Sansar डेली करंट अफेयर्स, 22 November 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 22 November 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : Who are the Sentinelese?

North Sentinel Island of the Andamans

संदर्भ

हाल ही में 16 नवम्बर, 2018 को एक अमेरिकी व्यक्ति अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के सेंटिनल द्वीप के आदिवासियों द्वारा मार दिया गया. सेंटिनल द्वीप एक सुरक्षित क्षेत्र (protected zone) है जहाँ उस व्यक्ति ने अवैध रूप से प्रवेश किया था.

सेंटिनल द्वीपवासी कौन हैं?

यह एक नीग्रो वर्ग की जनजाति है जो अंडमान के उत्तरी सेंटिनल द्वीप पर निवास करती है. शारीरिक और भाषागत समानता के आधार पर इन आदिवासियों को जारवा आदिवासियों से जोड़ा जाता है. ऐसा विश्वास है कि इन आदिवासियों की जनसंख्या 150 से कम और सम्भवतः 40 ही है.

इस द्वीप में पाए गये रसोई के अवशिष्टों की कार्बन डेटिंग से भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण ने पता लगाया है कि इस द्वीप में 2,000 वर्ष पहले से ही आदिवासी निवास करते रहे हैं. जीनोम अध्ययनों से यह ज्ञात होता है कि अंडमान के कबीले इस क्षेत्र में 30,000 वर्ष पहले से रह रहे होंगे.

सुरक्षित क्षेत्रों की स्थापना क्यों?

1956 में अंडमान निकोबार द्वीप समूह (आदिवासी कबीलों की सुरक्षा) विनियम भारत सरकार द्वारा निर्गत हुआ था जिसमें इस द्वीप समूह के कबीलों के आधिपत्य वाले पारम्परिक क्षेत्रों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था. इस विनियम के द्वारा इन क्षेत्रों में बिना सरकारी अनुमति के कोई नहीं जा सकता है. यहाँ के आदिवासियों का छायाचित्र खीचना अथवा फिल्म बनाना भी दंडनीय है.

कालान्तर में इन विनियमों में सुधार भी होते रहे हैं जिन सब का उद्देश्य दंड-विधान को और भी कठोर बनाना रहा है. किन्तु हाल में कुछ द्वीपों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट में ढील दी गई थी. भारत सरकार ने सेंटिनल द्वीप और 28 अन्य द्वीपों को दिसम्बर 21, 2022 तक प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट से अलग कर दिया है. इसका अभिप्राय यह हुआ कि विदेशी लोग इस द्वीप में बिना सरकारी अनुमति के जा सकते हैं.

सेंटिनल आदिवासी संकटग्रस्त क्यों माने जाते हैं?

  • यह कहा जाता है कि ये आदिवासी 60,000 वर्षों से कोई प्रगति नहीं कर सके हैं और मछली तथा नारियल के बल पर अभी भी आदिम जीवन जी रहे हैं.
  • क्योंकि इनका बाहरी संसार से कोई सम्पर्क नहीं है, इसलिए कीटाणु इन्हें बहुत क्षति पहुँचा सकते हैं. यदि किसी बाहरी यात्री के साथ साधारण फ्लू का वायरस भी इस द्वीप पर पहुँच जाए तो पूरी प्रजाति का नाश हो सकता है.
  • 1960 से इन आदिवासियों तक पहुँचने के छिट-पुट प्रयास हुए हैं परन्तु ये सभी निष्फल रहे हैं, बाहरी व्यक्ति पर ये लोग टूट पड़ते हैं और इस प्रकार जतला देते हैं कि वे अकेले ही रहना चाहते हैं.

प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (RAP) क्या है?

  • प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (Restricted Area Permit – RAP) की व्यवस्था भारत सरकार के एक आदेश के द्वारा 1963 में स्थापित की गई थी.
  • इस आदेश के अनुसार विदेशी लोगों को सुरक्षित अथवा प्रतिबंधित क्षेत्र में तब तक जाने नहीं दिया जाता है जब तक सरकार को यह न लगे कि उनकी यात्रा हर प्रकार से उचित है.
  • भूटान के नागरिक को छोड़कर किसी और देश का नागरिक सुरक्षित अथवा प्रतिबंधित क्षेत्र में यदि प्रवेश करना और वहाँ ठहरना चाहता है तो उसको सक्षम पदाधिकारी द्वारा विशेष परमिट लेना होगा.
  • अफगानिस्तान, चीन और पकिस्तान के नागरिकों तथा पाकिस्तानी मूल के विदेशियों को प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट दिया ही नहीं जाता.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : ‘Institution’s Innovation Council (IIC)’Program

संदर्भ

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) के नवाचार कोषांग के अंतर्गत सरकार ने संस्थागत नवाचार परिषद् (Institution’s Innovation Council – IIC) कार्यक्रम का अनावरण किया है.

