Sansar डेली करंट अफेयर्स, 21 December 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 21 December 2019


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : GST Council

संदर्भ

GST परिषद् ने पिछले दिनों सम्पन्न अपनी 38वीं बैठक में दो महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए हैं – i) देश-भर की लौटरियों पर समान रूप से 28% GST लगेगी तथा ii) केंद्र अथवा राज्य सरकार के 20% स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों को जनवरी 1, 2020 से दीर्घकालिक भूमि लीज के लिए GST नहीं देना होगा. विदित हो कि पहले इस छूट के लिए 50% सरकारी स्वामित्व की शर्त थी.

हमें GST परिषद् क्यों चाहिए?

  • GST परिषद् वह प्रमुख निर्णायक निकाय है जो GST से सम्बंधित सभी बड़े फैसले करती है.
  • GST परिषद् के दायरे में ये सभी चीजें आती हैं – कर की दर, कर में छूट, प्रपत्रों को भरने की अंतिम तिथि, कराधान कानून और कर भरने की अंतिम समय-सीमा. इन सब के लिए परिषद् कुछ राज्यों के लिए विशेष दरों और प्रावधानों को ध्यान में रखती है.
  • GST परिषद् का सर्वप्रधान दायित्व यह पक्का करना होता है कि पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं के लिए करों की दर समरूप हो.

GST परिषद् की संरचना

संविधान का अनुच्छेद 279 (1) कहता है कि अनुच्छेद 279A के आरम्भ होने के 60 दिनों के भीतर राष्ट्रपति GST परिषद् का गठन करेगा.

परिषद् की बनावट

अनुच्छेद 279A के अनुसार, परिषद् केंद्र और राज्यों का एक संयुक्त मंच होगा जिसमें निम्नलिखित सदस्य होंगे –

  • केन्द्रीय वित्त मंत्री परिषद् के अध्यक्ष.
  • केन्द्रीय राजस्व वित्त राज्य मंत्री एक सदस्य के रूप में.
  • इस परिषद् में प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित वित्त अथवा कर के प्रभार वाले मंत्री अथवा अन्य कोई भी मंत्री इसके सदस्य होंगे.

GST परिषद् की अनुशंसाएँ

अनुच्छेद 279A (4) में प्रावधान है कि GST परिषद् GST से जुड़े बड़े-बड़े विषयों पर केंद्र और राज्य को अनुशंसाएँ करेगी, जैसे – किस वस्तु अथवा सेवा पर GST लगेगा और किसपर इससे छूट दी जायेगी.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : UN medal for Indian peacekeepers in South Sudan

संदर्भ

दक्षिण सूडान में नागरिकों की रक्षा करने के लिए और वहाँ टिकाऊ शांति बनाए रखने के लिए अपने देश से अत्यंत दूर अपनी समर्पित सेवा और बलिदान देने के लिए भारतीय शांतिरक्षकों को संयुक्त राष्ट्र पदक दिया गया है.

  • इन सैनिकों की इस बात को लेकर विशेष सराहन की गई कि उन्होंने ऊपरी नील नदी क्षेत्र में सरकारी और विरोधी सेनाओं के बीच शांति वार्ता में सहयोग दिया तथा पश्चिमी नील तट के कोडोक स्थान पर पहला UNMISS अड्डा स्थापित करने में सहायता पहुँचाई.
  • इन सैनिकों ने अपने कर्तव्य तो किये ही, साथ ही उन्होंने स्थानीय समुदायों की सहायता के लिए कोडोक और मलकल में पशु चिकत्सालय बनाए, पशुपालकों को अपने मवेशियों की देख-भाल बेहतर ढंग से करने का प्रशिक्षण दिया एवं जनसाधारण को आवश्यकतानुसार जीवन रक्षक औषधीय सहायता भी पहुँचाई.

भारतीय शांतिरक्षकों का योगदान

जब से संयुक्त राष्ट्र शान्ति रक्षा अभियान आरम्भ हुआ है तब से भारत इसके लिए सबसे अधिक सैनिक देने वाला देश रहा है. अभी तक भारत 49 शान्तिरक्षा अभियानों में शामिल हुआ है जिनमें उसने 2 लाख 45 हजार से अधिक सैनिक भेजे और अनेक पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की.

