Sansar डेली करंट अफेयर्स, 20 July 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 20 July 2019


GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : President appoints Governors

संदर्भ

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ नए राज्यपालों की नियुक्ति तथा कुछ राज्यपालों का स्थानान्तरण किया है.

राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति

  • अनुच्छेद 155 में राज्यपाल की नियुक्ति से सम्बंधित प्रावधान और संविधान के अनुच्छेद 156 में राज्यपाल के कार्यकाल से सम्बंधित प्रावधान हैं. 
  • राज्यपाल राज्य का एक सैद्धांतिक प्रमुख होता है क्योंकि वास्तविक शक्तियाँ किसी भी राज्य में वहाँ के मुख्यमंत्री के पास होती हैं.
  • संविधान के सातवें संशोधन के द्वारा 1956 में यह व्यवस्था की गई थी कि एक ही व्यक्ति दो अथवा दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल हो सकता है.
  • संघीय क्षेत्रों में राज्यपाल के बदले उप-राज्यपाल होते हैं जिन्हें अंग्रेजी में लेफ्टिनेंट गवर्नर कहा जाता है.

राज्यपाल की नियुक्ति और पदच्युति

  • राज्यपाल/उपराज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा पाँच वर्षों के लिए होती है.
  • सामान्यतः: उसकी नियुक्ति में सम्बद्ध राज्य के मुख्यमंत्री का परामर्श ले लिया जाता है.
  • राष्ट्रपति पाँच वर्ष के भीतर भी राज्यपाल को पदच्युत कर सकता है अथवा उसका स्थानान्तरण कर सकता है.
  • राज्यपाल इस अवधि के भीतर राष्ट्रपति के पास त्यागपत्र भेजकर पदत्याग भी कर सकता है.
  • राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बना रहता है.
  • यद्दपि उसका कार्यकाल पाँच वर्ष का है पर वह नए राज्यपाल के पद-ग्रहण करने के पूर्व तक अपने पद पर रहता है.
  • संविधान में राज्यपाल के विरुद्ध महाभियोग का कोई प्रावधान नहीं है जबकि राष्ट्रपति के लिए है.

राज्यपाल के लिए योग्यताएँ – ELIGIBILITY/QUALIFICATIONS

संविधान के अनुच्छेद 157 और 158 में राज्यपाल के लिए आवश्यक योग्यताएं निर्धारित की गई है.

इस पद पर वही व्यक्ति नियुक्त हो सकता है जो –

  • भारत का नागरिक हो.
  • जिसकी आयु 35 वर्ष से अधिक हो.
  • जो संसद या विधानमंडल का सदस्य नहीं है और यदि ऐसा व्यक्ति हो तो राज्यपाल के पदग्रहण के बाद उसकी सदस्यता का अंत हो जायेगा. अपनी नियुक्ति के बाद वह किसी अन्य लाभ के पद पर नहीं रह सकता.

शक्तियाँ

  • राष्ट्रपति की भाँति राज्यपाल को भी कुछ कार्यकारी, विधायी और न्यायिक शक्तियाँ मिली हुई हैं.
  • उसके पास कुछ विवेकाधीन अथवा आपातकालीन शक्तियां भी होती हैं.
  • किन्तु राष्ट्रपति की भाँति राज्यपाल के पास कोई कूटनीतिक अथवा सैन्य शक्ति नहीं होती है.

राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियाँ

  • राज्यपाल राष्ट्रपति को इस बात की सूचना अपने विवेक से दे सकता है कि राज्यपाल में संवैधानिक तन्त्र विफल हो गया है.
  • विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को राज्यपाल अपने विवेक से रोके रख सकता है.
  • यदि विधानसभा में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं है तो राज्यपाल अपने विवेक से किसी को भी मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकता है.
  • असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम के राज्यपाल द्वारा खनिज उत्खनन की रॉयल्टी के रूप में जनजातीय जिला परिषद् को देय राशि का निर्धारण करता है.
  • राज्यपाल मुख्यमंत्री से राज्य के प्रशासनिक और विधायी विषयों के बारे में सूचना प्राप्त कर सकता है.
  • राज्यपाल को यह अधिकार है कि वह अपने विवेक से विधान सभा द्वारा पारित साधारण विधेयक को हस्ताक्षरित करने से मना कर सकता है.
  • इसके अतिरिक्त असम, नागालैंड, मणिपुर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात तथा कर्नाटक के राज्यपाल को स्थानीय विकास, जनकल्याण तथा कानून व्यवस्था के संदर्भ में कुछ विशेष दायित्व सौंपे गये हैं जिनका निर्वहन वह स्वविवेक से करता है.