संस्थागत नवाचार परिषद् कार्यक्रम क्या है?

  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार कई संस्थागत नवाचार परिषदों का गठन करेगी जिनका उद्देश्य युवा छात्रों को, उनकी आरम्भिक उम्र में ही, नए-नए विचारों और प्रक्रियाओं से अवगत करते हुए उन्हें नवाचार गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना, प्रेरित करना तथा सहारा देना है.
  • इस कार्यक्रम का लक्ष्य नवाचार को संस्थागत बनाना और देश में वैज्ञानिक सोच का निर्माण करना है.
  • 1,000 से अधिक उच्चतर शिक्षा से सम्बंधित संस्थानों के परिसरों में IIC का गठन हो चुका है और उन सभी का नाम मानव संसाधन विकास मंत्रालय के IIC नेटवर्क से जोड़ दिया गया है.

विचारणीय तथ्य

इसमें कोई संशय नहीं कि नवाचार तथा उन्नत शोध में उत्कृष्ट प्रथाओं को जब तक प्रोत्साहन नहीं दिया जायेगा तब तक उच्चतर शिक्षा में शैक्षणिक प्रगति नहीं हो पायेगी. इस दिशा में नवाचार कोषांगों ने कई पहलें आरम्भ की हैं, यथा – नवाचार उपलब्धि विषयक संस्थानों की अटल रैंकिंग का कार्यक्रम (ARIIA), स्मार्ट इंडिया हैकथॉन (SIH) 2019 इत्यादि.

नवाचार कोषांग

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (All India Council for Technical Education – AICTE) में एक नवाचार कोषांग स्थापित किया है जिसका उद्देश्य देशभर के सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों में नवाचार की संस्कृति को विधिवत् परिपोषित करना है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : e-registration must for jobs in 18 countries

संदर्भ

विदेश मंत्रालय एक योजना बना रही है जिसके अंतर्गत एक ऐसा नियम बनाया जायेगा जिसमें non-ECR दर्जे वाले पासपोर्ट धारकों को विदेश में नौकरी करने के पहले विदेश मंत्रालय में अपने-आप को पंजीकृत करना होगा.

  • Non-ECR का full form है – non-Emigration Check Required. इस श्रेणी में वे भारतीय आते हैं जो आयकर चुकाते हैं और जो मैट्रिक से ऊपर की पढ़ाई कर चुके हों.
  • अभी तक केवल ECR श्रेणी के ही पासपोर्ट धारकों को विदेश में नौकरी के लिए परिव्राजक रक्षक (Protector of Emigrants) कार्यालय से परिव्रजन की अनुमति लेनी पड़ती थी.

नए नियम के मुख्य तथ्य

  • यह नियम जनवरी 1, 2019 से लागू होने वाला है.
  • इसका उद्देश्य विदेश जाने वाले भारतीयों का कल्याण करना है.
  • यह नियम 18 देशों (छह खाड़ी सहयोग परिषद् देशों के सहित) की नौकरियों से सम्बंधित है क्योंकि यहीं सबसे अधिक भारतीय नौकरी करते हैं.
  • नियम का उद्देश्य उच्चतर शैक्षणिक योग्यता वाले श्रमिकों को ब्लू कॉलर नौकरियों (निम्न श्रमिक वाली नौकरियाँ) से बचाना है. पहले ECR मोहर वाले पासपोर्ट के धारकों को ही ई-माइग्रेशन पंजीकरण कराना पड़ता था.
  • अब जो विदेश में नौकरियाँ चाह रहे हैं उनको अपने आप को वेबसाइट www.emigrate.gov.in में ऑनलाइन रजिस्टर कराना होगा. जो व्यक्ति विदेश को प्रस्थान करने के कम-से-कम 24 घंटे पहले ऐसा नहीं कर पाएँगे, उनको विमान से उतार दिया जाएगा.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : ICMR releases guidelines for antibiotics’ judicious use

संदर्भ

चिकित्सा से सम्बंधित स्थानों में एंटी-बायोटिक के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (ICMR) ने एंटीमाइक्रोबियल स्टेवार्डशिप गाइडलाइन निर्गत किये हैं जिनके अनुसार अस्पतालों को अपने यहाँ एंटीमाइक्रोबियल स्टेवार्डशिप कार्यक्रम (Antimicrobial Stewardship Programmes – AMSP) चलाने होंगे.

