोह के आरोप के 80% मामलों में चार्जशीट भी दाखिल नहीं हो पाई.
  • सिर्फ 2 लोगों को ही सजा मिल पाई.

स्वतंत्र भारत के चर्चित राजद्रोह केस

  • 26 मई 1953 को फॉरवर्ड कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य केदारनाथ सिंह ने बिहार के बेगूसराय में एक भाषण दिया था. राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ दिए गए उनके इस भाषण के लिए उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया.
  • पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या वाले दिन (31 अक्टूबर 1984) को चंडीगढ़ में बलवंत सिंह नाम के एक शख्स ने अपने साथी के साथ मिलकर ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए थे.
  • साल 2012 में कानपुर के कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को संविधान का मजाक उड़ाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. इस मामले में त्रिवेदी के खिलाफ राजद्रोह सहित और भी आरोप लगाए गए. त्रिवेदी के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था.
  • गुजरात में पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग करने वाले कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ भी राजद्रोह का केस दर्ज हुआ था. जेएनयू में भी छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उनके साथी उमर खालिद पर राजद्रोह का केस दर्ज हुआ था.
  • दिवंगत पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ साल 2015 में उत्तर प्रदेश की एक न्यायालय ने राजद्रोह के आरोप लगाए थे. इन आरोपों का आधार नेशनल ज्यूडिशियल कमिशन एक्ट (NJAC) को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना बताया गया.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

राजद्रोह के आरोपी भारत के नायक 

  • बाल गंगाधर तिलक
  • भगत सिंह
  • लाला लाजपत राय
  • अरविंदो घोष
  • महात्मा गांधी (साल 1922 में यंग इंडिया में राजनीतिक रूप से ‘संवेदनशील’ 3 आर्टिकल लिखने के लिए राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया)

मेरी राय – मेंस के लिए

 

शासन चाहे किसी भी प्रवृत्ति का हो, हर प्रकार की व्यवस्था में शासन के खिलाफ आवाज़ उठाना दंडनीय अपराध माना जाता रहा है. भारत में भी प्राचीन और मध्यकाल में यह किसी-न-किसी रूप में विद्यमान था. आधुनिक काल में, जब 1860 में भारतीय दंड संहिता बनाई गई तो उसके बाद राजद्रोह संबंधी प्रावधानों को धारा 124 (A) के अंतर्गत स्थान दिया गया. बहरहाल, वह दौर औपनिवेशिक शासन का था और उस समय ब्रिटिश भारत सरकार का विरोध करना देशभक्ति का पर्याय माना जाता था.

दरअसल, हमें यह समझना होगा कि न तो सरकार और राज्य एक हैं, और न ही सरकार तथा देश. सरकारें आती-जाती रहती हैं, जबकि राज्य बना रहता है. राज्य संविधान, कानून और सेना से चलता है, जबकि राष्ट्र अथवा देश एक भावना है, जिसके मूल में राष्ट्रीयता का भाव होता है. इसलिये कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि राजद्रोह राष्ट्रभक्ति के लिये आवश्यक हो जाए. ऐसी परिस्थिति में सरकार की आलोचना नागरिकों का पुनीत कर्त्तव्य होता है. अतः सत्तापक्ष को धारा 124 (A) दुरुपयोग नहीं करना चाहिये.

सच कहें तो देशद्रोह शब्द एक सूक्ष्म अर्थों वाला शब्द है, जिससे संबंधित कानूनों का सावधानी पूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिये. यह एक तोप के समान है, जिसका प्रयोग राष्ट्रहित में किया जाना चाहिये न कि चूहे मारने के लिये, अन्यथा हम अपना ही घर तोड़ बैठेंगे.


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Education and Human resources.

Topic : National Design Institution

संदर्भ

हाल ही में राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान (NID) की नींव रखने वाली गिरा साराभाई का निधन हो गया. उन्होंने अपने भाई गौतम साराभाई के साथ मिलकर इस संस्थान की स्थापना की थी. गिरा साराभाई ने आर्ट्स एवं आर्किटेक्चर के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था. उन्होंने भारत के सर्वश्रेष्ठ निजी म्यूजियम में प्रसिद्ध “कैलिको म्यूजियम” की स्थापना भी की थी.

राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान (NID) के बारे में

  • इसकी स्थापना वर्ष 1961 में गौतम एवं गिरा साराभाई द्वारा की गई थी.
  • वर्तमान में यह वाणिज्य और उद्योग भारत सरकार के मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था है.
  • राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान (NID) अधिनियम, 2014 के अंतर्गत इसे राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था घोषित किया गया है.
  • वर्तमान में पाँच NID संचालित किये जा रहे हैं, ये हैं – अहमदाबाद, भोपाल, जोरहट, कुरुक्षेत्र, अमरावती/विजयवाड़ा.
  • NID अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर औधोगिक, संचार, टेक्सटाइल और आईटी इंटीग्रेटेड (अनुभवात्मक) ड़िजाइन के लिये बेहतरीन शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के रूप में विख्यात है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Employment

Topic : Skill India Mission

संदर्भ

हाल ही में स्किल इंडिया मिशन के 6 वर्ष पूर्ण हो गये. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि स्किल इंडिया मिशन के तहत अब तक 1.25 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग दी जा चुकी है.

