Sansar डेली करंट अफेयर्स, 20 April 2019

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 20 April 2019


GS Paper  2 Source: Down to Earth

down to earth

Topic : Renewable Energy Certificates (RECs)

संदर्भ

नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियाँ GST के अंतर्गत नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र से छूट चाहती है और इसके लिए उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है.

नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र

नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (Renewable Energy Certificates – RECs) इस बात का प्रमाण होते हैं कि ऊर्जा को सूर्य अथवा पवन जैसे नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित किया गया है. प्रत्येक REC बताता है कि प्रत्येक 1MWh नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन से पर्यावरण को क्या लाभ हुआ. जब आप REC खरीदते हो तो आपकी ओर से नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न किया जात अहै.

माहात्म्य

  • यह एक बाजार आधारित तंत्र है जो राज्यों को उनकी नियामक आवश्यकताओं (जैसे – नवीकरणीय क्रय दायित्व – Renewable Purchase Obligations – RPOs) को पूरा करने में सहायता करता है.
  • REC नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादित ऊर्जा के हरित/पर्यावरणिक भाग को कमोडिटी बिजली से अलग रखते हैं जिस कारण दोनों प्रकार के अवयवों का व्यापार अलग-अलग हो सके.
  • इस प्रकार नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र राज्य की RPO विषयक सीमा से अधिक नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को प्रेरित करता है क्योंकि ये प्रमाणपत्र कमोडिटी बिजली की भौगोलिक सीमा से बंधे हुए नहीं हैं.

GST हटाने की आवश्यकता

नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र पर GST लगता है जबकि REC+ बिजली (चाहे स्रोत कोई भी हो) अथवा मात्र बिजली पर यह कर लागू नहीं होता. REC की बिक्री पर लगने वाले GST से बिजली बिक्री के अन्य विकल्पों की तुलना में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके अतिरिक्त बिजली वितरण कंपनियों को GST क्रेडिट नहीं मिलता है जबकि वे ही REC के 50-60% की क्रेता होती हैं. इस प्रकार RPO के अनुपालन में उनकी लागत बढ़ जाती है और बिजली का शुल्क भी बढ़ जाता है जिसका भार ग्राहक को ही वहन करना पड़ता है.


GS Paper  2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : World Press Freedom Index 2019

संदर्भ

रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डरस (RSF) नामक संस्था ने 2019 का विश्व प्रेस स्वातंत्र्य सूचकांक (World Press Freedom Index 2019) प्रकाशित कर दिया है जिसमें दर्शाया गया है कि पत्रकारों के प्रति शत्रु भाव बढ़ता जा रहा है.

विभिन्न देशों का प्रदर्शन

  • लगातार तीसरे वर्ष इस सूचकांक में नॉर्वे का स्थान सबसे ऊपर है और उसके पश्चात् क्रमशः फ़िनलैंड और स्वीडन का स्थान है.
  • 180 देशों में मात्र 24% देश अच्छे अथवा ठीक-ठाक की श्रेणी (“good” or “fairly good”) में आये जबकि पिछले वर्ष ऐसे देशों की संख्या 26% थी.
  • विश्व-भर में सबसे अधिक गिरावट (3.6%) उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में आई.
  • पहले की भाँति मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका पत्रकारों के लिए सबसे कठिन और खतरनाक क्षेत्र रहे.
  • जिन देशों में मीडियाकर्मियों को अत्यंत खतरा होता है, उनमें सीरिया (174वाँ) और यमन (168वाँ) के नाम आते हैं.
  • एशिया प्रशांत क्षेत्र इस सूचकांक में अंतिम तीसरे स्थान पर है. अफगानिस्तान, भारत और पाकिस्तान में पत्रकारों की हत्या बहुत अधिक हुई.

भारत के सन्दर्भ में टिपण्णी

  • भारत का स्थान 2018 में ऐसे सूचकांक में 138वाँ था जो घटकर अब 140वाँ हो गया है.
  • सूचकांक से पता चलता है कि भारत में पत्रकारों को पुलिस, माओवादियों, अपराधियों और भ्रष्ट राजनेताओं से खतरा रहता है.
  • कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में मीडिया को परेशानी होती है क्योंकि वहाँ विदेशी संवाददाताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है.

विश्व प्रेस स्वातंत्र्य सूचकांक क्या है?

