Sansar डेली करंट अफेयर्स, 23 January 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 23 January 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Article 35A and related issues

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि वह संविधान की धारा 35A की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की तिथि के विषय में कक्ष के अन्दर (in-chamber) निर्णय लेगा. विदित हो कि धारा 35A जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासियों को अलग अधिकारों एवं विशेषाधिकारों का प्रवाधान करती है.

ज्ञातव्य है कि जब बिना किसी औपचारिक न्यायालय कार्यवाही के न्यायाधीश के कक्ष में कोई आदेश निर्गत होता है तो यह प्रक्रिया कक्ष के अन्दर की प्रक्रिया कहलाती है.

पूर्ववृतांत

पिछले वर्ष अगस्त में सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की धारा 35A को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा था कि अब इन पर 2019 के जनवरी महीने में सुनवाई की जायेगी. इसके लिए यह तर्क दिया गया था कि केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार ने बतलाया था कि राज्य में कानून एवं व्यवस्था की कोई समस्या चल रही है.

धारा 35A क्या है?

धारा 35A संविधान में बाद में प्रवृष्ट किया गया एक प्रावधान है जो जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह खुला अधिकार देता है कि वह यह निर्धारित करे कि राज्य के स्थायी निवासी कौन हैं और उन्हें अलग अधिकार (special rights) और विशेषाधिकार प्रदान करे. ये अधिकार और विशेषाधिकार जिन क्षेत्रों से सम्बंधित हैं, वे हैं – सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियाँ, राज्य में सम्पत्ति खड़ा करना, छात्रवृत्ति लेना, अन्न सार्वजनिक सहायताओं और कल्याण कार्यक्रमों का लाभ उठाना. कहने का अभिप्राय यह है कि ये सभी लाभ केवल उन व्यक्तियों को मिलेंगे जो राज्य के स्थायी निवासी हैं.

इस धारा में यह भी प्रावधान है कि इसके तहत विधान सभा द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई को संविधान अथवा देश के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा.

विवाद क्या है?

  • सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई याचिकाओं में कहा गया है कि धारा 35A भारत की एकात्मता की भवाना के ही प्रतिकूल है क्योंकि इससे भारतीय नागरिकों के अंदर वर्ग के भीतर वर्ग (class within a class) का निर्माण होता है.
  • यह धारा जम्मू-कश्मीर राज्य के अस्थायी नागरिकों को राज्य के अन्दर आजीविका पाने और सम्पत्ति का क्रय करने से रोकती है. अतः यह धारा भारतीय संविधान की धारा 14, 19 और 21 में दिए गये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है.
  • यह धारा राज्य के अस्थायी नागरिकों को दोयम दर्जे के नागरिकों के रूप में व्यवहार करती है.
  • इस धारा के कारण राज्य के अस्थायी निवासी चुनाव नहीं लड़ सकते.
  • अस्थायी नागरिकों के बच्चों को छात्रवृत्ति नहीं मिलती है और वे इसके लिए किसी न्यायालय की शरण भी नहीं ले सकते हैं.
  • जम्मू-कश्मीर का संविधान विभाजन के समय राज्य में आने वाले शरणार्थियों से सम्बंधित विषयों को “राज्य का विषय” नहीं मानता.
  • धारा 35A को असंवैधानिक रूप से घुसाया गया था क्योंकि संविधान की धारा 368 के अनुसार संविधान में संशोधन केवल संसद ही कर सकती है.अनुसार संविधान में संशोधन केवल संसद ही कर सकती है.अनुसार संविधान में संशोधन केवल संसद ही कर सकती है.
  • धारा 35A का अनुसरण करते हुए जो-जो कानून बने हैं, वे सभी संविधान के भाग 3 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों, विशेषकर धारा 14 (समानता का अधिकार) और धारा 21 (जीवन की सुरक्षा का अधिकार) का उल्लंघन है.

संविधान में धारा 35A की प्रवृष्टि कैसे हुई?