राज्यपाल के कार्य 

  • वह विधानमंडल के किसी भी सदन को जब चाहे तब सत्र बुला सकता है, सत्रावसान कर सकता है और विधान सभा को, यदि वह उचित समझे, तो विघटित कर सकता है.
  • वह विधान परिषद् के 1/6 सदस्यों को मनोनीत भी करता है. वह दोनों सदनों को संबोधित कर सकता है या उनमें विधेयक-विषयक कोई सन्देश भेज सकता है, जिसपर सदन शीघ्र ही विचार करेगा.
  • विधानमंडल के प्रत्येक सदस्य को राज्यपाल या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ लेना पड़ता है.
  • वह प्रत्येक विक्तीय वर्ष के आरम्भ में उस वर्ष का वार्षिक वित्त-वितरण विधान सभा के सम्मुख प्रस्तुत करता है.
  • विधान सभा में उसकी अनुमति के बिना किसी अनुदान की माँग नहीं की जा सकती. जब कोई विधेयक पारित होता है, तब वह उसकी स्वीकृति के लिए भेजा जाता है. राज्यपाल उसपर अपनी स्वीकृति दे सकता है, उसे अस्वीकृत भी कर सकता है या राष्ट्रपति के विचारार्थ रख सकता है.
  • वह धन विधेयक को छोड़कर अन्य विधेयक को पुनः विचार करने के लिए विधानमंडल के पास भी भेज सकता है. लेकिन, यदि वह विधेयक पुनः संशोधनसहित या बिना किसी संशोधन के विधानमंडल द्वारा पारित हो जाए, तो उसे अपनी स्वीकृति देनी ही पड़ती है.

राज्यपाल की नियुक्ति क्यों होती है, निर्वाचन क्यों नहीं?

संविधान के निर्माताओं ने आरंभ में निर्वाचित राज्यपाल रखने का सुझाव दिया था. संभवतः उनका विचार था कि राज्यों को संघ की इकाई के रूप में अधिकतम स्वायत्तता होनी चाहिए. संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्यों के राज्यपालों का पद निर्वाचित होता है. भारतीय संविधान के निर्माताओं ने इसी से प्रभावित होकर उपर्युक्त सुझाव दिया था. इस सम्बन्ध में अन्य प्रस्ताव यह भी था कि राज्य का विधानमंडल राज्यपाल पद के लिए चार व्यक्तियों को निर्वाचित करे और उनके नाम राष्ट्रपति के पास भेजे. राष्ट्रपति उनमें एक व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त कर देगा. परन्तु, बाद में उन्होंने अपनी धारणा बदल दी और राज्यपाल के स्थान पर नियुक्ति का प्रावधान किया जिसके निम्नलिखित कारण थे – –

  1. यदि राज्यपाल का निर्वाचन विधानमंडल द्वारा होता, तो राज्यपाल और मंत्रिमंडल दोनों एक ही विधानमंडल के प्रति उत्तरदायी होते. ऐसी स्थिति में वह उस राजनीतिक दल के हाथों की कठपुतली बन जाता, जो उसके निर्वाचन में समर्थन करता. इसके अतिरिक्त, पुनर्निर्वाचन के लिए विधानमंडलीय बहुमत के हाथों में खेलने की प्रवृत्ति उसमें होती.
  2. यदि वहजनता द्वारा निर्वाचित होता, तो राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के मध्य प्रतिद्वन्द्विता उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती, क्योंकि दोनों जनता के प्रतिनिधि होते. इस प्रकार शासनयंत्र का संचालन कठिन हो जाता.
  3. संविधान निर्माता यह चाहते थे कि यह पद एक ऐसा पद हो, जो राज्य की राजनीति में स्थायित्व रहने पर एक सांविधानिक अध्यक्ष के रूप में कार्य करे और उस स्थिति के अभाव में यह केन्द्रीय कार्यपालिका का अभिकर्ता बना रहे. इस उद्देश्य की पूर्ति राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति होने से ही संभव थी. इन्हीं कारणों से उसकी नियुक्ति होती है, उसका निर्वाचन नहीं होता है.
  4. उसके निर्वाचन का प्रस्ताव भारत के गरीब देश होने के कारण भी अस्वीकृत कर दिया गया. निर्वाचन के कारण देश को काफी खर्च का भार सहन करना पड़ता. अतः, आर्थिक बचत के लिए भी राज्यपाल की नियुक्ति का प्रबंध किया गया.