शान्तिरक्षा क्या है?

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा शान्ति रक्षा का कार्य 1948 में संयुक्त राष्ट्र युद्ध विराम पर्यवेक्षण संगठन (UN Truce Supervision Organization – UNTSO) की स्थापना के साथ आरम्भ हुआ था.
  • सबसे पहला मिशन 1948 के अरब-इजराइल युद्ध के समय भेजा गया था.
  • संयुक्त राष्ट्र की शान्ति सेना उन देशों में शान्ति की स्थापना में सहायता पहुँचाने के लिए भेजी जाती है जहाँ गृह संघर्ष चल रहा होता है.
  • इतिहास साक्षी है कि संयुक्त राष्ट्र कई अवसरों पर अपनी शान्ति रक्षक सेनाओं को सम्बंधित देश के आग्रह पर भेजकर शान्ति को स्थापित करने में सफल रहा है.
  • शांति सेनाएँ विश्व के कोने-कोने से सैनिकों और पुलिस को इकठ्ठा करके तथा सम्बंधित देश के अपने घरेलू नागरिक के साथ हर प्रकार से समन्वय करते हुए शान्ति स्थापित करने का कार्य करती है.
  • शान्ति रक्षा का कार्य जिन मूलभूत सिद्धांतों का अनुसरण करता है, वे हैं – i) पक्षकारों की सहमति ii) निष्पक्षता iii) बल का प्रयोग उसी समय करना जब आत्म रक्षा एवं रक्षा की स्थिति उत्पन्न हो.
  • वर्तमान में4 महादेशों में 14 संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षण की कार्रवाई चल रही है.

UNMISS क्या है?

  • 9 जुलाई, 2011 को दक्षिणी सुडान विश्व के सबसे नए देश के रूप में अस्तित्व में आया. इसके पहले वहाँ 2005 में व्यापक शान्ति समझौता (Comprehensive Peace Agreement – CPA) हस्ताक्षरित हुआ था और तत्पश्चात् छह वर्षों तक शान्ति प्रक्रिया चालू रही.
  • परन्तु सुरक्षा परिषद् का मंतव्य था कि दक्षिणी सुडान में जो स्थिति है वह अंतर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा पर एक खतरा बनी हुई है. अतः सुरक्षा परिषद् ने एक संयुक्त राष्ट्र अभियान गठित किया जिससे कि वहाँ शान्ति और सुरक्षा सुदृढ़ हो सके और विकास के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ बन सकें.
  • दिसम्बर, 2013 में दक्षिणी सुडान में लोगों की सुरक्षा और मानवाधिकार पर खतरा उपस्थित हो गया और मानवीय सहायता मुहैया करने की आवश्यकता आन पड़ी. इसलिए सुरक्षा परिषद् ने UNMISS को फिर से आपसी लड़ाई बंद करने के विषय में किये गये समझौते को कार्यान्वित करने हेतु पुनः सक्रिय कर दिया.

UNMISS के उद्देश्य

  • शान्ति को सुदृढ़ करना और इस प्रकार देश के निर्माण और आर्थिक विकास के लिए वातावरण तैयार करना.
  • दक्षिणी सुडान गणतंत्र की सरकार को संघर्ष की रोकथाम करने और नागरिकों को सुरक्षा देने की जिम्मेवारी पूरी करने में सहायता देना.
  • दक्षिणी गणतंत्र की सरकार को सहायता देकर उसे सुरक्षा देने, विधि व्यवस्था बनाने और न्याय व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सक्षम बनाना.

GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Infrastructure related issues.

Topic : Tripura gets its first SEZ

संदर्भ

पिछले दिनों केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने त्रिपुरा के लिए पहला विशेष आर्थिक जोन (SEZ) अधिसूचित किया. यह जोन त्रिपुरा औद्योगिक विकास निगम (TIDC) उन उद्योगों के लिए बनाने जा रहा है जो रबर, कपड़े और परिधान, बाँस और कृषि खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित हैं.

