Sansar डेली करंट अफेयर्स, 22 July 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 22 July 2020


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Role of external state and non-state actors in creating challenges to internal security.

Topic : The Bru Community

संदर्भ

त्रिपुरा के गैर-ब्रू समुदाय ने मिजोरम से विस्थापित ब्रू समुदाय को बसाने के लिए छः स्थानों का प्रस्ताव दिया है. ये स्थान हैं, कंसारीपुर उपखंड में बांदरिमा-पुष्पोरापारा, सचान हिल्स, चाईगढ़पुर, सुबलबाड़ी, कलारंबरी-बंदरिमा और पनिसागर उपखंड में कुकिनाला.

पृष्ठभूमि

बंगाली, मिजो के साथ उत्तरी त्रिपुरा जिले के कंचनपुर और पनीसागर उपखंडों के और अन्य स्वदेशी जनजाति लोगों की संयुक्त आंदोलन समिति (जेएमसी) ने 21 जुलाई को राज्य सरकार को एक ज्ञापन प्रस्तुत किया था. इसमें छह स्थानों की पहचान की गई और प्रस्तावित किया गया कि इन स्थानों पर 500 परिवारों को बसाया जाए.

कौन हैं ब्रू शरणार्थी?

ब्रू जनजाति देश के पूर्वोत्तर हिस्से में बसने वाला एक जनजातीय समूह है. हालांकि ब्रू जनजातियों की छिटपुट आबादी पूर्वोत्तर के कई राज्यों में निवास करती है. लेकिन सबसे ज्यादा तादाद में ब्रू समुदाय मिजोरम की मामित और कोलासिब जिले में निवास करते हैं. हालांकि इस समुदाय में भी तकरीबन एक दर्जन उपजातियां आती हैं. कुछ ब्रू समुदाय पूर्वोत्तर भारत के अलावा बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी क्षेत्र में निवास करते हैं. मिजोरम में ब्रू समुदाय को अनुसूचित जनजाति का एक समूह यानी ब्रूस शेड्यूल्ड ट्राइब का एक समूह माना जाता है.

वहीं त्रिपुरा में ब्रू एक अलग जाति समूह है. त्रिपुरा में ब्रू समुदाय को रियांग नाम से पुकारा जाता है. ब्रू  समुदाय की भाषा भी ब्रू है. फिलहाल इस भाषा की अपनी कोई लिपि नहीं है. लेकिन ब्रू लोग जिस राज्य में बसते हैं, वहाँ की भाषाएं भी बोल लेते हैं, जैसे – बंगाली, असमिया या मिज़ो. कुछ ब्रू हिंदी और अंग्रेजी भी बोल लेते हैं. ब्रू पहले झूम खेती करते थे जिसमें जंगल के एक हिस्से को साफ करके वहां खेती की जाती है. फसल पैदा होने के बाद और इसे काटने के बाद जंगल की किसी दूसरे हिस्से में यही कवायद फिर दोहराई जाती है. लिहाजा ब्रू एक बंजारा जाति समूह रहा है.

ब्रू समुदाय का इतिहास

ब्रू समुदाय को अलग-थलग करने और उनके पलायन के पीछे खूनी संघर्ष का इतिहास रहा है. दरअसल ब्रू जनजाति और मिज़ो समुदाय के बीच 1997 में सांप्रदायिक दंगा हुआ था. इस दौरान ब्रू जनजाति और मिज़ो समुदाय के बीच कई हिंसक झड़पें भी हुईं. ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने एक मिज़ो अधिकारी की हत्या कर दी जिसके बाद दोनों समुदायों के बीच विवाद गहरा गया और दंगे भड़क गए. अल्पसंख्यक होने के कारण ब्रू समुदाय को अपना घर बार छोड़कर त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में जाकर आश्रय लेना पड़ा. पिछले 23 वर्ष से त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में ब्रू समुदाय के लोग रह रहे हैं. दो दशक से भी ज्यादा समय से शरणार्थी शिविरों में रह रहे ब्रू जनजाति के लोग लंबे समय से अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे.