अनुच्छेद 158

संविधान के अनुच्छेद 158 के तहत राज्यपाल नियुक्ति हेतु कुछ शर्तों का उल्लेख है, यह शर्ते हैं –

  1. राज्यपाल संसद अथवा किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं हो सकता. यदि कोई व्यक्ति जो संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य है, राज्यपाल पद पर नियुक्त होता है तो वह राज्यपाल का पद ग्रहण करने की तिथि से संसद अथवा राज्य विधानमंडल में उसका पद रिक्त माना जाएगा.
  2. राज्यपाल कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा.
  3. राज्यपाल को निःशुल्क आवास, वेतन, भत्ते एवं उपलब्धियाँ तथा विशेषाधिकार प्राप्त होंगे जो संसद विधि द्वारा निर्धारित करे. वर्तमान में राज्यपाल का वेतन 3 लाख 50 हजार रूपये है.

GS Paper  2 Source: PIB

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Topic : The Motor Vehicles (Amendment) Bill, 2019

संदर्भ

सड़क सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन करने जा रही है और इसके लिए  मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 लाई है.

विधेयक के मुख्य तथ्य

  • भारत सरकार दुर्घटना के एक घंटे (गोल्डन आवर) के अन्दर दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के लिए नकदरहित उपचार की एक योजना बनाएगी.
  • तृतीय पक्ष बीमा के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का दावा करने वालों के लिए अंतरिम राहत देने की एक योजना बनाई जायेगी.
  • भारत सरकार मोटर वाहन दुर्घटना कोष की स्थापना करेगी जिससे सड़क का उपयोग करने वाले सभी व्यक्तियों को अनिवार्य रूप से बीमा का लाभ दिया जा सके.
  • इस कोष के लिए धनराशि केंद्र सरकार के अनुदान अथवा ऋण, सोलेटियम कोष में बची हुई राशि तथा अन्य विहित स्रोतों से इकठ्ठा की जायेगी.
  • जो लोग दुर्घटना के समय दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को शुद्ध भाव से और स्वैच्छिक रूप से बिना किसी पुरस्कार की आशा के चिकत्सकीय अथवा अन्य सहायता पहुंचाते हैं उनके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जायेगी यदि ऐसा करते समय दुर्घटना व्यक्ति को कोई क्षति पहुँच जाती है अथवा उसका निधन हो जाता है.
  • यदि किसी मोटर वाहन में ऐसा दोष पाया जाता है जिसके चलते पर्यावरण अथवा चालक अथवा सड़क का उपयोग करने वालों को क्षति पहुँचती है तो केंद्र सरकार ऐसे वाहन को वापस बुलाने का आदेश दे सकती है.
  • वापस बुलाये गये वाहनों के निर्माता को क्रेता को वाहन की पूरी लागत लौटानी होगी अथवा उसी प्रकार की नई गाड़ी देनी होगी.
  • यह भी प्रस्ताव है कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों से सलाह करके एक राष्ट्रीय परिवहन नीति बनाएगी जिसमें परमिट देने, सड़क परिवहन की योजना बनाने तथा परिवहन प्रणाली की प्राथमिकताओं आदि का उल्लेख होगा.
  • केंद्र सरकार राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन करेगी, जो केंद्र और राज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा एवं यातायात प्रबंधन के सभी पहलुओं पर परामर्श देगी.
  • विधेयक के अनुसार अधिनियम के अंतर्गत किये गये अनेक अपराधों के लिए दंड बढ़ा दिए गये हैं.
  • टैक्सी एग्रीगेटरों को लाइसेंस राज्य द्वारा दिया जाएगा. साथ ही उनको सूचना तकनीक अधिनियम, 2000 का पालन करना होगा.

GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Swadesh Darshan Scheme

संदर्भ

भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत विषय-आधारित पर्यटन के विकास के लिए जनजातीय सर्किट का चुनाव किया है. इस सर्किट में जनजातीय संस्कृति, कला, हस्तशिल्प आदि का प्रदर्शन होगा और आदिवासियों को आजीविका के नए अवसर दिए जाएँगे.

