Sansar डेली करंट अफेयर्स, 22 November 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 22 November 2019


 

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Jallianwala Bagh National Memorial (Amendment) Bill, 2019

संदर्भ

पिछले दिनों संसद ने जालियाँवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित कर दिया. इस विधेयक के माध्यम से जालियाँवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम, 1951 के कुछ ऐसे प्रावधानों को सुधार जा रहा है जो न्यासियों के स्वरूप और उनको हटाने से सम्बंधित है.

पृष्ठभूमि

जालियाँवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 में पारित हुआ था. इस अधिनियम के अंतर्गत अमृतसर के जालियाँवाला बाग़ में 13 अप्रैल, 1919 को मारे गये अथवा घायल हुए लोगों की स्मृति में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाया गया था.

अधिनियम में एक न्यास की व्यवस्था भी की गई थी जो स्मारक का प्रबंधन देखता है. इस न्यास में ये व्यक्ति होते हैं –

  1. प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)
  2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष
  3. संस्कृति मंत्री
  4. लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष
  5. पंजाब का राज्यपाल
  6. पंजाब का मुख्यमंत्री और
  7. केंद्र सरकार द्वारा नामित तीन सुप्रसिद्ध व्यक्ति

मूल अधिनियम में किये जा रहे परिवर्तन

  • जालियाँवाला बाग़ राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, 2019 के द्वारा न्यासी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष की सदस्यता समाप्त की जा रही है.
  • यह प्रावधान किया जा रहा है कि यदि लोक सभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं हो तो लोक सभा के सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता न्यास का सदस्य बनेगा.
  • मूल अधिनयम के अनुसार जो तीन सुप्रसिद्ध व्यक्ति केंद्र सरकार द्वारा नामित होते थे उनका कार्यकाल 5 वर्ष का होता था और वे दुबारा नामित भी हो सकते थे. संशोधन में यह प्रावधान किया जा रहा है कि केंद्र सरकार यदि चाहे तो बिना कारण बताये ही ऐसे किसी नामित न्यासी का कार्यकाल बीच में ही समाप्त कर सकती है.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests

Topic : Recycling of Ships Bill, 2019

संदर्भ

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रिसाइक्लिंग ऑफ शिप विधेयक 2019 पर कानून बनाने तथा जहाजों को पर्यावरण के अनुकूल विघटित करने के लिए हांगकांग अंतर्राष्‍ट्रीय कन्वेंशन 2009 में शामिल होने की मंजूरी दे दी है.

लाभ:  

  • प्र‍स्‍तावित विधेयक ऐसी हानिकारक सामग्रियों के इस्‍तेमाल को प्रतिबंधित करता है, जिन्‍हें जहाजों की रिसाइक्लिंग करने या ऐसे भी इस्‍तेमाल किया जाता है. नए जहाजों के लिए ऐसी सामग्रियों के इस्‍तेमाल पर विधेयक के कानून का रूप लेने के साथ ही तत्‍काल प्रभाव से प्रतिबंध की व्‍यवस्‍था है जबकि मौजूदा जहाजों को यह व्‍यवस्‍था अपनाने के लिए 5 वर्ष का समय दिया जाएगा. हानिकारक सामग्रियों के इस्‍तेमाल पर रोक या प्रतिबंध युद्धपोतों और सरकार द्वारा संचालित गैर-व्‍यवसायिक जहाजों पर लागू नहीं होंगे. जहाजों में हानिकारक सामग्रियों के इस्‍तेमाल की जांच के बाद ही उन्‍हें प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा.
  • इस विधेयक में व्‍यवस्‍था की गई है कि जहाजों की रिसाइक्लिंग के लिए बनाए गए स्‍थान अधिकृत होने चाहिए और जहाजों की रिसाइक्लिंग केवल इन्‍हीं स्‍थानों पर होनी चाहिए.
  • विधेयक के अनुसार जहाजों की रिसाइक्लिंग निर्धारित योजना के अनुरूप होनी चाहिए. भारत में रिसाइक्लिंग किए जाने वाले जहाजों को हांगकांग इंटरनेशनल कन्वेंशन के अनुसार रेडी फॉर रिसाइक्लिंग प्रमाण पत्र लेना जरूरी होगा.