ब्रू समुदाय मिजोरम का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक आदिवासी समुदाय है. इस समुदाय के करीब 34,000 लोग पिछले 23 सालों से उत्तरी त्रिपुरा की शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. दरअसल, यह आदिवासी समूह स्वयं को म्यांमार के शान प्रांत का मूल निवासी मानता है. ये लोग सदियों पहले वहन से आकर मिजोरम में बस गए थे. लेकिन 1990 के दशक में इनका बहुसंख्यक मिज़ो लोगों से स्वायत्त डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के मुद्दे पर खूनी संघर्ष हुआ था. इसके बाद लगभग 5,000 से अधिक परिवार मिजोरम से पलायन कर गए. मिजोरम की मिज़ो जनजाति ब्रू को बाहरी मानती रही है. हालाँकि कुछ ब्रू शरणार्थी मिजोरम वापस लौटे और इन लोगों को सरकार की ओर से मदद भी दी गई.


GS Paper 2 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : QUAD Countries

संदर्भ

भारत के रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में इस वर्ष के अंत तक जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बंगाल की खाड़ी में त्रिपक्षीय मालाबार नौसेना अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को जोड़ने के मुद्दे पर चर्चा की है.

हालांकि इस सन्दर्भ में अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, पर यह प्रतीत होता है कि ऑस्ट्रेलिया को जल्द ही हरी झंडी दी जा सकती है. विदित हो कि यह 2007 के बाद पहली बार है कि क्वाड के सभी सदस्य संयुक्त सैन्य अब्यास में भाग लेंगे. यह अभ्यास स्पष्ट रूप से चीन को उसके विस्तारवाद को चुनौती देने के लिए है.

चीन इस अभ्यास को लेकर चिंतित क्यों है?

बीजिंग ने लंबे समय से भारत-प्रशांत क्षेत्र में लोकतंत्र के गठबंधन का विरोध किया है। वह इस समुद्री चतुर्भुज को एक एशियाईनाटो के रूप में देखता है जो केवल चीन के उदय को बाधित करना चाहता है. इसके अलावा, चीन के साथ तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के समय, मालाबार अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करने के भारत के इरादे को केवल बीजिंग के खिलाफ एक कदम के रूप में माना जा सकता है. भारत के लिए चुनौतियाँ लद्दाख में गतिरोध के बाद, कई भारतीय विश्लेषकों का मानना ​​है कि वह समय आ चुका है कि भारत समुद्री क्षेत्र में अपनी पारंपरिक रक्षात्मक मुद्रा को त्याग दे. यथार्थवादी चाहते हैं कि भारत हिंद महासागर में चीनी चालों का मुकाबला करने के लिए अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ गठबंधन करे. हालाँकि, “चीन पर अधिक दबाव डालकर” और पूरे हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करके, भारत कुछ कठिन परिस्थतियों को झेल सकता है. ऐसे समय में जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख की सीमा पर एक गंभीर बातचीत कर रहे हैं, नई दिल्ली के मालाबार अभ्यास में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया का निमंत्रण बीजिंग के लिए विपरीत संकेत भेजता है. यदि चीन पूर्वी हिंद महासागर में आक्रामक मुद्रा अपना लेता है तो भारत-चीन संघर्ष का एक नया प्रांगण खुल जाएगा. इसके अलावा, अमेरिका और जापान के सामरिक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ेगी नहीं और न ही चुनौती देने वाली बन पाएगी. हम सब जानते हैं कि पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में अमेरिका और चीन के बीच रणनीतिक संघर्ष चल रहा है और  इस बात की पूरी संभावना है कि अमेरिका इस सैन्य-क्वाड का प्रयोग करके भारत को भी इस संघर्ष में खींचने की कोशिश करेगा. इसलिए अभी यह समय नहीं आया है कि भारत गंभीरतापूर्व QUAD की गतिविधियों में लिप्त हो जाए.  

मालाबार नौसैनिक अभ्यास

  • मालाबार नौसैनिक अभ्यास भारत-अमेरिका-जापान की नौसेनाओं के बीच वार्षिक रूप से आयोजित किया जाने वाला एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास है.
  • मालाबार नौसैनिक अभ्यास का प्रारम्भ भारत और अमेरिका के मध्य वर्ष 1992 में एक द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के रूप में हुई था.
  • वर्ष 2015 में इस अभ्यास में जापान के सम्मिलित होने के पश्चात् से यह एक त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास बन गया.

QUAD क्या है?

  • Quad एक क्षेत्रीय गठबंधन है जिसमें ये चार देश शामिल हैं – ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका.
  • ये चारों देश प्रजातांत्रिक देश हैं और चाहते हैं कि समुद्री व्यापार और सुरक्षा विघ्नरहित हो.
  • Quad की संकल्पना सबसे पहले जापान के प्रधानमन्त्रीShinzo Abe द्वारा 2007 में दी गई थी. परन्तु उस समय ऑस्ट्रेलिया के इससे निकल जाने के कारण यह संकल्पना आगे नहीं बढ़ सकी.