विशेष आर्थिक जोन (SEZs) क्या हैं?

विशेष आर्थिक जोन (SEZs) वे भौगोलिक क्षेत्र हैं जहाँ व्यवसाय और व्यापार से सम्बन्धित नियम और प्रथाएँ देश के अन्य भागों से अलग हैं. दूसरे शब्दों में, इस भौगोलिक क्षेत्र में स्थित व्यवसायों को विशेष अधिकार होते हैं. SEZs स्थापित करने के पीछे मूल विचार यह है कि व्यवसाय के लिए संरचना और परिवेश का निर्माण करना रातों-रात संभव नहीं होता, अतः इसके लिए ऐसे विशेष क्षेत्र बनाए जाएँ जो कम अवधि में तैयार हो सकें और जहाँ व्यवसाय और व्यापार से सम्बंधित समस्याओं के हल अधिक कुशलता से किया जा सके.

SEZ Act, 2005 में SEZs और इसके अन्दर संचालित इकाइयों की स्थापना के लिए कानूनी ढाँचे का प्रावधान किया गया है.

SEZs में दी जाने वाली सुविधाएँ और उत्प्रेरणाएँ

  • उन वस्तुओं को देश और विदेश से मंगाने में ड्यूटी नहीं लगती जो SEZs की इकाइयों के विकास, संचालन और संधारण के लिए आवश्यक है.
  • SEZs की इकाइयों को पहले पाँच वर्षों तक निर्यात से होने वाली आय पर आयकर नहीं देना पड़ता है. फिर अगले पाँच वर्षों तक इसके लिए 50% आयकर देना होता है.
  • न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternate Tax (MAT) से छूट.
  • केंद्र और राज्य के स्तर होने वाले अनुमोदन एक ही स्थान पर उपलब्ध कराए जाते हैं.

SEZs से सम्बंधित चिंताएँ

  • कई दूसरे देशों की तुलना में भारत के SEZs उतने सफल नहीं रहे हैं. चीन, कोरिया, मलेशिया और सिंगापुर के SEZs की उन्नति देखते ही बनती है.
  • केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दी गई कर संबंधी राहतों से आकर्षित होकर कई प्रतिष्ठानों ने अपनी इकाइयाँ वहाँ लगा दीं, परन्तु ये प्रतिष्ठान निर्यात में न ध्यान देकर “कर” बचाने पर ध्यान देते हैं.
  • देश की शेष अर्थव्यवस्था से उपयुक्त सम्पर्क (linkages) के अभाव में SEZs की निर्माण कम्पनियों का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है.
  • तटीय स्थानों में स्थापित SEZs का जुड़ाव उनके हिन्टरलैंड से कमजोर रहा है जिस कारण उनकी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाया.
  • केंद्र के SEZs अधिनियम के अनुरूप राज्य स्तर पर कानून नहीं बनने के कारण एक ही स्थान पर सरकारी अनुमतियों को प्रदान करने की प्रणाली कारगर नहीं हो पाई.
  • SEZs के द्वारा देश के औद्योगीकरण के प्रयास को उत्तम नीति, कारगर कार्यान्वयन और कुशल अनुश्रवन के कारण बहुत बड़ा धक्का लगा है.

NIMZs और SEZ में अंतर

  • विशेष आर्थिक जोन (Special Economic Zones- SEZ) का मुख्य उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना है. परन्तु दूसरी ओर NIMZs राज्यों के साथ भागीदारी के माध्यम से औद्योगिक वृद्धि के सिद्धांत पर काम करते हैं और इनका मुख्य बल निर्माण में वृद्धि और आजीविका के सृजन पर होता है.
  • आकार, अवसंरचना की योजना के स्तर, नियामक प्रक्रियाओं से सम्बन्धित प्रशासनिक बनावट और बाहर निकलने की नीतियों के मामले में भी NIMZs और SEZ में अंतर है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Kaleswaram project

संदर्भ

तेलंगाना राज्य सरकार ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि कालेश्वरम उद्वह सिंचाई परियोजना (Kaleshwaram Lift Irrigation Project – KLIP) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए.

