Sansar डेली करंट अफेयर्स, 22 August 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 22 August 2019


GS Paper 2 Source: Indian Express

indian_express

UPSC Syllabus : Schemes for the vulnerable sections of the society.

Topic : PMUY

संदर्भ

प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) को घरबार में होने वाले वायु प्रदूषण (Household Air Pollution – HAP) से होने वाली क्षति को दूर करने के लिए एक सामयिक उपाय के रूप में जाना जाता है.

पारम्परिक चूल्हों से होना वाला प्रदूषण

  • भारत में घरेलू चूल्हों के लिए ठोस ईंधन जलाए जाने की परम्परा रही है. वायु को प्रदूषित करने में इसका सबसे बड़ा हाथ होता है. वस्तुतः भारत में सर्वत्र होने वाले वायु प्रदूषण का 22% से 52% अंश घरेलू चूल्हों से ही होता है.
  • लकड़ी जैसे ठोस ईंधन जलाने से घर के लोगों के स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है.
  • ठोस ईंधन जलाने से जो प्रदूषक तत्त्व उत्पन्न होते हैं, उसमें एक का नाम महीन पार्टिकुलेट मैटर है. ये कण साँसों के माध्यम से फेफड़े तक पहुँच जाते हैं और न केवल इनसे साँस की समस्या होती है, वरन् हृदय रोग भी हो जाया करता है.

प्रधानमन्त्री उज्ज्वला योजना

  • पीएमयूवाई की शुरूआत एक मई 2016 को की गयी. इसके तहत मार्च 2019 तक गरीब परिवार की पांच करोड़ महिलाओं को नि:शुल्क गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य था। बाद में लक्ष्य को बढ़ाकर 2021 तक 8 करोड़ कर दिया गया और अब सभी घर को गैस कनेक्शन उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है.
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) का शुभारम्भ डॉ. बी.आर.अम्बेडकर की जयंती परतेलंगाना राज्य में किया गया.
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लक्ष्य गरीब परिवारों तक एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) कनेक्शन पहुँचाना है.
  • इस योजना के अंतर्गत सामाजिक-आर्थिक-जाति-जनगणना (SECC) के माध्यम से पहचान किये गए गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवारों की वयस्क महिला सदस्य को केंद्र सरकार द्वारा प्रति कनेक्शन 1600 रुपये की वित्तीय सहायता के साथ जमा-मुक्त एलपीजी कनेक्शन दिया जाता है.
  • यह योजना पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा लागू की जा रही है.

PMUY के फायदे

  • शुद्ध ईंधन के प्रयोग से महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार
  • अशुद्ध जीवाश्‍म ईंधन के प्रयोग न करने से वातावरण में कम प्रदूषण
  • खाने पर धुएं के असर से मृत्‍यु में कमी
  • छोटे बच्‍चों में स्‍वास्‍थ्‍य समस्या से छुटकारा

LPG आवश्यक क्यों?

  • भारत में उपले, कोयले, लकड़ियाँ आदि से भोजन बनाने की परम्परा रही है. पर इन ईंधनों से निकलने वाला धुआँ प्रदूषण फैलाता है और महिलाओं और बालिकाओं के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि घरों में होने वाले वायु प्रदूषण स्वास्थ्य की क्षति का दूसरा सबसे बड़ा कारण है.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ठोस इंधन के प्रयोग से भारत में 13% मृत्यु होती है और लगभग 40% फेफड़ों की बीमारी की जड़ में यही है. 30% मोतियाबिंद और 20% स्केमिक हृदय रोग, फेफड़ा कैंसर और फेफड़ा संक्रमण ठोस इंधन के चलते होता है.

GS Paper 3 Source: Down to Earth

down to earth

UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Magnetospheric Multiscale Mission

संदर्भ

पिछले दिनों मैग्नेटोफेरिक मल्टीस्केल मिशन (MMS) के द्वारा उच्च रेजोल्यूशन वाले उपकरणों का प्रयोग करके अंतर-ग्रहीय शॉक (interplanetary shock) का पहला सटीक माप लिया गया है.