AMSP की आवश्यकता क्यों?

आज सूक्ष्माणुओं का प्रतिरोध (Antimicrobial resistance – AMR) एक बहुत बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है. नए एंटी-बायोटिकों के आने की आशा बहुत कम रह गयी है, इसलिए यह आवश्यक है कि जो भी दवाइयाँ आज उपलब्ध हैं उनका उपयोग सोच समझकर किया जाए. भारत में एंटी-बायोटिक दवाइयों का उपयोग आवश्यकता से अधिक होता है. AMSP कार्यक्रम इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों के लिए तैयार किया गया है.

सूक्ष्माणुओं का प्रतिरोध क्या होता है और क्यों बढ़ रहा है?

भारत में रोगियों को बहुत अधिक एंटी-बायोटिक दवाइयाँ दी जाती हैं. इस कारण लोगों में इनके प्रति प्रतिरोध उत्पन्न हो रहा है जोकि स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत चिंतनीय है.

सूक्ष्माणु प्रतिरोध के मुख्य कारण हैं –

  • एंटी-बायोटिक औषधियों को खाने के लिए कई रोगों में बिना सोचे समझे सलाह देना.
  • एंटी-बायोटिक औषधियों की बिक्री के ऊपर उचित नियंत्रण नहीं होना.
  • बिना चिकित्सक की सलाह से एंटी-बायटिक दवाएँ लेना.
  • एंटी-बायोटिक दवाओं के बारे में ज्ञान और जागरूकता की कमी.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 भी यही कहती है कि सूक्ष्माणुओं का प्रतिरोध आज स्वास्थ्य की एक बहुत बड़ी समस्या है. इस नीति के अनुसार एंटी-बायोटिक के उपयोग के बारे में निर्देश निर्गत होने चाहिएँ जिनमें बिना चिकित्सक के इनकी खरीद पर रोकथाम लगाई जाए और पशुओं पर इनके प्रयोग को सीमित कर दिया जाए.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : International Space Station

संदर्भ

नवम्बर 20, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केंद्र (International Space Station – ISS) 20 वर्ष का हो गया. इसी दिन 1998 में कजाकिस्तान के बेखनूर अन्तरिक्ष अड्डे से ज़र्या (सूर्योदय) नामक यह अन्तरिक्ष केंद्र प्रक्षेपित किया गया था. यह अन्तरिक्ष केंद्र रूस ने बनाया था और इसमें अमेरिका का पैसा लगा था.

ISS क्या होता है?

अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केंद्र (International Space StationISS) एक बड़ा अन्तरिक्ष यान होता है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इसमें कई अन्तरिक्ष यात्री रहते हैं. यह विज्ञान प्रयोगशाला का काम करता है. इसके निर्माण और उपयोग में कई देश शामिल हैं. इस अन्तरिक्ष केंद्र के कई हिस्से अन्तरिक्ष यात्रियों ने अन्तरिक्ष में ही जोड़े हैं. यह केंद्र पृथ्वी के ऊपर औसतन 250 मील की ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है. इसकी गति 17,500 मील प्रति घंटा है, जिसका अभिप्राय यह हुआ कि यह 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी कर लेता है. NASA इस अन्तरिक्ष केंद्र का उपयोग अन्तरिक्ष में रहने और काम करने के बारे में जानकारी इकठ्ठा करने के लिए करता है जिससे कि भविष्य में मानव को लम्बी दूरियों तक अन्तरिक्ष यात्रा के लिए भेजा जा सके.

ISS से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • ISS नौंवा अन्तरिक्ष केंद्र है. इससे पहले रूस ने Salyut, Almaz और Mir नामक अन्तरिक्ष केंद्र प्रक्षेपित किये थे और अमेरिका ने एक Skylab नामक अन्तरिक्ष केंद्र छोड़ा था.
  • अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केंद्र कार्यक्रम एक संयुक्त परियोजना है जिनमें ये पाँच अन्तरिक्ष एजेंसियाँ प्रतिभागिता कर रही हैं – NASA, Roscosmos, JAXA, ESA, और CSA.
  • ISS का स्वामी कौन होगा और कौन इसका उपयोग करेगा इसके लिए अंतर्सरकारी संधियों और समझौतों द्वारा निर्धारित होता है.
  • अन्तरिक्ष केंद्र में दो अनुभाग होते हैं – Russian Orbital Segment (ROS) और The United States Orbital Segment (USOS). परन्तु कई देश इसका लाभ उठाते हैं.

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