ज्ञातव्य है कि यदि कोई परियोजना राष्ट्रीय परियोजना हो जाती है तो भारत सरकार अनुमानित लागत का 90% पैसा देती है.

कालेश्वरम परियोजना क्या है?

  • कालेश्वरम परियोजना एक लिफ्ट इरिगेशन स्कीम (Lift-irrigation scheme) है जिससे करीमनगर, वारंगल, निजामाबाद, मेडक जिलों को लाभ होगा.
  • इस परियोजना के माध्यम से गोदावरी नदी की सहायक नदी (tributary river) प्रनहिता (Pranahita) के पानी को उठाया जायेगा.
  • Lift Irrigation System या उद्वह सिंचाई प्रणाली में नीचे स्थित जल को पम्प के द्वारा ऊपर स्थित भूभागों में पहुँचाया जाता है.
  • मूलतः यह परियोजना अधिक विस्तृत थी. परन्तु कालांतर में एक उन्नत सर्वेक्षण – Light Detection and Ranging (LiDAR) – करवा कर सरकार ने इसे दो भागों में बाँट दिया. आदिलाबाद को पानी पहुँचाने वाले परियोजना के अंश को प्रनहिता परियोजना का नाम और शेष अंश को कालेश्वरम का नाम दिया गया.

लाभ

कालेश्वरम परियोजना में 148 tmc फीट पानी के भंडारण का प्रावधान है. योजना है कि बाढ़ वाले 90 दिनों में प्रतिदिन कम से कम 2 tmc फीट पानी का उद्वहन कर 180 tmc फीट पानी का उपयोग किया जाएगा. इस परियोजना से करीमनगर, निजामाबाद, वारंगल, मेडक, नालकोंडा और रंगा रेड्डी जिलों के ऊपरी भूमि-भागों में 7,38,851 हेक्टेयर (18.47 लाख एकड़ से अधिक) में सिंचाई की सुविधा दी जायेगी.

परियोजना की विशेषता

इंजीनियरों का कहना है कि कालेश्वरम उद्वह सिंचाई परियोजना की एक अनूठी विशेषता यह है कि इसमें येल्लमपल्ली बाँध और मल्लनसागर जलाशय के बीच में 81 किलोमीटर की एक सुरंग बनाई गई है जो एशिया की सबसे बड़ी सुरंग है. इसके अतिरिक्त इस परियोजना में 139 मेगवाट तक के उच्च क्षमता वाले पम्पों का प्रयोग होगा जो देश में पहले कभी नहीं हुआ.


Prelims Vishesh

Gandhi Citizenship Education Prize :-

  • पुर्तगाल ने पिछले दिनों गाँधी नागरिकता शिक्षा पुरस्कार शुरू किया है जो प्रत्येक वर्ष समाज कल्याण के लिए दिया जाएगा.
  • इस बार यह पुरस्कार पशु कल्याण को समर्पित होगा.

Pinaka Guided Weapons :

  • देश में ही DRDO द्वारा निर्मित दिशा-निर्दिष्ट हथियार प्रणाली पिनाक का सफल परीक्षण राजस्थान के पोखरन मरूस्थल में हुआ.
  • विदित हो कि इसके नवीनतम संस्करण की मारक क्षमता 70 से 80 किलोमीटर तक की है.

Operation Twist :

  • केन्द्रीय बैंक द्वारा एक साथ बॉन्ड की खरीद-बिक्री करने की कवायद को वित्तीय जगत में ऑपरेश ट्विस्ट के नाम से जाना जाता है. करीब एक दशक पहले अमेरिकी केन्द्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ऐसा किया था. वित्त वर्ष 2011-12 में अमेरिकी फेडरल रिजर्व नें लंबी अवधि के कर्ज को सस्ता करने के मद्देनजर ऐसा कदम उठाया था.
  • उसी के तर्ज पर भारतीय रिज़र्व बैंक भी कार्रवाई करने का विचार कर रहा है जिससे कि ब्याज की दरें नीचे आ सकें.

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