  • धारा 35A संविधान में 1954 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के आदेश से प्रविष्ट की गई थी.
  • यह आदेश संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू करना) आदेश, 1954 कहलाया. यह आदेश 1952 में हुए नेहरू और जम्मू-कश्मीर के वजीरे आजम शेख अब्दुल्ला के बीच हुए दिल्ली समझौते पर आधारित था. दिल्ली समझौते के द्वारा जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिक करार कर दिया गया था.
  • राष्ट्रपति के द्वारा दिया गया आदेश संविधान की धारा 370 (1) (d) के तहत निर्गत हुआ था. ज्ञातव्य है कि यह धारा राष्ट्रपति को यह अधिकार देती है कि वह जम्मू-कश्मीर की प्रजा के लाभ के लिए संविधान में कतिपय अपवाद और सुधार कर सकती है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Mekedatu project

संदर्भ

कर्नाटक ने हाल ही में केन्द्रीय जल आयोग (CWC) को मेकेडाटु परियोजना का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (detailed project report – DPR) समर्पित किया है. प्रतिवेदन में इस परियोजना पर आने वाला अनुमानित व्यय 5,900 करोड़ रू. बताया गया है.

आगे की प्रक्रिया

  • अब यह प्रतिवेदन कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (CWMA) के समक्ष अनुमोदन के लिए रखा जाएगा और उसके बाद इस पर केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति विचार करेगी.
  • केन्द्रीय जल आयोग के विचार के उपरान्त मंत्रालय इस पर अपना अंतिम निर्णय लेगा.

मेकेडाटु बाँध परियोजना क्या है?

  • यह कर्नाटक सरकार की एक परियोजना है जो मेकेडाटु में चलाई जायेगी. यह स्थान कर्नाटक के रामनगरम जिले में कावेरी नदी के तट पर है.
  • इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य बेंगलुरु को पेयजल मुहैया करना और इस क्षेत्र के भूगर्भ जल के स्तर को ऊँचा करना है.

परियोजना से सम्बन्धित विवाद

तमिलनाडु को इस परियोजना पर आपत्ति है जिसको लेकर उसने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दी है. इस राज्य का मुख्य तर्क यह है कि यह परियोजना कावेरी नदी जल पंचाट के अंतिम निर्देश का उल्लंघन करता है और प्रस्तावित दो जलाशयों के निर्माण के कारण कृष्णराज सागर तथा कावेरी जलाशय के नीचे के निकटवर्ती नदी क्षेत्र तथा कर्णाटक और तमिलनाडु की सीमा पर स्थित Billigundulu में जलप्रवाह को अवरुद्ध कर देगा.

दूसरी ओर कर्नाटक का कहना है कि यह प्रस्तावित परियोजना तमिलनाडु को दिए जाने वाले जल की निश्चित मात्रा को छोड़ने में आड़े नहीं आएगी और न ही इसका उपयोग सिंचाई के लिए किया जाएगा.

CWC क्या है?

  • केन्द्रीय जल आयोग जल संसाधन से सम्बंधित एक मूर्धन्य तकनीकी निकाय है जो जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय के तहत आता है.
  • CWC का अध्यक्ष चेयरमैन कहलाता है जो भारत सरकार के पदेन सचिव के स्तर का होता है.
  • आयोग का कार्य सम्बंधित राज्य सरकारों के साथ विमर्श कर देश-भर में जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण एवं उपयोग के लिए आवश्यक योजनाओं को आरम्भ करना, उनका समन्वयन करना और उन्हें आगे बढ़ाना है जिससे कि बाढ़ का नियंत्रण हो तथा सिंचाई, नौकायन, पेयजल आपूर्ति तथा जलशक्ति विकास के कार्य सम्पन्न हो सकें.
  • यदि आवश्यक हो तो यह आयोग ऐसी योजनाओं की छानबीन, निर्माण तथा क्रियान्वयन को भी अपने हाथ में लेता है.

कावेरी नदी से सम्बंधित कुछ तथ्य

  • कावेरी नदी कर्नाटक राज्य के दक्षिण-पश्चिम में स्थित पश्चिमी घाट की पहाड़ी ब्रह्मगिरी से निकलती है.
  • वहाँ से यह नदी दक्षिण-पूर्वी दिशा पकड़कर 475 मील चलते हुए और कर्नाटक और तमिलनाडु से गुजरते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
  • कुड्डालोर (तमिलनाडु) के निकट बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले यह छोटी-छोटी सहायक नदियों में बँट जाती है और एक विशाल डेल्टा बनाती है जिसे “दक्षिण भारत का उपवन (Garden of Southern India)” कहलाता है.
  • कर्नाटक में इसके आरंभिक प्रवाह के दौरान कृष्णराज सागर के पास दो बड़ी-बड़ी नदियाँ आकर इससे मिलती हैं, जिनके नाम हेमवती और लक्ष्मणतीर्थ हैं.
  • इस स्थान पर एक बहुत बड़ा बाँध बना हुआ है.
  • तमिलनाडु के प्रवेश करने के बाद कावेरी नदी कई कुटिल घाटियों से होकर आगे बढ़ती जाती है और अंत में Hogenakal Falls बनाती है. यहाँ पर भी एक बाँध बनाया गया है जिसका Mettur Dam है जो बिजली और सिंचाई के लिए तैयार किया गया है.
  • कावेरी की मुख्य सहायक नदियाँ हैं – कब्बानी, अमरावती, नोयिल, भवानी.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : ‘Size India’ project