स्किल इंडिया मिशन के बारे में क्या है?

  • वर्ष 2022 तक 40 करोड़ से अधिक भारतीयों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में स्किल इंडिया मिशन की शुरुआत की गई थी.
  • इसमें राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन’, “कौशल विकास और उद्यमिता के लिए राष्ट्रीय नीति, 2015”, “प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’, “कौशल ऋण योजना’ आदि जैसी विभिन्‍न पहलें सम्मिलित हैं.

मिशन का विश्लेषण

  • वर्ष 2018 में RTI में सामने आया था कि स्किल इंडिया मिशन में भागीदारी करने वाले प्रत्येक 10 लोगों में से केवल 3 को वास्तव में रोजगार मिला.
  • शारदा प्रसाद समिति की रिपोर्ट ने अपर्याप्त उद्योग इंटरफ़ेस को भारत में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणाली के संदर्भ में एक बाधक के रूप में पाया.
  • भारत में कौशल-प्रमाणन का कोई मानकीकरण नहीं है, जिससे नियोक्ताओं के बीच प्रशिक्षण की गुणवत्ता और अखंडता के प्रति विश्वास की कमी उत्पन्न होती है.

नई घोषणाएँ

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 नए स्वीकृत जन शिक्षण संस्थान और जन शिक्षण संस्थान के लिए पोर्टल की घोषणा की जो न्यूनतम लागत पर व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने में सहायता करेगा.
  • जन शिक्षण संस्थान और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएँगे.
  • राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET) और डिजिलॉकर के मध्य एक और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएँगे.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Gaganyan Mission

संदर्भ

इसरो ने बुधवार को भारत के गगनयान मिशन में प्रयुक्त होने वाले विकास इंजन का तीसरा परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है. यह विकास इंजन का अब तक का सबसे लंबी अवधि का परीक्षण भी था. तमिलनाडु में महेंद्रगिरि के इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (IPRC) की इंजन परीक्षण सुविधा में 240 सेकंड के लिए इंजन को फायर किया गया था.

गगनयान मिशन क्या है?

भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत 2022 में अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्री भेजेगा. इस मिशन को गगनयान मिशन का नाम दिया गया है.

गगनयान के आनुषंगिक लाभ

  1. देश में विज्ञान और तकनीक के स्तर में वृद्धि.
  2. अनेक संस्थानों, शिक्षण संस्थानों और उद्योग को एक राष्ट्रीय परियोजना से जुड़ने का अवसर.
  3. औद्योगिक वृद्धि में सुधार.
  4. युवजनों को प्रेरणा.
  5. सामाजिक लाभ के लिए तकनीक का विकास.
  6. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में बढ़ोतरी.

Prelims Vishesh

Bhartiya Prakritik Krishi Padhati – BPKP :-

  • सरकार द्वारा पारंपरिक स्वदेशी पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2020-21 से ‘परम्परागत कृषि विकास योजना’ (PKVY) की एक उप-योजना के रूप में ‘भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति’ (BPKP) को लागू किया जा रहा है.
  • इसमें मुख्य रूप से, सभी सिंथेटिक रासायनिक उपयोग के बहिष्कार पर बल देता है और ‘बायोमास मल्चिंग’ पर जोर देने के साथ ‘ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग’, गोबर-मूत्र मिश्रण का उपयोग; पौधों पर आधारित तैयारियों को बढ़ावा दिया जाता है.
  • BPKP के अंन्तर्गत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा निरंतर साथ देने, प्रमाणीकरण और अपशिष्टों के विश्लेषण हेतु 3 वर्ष के लिए 12200 रुपए / हेक्टेयर की वित्तीय सहायता दी की जाती है.

Gaon Buras :-

  • हाल ही में असम मंत्रिमंडल ने घोषणा की है कि ग्राम स्तर के इन अधिकारियो ‘गाँव बूरा’ को अब ‘गाँव प्रधान’ कहा जाएगा.
  • असम में ‘गाँव बूरा’ (अंग्रेजों की जुबान में ‘गाँव का बूढ़ा’) एक औपनिवेशिक युग की व्यवस्था है. तब अंग्रेज़ अधिकारियों द्वारा गाँव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति को मुखिया के रूप में नियुक्त किया जाता था जो एक विशेष क्षेत्र में भूमि और राजस्व से संबंधित मामलों की देख-रेख करते थे.
  • यह पद सामान्यतः सबसे बुजुर्ग, सबसे जानकार और गाँव में सभी के साथ अच्छे व्यक्तिगत संबंध रखने वाले व्यक्ति को दिया जाता था.
  • अरुणाचल प्रदेश में भी, गाँव बूरा (और बूरी) सबसे महत्त्वपूर्ण ग्राम स्तर के पदाधिकारी होते हैं.

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