स्वदेश दर्शन योजना के बारे में

  • जनवरी, 2015 में पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की गई थी.
  • यह योजना 100% केंद्रीय रूप से वित्त पोषित है.
  • इस योजना के लिए केन्द्रीय लोक उपक्रम और निगम क्षेत्र की कंपनियाँ CSR (Corporate Social Responsibility) के अंदर अपना वित्तीय सहयोग स्वैच्छिक रूप से करेंगी.
  • प्रत्येक योजना के लिए दिया गया वित्त अलग-अलग राज्य में अलग होगा जो कार्यक्रम प्रबंधन परामर्शी (Programme Management Consultant – PMC) द्वारा तैयार किये गये विस्तृत परियोजना प्रतिवेदनों (DPR) के आधार पर निर्धारित किया जायेगा.
  • एक राष्ट्रीय संचालन समिति (National Steering Committee – NSC) गठित की जाएगी. जिसके अध्यक्ष पर्यटन मंत्री होंगे. यह समिति इस मिशन के लक्ष्यों और योजना के स्वरूप का निर्धारण करेगी.
  • कार्यक्रम प्रबन्धन परामर्शी की नियुक्ति मिशन निदेशालय (Mission Directorate) द्वारा की जायेगी.
  • पर्यटन मंत्रालय ने देश में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के उद्देश्य से ‘स्वदेश दर्शन’ योजना शुरू की थी.
  • इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे स्थानीय समुदाय हेतु रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
  • योजना के अंतर्गत विषयगत सर्किट के विकास हेतु पहचान की गईं सर्किट हैं :- पूर्वोत्तर भारत सर्किट, बौद्ध सर्किट, हिमालय सर्किट, तटीय सर्किट, कृष्णा सर्किट, डेजर्ट सर्किट, आदिवासी सर्किट, पारिस्थितिकी सर्किट, वन्यजीव सर्किट, ग्रामीण सर्किट, आध्यात्मिक सर्किट, रामायण सर्किट और विरासत सर्किट.

GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Open Acreage Licensing Policy

संदर्भ

ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) राउंड-2 और 3 ऑक्शन के हिस्से के तौर पर सरकार ने नीलाम हुए 32 ऑयल ब्लॉक्स में से 10 केयर्न को आवंटित किए हैं जो राजस्थान के अलावा आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात और ओडिशा में है.

OALP

  • OALP भारत सरकार की हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं लाइसेंस नीति (Hyrdrocarbon Exploration and Licensing Policy- HELP) का एक हिस्सा है.
  • यह नीति भारत में तेल//प्राकृतिक गैस के नए भंडार खोजने और उसके दोहन से सम्बंधित है.
  • इसमें यह सुविधा दी गई है कि तेल खोजने वाली कम्पनी भारत सरकार द्वारा बोली लगाने के पहले ही अपने मन का ब्लॉक चुन सकती है.
  • उसके पश्चात् कम्पनी सरकार को अपना आवेदन देगी जिसमें उस ब्लॉक पर बोली लगाई जायेगी.
  • इस नई नीति से भारत की अवसादी घाटियों (sedimentary basins) के लगभग 8 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में तेल के अन्वेषण तथा अंततोगत्वा उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा.

HELP

  • HELP (Hyrdrocarbon Exploration and Licensing Policy) में ऐसा प्रावधान किया गया है जिससे भारत की समस्त अवसादी घाटियों में घरेलू और विदेशी कम्पनीयाँ निवेश करें और निवेश की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो तथा वित्तीय एवं प्रशासकीय तन्त्र निवेशकों के लिए अनुकूल हो.
  • इस नई नीति का उद्देश्य निवेशकों को राष्ट्रीय डाटा संग्रह (National Data Repository – NDR) में उपलब्ध भूकम्प विषयक विशाल डाटा उपलब्ध कराना है.

HELP की आवश्यकता क्यों?

भारत कच्चे तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. यहाँ जो ऊर्जा खपत होती है उसका 34.4% खनिज तेल और गैस से आता है. 2015-16 में कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता 81% हो गई थी जबकि पहले यह निर्भरता 78.5% थी. दूसरी ओर विगत पाँच वर्षों में भारत में तेल की खोज और उत्पादन में समग्र रूप से गिरावट देखी गई है.विदित हो कि भारत सरकार ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि खनिज तेल के आयात में 2022 तक 10% की कमी लाई जाए. इसी को ध्यान में रखकर खनिज तेल के अन्वेषण की नीति बनाई गई है. अन्वेषण की प्रक्रिया को सरल करने से इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा तथा अंततः तेल और गैस के नए-नए कुओं के मिलने से हमारा उत्पादन बढ़ेगा.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Blue flag project

संदर्भ

भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने देश के 12 बीचों (beaches) को “ब्लू फ्लैग” प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए चुना है. विदित हो कि ब्लू फ्लैग एक अंतर्राष्ट्रीय मान्यता है जो उन बीचों को प्रदान की जाती है जो पर्यावरण के अनुकूल एवं साफ़-सुथरा होती है तथा जिसमें सैलानियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ होती हैं.