संदर्भ

फरवरी 2019 में “साइज़ इंडिया” परियोजना पर भारतीय कपड़ा निर्माता संघ (Clothing Manufacturers Association of India – CMAI) केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय के साथ मिलकर काम आरम्भ करने जा रहा है. इसके लिए CMAI पूरे भारतवर्ष में भ्रमण कर कपड़ों के मानक नापों का निर्धारण करेगा.

साइज़ इंडिया परियोजना क्या है?

  • साइज़ इंडिया परियोजना कपड़ा और परिधान उद्योग के लिए ऐसी नाप सूची तैयार करेगी जो विशेषकर भारतीय प्रयोग के अनुकूल होगी.
  • इस परियोजना का उद्देश्य परिधानों के लिए भारतीय नाप का मानक तय करना है. आशा की जाती है कि इस परियोजना से परिधानों के दाम कम हो जाएँगे और उपभोक्ता इससे लाभान्वित होंगे.

परियोजना की मुख्य बातें

  • इस परियोजना के अन्दर भारत के छह बड़े नगरों में जाकर 15 से 65 वर्ष आयु-वर्ग के लोगों के 25,000 नमूने जमा किये जाएँगे और उनसे नाप से सम्बंधित डाटा जमा किया जायेगा. इन नमूनों में आधे नमूने पुरुषों के और आधे स्त्रियों के होंगे.
  • इस डाटा के आधार पर एक मानकीकृत नाप चार्ट तैयार किया जाएगा जो भारतीय लोगों के अनुसार होगा और जिसके अनुसार परिधान उद्योग कपड़े तैयार करेगा.

मानक नाप आवश्यक क्यों?

  • परिधानों का खुदरा बाजार भारत के आज के खुदरा बाजार की एक बहुत बड़ी शक्ति है क्योंकि इसमें 72 बिलियन डॉलर का व्यापार चलता है.
  • अमेरिका और इंग्लैंड जैसे विकसित देशों में परिधानों के लिए मानकीकृत नाप चलते हैं. इससे ग्राहकों को दुकान पर अथवा ऑनलाइन कपड़े खरीदते समय संतोष होता है और परिधान निर्माता अनावश्यक कपड़ा बनाने से बच जाते हैं.
  • आजकल अधिकांश लोगों को ऐसे कपड़े खरीदने में कठनाई आती है जो उनके शरीर पूरी तरह फिट आते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस देश में अलग-अलग भूभागों में लोगों की शारीरिक बनावट अलग-अलग होती है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Debt-to-GDP ratio of Centre and states

संदर्भ

केंद्र सरकार ने 2017-18 का सरकारी ऋण से सम्बंधित स्टेटस पेपर निर्गत कर दिया है.

स्टेटस पेपर के निष्कर्ष

  • GDP के प्रतिशत के रूप में केंद्र का समग्र ऋण 2017-18 में घटकर 46.5% हो गया है जब कि मार्च 31, 2014 में यह प्रतिशत 47.5 था.
  • राज्यों का समग्र ऋण 2017-18 में बढ़कर 24% हो गया और यह संभावना है कि यह 2018-19 में 3% हो जाए.
  • कुल मिलाकर केंद्र का ऋण 2017-18 में 45% बढ़कर 82,35,178 करोड़ रू. हो गया है जबकि मार्च, 2014 के अंत में 56,69,429 करोड़ रू. था.
  • जहाँ तक राज्यों की बात है उनका समग्र ऋण इसी अवधि में 24,71,270 करोड़ रू. से 63% बढ़कर 40,22,090 करोड़ रू. हो गया.

समीक्षा

  • एन.के. सिंह समिति की सार्वजनिक ऋण विषयक अनुशंसाओं के हिसाब से केंद्र सरकार सही दिशा में जा रही है.
  • परन्तु राज्य इस मामले में उल्टी दिशा में चल रहे हैं. इनका बकाया दायित्व 2015-16 और 2016-17 के दौरान UDAY बोंडों के निर्गम के पश्चात् बहुत तेज़ी से बढ़ा है.
  • राज्य-स्तर पर ऋणों में वृद्धि चिंताजनक है क्योंकि यदि यह वृद्धि एक विशेष सीमा को पार कर जायेगी तो ऋण चुकाने के लिए राज्यों के पास समुचित साधन नहीं होंगे और वे ऋणों के जाल में फँसते चले जाएँगे.