ज्ञातव्य है कि अंतर-ग्रहीय शॉकों के विषय में जितनी जानकारी होगी उतना ही ब्रह्मांड के विषय में हमारा ज्ञान समृद्ध होगा.

मैग्नेटोफेरिक मल्टीस्केल मिशन क्या है?

यह नासा का एक अभियान है जिसका उद्देश्य चुम्बकीय पुनःसम्पर्क (magnetic reconnection) के विषय में जानना है. ज्ञातव्य है कि सूरज और पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र आपस में जुड़ते और बिछुड़ते रहते हैं जिस कारण ऊर्जा का भयंकर आदान-प्रदान होता है. इस प्रक्रिया को चुम्बकीय पुनःसम्पर्क कहते हैं और यह सूर्य, ग्रहों और सकल ब्रह्मांड में घटने वाली एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया होती है.

चुम्बकीय पुनःसम्पर्क के कारण भू-अन्तरिक्षीय मौसम प्रभावित होता है जिसके चलते न केवल हमारे फ्यूजन रिएक्टर का काम क्षतिग्रस्त होता है, अपितु इसका दुष्प्रभाव दूरसंचार संजालों, GPS नेविगेशन और बिजली ग्रिडों पर भी पड़ता है.

अभियान के मुख्य उद्देश्य

  • ब्रह्मांडीय प्रक्रिया के विषय में इस स्तर का ज्ञान अर्जित करना कि अन्तरिक्षीय मौसम के बारे में पूर्वानुमान लगाया जा सके.
  • यह अभियान बतायेगा कि इस प्रकार के आगामी अभियानों के लिए कौन-सी पद्धतियाँ और तकनीकें अपनाई जाएँगी.
  • MMS में लगे सेंसर आविष्ट कणों (charged particle) के आवेग को मापने के साथ-साथ विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों का भी माप करेंगे. इस प्रकार का माप मिलीसेकंडों में किया जाएगा.
  • MMS सूर्य एवं पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्रों के बीच होने वाले पुनः सम्पर्क का अध्ययन करेगा.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Fly ash

संदर्भ

IIT हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने फ्लाई ऐश से जलरोधक पदार्थ बनाने में सफलता प्राप्त की है. यह देखा गया कि फ्लाई ऐश में साबुन और शैम्पू में प्रयुक्त होने वाले स्टियरिक अम्ल (stearic acid) डाल देने से उसकी प्रकृति बदल गई और इसके फलस्वरूप गोंद जैसे पदार्थ बनाने में सहायता मिली.

फ्लाई ऐश क्या है?

फ्लाई ऐश एक बारीक पाउडर है जो तापीय बिजली संयंत्रों में कोयले के जलने से उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है. इसमें भारी धातु होते हैं और साथ ही PM 2.5 और ब्लैक कार्बन भी होते हैं.

इसमें पाया जाने वाला PM 2.5 गर्मियों में हवा के माध्यम से उड़ते-उड़ते 20 किलोमीटर तक फ़ैल जाता है. यह पानी और अन्य सतहों पर जम जाता है.

फ्लाई ऐश हानिकारक कैसे?

फ्लाई ऐश में सिलिका, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड की पर्याप्त मात्रा होती है. आर्सेनिक, बोरान, क्रोमियम तथा सीसा जैसे तत्त्व भी सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते हैं. इस प्रकार इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर संकट उत्पन्न होता है. फैक्ट्रियों से निकलने वाले कोयले के धुओं से फ्लाई ऐश तो वातावरण में फैलता ही है साथ ही साथ कई बार फैक्ट्रियाँ फ्लाई ऐश को जमा कर के बाहर उनका भंडार बना देती हैं. ये सारे कचरे जमा हो-हो कर कभी-कभी पहाड़ जैसा बन जाते हैं. वहाँ से फ्लाई ऐश वातावरण को प्रदूषित करते ही हैं और बहुधा नदी/नहरों में भी फ्लाई ऐश के अंश चले जाते हैं.

