Sansar डेली करंट अफेयर्स, 21 October 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 21 October 2019


GS Paper 1 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian culture will cover the salient aspects of Art Forms, Literature and Architecture from ancient to modern times.

Topic : Guru Ravidas

संदर्भ

संत रविदास का मंदिर तुगलकाबाद में उसी जगह बनेगा जहाँ पर वह पहले था. सुप्रीम कोर्ट ने इसपर हाल ही में अपनी मुहर लगा दी. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है जिसमें उसी जगह पर मंदिर बनाने के लिए जमीन देने की बात कही गई है.

पृष्ठभूमि

कुछ दिनों पहले ही प्रशासन ने दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित संत रविदास के मंदिर को ढहा दिया था. इसे लेकर बाद में जमकर विवाद  हुआ और प्रशासन के इस फैसले के विरुद्ध मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा.

संत रविदास कौन थे?

  • गुरू रविदास (रैदास) जी का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1433 को हुआ  था. गुरु रविदास जी का जन्म काशी में हुआ था. उनका जन्म चर्मकार कुल में हुआ था.
  • उनके पिता जी का नाम संतोख दास और माता का नाम कलसा देवी था. गुरु रविदास साधु संतो के साथ रहकर पर्याप्त ज्ञान प्राप्त किया. हिन्दी साहित्य के इतिहास में मध्यकाल, भक्तिकाल के नाम से प्रख्यात है.
  • इस काल में अनेक संत एवं भक्त कवि हुए जिन्होंने भारतीय समाज में व्याप्त अनेक कुरूतियों को समाप्त करने का प्रयास किया. इन महान् संतों कवियों की श्रेणी में रविदास उर्फ़ रैदास जी का प्रमुख स्थान रहा है उन्होंने जाति, वर्ग एवं धर्म के मध्य की दूरियों को मिटाने और उन्हें कम करने का भरसक प्रयत्न किया.
  • रविदास जी भक्त और साधक और कवि थे उनके पदों में प्रभु भक्ति भावना, ध्यान साधना तथा आत्म निवेदन की भावना प्रमुख रूप में देखी जा सकती है.
  • रैदास जी ने भक्ति के मार्ग को अपनाया था सत्संग द्वारा इन्होने अपने विचारों को जनता के मध्य पहुँचाया तथा अपने ज्ञान तथा उच्च विचारों से समाज को लाभान्वित किया.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Development processes and the development industry the role of NGOs, SHGs, various groups and associations, donors, charities, institutional and other stakeholders.

Topic : Naga Peace Accord

संदर्भ

केंद्र सरकार ने कहा है कि नागा शांति वार्ता के तहत नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) की ओर से की गई अलग झंडे और संविधान की माँग नहीं मानी जाएगी.

naga peace accord

पृष्ठभूमि

एनएससीएन-आईएम नागालैंड के लिए अलग ध्वज और अलग संविधान के विवादास्पद मुद्दों को उठा रहा है. जबकि वह इन मुद्दों पर केंद्र की स्थिति से पूरी तरह अवगत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कई अवसरों पर एक राष्ट्र, एक ध्वज और एक संविधान की बात कह चुके हैं.

क्या है नागालैंड की समस्या?

  • पूर्वोत्तर में स्थित नागा समुदाय और नागा संगठन ऐतिहासिक तौर पर नागा बहुल इलाकों को मिलाकर एक ग्रेटर नागालिम राज्य बनाने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं.
  • ‘नागालिम’ या ग्रेटर नागा राज्य का उद्देश्य मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नागा बहुल इलाकों का नागालिम में विलय करना है.
  • यह देश की पुरानी समस्याओं में से एक है.
  • प्रस्तावित ग्रेटर नागालिम राज्य के गठन की मांग के अनुसार मणिपुर की 60% ज़मीन नागालैंड में जा सकती है.
  • मैतेई और कुकी दोनों समुदाय मणिपुर के इलाकों का नागालिम में विलय का विरोध करते हैं.
  • अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भारत सरकार और नागाओं के प्रतिनिधियों के बीच एक नए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए थे.

