Sansar डेली करंट अफेयर्स, 23 January 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 23 January 2020


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : Powers of Speaker under 10th schedule

संदर्भ

पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने यह मंतव्य प्रकट किया कि 10वीं अनुसूची के अंतर्गत सदस्यता समाप्ति से सम्बंधित दी गई याचिकाओं की सुनवाई संसद अथवा विधानसभाओं से अलग किसी तंत्र के द्वारा की जाए.

सर्वोच्च न्यायालय ने सुझाव दिया है कि इसके लिए एक स्थायी पंचाट बनाई जाए जिसकी अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय का कोई भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश हो. ऐसा तंत्र बनाने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी.

ज्ञातव्य है कि वर्तमान में सदस्यता समाप्ति के मामले सम्बंधित सदन/विधान सभा के अध्यक्ष के पास भेज दिए जाते हैं परन्तु ये अध्यक्ष किसी न किसी राजनीतिक दल के सदस्य होते हैं.

संविधान की दसवीं अनुसूची क्या है?

राजनीतिक दल-बदल लम्बे समय से भारतीय राजनीति का एक रोग बना हुआ था और 1967 से ही राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक (anti-defection law) लगाने की बात उठाई जा रही थी. अन्ततोगत्वा आठवीं लोकसभा के चुनावों के बाद 1985 में संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से 52वाँ संशोधन पारित कर राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगा दी. इसे संविधान की दसवीं अनुसूची (10th Schedule) में डाला गया.

सदस्यता समाप्त

निम्न परिस्थितियों (conditions) में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी –

  • यदि वह स्वेच्छा से अपने दल से त्यागपत्र दे दे.
  • यदि वह अपने दल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति की अनुमति के बिना सदन में उसके किसी निर्देश के प्रतिकूल मतदान करे या मतदान में अनुपस्थित रहे. परन्तु यदि 15 दिनों निम्न परिस्थितियों (conditions) में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – के अन्दर दल उसे इस उल्लंघन के लिए क्षमा कर दे तो उसकी सदस्यता (membership) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

सदस्यता बनी रहेगी

निम्न परिस्थितियों (conditions) में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता बनी रहेगी –

  • यदि कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य (Independent Member) किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये.
  • यदि कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के बाद माह की अवधि में किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये.
  • किसी राजनीतिक दल के विलय (merger) पर सदस्यता समाप्त नहीं होगी, यदि मूल दल में कम-से-कम 2/3 सांसद/विधायक दल छोड़ दें.
  • यदि लोकसभा/विधानसभा का अध्यक्ष (speaker) अपना पद छोड़ देता है तो वह अपनी पुरानी में लौट सकता है, इसको दल-बदल नहीं माना जायेगा.

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • दल-बदल पर उठे किसी भी प्रश्न पर अंतिम निर्णय सदन के अध्यक्ष का होगा और किसी भी न्यायालय को उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होगा. सदन के अध्यक्ष को इस कानून की क्रियान्विति के लिए नियम बनाने का अधिकार होगा.
  • स्पष्ट है कि किसी राजनीतिक दल के विलय की स्थिति को राजनीतिक दल-बदल की सीमा के बाहर रखा गया है. राजनीतिक दल-बदल का कारण राजनीतिक विचारधारा या अन्तःकरण नहीं अपितु सत्ता और पदलोलुपता या अन्य लाभ ही रहे हैं. इस दृष्टि से दल-बदल पर लगाई गई रोक “भारतीय राजनीति को स्वच्छ करने और राजनीति में अनुशासन लाने का एक प्रयत्न” ही कहा जा सकता है. वस्तुतः इस कानून में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दलीय अनुशासन के बीच संतुलित सामंजस्य बैठाया गया है.

पृष्ठभूमि

दल-बदल निषेध कानून (52nd Amendment) और इस कानून की विविध व्यवस्थाओं को 1991 में सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि “दल-बदल” निषेध कानून वैध है, लेकिन दल-बदल निषेध कानून की यह धारा अवैध है कि “दल-बदल (Anti-Defection)” पर उठे किसी भी प्रश्न पर अंतिम निर्णय सदन के अध्यक्ष का होगा और किसी भी न्यायालय को उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होगा. सर्वोच्च न्यालायाय ने अपने निर्णय में कहा कि सदन का अध्यक्ष इस प्रसंग में एक “न्यायाधिकरण” के रूप में कार्य करता है और उपर्युक्त विषय में सदन के अध्यक्ष के निर्णय पर न्यायालय विचार कर सकता है.