सरकार ने जिन बीचों को इसके लिए चुना है, वे हैं – शिवराजपुर (गुजरात), भोगवे (महाराष्ट्र), घोघला (दीव), मीरामार (गोवा), कासरकोद और पदुबिद्री (कर्नाटक), कप्पड़ (केरल), ईडन (पुदुचेरी), महाबलिपुरम (तमिलनाडु), ऋषिकोन्डा (आंध्र प्रदेश), गोल्डन (ओडिशा) और राधानगर (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह).

ब्लू फ्लैग कार्यक्रम क्या है?

  • बीचों के लिए अभिकल्पित ब्लू फ्लैग कार्यक्रम का संचालन डेनमार्क के कोपेनहेगन में स्थित “Foundation for Environmental Education (FEE)” नामक एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी और लाभ-रहित संगठन करता है.
  • इसका आरम्भ सबसे पहले 1985 में फ़्रांस में हुआ था. 1987 में जाकर यह कार्यक्रम यूरोप में लागू हुआ और फिर जब इसमें दक्षिण अफ्रीका शामिल हुआ तो 2001 के पश्चात् यह कार्यक्रम यूरोप के बाहर भी कार्यशील हो गया.
  • जापान और दक्षिण कोरिया पूर्व एशिया के एकमात्र ऐसे देश हैं जहाँ ब्लू फ्लैग बीच अस्तित्व में है.
  • 566 बीचों के साथ स्पेन ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र के मामले में शीर्षस्थ देश है.
  • स्पेन के बाद ग्रीस और फ़्रांस का स्थान आता है जहाँ क्रमशः 515 और 395 ऐसे बीच हैं जिन्हें ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र मिला हुआ है.

ब्लू फ्लैग के लिए आवश्यक मानदंड

ब्लू फ्लैग का प्रमाणपत्र लेने के लिए किसी भी बीच में लगभग 33 विशेष गुण होने चाहिएँ. इनमें से मुख्य हैं – जल की गुणवत्ता के विशेष मानकों का पूरा होना, कचरा-प्रबंधन की सुविधा, दिव्यांगो के लिए अनुकूल परिवेश होना, प्राथमिक चिकित्सा का प्रबंध, बीच से पालतू पशुओं को दूर रखना. इन मानदंडों में स्वैच्छिक हैं और कुछ अनिवार्य हैं.


Prelims Vishesh

Sahiwal cattle :

  • साहीवाल को भारत के सर्वश्रेष्ठ दुधारू गायों में से एक माना जाता है.
  • इस गाय का नाम पंजाब (पाकिस्तान) के मोंटगोमरी जिले के साहीवाल क्षेत्र पर पड़ा है.
  • इन गायों को “लैंबी बार”, “लोला”, “मॉन्टगोमरी”, “मुल्तानी” और “तेली” के नाम से भी जाना जाता है.

Molecular mechanism behind latent TB :

  • कलकत्ता के वैज्ञानिकों ने उस आणविक तन्त्र का पता लगाया है जिसके कारण गुप्त तपेदिक होती है.
  • उन्होंने बताया है कि मानव शरीर के भीतर तपेदिक बैक्टीरिया का एक भंडार होता है जहाँ से उनका स्राव होता है.
  • खोज में पता चला है कि जो मैक्रोफेज नामक सूक्ष्म जीवाणु बैक्टीरिया, वायरस, फंफूद, परजीवियों आदि से शरीर की रक्षा करते हैं, वही तपेदिक की बैक्टीरिया को मारने के बजाय उनके चारों ओर एक थैली बना देते हैं जिसको ग्रेन्यूलोमा कहते हैं.
  • इस प्रकार तपेदिक का बैक्टीरिया एक जगह बंध जाता है और कुछ नहीं कर पाता है. परन्तु कई दशकों के बाद ऐसा हो सकता है कि यह थैली टूट जाए और तपेदिक के बैक्टीरिया बहार आकर शरीर को बीमार कर दे.

Spent pot lining (SPL) :

  • वैज्ञानिकों का कहना है कि अलिमुनियम से की गई स्पेंड पोट लाइनिंग (SPL) में बहुत अधिक साइनाइट और फ्लूराइड होता है और यह कैंसरकारक भी होता है. अतः इसकी विषाक्तता दूर करना आवश्यक होता है.
  • विदित हो कि इसे हानिकारक अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 में संग्लन हानिकारक अवशिष्टों की अनुसूची में रखा गया है.

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