NSCN का इतिहास

  • नागालैंड में विद्रोही संगठनों का अतीत बताता है कि जब-जब कोई एक गुट शांतिवार्ता के लिए ज्यादा प्रतिबद्ध हुआ है तो राज्य में नए विद्रोही गुट ताकतवर हो जाते हैं. खुद एनएससीएन (आईएम) के जन्म का इतिहास भी यही है.
  • देश की आजादी के बाद से ही नागालैंड स्वतंत्रता की मांग कर रहा है. उस समय नागा नेता अंगामी जापी फीजो के नेतृत्व में नागा नेशनल काउंसिल (एनएनसी) नागा लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे बड़ा संगठन था.
  • 1956 में इसने अपनी सैन्य टुकड़ी का गठन करके अपनी एक स्वघोषित सरकार भी बना ली थी. इस संगठन को भी कई बार शांति समझौते के लिए तैयार करने की कोशिश की गई लेकिन जब कोई समाधान नहीं निकला तो 1972 में एनएनसी को प्रतिबंधित कर दिया गया.
  • आखिरकार 1975 में सरकार और इस संगठन के बीच शिलॉन्ग शांति समझौता हो गया. इस समझौते के विरोध में एनएनसी के एक धड़े ने 1980 में एनएससीएन (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड) का निर्माण किया था.
  • इस तरह एनएनसी तो हाशिए पर चला गया और यह नया गुट राज्य का सबसे बड़ा विद्रोही संगठन बन गया. एनएससीएन के साथ म्यांमार के नागा भी एकजुट थे. 1988 में एनएससीएन का एक और विभाजन हुआ और म्यांमार स्थित नागाओं ने एसएस खापलांग के नेतृत्व में एनएससीएन (के) बना लिया.
  • भारतीय नागाओं के गुट का नेतृत्व आइजेक चिशी स्वू और टी मुइवा के हाथ में रहा और इसे ही एनएससीएन (आईएम) कहा जाता है.

आगे की राह

नागालैंड की सीमा से लगते अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर में अच्छी खासी संख्या में नागा आबादी रहती है. नागाओं को अधिकार देते वक्त मणिपुर के गैर नागा आबादी, जो राज्य में बहुमत में है, की चिंताओं के साथ एक संतुलन बनाना बहुत जरूरी है. यदि यह नहीं हुआ तो इन क्षेत्रों में नागाओं को मिलने वाले अतिरिक्त अधिकार उनके और गैर-नागा आबादी के बीच संघर्ष की वजह बन सकते हैं. यही बात अरुणाचल प्रदेश और असम के बारे में भी कही जा सकती है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : Asbestos in Baby Powder

संदर्भ

बेबी प्रोडक्‍ट के जरिए हर घर में जगह बनाने वाली अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन सवालों के घेरे में है. दरअसल, कंपनी ने अमेरिका में लगभग 33 हजार बेबी पाउडर के बोतलों को वापस मंगाया है क्योंकि बेबी पाउडर के नमूनों में एस्बेस्टस की मात्रा का पता लगा है.

टॉल्क (talc) क्या है?

टॉल्क खनन की गई क्ले मिट्टी में पाया जाने वाला एक खनिज है. यह खनिज मनुष्य की जानकारी में सबसे कोमल खनिज होता है. इसलिए इसका कई उपभोक्ता एवं औद्योगिक उत्पादनों में व्यापक रूप से प्रयोग होता है.

भूमितल के अंदर एसबेस्टस भी होता है जो बहुधा टॉल्क में आंशिक रूप से मिल जाता है. इस कारण टॉल्क भी प्रदूषित भी हो जाता है.

एसबेस्टस क्या है?

एसबेस्टस छह प्रकार के सिलिकेट खनिजों के एक समूह को कहते हैं जो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं. इन सभी खनिजों में एक समानता है कि इनमें लम्बे (लगभग 1:20) और पतले एवं रेशेदार क्रिस्टल होते हैं और इनमें दिख पड़ने वाले रेशे के अंदर लाखों “फिब्रिल (fibrils)” होते हैं जिनको एक सूक्षमदर्शी यंत्र से ही देखा जा सकता है. रगड़ खाने से अथवा अन्य प्रक्रियाओं से यह फिब्रिल एसबेस्टस से निकलकर बाहर आ जाते हैं और जीवों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं.

एसबेस्टस के कई रंग होते हैं और इन रंगों के आधार पर ही इन्हें नीला एसबेस्टस, भूरा एसबेस्टस, उजला एसबेस्टस और हरा एसबेस्टस कहते हैं.