Quad समूह भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच विचारों के आदान-प्रदान का एक रास्ता मात्र है और उसे उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. इसके गठन का उद्देश्य प्रतिस्पर्धात्मक नहीं है.

नाटो क्या है?

  • नाटो का पूरा नाम है – उत्तर अटलांटिक संधि संगठन है.
  • यह एकअंतरसरकारी सैन्य गठबंधन है.
  • इस पर4 अप्रैल, 1949 में हस्ताक्षर हुए थे.
  • इसकामुख्यालय बेल्जियम के ब्रूसेल्स नगर में है.
  • इस गठबंधन के कमांड संचालन का मुख्यालय बेल्जियम में ही मोंस नगर में है.

नाटो का महत्त्व

यह सामूहिक सुरक्षा की एक प्रणाली है जिसमें सभी सदस्य देश इस बात के लिए तैयार होते हैं यदि किसी एक देश पर बाहरी आक्रमण होता है तो उसका प्रतिरोध वे सभी सामूहिक रूप से करेंगे.

नाटो के उद्देश्य

राजनैतिक :- नाटो प्रजातांत्रिक मान्यताओं को बढ़ावा देता है. यह सुरक्षा और सैन्य मामलों के समाधान के लिए आपसी सहयोग और परामर्श का एक मंच प्रदान करता है.

सैन्य :- नाटो विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है. यदि किसी विवाद के निपटारे के लिए कूटनीतिक प्रयास विफल होते हैं तो यह अपनी सैन्य का प्रयोग कर कार्रवाई कर सकता है. नाटो की मूल संधि – वाशिंगटन संधि की धारा 5 के प्रावधान के अनुसार ऐसी स्थिति में नाटो के सभी देश मिलकर सैनिक कार्रवाई करते हैं.

अमरीका के लिए QUAD का महत्त्व

चीन इस क्षेत्र में एकतरफ़ा निवेश और राजनैतिक संधियाँ कर रहा है. अमेरिका इसे अपने वर्चस्व पर खतरा मानता है और चाहता है कि चीन की आक्रमकता को नियंत्रित किया जाए. चीन के इन क़दमों का प्रत्युत्तर देने के लिए अमेरिका चाहता है कि Quad के चारों देश आपस में सहयोग करते हुए ऐसी स्वतंत्र, सुरक्षात्मक और आर्थिक नीतियाँ बनाएँ जिससे क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोका जा सके. भारत-प्रशांत सागरीय क्षेत्र में चीन स्थायी सैन्य अड्डे स्थापित करना चाह रहा है. चारों देशों को इसका विरोध करना चाहिए और चीन को यह बता देना चाहिए कि वह एकपक्षीय सैन्य उपस्थिति की नीति छोड़े और क्षेत्र के देशों से विचार विमर्श कर उनका सहयोग प्राप्त करे. चारों देश अपने-अपने नौसैनिक बेड़ों को सुदृढ़ करें और अधिक शक्तिशाली बाएँ तथा यथासंभव अपनी पनडुब्बियों को आणविक प्रक्षेपण के लिए समर्थ बानाएँ.

भारत का दृष्टिकोण

भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते क़दमों को नियंत्रित करना न केवल अमेरिका के लिए, अपितु भारत के लिए उतना ही आवश्यक है. भारत चीन का पड़ोसी है और वह चीन की आक्रमकता का पहले से ही शिकार है. आये दिन कोई न कोई ऐसी घटनाएँ घटती रहती हैं जो टकराव का कारण बनती हैं. इसके अतिरिक्त यदि चीन भारत-प्रशांत क्षेत्र में हावी हो गया तो वह भारत के लिए व्यापारिक मार्गों में रुकावटें खड़ी करेगा और साथ ही इस क्षेत्र के अन्य देशों को अपने पाले लाने में का भरसक प्रयास करेगा. अंततोगत्वा भारत को सामरिक और आर्थिक हानि पहुँचेगी. सैनिक दृष्टि से भी भारत कमजोर पड़ सकता है. अतः यह उचित ही है कि Quad के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका से मिलकर भारत भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए ऐसी नीति तैयार करे और ऐसे कदम उठाये जिससे चीन को नियंत्रण के अन्दर रखा जाए. कुल मिलाकर यह इन चारों देशों के लिए ही नहीं, अपितु यह पूरे विश्व की शांति के लिए परम आवश्यक है.