  • यह सूचकांक 2002 से Reporters Without Borders (RSF) द्वारा जारी किया जाता रहा है.
  • इस सूचकांक में 180 देशों को शामिल किया जाता है.
  • विश्व प्रेस स्वातंत्र्य सूचकांक सम्बंधित देश में पत्रकारों को उपलब्ध स्वतंत्रता के आधार पर तैयार किया जाता है.
  • इस सूचकांक का उद्देश्य है विभिन्न देशों के बीच प्रेस की स्वतंत्रता के लिए प्रतिस्पर्द्धा उत्पन्न करना है.
  • यह सूचकांक जिन आधारों पर मीडिया की स्वतंत्रता का मूल्यांकन करता है, वे हैं – विविधतावाद, मीडिया स्वातंत्र्य, कानूनी ढाँचे की गुणवत्ता तथा पत्रकारों की सुरक्षा.
  • इस सूचकांक में प्रत्येक क्षेत्र में मीडिया की स्वतंत्रता के हनन का स्तर भी देखा जाता है.
  • सूचकांक बनाने के लिए विश्व-भर के विशेषज्ञ 20 भाषाओं में एक प्रश्नावली बनाते हैं. इस प्रश्नावली के माध्यम से प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण किया जाता है और पत्रकारों के प्रति हिंसा के मामलों का संख्यात्मक आँकड़ा संगृहीत किया जाता है.
  • रैंकिंग को एक दृष्टि में समझने के लिए सूचकांक के साथ एक रंगीन नक्शा भी दिया जाता है जिसमें प्रेस स्वतंत्रता में कमी-बेशी के हिसाब से रंग दिखाए जाते हैं.
  • इस रंगीन नक़्शे में विभिन्न देशों को अलग-अलग रंग में दिखाया जाता है जिनका तात्पर्य कुछ इस तरह से है — श्वेत (अच्छी स्थिति), पीला (संतोषजनक स्थिति), नारंगी (समस्याग्रस्त स्थिति), लाल (विकट स्थिति), काला (अत्यंत विकट स्थिति).

GS Paper  2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Key changes to Egypt’s constitution

संदर्भ

वर्तमान में मिस्र में एक त्रिदिवसीय जनमत संग्रह चल रहा है जिसमें लोगों से ऐसे संवैधानिक संशोधनों पर मन्तव्य माँगा जा रहा है जो राष्ट्रपति अब्दल फत्तह अल-सीसी को 2030 तक पद पर बनाए रखेंगे. वहाँ की संसद ने पहले ही इन संशोधनों पर बहुमत से अनुमति दे दी है. इनसे एक ओर जहाँ सेना की भूमिका सुदृढ़ होगी, वहीं दूसरी ओर न्यायिक नियुक्तियों के मामले में राष्ट्रपति की शक्ति भी बढ़ जायेगी.

विदित हो कि हाल ही में सरकार ने विरोधी लोगों पर पुलिस कार्रवाई की थी. आलोचकों का कहना है कि नए संशोधनों के फलस्वरूप मतभेद के लिए गुंजाइश और भी कम हो जायेगी.

क्या हैं ये संशोधन?

  • संविधान की धारा 140 में किया जा रहा संशोधन राष्ट्रपति के कार्यकाल को चार वर्ष से बढ़ाकर छह वर्ष कर देगा. अभी किसी भी राष्ट्रपति को दो बार से अधिक चुने जाने पर प्रतिबंध है. परन्तु नए संशोधन के अनुसार उसी राष्ट्रपति पर प्रतिबंध लागू होगा जो लगातार दो बार पद पर रहा हो.
  • संशोधन के अनुसार देश में एक दूसरा सदन बनेगा जिसका नाम सेनेटर परिषद् होगा. इसमें 180 सदस्य होंगे जिनमें 2/3 आम चुनाव से चुने जाएँगे और शेष को राष्ट्रपति नियुक्त करेगा.
  • संविधान की धारा 200 में संशोधन कर सेना की भूमिका का विस्तार किया जा रहा है. अब सेना का यह कर्तव्य होगा कि वह संविधान और लोकतंत्र तथा देश के मूलभूत स्वरूप आदि की रक्षा करेगी.
  • संशोधनों के द्वारा उपराष्ट्रपति का एक नया पद सृजित हो रहा है. इस पद पर नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा. उपराष्ट्रपति एक से अधिक भी हो सकते हैं.
  • संशोधनों के अनुसार अब राष्ट्रपति न्यायपालिका द्वारा पहले से चुने गये वरिष्ठ प्रत्याशियों में से मुख्य न्यायाधीशों और सार्वजनिक अभियोजक का चुनाव कर सकता है.
  • नए संशोधनों में यह व्यवस्था की गई है कि संसद में कम से कम 25% स्थान स्त्रियों के लिए सुरक्षित होंगे.

चिंताएँ

आलोचकों का कहना है कि ये संशोधन अब्दल फत्तह अल-सीसी और उसके निकटवर्ती अनुयायियों के साथ-साथ सशक्त सुरक्षा और गुप्त सूचना एजेंसियों के द्वारा लाये गये हैं. सेना को लोकतंत्र की रक्षा करने की भूमिका देकर एक नया चलन शुरू किया गया है जिसके परिणामस्वरूप भविष्य में सेना राजनैतिक जीवन में भी प्रवेश कर सकती है.


