Sansar डेली करंट अफेयर्स, 20 July 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 20 July 2020


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.

Topic : Mahatma Jyotirao Phule Loan Waiver Scheme

संदर्भ

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘महात्मा ज्योतिराव फुले ऋण माफी योजना’ के अंतर्गत कुल पात्र किसानों में से 83% किसानों का ऋण माफ कर दिया है. इस योजना के अंतर्गत 17,646 करोड़ रु. का ऋण माफ़ किया गया है.

ज्योतिबा फुले

  • ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को हुआ था और निधन 28 नवंबर, 1890 को हुआ था.
  • उनका पूरा नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले था.
  • महात्मा ज्योतिबा फुले के पिता गोविंद राव एक किसान थे और पुणे में फूल बेचते थे. जब ये छोटे थे इनकी मां का देहांत हो गया था. ज्योतिबा फुलेसमाजसेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी के रुप में जाने जाते हैं.
  • महात्मा ज्योतिबा फुले ने जाति भेद, वर्ण भेद, लिंग भेद, ऊंच नीच के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी. यही नहीं उन्होंनेन्याय व समानता के मूल्यों पर आधारित समाज की परिकल्पना प्रस्तुत की.
  • वे महिला शिक्षा की खूब वकालत करते थे. यही वजह है कि 1840 में जब इनका विवाह सावित्रीबाई फुले से हुआ तो, उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को पढऩे के लिए प्रेरित किया.
  • 1852 में उन्होंने तीन स्कूलों की स्थापना की, लेकिन 1858 में फंड की कमी के कारण ये बंद कर दिए गए. सावित्रीबाई फुले आगे चलकर देश की पहली प्रशिक्षित महिला अध्यापिका बनीं. उन्होंने लोगों से अपने बच्चों को शिक्षा जरूर दिलाने का आह्वान किया.

उनके प्रेरणादायक विचार

  • स्वार्थ अलग-अलग रूप धारण करता है.कभी जाती का रूप लेता है तो कभी धर्म का.
  • अच्छा काम पूरा करने के लिए बुरे उपाय से काम नहीं लेना चाहिये.
  • आर्थिक असमानता के कारण किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.
  • शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है.
  • परमेश्वर एक है और सभी मानव उसकी संतान हैं.

सावित्रीबाई फुले

  • महाराष्ट्र के नयगाँव में जनवरी 3, 1831 को जन्मी सावित्रीबाई फुले को भारत की सबसे पहली महिलावादी (feminist) माना जाता है क्योंकि ब्रिटिश राज में उन्होंने स्त्रियों के शिक्षाधिकार के लिए बड़ा संघर्ष किया था.
  • 1848 में वे भारत की पहली महिला शिक्षा बनीं और उन्होंने अपने समाज सुधारक पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए एक विद्यालय खोला था.
  • पति-पत्नी ने मिलकर जाति पर आधारित भेदभाव के विरुद्ध भी काम किया था जिसके लिए उन्हें पुणे के परम्परावादी समुदायों का प्रतिरोध झेलना पड़ा था.
  • 1854 में सावित्रीबाई फुले ने एक विधवाश्रम स्थापित किया जिसमें 1864 से निर्धन स्त्रियाँ और उन बालिका वधुओं को रखा जाने लगा था जिनको उनके परिवारों ने छोड़ दिया था.
  • सत्यशोधक समाज के कार्यकलाप में भी फुले की एक बड़ी भूमिका थी. विदित हो कि इस समाज की स्थापना ज्योतिराव फुले ने वंचित निम्न जातियों को समान अधिकार दिलाने के लिए थी.
  • महाराष्ट्र में प्लेग फैलने पर रोगियों के उपचार के लिए सावित्रीबाई ने 1897 में एक चिकित्सालय खोला था.
  • उन्होंने बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की भी स्थापना की थी.
  • 2014 में उनके सम्मान में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय कर दिया गया.
  • जनवरी 3 को भारतीय समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई जाती है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Art and Culture. 

Topic : Manodarpan

संदर्भ

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा छात्रों को उनके मानसिक स्वास्थ्य कल्याण के लिए एवं मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने हेतु आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत आने वाले एक पहल मनोदर्पण का प्रारम्भ किया गया है.

पृष्ठभूमि

“कोविड-19 का प्रकोप वैश्विक है और सभी देशों के लिए यह समय बहुत ही चुनौतीपूर्ण है. इसके कारण विश्व न केवल एक स्वास्थ्य आपातकाल से जूझ रहा है बल्कि इसने पूरे मानव समाज में अनिश्चितता की भावना और एक तरह का मनोसामाजिक तनाव भी उत्पन्न कर दिया है. इसका सबसे गहरा प्रभाव बच्चों और किशोरों पर पड़ा है और वे तनाव, चिंता, भय के साथ-साथ भावनात्मक और व्यावहारिक परिवर्तन से भी गुजर रहे हैं.