GS Paper 3 Source : Times of India

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UPSC Syllabus : Science and Technology.

Topic : Tianwen-1

संदर्भ

चीन ने मंगल ग्रह की ओर अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया है. तियानवेन-1 (Tianwen-1) नाम से मिशन को गुरुवार को सफलतापूर्वक रवाना किया गया. इसके साथ ही चीन मंगल पर अपना रोवर भेजने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है.

फिलहाल चीन अकेला देश नहीं है जो मंगल तक पहुँचने की प्रयास में लगा है. संयुक्त अरब अमीरात ने कुछ ही दिन पहले अपना स्वतंत्र मार्स ऑर्बिटर लॉन्च किया है, जो मंगल ग्रह की कक्षा में रह कर उसकी परिक्रमा करेगा. वहीं अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा अगले हफ्ते अपना “परजीवियरेंस” रोवर लॉन्च करने की तैयारी में है. 

तियानवेन-1 मिशन के विषय में

  • इस मिशन को चीन के स्थानीय समयानुसार 12:40 बजे (भारतीय समय- 10:10 बजे) वेनचांग अतंरिक्ष केंद्र से ‘लॉन्ग मार्च-5’ रॉकेट के ज़रिए प्रक्षेपित किया गया है.
  • इस मिशन को ‘तियानवेन-1’ या ‘क्वेश्चन्स टू हेवेन’ (स्वर्ग से सवाल) कहा जा रहा है.
  • चीनी मंगल मिशन में ग्रह की परिक्रमा, लैंडिंग और रोविंग सम्मिलित है.
  • तियानवेन-1 को मंगल के इक्वेटर के ठीक उत्तर में ‘यूटोपिया इंपैक्ट बेसिन’ के पास उतारने का लक्ष्य रखा गया है.
  • इससे पहले 2011 में भी चीन ने मंगल पर एक सैटेलाइट लॉन्च करने की कोशिश की थी लेकिन उसका ये प्रयास नाकाम रहा था.

चीन की “सैटेलाइट इंडस्ट्री अभी भी पश्चिम से आठ साल पीछे है”. 2002 में अमेरिकी अरबपति ईलॉन मस्क ने मंगल पर मानवयुक्त मिशन भेजने के इरादे से निजी एयरोस्पेस कंपनी स्पेसएक्स की स्थापना की थी. चीन इससे पहले 2011 में एक रूसी रॉकेट से मंगल ग्रह पर ऑर्बिटर लॉन्च की विफल कोशिश कर चुका है.


GS Paper 3 Source : Business Standard

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UPSC Syllabus : Cyber security related issues.

Topic : Non-personal data framework

संदर्भ

गैर व्यक्तिगत डाटा पर निर्मित विशेषज्ञ समिति के प्रतिवेदन को आम जनता से टिप्पणियाँ एवं सुझाव आमंत्रित किए गए गैर व्यक्तिगत डाटा प्रबंधन फ्रेमवर्क पर विशेषज्ञ समिति ने आभासी संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से मीडिया को डाटा प्रबंधन- गैर व्यक्तिगत के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी.

क्रिस गोपालकृष्णन ने समिति के अन्य सदस्यों के साथ गैरव्यक्तिगत डाटा तथा सामुदायिक डाटा की अवधारणा और इस डाटा पर उचित अधिकारों और विशेषाधिकारों को परिभाषित करने के प्रयासों जैसे गैर-व्यक्तिगत डाटा पर कई उभरते और अभिनव विचारों के बारे में बताया.

उन्होंने इसे तीन श्रेणियों – सार्वजनिक, समुदाय और निजी में विभाजित किया है.

गैर व्यक्तिगत डाटा का अर्थ

  • सरल और बुनियादी रुप में गैर व्यक्तिगत डाटा किसी भी प्रकार के डाटा का वह समूह होता है,जिसमें व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य कोई भी जानकारी शामिल नहीं होती.
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि गैर व्यक्तिगत डाटा को देखकर अथवा उसका विश्लेषण कर किसी व्यक्ति विशेष की पहचान करना संभव नहीं होता.