एन.के. सिंह समिति की अनुशंसाएँ

इस समिति का सुझाव था कि 2023 तक ऋण का अनुपात केंद्र के लिए 40% और राज्यों के लिए 20% तक सीमित हो जाना चाहिए. समिति का कहना था कि यही अनुपात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट अनुपात माना जाता है. यदि यह अनुपात बनाया रखा जाएगा तो साख की रेटिंग करने वाली एजेंसियाँ बेहतर रेटिंग देंगी.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : ILO Commission’s Future of Work Report

संदर्भ

कार्य के भविष्य से सम्बंधित वैश्विक आयोग (Global Commission on the Future of Work) ने जनवरी 22, 2019 को अपना प्रतिवेदन निर्गत कर दिया है. इस प्रतिवेदन में सरकारों से आह्वान किया गया है कि वे कार्य-जगत में हो रहे अभूतपूर्व रूपान्तरणों के फलस्वरूप उभरने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाएँ.

प्रतिवेदन के सुझाव

  • कामगारों को उचित मजदूरी मिले, उनके काम के घंटे सीमित हों और उनके काम करने की जगह सुरक्षित और स्वास्थ्यकर हो.
  • जन्म से लेकर बुढ़ापे तक सभी को सामाजिक सुरक्षा मिले.
  • सभी को जीवन-भर ऐसा कुछ सीखने को मिले कि वे कौशल का अर्जन कर सकें और उसमें संवर्धन करते जाएँ.
  • तकनीकी साधनों से अच्छे कार्य को बढ़ावा मिले और इसके लिए डिजिटल श्रम मंचों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय प्रशासन-तन्त्र हो.
  • केयर, ग्रीन और ग्रामीण अर्थव्यस्थाओं में अधिक-से-अधिक निवेश हो.
  • लैंगिक समानता के लिए एक रूपंतारकारी और आकलनीय कार्यसूची तैयार की जाए.
  • व्यावसायिक उत्प्रेरणाओं को इस तरह नया रूप दिया जाए जिससे कि दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहन मिले.

कार्य के भविष्य से सम्बंधित वैश्विक आयोग क्या है?

  • यह आयोग अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का एक अंग है.
  • इसका उद्देश्य कार्य के भविष्य की गहरी पड़ताल करना है जिससे कि 21वीं शताब्दी में सामाजिक न्याय देने के लिए आवश्यक विश्लेष्णात्मक आधार उपलब्ध हो सके.
  • यह आयोग कार्यजगत के द्वारा सामना की जा रही बड़ी-बड़ी चुनौतियों का पता भी लगाता है और इनके समाधान के लिए व्यावहारिक सुझाव भी देता है.

Prelims Vishesh

Arrow 3 interceptor system :-

  • हाल ही में इजराइल ने Arrow 3 नामक मिसाइलों को रोकने की प्रणाली का सफल परीक्षण किया है.
  • इस प्रणाली के निर्माण में इजराइल और अमेरिका दोनों का आपसी सहयोग रहा.
  • यह प्रणाली ऐसी बनाई गई है कि इससे वायुमंडल के ऊपर स्थित मिसाइलों को भी मार गिराया जा सकता है.

Global Talent Competitive Index 2019 :-

  • 2019 का वैश्विक प्रतिभा स्पर्धात्मक सूचकांक निर्गत हो गया है.
  • यह वार्षिक सूचकांक 2013 से चल् रहा है.
  • इसमें बताया जाता है कि अलग-अलग देशों में प्रतिभा के लिए स्पर्धा करने की कितनी योग्यता है.
  • यह सूचकांक INSEAD बिज़नस स्कूल द्वारा निर्गत किया जाता है. इसमें टाटा कम्युनिकेशन्स और Adecco ग्रुप भी भागीदारी करते हैं.
  • इस बार भारत का स्थान 80वाँ रहा है.
  • जहाँ तक विश्व के अन्य देशों की बात है, इसमें ये देश क्रमशः शीर्ष पाँच पर रहे – स्विट्ज़रलैंड, सिंगापुर, अमेरिका, नॉर्वे और डेनमार्क.
  • BRICS देशों में सबसे अच्छी स्थिति (45वाँ) चीन की रही.

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