GS Paper  3 Source: Times of India

toi

Topic : Antares rocket

संदर्भ

नार्थरॉप ग्रूमन द्वारा बनाये गये रॉकेट एंटेरिज को हाल ही में नासा के वर्जिनिया के पूर्वी तट पर स्थित उड़ान केंद्र से छोड़ा गया. यह रॉकेट अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केंद्र तक जाकर वहाँ सिग्नस कार्गो अन्तरिक्षयान को पहुँचा देगा.

  • इस मिशन को NG-11 मिशन कहा गया है क्योंकि यह नार्थरॉप ग्रूमन का 11वाँ मालवाहक मिशन है. साथ ही यह उस कम्पनी का अब तक का सबसे लम्बा मिशन भी है.
  • NG-11 मिशन नार्थरॉप ग्रूमन कंपनी का नासा के लिए अंतिम मालवाहक मिशन है. इस मिशन का पूरा नाम NG-11 Cygnus the S.S. Roger Chaffee रखा गया है. विदित हो कि रॉजर चैफी वे अन्तरिक्षयात्री थे जो अपोलो प्रथम में आग लगने के कारण अपने सहयात्रियों गुस ग्रिसम और एड वाइट जूनियर के साथ मृत्यु को प्राप्त हो गये थे.

सिग्नस अंतरिक्षयान के चूहे

NG-11 के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष केंद्र में जो सिग्नस नामक अन्तरिक्षयान भेजा गया है उसमें चूहे रखे गये हैं. इन चूहों पर प्रयोग कर यह जांचा जाएगा कि टेटनस प्रतिरोधी टीका कारगर रहेगा या नहीं. कुल मिलाकर 40 चूहें हैं जिनमें 20 को अन्तरिक्षयान में टीका दिया जाएगा और 20 को नहीं दिया जाएगा. जब ये सभी चूहे धरती लौटेगा तो देखा जाएगा कि किन चूहों ने किस प्रकार टीके पर प्रतिक्रिया दी.

अन्य प्रयोग

  • चूहों के अलावे दो रोबोट – सीकर और एस्ट्रोबी – का भी परीक्षण होगा. इनमें सीकर को अन्तरिक्ष केंद्र में वायु रिसाव का पता लगाने के लिए बनाया गया है. दूसरे रोबोट एस्ट्रोबी का काम है केंद्र के कर्मियों को रख-रखाव और सामग्री सूची जैसे कामों में सहयोग देना.
  • सिग्नस अन्तरिक्षयान में एक गियर है जिससे अन्तरिक्ष में ZBLAN fiber-optic केबल बनाया जाएगा और एक ऐसा नया-नवेला हवा को रगड़ने वाली मशीन का प्रोटो टाइप बनाया जाएगा जो अन्तरिक्ष केंद्र के वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड हटाएगा.
  • सिग्नस अन्तरिक्षयान के बाहरी सतह पर छोटे-छोटे CubeSats हैं जो आगामी गर्मियों में इस अन्तरिक्ष के लौटते समय सक्रिय किये जाएँगे.
  • एंटेरिस रॉकेट अपने साथ 60 छोटे-छोटे अन्तरिक्षयान भी ले गया है जिन्हें ThinSat कहा जाता है. इन्हें प्राथमिक और उच्च विद्यालय के छात्रों ने बनाया है.

GS Paper  3 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Most ancient type of molecule in our universe

संदर्भ

वैज्ञानिकों ने हाल ही में पहली बार अन्तरिक्ष में हीलियम हाइड्राइड आयन (HeH+) नामक अणु की खोज की है जिसे हमारे ब्रह्माण्ड का प्राचीनतम प्रकार का अणु माना जाता है.

  • इस अणु की खोज ग्रह निहारिका NGC 7027 के आवरण के अन्दर की गई. इसमें सोफिया नामक अन्तरिक्ष में स्थित वेधशाला GREAT spectrometer की सहायता ली गई.
  • प्रारम्भिक ब्रह्माण्ड के इतिहास में HeH+ का बड़ा महत्त्व है, परन्तु अभी तक इसका पता नहीं लग पाया था क्योंकि यह अन्तरिक्ष की निहारिकाओं में छुपा हुआ था, जो बाह्य अन्तरिक्ष के गैस के बादलों और धूल की बनी होती हैं.

HeH+ कैसे बना?