एसबेस्टस के उपयोग

  • एसबेस्टस अपने भौतिक गुणों के कारण उत्पादकों एवं भवन निर्माताओं द्वारा प्रयोग में लाया जाता है. एस्बेस्टस के कुछ गुण ये हैं – ध्वनि का अवशोषण, औसत तन्य-शक्ति, सस्तापन तथा आग, गर्मी और बिजली के प्रति रोधकता. इसका उपयोग बिजली इन्सुलेटर के रूप में हॉटप्लेटों और मकानों में होता है.
  • जब एसबेस्टस का प्रयोग आग या गर्मी के रोधक के रूप में होता है तो इसके रेशों में बहुधा सीमेंट मिला दिया जाता है या उनको कपड़ों अथवा चटाइयों में बुन दिया जाता है.

एसबेस्टस का स्वास्थ्य पर प्रभाव

एसबेस्टस के रेशे को साँस में लेने से जो प्राणघातक रोग हो सकते हैं, वे हैं – फेफड़े का कैंसर, मैसोथेलियोमा, एसबेस्टोसिस (न्यूमोकोनियोसिस का एक भेद).


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : UN Human Rights Council

संदर्भ

कई समूह देशों के विरोध के बावजूद वेनेजुएला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद्  का सदस्य निर्वाचित हुआ है.

पृष्ठभूमि

कई ऐडवोकेसी समूहों के विरोध के बावजूद वेनेजुएला संगठन का सदस्य निर्वाचित हुआ है. वेनेजुएलाई राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की वामपंथी सरकार पर आरोप है कि उन्होंने विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया है और बिगड़ती अर्थव्यवस्था के बीच अपनी सत्ता को कायम रखने के लिए यातना का सहारा ले रहे हैं. अमेरिका सहित 50 से अधिक देशों ने अपना रुख पलट कर वेनेजुएला की राष्ट्रीय असेंबली के अध्यक्ष जुआन गुएदो को वैध कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में मान्यता दी है. अब भी संयुक्त राष्ट्र में मादुरो को प्रबल समर्थन प्राप्त है जिनमें रूस और चीन जैसे देश शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् क्या है?

  • UNHRC संयुक्त राष्ट्र का एक निकाय है जिसकी स्थापना 2006 में विश्व-भर में मानवाधिकार की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए तथा साथ ही मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों की जाँच करने लिए की गई है.
  • UNHRC में 47 देशों के प्रतिनिधि सदस्य हैं जिनका चयन 3 वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) द्वारा किया जाता है.
  • यह परिषद् वर्ष में तीन बार बैठती है.
  • मानवाधिकार परिषद् संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों में मानवाधिकार की स्थिति की समय-समय पर समीक्षा करती है. समीक्षा के समय यह गैर-सरकारी संगठनों से मानवाधिकार के कथित उल्लंघनों के विषय में सूचना प्राप्त करती है और उनपर जाँच-पड़ताल के बाद अपना निर्णय देती है.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Vikram Sarabhai

संदर्भ

परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग ने डॉ. विक्रम साराभाई के वर्ष भर चलने वाले जन्‍म शताब्‍दी समारोह के तहत मुंबई में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया है जिसकी शुरुआत आज यानी 17 अक्‍टूबर, 2019 से हो गई. यह परमाणु ऊर्जा विभाग में डॉ. विक्रम साराभाई के बहुमूल्‍य योगदान को स्‍मरण करने के उद्देश्‍य से एक पूर्वावलोकन कार्यक्रम था.

विक्रम साराभाई और उनका योगदान

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले डॉ. विक्रम साराभाई का जन्‍म 12 अगस्‍त, 1919 को अहमदाबाद में हुआ था. अंतरिक्ष विभाग के लिए डॉ. साराभाई के बहुमूल्‍य योगदान सर्वविदित हैं. हालांकि, परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्‍यक्ष के रूप में परमाणु ऊर्जा विभाग के लिए उनके योगदान समान रूप से अत्‍यंत आवश्यक हैं.