दल-बदल अधिनियम के लाभ

  • इससे किसी सरकार को स्थायित्व मिलता है क्योंकि दल बदलने पर इसमें रोक लगाईं गई है.
  • यह सुनिश्चित करता है कि विधायक अथवा सांसद अपने दल के प्रति निष्ठावान रहें और साथ ही उन नागरिकों के प्रति निष्ठा रखें जिन्होंने उन्हें चुना है.
  • इससे दलीय अनुशासन को बल मिलता है.
  • इसमें राजनीतिक दलों के विलयन का भी प्रावधान है.
  • आशा की जाती है कि इससे राजनीतिक स्तर पर भ्रष्टाचार घटेगा.
  • यह उन सदस्यों के लिए दंडात्मक प्रावधान करता है जो एक दल से दूसरे दल में चले जाते हैं.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : UN Commission on International Trade Law (UNCITRAL)

संदर्भ

भारत के विरुद्ध किये गये सभी दावों को एक अंतर्राष्ट्रीय पंचाट ट्रिब्यूनल (International Arbitration Tribunal) ने निरस्त कर दिया है.

विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विधि पंचाट नियमावली 1976 के अनुसार गठित अंतर्राष्ट्रीय पंचाट ट्रिब्यूनल का मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है.

मामला क्या है?

  • भारत ने अपनी आवश्यक सुरक्षा हितों के आधार पर पाँच दूरसंचार अंचलों में 2G सेवाएँ मुहैया कराने के लिए लाइसेंस निर्गत करने विषयक लेटर्स ऑफ़ इंटेंट को रद्द कर दिया था. विवाद यहीं से शुरू हुआ.
  • इस विषय में अंतिम निर्णय पिछले वर्ष जुलाई, 2019 में अंतर्राष्ट्रीय पंचाट ट्रिब्यूनल द्वारा पारित हुआ. यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विधि पंचाट नियमावली 1976 (United Nations Commission on International Trade Law – UNCITRAL) के अनुरूप था.

UNCITRAL क्या है?

  • इसका पूरा नाम United Nations Commission on International Trade Law है.
  • यह संयुक्त राष्ट्र महासभा का एक सहायक निकाय है.
  • इसका काम अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को सुविधाजनक बनाना है.
  • इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1966 में की थी.
  • इसका लक्ष्य रखा गया है – अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विधि को क्रमशः समरस और एकीकृत बनाना और इसके लिए सम्मेलनों, आदर्श विधियों और ऐसे उपायों को अपनाना जिनसे विवाद निष्पादन से लेकर वस्तुओं के क्रय और विक्रय जैसे वाणिज्यिक मामलों का समाधान किया जा सके.
  • इस निकाय की वार्षिक बैठक एक वर्ष बीच कर के न्यूयॉर्क सिटी और वियेना में होती है. विदित हो कि UNCITRAL का मुख्यालय वियेना में है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Global social mobility report

संदर्भ

विश्व आर्थिक मंच ने अपना पहला वैश्विक सामाजिक गतिशीलता प्रतिवेदन (Global social mobility report) प्रस्तुत कर दिया है.

भारत का प्रदर्शन

  • इस प्रतिवेदन में 42 देशों में भारत को 76वाँ स्थान मिला है.
  • इसमें भारत को उन पाँच देशों में रखा गया है जिनको बेहतर सामाजिक गतिशीलता अंक से सबसे अधिक लाभ हो सकता है.
  • आजीवन ज्ञानार्जन के मामले में इसे 41वाँ और कामकाज के परिवेश में 53वाँ स्थान मिला है.
  • कुछ क्षेत्रों में भारत का प्रदर्शन सुधरा है, जैसे – सामाजिक सुरक्षा (76वाँ) और न्यायोचित मजदूरी वितरण (79वाँ).

वैश्विक प्रदर्शन

  • प्रतिवेदन में दी गई सूची के पहले पाँच स्थान इन नॉर्डिक देशों को मिले हैं – डेनमार्क (85 अंक), नॉर्वे, फ़िनलैंड और स्वीडन (सभी 83 अंक) तथा आइसलैंड (82 अंक).
  • 78 अंकों के साथ 11वाँ स्थान पाने वाला जर्मनी G7 देशों में सबसे अधिक सामाजिक रूप से गतिशील है.

सामाजिक गतिशीलता क्या है?