मुख्‍य विशेषताएं 

  • भारत सरकार ने जहाजों की रिसाइक्लिंग से संबंधित विधेयक 2019 को कानूनी रूप देने की मंजूरी दे दी है. इसके तहत जहाजों की रिसाइक्लिंग के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय मानकों को अपनाए जाने के लिए कुछ वैधानिक प्रक्रियाएं और मानदंड तय किए गए हैं.
  • यह भी तय किया गया है कि जहाजों की रिसाइक्लिंग प्रक्रिया हांगकांग इंटरनेशनल कन्वेंशन 2009 की व्‍यवस्‍थाओं के तहत पर्यावरण अनुकूल हो.
  • हांगकांग इंटरनेशनल कन्वेंशन के प्रभाव में आने के साथ ही इसकी व्‍यवस्‍थाओं को रिसाइक्लिंग ऑफ शिप बिल 2019 में समाहित कर लिया जाएगा.

पृष्‍ठभूमि

  • जहाज रिसाइक्लिंग उद्योग के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है. पूरी दुनिया में जहाजों की रिसाइक्लिंग बाजार में भारत की 30 प्रतिशत हिस्‍सेदारी है. संयुक्‍त राष्‍ट्र की समुद्री परिवहन पर जारी रिपोर्ट 2018 के अनुसार 2017 में भारत में जहाजों के तोड़ने से कुल 6323 टन मलबा निकला था.
  • जहाजों कारिसाइक्लिंग उद्योग श्रम आधारित उद्योग है, लेकिन यह पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं.

हांगकांग अंतर्राष्‍ट्रीय कन्वेंशन क्या है?

  • हांगकांग कन्वेंशन का पूरा नाम है – The Hong Kong International Convention for the Safe and Environmentally Sound Recycling of Ships,
  • यह कन्वेंशन 2009 में हांगकांग में हुए एक कूटनीतिक सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (International Maritime Organization – IMO) द्वारा अंगीकृत हुआ था.
  • इस कन्वेंशन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके जीवनकाल समाप्त कर लेने के बाद जहाज़ों का जो पुनश्चक्रण हो तो उस समय मानव स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं पर्यावरण को कोई अनावश्यक क्षति नहीं पहुँचे.
  • ज्ञातव्य है कि विश्व में जहाँ-जहाँ जहाज तोड़े जाते हैं वहाँ-वहाँ कामगारों और पर्यावरण को खतरा होने का अंदेशा रहता है.
  • यह कन्वेंशन अभी तक प्रभावी नहीं हुआ है क्योंकि अभी तक 15 देशों ने इस पर अभी तक स्वीकृति नहीं दी है. इन 15 देशों का महत्त्व इसी से समझा जा सकता है कि वहन क्षमता के अनुसार विश्व की 40% माल-ढुलाई यही देश करते हैं और साथ ही प्रति वर्ष वैश्विक पुनश्चक्रण का 3% इन्हीं देशों में होता है.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Labour Code on Industrial Relations 2019

संदर्भ

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले दिनों औद्योगिक सम्बन्ध श्रम संहिता, 2019 को अनुमोदित कर दिया. इस संहिता में इन पुराने अधिनियमों को समाहित किया गया है – औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947, व्यापार संघ अधिनियम, 1926 एवं औद्योगिक रोजगार (स्थाई आदेश), अधिनियम, 1946.

मुख्य विशेषताएँ

  1. यह संहिता कम्पनियों को किसी भी अवधि के निश्चितकालीन संविदा पर श्रमिकों को रखने की अनुमति देती है.
  2. संहिता में निष्कासन के लिए पहले की तरह सरकार की पूर्वानुमति के लिए श्रमिकों की निर्धारित संख्या 100 ही रखी गई है, किन्तु इसमें यह प्रावधान किया जा रहा है कि श्रमिकों की ऐसी संख्या अधिसूचना के द्वारा बदली भी जा सकती है.
  3. संहिता दो सदस्यों के एक पंचाट (पहले यह संख्या एक थी) की व्यवस्था करती है जिसमें मुख्य मामलों की सुनवाई दोनों सदस्य करेंगे और अन्य मामले को एक अकेला सदस्य देखेगा. इस प्रकार मामलों का निष्पादन तेजी से होगा.
  4. यह संहिता सरकारी अधिकारियों को उन विवादों पर न्याय निर्णय देने का अधिकार देती है जिनमें अर्थदंड देय होता है.