मुख्य तथ्य

  • डॉक्टर होमी जे. भाभा की प्लेन क्रैश में मौत के बाद 1966 में इन्होंने परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष का पद संभाला था.
  • इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन 1966 में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था और 1972 में इन्हें पद्म विभूषण से भी नवाजा गया था.
  • ये इसरो के भी अध्यक्ष रहे. इन्होंने परमाणु उपकरणों को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए प्रयोग किए जाने के पक्ष में अपने तर्क दिए.
  • साराभाई निरस्त्रीकरण और परमाणु उपकरणों के शांतिपूर्ण इस्तेमाल पर होने वाली कई कॉंन्फ्रेंस और अंतरराष्ट्रीय पैनलों के अध्यक्ष रहे.
  • 1962 में इन्हें इसरो का कार्यभार सौंपा गया. उनकी निजी संपत्ति को देखते हुए उन्होंने अपने काम के लिए मात्र एक रुपए की टोकन सैलरी में काम किया.
  • डॉक्टर साराभाई ने अहमदाबाद में एक प्रायोगिक उपग्रह के ज़रिए संचार माध्यम बनवाने में भूमिका निभाई जो भारतीय गांवों के लिए एक शैक्षिक टेलीविज़न परियोजना की आवश्यक कड़ी थी. इसे एक साल बाद अमरीकी उपग्रह के साथ शुरू होना था लेकिन बाद में वो भारत निर्मित और भारत से लॉन्च होने वाले उपग्रह में बदल जाना था.
  • वे केरल के थुंबा रॉकेट-लॉंचिंग स्टेशन में होने वाली एक कॉन्फ्रेन्स में हिस्सा लेने के लिए वहां पहुंचे थे. इसके विकास में उनका योगदान था.
  • 30 दिसंबर 1971 में केवल 52 साल की उम्र में ही इनकी मौत हो गई. केरल के एक सरकारी होटल में नींद में ही उन्होंने प्राण त्याग दिया था.

Prelims Vishesh

Eat Right Jacket :-

  • विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने खाद्य सुरक्षा मित्र योजनाईट राइट जैकेट की शुरुआत की. 
  • ‘ईट राइट जैकेट’ का आज शुभारंभ किया गया, जिसका उपयोग विभिन्‍न क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मियों (फील्‍ड स्‍टाफ) द्वारा किया जाएगा. यह स्‍मार्ट डिजाइन वाली जैकेट है, जिसमें अनेक तकनीकी उपकरण जैसे कि टैबलेट/स्‍मार्ट फोन, क्‍यूआर कोड और पहचान करने एवं नजर रखने के लिए आरएफआईडी टैग लगाये जा सकते हैं.
  • इससे जहां एक ओर विभिन्‍न क्षेत्रों में काम कर रहे फील्‍ड स्‍टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, वहीं दूसरी ओर इससे खाद्य सुरक्षा व्‍यवस्‍था में पारदर्शिता, प्रोफेशनल रुख एवं पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकेगी तथा इसके साथ ही स्‍वामित्‍व की भावना आएगी एवं एफएसओ को उन पर नजर रखने में सुविधा होगी.

Eat Right Jhola :-

  • विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने खाद्य सुरक्षा मित्र योजनाईट राइट झोला की शुरुआत की. 

2nd phase of GOAL: Digital Skill Training Programme for Tribal Women :-

  • जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने ‘गोल’ (गोइंग ऑनलाइन एज लीडर्स – जीओएएल) के दूसरे चरण की घोषणा करते हुए बुधवार को कहा कि इस साझेदारी के जरिए ‘गोल’ कार्यक्रम आर्थिक और सामाजिक रूप से सीमांत युवा महिलाओं का प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में मार्गदर्शन किया जाएगा.
  • गोल कार्यक्रम सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक का है, जिसका उद्देश्य देश भर की जनजातीय युवा महिलाओं को डिजिटल रूप से प्रोत्साहित और प्रशिक्षित करना है.
  • इस कार्यक्रम की शुरूआत मार्च, 2019 में हुई थी.

Tulagi Island :-

  • चीन ने सोलोमन के एक विशालकाय द्वीप तुलगी को 75 सालों के लिए लीज पर लिया है. चीन और सोलोमन प्रांतीय सरकार के बीच यह गोपनीय समझौता पिछले महीने हुआ है. चीन ने तुलगी द्वीप और उसके आसपास के इलाकों के विकास कार्यों के अधिकार खरीद लिए हैं.
  • तुलागी द्वीप को अहम रणनीतिक क्षेत्र माना जाता है. दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इसका महत्व बढ़ गया था. उस समय यह द्वीप ब्रिटिश कब्जे में था.
  • अब यह क्षेत्र चीन के कब्जे में है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन द्वारा तुलगी द्वीप लेने के बाद से अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं.

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