गैर- व्यक्तिगत डाटा फ्रेमवर्क एक्सपर्ट समिति

  • विदित हो कि गत वर्ष नवंबर महीने में सरकार ने उद्योग जगत के विशेषज्ञों सरकारी अधिकारियों और अकादमिक जगत के विशेषज्ञों को मिलाकर एक 9 सदस्य समिति का गठन किया था जिसमें इंफोसिस के सह संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन को अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया था.
  • इस समिति का मुख्य उद्देश्य भारत में उत्पन्न होने वाले डाटा के संग्रहण से संबंधित नियम कानूनों का ब्लूप्रिंट तैयार करना था.
  • इस समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में एक नए प्राधिकरण की स्थापना का भी सुझाव दिया है जिसके पास मुख्य तौर पर भारत में उत्पन्न हुआ गैर व्यक्तिगत डाटा के उपयोग और दोहन की निगरानी करने संबंधित अधिकार होंगे.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology, Environmental Pollution.

Topic : H-CNG

संदर्भ

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मसौदा अधिसूचना को अधिसूचित कर दिया है जिसके तहत हाइड्रोजन मिश्रित सीएनजी को एक मोटर वाहन ईंधन के रूप में शामिल करने के उद्देश्य से दिनांक 22 जुलाई 2020 के जरिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1979 में संशोधन करने के लिए आम जनता और सभी हितधारको से टिप्पणियां एवं सुझाव आमंत्रित किए गए.

  • यह देश में ऑटोमोबाइल या मोटर वाहनों में हरित इंधनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय की ओर से उठाया गया एक और अहम कदम है.
  • 2019 में दिल्ली हाइड्रोजन संबंधित सीएनजी इंधन चलित बसों को आरंभ करने वाला भारत का पहला शहर है.

HCNG क्या है?

HCNG एक वाहन ईंधन है जो संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) और हाइड्रोजन का मिश्रण है, आमतौर पर इसमें कुल आयतन का 8-50% भाग हाइड्रोजन होती है. मौजूदा प्राकृतिक गैस ईंजनों का उपयोग HCNG के साथ किया जा सकता है, हालाँकि उच्च हाइड्रोजन मिश्रणों के इष्टतम प्रदर्शन के लिए ईंजनों के पुनः समंजन (re-tuning) की आवश्यकता होती है. अध्ययनों से पता चलता है कि प्रदर्शन और उत्सर्जन में कमी लाने के लिए आयतन के 20-30% भाग हाइड्रोजन वाला HCNG मिश्रण ईष्टतम है.

HCNG के लाभ

किसी प्रकार रेट्रोफिटमेंट की आवश्यकता नहीं – इसे इंजन में किसी भी प्रकार के परिवर्तन या रेट्रोफिटमेंट की आवश्यकता नहीं है. केवल कुछ कैलिब्रेशन की आवश्यता होती है जिससे यह सरकारों और एजेंसियों को कम लागत पर अधिक लोगों को हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है. यह मौजूदा CNG अवसंरचना के साथ प्रयोग योग्य है. इसके लिए केवल प्राकृतिक हाइड्रोजन के छोटे भंडार और प्राकृतिक गैस के साथ हाइड्रोजन के मिश्रण के लिए स्तम्भ (column) की आवश्यकता होती है. सुरक्षा सबंधी विशेषताएँ CNG के समान हैं.

निम्न प्रदूषक उत्सर्जन – अभी तक किये गये वैश्विक HCNG परीक्षणों ने पारम्परिक CNG की तुलना में नाइट्रस ऑक्साइड (NOx), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (लगभग 70%) और हाइड्रोकार्बन उत्सर्जन (लगभग 15%) जैसे वाहन उत्सर्जनों को कम करने की ईंधन की क्षमता का प्रदर्शन किया है. प्राकृतिक गैस के साथ हाइड्रोजन का मिश्रण इंजन के अदहित हाइड्रोकार्बन को कम कर सकता है और दहन प्रक्रिया को तीव्र कर सकता है.

ईंधन बचत में सुधार – यह इंजन दक्षता में सुधार करता है, CNG बस की तुलना में ईंधन की खपत को 5% तक कम करता है. प्राकृतिक गैस और HCNG दोनों की ऊष्मीय दक्षता भार में वृद्धि के साथ बढ़ जाती है, जो इसे उच्च लोड अनुप्रयोगों और हैवी-ड्यूटी वाहनों के लिए आदर्श ईंधन बनाती है.

चुनौतियाँ

इष्टतम हाइड्रोजन/संपीडित प्राकृतिक गैस अनुपात का निर्धारण करना – यदि हाइड्रोजन के अनुपात में एक निश्चित सीमा से ऊपर वृद्धि होती है, तो इसके परिणामस्वरूप असमान्य दहन जैसे प्री-इग्निशन, नौक और बैकफायर हो सकता है.