इसके अतिरिक्त इस महामारी के चलते अध्यापकों और अभिभावकों में भी तनाव की स्थिति सृजित हो गई है जिसके कारण वे बच्चों की सहायता नहीं कर पा रहे हैं. इन सब पहलुओं पर ध्यान देने के पश्चात् मंत्रालय ने सोचा कि जहाँ एक ओर शिक्षा पर ध्यान देना आवश्यक है, वहीं दूसरी तरफ छात्रों एवं मानसिक स्वास्थ पर भी समान महत्त्व देना भी आवश्यक है.

मनोदर्पण पहल क्या है?

  • मनोदर्पण के जरिये सम्बंधित मंत्रालय एक समग्र और व्यापक मार्गदर्शन प्रणाली के अंतर्गत इन सभी के मानसिक स्वास्थ को सुनिश्चित करने के लिए परामर्श और कल्याण सेवाएँ प्रदान करेगा.
  • मनोदर्पण के द्वारा जुटाए गए संसाधनों की सहायता से विद्यार्थियों, उनके परिवारों और अध्यापकों के मानसिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी सहायता प्रणाली की सुविधा की गई है जो कि इन्हें कोरोना काल के पश्चात् भी सहयोग उपलब्ध करवाती रहेगी.
  • इसके अतिरिक्त इसकी पहुँच को और व्यापक बनाने के लिए राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 8448440632 भी प्रारम्भ कर दी जाएगी जो कि कोविड-19 संकट काल के पश्चात् भी जारी रहेगी. राष्ट्रीय हेल्पलाइन पर जिन राष्ट्रीय स्तर के काउंसलरों की मदद ली जा सकती है उनका डाटाबेस और डायरेक्टरी विद्यालयों और विश्वविद्यालयों को उपलब्ध करवा दिया गया है.

मनोदर्पण पहल के घटक

  • सलाहकारी दिशानिर्देश – परिवारों के साथ छात्रों, शिक्षकों और स्कूल प्रणालियों और विश्वविद्यालयों के शिक्षकों के लिए सलाहकारी दिशानिर्देश.
  • एमएचआरडी वेबसाइट पर वेब पेज – मनोवैज्ञानिक समर्थन, FAQ, ऑनलाइन क्वेरी सिस्टम, सलाहकार एवं व्यावहारिक सुझाव, पोस्टर, वीडियो इत्यादि के लिए.
  • राष्ट्रीय स्तर के डेटाबेस और काउंसलरों की निर्देशिका – विद्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर सेवाओं के लिए जिसके द्वारा स्वैच्छिक रूप से राष्ट्रीय स्तर पर टेली काउंसलिंग सेवा प्रदान किया जा सके.
  • राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन – एमएचआरडी द्वारा स्कूल, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्रों तक पहुँच के लिए. इस अनूठी हेल्पलाइन को अनुभवी परामर्शदाताओं / मनोवैज्ञानिकों और अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के एक पूल द्वारा संचालित किया जाएगा जो COVID-19 की स्थिति के बाद भी जारी रहेगी.
  • मनोवैज्ञानिक समर्थन हेतु हैंडबुक –  जीवन के कौशल के संवर्धन और छात्रों के कल्याण हेतु ऑनलाइन प्रकाशित किया जायेगा. हैंडबुक में COVID-19 महामारी और उसके बाद के भावनात्मक और व्यवहार संबंधी चिंताओं (छोटे बच्चों से लेकर कॉलेज के युवाओं तक) को प्रबंधित करने के तरीके और साधन शामिल होंगे.
  • इंटरैक्टिव ऑनलाइन चैट प्लेटफार्म: छात्रों, उनके परिवारों और अध्यापकों के लिए मानसिक स्वास्थ विशेषज्ञों के परामर्श और मार्गदर्शन के लिए एक इंटरैक्टिव ऑनलाइन चैट प्लेटफार्म भी शुरू किया गया है और समय-समय पर वेबिनार इत्यादि के माध्यम से भी सभी से जुड़ने के प्रयास किया जायेगा.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : SC panel on advertisements has become a tool of political vendetta

संदर्भ

उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त सरकारी विज्ञापनों में सामग्री के नियमन से संबंधित समिति (Committee on Content Regulation in Government Advertising – CCRGA) ने दिल्ली सरकार के एक विज्ञापन पर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) सरकार को एक नोटिस निर्गत किया है.