फ्लाई ऐश का उपयोग

  • इसे कृषि में अम्लीय मृदाओं के लिए एक अभिकारक के रूप में, मृदा कंडीशनर के रूप में प्रयोग किया जा सकता है. इससे मृदा की महत्त्वपूर्ण भौतिक-रसायन विशेषताओं, जैसे जल धारण क्षमता, हाइड्रोक्लोरिक कंडक्टिविटी आदि में सुधार होगा.
  • भारत अभी तक फ्लाई ऐश प्रयोग की अपनी संभावनाओं का पूर्ण प्रयोग कर पाने में सक्षम नहीं है. हाल ही के CSE के एक अध्ययन के अनुसार, उत्पादित की जाने वाले फ्लाई ऐश का मात्र 50-60% ही प्रयोग हो पाता है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Awareness in space.

Topic : Interplanetary pollution

संदर्भ

गत अप्रैल महीने में इजराइल का जो बेयरशीट (beresheet) नामक अन्तरिक्षयान चंद्रमा पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया. उसमें टार्डिग्रेड (tardigrade) नामक जीवित प्राणी के हजारों नमूने और अन्य कई सामग्रियाँ ले जाई गई थीं.

अब वैज्ञानिकों में यह चर्चा चल रही है कि क्या ये टार्डिग्रेड दुर्घटना के पश्चात् बच गये होंगे.

tardigrade

टार्डिग्रेड होते क्या हैं?

  • जल भालू के नाम से प्रसिद्ध टार्डिग्रेड पृथ्वी के सबसे कठोर एवं जीवट वाले प्राणियों में से एक माने जाते हैं.
  • टार्डिग्रेड अत्यंत सूक्ष्म होता है और इसे किसी सूक्ष्मदर्शी से ही देखा जा सकता है. वस्तुतः इसकी लम्बाई आधी मिलीमीटर ही होती है.
  • मूल रूप से यह जल का निवासी होता है. परन्तु यह स्थल पर भी पाया जाता है.
  • 2008 में यह पता चला था कि टार्डिग्रेड बाह्य अन्तरिक्ष के ठन्डे निर्वात में भी जीवित रह जाता है.

बेयरशीट क्या है?

  • बेयरशीट इजराइल के द्वारा बनाया गया एक अन्तरिक्षयान है जिसे चंद्रमा पर उतरना था.
  • इसे फाल्कन 9 नामक राकेट से निजी अभियान के रूप में छोड़ा गया था.
  • यदि यह अन्तरिक्षयान चंद्रमा पर भली-भाँति उतर जाता तो यह न केवल ऐसा करने वाला इजराइल का पहला अन्तरिक्षयान होता, अपितु किसी निजी अभियान के माध्यम से वहाँ पहुँचने वाला पहला अन्तरिक्षयान भी होता.
  • अभी तक मात्र अमेरिका, पूर्व का सोवियत संघ और चीन ही चंद्रमा पर अन्तरिक्षयान उतार सके हैं.

GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : India largest emitter of SO2 in world

संदर्भ

ग्रीनपीस नामक अ-सरकारी संगठन ने अगस्त 19 को एक डाटा निर्गत करते हुए बताया कि भारत सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)  का विश्व में सबसे अधिक मानवकृत उत्सर्जन करने वाला देश है. विदित हो कि इस प्रकार का सल्फर डाइऑक्साइड कोयला जलाने से उत्पन्न होता है और वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक भी यही होता है.