सुरक्षित आधारभूत संरचना सुनिश्चित करना – नए ईंधन के व्यापक प्रसार के लिए संभवतः सबसे स्पष्ट चुनौती वर्तमान में सम्बंधित अवसरंचना का अभाव है. अन्य गैसीय ईंधन के समान, प्राकृतिक गैस और हाइड्रोजन दोनों वायु की तुलना में हल्के होते हैं, इसलिए यदि कोई रिसाव होता है तो यह पर्याप्त वेंटिलेशन के साथ तेजी से वायु में प्रसारित हो जायेगा.

लागत और निरन्तर उपलब्धता – हाइड्रोजन की लागत प्राकृतिक गैस की लागत से अधिक है जिसके परिणामस्वरूप HCNG, CNG की तुलना में महँगा है. इसके अतिरिक्त, IC इंजनों में इसके उपयोग को प्रमुखता से आरम्भ करने के पहले HCNG की निरंतर उपलब्धता का आश्वासन दिया जाना चाहिए.

उपभोक्ताओं और निर्माताओं का विश्वास बढ़ाने के लिए विभिन्न ईंजन प्रकारों और आकारों में निरंतर ईंजन प्रदर्शनउत्सर्जन और स्थायित्व परीक्षण विकसित किया जाना चाहिए.

निष्कर्ष

वर्तमान में अधिकांश वाहन डीजल या पेट्रोल संचालित हैं जिससे प्रदूषण का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है. बढ़ते प्रदूषण स्तर ने स्वच्छ ईंधन की आवश्यकता को बढ़ावा दिया है. अतः, हमें ऊर्जा के हामरे स्रोतों के पुनः परीक्षित करने की आवश्यकता है. वर्तमान परिदृश्य में, CNG वाहनों से उत्सर्जन को कम करने की विधि के रूप में HCNG के उपयोग की स्पष्ट सम्भावना है. हालाँकि, वर्तमान में HCNG ईंधन के सम्बन्ध में व्यापक पैमाने पर अनुसंधान किये जा रहे हैं, परन्तु विस्तृत कार्यान्वयन से पूर्व निश्चित रूप से कई कदम उठाये जाने आवश्यक हैं.


Prelims Vishesh

What is APT29 that was in news recently? :-

  • पिछले दिनों APT29 नामक साइबर गुप्तचर समूह पर यह आरोप लगा कि वह COVID-19 के टीके का डाटा चुराने की चेष्टा कर रहा है.
  • इस समूह को The Dukes अथवा Cozy Bear भी कहते हैं.  प्रायः निश्चित है कि यह समूह रूस की गुप्तचर सेवा का अंग है.

Places in News- Chattogram port :-

  • भारत और बांग्लादेश की बीच एक समझौता हुआ है कि कलकत्ता से अगरतला सामग्री पहुँचाने के लिए बांग्लादेश के चट्टोग्राम बंदरगाह का उपयोग किया जाएगा.
  • पिछले दिनों इस समझौते के अंतर्गत कलकत्ता से पहली बार एक कंटेनर जलयान रवाना हुआ.

India-Bhutan Open New Trade Route :-

  • भारत और भूटान ने पश्चिमी बंगाल के जयगाँव और भूटान के पसाखा के बीच व्यापार का एक नया मार्ग खोल दिया.
  • वर्तमान में दोनों देशों के बीच स्थल व्यापार जयगाँव से फुत्सोलिंग मार्ग के माध्यम से होता है. नया मार्ग खुल जाने से इस मार्ग में ट्रैफिक का जमाव घट जाएगा और नये मार्ग के कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य में अधिवृद्धि होगी.

Which state in India recently decided to give preference to plasma donors in government jobs?  :-

  • असम सरकार ने सरकारी नौकरियों में प्लाज्मा दान करने वालों को प्राथमिकता देने और उन्हें अन्य सुविधाएँ देने का निर्णय किया है.
  • उन्हें अंतर्वीक्षा में अतिरिक्त अंक मिलेंगे. सरकारी योजनाओं में भी उन्हें प्राथमिकता मिलेगी.
  • प्लाज्मा देने वाले जो व्यक्ति दूसरे राज्य के होंगे वे असम आने पर सरकारी अतिथि गृह की सुविधा ले सकेंगे और हवाई जहाज से उनके आने-जाने का व्यय असम सरकार उठाएगी.

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