पृष्ठभूमि

  • समिति ने दिल्ली सरकार के विज्ञापन पर सोशल मीडिया में उठाए गए कुछ बिंदुओं पर स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमे यह संकेत किया गया था कि यह विज्ञापन राजनैतिक सन्देश हेतु प्रयुक्त हुआ है . यह विज्ञापन शिक्षा विभाग एवं सूचना एवं प्रचार निदेशालय, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार द्वारा प्रकाशित किया गया था.
  • उच्चतम न्यायालय के 13 मई, 2015 के दिशानिर्देशों के अंतर्गत- “सरकारी विज्ञापनों की सामग्री सरकार के संवैधानिक और कानूनी दायित्वों के साथ ही नागरिकों के अधिकारों और पात्रताओं के अनुरूप होनी चाहिए.”
  • इन दिशानिर्देशों के आधार पर समिति विज्ञापन पर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) सरकार को एक नोटिस निर्गत किया है.
  • इन दिशानिर्देशों को देखते हुए, दिल्ली सरकार को नोटिस मिलने के बाद इस मुद्दे पर समिति के पास 60 दिन के अन्दर अपना जवाब दाखिल करना होगा जो निम्न है:
  • उल्लिखित विज्ञापन के प्रकाशन से सरकारी कोष से कितना व्यय हुआ .
  • प्रकाशित किए गए विज्ञापन और विशेष रूप से दिल्ली के अलावा अन्य संस्करणों में प्रकाशन का उद्देश्य.
  • उच्चतम न्यायलय के दिशानिर्देशों का कितना पालन हुआ है

सरकारी विज्ञापनों में सामग्री के नियमन से संबंधित समिति (CCRGA) क्या है?

  • सर्वोच्च न्यायालय के 13 मई, 2015 के दिशानिर्देशों के तहत भारत सरकार द्वारा 6 अप्रैल, 2016 को तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया था. इस समिति में सभी मीडिया मंचों में सरकार द्वारा वित्तपोषित विज्ञापनों की सामग्री के नियमन के लिए ऐसे लोग सम्मिलित किए गए थे जो “स्पष्ट रूप से तटस्थ और निष्पक्ष हों और अपने संबंधित क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया हो.”
  • समिति को उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के उल्लंघन पर आम जनता से मिली शिकायतों के निस्तारण और उपयुक्त सिफारिशें करने का अधिकार है
  • समिति उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के किसी प्रकार के उल्लंघन/ विचलन का स्वतः संज्ञान ले सकती है और सुधारात्मक कदमों का भी सुझाव दे सकती है.
  • वर्तमान में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ओम प्रकाश रावत सीसीआरजीए की अध्यक्षता कर रहे हैं तथा इसके अन्य सदस्य एशियन फेडरेशन ऑफ एडवर्टाइजमेंट एसोसिएशंस से जुड़े और आईएए के पूर्व अध्यक्ष श्री रमेश नारायण तथा प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य डॉ. अशोक कुमार टंडन हैं.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

सरकारी विज्ञापनों को विनियमित करने की आवश्यकता

निहित स्वार्थों के प्रयोजन का प्रदर्शन: जनहित की पूर्ति के विपरीत, कई सरकारी विज्ञापन राजनीतिक व्यक्तित्व और दलों का महिमामंडन करते हैं. इससे निजी हितों को बढ़ावा देने में राज्य की दुर्लभ निधियों का अपव्यय होता है, जो विधि के शासन के विरुद्ध है.

सार्वजनिक उद्देश्य के संबंध में स्पष्टता का अभाव: नागरिकों के लिए सरकारी संदेश और मतदाताओं के लिए राजनीतिक संदेश के मध्य अत्यल्प अंतर होता है. यह आवश्यक है कि विशेष रूप से सार्वजनिक निधियों एवं संपत्तियों के उपयोग के दौरान, सभी सरकारी गतिविधियां तर्कशीलता और जनहित की पूर्ति पर आधारित हों.

लोकतांत्रिक व्यवस्था के विरुद्ध: सत्तारुद्ध सरकार विशेष रूप से निर्वाचनों से पूर्व ऐसे विज्ञापनों का उपयोग करके अन्य दलों और प्रत्याशियों की तुलना में अधिक लाभ अर्जित करती है. ऐसे कार्य स्वतंत्र और निष्पक्ष निर्वाचन को अवरोधित करते हैं, क्योंकि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के पास अपने वादों एवं तर्कों को चिन्हांकित करने के लिए समान संसाधन उपलब्ध नहीं होते हैं.  यह सरकारों को प्रकाशनों और मीडिया संगठनों को संरक्षण देने की भी अनुमति प्रदान करता है, ताकि विज्ञापन जानकारी के अयनात्मक प्रसार द्वारा अनुकूल मीडिया कवरेज प्राम हो सके.