निहितार्थ

इस संहिता के कारण श्रमिकों को समय-समय पर छह महीने या एक वर्ष के लिए नियुक्त किया सकता है. इसका एक निहितार्थ यह भी है कि अब सभी श्रमिकों को नियमित श्रमिकों के बराबर लाभ मिलेंगे.

इतिवृत्त

नई श्रम संहिता मंत्रिमंडल से अनुमोदित होने वाली चार श्रम संहिताओं से तीसरी श्रम संहिता है. पहले मजदूरी से सम्बंधित श्रम संहिता को अगस्त में ही संसद ने अनुमोदित कर दिया था. उसके उपरान्त व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यपरिवेश से सम्बंधित एक श्रम संहिता भी प्रस्तुत हो चुकी है और शेष दो अभी श्रम की स्थाई समिति को भेजी हुई है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Schemes for the vulnerable sections of the society.

Topic : New Code on Wages

पारिश्रमिक संहिता विधेयक, 2019 की मुख्‍य विशेषताएँ

  • वेतन संहिता सभी कर्मचारियों के लिए क्षेत्र और वेतन सीमा पर ध्‍यान दिए बिना सभी कर्मचारियों के लिए न्‍यूनतम वेतन और वेतन के समय पर भुगतान को सार्वभौमिक बनाती है.
  • मजदूरी की परिभाषा में वेतन, भत्ते अथवा अन्य मौद्रिक लाभ आएँगे. इसमें बोनस या यात्रा भत्ता आदि शामिल नहीं होंगे.
  • मजदूरी का भुगतान इन माध्यमों से होगा – सिक्के, नोट, चेक, बैंक खाते में डालना या इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से भुगतान.
  • मजदूरी देने के समय का निर्धारण नियोक्ता दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक रूप से करेगा.
  • केन्द्रीय और राज्य स्तर पर परामर्शी बोर्ड बनाए जाएँगे. केन्द्रीय परामर्श बोर्ड में ये सदस्य होंगे – नियोक्ता, श्रमिक (उतने ही जितने नियोक्ता), स्वतंत्र व्यक्ति और राज्य सरकारों के पाँच प्रतिनिधि.
  • राज्य परामर्शी बोर्ड में ये सदस्य होंगे – नियोक्ता, श्रमिक एवं स्वतंत्र व्यक्ति.
  • केन्द्रीय और राज्य दोनों परामर्शी बोर्डों में महिलाओं की संख्या एक तिहाई होगी.
  • ये सभी बोर्ड इन विषयों में अपना परामर्श देंगे – न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण करना, महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करना.
  • संहिता के अनुसार, कुछ आधारों पर मजदूरी में कटौती हो सकती है, जैसे – अर्थदंड, काम से अनुपस्थिति, नियोक्ता द्वारा दिया गया आवास, श्रमिक को दिए गये अग्रिम की वसूली आदि. ये कटौतियाँ श्रमिक की पूर्ण मजदूरी के 50% से अधिक नहीं होनी चाहिएँ.
  • समान काम और समान प्रकृति के काम में मजदूरी और नियुक्ति के मामलों में यह संहिता लैंगिक भेदभाव को निषिद्ध करती है.
  • आज की तिथि में न्‍यूनतम वेतन अधिनियम और वेतन का भुगतान अधिनियम दोनों को एक विशेष वेतन सीमा से कम और अनुसूचित रोजगारों में नियोजित कामगारों पर ही लागू करने के प्रावधान हैं. इस विधेयक से हर कामगार के लिए भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा और लगभग 40 से 100 प्रतिशत कार्यबल को न्‍यूनतम मजदूरी के विधायी संरक्षण को प्रोत्साहन मिलेगा.
  • इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि हर कामगार को न्‍यूनतम वेतन मिले, जिससे कामगार की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्‍यवस्‍था में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा. न्‍यूनतम जीवन यापन की स्थितियों के आधार पर गणना किये जाने वाले वैधानिक स्‍तर वेतन की प्रारम्भ से देश में गुणवत्तापूर्ण जीवन स्‍तर को प्रोत्साहन मिलेगा और लगभग 50 करोड़ कामगार इससे लाभान्वित होंगे.