  • किसी भी व्यक्ति की दशा में उसके अभिभावकों की तुलना में सुधार अथवा गिरावट आ सकती है, इसी को सामाजिक गतिशीलता कहते हैं.
  • दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सामाजिक गतिशीलता किसी बच्चे को अपने माता-पिता की तुलना में बेहतर जीवन जीने की क्षमता को कहते हैं.
  • दूसरी ओर, सापेक्ष सामाजिक गतिशीलता (relative social mobility) किसी व्यक्ति के जीवन पर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के प्रभाव के आकलन को कहते हैं.
  • सामाजिक गतिशीलता स्वास्थ्य से लेकर शैक्षणिक उपलब्धि एवं आय जैसी कसौटियों पर मापी जाती है.

वैश्विक-सामाजिक सूचकांक के निष्कर्ष

  • विश्व में ऐसे देश गिने-चुने हैं जहाँ सामाजिक गतिशीलता के लिए उपयुक्त दशाएँ उपलब्ध हैं.
  • अधिकांश देश इन चार क्षेत्रों में फिसड्डी सिद्ध हुए हैं – उचित मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, कामकाज की परिस्थितियाँ और आजीवन ज्ञानार्जन.
  • यह सूचकांक दिखलाता है कि हितधारकों पर आधारित पूंजीवाद के मॉडल की ओर बढ़ने के लिए सामाजिक गतिशीलता का उच्चतर स्तर अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है.
  • जो बच्चे अपेक्षाकृत कम धनी परिवारों में जन्मते हैं उनको सफलता के मार्ग में उन बच्चों से अधिक बाधाएँ झेलनी पड़ती हैं जिनका जन्म अधिक धनी घरों में हुआ है.
  • वैसे देशों में भी असमानताएं बढ़ रही हैं जहाँ तीव्र वृद्धि देखी गई है.
  • अधिकांश देशों में कुछ ऐसे समूह हैं जिनके लोग ऐतिहासिक दृष्टि से वंचित रहे हैं.
  • सामाजिक गतिशीलता ऐसी असमानताओं को न केवल शास्वत बनाती है, अपितु उसमें वृद्धि भी करती है. इस प्रकार की विषमताओं के कारण अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक व्यवस्था की एकरसता आहत होती है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Thirty Meter Telescope (TMT)

संदर्भ

विश्व के सबसे बड़ी दूरबीनों में से एक 30 मीटर दूरबीन (TMT) के निर्माण में प्रतिभागी देशों में से एक भारत ने कहा है कि इस परियोजना को हवाई राज्य की सुषुप्त ज्वालामुखी Mauna Kea के प्रस्तावित स्थल से हटाकर कहीं और लगाई जाए.

विदित हो कि 30 मीटर दूरबीन (Thirty Meter Telescope – TMT)  में भारत की ओर से जो योगदान होगा उसमें से 70% योगदान हार्डवेयर और सॉफ्टवेर दोनों के रूप में होगा. इस वेधशाला के सॉफ्टवेर और दूरबीन नियंत्रण प्रणाली के निर्माण में भारतीय प्रतिष्ठान लगे हुए हैं.

TMT क्या है?

  • TMT एक प्रस्तावित खगोलीय वेधशाला है जिसकी दूरबीन अत्यंत लम्बी है.
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय परियोजना है जिसके लिए धनराशि का प्रबंध कनाडा, चीन, भारत, जापान और अमेरिका के वैज्ञानिक संगठन कर रहे हैं.
  • TMT नियर-अल्ट्रावायलेट से लेकर मिड-इन्फ्रारेड किरणों के माध्यम से निरीक्षण करने के लिए सक्षम बनाया गया है. इसमें छवि को धुंधली होने से बचाने के लिए आवश्यक उपकरण लगे हुए हैं.

संभावनाएँ

  • TMT वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड में स्थित हमारे यहाँ से दूरस्थ और कम दिखाई पड़ने वाले पिंडों का अध्ययन करने में समर्थ बनाएगा.
  • यह ब्रह्मांड के क्रमागत विकास के प्रारम्भिक चरणों के विषय में जानकारी देगा.
  • साथ ही यह सौरमंडल के ऐसे ग्रहों और अन्य पिंडों से सम्बन्धित सूक्ष्म विवरण मुहैया कर सकता है.
  • इसके अतिरिक्त अन्य तारों की परिक्रमा करने वाले ग्रहों का भी यह पता लगा सकता है.

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