लागतों में बृद्धि: सूचना के अधिकार के तहत दायर किए गए विभिन्न आवेदनों के माध्यम से प्राप्त जानकारी से ज्ञात होता है कि हाल के दिनों में प्रत्येक चुनावी वर्ष में विज्ञापनों पर किए गए सरकारी व्यय में लगभग 40% की वृद्धि हुई है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुदान की मांग पर एक संसदीय समिति की रिपोर्ट (वर्ष 2017) के अनुसार, सरकारी व्यय चुनावी राज्यों के पक्ष में झुका हुआ प्रदर्शित होता है.

प्रीलिम्स बूस्टर

 

ब्यूरो ऑफ़ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन (BOC)

  • इसे पूर्ववर्ती विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय (DAVP), क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय (DFP) और गीत एवं नाटक प्रभाग (S&DD) के एकीकरण द्वारा वर्ष 2017 में गठित किया गया था.
  • यह सरकार की विभिन्न एजेंसियों को संचार समाधान प्रदान करता है.
  • यह सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों के बारे में ग्रामीण तथा शहरी, दोनों क्षेत्रों के लोगों को शिक्षित करने में संलग्न है, ताकि विकासात्मक गतिविधियों में उनकी भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सके.
  • इसकी अध्यक्षता एक महानिदेशक (DG) द्वारा की जाती है तथा इसका संचालन भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों एवं पूर्ववर्ती DAVP, DFP और S&DD के पूर्व-संवर्ग कर्मियों द्वारा किया जाता है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Zoram Mega Food Park

संदर्भ

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने हाल ही में मिजोरम में एक मेगा फूड पार्क का उद्घाटन किया जिसका नाम है ज़ोरम मेगा फ़ूड पार्क. कुल 75 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित फूड पार्क से 25,000 किसानों को लाभ होगा तथा 5,000 रोजगार के अवसर सृजित होंगे.

ज़ोरम मेगा फ़ूड पार्क के बारे में

  • 55 एकड़ में फैला जोरम मेगा फूड पार्क मिजोरम के कोलासिब जिले में स्थित है. यह मिज़ोरम में परिचालित किया जाने वाला पहला मेगा फूड पार्क है.
  • 75 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित ज़ोरम फूड पार्क से लगभग 25,000 किसानों को लाभ होगा तथा 5,000 से भी ज्यादा रोजगार के अवसर सृजित होंगे.
  • इस परियोजना में फूड पार्क में स्थापित किये जाने वाले करीब 30 प्रसंस्करण इकाइयों से करीब 250 करोड़ रुपये का आगे और निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है.
  • गौरतलब है कि मेघालय के अतिरिक्त सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में मेगा फूड पार्क है.

मेगा फूड पार्क क्या है?

  • मेगा फूड पार्क योजना भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाती है.
  • इस योजना का उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्ताओं और खुदरा व्यवसायियों को एक मंच पर लाकर ऐसी सुविधा देना है जिससे कृषि उत्पादन से लेकर बाजार तक का सम्पर्क सुचारू हो सके. ऐसा करने से उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ेगी तथा साथ ही फसल की बर्बादी घटेगी. इसके कारण किसानों की आय तो बढ़ेगी ही, साथ ही विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित होंगे.
  • इस प्रकार का पार्क स्थापित करने के लिए भारत सरकार अधिकतम 50 करोड़ रुपये का अनुदान देती है पर इसके लिए कम से कम 50 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है जो अलग-थलग होकर एक ही स्थान पर हो. सरकार द्वारा परियोजना की सम्पूर्ण लागत का 50% दिया जाता है.

सञ्चालन प्रक्रिया

  • यह परियोजना धुरी और तीलियाँ मॉडल पर आधारित है. इसमें खेत के पास एक अवसंरचना तैयार की जाती है जहाँ प्राथमिक प्रसंस्करण तथा भंडारण होगा. इन अवसंरचनाओं को प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र (Primary Processing Centres – PPCs) तथा संग्रहण केंद्र (Collection Centres – CCs) का नाम दिया गया है. इनके अतिरिक्त एक केन्द्रीय प्रसंस्करण केन्द्र (Central Processing Centre – CPC) भी होगा.
  • इन प्राथमिक प्रसंस्करण केन्द्रों का काम उत्पादकों एवं प्रसंस्करणकर्ताओं के बीच सम्पर्क सूत्र स्थापित करना होगा जिससे केन्द्रीय प्रसंस्करण केन्द्रों (CPCs) को कच्चे माल की निर्बाध आपूर्ति होती रहे.
  • CPC में प्रसंस्करण की मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध होंगी. यहाँ पर स्थित इकाइयाँ खाद्य प्रसंस्करण का कार्य करेंगी. इस केंद्र के लिए न्यूनतम 50 एकड़ भूमि होना अनिवार्य है.
  • यह योजना माँग के अनुसार चलने वाली योजना है और इसका एक काम खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों पर पर्यावरण, सुरक्षा एवं सामाजिक मापदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करना भी है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology.