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अन्य निष्कर्ष

  • ग्रीनपीस ने बताया है कि विश्व-भर में SO2 प्रमुख मात्रा में जहाँ-जहाँ मिलते हैं उन स्थलों का मानचित्र तैयार कर लिया गया है. ऐसे स्थलों का पता OMI (ओजोन मोनिटरिंग इंस्ट्रूमेंट) उपग्रह से चला है.
  • ज्ञात हुआ है कि मानवकृत सल्फर डाइऑक्साइड (anthropogenic sulphur dioxide) के प्रमुख स्थलों में से 15% भारत में ही हैं.
  • भारत में जहाँ SO2 मुख्य रूप से उत्सर्जित होते हैं उनमें से कुछ ये हैं –सिंगरौली (मध्यप्रदेश), कोरबा (छत्तीसगढ़), तालचर और झारसुगड़ा (ओडिशा), नेवेलि और चेन्नई (तमिलनाडु), कच्छ (गुजरात), रामागुन्डम (तेलंगाना) तथा चंद्रपुर कोराड़ी (महाराष्ट्र).
  • यदि विश्व के स्तर पर देखा जाए तो SO2 का मानवकृत उत्सर्जन करने वाला सबसे बड़ा स्थल रूस का Norilsk smelter complex है. इसके बाद क्रमशः दक्षिण अफ्रीका के Kriel और इरान के Zagroz का स्थान आता है.

SO2 उत्सर्जन कैसे नियंत्रित किया जाए?

  • जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि वायु प्रदूषण में SO2 उत्सर्जन बड़ा होता है. सच पूछें तो वायुमंडल में SO2 पहुँचने का सबसे बड़ा स्रोत बिजली संयंत्रों और अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठानों में जलाया जाने वाला जीवाश्म ईंधन होता है.
  • SO2 उत्सर्जन में भारत शीर्षस्थ स्थान पर इसलिए आ गया है कि पिछले दशक में यहाँ कोयला पर आधारित बिजली उत्पादन का काम बढ़-चढ़ कर हुआ है. भारत को चाहिए कि वह कोयले पर चलने वाले बिजली संयंत्रों पर दबाव डाले कि वह SO2 उत्सर्जन पर नियंत्रण रखें क्योंकि उससे जनस्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं.

भारत द्वारा इस दिशा में किये गये कुछ कार्य

  • पर्यावरण मंत्रालय ने दिसम्बर, 2015 में SO2 उत्सर्जन के विषय में कोयला संयंत्रों को कुछ सीमाएँ बताई थी और कहा था कि इस सीमा का पालन दो वर्षों के अंदर-अंदर सुनिश्चित कर लिया जाए.
  • दिल्ली और NCR के संयंत्रों की ओर से किये गये अनुरोध पर विचार करते हुए यह समय-सीमा कालांतर में दो वर्ष बढ़ा दी गई. आगे चलकर सर्वोच्च न्यायालय ने इसे और बढ़ाते हुए लक्ष्य को 2022 तक पूरा करने का आदेश दिया.

Prelims Vishesh

Van Mahotsava :-

  • वन महोत्सव भारत में प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला एक साप्ताहिक समारोह है जिसमें पौधारोपण का काम किया जाता है.
  • इस महोत्सव का आरम्भ तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी ने 1950 में किया था
  • इसका उद्देश्य वन संरक्षण और नए पेड़ लगाने के विषय में जनमानस को जागरूक बनाना है.

Who was Pangloss? :-

  • प्रोफेसर पैनग्लोस एक व्यंग्यात्मक लघु उपन्यास – Candide, ou l’Optimisme – के पात्र का नाम है, जिसकी रचना प्रसिद्ध दार्शनिक वोल्टेयर ने 1759 में की थी.
  • वस्तुतः यह पात्र अतिशय आशावादी था. अतः उसका नाम अत्यधिक आशावाद से जुड़ गया है.
  • अभी पिछले दिनों भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने भी एक भाषण में पैनग्लोस की जीवन-पद्धति का उल्लेख किया था.

What is Sericin? :-

सेरीसिन रेशम के कीड़ों द्वारा उत्पन्न एक प्रोटीन है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इसमें एंटी-ओक्सिडेंट और अन्य ऐसे तत्त्व हैं जिनका प्रयोग इन रोगों के उपचार के लिए हो सकता है – ऑक्सीडेशन से होने वाली क्षति, एडिमा, एरिथिमा, सनबर्न, असमय बुढ़ापा, झुर्रियाँ और चर्म कैंसर.


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