  • इस विधेयक में राज्‍यों द्वारा कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान को अधिसूचित करने की परिकल्‍पना की गई है.
  • विभिन्‍न श्रम कानूनों में वेतन की 12 परिभाषाएँ हैं, जिन्‍हें लागू करने में कठिनाइयों के अतिरिक्त मुकदमेबाजी को भी प्रोत्साहन मिलता है. इस परिभाषा को सरलीकृत किया गया है, जिससे मुकदमेबाजी कम होने और एक नियोक्‍ता के लिए इसका अनुपालन सरलता से करने की उम्‍मीद है. इससे प्रतिष्‍ठान भी लाभान्वित होंगे, क्‍योंकि रजिस्‍टरों की संख्‍या, रिटर्न और फॉर्म आदि न केवल इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से भरे जा सकेंगे जबकि उनका रख-रखाव भी किया जा सकेगा. यह भी कल्‍पना की गई है कि कानूनों के माध्‍यम से एक से अधिक नमूना निर्धारित नहीं किया जाएगा.
  • वर्तमान में अधिकांश राज्‍यों में न्‍यूनतम वेतन को लेकर विविधता है. वेतन पर कोड के जरिये न्‍यूनतम वेतन निर्धारण की प्रणाली को सरल और युक्तिसंगत बनाया गया है. रोजगार के विभिन्‍न प्रकारों को अलग करके न्‍यूनतम वेतन के निर्धारण के लिए एक ही मानदंड बनाया गया है. न्‍यूनतम वेतन निर्धारण मुख्‍य रूप से स्‍थान और कौशल पर आधारित होगा. इससे देश में वर्तमान 2000 न्‍यूनतम वेतन दरों में कटौती होगी और न्‍यूनतम वेतन की दरों की संख्‍या कम होगी.
  • निरीक्षण प्रक्रिया में अनेक परिवर्तन किए गए हैं. इनमें वेब आधारित रेंडम कम्‍प्‍यूटरीकृत निरीक्षण योजना, अधिकार क्षेत्र मुक्‍त निरीक्षण, निरीक्षण के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से जानकारी मांगना और जुर्मानों का संयोजन आदि शामिल हैं. इन सभी परिवर्तनों से पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ श्रम कानूनों को लागू करने में सहायता मिलेगी.
  • ऐसे अनेक उदाहरण थे कि कम समयावधि के कारण कामगारों के दावों को आगे नहीं बढ़ाया जा सका. अब सीमा अवधि को बढ़ाकर तीन वर्ष किया गया है और न्‍यूनतम वेतन, बोनस, समान वेतन आदि के दावे दाखिल करने को एक समान बनाया गया है. फिलहाल दावों की अवधि 6 महीने से 2 वर्ष के बीच है.
  • इसलिए यह कहा जा सकता है कि न्‍यूनतम वेतन के वैधानिक संरक्षण करने को सुनिश्चित करने तथा देश के 50 करोड़ कामगारों को समय पर वेतन भुगतान मिलने के लिए यह एक ऐतिहासिक कदम है. यह कदम जीवन सरल बनाने और व्‍यापार को अधिक सरल बनाने के लिए भी वेतन संहिता के माध्‍यम से उठाया गया है.

न्यूनतम पारिश्रमिक के निर्धारण की विधि

  • प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, न्यूनतम पारिश्रमिक कौशल और भौगोलिक क्षेत्र जैसे कारकों से जोड़ा जाएगा. अभी क्या होता है कि न्यूनतम पारिश्रमिक का निर्धारण काम की श्रेणियों के आधार पर होता है, जैसे – कुशल काम, अकुशल काम, अर्ध-कुशल काम और उच्च कुशलता वाले काम. इसके अतिरिक्त अभी भौगोलिक क्षेत्र के साथ-साथ काम की प्रकृति का भी ध्यान रखा जाता है जैसे खनन आदि. न्यूनतम पारिश्रमिक केन्द्रीय सरकार के अंतर्गत 45 अनुसूचित आजीविकाओं तथा राज्यों के अंतर्गत 1,709 अनूसूचित आजीविकाओं पर लागू होता है.
  • जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है, अन्य सभी कारकों को हटाते हुए मात्र कौशल और भौगोलिक क्षेत्र को ही न्यूनतम पारिश्रमिक के निर्धारण का आधार रखा गया है.