Topic : Rafale Fighter Aircraft

संदर्भ

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के पांच राफेल विमानों का पहला बेड़ा जुलाई के अंत तक भारत आने की संभावना है. इन्‍हें अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन पर 29 जुलाई को वायुसेना में सम्मिलित किया जाएगा.

राफेल विमान के संबंध में जानकारी

  • राफेल विमान फ्रांस की विमानन कंपनी दसौल्ट एविएशन द्वारा बनाया गया एक 2 इंजन वाला लड़ाकू विमान है.
  • भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस की सरकार के साथ करीब 58,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 राफेल लड़ाकू जेट के क्रय के लिए एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किया था. विमान कई शक्तिशाली हथियारों को ले जाने में समर्थ है.
  • गौरतलब है कि राफेल को 2004 में फ्रेंच नौसेना और 2006 में फ्रेंच वायुसेना में सम्मिलित किया गया.

राफेल विमान की विशेषताएँ

  • राफेल मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है. यह आकार में भारतीय वायु सेना के सुखोई विमान से छोटा है जिससे इसे प्रयोग करना अपेक्षाकृत सरल है.
  • राफेल की ईंधन क्षमता 17 हजार किलोग्राम है और यह एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है.
  • राफेल ज़मीन और समुद्री हमलों, टोही, उच्च सटीक हमलों और परमाणु हमले की रोकथाम सहित लघु एवं लंबी दूरी के मिशनों की एक विस्तृत श्रृंखला को पूरा करने में समर्थ है.
  • यह स्काल्प मिसाइल से युक्त है, जो हवा से जमीन पर 600 किमी तक निशाना साध सकती है.
  • राफेल की मारक क्षमता 3700 किलोमीटर तक है, जबकि स्काल्प की रेंज 300 किलोमीटर है.
  • यह लड़ाकू विमान 24,500 किलो तक का वजन ले जाने में सक्षम है. यह 60 घंटे की अतिरिक्त उड़ान भरने में सक्षम है.
  • यह हवा की गति से उड़ सकता है. 2,223 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है.

Prelims Vishesh

Chiang Mai initiative (CMI) :-

क्षेत्रीय अल्पकालिक तरलता की समस्याओं के समाधान के लिए तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पर निर्भरता से बचने के लिए 2010 में ASEAN के दस सदस्यों, चीन (होंग कोंग सहित), जापान और दक्षिण कोरिया ने मुद्रा स्वैप की एक बहुपक्षीय व्यवस्था आरम्भ की थी जिसे Chiang Mai पहल के नाम से जाना जाता है.

Melghat Tiger Reserve :-

  • मेलघाट व्याघ्र आश्रयणी महाराष्ट्र के अमरावती जिले में उस राज्य की पहली व्याघ्र आश्रयणी है.
  • इस आश्रयणी की अधिसूचना प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत 1974 में निर्गत हुई थी.
  • यह सतपुड़ा पहाड़ियों के दक्षिणी छोर पर गाविलगढ़ पहाड़ी पर ताप्ती नदी और गाविलगढ़ चोटियों के बीच स्थित है.
  • इसे मेलघाट इसलिए कहते हैं क्योंकि यहाँ पर अनेक घाटों का मेल होता है.

What is a super capacitor? :-

  • सुपर कपैसिटर साधारण कपैसिटरों की तुलना में बहुत अधिक बिजली का भंडारण कर सकते हैं.
  • ये लम्बे समय तक चलते हैं और इनको सेकंडों में आवेशित किया जा सकता है.
  • ये सबसे पहले 20वीं शती में बनाए गये थे.
  • इनका साइकिल लाइफ असीमित होता है अर्थात् इनको लाखों बार साइकिल किया जा सकता है.
  • इनको अत्यंत निम्न ताप पर आवेशित किया जा सकता है.
  • ये कभी ओवरचार्ज नहीं होते हैं इसलिए ये इसलिए बहुत ही निरापद (safe) होते हैं.

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