  • हीलियम हाइड्राइड आयन (HeH+) वह पहला अणु है जो 14 बिलियन वर्ष पहले तब बना जब ब्रह्मांड का तापमान कम होते-होते 4000 Kelvin के नीचे आ गया था जिस कारण बिग बैंग के समय उत्पन्न हल्के तत्त्व (हाइड्रोजन, हीलियम, ड्यूटेरियम तथा लिथियम के कुछ अंश) आपस में जुड़ने लगे थे. उस समय आयनीकृत हाइड्रोजन और न्यूट्रल हीलियम के परमाणुओं ने आपस में प्रतिक्रिया की जिससे HeH+ की उत्पत्ति हुई.
  • सबसे पहले हीलियम मुक्त इलेक्ट्रोनों से जा जुड़ा जिससे पहले-पहले न्यूट्रल परमाणु का जन्म हुआ. उस समय हाइड्रोजन अभी भी आयनीकृत था अथवा शुद्ध प्रोटोन के रूप में विद्यमान था. जब हीलियम के परमाणु इन प्रोटोनों से जुड़े तो हीलियम हाइड्राइड आयन (HeH+) की उत्पत्ति हुई जो ब्रह्मांड का पहला अणुबंध था.
  • जैसे-जैसे यह बंधन आगे बढ़ा HeH+ उस समय के न्यूट्रल हाइड्रोजन के साथ प्रतिक्रिया करता चला गया और आणविक हाइड्रोजन के निर्माण का पहला मार्ग खोल दिया. यह घटना आधुनिक ब्रह्मांड के आरम्भ का संकेत थी.

खोज का महत्त्व

खगोलवेत्ताओं को बहुत दिनों से तारों के बीच फैले विशाल अन्तरिक्ष में HeH+ के अस्तित्व का कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिल रहा था. अब यह साक्ष्य मिल जाने से खगोलशास्त्र में एक क्रांति आ गई है. HeH+ का पता लग जाना दिखलाता है कि प्रकृति में अणुओं को बनाने की प्रवृत्ति कितनी नाटकीय और सुन्दर है.


Prelims Vishesh

Mueller’s report :-

  • अमेरिका के न्याय विभाग ने विशेष परामर्शी रोबर्ट म्यूलर का एक रिपोर्ट प्रकाशित किया है जिसमें इस बात की जाँच की गई है कि क्या राष्ट्रपति ट्रम्प के चुनाव में रूस के साथ मिली-भगत हुई थी.
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि यह सच है कि रूस की ओर से 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में दखल करने की चेष्टा हुई थी, परन्तु इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इसमें ट्रम्प अथवा कोई दूसरा अमेरिकी शामिल था.

NepaliSat-1 :-

  • नेपाल ने हाल ही में अपने पहले उपग्रह “नेपालीसैट– 1” को वर्जिनिया राज्य के पूर्वी तट पर स्थित NASA के अन्तरिक्ष अड्डे से प्रक्षेपित किया है.
  • इस उपग्रह को नेपाल के दो वैज्ञानिकों – आभास मस्की और हरिराम श्रेष्ठ – ने जापान के क्यूशू प्रौद्योगिकी संस्थान में बनाया है.
  • यह उपग्रह नेपाल के धरातल और पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में सूचना जमा करेगा. इस उपग्रह में इसके लिए एक 5MP कैमरा लगा हुआ है.

Naval fleet reviews :

  • अप्रैल 23, 2019 को चीन किंगदाव में अंतर्राष्ट्रीय नौसैनिक बड़ों की समीक्षा करने जा रहा है जिसमें 60 देश सम्मिलित हो रहे हैं.
  • इसमें भारत भी अपनी दो बड़ों (fleets) को लेकर जायेगा. ये फ्लीटें हैं – INS कलकत्ता और INS शक्ति.
  • अमेरिका ने इसमें सम्मिलित होने से मना कर दिया है.
  • समीक्षा के लिए अप्रैल 23 का चुनाव इसलिए हुआ क्योंकि इसी तिथि को 70 वर्ष पहले चीनी नौसेना का गठन हुआ था.

Asian Tea Alliance :-

  • चाय उगाने वाले और उसकी खपत करने वाले पाँच देशों ने मिलकर एशियाई चाय गठबंधन (Asian Tea Alliance) बनाया है जिसका हाल ही में चीन के गिजोउ में अनावरण हुआ.
  • इस गठबंधन में जो संघ शामिल हैं, वे हैं – भारतीय चाय संघ, चीनी चाय विपणन संघ, इंडोनेशियाई चाय विपणन संघ, श्रीलंका चाय बोर्ड और जापानी चाय संघ.
  • इस गठबंधन का उद्देश्य चाय के व्यापार को बढ़ाना, सांस्कृतिक आदान-प्रदान करना, तकनीकियाँ साझा करना और विश्व-भर में चाय की खपत बढ़ावा देना है.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

[vc_row][vc_column][vc_message message_box_color=”orange” icon_fontawesome=”fa fa-file-pdf-o”]March, 2019 Sansar DCA is available Now, Click to Downloadnew_gif_blinking[/vc_message][/vc_column][/vc_row][vc_row][vc_column][vc_column_text]
Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]