निर्धारण की नई विधि का लाभ

विधेयक में प्रस्तावित न्यूनतम पारिश्रमिक के निर्धारण की विधि से आशा की जाती है की पूरे देश में अभी जो 2,500 न्यूनतम पारिश्रमिक दरें चल रही हैं, उनकी संख्या घटकर 300 रह जायेगी.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Challenges to internal security through communication networks, role of media and social networking sites in internal security challenges.

Topic : NATGRID

संदर्भ

दिसम्बर 31, 2020 से राष्ट्रीय गुप्त सूचना ग्रिड (National Intelligence Grid – जNATGRID) परियोजना का काम चालू हो जाएगा.

NATGRID क्या है?

  • यह एक आतंकविरोधी कार्यक्रम है जो मुंबई में 26 नवम्बर, 2008 को हुए आतंकवादी आक्रमण के उपरान्त तैयार किया गया था.
  • संदिग्ध आतंकियों पर नजर रखने और आतंकी आक्रमणों को रोकने के लिए NATGRID बिग डाटा और एनेलिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग करते हुए विभिन्न गुप्त सूचना और प्रवर्तन एजेंसियों से प्राप्त डाटा की विशाल मात्रा का अध्ययन और विश्लेषण करता है.
  • NATGRID डाटा उपलब्ध कराने वाले संगठनों और उपयोगकर्ताओं के बीच विभिन्न चरणों में सम्पर्क स्थापित करेगा.
  • NATGRID एक वैधानिक ढाँचा भी बना रहा है जिसका उपयोग विधि प्रवर्तन एजेंसियाँ करेंगी.

NATGRID का महत्त्व

  • NATGRID का महत्त्व ऐसे समझा जा सकता है कि यदि यह नहीं होता तो पुलिस को सूचना उगाहने के लिए कठोर और दमनात्मक कार्रवाई का ही भरोसा रह जाता.
  • जब कभी कोई आतंकी घटना होती है तो पुलिस लोगों की पकड़-धकड़ करने लगती है. इनमें से कई निर्दोष होते हैं. यदि कोई ऐसी प्रणाली हो जिसमें संधान और पहचान की व्यवस्था हो तो मानव अधिकार के उल्लंघन के ऐसे मामले कम बनेंगे.
  • NATGRID गुप्त सूचना ब्यूरो को संदिग्ध इतिहास वाले व्यक्तियों पर नजर रखने में सहायता पहुँचाता है.

Prelims Vishesh

MK-45 naval guns :-

  • पिछले दिनों भारत को MK-45 नौसैनिक तोपें बेचने के प्रस्ताव को अमेरिका ने अनुमोदित कर दिया है.
  • ज्ञातव्य है कि MK-45 समुद्र में सैन्य कार्रवाई के समय युद्धक जलयानों, युद्धक विमानों को मार गिराने तथा समुद्र तट पर बमबारी करने के लिए बनाया गया है.
  • यह तोप एक मिनट में 20 चक्र दाग सकता है और इसकी मारक क्षमता 36 किलोमीटर की है.

National Institute of Sowa-Rigpa (NISR):

  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संघीय क्षेत्र लद्दाख की राजधानी लेह में एक राष्ट्रीय सोवा-रिन्गपा संस्थान स्थापित करने की अनुमति दे दी है.
  • यह संस्थान आयुष मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त राष्ट्रीय संस्थान होगा जहाँ सोवा- रिन्गपा के विषय में शिक्षण एवं शोध होगा.
  • ज्ञातव्य है कि सोवा- रिन्गपा तिब्बती मूल की एक आयुर्वेदिक पद्धति है जो भारत के हिमालयी क्षेत्रों के अतिरिक्त नेपाल, भूटान, मंगोलिया, रूस में भी प्रचलित है.
  • तिब्बत के Yuthog Yonten Gonpo को सोवा- रिन्गपा का पिता माना जाता है.

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